मौजाँ ही मौजाँ

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अब मेरा ध्यान उस पोली बैग पर गया, जो ससुर जी ने मुझे दिया था।

मैंने सोचा देखूँ इसमें वो क्या लाए हैं। बैग खोला तो मैं एकदम दंग रह गई, उसमें एक मशहूर ब्रांड की बहुत ही महंगी सुनहरे रंग की ब्रा थी और साथ में एक सुनहरे रंग की थोंग (पैन्टी) थी। पैन्टी तो बिल्कुल किसी डोरी की तरह थी। उसमें पीछे की तरफ की डोरी पर कुछ चमकदार नग लगे हुए थे।

और साथ में एक नाईटी भी थी, जो काले रंग की एकदम पारदर्शी थी। उसमें बहुत ही कम कपड़ा था, वो एकदम लेस वाली नाईटी थी। उसे कोई पहन ले तो शायद ही उसमें लड़की का कोई अंग छुप सके।

आज तक अताउल्ला ने भी मुझे ऐसी कोई ड्रेस नहीं दी थी। ऐसी ड्रेस तो मैंने सिर्फ़ फिल्मों में ही देखी थी। तो ससुर जी को आज आने में इसलिए देरी हुई थी।

मुझे यकीन नहीं हुआ कि वो मेरे लिए ऐसी ड्रेस भी खरीद सकते हैं।

मैंने फ़ौरन उस पोली बैग को बंद कर के बेड पर एक तरफ रख दिया और फिर मैं लेट गई और मेरी आँख लग गई।

जब आँख खुली तो शाम के छः बजे थे। मैंने जल्दी से उठ कर चाय बनाई और ससुर जी को देने के लिए ड्राइंग रूम में आ गई।

वो ड्राइंग रूम में अख़बार पढ़ रहे थे।

मैंने चाय मेज पर रख दी और जाने लगी।

ससुर जी- बहू... तुझे कहा था मैंने कि शाम को वो कपड़े पहन लेना, जो मैं आज लाया था और तूने अभी तक साड़ी पहन रखी है। मुझे तेरा फोटोशूट लेना है, चलो जल्दी से वो ड्रेस पहन कर आ जा..

मैं हाथ जोड़ते हुए बोली- बाबूजी... प्लीज़ मुझे छोड़ दो, मैं वो कपड़े पहन कर आप के सामने कैसे आ सकती हूँ.. प्लीज़ बाबूजी!

मैंने अपनी आँखें नीचे की हुई थीं।

ससुर जी- बहू, तू एक बार मेरी बात मान ले, आज के बाद तुझे कुछ पहनने को नहीं बोलूँगा.. प्लीज़, मान जा!

मैं उनसे अर्ज कर रही थी और वो मुझसे..!

ससुर जी- जा अब.. और मुझे तू रात तक उसी ड्रेस में दिखनी चाहिए, बस!

मुझे लगा वो गुस्सा होने वाले हैं, इसलिए मैं तुरंत अपने कमरे में आ गई।

मरती क्या ना करती.. मैंने वो पोली बैग उठाया और उसमें से वो ब्रा, पैन्टी और वो नाईटी निकाल ली। मैंने ड्रेसिंग टेबल के सामने जाकर अपनी साड़ी उतारी और फिर वो नई ब्रा और पैन्टी पहन ली।

मैंने पहली बार इतनी महंगी ब्रा और पैन्टी पहनी थी। मैंने शीशे में खुद को देखा, मैं उस समय बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैं एकदम गोरी हूँ और वो सुनहरे रंग की ब्रा और थोंग (पैन्टी) मेरे जिस्म पर एकदम ग्लो कर रही थी। थोंग तो ऐसी थी कि बड़ी मुश्किल से मेरी चूत उसमें छुप पा रही थी और उसके पतले डोरे मेरी टांगों के बीच में डाल लिए थे।

मैंने ऊपर से वो पारदर्शी नाईटी डाल ली, मैंने ड्रेसिंग टेबल में देखा तो मैं एकदम मॉडल सी लग रही थी।

उस समय मैं सब कुछ भूल गई और अपने बालों को अच्छे से बनाए, अपना मेकअप किया और फिर खुद को शीशे में निहारने लगी।

मुझे नहीं लगता कि उस नाईटी में कुछ भी छुप रहा था। मेरी चूचियां और तनी हुई लग रही थी उस ब्रा में और थोंग तो सिर्फ़ 3 इंच का कपड़ा डोरियों के साथ था, उसमें यक़ीनन मैं बहुत ही मादक और कामुक लग रही थी।

मेरी टाँगें एकदम नंगी थीं। मुझे इतना भी ध्यान नहीं रहा कि मैंने अपने रूम का दरवाज़ा बंद नहीं किया है। पीछे मुड़ी तो देखा कि ससुर जी मुझे टकटकी लगाए देख रहे हैं.. मैं एकदम शरमा गई।

मैंने कहा- बाबूजी.. आप यहाँ क्या कर रहे हैं?

और अपने हाथों से अपने तन को ढकने लगी।

ससुर जी- बहू अब शरमा मत... देख मैं कैमरा भी लाया हूँ.. अब मैं जैसा कहूँगा तू वैसा करेगी, नहीं तो तू सोच ले!

मैंने नजरें झुका लीं और चुपचाप खड़ी रही।

ससुर जी- चल अब सीधी खड़ी हो जा... मैं तेरे इस मादक रूप की फोटो तो खींच लूँ!

मैंने हाथ हटा लिए, ससुर जी ने कई फोटो लिए।

ससुर जी- चल.. अब नाईटी भी उतार दे..

मैंने उनकी वो बात भी मान ली। अब मैं अपने ससुर के सामने केवल एक ब्रा और एक पतली डोरी वाली की थोंग में थी। अपने को छुपाने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर इन कपड़ों में कुछ छुपता कहाँ है।

ससुर जी ने मुझे अलग-अलग हालत में खड़ा कर के कई फोटो लिए।

फिर बोले- चल अब पूरी नंगी हो जा बहू और नंगी तू इस कैमरा के सामने होगी..!

मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़, मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ... प्लीज़ मुझे नंगा मत करिए, आपने जो कहा, वो मैंने किया!

ससुर जी- बेटा... तू अभी कौन से कपड़ों में है?

यह कहते हुए उन्होंने मेरे शरीर से ब्रा और पैन्टी भी उतार दी। मैं अब एकदम नंगी थी, मैं एकदम सीधी खड़ी हो गई।

उन्होंने मेरी कई नंगी फोटो खींची।

फिर मेरी चूचियाँ देख कर बोले- बेटा.. ये तो अब तक लाल है, कल मैंने ज़्यादा तेज़ मसल दी थी क्या!

और मेरे चूचुक छूने लगे।

मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी, ऐसे मत करिए!

ससुर जी- चल अब दोनों हाथ दीवार पर रख और पीछे मुँह कर के खड़ी हो जा!

जैसा उन्होंने कहा, मैं वैसे ही खड़ी हो गई। मेरे हाथ दीवार पर थे, मेरे बाल खुले हुए थे और वो मेरे चूतड़ों तक आ रहे थे।

उन्होंने उस स्थिति के कई कोणों से फोटो लिए।

थोड़ी देर बाद मैंने पीछे मुड़ कर देखा वो एकदम नंगे हो चुके थे और उनका लंड एकदम तना हुआ था। उनका लवड़ा आज तो और भी लंबा लग रहा था। मैंने फिर से दीवार की तरफ मुँह कर लिया और अपनी आँखें बंद कर लीं।

मुझे अब अपने जिस्म पर उनके हाथ महसूस हो रहे थे, उनका एक हाथ मेरी बाईं चूची को मसल रहा था और दूसरा दाईं चूची को भभोंड़ रहा था।

मेरे मुँह से 'उफआह.. बाबूजी प्लीज़... उफ्फ....नहीं...आह.. बस करो.. आ..' जैसे अल्फ़ाज़ निकल रहे थे।

तभी उन्होंने दायें हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दी, मैं एकदम से उछल सी गई, तो उन्होंने मेरे बाल पकड़ लिए।

ससुर जी- बहू.. बस थोड़ी देर ऐसे ही खड़ी रह..!

और फिर मुझे अपनी चूत पर उनका मोटा लण्ड महसूस होने लगा। उन्होंने मेरे बाल पकड़े हुए थे और दाईं वाली चूची मसल रहे थे। उन्होंने एक झटका मारा और पूरा लंड मेरे अन्दर समा गया।

बिल्कुल जैसे हीटर की रॉड मेरे अन्दर समा गई हो।

आज वो मेरे साथ खड़े-खड़े ही चुदाई कर रहे थे।

मैंने अपनी आँखें बंद की हुई थीं।

फिर पता नहीं क्या हुआ मुझे अपनी चूत में सनसनी होने लकी और लगा मेरी चूचियाँ खड़ी हो रही हैं...!

या अल्लाह.... मेरा जिस्म मेरा साथ छोड़ रहा था, अब मैं भी मजे में डूबती जा रही थी, अब उनका लंड मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

मेरे मुँह से निकल रहा था- उफ़फ्फ़... बाबूजी...प्लीज़ नहीं...आहाहहा..!

और में उनके हर झटके का जवाब अपने चूतड़ हिला-हिला कर दे रही थी।

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ससुर जी- ऊ...आहह.. बहू... तू बहुत ही प्यारी है बस दस मिनट और खड़ी रह...!

और इस तरह वो मुझे 20 मिनट तक दीवार पर खड़ा करके चोदते रहे, वो भी मेरे अपने कमरे में।

उसके बाद एक करेंट सा लगा और मेरी चूत से पानी की धार बह गई!

मुझे लगा वो भी झड़ गए हैं, वो एकदम मुझसे चिपक गए और मुझे सीधा करके मेरे होंठों को चूसने की कोशिश करने लगे।

फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे गोदी में उठा कर मेरे बेड पर लिटा दिया और खुद भी लेट गए।

हम दोनों 15 मिनट ऐसे ही लेट रहे।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपने ससुर के साथ अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हूँ।

और इतने में मेरा फोन बजने लगा।

वो मुझे 20 मिनट तक दीवार पर खड़ा करके चोदते रहे, वो भी मेरे अपने कमरे में।

उसके बाद एक करेंट सा लगा और मेरी चूत से पानी की धार बह गई!

मुझे लगा वो भी झड़ गए हैं, वो एकदम मुझसे चिपक गए और मुझे सीधा करके मेरे होंठों को चूसने की कोशिश करने लगे।

फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे गोदी में उठा कर मेरे बेड पर लिटा दिया और खुद भी लेट गए।

हम दोनों 15 मिनट ऐसे ही लेट रहे।

मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं अपने ससुर के साथ अपने बिस्तर पर नंगी पड़ी हूँ।

और इतने में मेरा फोन बजने लगा। समय देखा तो सात बज रहे थे और अताउल्ला का फोन था।

ससुर जी- बेटा, अताउल्ला का फोन है... उठा ले!

और मेरी चूत को सहलाने लगे, मैंने उनका हाथ हटाया और अताउल्ला का फोन उठा लिया।

अताउल्ला- हैलो कौसर, कैसी हो आप?

मैंने कहा- ठीक हूँ, आप बताइए..!

अताउल्ला- क्या कर रही थी?

अब मैं उन्हें कैसे बताती कि मैं एकदम नंगी उनके बाप के साथ अपने बेड पर हूँ और ससुर जी मेरी चूत में उंगली डाल रहे थे। मैंने उन्हें बड़ी मुश्किल से रोका हुआ था।

मैंने कहा- मैं रसोई में काम कर रही थी..!

तभी ससुरजी ने मेरी एक चूची बड़ी ज़ोर से दबा दी, मेरे मुँह से फोन पर ही चीख निकल गई- ओफ़फ्फ़...

अताउल्ला घबरा गए, पूछने लगे- क्या हुआ?

मैंने ससुर जी से हाथ जोड़ कर इशारा किया कि प्लीज़ मुझे बात करने दो, तब जाकर उन्होंने मेरी चूची छोड़ी।

मैं नंगी ही बेड से उठ कर बोली- कुछ नहीं सब्ज़ी काट रही थी, थोड़ा सा लग गया..!

अताउल्ला- अपना ध्यान रखा करो और अब्बू कहाँ हैं?

उन्हें क्या पता था कि अभी थोड़ी देर पहले ही मेरी चूत के अन्दर अपना लण्ड डाले पड़े थे।

मैंने कहा- वो शायद बेडरूम में हैं, टीवी देख रहे हैं।

अताउल्ला- ठीक है अपना ख्याल रखना!

और उन्होंने फोन रख दिया।

मैंने ससुर जी को देखा तो वो बेड पर लेट मुझे ही देख रहे थे, पर उन्होंने अपने कपड़े पहन लिए थे।

मैं उनसे नज़रें नहीं मिला रही थी इसलिए फ़ौरन दूसरी तरफ देखने लगी।

मैंने भी सोचा कि मैं भी अपने कपड़े पहन लूँ और अलमारी खोल कर अपना एक सूट निकाल लिया।

ससुर जी- क्या कर रही है बेटा?

मैंने बिना उनकी तरफ देखे कहा- खाना बनाना है, देर हो जाएगी इसलिए रसोई में जा रही हूँ।

उन्होंने तभी बेड से उठ कर मेरा सूट छीन लिया, बोले- तो इसमें सूट का क्या काम? आज से तू खाना नंगी हो कर ही बनाएगी।

मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़... मेरा सूट छोड़िए साढ़े सात बज गए हैं, बहुत काम है।

मुझे लगा शायद वो ऐसे ही कह रहे हैं।

ससुरजी- तुझे समझ नहीं आता क्या... अब शाम को तू ऐसे ही रहा करेगी, चल जा अब खाना बना...

और मेरा सूट बेड के दूसरी तरफ फेंक दिया।

मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी... मुझे कुछ तो पहनने दो!

और मैं नजरें झुकाए खड़ी रही।

ससुरजी- अच्छा चल तू इतना कह रही है तो तू कुछ चीज़ पहन सकती है..!

फिर बोले- तू अपनी कोई भी ज्वैलरी, अपनी चुन्नी और कोई भी हील वाली सैंडिल पहन सकती है.. ठीक है अब?

मैंने सोचा इसमें तो एक भी कपड़ा नहीं है, पहनूँ क्या और चुन्नी का क्या करूँगी जब नीचे से पूरी नंगी हूँ।

ससुर जी- और थोड़ा फ्रेश हो ले पहले, बाल भी बना ले, देख एकदम बिखरे पड़े हैं!

इतना कह कर वो अपने कमरे में चले गए।

मैं गुस्से में गुसलखाने में गई, अपने मुँह-हाथ धोए और अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने आ गई, अपने बाल ठीक किए, मैंने अपने को शीशे में देखा तो मेरे जिस्म पर जगह-जगह लाल निशान पड़े थे, वो ससुर जी के मसलने से हुए थे और उनमें दर्द भी हो रहा था।

कपड़े तो पहन नहीं सकती थी, जैसा ससुर जी बोल कर गए थे। नंगी ही रसोई में खाना बनाने चली गई।

खाना बनाते-बनाते एक घंटा बीत गया करीब रात के 08-30 बज गए। मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था। मैं रसोई में एकदम नंगी थी और काम किए जा रही थी, पर क्या कर सकती थी, ससुरजी ने कुछ पहनने नहीं दिया था।

तभी ससुर जी रसोई में आ गए, मुझे फिर शर्म आने लगी, मैंने नजरें झुका रखी थीं।

वो बोले- बहू, मुझे ज़रा पानी पीना है..!

मैं उन्हें गिलास देने लगी, तो वो बोले- मैं अपने आप पी लूँगा और मुझसे गिलास नहीं लिया।

वो बोले- बस तू अपना काम करती रह।

तभी मुझे उनके हाथ अपने चूतड़ों पर महसूस होने लगे। वो उन्हें दबा रहे थे, तभी उन्होंने बाईं हाथ से मेरी बाईं चूची मसलने लगे। मेरी चीख निकल गई।

मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी.. इनमें बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ मत दबाइए...!

उन्होंने हाथ हटा लिया। मैंने उनकी तरफ नहीं देखा और अपना काम करती रही। तभी मुझे लगा कि वो मेरे पीछे बैठ गए हैं और वो अपनी जीभ से मेरी टांगों को चाटने लगे।

मैं घबरा गई और बोली- बाबूजी, यह आप क्या कर रहे हैं?

ससुर जी- तू अपना काम करती रह बहू, ज़रा टाँगें चौड़ीं कर ले बस!

वो मेरी टांगों को नीचे से ऊपर तक चाट रहे थे, मुझसे काम नहीं हो पा रहा था, मैंने आँखें बंद कर रखी थीं।

तभी वो मेरी टांगों के नीचे से बैठ कर मेरे सामने आ गए। अब उनका मुँह बिल्कुल मेरी नंगी चूत के सामने था। उन्होंने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को पकड़ा और मेरी चूत पर अपनी ज़ुबान लगा दी।

ससुरजी अपनी जीभ से मेरी चूत को ऊपर से नीचे तक चाट रहे थे... ऐसा तो अताउल्ला ने भी कभी नहीं किया था!

मेरी हालत खराब होने लगी, मैंने अपनी दोनों टाँगें फैला रखी थीं और ससुर जी किसी पालतू कुत्ते की तरह मेरी चूत को चाटते जा रहे थे। मेरे से नहीं रहा गया और मैंने अपने दोनों हाथों से अपने ससुर जी का सर पकड़ लिया।

जब ससुर जी को लगा कि अब मैं उन्हें अपने से नहीं हटाऊँगी तो उन्होंने अपने हाथ मेरे चूतड़ों से हटा लिए और दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठ खोल कर मेरी चूत के दाने को जीभ से चाटने लगे।

मेरी हालत अब बहुत खराब हो गई थी, मेरे अन्दर तूफान सा आ गया और मैं अपने होंठ अपने ही दांतों से काटने लगी। पर फिर भी मैंने अपनी आँखें नहीं खोलीं। मुझे महसूस हुआ कि मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गई है और उसमें से पानी सा आने लगा!

तभी ससुर जी बोले- बेटा, यही पानी तो पीने आया था मैं.. वाहह... तेरे नीचे के होंठ तो बड़े ही प्यारे हैं बहू... एकदम लाल है.. तू अन्दर से...

वो मेरी चूत के दाने को बुरी तरह चाटने लगे।

मुझ से रुका नहीं गया और मैं उनके सिर को अपने अन्दर की तरफ दोनों हाथों से दबाने लगी और मेरे मुँह से- ह...! उफ्फ़... नहीं... प्लीज़..स्सस...' जैसे लफ्ज़ निकलने लगे।

यह मेरा पहला अनुभव था, जब किसी ने मेरी चूत चाटी थी, मुझे नहीं पता था कि चूत चटवाने का इतना सुख मिलता है।

मैं बेकाबू होती जा रही थी और अपने चूतड़ों को हिलाने लगी थी।

तभी ससुर जी उठे और रसोई में ही गैस के पास थोड़ी जगह थी, वहीं पर मुझे बिठा दिया। मैं अपने होश में नहीं रही और वो जो कर रहे थे, बस उसमें उनका साथ देने लगी। पर मैं अभी भी अपनी आँखें नहीं खोल रही थी।

तभी अपने होंठों पर मुझे उनके होंठ महसूस हुए। वो मेरे होंठ चाटने लगे और उन्होंने अपने बाईं हाथ की दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी थीं।

गीली होने की वजह से मुझे उनका उंगली अन्दर-बाहर करना अच्छा लग रहा था।

मैं सब कुछ भूल गई और ससुर जी के होंठों को चूसने लगी। आज पहली बार मैंने अपने ससुर जी के होंठ अपनी मर्ज़ी से चूसे थे।

कभी वो मेरे होंठ अपने होंठों से चूसते थे तो कभी मैं उनके होंठों को अपने होंठों से काट रही थी। फिर वो मेरी ज़ुबान चूसने लगे, तभी उन्होंने अपनी उंगलियां मेरी चूत में से निकालीं और मुझे उनका लण्ड अपनी चूत के होंठों पर महसूस होने लगा।

उनका दायां हाथ मेरे चूतड़ों पर था और बायां हाथ मेरी कमर में था। वो कोशिश कर रहे थे, पर उनका लण्ड चूत में नहीं जा पा रहा था।

ससुर जी- बेटा, थोड़ी मदद कर ना... अपने हाथ से पकड़ कर सही जगह डाल दे ना..

यह कह कर वो फिर मेरे होंठ चूसने लगे।

अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था, मैंने आँखें बंद किए हुए ही नीचे अपने हाथ बढ़ाए तो उनका गर्म-गर्म लण्ड मेरे हाथ में आ गया। आज पहली बार मैंने उनके लण्ड को छुआ था, उनका लण्ड एकदम गर्म था और बहुत ही मोटा और लंबा महसूस हो रहा था।

मैंने सोचा या अल्लाह...! मैं इतना लंबा और मोटा लण्ड कल से दो बार अपने अन्दर ले चुकी हूँ!!

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मुझे बहुत अजीब लगा कि मेरी चूत में इतना मोटा लण्ड कैसे चला गया।

फिर मैंने उनका लण्ड पकड़ कर चूत पर सही जगह टिका दिया और उन्होंने एक हल्का झटका दिया और करीब 3 इंच लण्ड मेरे अन्दर समा गया। मेरी चूत के होंठ फट गए थे, मेरी चीख निकली पर उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा रखा था।

तभी उन्होंने एक और झटका दिया और उनका पूरा 7′ इंच लंबा लण्ड मेरे अन्दर समा गया। मुझे लगा जैसे मेरी चूत फट जाएगी, उन्होंने कुछ तेज़ झटका मार दिया था।

मेरे अन्दर तूफान सा आ गया, उनका पूरा मोटा लण्ड मेरे अन्दर था। वो हल्के-हल्के झटके देने लगे!

मेरे मुँह से 'ओह्ह आअहह उफ़फ्फ़..बस करो प्लीज़... बाबूजी...उफ्फ...!' मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

मैं कह तो रही थी कि बस करो, पर अपने दोनों हाथों से उन्हें अपनी तरफ खींच भी रही थी और उनके हर झटके का अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करके जवाब भी दे रही थी।

उन्होंने रफ़्तार बड़ी तेज कर दी थी, वो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत से निकाल लेते थे और फिर पूरा का पूरा एक साथ झटके से अन्दर कर देते थे।

मुझे लगता था जैसे आज उनका लण्ड मेरा पेट फाड़ देगा, पर मुझे इसमें मज़ा बड़ा आ रहा था।

मैं हाँफने लगी थी।

ससुर जी- उफ़फ्फ़ बहू... आ...आ... तेरी चूत तो बड़ी मस्त है रे.. आह्ह.. मैं आने वाला हूँ... बहू..!

उनके मुँह से अपने लिए ऐसे गंदे शब्द सुन कर मुझे भी गुदगुदी सी हो रही थी।

मैं उन्हें अपने सीने से चिपका लेना चाहती थी... उनके झटके बढ़ते गए और एकदम से उन्होंने पानी की धार मेरी चूत में छोड़ दी और वो मुझसे चिपक गए।

मैं भी अपने आप को रोक ना सकी और मैंने भी पानी छोड़ दिया, मैं भी उनसे चिपक गई, उनका लण्ड अब भी मेरे अन्दर ही था।

हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे, फिर ससुर जी उठे और अपने कमरे में जाते हुए बोले- बहू.. अब नहा कर खाना लगाना!

उनके झटके बढ़ते गए और एकदम से उन्होंने पानी की धार मेरी चूत में छोड़ दी और वो मुझसे चिपक गए।

मैं भी अपने आप को रोक ना सकी और मैंने भी पानी छोड़ दिया, मैं भी उनसे चिपक गई, उनका लण्ड अब भी मेरे अन्दर ही था।

हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे, फिर ससुर जी उठे और अपने कमरे में जाते हुए बोले- बहू.. अब नहा कर खाना लगाना!

वो मेरे ऊपर से उठे तो मुझे बड़ा हल्का सा लगा, पूरा जिस एकदम टूट गया था।

जब वो आए थे तो मैं रोटी बनाने की तैयारी कर रही थी।

मैं सीधे गुसलखाने में गई और फव्वारा चला कर अच्छे से नहाने लगी।

फिर रसोई में आ कर रोटी बनाने लगी पर मैं अभी भी नंगी ही थी, क्योंकि मुझे पता था कि ससुर जी मुझे कुछ पहनने नहीं देंगे, वो बहुत जिद्दी हैं। तब तक करीब साढ़े नौ बज चुके थे।

ससुर जी ड्राइंग रूम में थे, मैंने उनका और अपना खाना लगाया और ड्राइंग रूम में आ गई।

ससुर जी- आ जा बहू... लगा दे खाना, बहुत थक गया हूँ... जल्दी सोना चाहता हूँ।

मैंने अपनी नजरें उनसे नहीं मिलाईं और खाना लगा दिया। हम दोनों ने खाना खाया और फिर मैं अपने कमरे में आ गई।

मेरा पूरा जिस्म दुख रहा था, आज तो उन्होंने मेरे साथ दो बार चुदाई की थी। मुझे लग रहा था कि जैसे मेरे अन्दर से कुछ निकल गया है।

मैं अपने बेड पर आई और गिर पड़ी, मैं इस समय भी एकदम नंगी थी, मुझे पता नहीं चला कब आँख लग गई और जब मोबाइल का अलार्म सुबह बजा तब ही आँख खुली।

मैं जल्दी से गुसलखाने में नहा कर ससुर जी के लिए नाश्ता बनाने रसोई में गई। मैंने जल्दी-जल्दी सारा काम खत्म किया और ससुर जी के लिए नाश्ता लगा कर ड्राइंग रूम में ले आई।

वो अभी अख़बार पढ़ रहे थे, मैंने कहा- बाबूजी नाश्ता कर लीजिए!

तब मैंने शिफौन की साड़ी पहनी थी जोकि मेरे जिस्म से एकदम चिपकी हुई थी, पर आज मैंने सिर पर पल्ला नहीं रखा था और बाल भी खुले छोड़ दिए थे।

ससुर जी बोले- बहू, सिर पर पल्ला क्यों नहीं किया? और तू क्या मुझसे नाराज़ है, जो आजकल सलाम भी नहीं करती?

मैंने सोचा अब पल्ला करने को क्या बचा है सब कुछ तो इन्होंने मेरा लूट लिया है, पर कह रहे थे, तो मैंने पल्ला कर लिया और सलाम भी कहा।

ससुर जी- जीती रह बेटा...!

मेरे सिर पर हाथ रख कर प्यार किया और नाश्ता ले लिया।

फिर मैं बाकी का काम निपटाने रसोई में आ गई और थोड़ी देर में आवाज़ आई- बहू दरवाजा बंद कर ले, मैं स्कूल जा रहा हूँ।

अब मैं घर पर अकेली थी, मैंने जल्दी से घर का सारा काम निपटाया, करीब 11-00 बज गए।

फिर मैं अपना नाश्ता लेकर ड्राइंग रूम में बैठी और खाने लगी। मैं नाश्ता कर रही थी और जो मेरे साथ दो दिन में जो हुआ वो सोच रही थी कि मेरे अपने ससुर जी के साथ ग़लत रिश्ते बन गए।

मैं उनको कैसे रोकूँ और क्या जो वो मेरे साथ कर रहे हैं, वो ठीक है?

फिर मैंने सोचा कि क्या इंसान की सेक्स की भूख इतनी ज़्यादा होती है कि उस समय उससे कुछ नहीं दिखता और फिर मैं अपने आप को कोसने लगी कि मैं कैसे इस ग़लत रिश्ते में अपने ससुर जी का साथ दे रही हूँ।

फिर मैंने थोड़ा टीवी चला लिया और फिर थोड़ी देर में मेरी आँख लग गई।

दरवाजे की घन्टी बजी तो देखा दो बजे थे।

मैंने दरवाज़ा खोला तो ससुर जी थे, वो अन्दर आ गए, मुझसे कुछ नहीं बोले। मैंने उनका दोपहर का खाना भी लगा दिया खुद भी वहीं बैठ कर खाया और फिर अपने कमरे में आ गई।

फोन में शाम के 5-30 का अलार्म सैट किया और फिर सो गई।

अलार्म बजा तो मैं फ़ौरन उठ गई, सीधी रसोई में गई, ससुर जी और अपने लिए चाय बनाई और ड्राइंग रूम में आ गई। मैंने अभी भी साड़ी पहनी हुई थी। ससुर जी वहीं थे और टीवी देख रहे थे।

ससुर जी- बहू.. कल मैंने तुझे कुछ कहा था ना?

मैंने उनसे नजरें नहीं मिलाईं और बोली- क्या बाबूजी?

ससुर जी- मैंने कहा था, शाम को तेरे जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं चाहिए मुझे, तू फिर भी साड़ी में आई है!

मैंने कुछ कहना चाहती थी कि तभी मेरी नज़र ससुर जी के बैंत पर पड़ी जिससे वो स्कूल में बच्चों को मारा करते थे। वो एक पतली सी डंडी थी जो करीब 3 फिट की होगी। उन्होंने वो उठा ली और मेरे चूतड़ों पर एक ज़ोर से मारी।

मेरी चीख निकल गई, वो बहुत तेज़ लगी थी। तभी उन्होंने दुबारा उससे मारने के लिए उठाया, तो मैंने कहा- बाबूजी... प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है... प्लीज़ मत मारो..!

ससुर जी- अगले दो मिनट में तू एकदम नंगी हो जा!

मैंने डर के मारे अपने सारे कपड़े वहीं उतार दिए। मैं अब फिर बिना कपड़ों के थी।

ससुर जी- तूने ग़लती की है तो सज़ा तो मिलेगी बेटा, चल चार पैरों पर बैठ जा..!

मैं यह सुन कर सुन्न रह गई, पर क्या करती उनकी डंडी से डर के मारे एक ही बार में ड्राइंग रूम में घुटनों के बल और अपने दोनों हाथ फर्श पर रख कर कुतिया स्टाइल में बैठ गई।

ससुर जी- बहू, तू आज मेरी कुतिया है और मैं तेरा कुत्ता, आज मैं तुझे इसी हालत में चोदूँगा!

मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी... आज मत करिए प्लीज़... बहुत दर्द है वहाँ पर.. प्लीज़!

ससुर जी- मैंने तुझे बोलने को नहीं कहा और बेटा अताउल्ला ने तुझे कभी अच्छे से नहीं रगड़ा, मैं तो बस अपने बेटे का काम कर रहा हूँ।

मैं सोचने लगी कि ससुरजी को क्या हो गया है, वो मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं यह तो यातना है।

पहले उन्होंने मुझे मेरे ही बेडरूम में लिटा कर किया, फिर दीवार के सहारे खड़ा कर के चोदा, फिर रसोई में आधा बैठा कर और अब कुतिया बना कर चोदेंगे।

मैं तो अन्दर से काँप रही थी कि वो आगे-आगे क्या करेंगे?

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और कुतिया बन कर ही बैठी रही।

ससुर जी चाय पीते जा रहे थे और अपने आगे मुझे बिठा रखा था और तभी उन्होंने फिर से एक डंडी मेरे चूतड़ों पर ज़ोर से मार दी।

मेरी जान निकल गई- प्लीज़ बाबूजी... प्लीज़.. मुझ पर रहम करो... बहुत दुख रहा है, प्लीज़ मत मारो!

ससुर जी- बेटा थोड़ी देर और सहन कर ले, फिर तुझे अपने आप अच्छा लगेगा..

फिर मेरे एक और पड़ी। इस तरह वो तेज़-तेज़ 5-6 डंडी मेरे चूतड़ों पर मारते रहे और चाय पीते रहे।

तभी मैंने देखा बाबूजी जो बैग स्कूल ले जाते थे, वहीं ड्राइंग रूम में था।

ससुरजी- बहू मैं तेरे लिए आज भी कुछ लाया था। आज मार्केट गया था, वहीं से लाया हूँ..!

अपना बैग मेरे मुँह के आगे रख दिया।

मेरे दोनों हाथ तो ज़मीन पर थे, क्योंकि मैं कुतिया बन कर बैठी थी, तो उन्होंने ही बैग खोल दिया।

मैंने देखा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसमें सेक्स टाय्स थे। करीब एक 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा बाईब्रेटर लाल रंग का और एक नीले रंग का बाईब्रेटर जो करीब 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा होगा। एक काले रंग की पैन्टी, लड़कियों के मुँह पर बाँधने वाली पट्टी जिसमें एक बॉल लगी होती है, जिससे लड़कियाँ चीख ना सकें और एक रिमोट भी था। कुछ सेल और एक काला हंटर, एक काले रंग का चैन लगा हुआ कॉलर, एक बेबी आयल की बोतल और कुछ सैट की जा सकने वाली पट्टियाँ पड़ी थीं।