गंगाराम और स्नेहा Ch. 12

Story Info
स्नेहा की 19 वर्षीय छोटी बहन पूजा अपनी गांड उठा उठाकर गंगारा
4.8k words
4.78
18
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Part 12 of the 12 part series

Updated 11/29/2023
Created 06/03/2022
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गंगाराम और स्नेहा - 12

(गंगाराम - पूजा 2)

स्वीटसुधा 26

Story infn

स्नेहा की 19 वर्षीय छोटी बहन पूजा अपनी गांड उठा उठाकर गंगाराम से चुदती है।

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दोस्तों अपने गंगाराम और पूजाकी मिलन और दोनों के बीच हुये नजदीकि के बारे में और कैसे गंगाराम अपना ख्वाइश की पूर्ती के लिए पूजा को कैसे फंसा रहा था पढ़ चुके हैं। आइए इस कड़ी में वह उसे फँसायाहै और कैसे पूजा उस से पेलवाती है पढ़ें।

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कोई पंद्रह दिन तक गंगाराम पूजा को कॉलेज छोड़ता रहा। दोनों की बीचमे घनिष्ठता और ज्यादा बढ़ी। अब दोनों एक दूसरे को जोक भी सुनाने लगे। जब कभी भी गंगाराम जोक सुनाया और पूजा खिल खिलाकर हंसती है तो मादकता से हिलते उसके चूचियों को देखकर गंगरामका मन मचल जाता था। कहीं बार तो उसने सोचा की साली को पटक कर चोददें, लेकिन उसने ऐसा किया नहीं। वह धैर्य से काम लेने वला इंसान हैं।

उसे अभी भी पूजाके साथ साथ उसकी बड़ी बहन स्नेहा और उसकी माँ गौरी को (जिन्हे वह पहले ही चोदचूका है) जी भरकर चोदना है। उसी लिए उसने अपना धैर्य नहीं खोया और धीरजसे काम ले रहा था।

उस दिन हर रोज की तरह बसस्टैंड पर वह गंगाराम की राह देखरही थी। उसकी राह देखना एक आदत सी पड़गयी। गंगाराम आया और पूज को बुलाया..

"हाय अंकल.. गुडमॉर्निंग" वह चहकती कही और आगे का डोर खोलकर गंगाराम की बगल में बैठी।

"पूजा.. तुमने फिर मुझे अंकल कही..."

"ओह सो सॉरी मामाजी... बस कुछ एसे ही खायालों में..."

"बात क्या है कुछ बेचैन दिखरही हो... यह लो पहले चॉकलेट लो.. और फिर सुनाओ..."

उसने थैंक्स कहते चॉकलेट ली अरु खामोश बैठी रही।

"तुमने मेरे प्रश्न का जवाब नहीं दिया..."

"कौनसा.. प्रश्न...?"

"वही तुम कुछ बेचैन दिख रही हो.. क्या बात है...?" पुछा गंगाराम।

"वैसे कुछ नहीं मामाजी..."

"ठीक है, नहीं बोलना चाहती हो तो मत बोलो.... लेकिन ऐसी सूरत तो मत बनाओ ..."

पूजा मुस्कुराती है "देखो कितनी रौनक आयी है तुम्हरे मुस्कुराने से.." वह बोला और गाड़ी आगे बढ़ाया।

दोनों के बीच कुछ देर चुप्पी रहती है। उस चुप्पीके बाद "मामाजी.. एक बात पूछूं..." पूजा गंगाराम को देखते बोली।

"बात क्या है...?"

"आप नाराज तो नहीं होएंगे...?"

"नहीं.... "

"प्रॉमिस..." पूजा ने अपने हाथ आगे बढाई।

"यह लो भाई प्रॉमिस.. मैं अपनी भांजी पर नाराज नहीं होवुंगा..." कहा और पूजा की मुलायम हाथ अपने में लेकर दबाने लगा।

"आज आप फ्री है क्या...?" पूछी।

"अरे फ्री नहीं भी तो फ्री होजाएंगे भाई..."

"मामाजी... यह रोज रोजका कॉलेज, घर बोर होने लगी है... कुछ रूटीन से अलग करने को दिल कह रही है..."

"पूजा क्या मतलब है तुम्हारा...?"

"कहीं और चलने को दिल कर रहा है... लांग ड्राइव पे चले क्या..?" पूजा उसकी ओर झुकती पूछी। उसके झुकने से कमीज के गलेसे उसके मम्मे बाहर को छलकने लगे।

गंगाराम को और चाहिए क्या.. इसी के इंतजारमें तो वह था। आखिरकार उसकी धैर्य काम आयी। चिड़िया तो दाना चुगने को तैयार है। वह अपने आप में हंसा और अपनी घडी देखि। 9.30 हो रहे है। उसने अपने मोबाइल पर किसीसे कुछ बात की और फिर कार चलाने लगा। पहले उसने एक मॉल पर ले आया; और वहां पर विंडो शॉपिंग करे; पूजा अनजानेमें ही गंगाराम के हाथ के गिर्द अपने हाथ फिरोकर उससे सटकर चलने लगी। देखने वालों को ऐसा लगरहा था की वह दोनों के बीच बहुत ही गहरा नजदीकी रिश्ता है।

फिर बाहर आकर कार में बैठे। कार फिर चल पड़ी। हाईवे पर चलते रहे। खुला मैदान, लहलहते हरी भरी खेत, छोटे छोटे पहाड़, सुहानी हवा... बहुत ही अच्छा लगरहा है पूजा को। कोई 30, 40 km तक चलने के बाद उन्हें सामने एक रिसोर्ट दिखी।

"पूजा.. सामने एक रिसोर्ट है.. वहां चले काया.. शायद वहां स्विंमिंग पूल हो.. उस पूलके किनारे बैठते हैं.. आर यू ओके वित इट? (Are you ok with it?)" पूजा ने जल्दी ही हामी भरी।

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पूजा स्विमिंग पूल में हाथ पैर चला रही थी। वह सिंगल पीस स्विम सूट पहनी है और गंगाराम की बायां हहेली पर पेट के बल है और अपने हाथ पैर चलारही है। पहले तो वह लोग जैसे ही रिसोर्ट में पहुंचे गंगाराम ने एक कॉटेज बुक किया। जैसे की सोचे थे वहां पर स्विमिंग पूल थी तो पूजा ने स्विमिंग की इच्छा प्रकट की। मालूम करने पर मालूम हुआ की वह पर स्विमसूट किराये पर देनेका प्रावधान है तो गंगारम ने पूजा की लिए एक फुल बॉडी स्विम सूट लिया और दोनों अब स्विमिंग पूलमें थे। स्विम सूट में पूजको देखकर गंगाराम की दिलकी धड़कन तेज हो गयी।

उस स्विम सूट में उस 19 वर्षीय जवान लड़की की जवानी टपक रही थी। स्विम सूट कुछ तंग थी तो पूजाके हर अंग उभर कर दिख रहे थे। उसकी मस्ती भरी चूचियों के चुचुक इतने लुभावने थे की गंगाराम के मुहं में पानी आगया। फिर जांघों के बीच का उभार; और उसके पुसी लिप्स (बुर की फांको) के चाप भी दिख रहे थे।

गंगाराम की हाथ पर औंधी लेटी पूजा खिल खिलाते हाथ पैर चला रही थी।

गंगारामका एक हाथ उस जवान लड़की कमर संभाले थी तो उसका दूसरा हाथ पूजा के पीठ सहला रहे थे। पीठ पर हाथ चलाते चलाते उस हाथ को निचे लाया और उसके उभारदार चूतड़ों पर फेर रहा था। बॉक्सर के अंदर उसका यार, 'मैं तैयार हूँ' कह रहा था। चूतड़ों पर हाथ चलाते चलाते एक ऊँगली से चूतड़ों की दरार में फेरने लगा। पूजा यह सब महसूस कर रही थी। उसके जवान शरीर में गुद गुदी होने लागि। दरार में चलता उसके ऊँगली और निचे को फिसलकर पूजा की कोमल और अनचुदी बुर के मोटे फांकों पर आये। जैसी ही गंगाराम ने फाँकों के बीच स्विम सूट के ऊपर से ही ऊंगली फेरा तो वह अब संभल नहीं पाया और पानी के अंदर ही स्खलित होगया।

बाद में गंगाराम ने पूजा को लाइफ बेल्ट बांध कर तैरना सिखाया। लाइफ बेल्ट रहने की वजह से अब पूजा भी कुछ कोशिश के बाद खुद ही तैरने लगी। दोनों भांजी और मामा साइड बै साइड स्विम करनेलगे। हँसते, खिल खिलाते, एक दूसरे पर पानी छिड़कते दोनों मामा, भांजी एक घंटे के ऊपर तैरकर पूल से बाहर आये और कोटेज में पहुंचे। गंगाराम पजामा कुरता में था। उसकी आदत थी की वह एक जोड़ी,पजामा कुरता और एक ड्रेस हमेशा अपने कार में इमरजेंसी के तौर पर रखता है। उसी पजामा कुरता वह पहने था। पूजा तो अपने कॉलेज वाली ड्रेस, कंमीज और सलवार में थी।

फ्रेश कपड़ों में चेंज होने का बाद गंगाराम ने खाना मंगवाया और दोनों बैठकर खाने लगे।

दोनोंके बीच इधर उधर की बातें चलरही थी। गंगाराम कभी कभी जोक बोलता था तो पूजा खिल खिलाती थी। जब भी वह खिल खिलाती थी उसके मुम्मे हिलते देख कर गंगाराम की दिल की धड़कने तेज होने लगी।

बातें करते करते गंगाराम पुछा "पूजा तुम अपनी सहेली की परिचय कब करवा रही हो..?"

"कौनसी सहेली...?" पूजा अचरज में पूछी।

"अरे वही.. जो मुझे अपना बॉय फ्रेंड बनाना चाहती है..."

"ओह वोह... नहीं... मैं उसे परिचय नहीं करावुंगी.."

"अरे..." गंगाराम आश्चर्य से पूछा "ऐसा क्यों भाई.. हमसे काफा हो क्या...?"

"नहीं ऐसी कोई बात नहीं है..." बोली पूजा।

"फिर..." गंगाराम उसे देखता रहा।

"बात यह है मामाजी... मैं ही आपको मेरा बॉयफ्रेंड बनाना चाहती हूँ... आप मेरे बॉय फ्रेंड और मैं आपकी गर्ल फ्रेंड..."

"पुजा तुम यह क्या कह रही हो...?" गंगाराम सच में ही चकित होगया।

"क्यों मुझे गर्ल फ्रेंड बनाना आपको पसंद नहीं है ...?"

"waaaaahh.. तुम जैसी लड़की गर्ल फ्रेंड बनना चाहती है तो कौन मना करेगा...लेकिन तुम्हे मालूम है की गर्ल फ्रेंड बन ने का मतलब क्या है...?"

"हाँ क्यों नहीं.. अच्छी तरह से मालूम है..."

"अच्छा.. जरा बोलो तो सही... क्या है...?"

"बॉय फ्रेंड, गर्ल फ्रेंड मिलकर घूमना, फिरना, मौज मस्ती करना.. और..." कहके पूजा रुक जाति है।

"और...और क्या...?" गंगाराम पुछा।

"और... और... यह..." कहकर पूजा अपना एक आंख दबाती है।

"वेरी गुड़.. नाइस.... तुम मेरी गर्ल फ्रेंड हो तो तुम वहां बैठकर क्या कर रही हो...?"

"क्या मतलब है मामाजी आपका...?"

"मै डियर गर्लफ्रेंड.. आके अपने बॉयफ्रेंड की गोद में बौठो...तो मानु तुम मेरी गर्ल फ्रेंड हो..."

"ओह...." ककर पूजा अपने स्थानसे उठी और आकर गंगाराम के गोद में अपनी कूल्हे टिकाकर बैठ गयी। गंगाराम उसकी कमर में हाथ फिराकर उसे अच्छी तरह से अपने ऊपर खींचा। फिर दोनों खाना खाने लगे... गंगाराम एक निवाला हाथ में लेकर पूजा के मुहं के पास रखा.. जिसे पूजा अपने मुहं में लेलेती है। फिर पूजा भी वैसेही करि गंगाराम ने अपना सिर न में हिलाया।

"क्यों...?"

"पहले तुम अपने महँमे लो और मुझे अपने मुहंसे खिलाओ..."

"छी... ऐसा तो झूटान होजाएगा..."

"तो क्या हुआ... बॉय फ्रेंड एंड गर्ल फ्रेंड तो एक दूसरे को चूमते तो झुटान नहीं होगा क्या....?" वेह एक दूसरे का झुटान तो लेना ही होगा..." वह बोला.. तब तक उसका हाथ कमरसे ऊपर उठकर चूची को दबाने लगी। पूजा ऑंखें मूंदकर उस दबाव का आनंद लेरही है। पूजा ने अपने मुहं से उसे खाना खिलाया तो खाना लेने के बाद गंगाराम पूजाके होंठों को चूसने चुभलाने लग..

उसकी इस हरकतसे पूजा को स्वर्ग दिखरही थी। वह स्वयं अपना हाथ गंगाराम की हाथ पर रख कर अपनी चूची को दबायी। इतने में उसे महसूस हुआ की उसकी चूतड़ों के बीच कोई घटीला चीज चुभ रही है... वह समझगई की वह चीज क्या है।

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"ममम..ममम... मामा आह...ममम " पूजा बड़बड़ा रहिथी। इस समय पूजा और गंगराम बैडरूम है। एक दूसरे के मुहं में मुहं लगाकर खाना खाते और खिलानेके बाद वह बैडरूम में आगये। गंगाराम अभी बी पाजामे में था लेकिन पूजा की शरीर पर सिर्फ कमीज ही है। पलंग पर चढ़ने से पहले गंगारम ने उसकी सलवार खोल डाली। कमीज के नीचे पैंटी भी नहीं है। उसे गोद में बिठाकर गंगाराम उसके पतले होंठ चूस रहा था अरु उसकी घाटीले स्तन को कमीज के उपरसे ही दबारहा था तो पूजा "मामा....मामा" कहते बड बड़ा रहीथी।

"पूजा.." गंगाराम उसे बुलाया।

"voon" वह गंगाराम के हरकतों का मजा लेती बोली।

"अच्छा...लग रहा है....?" अबकी बार उसकी निपल को पिंच करते पुछा।

"ससस..ससस..ससस... जी मामा" वह मस्ती में बोली। फिर कुछ देर वह एक दूसरे की अंगों से खेल ते रहे। इतने में एक बार फिर पूजा की गांड में गंगाराम की मर्दानगी चुभने लगी।

"कुछ चुभ रही है..." वह लजाते बोली।

"क्या चुभ रही है...?"

"जाओ मामा... आपको मालूम है क्या चुभ रहि है..." वह लाज से आपने सर झुकाकर बोली।

"आरी मेरी गुड़िया.. मैं तुम्हारे मुहंसे सुनना चाहता हूँ.. बोलो मेरी बुल बुल..." उसके गलों को काटता पुछा...

"ससस...ससस.. मामा ...सससस... इतने जोरसे नहीं... गांठ पड़जाएंगे तो घरमें जवाब देना मुश्किल हो जायेगा..." वह उस से लिपटती बोली।

"बोलो.. क्या चूभ रहा है.. और कहाँ...?"

"मेरी चूतड़ों में.. आपका वोह..."

"चूतडोंमे.. गांड में नहीं..." उसके नाक को मरोड़ते बोला।

"छी... मामा कितने गंदे है आप सब गन्दी बातें कर रहे हैं..." वह अपनी गांड को गंगाराम की लंड पर दबाते बोली। उसे खूब मजा मिलरहा था ऐसे खेल में।

"अच्छा बोलो.. क्या छुभ रही है.. खुलकर बोलो.. मेरी डार्लिंग..."

"आपका..आपका...लं...लं.. लं.... ड..." पूजा शर्म से लाल होती बोली।

"लंड देखोगी..."

"vooooon" उसकी आँखोंमे लालियत थी।

गंगाराम अपना पजामा खोलदिया। अंदर अंडरवियर नहीं था तो उसका लंड सर हिलाते पूजा के आँखोंके सामने लहरा रही है।

"हाय मामा.... कितना प्यारा है..और कितना लम्बा और मोटा है आपका... हाय राम..." वह अपनी छाती पर हाथ रखते बोली।

"इससे पहले किसी का देखि हो क्या...?" पुछा गंगाराम।

"हाँ.. मेरे कॉलेज में एक लड़का है किशोर.. उसका..."

"वही न.. जो तुम्हारे जन्मदिन पर तुम्हरे से खुसुर फुसुर कर रहा था।

"आप देखे हो उसे...?"

"वह क्या कर रहाथा वह भी देखा है..."

पूजा को गभराहट के साथ लाज भी आयी।

"उससे चूदी हो...?"

"छी... नहीं.. वैसे वह करना चाहता है... मैंने मना करदी..."

"अच्छा किया; लेकिन उस से संभाल के रहना..."

"आप जानते हो उसे...?" पूजा पूछी।

"हाँ, वह एक रईस बाप का बिगडा बेटा है.. दो साल पहले वह कॉलेज मे किसी लड़की पर आसिड फेंकने की कोशिश की है.. बड़ी मुश्किलसे उसका पिता ने उसे बचाया है..."

"क्यों...?"

"वह लड़की उस से चुदने को रेडी नहीं थी। यह बात सुनते ही पूजा की शरीर में ढर का कम्पन हुआ।

"छोड़ो वह किस्सा.. मेरा मस्ताना पसंद आया..." उसके गोर गालों को चाटता पुछा।

"हाँ... लेकिन ढर लग रहा है...?"

"क्यों...?"

"आपका इतना बड़ा जो है.. यह कैसी जाएगी मेरी छोटीसी उसमे..." वह बोलने को बोली लेकिन उसका मन कर रहि है की जल्द से जल्द उस लंड को अपने में लेनेका... वह उत्तेजित भी थी।

"गभराओ नहीं.. मैं धीरे धीरे पेलुँगा.. तुम्हे pain नहीं होगी.. ओके..."

"voooonnnवू.." कहते वह अपना कमीज और ब्रा भी उतारकर अपनी नग्न शरीर का दीदार कराई गंगाराम को। उसका नग्न शरीर देखकर गंगाराम पागल सा होगया... उसका गोरा बदन, मस्ती भरी चूची, पतली कमर, पीछे विशाल गांड.. पतली सी गांड की दरार... "उफ्फ क्या माल है" वह सोचा।

गंगाराम ने पूजा को पीछे धकेला और उसपर टूट पड़ा। पूजाका सारा चेहरा, माथा, भवे, आंखे, मक्कन सी गाल, नाक, टोढ़ी पूजा का हर अंग को चूम रहा था। पूजा भी खिल खिलते..मामा हाहा... मामा.. मां..मां मां कहते आनंदलोक में विचर रही थी। गंगाराम के चूमने से उसका सरा शरीर पर रेंगटे खड़े होने लगे। पूरा चहरा चूमनेके बाद वह निचे को फिसला और अब पूजा का गर्दन और उसके आसपास किस कर रहा था। वहांसे होते हुए वह उस कलि की सख्त चूचो पर आया। एक चूचिको टीपते दूसरे की चुचुक को मुहं में लेकर अंदर तक चूसा।

"ससस..सससस... हहह... मामा... कहते हँसते टोल मोल हो रही थी।

चूची को चूसने और चूमने से उसकी जवान शरीरमें आग सी लगी। सारा शरीर पुलकित होने लगा। गंगाराम उसके चुचियों को एक के बाद एक चूस रहा था, चाटता रहा था। वह उसे पागल बन रहा था। वैसे वह खुद पूजा की जवानी और सुंदरता देख कर पागल सा हो गया। वैसे जब वह पूजा की दीदी स्नेहा को चोदा था तो स्नेहा भी कुंवारी थी लेकिन फर्क यह थी की स्नेहा कली से फूल बन चुकी थी जबकि पूजा खिलती कली है।

चूचियों को चूमने के बाद वह और निचे आया और अब उसका निशाना पूजा की पेट और नाभि था। सफाचट पेट को वह चाटने लगा। अपने मुहं के लालजाल से वह उसकी पेट को तर करने लगा। अपने जीभ से उस पेट पर सर्कल्स बनारहा था। "आह्हः...अम्मम्मा।। चाटो मामा चाटो .. हाहा अच्छा लग रही है.." गंगाराम के सर को अपने पेट पर दबाती बोली।

चाटते चाटते वह और निचे आया और उसकी नन्ही सी नाभिमे अपना जीभ से कुरेदने लगा। जैसे ही उसका जीभ अपनी नाभि को खुरेदी "आअह्ह्ह.. मामा... यू आर किलिंग मि..." फिर उतनेमे वह महसूस करि की उसके जांघों के बीच वहां एक अजीब सी खुजली हो रही है.. जो उसे बहुत अच्छा लगरहा था।

कोई 5, 6 मिनिट तक नाभिको खुरदने के बाद गंगाराम और निचे आया... अब वह पूजा के पेडू (abdomen) पर अपना जीभ चला रहाथा। ऊपर पूजा स्वयं अपने चूचियों से खेलने लगी। उसकी कुंवारी बुर में सुर सूरीसी हो रही थी। गंगाराम जैसेही उसको बुर पर आया उस कँवली बुर ने (Tender Cunt) उसे पागल बनादि। खूब उभरा हुआ बुर और पतले बुरके फांके एक दूसरेसे लगभग चिपके थे। उन फांकोंका चिपका रहनाही इस बात की संकेत है की उसकी बुर में लंड तो क्या ऊँगली भी नहीं घुसी।

'इस खिलते फूल को मेरे हलब्बी लंडसे चोदनेके लिये पहले इसकी बुर को खूब ऊँगली से चोदना होगा...' गंगाराम सोचने लगा।

जैसे वह उस कुंवारी बुर पर अपना मुहं लाया उसके नथनों में उस जवां बुरकी खुशबू से भर गयी। उसने जोरसे वहां साँस लिया.. 'आआह्ह्ह्ह...क्या खुशबू है' वह सोचा। वहां सूंघते, सूंघते ही उसने अपने नाक से उन फांकों को चौड़ा किए। अंदर उसे उस बुरकी कुछ नमिके साथ उसकी लालिमा दिखी।

उसने जी भर कर उस लालिमा को निहारकर अपने जीभ; उस कोमल पंकड़ियों के बीच निचे से ऊपर तक चलाया। जैसे ही गंगाराम की जीभ वहां टच करि पूजा की कमर अधा फूट ऊपर उठी और उसकी शरीर में अजीब सी तरंगे उठने लगे। पूजा के पतले जांघों को और चौड़ाकर गंगाराम उस अनचुदी बुर फाँकों के बीच जीभ चलाने लगा.. कभी कभी वहां की उस की भगनासे को को होठोंसे से हल्कासा काटता था तो पूजा तिल मिला उठती।

पूजा पागल सि होती हुई मामाके सर को अपने बुर पर दबाने लगी, और गंगाराम अपनी जीभ की करतब दिखाने लगा। चाटते चाटते उसने अपने दोनों हथेलियों को उसके नितम्बों के निचे लाया और उस नितम्बों को दबाने लगा। जैसे जैसे वह बुर को चाटता रहा था... "आअह्ह्ह... मामा.... मामा ससस... मामा मामा... कुछ होरहा है.." पूजा तिल मिलाती बोली।

"क्या होरहा है...?" अपने चाटने का काम जारी रखते पुछा।

"मालूम नहीं मामा... ऐसा लग रहाहै जैसे मेरे सारे शरीर में एक अजीब तरंगों की लहार दौड़ रही है... और मुझे ऐसा लग रहा है की मैं हवा में उड़ रही हूँ...

आअह्हह्ह...."एक मीठी सिसकारी के साथ बोली।

"मेरा काम जारी रखूँ या..." गंगाराम रुक गया।

"चाटो मामा.... चाटो और अंदर तक जाने दो आपका जीभ को..आह्हः ऐसा मजा मुझे नहीं मालूम ऑफ... चाटो.... और अंदर तक चाटो "पूजा बड बडाने लगी।

गंगाराम पूरे जोशमे पूजा की बुर को चाटने लगा.. अंदर तक अपने जीभ घुसेड़ने लगा.. उसके नितम्बों को मसलत उसे गांड के दरार में ऊँगली फेरने लगा..

कोई आठ दस मिनिट चाटने के बाद.. "ओह..ओह.. मामा... आअह्ह... अपना मुहं निकलिए... मेरे उसमेसे कुछ निकल रही है...... जल्दी..." पूजा अपनी क्लाइमेक्स पर पहुंची तो बोली।

"बहने दो.. निकलने दो..." गंगाराम बोला...

"लेकिन मामा...." कहते कहते वह झडगयी और अपना मदनरस अपने मामा (गंगाराम) के मुहं में छोड़दि। जैसेही वह स्खलित हुयी वह निढाल होकर अपने बॉडी को ढीला छोड़दी। तीन चार मिनिट तक उसके मदन रास को चूसने और अपने गले के निचे उतारनेके बाद गंगाराम भी ढीला पढ़गया और पूजा के बगल में गिर पड़ा।

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कोई पंद्रह मिनिट बाद दोनों को होश आया और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराये।

"कैसी है बुलबुल..." उसके माथे पर पसीने की वजह से चिपकी बालों को संवारता पुछा।

"ओह पूछो मत मामा...मैं तो स्वर्ग में थि...स.. और अब ऐसा लगरही जैसा..... मेरा शरीर पूरा हल्का होगया है... वैसे मामा मेरी उसमे से क्या बही है.. तुमने तो उसे पूरा ही निगल गए... कहीं पिशाब तो नहीं..."

नहीं पिशाब नहींथा.. वैसे पिशाब भी होती तो मैं उसे भी निगलजाता.. उसे मदनरस कहते है.... जब योन सुख में चरमसीमा पर पहुचंचते है ऐसा द्रव निकलता है..." गंगाराम उसे स्खलित होनेका मतलब समझाने लगा। कुछ देर सुस्तानेके बाद वह लोग फिर अपने कामोमे लग गए। एक दूसरे को चूमना, suck (सक) करना.. चूची दबाना लिंग को ऐंठना... जैसे काम।

कुछ ही पल में दोनों फिर गरमा गए। पूजा की बुर में फिरसे खुजली होने लगी। गंगाराम का औजार भी तैयार था।

"पूजा.." गंगाराम उसे अपने बाहों में लेकर, उसके कोमल गलों को चूमता बुलाया।

"क्या है मामाजी..." पूजा उसकी ओर आंखे उठाकर देखती बोली।

"मेरी लण्ड चूसोगी...?" उसकी आँखों में देखता पूछा।

वैसे पूजा को भी लंड चूसने की चाहत है। कारण यह है की उसके सहेलियां जो अपने बॉयफ्रेंड के चूदी है वेह उसे लंड चूसने की मजे क बारे में बताचुके थे। वह चाहती थी लंड चूसने पर उसने किसीकी चूसी नहींहै.. उसका बॉयफ्रेंड किशोर का भी नहीं, वह बोली.. "मैं ऐसा कभी नहीं करि मामाजी..." वह मासूमियात से बोली।

"मुहंमें लेकरतो देखो फिर सब अपने आप सीख जाओगी... सेक्स का यही तो कमाल है की वह नवसिखिये को भी हर बात सिखा देति है... बोलो चूसोगी..."

"ठीक ही मामा" कही वह भी उत्सुक थी...

दोनों अभी भी पूर्ण रूप से नंगे थे। गंगारम चित लेट गया और उसका औजार पूरा अकड़कर छत को देख रही थी, और रह रहकर टुनकी मार रही थी। पूजा को उसने अपन कमरके समीप घुटनों पर बैठने को कहा तो पूजा ने वैसे ही बैठी। अपना हांथ बढाकर पूजा के पीट और कमर पर हाथ चलते बोला "चालो अब शुरू होजाओ..."

पूजा आगे झुककर उसकी औजर को मुट्ठी में जकड़ी, और फिर पहले पाने जीभ निकललर उस टोपा को टच करि.. गंगाराम की मस्ताना एक बार अपने सिर हिलाया। उसके हिलना देखकर पूजा को हंसी छूटगयी, और वह खिल खिलाकर हँसते बोली.. "मामा.. आपका यह तो बहुत आतुर है..."

"हाँ स्वीटी... तुम जैसे जवान और सुन्दर लड़की की मुहं में होगी... ईसीलिए वह आतुर है..." बोलते उसने पूजा की चिकनी गांड पर हाथ फेरा। पूजा एक बार उसे अपने टंग से टच करि और उस सुपडे के इर्द गिर्द चाटने लगी। सचमे यह सब वह अपने आपमें कर रही थी। फिर उसने उस सुपाड़े को अपने मुहं में ली और चुभलाने लगि।

"स.स..स...स्स्स्सह्ह्ह..." गंगाराम एक मीठी सिसकि लिया।

"क्या हुआ मामा.. अच्छा नहीं करि क्या...?"

"बहुत अच्छा कर रही हो पूजा वैसे ही करो.. हहहहहां..." वह उसकी सिर को अपने लंड पर दबाया। उसके बातें सुनते ही पूजा अब जोशमे आगयी और पूरा जोश के साथ चूसने और चाटने लगी।

"पूजा कभी कभी नीचे की गोलियों को भी ख्याल रखो..." उसके मुलायम नितम्बों पर हाथ घुमाता बोला। पूजा गंगाराम के लंड को चाटते चाटते एक हाथ उसकी गोलियोंपर लाई और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। आह...आआह्ह.." गंगाराम के मुहं से निकला। फिर वह यह सब करने लगी जैसे चूसना, चाटना। नन्हीसी छेदमे जीभ की नोकसे कुरेदना.. वगैरा... वगैरा... उसे भी खूब मस्ती चढ़ी थी।

इस बीच गंगाराम उसके नितम्बों को सहलाते सहलाते अपना एक ऊँगली से पूजाकी गांड की दरार में घूमने लगा। उसकी इस हरकत ने पूज के कुंवारी बुर में चीटिंयां रेंगने लगे। एक अजीब सा आनंद वह महसूस करने लगी। वह मामाके लंड को चूसते मामको खुश करने में लगन थी की इधर गंगाराम अपने अंगूठा पूजा की बुर में दे रहा था...

पूजाकी संकरी कुंवारी बुर उस अंगूठे से भी चरमराने लगी। और तो और वहतो बादलों मे उड़ रही थी। एक ओर गांड की दरार में ऊँगली और दूसरी ओर उसकी अनचुदी बुरमे मामा अंघूटी। कुछ कुछ दर्द हो रहा था लेकिन जो मजा उसे मिलरही है उसके मुकाबले में यह दर्द कुछ भी नहीं थी। वह सोच रही थी.. 'सच्च में इस खेलमें इतना मजा है.. उसिलिये लोग यानि की मर्द औरत की चूत के लिया और औरतें/लड़कियां मर्द कि लंड के लिए तरसे हैं...'वह सोच ही रही थी की गंगाराम की अंगूठा बुर के फांकों को खोलकर एक टकना अंदर चली गयी।

"आह.. मामा इस्सस.." उसके मुहाँसे एक कराह निकली।

"क्या हुआ पूजा दर्द हो रहा है.." वह पुछा...

"कुछ कुछ दर्द हो रहा है मामा लेकिन मुझे मजा भी आरही है..." वह अपनी योनि को गंगारम की ऊंगली पर दबाती बोली। पीछे गांड की दरार में भी उसे सुर सूरी महसूस करने लगी।

"..... तो क्या मैं करते रहूँ...?' वह पुछा.. वह इस कली को गभराना नहीं चाहता था।

"हाँ... मामा करिये... लेकिन धीरेसे...." वह अपनी गांड को गंगाराम की ऊंगली पर धकेलती बोली।

"मेरी पूजा रानी बहुत ही हिम्मत वाली है.." वह उसकी एक चूची को पकड़कर दबाते बोला "कुछ हिम्मत और करो..." गंगाराम बोला और एक ही बार में इधर नाजुक बुरमें अंगूठा अंदर पेलदिया तो दूसरी ओर उसकी तंग गांड में उसकी तर्जनी उंगली पूजाकि गंड में घुसेड़ा....।

"hhhaaa..hhhhaaaa..mama .... mama .." वह दर्द से चिल्लाई... उसके आंखो मे आंसू थे।

होगया मेरी बच्ची.. होगया.. मुझे मालूम है तुम बहुत हिम्मत वाली हो.. देखो मेरा सूपड़ा अंदर चला गया.. बस अब मजा ही मजा है..." गंगाराम पूजा के आंसू भरे आंखौं को चूमता और उसके आंसुओं को चाटते बोला।

"मामा... मामा... ब्बहुत दर्द हो रही है..." पूजा रुआंसे स्वर में बोली।

इधर उसके आँखों को चूमता, उसकी कड़ी चूची को मींजने लगा। फिर उसके होंठोंको भी अपनेमे लिया और चूमने लगा। उसके हाथ पूजा के सारे शरीर पर रेंगने लगे। गभराओ नहीं पूजा अब सारी बाधायें समाप्त हुयी है.. अब तुम पूरा मजा ही मजा लेसकती हो.. चलो हंसो..." वह उसे पुचकारते कहा।

उसके पुचकारनेसे पूजा आंसू भरे आँखों से उसे देखकर हंसी। पूजा कोई हरकत नहीं कर रही थी तो गंगाराम उसे गर्माने का हरकतें करने लगा। कोई पांच मिनिट बाद पूजा को कुछ रहत मिली तो उसने अपना गांड हिलायी। गंगाराम की अंगूठी और ऊँगली अभी भी उसके गांड में और बुर में फँसी है। पूजा फिरसे गंगारामकी लंड को अपने मुहं में लेकर चाटने लगी।

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