तुलसी - 1

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एक जवान औरत बस में सफर करते को-पैसेंजर के साथ की गयी मस्ती
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तुलसी - 1

(सफर में मस्ती)

स्वीटसुधा

एक जवान औरत बस में सफर करते को - पैसेंजर के साथ की गयी मस्ती

शाम के 6.30 बजे थे। अचानक तुलसी ने निर्णय लिया और अपने माता, पिता से कही "माँ मै अभी मेरे घर के लिए निकलना चाहती हूँ; आप सुभाष से कहे की वह मुझे बस स्टैंड पर छोड़े" कहती तुलसी ने अपने कपड़ों के साथ अपने 9 महीने की बच्ची कि सामान (दूध की बोतल, दूध पाउडर, डायपर वगैरा) पैक करने लगी।

उसके माता पिता उसके इस अचानक निर्णय पर अचम्भे रहे और पापा ने कहा "तुलसी बेटी तुम कल सवेरे चले जाते; इतनी जल्दी भी क्या है...?"

"नहीं पापा मै यहाँ आकर तीन महीने गुजरगये; बहन कि शादी होकर भी एक महीना हो चुका है। न जाने वे उधर क्या खा रहे है और कैसे रह रहे हैं, पहले ही वह बहुत आलसी हैं.." अपने पती को याद करते बोली। उसकी आँखों में अपने पति के प्रति चिंता दिख रही है।

"लेकिन तुलसी बेटा..." उसकी माँ कुछ कहना चाहती थी लेकिन तुलसी ने उसे टोक कर कही "नहीं माँ, अब मुझे मत रोको; आगर सुभाष छोड सकता है तो ठीक है; नहीं तो मै एक कैब बुक करलेती हूँ..." वह दृढ़ स्वर में बोली "यहां से मुहकिल से ढाई, तीन घंटेका सफर ही है... 10 बजे तक मै वहां पहुँच जावूँगी। मुझे लेने वह बस स्टैंड आजायेंगे..."

उसके मता पिता को और कुछ कहना नहीं था तो उसकी माँ उसे डिनर सर्व करि।

*************

तुलसी एक 28 वर्षकी सुन्दर और आकर्षक वक्तित्व वाली औरत है। उसके नयन नक़्शे तीखे हैं। जो कोई भी उसे एक बार देखे वह अपना सिर घुमाकर फिरसे उसे जरूर देखेगा ऐसी है उसकी फिगर।

उसकी फिगर का राज यह है की वह हर रोज 45 मिनिट से एक घंटे तक नृत्य करती है। हाँ, वह एक क्लासिकल नृत्यांगना है। उसने कूचिपूड़ी, और भरतनाट्यम सीखी है और वह हर रोज डांस करती है। वह अपने पति के साथ, हैदराबाद से कोई 200 km दूरी पर स्थित एक B क्लास शहर में रहती है जहां उसका पति एक गारमेंट शॉप चलाता है और तुलसी स्वयं एक डांस अकडेमी चलाती है।

तुलसी तीन महीने पहले अपने माईके आयी है, अपनी छोटी बहन की शादीमें। शादी के बाद उनके मम्मी पापा के रिक्वेस्ट से वह अब तक रुक गयी। ऐसे ही उसे तीन महीने बीत गए तो अब उसे बेचैनी होने लगी। जब वह यहाँ आई थी तो उसकी बेटी 6 महीने की थी जो अब 9 महीने की होगयी। उसके बेचैनी का एक और कारण था। वह कारण है; 10 / 12 दिनों से उसके जांघों के बीच तिकोनी उभार की मदन पुष्प से मकरंद लगातार रिसने लगी। हाँ सही पढ़े है आपने, तुलसी एक कामुक और छिछोरी औरत भी है। वहां उसकी जांघों के बीच उठने वाली खुजली को मिटानेके लिए उसे अपने पतिकी याद आरही है। उसका पति और उसका रोमांस याद आते ही तुलसि के होंठों पर मुस्कान आयी है।

उसका पति 30 वर्ष का एक सुंदर और आकर्षक व्यक्तित्व वाला आदमी है। और वह बिस्तर पर औरत को सुख देने में माहिर भी है। कमसे कम तुलसी को वह दो बार तो झड़वा देता। जब तुलसी 24 की थी तो उसकी शादी हो चुकी है। शादीके पहले के तीन वर्ष तो पति, पत्नी इतना मौज मस्ती करे की बोल नहीं सकते। दोनों भी जवान थे, और एक दूसरे की प्रति आकर्षक भी थे तो उनकी रासलीला में कोई कमी नहीं थी। उसका पति उसकी हर सुराख़ में अपना घुसेड़ा या रगड़कर उसे मजा देता था और खुद मजा लेता था। एक दिन की बात है; उस रात; रात के दस बजे थे और दोनों पति पत्नी तब तक अपना एक जोश में भरपूर रासलीला पूरा कर चुके थे। एक आधा घण्टा सुस्ताने के बाद बाद दोनों साफ सफाई करके फिरसे कमरे में आये और तुलसी का पति ड्रेसिंग मिरर के पास एक स्टूल पर बैठ गया।

तुलसी ने अपने आंखे उठाकर पूछी "क्या है?" तो उसक पति ने उसे खींच कर अपने गोद में बिठाया। वह भी खिल खिलाकर हँसते हुए उसके गोद में गिरी और अपने मांसल नितम्बों को पतिकी फिरसे उभरते उभार दबाने लगी। दोनों ही अभी भी नग्न ही थे। पति अपने छाती तुलसी के पीठ पर दबाता दोनों हाथ सामने लाकर उसकी जवान मस्तियों को टीप रहा था। दोनों ही जोश मे एक दूसरे को चूम रहे थे चाट रहे थे। वैसे में उसके पती उसे बुलाया "तुलसी..."

"वूं..." पति के हरकतों का आनंद लेते मदहोशी में बोली।

"डार्लिंग आज मै तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।"

तुलसी जो अपनी गांड अभी तक नहीं मरवाई थी गभरागयी। उसका पतिका मोटापा के बारेमे सोचते ही उसके शरीर में एक झुर झूरी ली। उसका पति उसे इतना प्यार करता है की वह उसे 'न' कह न सकती थी। फिर भी बोली "प्रिये.. आपका बहुत मोटा है.. मै ले नहीं पावुंगी..."

"डार्लिंग... प्लीज.. एक बार.. दिल बहुत चाहरहा है मै आराम से करूंगा.. जब भी तुम्हे दर्द या तकलीफ हुयी मै रोक दूंगा प्लीज... प्लीज मान जाओ.."

पतिके इस विनती पर वह 'न' न बोल सकी।

"अनमने स्वर में बोली "ठीक है... डार्लिंग.. लेकिन क्रेर फुल... "

"थैंक्यू डार्लिंग" कहते उसका पति उसे चूमा और उसे उसके सामने झुक कर ठहरने को कहा। तुलसी अपने पतिकी गोद से उठी और अपने जांघों पर हाथ रख कर थोड़ा आगे को झुकी। जिस से वह अपने पति के सामने उसके नितम्ब की दरार कुछ फैलाकर खड़ी थी। उसका पति ने ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलिन की शीशी निकाली और ढेर सारा वैसलीन उंगलियों से निकाल कर तुलसी के गांड पर चिपड़ने लगा। जैसे ही पति के ऊँगली अपने गण्ड पर पायी उसके गांड के मांसपेशियां (muscles) टाइट हुयी, लेकिन जल्दी ही वह रिलैक्स करने लगी।

जैसे ही उसकी गांड की मांसपेशियां कुछ रिलाक्स हुयी, उसका पति के बीच वली ऊँगली अंदर घुसेड़ने लगी। पहले एक दो क्षणमें उसे कुछ दर्द हुआ लेकिन कुछ ही देर में दर्द कम हुयी। तुलसि आईने के सामने आगे को झुकी थी, उसे अपने शरीर के अगला भाग दिखरहा था और वह अपने गुदा में पति की ऊँगली की अहसास होने लगी। कोई पांच छह मिनिट उसका पति, पत्नी की गांड में ऊँगली करा और बोला "तुलसी डार्लिंग... अब बैठो" कहा और वह उसके कमर को दोनों हाथों से पकड़ा। तुलसी खुद हाथ निचे ले जाकर पति के लंड को पकड़ी और उसे गुदा के मुहाने रख कर अपना शरीर का दबाव दी।

एक हलकी सी 'थप' की आवाज के साथ उसका सुपाड़ा तुलसी के गांड में समागयी। वेसलिने की चिकनाहट के वजह से उसे कुछ दर्द महसूस नहीं हुआ। वह उत्साहित होकर कमर पर और जोर दी। इस दबाव के कारण उसका पतिका पूरा अंदर चलागया। इसका उसे अहसास हुआ। पति उसे गोद में बिठया और निचेसे धक्के देनेलगा। तुलसी को भी आनंद आने लगा। वह खुद ऊपर निचे हो रही थी।

इतने में उसका पति उसके दोनों जांघों को को अपने जंघोंके इधर उधर डाला। जिस से तुलसी की बुर फैलकर अंदर की लालिमा आईने में दिख रही थी। उसका पति आइने में देखते तुलसी की बुर में ऊँगली करने लगा...

"डार्लिंग यह क्या कर रहे हो...?" वह पूछी।

"डबल फ़क डार्लिंग.. पीछे लंड और सामने ऊँगली" कहते वह ऊँगली आगे पीछे करने लगा।

"डार्लिंग.. चलो.. बिस्तर पर आरामसे करो..." वह कही और उसक पति मान गया। बिस्तर पर वह औंधी लेटकर टाँगें चौड़ी करि। उसका पति उसके नितम्बों को खोलकर उसकी गांड में अपने झंडा गाड़ दिया।

कुछ देर तक गांड मारने के बाद उसका पति उसे चित लिटाया और अब उसकी बुर चोदने लगा। तुलसी भी कुछ कम नहीं थी अबकी बार उसने अपने उँगलियों पर झूटान चिपुड़कर पति की गांड में ऊँगली करने लगि इसी तरह द्दोनो ही लगभग 40 मिनिट तक अपने योनक्रीड़ा में जुटे रहे, और निढाल होकर अगल बगल गिर पड़े।

यह सब याद आतेहि तुलसी के होंठों पर एक मुस्कान दौड़ गयी।

उसकी मष्तिष्क में बार बार अपने पति की रोमांस घूमने लगी। हर बार वह कमसे काम दो बार तो झड़ती है। उसका परफॉरमेंस ऐसा था की वह सिर्फ फोरप्ले से ही उसे झड़वा देता था। लग भग तीन महीने गुजर गए उसे चुदवाकर; इसी लिए और बेचैन हो चली और अपने घर जाने का निर्णय लिया।

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जब तक तुलसी और उसका भाई बस स्टैंड पहुंचे 7.30 बज रहे थे। उसका भाई काउंटर जाकर उसके लिए टिकट ले आया। बस अभी प्लेटफार्म पर नहीं आई। तुलसी ने एक बार उस वेटिंग एरिया को परखी। वेटिंग एरिया यात्रियों से भरी है। उससे कोई पांच छह फ़ीट की दूरीपर दो जवान आदमी जो लग भग 26 /28 के बीच वाले उसे ही देखते बातें कर रहे थे।

तुलसीने टाइम देखि बस निकलने मे अभी समय था तो वह अपने बच्ची के लिए दूध तैयार करने लगी। दूध त्यार कररही थी की उसके कानों में वह दो आदमियों के बाते सुनाई देने लगी।

"ओह गॉड... क्या फिगर है यार उस औरत के..." एक बोला।

"कौन...?" दूसरा पुछा।

"वही औरत जो दूध त्यार कर रही है.."

"हाँ यार मैंने तो ऐसी फिगर नहीं देखि..." दूसरा तुलसी को देखता बोला

उसके अंदर घुसेड़ने में कैसी होगी...?" पहला वाला...

"हमें तो जन्नत दिखेगी..." दूसरा अपने को भी शामिल करलिया।

उन दोनों की बातें सुनकर उसे गुस्सा नहीं आया ऊपर से उसके रसभरे होंठों पर एक मुस्कान फैलगायी। उसे अपने फिगर और सुंदरता पर गर्व (नाज) होने लगी। वह अपने स्कूल और कॉलेज की दिनों में बहुत नटखट हुआ करती थी। वह पढ़ाई में बहुत तेज थी और हमेशा अच्छे नंबर लाती थी। लेकिन हव कभी बी आगे के बेंच पर नहीं बैठती थी। हमेशा पीछेकी बेंच पर ही बैठती और कुछ न कुछ नटखट हरकत करती थी। उस दिन भी वह पीछे की बेंच पर बैठी थी, क्लास चल रही है। वह एक चाकलेट खाते अपने बगल में बैठे क्लासमेट (लड़के) को देखि तो वह उसे ही देख रहा था।

"यू वांट चॉकलेट?" वह उस से पूछी तो उस लड़केने 'हाँ' में सिर हिलाया।

"मेरे जेबसे लेलो...." वह अपनी स्कर्ट की जेब की और इशारा करती बोली। उस समय वह पिंडलियों तक आने वाली स्कर्ट और टॉप पहनी थी। लड़का अपना हाथ पॉकेट में डाला और उसका मुहं खुले का खुला रह गया। उस लड़के का हाथ सीधा जाकर उसकी पैंटी के अंदर की उभार पर टिकी। उसके स्कर्ट की जेब में सुराख थी।

"पसंद आया...?" वह अपनी आंख दबाते पूछी।

"बहुत.. खाने को जी चाह अहा है..."

"नो वे.. इट ईस ओनली फॉर टचिंग.. नॉट फॉर मंचिंग..." कहती उसका हाथ जेब से बहार खींची।

"यह अन्याय है..."

"मेरे लिए न्याय है..." वह उसे छेड़ती बोली फिर कही "अब तुम अपना लोलीपाप दिखाओ देखें..."

लड़का इधर उधर देख कर अपना ज़िप निचे खींचा और अपना यार को बाहर खींचा।

"छी... कितना छोटा है..." तुलसी बोली। वस्तव में ऐसा कुछ भी नहीं था। उसे छेड़ने के लिए वैसे बोली। ऐसी नटखट है वह।

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बस स्टैंड पर दो आदमियों की बातें सुनते वह दूध तैयार कर रही थी तो दूध छलक कर हाथों पर गिरी। अपने भाई को कहकर वह वाश रूम की ओर चल पड़ी; उसे अपने हाथ धोने थे और अपना ब्लैडर भी खाली करना था। उसे मालूम है की उन दोनों के अलावा कई और निगाहें भी उसकी पीछा कर यही है। वह नृत्यांगना होने की वजह से उसकी साधारण से चलना भी हंस की चाल जैसी थी। उन दोनों की आंखे उसकी नितम्बों की थिरकन पर टिकी रही।

वह ब्लाडर खाली करके अपने हाथ धोकर वापिस आयी। बस प्लेटफार्म पर आ चुकी थी। वह बस में चढ़ी और अपना सीट में बैठी। उसे साइड वाली (Aisle) सीट मिली। वह पीछे टेका लेकर अपना सिर हेड रेस्ट पर रखी।

बस चलने को तैयार थी। उसका भाई सारा सामान चढ़ाकर "बाई बाई दीदी" कहकर चला गया। बस पूरा भर चुका था। बच्ची को गोद मे लिटाकर वह विंडोवाली सीट की और देखि। एक जवान लड़का बैठा था। जिसके दाडी मूछें भी बराबर नहीं आयी थी। कोई 20/21 का होगा।'मेरा छोटा भाई जैसा है... कोई स्टूडेंट होगा' वह सोची।

जैसेही बस रेंगेने लगी, तुलसी अपने बच्ची को सँभालते उठी और अपने बैग ऊपर शेल्फ पर रख रही थी। बच्ची उसके कंधे से फिसल रही थी। खिड़की वाले सीट पर बैठा स्टूडेंट कहा "बच्ची को मुझे दीजिये .. मै संभालता हूँ" और तुलसी ने उसे बच्ची को देकर बैग ऊपर रखी। बैग रखने क बाद वह अपने सीटपर बैठि और अपने बच्ची को वापिस लेली।

वह लड़का बच्ची के गाल को चूमता "तुम अपनी माँ जैसे ही सुन्दर और क्यूट हो" अपने आप में बुद बुदाता बच्ची को वापिस किया। लेकिन उसका हाथ बच्ची और उसकी माँ के छाती के बीच दब गया। वह बच्ची को दिया लेकिन अपना हाथ पीछे नहीं खींचा। तुलसी उसे देखि तो लड़के की आँखों में चमक देखि। वह मुस्क़ुरते हुए धीरेसे उसका हाथ निकाल दी। उस लड़के की सूरत मायूस हुयी।

"तुमने बच्ची को देते समय कुछ कहा..." तुलसी पूछी; यह सुनते ही लड़का गभरा गया। और हकलाकर कहा "न..न..न..नहीं.."

"तुम बुदबुदाये जरूर लेकिन मैने तुम्हारी बातें सुनी..." वह मुस्क़ुराई और फिर कही..."परवाह नही बोलो..क्या बुद बुदारहे थे" उसकी होंठों पर मुस्कान देख कर लड़के को हिम्मत आयी और कहा "You are very beautiful." (तुम बहुत सुन्दर हो) कहा।

तुलसी उसकी हिंम्मत को अपने आपमें दाद देते फिर पूछी.. "क्या तुम ऐसे सोचते हो...?"

"हाँ..." लड़के का जवाब।

"क्यों....? मै एक आम औरत हूँ... ऐसा क्या स्पेशल है मुझमे...." ऐसी अपने से कम उम्र वाले लडकेसे ऐसे बातें करने में उसे मजा आ रहा था।

"तुम्हारी आँखों की चमक, मुलायम गाल, संतरे की फांक की तरह होंठ, सबसे इम्पोर्टेन्ट है वह बड़े बड़े गेंद जो तुम्हारे हर सांस के साथ ऊपर निचे हो रही है... और मद गज जैसी चाल, कमर की लचक यह सब बस नहीं है क्या तुम सुन्दर हो कहने के लिए..." लड़के ने कहा कहते उसने तुलसी का एक हाथ अपने मे लिया और उस पर अपना दूसरा हाथ फेरने लगा। उसकी साटन जैसी मुलायम त्वचा की आनंद लेने लगा।

. "गुड गॉड..." तुलसी आश्चर्य से पूछी "तुमने मेरा चलना कब देखि...?" उसने अपने हाथ खींचने की कोशिश नहीं की।

"जबसे तुम अपने भाई के साथ बस स्टैंड पर आयी हो तभी मेरे आंखे चौंघिया गयी। तबसे मै तुम्हे ही ऑब्सर्वे (observe) कर रहा हूँ। वह रुका फिर कहा "मै अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली समझता हूँ की तुम जैसी सुन्दरी इसी बस में मेरे साथ सफर कर रही है और उसका सीट मेरे बगल वाली सीट है..." वह तुलसि के हाथ को हल्कासा दबाता बोला।

तुलसी को यह सब फनी लगने लगा। उस लड़के के बातों ने तुलसी के शरीर में एक अजीब सी सन सनीसी फैल गयी। उसकी शरीर में एक झुर झुरसी हुयी। और उसे अहसास हुआ की उसकी पैंटी कुछ गीली होगयी है।

वह पहलेसे ही नॉटी गर्ल (वुमन) है। तो वह उस लड़के को कुछ और उकसाने को सोच पूछी "वूं... और क्या ऑब्ज़र्व करे हो मेरे बारे में...?"

"मुझे यकीन की तुम अपने कॉलेज के दिनों में बहुतों की दिल की धड़कन रूकवा दी होगी; या बढादि होगी... कभी क्यों तुम आज भी बहुत, बहुत सुन्दर हो..." वह लड़का दिलेरी से बोला।

"रियली...." तुलसी हँसते पूछी।

"सच बोलूं तो तुम इतनी सुंदर हो की तुम्हे देखते ही एक क्षण के लिए मेरी दिल की धड़कन रुक गयी" वह बोला।

""Voon hun... very interesting..." वह अपने आंखे गोल गोल घुमाई।

तुलसी का मुस्कान और उसका आंखे गोल गोल घूमना देख कर उस लड़के की हिम्मत और बढ गयी। बस में जलने वाली मद्दिम रौशनी वाली बल्ब भी पीछे कहीं है। वेह दोनों तो ऑलमोस्ट अँधेरे में ही थे।

तभी तुलसी की साड़ी कंधेसे फिसल गयी।

"वाआआआअवव्ववववव.... क्या नजारा है..." वह उसके उभर रहे मस्तियों को देखता कहा।

तुलसी जो अपने साड़ी फिसलने का ख्याल नहीं की पूछी "क्या...?"

"इन पहाड़ियोंकी चोटियां, गर्वसे सिर उठाकर जो खड़े हैं...कितना आकर्षक है यह नजारा.. आआआहहह" कहा।

तुलसी अपने आपको देखि तो पायी कि उसका सारी जहाँ रहना था वहां नहिं है, और उसका उन्नत अक्ष और उसकी घाटी बखूबी दिखरही है तो उसने अपना पल्लू एडजस्ट करने लगी।

तो लड़का बोला "कुछ देर ऐसे ही रहने दो प्लीज ... कितना लुभावना दृश्य है..."

तुलसी पहले तो उस लड़के की बातें सुनकर चकित रह गयी, फिर भी मन हीं मन उस लड़के की हिम्मत की तारीफ की। वह गर्व भी महसूस कर रही थी की एक 20 वर्ष का जवान लड़का उसकी सुन्दरता पर फ़िदा है। वह उसे देख कर मुस्कुरायी और अपने पल्लू को एडजस्ट करि, ताकि उन पहाड़ों और उसकी घाटी; साडी के निचे छिप जाये।

"यह तो बहुत अन्याय हुआ..." लड़का मायूस होकर ब्प्ला

"तुम्हारी उम्र क्याहै ...?" वह अचानक पूछी..."

"21, थर्ड इयर इंजीनियरिंग कर रहा हूँ, विजयवाडामे...और मेरा नाम करुणाकर..." कहते वह अपने परीचय दिया। तुलसी अपना परिचय नहीं देती।

कुछ क्षण दोनों के बीच ख़ामोशी रही। अचानक उसकी बच्ची रोने लगती है और वह उसे अपने कन्धे पर डालकर एक टॉवल से ढकती है। तभी उस लड़के ने जल्दी से अपना हाथ टॉवल और उसकी पल्लू के बीच रख कर उसकी घाटीली चूची को जकड़ता है। तुलसी उस लड़के की हरकत पर चकित होजाती है और उसे कुछ कहना चाहती थी लेकिन उस लड़के की मुस्कान और उसकी आँखों की चमक देख कर वह कुछ बोलती नहीं है। वह लड़का उसकी चूची को दबाने लगा। तुलसी एक बार सिर घुमाकर इधर उधर नजर दौड़ाई। उनकी तरफ किसीकी ध्यान नहीं थी।

कुछ ही पलों में तुलसी को, उससे चूची मिजवाने का मजा आने लगी। उसकी शरीर में मादकता के लहर दौड़ने लगे। वह उस लड़के को अपने गेंदों से खेलने दी। उस लड़के की हरकतों ने उसके शरीर में गर्मी और इच्छा पैदा करदी। कॉलेज के जमाने मे उसे दो तीन अफेयर्स थे, लेकिन शादी के बाद वह अपनी पति प्रति सिन्सियर थी।

आज बहुत दिनों बाद उसकी मस्तिष्क में फिर से एक नया अनुभव का मन हुआ। तभी उसकी रिसती चूत में चुदाई के कीड़े खलबली मचाने लगे। चूत एक नए लंड के लिए लार टपकने लगी।

"ठहरो" वह कही और उसका हाथ निकालकर अपना हाथ पल्लू के अंदर डालती है और ब्लॉउस के सारे हुक्स खोलकर अपना ब्रा ऊपर करती है। यह देख कर उस लड़के (करुणाकर) की चेहरा दिवाली के फ्लावर पॉट की तरह चमकती है।

"थैंक्यू..." लडका उसके कान में फूस फुसाता और उसकी गाल को चूमता है। तुलसी अपने बेबी पर दबव डालती है नतीजा लड़के की हाथ का दबाव अपने चूची पर महसूस करती है। जोश में लड़का उसकी टाइट निप्पल को पिंच करता है।

"सससस...हहहहह.मममम.." उसकी मुहं से एक मीठी सिसकी निकलती है। वह अपना हाथ आगे कर पहले लड़के की जांघ को सहलाती है फिर उसके उभार को जकड़ती है। जब उस लड़के ने यह देखा की वह उसकी उभार को जकड़ी है तो उसने ज़िप निचे खींचा। तुलसी अपना हाथ अंदर घुसाती "स्स्स्सह्शशश..." लड़के के मुहं से भी सिसकी निकलती है।

जब उसका हाथ उस लड़के की नंगे लंड पर टिकी तो वह 'छी... डर्टी फेल्लो, अंदर जांगिया नहीं पहनी...' सोची लेकिन उसने अपना हाथ बाहर नहीं खींची और उसकी लम्बाई पर हाथ फेरी।

'नाइस... सात इंच का तो होगा...' वह उसकी लम्बाई पर हाथ फेरते सोची। वह उसे सहलाने लगी। जैसे जैसी वह उसे सहला रहि थी (fondle) थी, उस नए तलवार को अपने म्यान में लेने का इच्छा बढ़ती ही जा रही थी। वह बहुत गरमा चुकी है और वह यह भी जानती है की अभी दो, ढाई घंटेमें वह घर पहुंचेगी और उसका पति उसे वह सुख देगा जिसे वह तीन महीने से मिस कर रही थी। फिर भी उसकी रसीली बुर एक नए लंड के लिए लालियत थी। वह उस लड़के को मुट्टीमे दबोचे थी।

इतनेमे, डुग..डुग... डुग.. की आवाज़ के साथ एक झटका सा हुआ और बस रुक गयी।

"क्या हुआ...? क्या हुआ...?" बस के यात्री पूछ रहे थे। बस में भगदड़ मच गयी। ड्राइवर ने निचे उतरा और बस के निचे गया, छह / सात मिनिट बाद ड्राइवर बस के निचेसे निकला और कहा "गियर काम नहीं कर रही है... अब बस नहीं चलेगी।" भगदड़ और मच गयी।

कंडक्टर किसी को फ़ोन करा फिर यात्रियों से कहा; "बस का रिपेयर करना है... दो ढाई घंटे लगते हैं.." और कहा "मैने डेपो मैनेजर को फ़ोन किया है... एक स्पेयर बस आरही है.. लेकिन उसके लिए भी कम से कम दो घंटे लगते हैं.." कहा।

एक लम्बी निस्वास के साथ यात्री निचे उतरे और इधर उधर घूमने लगे तो कुछ वहांसे समीप दिखरही होटल की ओर चलपडे।

"चलो हम भी निचे उतारते हैं.. कुछ ताज़ा हवा तो लगेगी..." करुणाकर तुलसी से कहा और वह मान जाती है। जब वह निचे उतरे तो तुलसी को कुछ ही फासले पर 'Dine & Stay' नामक एक लॉज (lodge) कम रेस्टॉरेंट दिखी। तुलसी और करुणाकर कुछ मिनिट वहीँ बस के पास ठहरे। अचानक तुलसी को उस लड़के की तेज धार वाली तलवारको अपने गीली म्यान लेकर मौज करने का आईडिया सूझी।

"Hey want to have a full treatment...?" तुलसी अपने होंठों पर एक मनमोहक मुस्कान के साथ पूछी।

करुणाकर को पहले तो कुछ समझमे नहीं आया लेकिन तुलसी की मुस्कान देखकर वह समझगया की वह क्या कह रही है, फिर उसका चेहरा फुलझड़ी की तरह चमकी वह बोला "Am I so lucky..?"

"चलो..." कहते तुलसी 'Dine & Stay.' की ओर चलने लगी। करुणाकर, गाय के पीछे चलने वाली बछड़े की तरह उसके पीछे चला। 'Dine & Stay.' एक फर्स्ट क्लास होटल है और वह रात में कार में सफर करने वाले यात्रियों की सेवा के लिए बनी है। ज्यादा तर नाईट पैसेंजर, रात वहां रुक कर सवेरे निकल पड़ते हैं।

वहां बगल में हि रेस्टॉरेंट है जो उस समय बस यत्रियों से भरी है।

तुलसी को उस लॉज के बारे में मालूम है। जब उनकी शादी के नए नए दिनों में वह और उसका पति एक रात वहां रुके थे, पब्लिक से दूर बने उस लॉज में एक नया अनुभव लेने के लिए। वह सीधा लॉज के काउंटर क्लर्क के पास गयी और कही " हमरा बस फेल होगया है, वह कह रहे है की दो ढाई घंटे लगेंगे ठीक होने में या दूसरा बस आने में... मुझे मेरे बच्ची को दूध पिलानी है..कहीं भी प्राइवेसी नहीं है... मुझे एक कमरा चाहिए ताकि मै बच्ची को दूध पिला सकूं और उसे सुला सकूं..."

क्लर्क उसके साथ खड़े करुणाकर की ओर संदिग्द निगाहों से देखा।

"वह मेरा छोटा भाई है... मुझे मेरे ससुराल छोड़ने मेरे साथ चल रहा है..." टुक्सी बोली।

उसके बाद कोई और प्रश्न नहीं पुछा। उसने एक चाबी तुलसी को थमाया और कहा मैडम "फुल नाईट चार्ज होगी।"

दोनों ऊपर कमरे में आते हैं। करुणाकर बहुत उद्विघ्न (excited) था। जैसे ही तुलसी बच्ची को सुलाने बेड पर झुकती है वह उसे पिछसे अपने आगोश में लेता है।

"हे.. रुको..रुको.. तुम मेरी साड़ी खरब करदोगे..." कहते तुलसी उस से छुड़ालेती है और अपने कपड़े उतारने लगती है। पहले उसने अपने कंधेसे, शोल्डर पिन निकालती है फिर अपने साड़ी के फ्रिल्स को खीँचती है। सलीक़े से वह साड़ीको फोल्ड करी और हेंगर को लटकाती है। करुणाकर उसे विस्फारित आँखों से देखरहा था। वह कभी नहीं सोच था की इस औरत इतनी बोल्ड और दिलेरी हो सकती है।

फिर वह लड़के को देखकर और उसे tease करते अपने ब्लाउज के हुक्स एक के बाद एक खोलती है फिर वह उसे भी हेंगर पर लटकाती है। अब तुलसी सिर्फ पेटीकोट और ब्रा में थी। उसके सख्त चूचियां ब्रा से बाहर खूदने को तड़प रहे हैं। फिर वह अपने हाथ पेटीकोट के निचे लेजाति है और अपने पैंटी निकालती है। पेटीकोट उसके शरीर पर ही है।

जैसे ही तुलसी बेड पर बैठती है करुणाकर उसे पीछे धकेला और पेटीकोट का नाडा खींचना चाहा। वह रोकती है और कहती है.... "नहीं... पेटीकोट मत उतारो.. वैसे ही..." कहती वह पेटीकोट कमर के ऊपर उठाती है और अपने टाँगे पैलाती है। करुणाकर के आंखे उसकी मक्कन जैसी जांघ और उसकी सफाचट चूत को देखते ही रह गया। घर से निकलने से पहले वह अपने पति के लिए चूत को साफ करि थी। टांगे पैलते ही उसके चूत फांके भी कुछ खुलगये हैं।

करुणाकर उस पर खूदा और अपना मुहं उसकी उभरी चूत पर चिपका दिया, एक हाथ से वह ब्रा के ऊपरसे ही उसकी चूची पकड़कर मींजने लगा।

"हे.. यह क्या कररहे हो...?" वह जोरसे बोली।

"प्लीज मुझे टोको मत, मुझे जो करना है करने दो..." कहते वह उसकी रिस रहे बुर को फिरसे मुहं में लिया और चाटने लगा।

अब तुलसी को भी उस लड़के की हरकत पसंद आने लगी तो "आआह्ह्ह...करुणा...आआह्ह्ह " वह उस लड़के की नाम को याद करते बोली... "अच्छा लग रहा है.. करो वैसे ही..." वह एक 21 वर्श की लड़के से इतना सुख सोची नहीं थी। उसके ख्याल में लड़का नौसिखिया है... समझी लेकिन अब सोचने लगी.... 'दिखने में लड़का है लेकिन मालूम पड़ता है की रॉस्कल को अच्छा खासा अनुभव है...'

उसकी बातें सुनते ही करुणा का जीभ की हरकत तेज हुयी, वह उसके फांकों के साथ साथ उसकी भागनासे (clit) को भी दंतों से दबाने लगा.. "राजा.... आआह्ह्ह्हह... म्म्म्मा" उसके मुहंसे एक बार फिर मीठी सिसकी निकली।

"आआह्ह्ह्ह... ससस.. कुछ लग रहा है पर मजा भी आ रहा है... डोंट स्टॉप... करो वैसे ही.. चाटो.. चाटो.. अम्मा... आअह्ह्हम्म्म्म.. मै झड़ने वाली हूँ... राजा तुमने तो बिना लंड डाले ही झड़वादिया...हो गयी.. मेरी निकली.. निकली..." कहते उस लड़के के मुहं में अपना चूत रस छोड़ने लगी। करुणाकर भी कुछ कम नहीं था वो उसके सारा रस को चाट चाट क्र अपने गले के निचे उतारा।

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