औलाद की चाह 224

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8.06 मामा जी की अलमारी
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Part 225 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 8-छठा दिन

मामा जी

अपडेट-6

मामा जी की अलमारी

मामाजी ठीक मेरे सामने थे, तो जाहिर है कि मेरी पैंटी को एडजस्ट करने की कोशिश करने का कोई सवाल ही नहीं था। मैंने सब कुछ वैसे ही रहने दिया हालांकि मैं स्पष्ट रूप से महसूस कर सकती थी कि मेरी पैंटी के किनारे मेरी कमर पर दब रहे थे।

मामा जी: वैसे भी, बहुरानी बताओ राजेश का बिजनेस कैसा चल रहा है? उम्मीद है सब कुछ ठीक है?

मैं: हाँ मामा-जी, उसका धंधा तो ठीक चल रहा है, लेकिन उन्हें उसमें बहुत समय देना पड़ता है।

मामा जी: हा हा... क्या मैं इसे शिकायत मानूं?

मैं: (शरमाते हुए) नहीं, नहीं।

मामा जी: फिर भी जैसे तुमने कहा उससे मुझे यही संदेश मिला । हा हा!... वैसे भी वो रात को तुम्हारे पास ही सोता है ना... हा हा हा!...

मैं फिर से शरमाते हुए मुस्कुरायी ।

मामा जी: बहुरानी, तुम जो भी कहो, घर के भीतर इस भगवा साड़ी में तुम बड़ी अजीब लग रही हो। ऐसा लगता है जैसे मेरे घर में कोई सन्यासिनी आई है हा हा हा!..

मैं: हाँ मामा-जी मैं जानती हूँ, लेकिन मुझे आश्रम की संहिता नहीं तोड़नी चाहिए।

मामा जी: लेकिन आश्रम के विपरीत यहाँपर तो कोई भी आप पर नजर नहीं रख रहा है!

मैं: यह सच है। लेकिन...

मामा जी: ठीक है, लेकिन मुझे बताओ कि क्या तुम हमेशा इस पोशाक को वहां पहनती हो? मेरा मतलब है सोते समय भी?

मैं: नहीं, नहीं मामा-जी। मैं नाइटी पहनती हूं, लेकिन वह भी आश्रम की ओर से दी जाती है।

मामा जी: ओ! अच्छा ऐसा है। लेकिन वैसे भी बहुरानी आपने मुझे एक अजीब स्थिति में पड़ने से बचा लिया......(वह शरारत से मुस्करा रहे थे )

मैं: (हंसते हुए) कैसे?

मामा जी: अगर आप अपनी साड़ी बदलना चाहती, तो मैं आपको एक अतिरिक्त साडी देने की स्थिति में नहीं हूं। जाहिर है मेरे घर में महिलाओं के कपड़े नहीं हैं। हा हा हा! मेरे पास आपको देने के लिए केवल शर्ट और पतलून है। या फिर ज्यादा से ज्यादा मैं तुम्हें पहनने के लिए बनियान और पायजामा दे सकता हूं.... हा हा हा!...

मैं अपने चेहरे पर क्रिमसन शेड के साथ उनकी ओर वापस मुस्कुरायी । मेरे जैसी एक भारी नितम्बो वाली महिला, बस सोफे में गहरी और गहरी धसती गई।

मैंने चाय के साथ कुछ मिठाई ली और चाय खत्म की, मिठाईया वास्तव में बहुत अच्छी थी । जैसे ही मामा जी बाहर बगीचे में गए, मैंने अपने आप को फैलाया और अब और अधिक आराम और आजाद से महसूस करने की कोशिश की।

मेरे पैर और टाँगे और भी अलग हो गयी (मैंने सोचा कि उस लड़की का क्या होगा जो घुटने की लंबाई वाली स्कर्ट पहनकर इस सोफे पर बैठती है!)

हालाँकि, जैसे-जैसे मैं उस सोफे पर आराम करता रही, मुझे अपने मन में स्वीकार करना पड़ा कि यह सोफे बेहद आरामदायक था क्योंकि एक बार जब मैंने अपना पूरा शरीर उस पर गिरा दिया और अब कठोर नहीं था, तो यह वास्तव में एक बहुत अच्छा एहसास था! उसी समय मैंने निष्कर्ष निकाला कि इस तरह के सोफे को डाइनिंग में नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि एक निजी स्थान (जैसे बेडरूम या कुछ हद तक बंद बरामदे) में रखा जाना चाहिए ताकि महिलाएं भी इसका प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।

बैकरेस्ट इतना अजीब तरह से गहरा था कि जब मैंने अपने शरीर को पूरी तरह से झुक कर उस पर आराम करने के लिए छोड़ा, तो मेरे बड़े स्तन मेरी साड़ी के नीचे दो तैरते हुए गुब्बारे की तरह लग रहे थे! किसी भी तरह से एक परिपक्व महिला के लिए इस तरह के सोफे पर बैठना और आराम करना (विशेष रूप से किसी भी पुरुष के सामने) सभ्य नहीं कहा जा सकता है।

थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं उठी और घर के भीतर ही टहलने का विचार किया। मामा जी बाहर बगीचे में काम कर रहे थे। मैंने रसोई से शुरुआत की, जो काफी बड़ी और जगहदार थी। सारे बर्तन, थाली, प्याले, मसाले की बोतलें आदि बड़े करीने से रखे हुए थे और मैंने मन ही मन मामा जी की नौकरानी के काम की सराहना की।

आगे मैं मामा जी के बेडरूम में गयी । चूँकि मामा जी बगीचे में थे और मैं उस समय घर में अकेली थी, मैंने सोचा कि यह मेरे लिए मेरी पैंटी से बाहर निकलने कायही सबसे अच्छा समय है। इसके अलावा, मैंने कार में बहुत पसीना बहाया था और इसलिए आंशिक रूप से अभी भी पसीना आ रहा था। मैंने दरवाजा बंद कर दिया और चूंकि वह एक सुरक्षित जगह थी, मैंने अपनी साड़ी को अपनी कमर तक ऊपर खींच लिया और एक ही बार में अपनी पैंटी नीचे कर ली।

आह! राहत!

मैंने अपनी उँगलियों से अपनी जांघो और योनि क्षेत्र को सहलाया और अपनी पैंटीलेस अवस्था में बहुत अच्छा महसूस किया। मैं एक धुन गुनगुनाने लगी और पैंटी को शौचालय में रखने के बारे में सोच रही थी, लेकिन फिर मेरा विचार बदल गया क्योंकि मुझे लगा कि अगर मामा जी इस बीच शौचालय जाते हैं और वहां मेरी पैंटी देखते हैं तो उन्हें यह कभी अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए मैंने पैंटी को अपने कैरी बैग में रखा और अलमारी के सामने चली गयी । अलमारी का दरवाजा आधा खुला था, लेकिन जैसे ही मैंने अंदर देखा, मैं जिस धुन को गुनगुना रहा था, वह तुरंत रुक गई!

मैंने वहाँ स्पष्ट रूप से महिलाओं के वस्त्रो को देखा! कुछ साड़ियां, पेटीकोट और ब्लाउज थे!

अब मैं तुरंत इसकी जांच करने करने के लिए उत्सुक हो गयी । मामा-जी यह सब तो पक्का नहीं पहन सकते और अपनी नौकरानी के कपड़े अपनी ही अलमारी में क्यों रखें!

हे भगवान!

मुझे एक जोड़ी लाल रंग की ब्रा और पैंटी भी मिली! यहां तक कि मुझे भी तीन सलवार-कमीज सेट मिले, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सभी पजामा सेट से गायब थे! कपड़े के ढेर के नीचे मुझे एक नाइटी मिली और जैसे ही मैंने उसे अपने सामने खींचा, मैं उसका छोटा आकार देखकर चौंक गयी!

मैं उलझन में थी ।

कपड़ों की गुणवत्ता देखकर मुझे आसानी से लगा कि यह निश्चित रूप से मामा जी की नौकरानी के ही हैं, लेकिन उसने अपने कपड़े मामा जी की अलमारी में रखने की हिम्मत कैसे की! भले ही मैं समझ सकती थी ये अतिरिक्त वस्त्रो के सेट हैं, मामा जी काफी दयालु थे जो उसे इन वस्त्रो को अपनी अलमारी में रखने दिया था, लेकिन मैं सलवार कमीज, अंडरगारमेंट्स और नाइटी का हिसाब समझ नहीं पायी! जब तक नौकरानी रात में यहाँ नहीं रुकती, उसे निश्चित रूप से नाइटी की आवश्यकता नहीं पड़ती होगी!

मामा-जी और नौकरानी के साथ नहीं, नहीं, ये नहीं हो सकता! मैं निश्चित रूप से थोड़ा हड़बड़ा गयी थी ।

मामा-जी ने मुझसे कहा कि नौकरानी का तो परिवार है, फिर वह रात को यहां कैसे ठहर सकती थी।

मैं अब थोड़ा असहज महसूस कर रही थी और मेरी पैंटी का बॉर्डर थोड़ा खिसक गया था और मेरी कमर को थोड़ा काट रहा था। हालांकि यह एक असहनीय स्थिति नहीं थी, लेकिन चूंकि मैं लंबे समय तक कार में एक ही अकड़ू मुद्रा में बैठी रही थी सम्भवता इसलिए ही ऐसा हुआ होगा।

.. मुझे कोई सुराग नहीं मिल रहा था। अगर मैं यह भी सोचूँ कि कभी बारिश के कारण या मामा जी के बीमार होने के कारण कभी-कभी यहाँ रहती है, तो भी मैं समझ नहीं सकती थी कि वह इतनी छोटी सी सेक्सी नाईटी ड्रेस मां जी के सामने पहने और मामा जी के लिए घर में काम करे! और सबसे दिलचस्प बात यह है कि मैंने जो सलवार-कमीज टॉप वहां ने पाया, वे सभी आधुनिक कट "शॉर्ट सलवार" थे और सच कहूं तो मैंने कभी किसी नौकरानी को ऐसी छोटी सलवार पहने नहीं देखा था!

मुझे निश्चित रूप से यहाँ से एक चटपटे किस्से की खुशबु आ रही थी । मुझे पूरा यकीन था कि मामा जी और इस नौकरानी के बीच जरूर कुछ गड़बड़ है। मैं लगभग इस नतीजे पर पहुँच ही गयी थी कि मेरे बुजुर्ग रिश्तेदार का अपनी नन्ही नौकरानी के साथ अफेयर चल रहा है, हालाँकि मामा जी के लिए मेरे मन में जो सम्मान था, वह मुझे पूरी तरह से इस विषय पर आश्वस्त करने में बाधा बन रहा था।

अपनी जिज्ञासा से बाहर निकलते हुए मैंने सोचा कि क्यों न आगे और खोजबीन की जाए। मैं दरवाजे पर गयी, उसे थोड़ा सा खोला, और फिर से देखा कि मामा जी अभी भी बगीचे में हैं या नहीं। वो वहीँ थे । मैंने फिर से दरवाजा बंद किया और "और" खोजना शुरू कर दिया। मामा जी के अचानक आ जाने पर मैंने झट से उत्तर त्यार किया ; मैं कहूँगी कि मैं अपनी साड़ी ठीक कर रही थी और इसलिए मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया था; निश्चित रूप से तब उन्हें कुछ भी संदेह नहीं होगा।

जारी रहेगी

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