खानदानी निकाह 56

Story Info
हमने दुआ की- रुखसाना आपा जल्द गर्भवती हो
1.3k words
3.75
17
00

Part 56 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

अपडेट 56

हमने दुआ की- रुखसाना आपा जल्द गर्भवती हो

मैंने रुखसाना की चूत में 10-12 सबसे शक्तिशाली स्ट्रोक मारे और मेरा स्खलन करीब आ गया। मैंने रुखसाना के स्तनों को ज़ोर से भींचा और चिल्लाया "ऊऊहहह ऊऊहहहहहह मैं झड़ने वाला हूँ" और आखिरी झटके में मैंने अपना लंड उसकी योनि में ठोक दिया और मेरा लंड हिल गया और मेरे गर्म वीर्य के गोले रुखसाना की योनि में डलने लगे।

मेरे वीर्य की पिचकारी के जोर के स्पर्श ने ही रुखसाना को चरम सीमा पर ला दिया और एक जोरदार चीख के साथ वह भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच गई और उसकी योनि ने भी अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया। उसकी योनी मेरे वीर्य और उसकी योनी रस से भर गई और बाढ़ आ गई। काफी देर तक मेरा लंड झटके मार पिचकारियाँ मारता रहा और लंड रस उसकी वीर्यवान गर्भाशय कोख में छोड़ता रहा।

जब तक मेरे लंड से वीर्य की इक बूँद भी निकलती रही मैं तब तक धक्के मारता रहा और ये आसन अधिक आनंददायक था और आज हम दोनों को इन 10 दिनों का सबसे अच्छा और सबसे शक्तिशाली संभोग सुख प्राप्त हुआ था। अम्मीजान को जरूर बढ़िया नज़ारा शो मिला था। मैं कुछ देर तक रउलक्षाणा की पीठ पर उसके साथ चिपक कर लेटा रहा और फिर उसे चूम कर सहलाया । फिर मैंने अपना आप को संभाला और वीर्य से सना हुआ लंड, जो अब थोड़ा ढीला हो गया था, रुखसाना की योनि से बाहर निकाला। मेरे लंड ने शायद हमारे आपसी रस को उसकी योनि में ही रोक दिया था, इसलिए जैसे ही मैंने अपना लंड बाहर निकाला, रुखसाना की योनि से हमारा रस बहना शुरू हो गया और फिर उसके पैरों तक आया और फिर बिस्तर पर टपकने लगा, जिससे बिस्तर की चादर गीली हो गई।

मैं नीचे जमीन पर खड़ा हो गया। रुखसाना अभी भी डॉगी स्टाइल में थी और अभी भी वह सोने का नाटक कर रही थी, वह तब तक बिस्तर पर लेट भी नहीं सकती थी, जब तक मैं कमरे से बाहर नहीं निकल जाता। मैंने अम्मीजान को शीशे में देखा तो पाया कि वह अभी भी परदे के पीछे खड़ी हैं। रुखसाना इस बात से बेखबर थी क्योंकि उसने नींद का बहाना करने के लिए अपनी आँखें बंद कर रखी थी और उसका मुँह भी दूसरी तरफ था।

मैंने आखिरी बार रुखसाना बाजी की योनि और उनकी गांड के छेद पर अपनी उंगली रगड़ी और फिर उनकी योनि पर एक आखिरी चुंबन दिया और फिर मैंने अपनी लुंगी उठाई और अपनी कमर के चारों ओर लपेटने ही वाला था कि मेरे दिमाग में कुछ आया। मैंने सोचा कि अम्मीजान को दिखा दूं कि मैं इतना मूर्ख नहीं हूँ कि मुझे उनकी मौजूदगी का पता न चले। तो अचानक से मैं अम्मीजान की तरफ घूम गया और सीधे उनकी आँखों में देखने लगा। मेरा लंड भी अभी तक खड़ा था ।

अम्मीजान मेरी अचानक हुई हरकत से घबरा गईं। वह पर्दे के पीछे खड़ी थी और उसने कमरे में झाँकने के लिए पर्दों में एक छोटा-सा गैप बना रखा था और अचानक मेरी नजर सीधे उसकी तरफ जा रही थी। फिर तो वह तो जैसे जम गई और शेर के सामने मेमने की तरह खड़ी रही। वह डर के मारे सफेद हो गयी थी और कुछ भी बोल नहीं पा रही थी या बर्फ की तरह जमती जा रही थी और यहाँ तक कि पर्दों के फासले भी बंद नहीं कर पा रही थी।

मैंने सीधे उसकी आँखों में देखा और फिर उसकी तरफ शरारत से मुस्कुराया और उन्हें आँख मार दी और कहा आपा को कह देना वह दूल्हे भाई से आज और अगले कुछ दिन जरूर चुद ले ताकि किसी शक शुबहा की कोई गुंजाइश न रहे। अम्मीजान मानो ज़मीन पर टिकी हुई खड़ी थीं और मेरी आँखों में इस तरह देख रही थीं जैसे बकरी भेड़िये की ओर देखती है। उन्होंने एक बार मेरे लंड की टफ देखा तो लंड की लम्बाई, मतैई और कड़ापण देख उनका मुँह खुल गया और खुला ही रह गया । मैं अब उन्हें और अधिक शर्मिंदा नहीं करना चाहता था इसलिए मैंने फिर से आँख मारी, लुंगी लपेटी और कमरे से बाहर चला गया, मेरी हाल ही में चुदी बड़ी बहन रुखसाना बाजी को डॉगी स्टाइल में और मेरी माँ पर्दे के पीछे खड़ी-खड़ी रह गईं।

मैं बाहर आया और अपने कमरे में चला गया।

2-3 मिनट बाद अम्मीजान भी कमरे से बाहर आईं और चुपचाप रसोई में चली गईं। अगले 5 मिनट के बाद रुखसाना बाजी भी अपने कपड़े पहन कर अपने कमरे से बाहर आईं और ऐसा दिखावा करने लगीं जैसे अभी उठी हों। ज़ाहिर है कि वह नहीं जानती थी कि मेरे और अम्मीजान के बीच क्या हुआ था।

मैं भी अपने कमरे से बाहर आया फिर मैं बोला, " अम्मीजान! जल्दी करो। रिजवान भाई (जीजाजी) के आने का समय करीब है। वह किसी भी समय आ सकते हैं और आपा को कह देना आज उनके पास जरूर सोये! कृपया मुझे बताएँ कि क्या बाज़ार से कुछ लाना है ।

अम्मीजान शर्म के मारे कुछ न बोल सकीं और चुपचाप न में सिर हिला दिया। रुखसाना भी अपने पति के साथ जाने के लिए तैयार होकर बाथरूम से बाहर आ गई. आज फिर वह मुझसे नज़रें मिलाने से बच रही थी और शर्मा रही थी। मुझे लग रहा था कि ऐसा चुदाई के नये स्टाइल के कारण हुआ है और हमने मिल कर दुआ की-रुखसाना आपा जल्द गर्भवती हो!

कुछ देर बाद घंटी बजी, मैंने दरवाज़ा खोला और अपने जीजाजी रिजवान भाई "अस्सलाम अलेकुम" कह कर स्वागत किया। उन्होंने भी मुझे शुभकामनाएँ दीं और "वालेकुम स्लैम" कहते हुए मुझसे हाथ मिलाया। उनके साथ मेरी तीन बीविया रुखसार, अर्शी और जूनि भी आयी थी । जीनत बेगम को खाला ने कुछ और दिनों के लिए रोक लिया था । सबने अम्मी को सलाम किया और फिर हम ड्राइंग रूम में बैठे और रुखसाना अंदर आई और अपने पति को विश किया। रिजवान 10 दिनों के अंतराल के बाद उससे मिलकर खुश था; और मेरी तीन बेगमे मुझे देख कर खुश थी । हमने कुछ देर बातें की और चाय वगैरह पी।

लगभग 1 घंटे के बाद जीजाजी ने रुखसाना के साथ जाने के लिए हमसे छुट्टी मांगी, क्योंकि देर हो रही थी और उन्हें जाना था।

उस शाम अँधेरा होने लगा था, हमने उन्हें आज रुक कर कल जाने के लिए कहा, जिसे रिजवान मान गए. मैंने और रिजवान ने कुछ गप्पे मारी और अम्मीजान मेरे बेगमो के साथ चुपचाप खाना बनाने रसोई में चली गईं। अम्मीजान को हमारी चुदाई में झाँकते हुए पकड़े जाने पर शर्म महसूस हो रही थी, इसलिए वह पकड़े गए चोर की तरह व्यवहार कर रही थी और उन्होंने मुझसे मेरी बेगमो के सामने या अकेले में कोई बात नहीं की। उन्होंने बिना मेरे साथ कोई ख़ास बात किये चुपचाप रात का खाना बनाया और हम सबने खाना खाया और अपने कमरे में चले गये।

उस रात रिजवान और रुखसाना के कमरे से देर रात तक चुदाई की आवाजे आती रही और मैंने भी बहुत दिनों बाद अपनी तीनो बेगमो की एक साथ खूब चुदाई की । अगले दिन नाश्ते के बाद हमने एक टैक्सी बुला कर दोनों को उसमे बिठा कर । मैंने कहा, "रिजवान भाई और बाजी! ख़ुदा हाफ़िज़। अल्लाह तुम दोनों को खुश रखे। कृपया जल्द ही आना।" रुखसाना का चेहरा शर्म से लाल हो गया, वह कुछ नहीं बोल सकी और केवल मुस्कुरा दी, क्योंकि वह मेरी बात के छुपे हुए अर्थ को समझ रही थी लेकिन उसके पति को कुछ भी पता नहीं था इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया। रुखसाना ने पुष्टि में मुस्कुराते हुए सिर हिलाया और वे दोनों चले गए।

मैं उम्मीद कर रहा था और प्रार्थना कर रहा था कि अम्मीजान की योजना काम करे और अल्लाह रुखसाना आपा को गर्भधारण का आशीर्वाद दे और उसका भविष्य बचाए, क्योंकि हम जो कुछ भी कर सकते थे हमने किया था और अब केवल अल्लाह ही कुछ कर सकता है...

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Game Night Pt. 01 He put them first every day, now they're returning the favor.in Incest/Taboo
Teenage Mother Brian impregnates his sister.in Incest/Taboo
The Chronicles of Bobby Pt. 01 Bobbie impregnates his new step sister.in Incest/Taboo
मुस्लिम भाइयों और बहन का ग्रुपसेक्स मुस्लिम भाइयों और बहन का सेक्स.in Incest/Taboo
Fun Size Ch. 01 Sis is a little person. My sexual bucket list got an upgrade.in Incest/Taboo
More Stories