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खानदानी निकाह
अपडेट 64
जिस्मानी जरूरत
अम्मीजान ने मेरी पीठ धोते समय मेरे कहने पर मेरा लंड पकड़ कर अपना हाथ चलाया तो जल्दी से मेरा वीर्य निकल उनकी मैक्सी पर फ़ैल गया । अम्मी घुटनों के बल बैठी झाग को बहते हुए देखती रही। वह अपने बेटे का लंड देखती रही, अपनी मुट्ठी में मेरा लंड महसूस करती रही, उनकी पोशाक के सामने से वीर्य-रस की धार बहाती रही। फिर उन्होंने लंड को छोड़ दिया। पर उनके दिमाग में ये बात घूम रही थी की उन्होंने ये क्या किया है। वह चिंता महसूस करते हुए अपने कमरे में दाखिल हुई और ने चुपचाप अपना दरवाज़ा बंद कर लिया और अपने बिस्तर के पास खड़ी हो गई, अपना सिर झुका लिया, आँखें बंद कर लीं।
फिर अम्मीजान ने अपनी मैक्सी उतार कर धो दी और ड्रायर में डाल कर सूखा दी । फिर उन्होंने अपना सिर बिस्तर पर रख दिया और नग्न ही फर्श पर बैठ गई और समय बीत गया। उनके विचार गहरे थे और वह तय नहीं कर पा रही थी कि क्या करे। वह मुझे बहुत प्यार करती थी । मैं उनके लिए उनका बेटा हूँ और वह मुझसे दूर नहीं रह सकती थी, वह मेरी प्यारी माँ थी, हालाँकि वह असलियत में मेरी सौतेली माँ या खाला थी और मेरे जन्म के दौरान मेरी माँ की अचानक मृत्यु के बाद मेरे पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी उन्ही ने उठायी थी। इस वक्त भी घर में हम दोनों के अलावा कोई नहीं था और वह ये जानती थी की जब तक मेरी पत्नियाँ अपने मायके से नहीं लौट कर नहीं आती, तब तक मेरे लिए समय बिताने या मेरी देखभाल करने वाला कोई और नहीं था, इसलिए उन्हें खुद ही मुझे संभालना और मेरी देखभाल करनी थी ।
वह जानती थी कि वह मेरे सामने पारदर्शी कपड़े (मैक्सी) में घूम रही थी और इसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ रहा था और जिस तरह से उनका फिगर देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया। वह जानती थी कि मैं कामुक होता जा रहा था और बेशर्मी से मेरी माँ को घूर रहा था क्योंकि उनकी पोशाक में उनके स्तन और नितम्ब लगभग स्पष्ट थे। उन्हें ऐसे देख मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मेरी लुंगी में तम्बू बन जाता था। कई बार मैंने भी उन्हें मेरे सख्त लंड को भी घूरते हुए देखा था, मेरी लुंगी के नीचे से लंड, उसके स्तन की तरह बिल्कुल साफ दिखता था।
उन्होंने सोचा कि मैं अपने लंड को उनसे सहलवाने के लिए कितना उत्सुक था, जिस तरह से मैंने अपने लंड को उनकी ओर धकेला था और इसे धोने के लिए कहा था। उन्होंने मुझसे ऐसा करने की उम्मीद नहीं की थी। लेकिन मैंने किया था और उन्होंने मेरे लंड को धोया था, इतनी तेजी से धोया कि मैं उनकी पोशाक पर पिचकारियाँ मारता हुआ स्खलित हो गया था ।
अम्मी जान मुझे और रुखसाना को चुदाई करते देख जब उत्तेजित हो जाती थी तो उन्हें इस बात का अच्छे से एहसास हो गया था कि एक जवान औरत के जिस्म की आग कैसी होती है। जवान जिस्म और चूत की ये आग एक औरत को रात की तन्हाई में कैसे और कितनी तंग करती है। अब ये बात अम्मीजान बहुत अच्छी तरह की जान गयी थी। फिर उन्होंने सुबह चोरी से मेरे लंड को चूसने के बारे में सोचा तो उन्हें शर्म आयी पर उन्होंने खुद को समझाया ये सब बिना मेरी जानकारी के हुआ था । जब उन्होंने मेरा लंड चूसा तो मैं नींद में था । पर अब जब उन्होंने नहाते समय मेरा लंड पकड़ा... तो ये ठीक नहीं था । आखिर वह मेरा जवान बेटा है ।
" जब अम्मीजान के जेहन में ये ख्याल आया। तो अम्मीजान अपनी जिस्मानी जरूरत के मुतलक अपनी सोचो पर खुद से शरम आने लगी। फिर उन्हों मेरी जिस्मानी जरूरत के बारे सोचा।
अगर में अपनी जवान बेटी को औलाद पैदा करने के लिए और उसका घर बचाने के लिए मजबूर हो कर एक बहन की जवानी उसके अपने ही भाई को सौंप सकती हूँ, तो फिर ये ही काम मेरा बेटे अपनी जिस्मानी क मिटाने के लिए अगर अम्मी से कर ले तो इस में हरज ही क्या है, वैसे भी वह मेरा सौतेला बेटा ही तो है और फिर चूत तो चूत होती है, चाहे वह बहन की चूत हो या अम्मी की और लंड तो लंड ही होता है, चाहे वह सगे भाई का हो या सगे या फिर सौतेले जवान बेटे का! " फिर उन्हें खुद पर बहुत गुस्सा आया । वह आज तक मुझे अपना बेटा मानती थी । सौतेला बेटा नहीं । आज अपनी या बेटे की जिस्मानी भूख के लिए वह अपने बेटे को कैसा सौतेला कह रही हैं ।
तभी उन्हें अपनी ख्वाबगाह के दरवाजे पर हल्की दस्तक सुनाई दी।
"अम्मी," मैंने आवाज़ दी।
"मैं जल्द ही बाहर आऊंगी," उन्होंने बिना हिले जवाब दिया। उसने बिस्तर की चादर पर उंगलियाँ उठाईं, उनके असमंजस भरे विचार दिमाग में घूमने लगे। वह अपनी गहरी भूख को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहती थी और उसे ख़त्म भी नहीं करना चाहती थी। उन्होंने जल्दी से मैक्सी पहनी जो अब तक सूख चुकी थी ।
"अम्मी!" मैंने दोबारा आवाज़ दी और दरवाज़ा खोला।
अम्मी ने दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनी, लेकिन वह फर्श पर पड़ी रहीं, उनका सिर बिस्तर के किनारे पर टिका हुआ था। मैं खड़ा उसकी ओर देखता रहा। मैं उनके सुडौल स्तन और उनकी चिकनी पीठ और उसकी गांड का उभार देख सकता था। मैंने जब उन्हें वही मैक्सी पहने देखा तो मेरी आँखें चमक उठीं।
अम्मीजान जानती थी कि उस पारदर्शी मैक्सी के नीचे वह नंगी है और ये भी जानती थी कि उनका बेटा उन्हें देख रहा है, फिर भी वह नहीं हिली।
"अम्मीजान! आप ठीक हैं?"
मैं करीब आया और वह मुझे लगभग महसूस कर सकती थी, मेरी खुशबू सूँघ सकती थी। वह चुपचाप लेटी रही, वो मेरी ओर नहीं देख रही थी।
"अम्मीजान क्या आप मुझसे नाराज़ हैं?" मैंने नीचे बैठते हुए और उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। उन्होंने कुछ नहीं कहा वैसे ही लेटी रही ।
"ओह, चलो, अम्मीजान!" मैंने सांत्वना देते हुए कहा। "यह केवल हाथ का काम था। आप जानती हैं इसका कोई मतलब नहीं है। आप जानते हैं कि मुझे इसकी कितनी सख्त जरूरत थी।" और मैंने उसके हाथ पर थपथपाया, "अगर आपको इससे कोई ठेस पहुँची हो, तो कृपया मुझे माफ कर देना।"
अम्मीजान ने आश्चर्य से मेरी ओर देखा, क्योंकि वह यह उम्मीद नहीं कर रही थी कि अब मैं उनसे सामान्य रूप से बात करूंगा, बल्कि उन्हें लग रहा था कि हमारा रिश्ता अब बदल गया है, लेकिन मैं सामान्य व्यवहार कर रहा था, इसलिए वह भी निश्चिंत हो गई और उन्होंने मेरा हाथ थपथपाया और कहा सब ठीक है और कुछ देर बाद वह मुस्कुराई।
"अम्मी! मुझे भूख लगी है!" मैंने कहा।
वह उठीे और नाश्ता बनाने चली गयी।
मैं कुछ देर बाद नाश्ता करने के लिए रसोई में चला गया। नाश्ते के बाद मैं ड्राइंग रूम में गया और टीवी देखने लगा।
अम्मीजान ने जब मुझे ड्राइंग रूम में बैठा पाया तो झाड़ू उठाई और फर्श साफ करने लगीं। जब मैं घर पर था तो उसने अपनी हमेशा की तरह पतली मैक्सी पहनी हुई थी, जो अब तक उसकी पसंदीदा पोशाक थी। हमेशा की तरह उसके स्तनों के 2 बटन खुले हुए थे और चूँकि वह फर्श पर बैठी थी और मैं सोफे पर था, इसलिए उसका अधिकांश क्लीवेज मुझे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था।
मैं अम्मीजान के सुस्वादु शरीर के अपने सुबह के शो का आनंद ले रहा था और मेरा लंड सख्त हो रहा था। मैं टीवी देखने का नाटक कर रहा था लेकिन मेरी नज़रें अम्मीजान पर टिकी थीं और मैं उन्हें घूर रहा था।
कुछ देर बाद अम्मीजान सफाई करने दूसरे कमरे में चली गईं।
करीब 11 बजे अम्मीजान का मोबाइल बजा, अम्मीजान ने फोन उठाया और बात से पता चला कि दूसरी तरफ रुखसाना बाजी थीं।
जैसे ही मुझे रुखसाना बाजी की याद आई, मेरे दिमाग में मेरी बड़ी बहन रुखसाना की चुदाई की पूरी कहानी घूम गई। मुझे 69 पोजीशन में चूसना-चाटना और अपनी बड़ी बहन की रोजाना 3 बार चुदाई याद आ गई. इससे मेरा लंड फिर से सख्त हो गया।
अम्मीजान पास ही खड़ी थीं। हालाँकि मैं दूसरी तरफ से आवाज़ नहीं सुन सका, लेकिन अम्मीजान बहुत खुश लग रही थीं और खुशी से चमक रही थीं। मैं उनकी ख़ुशी का कारण नहीं समझ सका, लेकिन निश्चित रूप से वह बहुत ज़्यादा खुश लग रही थी।
बात करते समय वह बार-बार मेरी तरफ देख रही थी जैसे बात का कोई सम्बंध मुझसे ही हो। करीब 10 मिनट तक फोन पर बात करने के बाद उन्होंने फोन रख दिया और टेबल पर रख कर मेरी तरफ घूम गयी।
वह बहुत खुश लग रही थी और उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। वह मेरी ओर दौड़ी और मैंने खड़े होकर उससे पूछा कि मामला क्या है?
जारी रहेगी