जब मिले राजकुमारी और कुमार ​

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प्रेमी जोड़े की अनुकूलता का परीक्षण
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पुराने समय की बात है

माँ बहुत दिन से बीमार थी । मैंने जी जान से सेवा की लेकिन वह एक दिन चल बसी । मुझ पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। अब दुनिया में कोई अपना नहीं । आखिर एक दिन भूख लगी तो जंगल की तरफ चल दिया।

गहरे जंगल में सुन्दर फूल घास पर बिखरे हुए थे, मैंने कुछ फूल उठा कर अपनी कमीज से पोटली बना ली पास ही गिरे हुए पके हुए मीठे फल नजर आये। मैंने एक फल चखा तो उसका स्वाद बहुत मीठा और अनोखा लगा । गिरे हुए फलो को मैं जल्दी-जल्दी चुन कर पोटली में डाल लिया और आगे जाने लगा।

आगे एक कुटिया नज़र आयी जिसके बाहर पेड़ के नीचे एक साधु बाबा अकेले बैठे आँखे बंद किए साधना कर रहे थे।

बाबा उठे, नदी की तरफ चले गए. मैंने देखा बाबा के बैठने की जगह पर कीड़े मकोड़े थे। मैंने पत्तियों से झाड़ू मार कर साफ़ किया और वहाँ पर कुछ हरी और आरामदायक पत्तिया बिछा दी । ताकि वहाँ बाबा आराम से बैठ सके।

साधू बाबा वापिस आ गए और मेरी हरकतें देख रहे थे। सफ़ाई करने के बाद मैंने कुछ हरी पत्तियों पर जो मैं फल और फूल चुन कर लाया था सजा दिए और बाबा को देखा उन्हें प्रणाम किया और बोला बाबा ये मीठे फल खा लीजिये ये बहुत मीठे फल हैं।

तुम्हे पहले कभी नहीं देखा। कौन हो तुम?

बाबा मेरा नाम दीपक है । गाँव में रहता हूँ ।

जंगल में क्या करने आये हो?

बाबा कुछ खाने की तलाश में आया था?

बाबा ने एक फल मेरे हाथ से लिया और खा कर बोले सच में बहुत मीठा है! आगे जाओ! बढ़िया फल मिलेंगे, ऊँचे लगे फल तोड़ने के लिए मुझे एक धनुष बाण पकड़ा दिया और अपनी आंखें बंद करके ध्यान करने लगे... तो मुझे अपने अंदर अजीब-सी तरंगे और ताकत महसूस हुई?

आगे गया वहाँ एक बहुत बड़ा, ऊँचा पेड़ था । जिसपर बहुत सारे फल लगे हुए थे । मैंने एक तीर चलाया कुछ फल नीचे आ गिरे ।

दुबारा तीर छोड़ा, एक बड़ा-सा पक्षी बीच में आया तीर उसको भेद गया। पक्षी बुरी तरह से घायल था, फड़फड़ाया, उडा, गिरा उसकी मदद करने के इरादे से मैंने उसका अनुसरण किया। पक्षी पीछे खून के स्पष्ट निशान छोड़ रहा था।

पहाड़ी इलाके में तीन घंटे तक मैंने उस पक्षी का पीछा किया, आखिरकार नीचे गिरा और मर गया। मैंने उसे उठा कर इसे अपने कंधों पर रख लिया। मैं वीरान जंगल में बहुत अंदर तक आ गया था । मेरे चारों ओर पहाड़ थे स्पष्ट नहीं था मैं कहाँ हूँ। लहू के निशाँ अब भी वहीँ थे । मैं वापस उसी रास्ते का अनुसरण कर सकता था या घाटी के नीचे नदी की ओर जाकर अपनी पैदल यात्रा के समय को कम कर सकता था. मैंने नीचे जा आकर नदी का अनुसरण करने का फैसला किया।

थोड़ा-सा आगे एक सैनिक के खूनी अवशेष नजर आये। उसके कपड़े और कवच, उसकी टूटी हुई तलवार और कुछ मानव हड्डियों के रक्तरंजित अवशेष। उसके वस्त्र बुरी तरह फटे हुए हैं, जैसे किसी राक्षस ने उसे मारकर खा लिया हो। कुछ क़दम आगे बढ़ने पर, मुझे अगले सैनिक के अवशेष मिले उसकी तलवार बरकरार थी और अपना बचाव करने के लिए मैंने तलवार उठा ली। तभी अचानक बरसात शुरू हो गयी ।

एक गुफा नजर आयी और बरसात से बचने के लिए मैं गुफा में प्रवेश कर गया। मुझे यहाँ कोई खतरा नहीं दिख रहा था। दूर गुफा में रौशनी नजर आयी मैं उधर बढ़ा और एक बड़े आकार का जानवर मेरी ओर दौड़ा चला आ रहा था ।उसने एक बड़ी चटान उठायी और मेरी तरफ फेंक दी। मैं जमीन पर लुढ़का, गोला मेरे ठीक ऊपर से गुजरा मरे पक्षी से टकराया और पक्षी के परखचे उड़ गए। मैंने जो तलवार पकड़ी हुई थी घुमा दी। मैं कोई तलवारबाज नहीं था, लेकिन मेरे वार ने जानवर की गर्दन पर वॉर किया और जानवर का सिर धड़ से अलग हो गया और जानवर किसी राक्षस में बदल गया ।

फिर मुझे रौशनी की दिशा से एक चीख सुनाई दी।

"मेरी मदद करो!" आवाज किसी महिला की थी। मैं उस तरफ दौड़ा एक और गुफा दिखी। एक युवती गुफा से बाहर निकली। उसकी महंगी पोषक फटी हुई थी और गंदी हो गई थी।

"धन्यवाद! तुमने उस राक्षस को मार डाला। इसने पंद्रह दिनों से मुझे यहाँ बंधक बना रखा था।"

फिर वह मुझे आश्चर्य से देखने लगी। "लेकिन आप कोई सैनिक तो नहीं लग रहे हो! ये राक्षस नेक रक्त की युवतियों का अपहरण कर लेते हैं, ताकि वे उन्हें खा सकें। मुझे बचाने के लिए धन्यवाद। मैं एला हूँ।"

मैंने उसे नमन किया और बोला मेरा नाम दीपक है और वास्तव में मैं कोई सैनिक नहीं हूँ, बस जंगल में भोजन की तलाश में आया युवक हूँ। " हमारी राजकुमारी की तरह आपका नाम इला है? क्या आप ही राजकुमारी इला हैं? "

"जी! मैं ही हूँ। मैं राजकुमारी के सम्मान में अपने घुटनो पर गिरा और विस्मय और सम्मान में अपना सिर झुकाया वह बोली" नहीं, आप ऐसा मत करो, तुमने मुझे बचाया है। आप राजधानी वापस पहुँचने में मेरी मदद करो। " और बेहोश हो गयी ।

राक्षस मनुष्यो का मांस खाता था, जरूर राजकुमारी ने पन्द्रह दिनों से कुछ नहीं खाया होगा । मैं नदी से कुछ जल लाया और राजकुमारी को जल पिलाया और बोला आप पहले कुछ खा लीजिये और उसे कुछ फल दिए. हम घाटी में नदी के साथ-साथ चले।

आखिरकार, हम गाँव पहुँचे, गांववाले राजकुमारी को देखकर हैरान रह गए। गाँव के मुखिया की पत्नी राजकुमारी को अपने घर ले गयी और वहाँ उसने स्नान और भोजन किया । मुखिया की पत्नी ने राजकुमारी को नए कपड़े पहनने के लिए दिए।राजकुमारी इला ने हमें उसे राजधानी तक पहुँचाने में मदद करने के लिए कहा।

"मैं अब और आगे नहीं चल सकती। क्या यहाँ किसी के पास कोई रथ था गाडी है, जो मुझे राजधानी तक ले जा सकती है? इस युवक को मेरे साथ चलना होगा, मुझे बचाने के लिए मेरे माता-पिता उसे अच्छा इनाम देंगे। मैं जल्द ही राजधानी के लिए निकलना चाहूंगी।"

मुखिया बोलै। "मेरे पास एक बैल गाड़ी है। अभी प्रस्थान करते हैं, तो हम रात होने से पहले सेना की छावनी में पहुँच जाएँगे।"

सेना के शिविर तक पहुँचने पर लगभग रात हो गयी। राजकुमारी अब साधारण साडी में थी, लेकिन जब इला ने अपना राजकुमारी होने का दावा किया तो सैनिकों ने हमें प्रवेश देने से इनकार करने की हिम्मत नहीं की। फिर एक घंटे बाद, सेना की टुकड़ी के काफिले में दो घोड़ों द्वारा खींची गई दो गाड़ियाँ में हम सैन्य शिविर से निकल पड़े। मेरे साथ मुखिया और उनकी पत्नी थे। हम राजधानी पहुँचे तो दोपहर हो चुकी थी। हम सीधे शाही महल में गए। मुझे राज अतिथियों के कमरे में ले गए । रात्रि का भोजन स्वादिष्ट था । सोने से पहले मैं नहाया।

अगली सुबह, एक नौकर ने तैयार मेरे लिए नाश्ता लेकर आया और उसने घोषणा की-"राजा और रानी आपसे मिलना चाहते हैं"।

मुझे उस कक्ष में ले गए जहाँ राजा, रानी मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे । राजा लोगों से कैसे व्यवहार करना है मुझे ज्ञात नहीं था, इसलिए मैं उनके आगे झुक गया।

"उठो, हमें प्रणाम मत करो। हम इला के माता-पिता हैं। आपने हमारी बेटी, इस राज्य की युवराग्रि को बचाया है। हमारे साथ बैठो. हमें बताओ कि क्या हुआ। हम उसे बचाने के लिए आपका आभार व्यक्त करते हैं। कल, हम औपचारिक रूप से आपका सिंहासन कक्ष में स्वागत करेंगे!"

मुझे राजा और रानी के पास एक बड़ी कुर्सी पर बैठाया गया। वे दोनों मिलनसार थे. मैंने क्या हुआ कैसे हुया! बताना शुरू किया। जब मैं कहानी के उस हिस्से तक पहुँचा जहाँ हम गाँव पहुँचे, उसी समय राजकुमारी इला ने प्रवेश किया।

मैं उठा और उसके सम्मान में झुक गया, जब मैंने सर उठाया तो मुझे अपनी-अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। जिस लड़की को मैंने बचाया था वह मेरे सामने राजसी वस्त्रो और आभूषणों में थी. वह बेहद सुंदर थी लेकिन जब उस राक्षस की मांद में मैंने उसे देखा था वह अच्छी नहीं दिख रही थी। परन्तु कक्ष में प्रवेश करने वाली महिला वास्तव में एक राजकुमारी ही थी: मेरे दिल की धड़कन ही रुक गयी। उसकी उम्र लगभग 18 बर्ष थी। बहूत ही सुंदर चेहरा था। भोली-भाली, गोरी, नैन नकश तीखे थे। मेरी नजरे राजकुमारी इला पर टिक गयी। गोरा रंग, लम्बी, पतली, सुन्दर मांसल शारीर, उन्नत सुडौल वक्ष: स्थल, घने और लंबे बाल, सजीव एवं माधुर्य पूर्ण आँखे, मनमोहक मुस्कान दिल को गुदगुदा देने वाला अंदाज़ और यौवन से लदी हुई राजकुमारी ने मेरे मन को मोह लिया।

मैं राजकुमारी इला को अपलक देखता रहा। सुंदर और गुलाबी होठ, आकर्षक चेहरा और अद्वितीय आाभा में युक्त शरीर राजसी वस्त्रो में बेहद आकर्षक लग रही थी। लम्बी गोरी, शाही और बहुत सुंदर। उसके लंबे हल्के सुनहरी बाल उसके कंधों से कर्ल में बह रहे THE उसकी पोशाक महंगी, उसने सुंदर गहने पहने हुए थे. सभी उसके रूप और सौंदर्य को बढ़ा रहे थे। वह मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी ।

वह टेबल पर मेरे पास आकर बैठ गयी, मैंने फिर से अपनी कहानी सुनाना जारी किया। वे कहानी में सभी प्रकार के विवरणों को बहुत रुचि से सुन रहे थे। मेरे पास जो कुछ भी कहने के लिए था जब मैंने सब कुछ बता दिया, तो वे गाँव में मेरे परिवार और जीवन के बारे में, पूछने लगे।

दोपहर का भोजन और रात में खाना मैंने राजकुमारी और उसकी कुछ सहेलियो के साथ किया। अब ऐसा लगता था जैसे मैं और राजकुमारी पुराने दोस्त हैं जो एक दूसरे के साथ का आनंद ले रहे थे, बातचीत बहुत सुखद थी और हम हसी मजाक भी कर रहे थे, लेकिन फिर भी मुझे लग रहा था कि वे मुझे परख रहे थे।

अगली सुबह महाराज के दरबार के दो सज्जन आये और उन्होंने मुझे दरबार में और दर्शकों के साथ उचित शिष्टाचार के निर्देश दिए।

साये काल में मुझे आम दरबार में ले जाया गया। यह एक बहुत बड़ा हॉल था, जो उन लोगों से भरा हुआ है जो राजकुमारी के उद्धारकर्ता को देखना चाहते थे। कमरे में, सीढ़ियाँ एक ऊँचे मंच तक जा रही थी, जहाँ राजा और रानी दो बड़े सिंहासनों पर बैठे हुए थे। उनके बगल में राजकुमारी इला खड़ी हुई थी।

जैसे ही मैंने दरबार हाल में प्रवेश किया एक उद्घोषक ने मेरे नाम की घोषणा की । मैं राजा और रानी के सामने गया और उन्हें प्रणाम किया।

तब प्रधानमंत्री ने मेरे कारनामे के बारे में दरबार में घोषणा की और बोला: "महाराज और महारानी की इच्छा है कि आप उनके सिंहासन के पास आये।"

मैं सीढ़ियाँ चढ़ा और राजकुमारी के पास खड़ा हो गया। वही एक तरफ मुखिया और उनकी पत्नी भी बैठे हुए थे । महाराज ने पहले उनको कुछ भेंट प्रदान की । राजा ने ऊँची आवाज़ में बात करनी शुरू की, ताकि सब उसे सुन सकें।

" युवा दीपक, आपने न केवल मेरी बेटी, बल्कि इस राज सिंहासन के उत्तराधिकारी को भी बचाया है। इसके लिए पूरा राज्य आपका आभारी है।

" इस राज्य की परंपरा है कि जो व्यक्ति राजकुमारी को बचाता है उसे उसका हाथ और आधा राज्य दिया जाता है। राजकुमारी मेरी एकलौती उत्तराधिकारी है और मैं राज्य का विभाजन नहीं होने दे सकता, इसलिए मुझे परंपरा तोड़नी होगी। इसके बजाय, मैं आपको दो संभावित पुरस्कार प्रदान करूंगा।

मैं आपको आधी दौलत देकर नगरसेठ नियुक्त कर सकता हूँ। पुराने नगर सेठ की मृत्यु हो चुकी है उसका कोई उतराधिकारी नहीं है उसकी दौलत भी आपकी होगी। आप नगरसेठ के रूप में आप देश के सबसे धनी व्यक्ति होंगे। अपना अधिकांश समय यहाँ राजधानी में बिताएंगे और राज्य परिषद के सदस्य भी होंगे जिससे आप सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में से एक बनेंगे।

"दूसरी यह है कि मैं आपको अपनी बेटी का हाथ दूं, लेकिन आपको राज्य नहीं मिलेगा। आप राजकुमार की उपाधि पाओगे, लेकिन मेरे बाद राजकुमारी रानी बनेगी और आप रानी के पति रहोगे राजपरिवार का हिस्सा बनोगे।"

इस बिंदु पर रानी बोली, "बेशक इला हमेशा आपकी बात सुनेगी। औपचारिक रूप से, वह शासन करेगी, लेकिन वास्तव में आप दोनों एक साथ शासन करेंगे, जैसा कि महाराज और मैं करते हैं। यदि आप राजकुमारी को चुनते हैं और राजकुमारी भी सहमत होगी तो आप राजकुमारी से शादी कर सकते हैं। राजशाही के लिए ये पूरी तरह से विनाशकारी होगा यदि शाही जोड़ा विवाह के बाद एक साथ नहीं रहता है, तो इससे पहले कि आप शादी कर सकें, आपको पारस्परिक और परिवारिवारिक अनुकूलता का परीक्षण पास करना होगा। यदि सप्ताह के परीक्षण के बाद आप दोनों विवाह के लिए अपनी सहमति की पुष्टि करते हैं, तो आपके इस विवाह के लिए हमारी शाही स्वीकृति प्राप्त होगी।"

ये बोल कर रानी चुप हो गयी और राजा ने फिर बोलना शुरू किया।

"तो कुमार आप कौन-सा इनाम चाहते हैं?"

मैंने इला की और देखा। वह मुस्कुरा रही थी, मैंने हिम्मत जुटायी।

"मैं राजकुमारी का हाथ माँगता हूँ।"

राजा मुस्कुराये। "और राजकुमारी इला, राजसिंहासन की उत्तराधिकारी, क्या तुम दीपक से शादी करना चाहती हो?"

"जी मैं चाहती हूँ!" उसने अपनी बाहें मेरे गले में डाल दीं और मुझे चूम लिया। उसकी जीभ मेरे मुंह में प्रवेश कर गयी है, हम लंबे समय तक एक-दूसरे को चखते रहे।

"ऐसा ही हो! परीक्षण के लिए दरबार --ऐ- ख़ास की गोपनीयता।"

राजा, रानी और हमने एक और बड़े कमरे में प्रवेश किया जिसमे बड़ा सिंहासन और बीच में बड़ा बिस्तर लगा हुआ था। राजा और रानी सिंहासन पर साथ बैठे ।

कमरा धीरे-धीरे लोगों से भर गया, लगभग पचास लोग दीवारों के साथ खड़े हो गए इला और मैं कमरे के बीच में बिस्तर के पास खड़े हो गए।

"यह 'दरबार ऐ ख़ास है?" वह फुसफुसायी है, "यहा सिर्फ खास मंत्री, सेनापति। पड़ोसी राज्यों के राजदूत और उनकी पत्नियाँ और परिषद के सदस्य हैं और राजपरिवार के कुछ महत्त्वपूर्ण लोग और उनके नौकर हैं।"

राजा बोले। " सात परीक्षण होंगे कि आप एक दूसरे के साथ हैं और आपका विवाह सफल हो सकता है। पांच कान, आँख, नाक, मुँह और स्पर्श का परीक्षण आज किए जाएंगे । कल, हम परिवार में आपके स्वीकरण और धीरज की परीक्षा शुरू करेंगे।"

"कान की जांच शुरू की जाए! पांच चीजे तो तुम्हे पसंद हो एक साथ बताओ और फिर तुम्हे ये बताना होगा की तुम्हारे साथी की पसंद क्या है और क्या तुम्हे वह पसंद है?"

तेज ढोल बजने शुरू हो गए. महाराज के इशारे पर मैंने और राजकुमारी ने एक साथ अपनी पसंद की पांच चीजे बोली-संगीत, घूमना, व्यायाम, खेलना और कुछ नया सीखना ओर राजकुमारी बोली। व्यायाम, नृत्य, चित्रकारी, भ्रमण और पढ़ना।

फिर ढोल बजना बंद हो गया और हमने एक दुसरे की पसंद दोहरा दी

"इला और कुमार, क्या जो तुमने सुना तुम्हें पसंद है?"

"जी महाराज!"

अच्छा। चूँकि तुम दोनों ने एक दुसरे की पसंद सुनी और पसंद किया। तुमने कान की परीक्षा पास कर ली है।

"आंख की जांच शुरू होने दो। इला, कुमार के पास जाओ और उसके कपड़े उतारो।"

इला शरमाती हुई मेरे पास आयी और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी। मैंने अपनी शर्म को दबाया, वह धीरे-धीरे मेरे कपड़े उतार रही थी। जल्द ही मैं राजा, रानी, राजकुमारी और पचास से अधिक अन्य लोगों के सामने शर्माता हुआ नग्न खड़ा था।

"धीरे-धीरे घूमो, ताकि वह आपके शरीर को अच्छी तरह से देख सके।"

मैं धीरे-धीरे घूमा, इला मेरे शरीर को देख रही थी।

"इला, क्या तुम्हारी आँखें ने जो देखा तुम्हें वह पसंद है?"

"जी महाराज!"

"अच्छा, दीपक, होने वाली दुल्हन के पास जाओ और उसके कपड़े उतारो।"

उसने एक कंचुकी चुनरी और लहंगा पहना हुआ था, मैंने पहले उसकी चुनरी निकाली फिर कंचुकी धीरे-धीरे खोली। कंचुकी फर्श पर गिर गयी। उसके बड़े स्तनों और निप्पल के चारों ओर बड़े एरोला की मैंने सराहना की। फिर, धड़कते हुए दिल के साथ और लहंगे की गाँठ खोली और लेहंगा नीचे गिर गया। फिर मैंने उसके जूते उतार दिए। अब वह मेरे सामने नग्न खड़ी थी और उसकी योनि झाड़ी में छुपी हुई थी।

धीरे-धीरे इला घूमी ताकि मैं उसके शरीर के सभी हिस्सों की प्रशंसा कर सकूं।

"आपने जो देखा क्या वह आपको पसंद है?" राजा ने पूछा। "आपको जवाब देना होगा, हालाँकि हम आपकी प्रतिक्रिया से देख सकते हैं कि आप करते हैं।" कमरे में हंसी गूँज उठी।

मैं फिर से शरमा गया, मैं इतने सारे लोगों के सामने नग्न खड़ा था और मुझे इरेक्शन हो रहा था!

"मैंने जो देखा वह मुझे पसंद है," मैंने किसी तरह कहा।

" चूँकि तुम दोनों को जो दिखता है वह पसंद है, आपने आँख की परीक्षा पास कर ली है।

"चलो अब नाक की परीक्षा। इला और कुमार एक दुसरे को सूँघो।"

इला अपनी नाक मेरे पास ले आयी और मुझे सूंघने लगी मैंने कोई इत्र नहीं लगाया था बिल्क़ुली कुदरती तौर पर शर्म के मारे मेरे पसीने छूट रहे थे। उसने उन मेरे मुँह नाक, छाती बगलो, लिंग और गुदा स्थान पर नाक से सूंघा और उसे अपने इतना पास पाकर मेरा लिंग पूरा कठोर हो खड़ा हो गया. मैंने भी से उसके बालो मुँह नाक, छाती बगलो, लिंग और गुदा स्थान को सूंघा और उसे इतना पास पाकर मेरा कठोर लिंग तुनकने लगा राजा ने हमे रुकने के लिए कहा।

"आपने जो सूंघा क्या आप दोनों को पसंद आया?" राजा ने पूछा।

"जी!"

" तो फिर दोनों नाक की परीक्षा पास कर चुके हो।

अब मुँह की परीक्षा के साथ आगे बढ़ते हैं। इला, होने वाले पति के सामने घुटने टेको और उसकी मर्दानगी का स्वाद चखो। "

नग्न वह अपने घुटनों पर बैठ गयी और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। उसकी जीभ मेरे लिंग के सिरे पर घूम रही थी। उसने दाहिने हाथ से, मेरी गेंदों को पकड़ा है, जबकि वह मेरे लंड को पूरी लंबाई में चाटने लगी ऐसे मानो ये उसकी सबसे पसंदीदा आइसक्रीम हो। अंत में, वह फिर से लिंग की नोक को चूसने लगी। मेरे स्खलित होने से ठीक पहले, रानी ने उसे रुकने के लिए कहा।

"अब दीपक, राजकुमारी के सामने घुटने टेको और उसके स्त्रीत्व का स्वाद चखो।"

मैंने घुटने टेक दिए और अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया। मैंने उसकी झांटो को अपने चेहरे पर महसूस किया और चाटने लगा। चूत गीली हो रही थी और मैंने उसके स्त्रीत्व का स्वाद चखा। मैंने उसकी चूत के होठों और उनके आसपास के बालों को चाटा, फिर मैं अपनी उँगलियों का इस्तेमाल उसके होठों को अलग किया जहाँ मैंने राजकुमारी की बड़ी क्लिट अपने मुंह में ले कर चूसा तो वह उत्साह में हांफने लगी। रानी ने मुझे रुकने के लिए कहा।

"क्या जो आपने चखा आप दोनों को पसंद आया?" राजा ने पूछा।

"जी!"

"तो फिर तुम मुँह की परीक्षा पास कर चुके हो। आज की अंतिम स्पर्श की परीक्षा के लिए, आप दोनों को स्वयं यह फैसला करना है को आपको क्या करना है परन्तु आप अपनी सुहागरात से पहले सम्भोग नहीं कर सकते।"

इला मुस्कुरायी और, मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर पर ले गयी और। हम एक साथ लेट गए और किस करने लगे।

मैं अपनी उंगलियाँ उसके सुंदर शरीर पर चलाने लगा, उसके नितम्बो को भी दबाया उसके बड़े स्तनों को सहलाने लगा और चूसा। वह मेरे लिंग के साथ खेलने लगी। लेकिन जल्द ही हम दोनों तैयार हो गयी, वह अपनी पीठ के बल लेट गयी और मैं उसकी फैली हुई टांगों के बीच तैयार हो गया। मैं धीरे से उसकी भीगी हुई चूत पर अपना लिंग घिसने लगा वह कराहने लगी, महाराज की आवाज आयी।

" यह स्पर्श के परीक्षण का समापन है और आप दोनों का जल्द ही विवाह किया जाएगा। बधाई हो!"

सबने हमे और महाराज को बधाई दी। इसके साथ ही दरबार ऐ ख़ास से सभी मंत्री । सेनापति और सभासद चले गए और वहाँ केवल परिवार के सदस्य और राजकुमारी की कुछ सखिया रह गयी। अब महारानी बोली

"विवाह में, परिवार में नया सदस्य शामिल होता है और उसका परिवार से घुलना और मिलना आवश्यक है । कुमार! क्या तुम अब परिवार के साथ मेल बढ़ाने के लिए त्यार हो? यह भी सर्वोपरि है कि विवाह से एक उत्तराधिकारी दिया जाए। शाही जोड़े की प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए, पिछली पांच पीढ़ियों से यह परंपरा रही है होने वाले दूल्हा और दुल्हन अपनी औपचारिक सगाई से शादी की सुबह तक नग्न रहते हैं। क्या तुम दोनों ऐसा करने को तैयार हो?"

इला में मेरा हाथ पकड़ कर मुट्ठी बनायी मेरे साथ चिपकी और मुठी मेरे और अपने दिल के ऊपर रख बोली। "राज्य और राजवंश के लिए!" मैंने भी वही शब्द दोहरा दिए।

राजा बोले "आज रात, आपकी औपचारिक सगाई होगी। इस अवसर पर जश्न मनाने के लिए एक आधिकारिक रात्रिभोज आयोजित किया जाएगा। मैं आपसे वहीँ भेंट करूँगा।"

इला ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे मेरे कक्ष के पास में ले गयी। "यह वह जगह है जहाँ हम तब तक रहोगे जब तक हम शादी नहीं कर लेते। यह हमारा बिस्तर है और बाथरूम यहाँ है।"

वह मुझे बाथरूम में ले गयी, जहाँ पहले से ही हम दोनों के लिये गर्म पानी का बड़ा टब त्यार था हमने उसमें प्रवेश किया । मैंने राजकुमारी के पूरे शरीर को धोया, उसकी चिकनी त्वचा, बड़े स्तनों, चूत, बड़े गोल नितम्बो के स्पर्श का आनंद लिया। फिर उसने मुझे और मेरे अंगो को धो कर नहलाया। हम दोनों नहा कर तरोताजा हो गए और फिर से कामुक हो रहे थे। मैंने उसकी योनि पर लिंग का स्पर्श किया तो वह बोली "हमें थोड़ा इंतजार करना होगा"। "अगर हम चुदाई करते हैं तो हम रात के खाने से पहले पसीने से तर हो जाएंगे । हमे धीरज रखना होगा अन्यथा हमे कुछ नहीं मिलेगा । हमें इस परिक्षण के बाद मौज-मस्ती के लिए पर्याप्त अवसर मिलेगा।"

रात में औपचारिक सगाई और खाने के लिए निकलने से पहले हम नग्न कुछ मिनट गहराई से चुंबन कर रहे थे। नौकरानीया हमारे वस्त्र ले कर आयी और हमे जल्दी से त्यार किया। फिर हमने दरबार ऐ ख़ास में प्रवेश किया। एक मंच पर हमे बिठाया गया। महाराज ने मेरा तिलक किया और हमे आशीर्वाद दिया। फिर सब भोजन कक्ष में गए एक लंबी मेज पर बैठे, जिसमें वर्दीधारी नौकरों द्वारा व्यंजन परोसे गए। भोजन समाप्त होने के बाद महमान बिदा हो गए. हम दोनों रात में संयम बरतते हुए चुंबन करते हुए चिपक कर सो गए ।

अगली सुबह दरवाजे पर दस्तक के बाद एक नौकरानी ने नाश्ते के साथ प्रवेश किया। हमने बिस्तर पर नाश्ता किया और फिर नहाए। दोपहर में हमने परिवार के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए रानिवास में प्रवेश किया, मेरा लिंग कठोर होना शुरू कर रहा था।

वहाँ बैठी पुजारीन ने इसे देखा और मुस्कुराई। महिलाओं ने हम पर हमला किया और मुझे नग्न कर दिया और संगीत बजने लगा। मेरा अर्धकड़ा लंड दाहिनी ओर लटक रहा था। मुझे पता चला अब हमारी संगतता के लिए एकमात्र परीक्षण था कि क्या दूल्हे का लंड दुल्हन को बिना छुए पूरी तरह से नग्न देखकर अपने आप सख्त हो जाता है।

अब इला की बारी थी। रानी ने उसका पल्लू खोला और उसे फर्श पर गिरा दिया। क्या नज़ारा था! इला अपनी झीनी केनचुकी के पीछे अपने खूबसूरत स्तन दिखा रही थी। मैं उसके दोनों स्तन गहरी नाभि, कमर और झांटो के थोड़े से बाल, सब कुछ एक ही नज़र में देख रहा था। उसने अपनी नाक में नथ, अपनी नाभि के ठीक ऊपर अपनी कमर के चारों ओर अपनी गर्दन में एक पतली सोने की चेन भी पहनी थी, जिससे वह और भी कामुक दिख रही थी। उसकी कंचुकी के नीचे से उसकी कमर पर उसकी साड़ी की दूरी 15 इंच से अधिक थी।

उस कंचुकी में उसके स्तन बड़े-बड़े लग रहे थे। रानी ने अपनी उंगलियों को उसके ब्लाउज के नीचे और धीरे-धीरे उसके पेट के चारों ओर घुमाया, अपनी बायीं तर्जनी को राजकुमारी की नाभि के अंदर डाला, उसे घुमाया। इला ने तीखी प्रतिक्रिया में अपना पेट पीछे खींच लिया। इस संकुचन ने उसकी कमर को और भी छोटा कर दिया उसकी साड़ी कुछ सेंटीमीटर नीचे हो गयी, जिससे उसकी पूरी झांटे दिखाई देने लगी।

रानी इला के पीछे चली गयी और अपनी तर्जनी उँगली उसकी नाभि में डाल कर नीचे ले गयी और फिर धीरे-धीरे उसकी कमर से दोनों भीतरी जांघों के साथ 'वी' रेखाओं पर गयी और साथ-साथ उसकी चोली और साडी खोल दी। मेरा लिंग कठोर होता जा रहा था। अंतता सीधा खड़ा हो गया । इला मेरे खड़े लिंग को देखकर मुस्कुरायी। उसकी आँखे मेरे लिंग के बड़े लम्बे आकार की प्रशंसा कर रही थी।

राजकुमारी की सखियो ने स्ट्रिप नृत्य पेश किया जो की काफी कामुक होता चला गया । मुझे इला ने बताया हम दोनों को साथ में नाचना होगा, नग्न!, हम नाचने लगे। नाचते हुए हम अलग हो गए । मुझे परिवार की युवतियों के साथ नृत्य करना था। युवा सुंदर, नग्न महिलाओं के साथ नग्न नृत्य करना बेहद उत्तेजक था।

पुजारीन ने मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया। कुछ मंत्र पढ़े और मेरे लिंग और इला की योनि पर पवित्र जल छिड़का।

महाराज और महारानी ने भी अब अपने वस्त्र त्याग दिए थे । रानी माँ फर्श पर महाराज के सामने बैठ गईं और हाथ जोड़कर प्रार्थना की। महाराज आगे हुए और अपने पैरों को फैलाते हुए और एक दूसरे के करीब हुए। आखिरकार, महाराज का लिंग और महारानी की योनि एक दूसरे को छूने लगे। पुजारिन ने मुझे भी इला के साथ यही करने का इशारा किया लेकिन मुझे मेरे लिंग का इला की योनि में प्रवेश नहीं करवाना था । हम भी स्थिति में आये और मेरे लिंग ने इला की योनि के ओंठो पर घर्षण किया और कुछ ही क्षणों में दोनों जोड़े स्खलन करने लगे । फिर पुजारिन ने सारा स्खलन एकत्रित किया और मिलाया और ऊँगली से उसका लेपन हम चारो के यौन अंगो पर किया और फिर मेरे साथ रानी माँ चिपकी और अंत में सभी महिलाओं ने इस लेप को हम चारो के बदन से चाट कर साफ़ किया और उसे बारी-बारी हम सबके मुँह से लगा कर हमे चटाया ।

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