खानदानी निकाह 62

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अम्मी, आप मेरी पीठ धो दो
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Part 62 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

खानदानी निकाह

अपडेट 62

अम्मी, आप मेरी पीठ धो दो

फिर तो अम्मीजान की आदत हो गई थी कि वह हर सुबह मेरे उठने से पहले मेरे लंड को देखती थीं, बल्कि मुझे लगता है उन्हें इसकी लत लग गई थी। लेकिन मेरे सोने की स्थिति और मेरी लुंगी की स्थिति हमेशा एक जैसी नहीं रहती थी, लुंगी के बॉर्डर सिरे अलग नहीं होते थे और तब वह मेरे विशाल लंड की रूपरेखा देखती रहती थी और फिर कुछ देर बाद लुंगी को सावधानी से हटा कर मेरा लंड देखती थी। किसी दिन जब लंड बाहर निकला हुआ होता था और वह मेरे लंड को छूती या चूमती थी, पर फिर उन्होंने उसे चूसा नहीं ।

शयद उस दिन जब मेरा लंड स्खलित हो गया था उसके बाद उनकी लंड को ऐसे चूसने की हिम्मत नहीं हुई । मैं हररोज सुबह जल्दी जाग जाता था और उनका इंतजार करते हुए नकली खर्राटों भरता हुआ सोने का नाटक करता हुआ उनका इन्तजार करता था ।

हमेशा की तरह जब वह आती मैं उनकी पतली झीनी मैक्सी के अंदर उनके हुस्न का दीदार करता रहता था और उनके बड़े गोल सुडौल ख़रबूज़ों को घूरता हुआ और अपनी आँखों के सामने दावत का आनंद ले रहा था। अब उनके आने ही आहट भर से मेरा लंड-लंड खड़ा हो जाता था और वासना से फड़कने लगता था। वह आती मेरे लंड देखती, छूती और कभी-कभी चूमती, फिर मुझे जगाने की आवाज देती और चली जाती । ये सिलसिला अगले कुछ दिन बस यूँ ही चलता रहा ।

कुछ दिनों के बाद एक शनिवार की सुबह मैं देर से उठा क्योंकि उस दिन खेतों पर जाने की मेरी कोई योजना नहीं थी और उस दिन मैंने घर के बागीचे में थोड़ी बागवानी करने और घास काटने का फैसला किया । उस दिन अम्मीजान सुबह के समय बरामदे में लकड़ी के झूले पर बैठी थी तो उन्हें अपने पैरों के बीच उत्तेजना महसूस हो रही थी। उनकी उत्तेजना का कारण मैं ही था।

अभी दोपहर नहीं हुई थी, अभी भी ठंडक थी, लेकिन इतनी गर्मी थी कि उसे पसीना आ जाए। मैं केवल लुंगी पहने हुए घास बिजली काटने वाली मशीन के पीछे चलते हुए लॉन में घास की कटाई कर रहा था। मेरा युवा शरीर पसीने से चमक रहा था। लुंगी मेरे बदन से चिपक गयी थी और मेरा खड़ा लंड साफ़ दिख रहा था। वही गर्मी के कारण अम्मी की झीनी मैक्सी भी उसके बदन से चिपक गयी थी और उनके बदन की शानदार खूबसूरती मेरे सामने नुमाया थी । अम्मीजान के बाल उनके माथे पर गिरते रहते थे और जब वह उन्हें वापस ब्रश करती थी तो वह कामुक लगती थी।

अम्मी को मुझे देखना, मेरी सूक्ष्म, युवा मांसपेशियों में समय-समय पर खिंचाव देखना अच्छा लगता था। मेरा लंड अच्छी तरह से तन गया था और मेरी छाती मांसल हो रही थी। घास काटने वाली मशीन की आवाज़ तेज़ थी, लेकिन असहनीय नहीं थी। अम्मी की उस पारदर्शी ग्रीष्मकालीन मैक्सी ड्रेस के नीचे उसका शरीर नग्न था। उसके ठोस स्तन उसकी पोशाक के ऊपर से तने हुए थे। उसके पैर क्रॉस हो गए थे, लेकिन अब वे फैल गए क्योंकि मैं पिछवाड़े में काम करते हुए, उन्हें देखते हुए धीरे से आगे-पीछे घूम रहा था। उनके हाथ में शिकंजी का गिलास था।

अम्मी जान यह नहीं कह सकी कि उनके सुंदर लंबे, पतले शरीर के भीतर यह कामुक भूख, मेरे लिए यह पागलपन भरी चाहत कब शुरू हुई थी। इस समय ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें हमेशा उसकी तीव्र आवश्यकता थी। उनकी चुत लम्बी थी, उसकी योनि के होंठ फूले हुए थे। उसकी जाँघों का हल्का-सा दबाव भी झुनझुनी पैदा करने के लिए काफी था, जिससे उनकी हल्की-हल्की कराहें निकलने लगीं।

जब घास काटने वाली मशीन उनके पास आयी तो मशीन ने कुछ अजीब आवाजें निकालीं, फिर चलना बंद कर दिया।

मैं उस पर झुक गया और मशीन के उसके हिस्सों से छेड़छाड़ करने लगा। मेरी पीठ उनकी ओर थी और अम्मी जान की आँखें मेरी गांड पर फैले हुए लुंगी के अंदर मेरे नितम्बो को घूर रही थीं। मैं घूमा तो मेरी लुंगी अस्त व्यस्त हुई और उन्हें मेरा लम्बा खड़ा हुआ नीचे लटक रहा लंड दिख गया और छोटी-छोटी झांटें मेरी जाँघों के भूरे रंग के विपरीत, मांस की एकदम सफेदी को उजागर कर रही थीं। खड़े लंड को देख अम्मीजान की योनी में कामुक आग की लपटें फूट रही थी। मैं अम्मी की तरफ देखा तो झूले पर हिलते हुए उनकी गोरी टाँगे और स्तन मुझे दिखे तो लंड फुंकारता हुआ सीधा हुआ और फिर लंड को खड़े देख उन्हें बस एक संक्षिप्त क्षण के लिए, उन्हें लगभग संभोग सुख का अनुभव हुआ। अनुभूति बहुत तेज़ थी और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

उन्होंने ने एक हल्की-सी मिमियाहट भरी कराह निकाली। उसकी टाँगों के बीच अपना हाथ डाल कर उन्हें अपनी योनी को बेतहाशा रगड़ने की इच्छा प्रबल थी। लेकिन उन्होंने किसी तरह से उस आग्रह के आगे झुकने से इनकार कर दिया और उसने खुद को फिंगरफ़क करने से इनकार कर दिया।

उन्हें उस समय अपनी उंगलियाँ नहीं चाहिए थीं... उन्हें लंड चाहिए था, बहुत सख्त कड़ा और लम्बा बड़ा लंड। । ।सलमान का लंड... मेरा लंड। । । उनके बेटे का लंड! हम दोनों घर में अकेले थे, कोई रोकने वाला भी नहीं था लेकिन हमारे रिश्ते की एक दीवार हमारे बीच खड़ी थी।

जब उसने फिर से अपनी आँखें खोलीं, तो मैं घास काटने वाली मशीन के पास बैठा था और उसे फिर से चालू करने की कोशिश कर रहा था। मेरी लुंगी कमर नीचे की ओर खिसक गई थी और उसने कल्पना की कि वह देख सकती है कि उसकी गांड की दरार कहाँ से शुरू होती है।

अचानक मशीन की गड़गड़ाहट ने उन्हें चौंका दिया। मैं फिर से आगे-पीछे हो कर अम्मी के चारो तरफ घास काट रहा था। घास काटते हुए मेरा ज्यादा ध्यान अम्मी के खूबसूरत बदन पर ही था ।

पिछले कुछ दिनों में, जब से रुखसाना के गर्भधान के लिए आयी थी और मैंने अम्मी जान की बात मानते हुए उसकी चुदाई की थी, तबसे वह और मैं पहले से कहीं अधिक करीब आ गये थे। घास काटने का काम ख़त्म करने के बाद। मैंने अपना सामान्य सुबह का काम ख़त्म किया और नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।

मैंने हमेशा की तरह अम्मी को बुलाया, 'अम्मी, आप मेरी पीठ धो दो!'

अम्मी (हबीबा) मेरी सौतेली माँ जानती थी कि उनका बेटा उन्हें पीठ धोने के लिए बुलाएगा। लेकिन वह वहीं रुकी रही, अपनी सांसों को शांत करने की कोशिश कर रही थी। ऐसा नहीं था कि वह मेरी पीठ धोना नहीं चाहती थी। बल्कि, वह हमेशा मेरी पीठ धोती थी, लेकिन अब वह डर रही थी। जब तक से उसे याद है वह मेरी पीठ धोती रही हैं और उन्हें हमेशा इसमें आनंद मिलता था।

लेकिन पिछले कुछ समय से मेरी कजिन्स के साथ मेरे निकाह के बाद उन्होंने मेरी पीठ धोना अब लगभग बंद कर दिया था । उन्हें लगता था अब ये काम एक माँ के लिए नहीं रह गया था और अब अपने बेटे को नहाते समय धोना अम्मी का काम नहीं था। मैं अब बड़ा हो गया था, शादीशुदा था और मेरी चार पत्नियों में से एक गर्भवती थी । और कुछ समय में बाप बनने वाला था लेकिन अब पिछले कुछ दिनों से जब कभी भी वह मेरी पीठ को रगड़ती थी तो उन्हेने गौर किया था कि मेरा लंड सख्त हो जाता था। मैं अपने सख्त खड़े लंड को उससे छुपाने की कोशिश करता था, लेकिन मुझे ऐसा लगता था कि वह हमेशा मेरे सूजे हुए लंड को देखती थी।

पहली बार जब वह मेरे पीठ धो रही थी और लंड खड़ा हो गया था तो यह पूरी तरह से आकस्मिक था। लड़कों का अक्सर लंड कड़ा हो जाता है, खासकर तब जब कोई शॉवर में उन्हें छू रहा हो। लेकिन अब अम्मी को पता था कि यह कोई दुर्घटना नहीं थी। पिछले कुछ दिनों में जब भी वह मेरी पीठ धोती थी तो मेरा लंड न केवल तन जाता था बल्कि फुफकारने लगता था। उन्हें यकीन नहीं था कि मैंने अपने सख्त लंड को उनसे छुपाने की बहुत कोशिश भी नहीं की थी।

"अम्मी, क्या तुम आकर मेरी पीठ धोने वाली हो?"

"एक मिनट में, मेरे बेटे! मैं आ रही हूँ ।" उन्होंने जवाब दिया, बस आवाज इतनी तेज़ कि उनकी आवाज़ शॉवर की आवाज़ के बीच मुझ तक पहुँच सके।

अम्मी ने अपने हाथ मोड़ कर उन्हें अपने पेट के निचले हिस्से पर दबा लिया। उन्हें लगा अगर उन्होंने मना कर दिया, तो मुझे लगेगा कि कुछ गड़बड़ है और फिर और सवाल होंगे अगर उन्होंने मेरी पीठ धो दी, तो उसे खुद पर भरोसा नहीं हो रहा था कि कही कुछ हो ना जाए। वह बस इतना जानती थी कि अगर उसका बेटा इसी तरह कड़ी मेहनत करता रहा और उन्हें देख मेरा लंड ऐसे ही अकड़ता रहा तो वह जल्द ही मेरे लंड को पकड़ लेगी, उसे महसूस करेगी, उसके साथ खेलेगी।

जब वह असमंजस में बैठी थी तो उन्होंने खुद से कहा, काश मेरा लंड सख्त न हुआ होता। काश वह पहले की तरह मेरी पीठ धोती रहती। काश ये कामुक आंतरिक भूख उन्हें न सताती। काश...!

"अम्मी, आओ!"

जारी रहेगी

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