उस रात को क्या हुआ था ?

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रात में सोते में अपने साथ हुई घटना का रहस्य
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मेरी शादी हुये कोई तीन साल ही गुजरे थे। कोई बच्चा नहीं था। हम अभी चाहते भी नहीं थे इस लिये सारी सावधानी रखते थे। दोनों की सेक्स लाइफ मजेदार थी। मेरी पत्नी तीन बहनें थी और उस का नंबर दूसरा था उस से बड़ी बहन की शादी हमारी शादी से दो साल पहले हो चुकी थी। सालियों और जीजाओं के बीच जैसी चुहल बाजी होती है वैसी ही हमारे बीच भी होती रहती थी। मैं और मेरी सालियाँ अपनी सीमायें जानते थे और कभी भी अपनी सीमाओं को लाघँते नहीं थे। काफी संबंध मधुर थे मेरे और मेरी सालियों के बीच।

एक बार मेरी बड़ी साली जिसका नाम रिमा था कुछ दिन के लिये हमारें साथ रहने के लिये आयी थी। शादी के पाँच साल बाद भी उस की गोद भरी नहीं थी। मैंने इस बारें में कभी पत्नी से कोई बात नहीं की थी। मुझे लगता था कि यह उन दोनों के बीच का विषय है और मुझे इस में ताक-झांक करने का कोई हक नही है। रिमा के आने के बाद कुछ दिन तो उसे शहर घुमाने में व्यतीत हो गये। उसे मैंने और पत्नी ने सारा शहर घुमाया। काफी बड़ा शहर था हमारा। तीनों जनें समय का सदूप्रयोग कर रहे थे।

रिमा थोड़ी सी मजाकिया थी सो उस की मेरे साथ छेड़-छाड़ चलती रहती थी। मैं, उस के अपने से बड़े होने के कारण कभी मजाक नहीं करता था। यह मेरी आदत में शामिल नही था। वह इसी बात को लेकर मेरा मजाक बनाती रहती थी कि उस का एक ही जीजा है वह भी साली से मजाक नहीं करता। मैं उस की इस बात पर चुप ही रहता था।

लेकिन हम दोनों दूनिया भर के विषयों पर बात किया करते थे। उसे मेरे सामान्य ज्ञान पर गर्व होता था। वह यह बात कई बार कह चुकी थी कि आप को ना जाने कैसे दूनिया भर के बारें मे पता है, मेरे यह तो अपने शहर की गलियों के बारें में भी नहीं बता सकते। मुझे लगता था कि हर साली को अपना जीजा अपने पति से ज्यादा अक्लमंद लगता है यह भी शायद वही किस्सा है। इसी लिये मैं इस बारें में कभी सोचता नहीं था और उस की बातों को एक कान से सुन कर दूसरें कान से निकाल देता था। मेरी पत्नी और रिमा कद काठी में एक जैसी लगती थी। केवल फर्क था तो दोनों के वक्ष के साइज का। मेरी पत्नी का वक्ष सामान्य था लेकिन मेरी साली का वक्ष बड़े आकार का था। जो उस के कपड़ों में से हमेशा झलकता रहता था।

वह उसे छिपा भी नही सकती थी। उसे अपने साईज की ब्रा मिलने में भी समस्या आती थी। मेरी पत्नी ने मुझ से इस बारे में पुछा तो मैंने उसे बताया कि आज कल कई कंपनियां बड़ें साईज की ब्रा बनाती है, वह भी इन ब्रा को ट्राई कर के देख सकती है। मेरी पत्नी ने मुझ से कहा कि किसी दूकान का पता करके बताओ तो कोई बात बने। दूसरे दिन मैंने उसे दूकान का पता दे कर कहा कि तुम दोनों कल जा कर अपने साईज की ब्रा देख कर खरीद लाना। उस ने मेरी बात से सहमति जताई।

दूसरे दिन दोनों बहनें मेरी बताई दूकान पर गयी और अपने-अपने साईज की ब्रा खरीद लाई। शाम को ऑफिस से आने के बाद मेरी पत्नी ने मुझे बताया कि तुम्हारी बात सही निकाली। उस दूकान पर हम दोनों को अपने-अपने साईज की सही ब्रा मिल गयी, थोड़ी कीमती है लेकिन पहन कर मजा आ गया। मैं उस की बात पर चुप रहा। रात को खाना खाते समय रिमा मुझ से बोली कि जीजा जी कोई ऐसा विषय है जिस के बारें में आप कुछ ना जानते हो?

उस की बात पर मैंने उस की तरफ देखा तो वह मुस्करा कर बोली कि मुझे नहीं पता था कि महिलाओं के अंड़र गारमेंट के बारें में भी इतनी जानकारी आप को है। मैंने उस की बात पर हँस कर कहा कि विवाहित आदमी को इन बातों की जानकारी होनी चाहिये। वह मेरी बात पर बोली कि आज आप की जानकारी ने मेरी बहुत बड़ी समस्या हल कर दी है। कितनें सालों से मैं परेशान थी कि सही साईज की ब्रा ही नहीं मिलती थी और जो मिलती थी वह कुछ ही दिनों में फट जाती थी। मैंने उसे बताया कि उसी जैसी महिलाओं की परेशानी को देख कर कंपनियाँ इस साईज की ब्रा बनाने लगी है। हम दोनों की इस विषय पर बात यही खत्म हो गयी।

रात को दोनों बहनों ने तय किया कि वह देर रात तक बातें करेगी इस लिये आज एक साथ ही सोयेगी। यह जान कर मैं बाहर के कमरे में जहाँ सोफा और दिवान पड़ा था वहाँ पर सोने आ गया। मुझे अगले दिन ऑफिस जाना था इस लिये मेरा समय पर सोना जरुरी था इसी लिये मैं रजाई ले कर सोने की कोशिश करने लगा। थका होने के कारण जल्दी ही मुझे नींद आ गयी।

मेरी पत्नी को आदत थी कि वह रात को अपनी पीठ की तरफ से मेरे से चिपक जाती थी और मैं उस में पीछे से प्रवेश करके संभोग कर लिया करता था। वह अपने पांवों को सिकोड़ कर अपने कुल्हें मेरी जाँघों से सटा देती और मैं अपने तने लिंग को उस की योनि में डाल देता और आराम से संभोग करता रहता। जब उस का मन करता तो वह अपनी गरदन घुमा कर मुझे चुम लेती थी। मैं भी अपने हाथों से उस के उरोजों को दबाता रहता था। यह आसन हम दोनों का मनपसंद आसन था। सुबह के समय होने वाली उत्तेजना का शमन ज्यादातर इसी आसन के द्वारा होता था।

आज भी मुझे नींद में लगा कि पत्नी आ कर मेरे साथ लेट गयी है। वह पीठ की तरफ से मेरे से चिपक गयी। हम दोनों रजाई में दुबके हुये एक-दूसरे के शरीर की गर्मी का आनंद उठाने लगे। उस के बदन का स्पर्श पा कर मेरा लिंग पुरे तनाव में आ गया और मैं उस का बदन सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने उस की सलवार नीचे खिसका दी और उस की पेंटी में हाथ डाल कर उस की योनि को सहलाना शुरु कर दिया ताकि वह संभोग के लिये तैयार हो सके। यह सब कुछ यंत्रवृत सा हो रहा था।

मैंने उस की पेंटी कुल्हों से नीचे खिसकाई और अपने लिंग को ब्रीफ से निकाल कर उस के नंगें कुल्हों से चिपका लिया। कुल्हों के स्पर्श से लिंग और उत्तेजित हो गया। अब जो होना था वह हुआ मेरा लिंग उस की योनि में पीछे से घुस गया। लिंग को योनि में नमी मिली तो वह बिना किसी घर्षण के योनि में समा गया। मैं धीरे-धीरे धक्कें लगाने लगा। कुछ देर बाद वह भी अपने कुल्हों को आगें पीछे हिलाने लगी। दोनों के शरीर एक ही रिद्म में हिल रहे थे।

मेरा बांया हाथ उस के उरोजों पर पहुँच गया। मैंने कुर्तें के ऊपर से उन्हें सहलाया और फिर कुर्तें को ऊपर करके उरोजों को दबाना शुरु कर दिया। आज उरोज कुछ ज्यादा बड़ें लग रहे थे। मेरे हाथ में समा नहीं रहे थे। मैं उन की निप्पलों को दबाता रहा। उरोजों के बाद मेरा हाथ उस की कमर को सहला कर उस की योनि के ऊपर आ कर उस को सहलाता रहा। दोनों के शरीर उत्तेजना के कारण तेजी से हिल रहे थे। दोनों के शरीर में लगी आग अब पुरी तरह से भड़क कर चरम पर पहुँचना चाहती थी। कुछ देर बाद मैं बड़ी जोर से स्खलित हुआ और उस के साथ चिपक गया। संभोग के बाद मुझे नींद आ गयी या कहें कि मैं नींद में ही था।

सुबह उठा तो देखा कि ब्रीफ पर वीर्य के दाग पड़े हुये थे। मुझे पता चला कि जो रात को हुआ वह सपना नहीं था बल्कि असल में हुआ था। मैं उठ कर अपने नित्यक्रर्म में लग गया। नाश्तें पर रिमा से सामना हुआ तो उस के चेहरे पर एक अजीब सी शरारत की झलक मैंने देखी। उसे अनदेखा कर के मैं ऑफिस के लिये निकल गया।

रिमा कुछ दिन बाद वापस अपनी ससुराल चली गयी।

एक महीने के बाद पत्नी नें मुझे बताया कि रिमा गर्भवती हो गयी है। यह खबर हम सब के लिये खुशखबरी तो थी ही लेकिन इस खबर ने मेरी उलझन और बढ़ा दी कि उस रात मेरे साथ कौन सोया था? इस का जवाब मैं जानना चाह कर भी जानना नहीं चाहता था। मेरे लिये तो वह एक सामान्य रात थी लेकिन अगर उस से किसी के जीवन में खुशी आई थी तो मैं कौन होता हूँ उस में खलल डालने वाला। ओ

समाप्त

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