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VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 47
रानीयो के अभयारण्य में आरम्भिक कामक्रीड़ा
रूपिका, मिताली और चित्रा के गदराये बदन, मासूम भोले चेहरे, झील-सी गहरी बड़ी-बड़ी आँखें, रस से भरे हल्के मोटे से होंठ, सुराहीदार गर्दने, सुंदर और हल्के चौड़े से कंधे, बड़े-बड़े, मोटे-मोटे और गोल तने हुए स्तन, समतल पेट, गहरी नाभिया, पतली कमरे, सुडौल, बड़े और गोलाकार चूतड़, छोटी-सी मांसल चूत का तिकोना कटाव, हल्की मोटी और चिकनी जांघें किसी भी पुरुष की कामाग्नि भड़का सकती थीं और फिर मेरे सामने चित्रा और मिताली ने कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ पहन रखी थी और गले में एक बड़ा-सा हार और कमर में कमरबनध पहन रखा था। चित्रा की चूचियाँ मिताली से ज्यादा बड़ी ज्यादा ठोस और ज्यादा सुडौल थी, दोनों बड़ी मादक लग रही थी, दोनों सुन्दरिया आपस ने चिपकी हुई थी और तीसरी के कामुक नंगे बदन से मैं खेल रहा था। ये सब बिलकुल ऐसा था जैसा स्वादिष्ट भोजन का एक व्यंजन थाली में परोस दिया गया था और सामने और गर्म-गर्म स्वदिष्ट व्यंजन त्यार रखे हुए थे।
चित्रा की दोनों चूचियाँ को मिताली ने चूमा और फिर क्लीवेज को चाटते हुए नाभि की तरफ बढ़ने लगी। जैसे ही मिताली ने चित्रा की नाभि को चूमा, चित्रा ने मिताली के सर को अपनी नाभि में घुसा लिया और खुद अपनी कमर घुमाती हुई नाभि चटवाने का मजा लेने लगी। मिताली उसकी नाभि चाट रही थी अपनी एक उंगली उसकी चूत की लकीर में फिराने लगी। मिताली जितना उंगली सहलाती उतना ही चित्रा के मुंह से आअह्ह... आअह्ह... अह्ह की सिसकारी निकलती।
मैंने अपने हाथ को रूपिका की गांड पर रख दिया। मैं धीरे-धीरे रूपिका की गांड को अपने हाथों से नाप रहा था। रूपिका की गर्म गदराई गांड को मसलने से मेरा लौड़ा पूरी तरह तन चुका था। रूपिका सामने की ओर देखकर मुस्कुरा रही थी। मैंने पीछे हाथ ले जाकर रूपिका की योनि को एकदम से अपनी मुट्ठी में भींच लिया। रूपिका के चूतड़ बहुत ज्यादा गर्म और टाइट थे। रूपिका का एक नितम्ब दूसरे नितम्ब को एक लय और ताल में घर्षण दे रहा था।
अपनी एक उंगली मिताली चित्रा की चूत के अंदर डालती और बाहर निकाल लेती। थोड़ी देर में चित्रा की चूत पनिया गई और चूतरस उसकी चूत से टपकने लगा। मिताली ने अपनी जीभ उसकी चूत के दाने पर रख दी। दाने पर जीभ पड़ते ही चित्रा ने मिताली के सर को पूरी ताकत से अपनी चूत के ऊपर दबा लिया। मिताली भी अपनी जीभ से चूत के हर कोने को चाटने में लगी हुई थी। चित्रा की चूत मिताली चाटते हुए उसके चूतड़ों से भी खेल रही थी।
मैं रूपिका की टांगों के बीच में उसकी चूत के पास मुँह ले जा कर जीभ से उसे चाट रहा था। रूपिका अपने हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाने लगी। मैं उसकी चूत के अंदर तक जीभ डाल रहा था जिससे वह गर्म और गर्म होती जा रही थी। इधर अचानक रूपिका का शरीर अकड़ने लगा और वह एक तेज़ आवाज़ के साथ झड़ने लगी, उसका रस उनकी योनि से बाहर आकर उसके जांघो पर बहने लगा।
सामने चित्रा और मिताली दोनों ने अपनी जगह बदलने की सोची। चित्रा ने मिताली का हाथ पकड़ा और उसे बेड के करीब ले जा कर उसे धक्का दे दिया। धक्का लगते ही मिताली बेड पर धम्म से पसर गई। चित्रा भी बेड पर चढ़ी और घुटनों के बल चलते हुए उसके बदन पर हावी होने लगी। पहले उसने मिताली के होंठ को चूम लिया। वह मिताली के दोनों हाथ ऊपर किए और पसीने से भीगी उसकी बगलों को नाक लगा कर सूंघने लगी। फिर अपनी जीभ से उसकी एक बगल को चाटने लगी। जितना वह मिताली की बगलें चाटती, मिताली उतनी ही जोर से खिलखिला कर हंस रही थी। फिर वह मिताली की चूचियों को दोनों हाथों में लेकर तोलने लगी जैसे वह ये देखना चाह रही थी कि उसकी और मिताली की चूचियों में से किसकी ज्यादा उन्नत हैं। फिर चित्रा आगे झुकी और उसने मिताली के एक चूची को मुंह में भर लिया और चूसने लगी। वह मिताली के निप्पल ऐसे चूस रही थी जैसे छोटा बच्चा भूख लगने पर अपनी माँ के स्तन चूसता है। मिताली ने चित्रा के मुंह से अपनी एक चूची निकली और दूसरी वाली उसको दे दी चूसने को! चित्रा चूचियाँ चूसने में मग्न थी और मिताली उसकी पीठ पर हाथ फेर रही थी।
मैं ऊपर उठ उसके ओंठ चूमने लगा तो उसने मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। मेरा लंड पूरा तन चुका था। उसने अपने योनि में हाथ डाल कर अपनी उंगलिया गीली की और अपना रस मेरे लंड पर मलने लगी । वह साथ में मेरे सीने पर बहुत सेक्सी अंदाज में हाथ फिरा रही थी । अब मैं रूपिका की टांगों के बीच में आ गया और लंड को चूत के ऊपर रगड़ने लगा। रूपिका बार-बार अपनी कमर उचका रही थी।
सामने मिताली मदहोशी में अपने पैर यहाँ वहाँ पटक रही थी। फिर चित्रा ने मिताली की कमर को अच्छे से पकड़ लिया और उसकी नाभि चूमने लगी। थोड़ी देर बाद चित्रा ने मिताली की टांगें जितनी खुल सकती थी उतनी खोल दी और अपनी चूत को मिताली की चूत से रगड़ने लगी। कभी मिताली के चूत के होंठ खोल देती और ऊपर अपना दाना रगड़ने लगती। चित्रा ने मिताली की चूत के अंदर एक उंगली डाली और बाहर निकालकर चाटने लगी। ऐसा उसने कई बार किया। फिर उसने उंगली का सहारा छोड़ सीधे अपना मुंह मिताली की चूत से जोड़ दिया और उसकी चूत चाटने लगी।
चित्रा मिताली की चूत में अपनी उंगली अंदर बाहर कर रही थी और उसके दाने को जीभ से सहला रही थी। मिताली अपनी चूत पर हो रही इस दोहरी मार को झेल न सकी और चित्रा के सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। चित्रा मिताली की चूत चाटने में लगी हुई थी जिससे मिताली के मुंह से कामुक तरंगे आअह्ह्ह... उम्म्म... हस्स्स... उईईई... फूटने लगी। वह दोनों भी रूपिका की तरह अब पूरी तरह से चोदने लायक गर्म हो गई थी, उन दोनों लड़की-लड़की का सेक्स देख कर मैं भी गर्म हो गया था। आखिर कब तक मैं उनका खेल देख खुद को रोकता!
रूपिका ने फिर से अपनी चूत का रस मेरे लंड पर मल कर लंड की चिकना किया, फिर मैंने खड़े-खड़े ही लंड को रूपिका की चूत के मुँह पर रखा और हल्का से धक्का दिया तो मेरे लंड का आगे का हिस्सा अंदर चला गया। अह्ह्ह! हाय! ओह्ह्ह! उनके चेहरे पर दर्द साफ़ दिख रहा था। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने एक झटका मारा तो मेरे लंड का सुपाड़ा रूपिका की चूत की फांकी को अलग करता हुआ उसके अंदर था, उसकी तो साँस ही अटक गयी थी। फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला और जोर से एक शॉट मारा इस बार मेरा आधा लंड रूपिका की चूत में फिट हो गया, उसके मुँह से 'आईई... माँ... मार डाला रे... उम्म्म... मर गयीईइ अह्ह्ह्हह!' के दर्द भरे स्वर निकलने लगे। मैंने फिर पीछे कर आगे धक्का मारा पर लंड और अंदर नहीं जा रहा था । लग रहा था चूत की मांसपेशिया और खुलने में समय ले रही थी । वह आईईईईईईईई! दर्द उउउउइईईईईई! हो रहा है कहती हुई चिल्लाने, चीखने लगी और छटपटाने लगी थी। फिर मैंने उसकी चीखों की परवाह किए बिना एक ज़ोर का धक्का और मारा तो मेरा फनफनाता हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ 5 इंच अंदर घुस गया।
फिर में उसे ज़ोर ज़ोर से चोदता रहा, चोदता रहा।
फिर 10 मिनट की बेरहम चुदाई के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा। फिर रूपिका ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया मुझे चूमने लगी और फिर चिल्लाती हुई झड़ कर नीचे लेट गयी।
रूपिका के झड़ते ही चित्रा और मिताली मेरे पास आ गयी और मैं उनके खेल में शामिल हो गया। कमरे की रोशनी में चित्रा का जिस्म दूध से नहाया हुआ लग रहा था। मैंने मिताली की पीठ को चूमा तो चित्रा ने पीछे मुड़कर मुझे देखा और वापस से मिताली की चूत चाटने लगी। मैं मिताली की पीठ चूमने के साथ चित्रा की गर्दन को चाट भी रहा था।
मैं फिर उन दौनो की चूचियाँ दबाने लगा और उनकी चूत पर हाथ फेर कर उसे देखने लगा। दोनों की एकदम कसी हुई और चिकनी चूत थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा-सा गुलाबी छेद। मैंने चित्रा की चूत में अपनी उंगली डाल दी तो वह ज़ोर से चीख पड़ी ' आआआह हहहह।
इस पर मिताली बोली-मास्टर, चित्रा की चूत बहुत टाइट है। थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो।
फिर मिताली चित्रा के मम्मों पर हाथ फेरने लगी और चित्रा कंधे हिलाने लगी। कभी आगे, तो कभी पीछे करने लगी। दोनों अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी। अपनी एक नंगी टांग बाहर निकाली और अपने बदन को लहराया, गांड को मटकाया। वाह क्या नज़ारा था, मेरा लंड बेकाबू होने लगा।
जारी रहेगी