घर की कहानी -(भाग-3)

Story Info
लड़के ने अपनी चाची के साथ मिलकर अपनी माँ के मांगों को पूरा किया
8.4k words
3.5
243.6k
8

Part 2 of the 2 part series

Updated 10/29/2022
Created 12/04/2011
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here
dimpii4u
dimpii4u
106 Followers

इसी तरह घर का माहोल चलता रहा । दीप्ति अपने बेटे और शोभा के साथ अलग-अलग समय पर अपनी कामवासना पुरी करती रही । एक दिन रात को शोभा की आंखें थकान और नींद से बोझिल हो चली थी और दिमाग अब भी पिछले २-३ महीनों के घटनाक्रम को याद कर रहा था । अचानक ही कितना कुछ बदल गया था उसके सैक्स जीवन में । पहले अपने ही बहन जैसी जेठानी की बदली हुई लिँग और अकस्मात ही बना उसका सेक्स संबंध फ़िर जेठानी के द्वारा संभोग के दौरान नये नये प्रयोग किसी मादा शरीर से मिला अनुभव नितांत अनूठा था । पर रात में इस समय बिस्तर में किसी पुरुष के भारी कठोर शरीर से दबने और कुचले जाने का अपना अलग ही आनन्द है । जेठानी औरत तो थी ही पर उसकी विशाल लंड मेँ गजब का ताकत था । जेठानी की चोदाई से मिली आनंद पहले कभी नहीँ मिली थी उसे । बडी बेरहमी से उसे चोदा था जेठानी ने । काश! दीप्ति इस समय उसके पास होती । दुसरा था भतीजा अजय जो अभी नौजवान है और उसे बड़ी आसानी प्रलोभन देकर अपनी चूत चटवाई जा सकती है । फ़िर वो दीप्ति की लंड की तरह ही उसके मुहं पर भी वैसे ही पानी बरसायेगा । मजा आ जायेगा । पता नहीं कब इन विचारों में खोई हुई उसकी आंख लग गयी । देर रात्रि में जब प्यास लगने पर उठी तो पूरा घर गहन अन्धेरे में डूबा हुआ था । बिस्तर के दूसरी तरफ़ कुमार खर्राटे भर रहे थे । पानी पीने के लिये उसे रसोई में जाना पड़ेगा सोच कर बहुत आहिस्ते से अपने कमरे से बाहर निकली । सामने ही अजय का कमरा था ।

शोभा चुपके से अजय के कमरे का दरवाजा खोला और दबे पांव भीतर दाखिल हो गई । कमरे में घुसते ही उसने किसी मादा शरीर को अजय के शरीर पर धीरे धीरे उछलते देखा । दीप्ति के अलावा और कौन हो सकता है इस वक्त इस घर में जो अजय के इतना करीब हो । अजय की कमर पर सवार उसके लन्ड को अपनी भारी गांड के छेद में समाये दीप्ति तालबद्ध तरीके से गांड मरवा रही थी । खिड़की से आती स्ट्रीट लाईट की मन्द रोशनी में उसके उछलते चूंचे और मुहं से निकलती धीमी कराहो से दीप्ति की मनोस्थिति का आंकलन करना मुश्किल नहीं था । "अभी अभी मुझे चोदी है और फ़िर से अपने बेटे के ऊपर चढ़ गई" मन ही मन दीप्ति को गन्दी गन्दी गालियां बक रही थी शोभा । खुद के तन भी वही आग लगी हुई थी ।

उधर दीप्ति पूरे जोशो खरोश के साथ अजय से चुदने में लगी हुई थी । रह रहकर उसके हाथों की चूड़ियां खनक रही थी । दीप्ति की 8 इंच लम्बा और मोटा लंड उछलने से हवा मेँ लहरा रहा था और गले में पड़ा मंगल्सूत्र भी दोनों स्तनों के बीच उछल कर थपथपा कर उत्तेजक संगीत पैदा कर रहा था । ये सब शोभा की चूत में फ़िर से पानी बहाने के लिये पर्याप्त था । आभूषणों से लदी अजय के ऊपर उछलती जेठानी काम की देवी ही लग रही थी । दीप्ति की उछलती लंड देखते ही शोभा की पहले से नम बुर की दिवारोँ ने अब रिसना चालु कर दिया था । शोभा को अब मम्मी की लंड चाहिये था । सिर्फ़ पत्थर की तरह सख्त जेठानी की लंड ही उसे तसल्ली दे पायेगी । अब यहां खड़े रह कर मां पुत्र की काम क्रीड़ा देखने भर से काम नहीं चलने वाला था । शोभा मजबूत कदमों के साथ दीप्ति की और बढ़ी और पीछे से उसका कन्धा थाम कर अपनी और खींचा । हाथ आगे बढ़ा शोभा ने दीप्ति के उछलते कूदते स्तनों को भी हथेलियों में भर लिया । कोई और समय होता तो दीप्ति शायद उसे रोक पाती पर इस क्षण तो वो एक उत्तेजना से गुजर रही थी । अजय नीचे से आंख बन्द किये माँ के गांड मेँ धक्के पर धक्के लगा रहा था । इधर दीप्ति को झटका तो लगा पर इस समय स्तनों को सहलाते दबाते शोभा के मुलायम हाथ उसे भा रहे थे । कुछ ही क्षण में आने वाली नई स्थिति को सोचने का समय नहीं था अभी उसके पास । शोभा को बाहों में भर दीप्ति उसके सहारे से अजय के तने हथौड़े पर कुछ ज्यादा ही जोश से कूदने लगी । "शोभा--आह--आआह", दीप्ति अपनी लंड में उठती विर्य की लहरों से जोरो से सिसक पड़ी । वो भी थोड़ी देर पहले ही अजय के कमरे में आई थी । शोभा की तरह उसकी लंड की आग भी एक बार में ठंडी नहीं हुई थी और फिर चोदने के बाद गांड नहीं मराई थी ।

आज अजय की बजाय अपनी प्यास बुझाने के उद्देश्य से चुदाई कर रही थी । अजय की जब नींद खुली तो मां बेदर्दी से उसके फ़ूले हुये लंड को अपनी गांड में समाये उठक बैठक लगा रही थी और माँ के आधे तने मूषल लंड और अंडकोष उसके पेट पर रगड खा रहे थे । लाचार अजय एक हाथ बढा कर माँ के लंड को पकड लिया और माँ के उछलने से लंड अपने आप पम्प होता गया । आज रात अपनी मां की इस हिंसक करतूत से संभल भी नहीं पाया था कि दरवाजे से किसी और को भी कमरे में चुपचाप आते देख कर हैरान रह गया । पर किसी भी तरह के विरोद्ध की अवस्था में नहीं छोड़ था आज तो मां ने ।

"शोभा तुम्हें यहां नहीं आना चाहिये था, प्लीज चली जाओ ।" दीप्ति विनती कर रही थी । शोभा के गदराये बदन को बाहों में लपेटे दीप्ति उसकी हथेलियों को अपने दुखते स्तनों पर फ़िरता महसूस कर उसकी उत्तेजना बढ गई । लेकिन अपने बेटे के सामने.. नहीं नहीं । रोकना होगा ये सब ।

किन्तु किशोर अजय का लंड तो मां के मुख से अपनी चाची का नाम सुनकर और ज्यादा कठोर हो गया । दीप्ति ने शोभा को धक्का देने की कोशिश की और इस हाथापाई में शोभा के बदन पर लिपटी एक मात्र रेशमी चादर खुल कर गिर पड़ी । हॉल से आकर थकी हुई शोभा नंगी ही अपने बिस्तर में घुस गई थी । जब पानी पीने के लिये उठी तो मर्यादावश बिस्तर पर पड़ी चादर को ही लपेट कर बाहर आ गई थी । शोभा के नंगे बदन का स्पर्श पा दीप्ति के तन बदन में बिजली सी दौड़ गई, उसकी सोया लंड जाग उठा । एकाएक उसका विरोध भी ढीला पड़ गया । अजय के लंड को चोदते हुये दीप्ति और कस कर शोभा से लिपट गई । नीचे अजय अपनी माता की गिली हुई गांड के छेद को अपने लंड से भर रहा था तो ऊपर से चाची ने दाहिना हाथ आगे बढ़ा कर मम्मी की तने हुए लंड को कस के पकड ली । किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह शोभा चाची ने मम्मी के तने हुए लंड के फोर-स्कीन को उपर-निचे करते हुए लाल सुपाडे को अंदर बाहर करने लगी । लंड पर चाची की उन्गलियों का चिर परिचित स्पर्श पा मम्मी मजे में कराहा, "ईईईई". "हां शोभा", शोभा चाची ने भी नीचे देखते हुये हुंकार भरी । दीप्ति की गांड अजय के लंड के कारण चौड़ी हुई पड़ी थी और शोभा भी उसे बख्श नहीं रही थी । रह रह कर बार बार जेठानी के लंड के सुपाडे पर जिभ फिरा रही थी । दीप्ति बार बार अजय की जांघों पर ही अपनी भारी नितम्ब को गोल गोल घुमा और ज्यादा उत्तेजना पैदा करने की कोशिश कर रही थी ।

अजय के सामने ही शोभा एक हाथ से मम्मी की 10 इंच के लंड को पम्प कर रही थी और दूसरे से मम्मी के चूचों को निचोड़ रही थीं । चाची के होंठ मम्मी के होंठों से चिपके हुये थे और जीभ शायद कहीं मां के गहरे गले में गोते लगा रही थी । आंख के कोने से अजय ने चाची को मम्मी की लंड मुठियाते देखा तो झटके से चाची की स्तन को थाम लिया । अपना हाथ मम्मी की लंड पर से खींच कर चाची अजय के कानों मे फ़ुसफ़ुसाई "अजय, देखो तुम्हरी मम्मी क्या कर रही हैँ ? जिस्मों की उत्तेजना में कुछ भी स्वीकार कर लेना काफ़ी आसान होता है । हां, अपने बेटे के सामने दीप्ति पूरी तरह से चरित्रहीन साबित हो चुकी थी ।

उसके बेडरूम के बाहर वो सिर्फ़ उसकी मां थीं । वो भी उन दोनों के इस कृत्य का बदला चुकाने को उत्सुक था । पर किससे कहे, दोनों ही उससे उम्र में बड़ी होने के साथ साथ भारतीय पारिवारिक परम्परा के अनुसार सम्मानीय थी । और जब से अपनी मम्मी की रहस्य सामने आई है उसका तो चैन ही उड गया था । मम्मी को मर्द कहा जाए या औरत ! औरत की भी इतनी बडी लंड होती है ? मम्मी की चोदाई व अपनी आँखोँ से देख चुका है , बड़ी बेरहमी चाची की बुर मेँ चोद रही थी । कितनी ताकत थी मम्मी की लंड मेँ । दोनों ही के साथ उसका संबंध पूरी तरह से अवैध था । इसीलिये जब उसकी चाची ने मात्र एक चादर में लिपट कर उसके कमरे में प्रवेश किया और अपने भारी भारी स्तनों को मां के कन्धे से रगड़ना शुरु किया तो वो उन पर से अपनी नज़र ही नहीं हटा पाया । चाची की नाजुक उन्गलियां मम्मी के तने हुये लंड पर थिरक रही थीं तो बदन उसके पूरे शरीर से रगड़ खा रहा था ।

दोनों ही औरतों के बदन से निकला पसीने खुश्बू अजय को पागल किये जा रही थी । दीप्ति ने जब अजय को शोभा के नंगे शरीर पर आंखें गड़ाये देखा तो उन्हें भी अहसास हुआ कि अजय को भरपूर प्यार देने के बाद भी आज तक उसके दिल में अपनी चाची के लिये जगह बनी हुई है । दोनों औरतों के बदन के बीच में शोभा की चूत से निकलता आर्गैज्म का पानी भरपूर चिकनाहट पैदा कर रहा था ।

"देखो अजय" शोभा ने उसकी माँ के फ़ूले लंड पर नजरें जमाये हुए कहा । "कैसा कड़क हो गया है?" मम्मी की लंड को मुट्ठी में भरे भरे ही शोभा चाची धीरे से बोली । मम्मी के गले से आवाज नहीं निकल पाई । उत्तेजना में उन्होनें शोभा चाची के भारी नितम्बों को थाम कर उसे मसलने लगी ताकि फुंकार मारती हुई लंड की किसी से तो रगड़ मिले ।

शोभा ने चेहरा दीप्ति की तरफ़ घुमाया और अपने होंठ दीप्ति के रसीले होंठों पर रख दिये । होंठों को चूसते हुये भी उसने मम्मी के लंड को मुठियाना जारी रखा । नजाकत के साथ दीप्ति के सुपाड़े पर अंगूठा फ़िराने लगी । " ईईईईई", दीप्ति सिसक पड़ी । अंगूठे के दबाव से मम्मी की लंड में खून का दौड़ना तेज हो गया । मम्मी की लंड पर चाची की कसती मुट्ठी से मचल सा गया । दीप्ति की तो जान ही निकल गई । हे भगवान । इन सब कामों में शोभा पूरी सावधानी बरत रही थी कि किसी को भी कुछ भी जोर जबरदस्ती जैसा ना लगे । दीप्ति ने नीचे से अपनी चौडी गांड को उछाला शोभा कि मुट्ठी को चोदने का प्रयास किया पर तब तक शोभा ने अपनी मुट्ठी खोल सिर्फ़ सहारा देने के लिये लंड को दो उन्गलियों से पकड़ा हुआ था ।

तभी दीप्ति अजय के लंड पर से उठ खडी हुई और शोभा की बगल में लेट गई । दीप्ति ने कुछ बोलना चाहा पर समझ में नहीं आया कि क्या कहे । दिमाग पूरी तरह दिल से हारा हुआ अजय और शोभा के हाथों की कठपुतली सा बना हुआ था । चाची का इशारा पा अजय चेहरे को आगे खींच कर मम्मी की लंड अपनी खुले मुंह में उतार दिया । दीप्ति ने तुरन्त ही दोनों हाथों से बेटे का चेहरा दबा जानवरों की तरह धक्के लगा शुरु कर दिया । दीप्ति का लंड अजय के गले को अन्दर तक भरा हुआ था । दीप्ति की लंड अब जी भरकर बहना चाहती थी और उसके हाथ शोभा की बुर खोज रहे थे ताकि वापिस उसकी बुर में अपनी लंड डाल सके । पर शोभा तो पहले से ही मां बेटे का सम्पूर्ण मिलन करवाने में व्यस्त थी । एक हाथ की उन्गलियों से दीप्ति के लंड को थामे दूसरे से उसकी भारी गांड को सहला सहला कर जेठानी को और उकसा रही थी । "हां दीदी, शाबास, लंड को वैसे ही चटवाते रहो जैसे हम इससे अपनी चूत चुसवाना चाहते थे । दीप्ति के गालों से गाल रगड़ती हुई शोभा बोली । अजय चौंका । निश्चित ही दोनों औरते उसके ही बारे में बातें कर रही थी ।

आंखों के कोनों से दीप्ति ने शोभा के मोटे मोटे चूचों को झूलते देखा । इस स्थिति में भी वो उन दोनों को जी भर के निचोड़ना मसलना चाहती थी । लेकिन अपनी लंड चटवाने स्वाद भी वो छोड़ना नहीं चाहती थी । मन शोभा के लिये कृतज्ञ था कि उसने मां को अपने बेटे के और करीब ला दिया है । अजय जो अपनी आंखों के सामने अपनी जेठानी और अजय की उत्तेजक हरकतें देख रहा था, अब फ़िर से सक्रिय हो उठी । थोड़ा सा उठ कर उसने दोनों हाथों से दीप्ति के उछलते स्तनों को दबोच लिया । शोभा को भी अब खुल कर दोनों मां बेटे के बीच में आना ही पड़ा । दीप्ति के हाथ अपने चूचों पर पड़ते ही शोभा कराह उठी । अन्दर तक सिहर उठी शोभा चाची । मम्मी के खुले सिग्नल से उनकी चूत में चिकने पानी का दरिया बनना चालू हो गया ।

ठीक इसी तरह से अगर अजय मेरी चूत पर भी जीभ फ़िराये तो ? पहली बार तो बस चूम कर रह गया था । आज इसको सब कुछ सिखा दूंगी, यहीं इसकी मां के सामने । और इस तरह से दीप्ति के लिये भी रोज अपनी लंड चुसाई का इन्तजाम हो जायेगा । इन्ही ख्यालों में डूबी हुय़ी शोभा अजय की सीने को छोड़ जेठानी की विशाल गांड को सहलाने लगी । और दीप्ति अधीरतापूर्वक अपने फ़ड़कते लंड को अजय के मुख में पागलों की भांति पेल रही थी । अजय ने हाथ बढ़ा मम्मी के दूसरे निप्पल को मसलना चाहा परन्तु शोभा ने बीच में ही उसका हाथ थाम उसे रोक लिया । क्षण भर के लिये मां बेटे को छोड़ शोभा बिस्तर के सिरहाने पर जा कर बैठ गयी । मम्मी ने चारों तरफ़ नज़र घुमा चाची को देखने का असफ़ल प्रयास किया । अपनी जांघों को अजय की पीठ पर लपेटते हुये दीप्ति बेटे के मुहं को चोदने लगी । माथे पर एक गीले गरम चुम्बन से मम्मी की आंखें खुलीं । शोभा ने उनके पीछे से आकर ये आसन बनाया था । अपने खुले रेशमी बालों को मम्मी के स्तनोँ पर फ़ैला, होठों को खोल कर उसके होठों से भिड़ा दिया ।

शोभा चाची ने जब अपनी थूक सनी जीभ मम्मी के मुख में डाली तो जवाब में मम्मी ने भी लपककर अपनी जुबान को शोभा चाची के गरम मुख में सरका दिया । दोस्तों सम्भोग के समय होने वाली थूक के आदान प्रदान की ये प्रक्रिया बड़ी ही उत्तेजक एवं महत्वपूर्ण होती है । चाची के स्तन मम्मी के सिर पर टिके हुये थे और व उनको अपने मुहं में भरने के लिये उतावला हो रही थी । चाची का मंगलसूत्र उसके गालों से टकराकर ठंडा अहसास दे रहा था और साथ ही साथ उनके शादीशुदा होने की बात भी याद दिला रहा था । शायद इन्हीं विपरीत परिस्थितियों से निकल कर मम्मी भविष्य में जबर्दस्त चुदक्कड़ बन पायेंगी और फ़िर भीषण चुदाई का अनुभव पाने के लिये घर की ही एक भद्र महिला से ज्यादा भरोसेमंद साथी भला कौन मिलेगा ? चाची अब होठों को छोड़ अब मम्मी के उरोजोँ को चूमना लगीं । आगे सरकने से उनके स्तन मम्मी के चेहरे पर आ गये थे । जब मम्मी के होठों ने गदराये चूचों पर निप्पलों को तलाशा तो स्तनों मे अचानक उठी गुदगुदी से शोभा हंस पड़ी । कमरे के अन्दर का वातावरण अब तीनों प्राणियों के लिये काफ़ी सहज हो चला था

अजय अब सारी शर्म त्याग करके पूरी तरह से दोनों औरतों के मस्त बदन को भोगने के लिये तैयार हो चुका था । दीप्ति के दिमाग से भी बन्धन, मर्यादा और लज्जा जैसे विचार गायब हो चुके थे । अब उन्हें भी अपने बेटे के साथ साथ किसी तीसरे प्राणी के साथ प्रणय क्रीड़ा करने में भी कोई संकोच ना था । शोभा चाची की शरारतें भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी । मम्मी के पेट का सहारा ले वो बार बार शरीर ऊपर को उठा अपने चूचों को मम्मी के होठों की पहुंच से दूर कर देतीं । कभी मम्मी की जीभ निप्पलों पर बस फ़िर कर रह जाती तो बिचारे और उत्तेजित हो कर कड़क हो जाते । खुद ही उन दोनों तरसते यौवन कपोतों को जेठानी के मुहं में ठूस देना चाहती थी । और दीप्ति ने यहां भी उसे निराश नहीं किया । चाची की उछल-कूद से परेशान मम्मी ने अजय के सिर को छोड़ कर दोनों हाथों से चाची के झूलते स्तनों को कस कर पकड़ा और दोनों निप्पलों को एक दूसरे से भिड़ा कर एक साथ दातों के बीच में दबा लिया मानों कह रही हो कि अब कहां जाओगी बच कर । शोभा आंखें बन्द करके सर उठाये सिसक सिसक कर मम्मी की करतूतों का मजा ले रही थी । दीप्ति आज उनके साथ दुबारा से सहवास रत थी ।

शोभा ने जब आंखें खोली तो दीप्ति को अपनी तरफ़ ही देखते पाया । उसने अजय के मुहं में झटके लगाना बन्द कर दिया था । कमर पर लिपटी उसकी टांगें भी जब खुल कर बिस्तर पा आ गयी थी । जब शोभा ने सिर उठाया तो उसके चेहरे पर छाई वासना और तन्मयता से दीप्ति का दिल टूटने लगा । दोनों ने काफ़ी देर तक एक दूसरे की आंखों मे देखा । अजय उनके निप्पलों पर अपने होंठों से मालिश कर रहा था और इसी वजफ़ से रह रह कर चाची की चूत में बुलबुले उठ रहे थे । अपने प्लान की कामयाबी के लिये शोभा को अब आगे बढ़ना था ।

शोभा ने दीप्ति के सिर के पीछे यन्त्रवत उछलती अपनी कमर को रोका और आगे सरक आई । अजय ने मम्मी के लंड को कस के मुट्ठी में जकड़ लिया और होठों को सिर्फ़ सुपाड़े पर गोल गोल फ़िराने लगा । शोभा ने भी कुहनियों पर खुद को व्यवस्थित करते हुये भारी गांड को जेठानी के चेहरे पर जमा दिया । इस समय शोभा की गीली टपकती चूत दीप्ति के प्यासे होंठों से काफ़ी दूर थी । और मम्मी उत्तेजना में जीभ को घूमा घूमा कर चाची के तर योनि-प्रदेश तक पहुंचने का प्रयास कर रही थी इधर शोभा चाची ने अजय को उसके हाल पर छोड़ अपना ध्यान जेठानी दीप्ति के ऊपर लगा दिया । दीप्ति के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा । दीप्ति ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया । दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं । अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी मां और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी ।

दीप्ति के मुहं में जीभ फ़िराते हुये शोभा अजय की लार का स्वाद महसूस कर सकती थी उधर दीप्ति भी शोभा की जीभ पर खुद उसका, शोभा का और अजय का मिला जुला रस आराम से चाट पा रही थी । आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे । चाची ने दुबारा से मम्मी के खड़े मुस्टंडे लंड के एक तरफ़ अजय के होठों को जमा दूसरी तरफ़ से खुद पूरा मुहं खोल गरमा गरम रॉड को जकड़ लिया । अब इस तरीके से वो दोनों एक दूसरे को किस भी कर सकती थीं और दीप्ति का तन्नाया पुरुषांग भी उनके चार गरम होठों के बीच में आराम से फ़िसल सकता था । मम्मी ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को कस के जकड़ लिया । लेकिन चाची की चूत से बहते झरने को वो अपने प्यासे होठों तक नहीं ला पायी । गांड को नीचे खीचने पर शोभा के होंठ मम्मी के लंड का साथ छोड़ दे देते थे और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं । खैर मम्मी ने शोभा की कमर को चूमना चाटना चालू कर दिया । शोभा पूरी तन्मयता से जेठानी के मोटे लंड पर लार टपका उसे होठों से मल रही थी । अजय भी जल्द ही ये कला सीख गई । दोनों दीप्ति के उस कड़कड़ाते पुरुषांग को आइसक्रीम की तरह दोनों तरफ़ से एक साथ चूस रही थीं । बीच-बीच में चाची और अजय के होंठ कभी मिलते तो एक दूसरे को किस करने लगते और यकायक मम्मी की लंड पर दवाब बढ़ जाता । इतनी पूजा करने के बाद तो दीप्ति के लंड में जैसे नया स्वाद ही पैदा हो गया ।

इससे पहले व कभी एक साथ दो लोगोँ से अपनी लंड नहीँ चटवाई थी । या तो ये दूसरी औरत की खूश्बूदार लार है या फ़िर दीप्ति की मूषल लंड से रिसने वाले प्रि-कम जो चुतड के उछलते वक्त बह कर यहां जमा हो गया था । हां, पक्के तौर पर लंड की खाल पर नमकीन स्वाद दीप्ति के पसीने या सुपाड़े से रिसते चिकने पानी का ही था । शोभा के दिमाग में कुछ अलग ही खिचड़ी पक रही थी ।

मम्मी के लंड से होठों को हटा अपने गाल उससे सटा दिये । अजय ने भी चाची की देखा देखी अपने गाल को भी मम्मी के लंड से सटा दिय़ा । दीप्ति की लंड भी इधर उधर झटके खाता हुआ दोनों के ही चेहरों को अपने रस और उनके थूक के मिश्रण से पोतने लगा । इस तरह थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद चाची ने मम्मी के लंड को अजय के हवाले कर दिया । अजय ने झट से मम्मी के लंड के फ़ूले हुये गुलाबी सुपाड़े पर होंठों को गोल करके सरका दिया । सुपाड़ा जब उसके गले के भीतरी नरम हिस्से से टकराया और थोड़ा सा गाड़ा तरल भी लन्ड से छूट गया । शायद मम्मी अब ज्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा. "शोभा ? तुम किधर जा रही हो?", दीप्ति जल्दी ही झड़ने वाली थी और व ये पल उसके साथ बांटना चाहती थी । "आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है.." शोभा ने जवाब दिया । चाची का पूरा चेहरा भीग गया था । वो चिकना मिश्रण उनके गालों से बह कर गर्दन से होता हुआ दोनों चूचों के बीच में समा रहा था । चूत अब पानी से भरकर लबलबा रही थी । उसका छूटना जरुरी था । दीप्ति को आज बल्कि अभी इसी वक्त उनकी चूत को चाटना होगा तब तक जब तक की उन्हें आर्गेज्म नहीं आ जाता ।

शोभा ने हथेलियोँ से मम्मी के चुचियोँ को दबाती अपनी चूत को उसके मुहं के ठीक ऊपर हवा में व्यवस्थित किया । दीप्ति ने सिर को उठा जीभ की नोंक से चूत की पंखुड़ियों को सहलायी । सामने ही अजय अपनी मम्मी की लंड की चूसाई में व्यस्त था । अब शोभा की चूत जेठानी के मुहं में समाने के लिये तैयार थी और उसकी आंखों के सामने अजय अपनी माँ की लंड खाने में जुटी हुई थी । शोभा ने अपनी टांगें चौड़ा की ताकि नीचे बैठने में आसानी हो । मम्मी ने भी फ़ुर्ती दिखाते हुये चाची की नंगी कमर को जकड़ा और सहारा दे उनकी खुली चूत को अपने मुहं के ठीक ऊपर रखा । शोभा ने एक नाखून पेट में गड़ा उसे इशारा दिया तो मम्मी ने अपनी जीभ चूत के बीच में घुसेड़ दी । आधी लम्बाई तक चाची की चूत में जीभ सरकाने के बाद मम्मी ने उसे चूत की फ़ूली दीवारों पर फ़िराया और फ़िर किसी रसीले संतरे के फ़ांक के जैसे चाची की चूत के होंठों को चाटने लगी । शोभा को तो जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था पर अभी जेठानी की असली दीक्षा बाकी थी । चाची ने दो उन्गलियों से चूत के दरवाजे को चौड़ाया और खुद आगे पीछे होते हुये अपनी तनी हुई चिकनी क्लिट को मम्मी की जीभ पर मसला ।

"हांआआआ.. आह", चाची ने मम्मी को इशारा करने के लिये आवाज़ निकाली । जब मम्मी की जीभ क्लिट पर से हटी तो चाची शान्त बैठी रहीं । दुबारा मम्मी की जीभ ने जब क्लिट को सहलाया तो "हां.." की ध्वनि के साथ चाची ने नाखून मम्मी के पेट में गड़ा दिया । कुछ "हां हां" और थोड़े बहुत धक्कों के बाद मम्मी समझ गई की उनकी देवरानी क्या चाहती हैं । चाची की ट्रैनिंग पा मम्मी पूरे मनोयोग से उनकी चूत को चाटने चोदने में जुट गई । मम्मी का ध्यान अब अपने मोटे लन्ड और बेटे से हट गया था । शोभा चाची हथेलियां मम्मी के उरोजोँ पर जमाये दोनों आंखें बन्द किये उकड़ू अवस्था में बैठी हुई थीं । उनकी पूरी दुनिया इस समय मम्मी की जीभ और उनकी चूत के दाने में समाई हुई थी । मम्मी की जीभ में जादू था । जब पहली बार आईसक्रीम चाटने की भांति मम्मी ने अपनी जीभ को क्लिट पर फ़िराय़ा, लम्बे और टाईट स्ट्रोक, तो चाची की चूत बह निकली । कितनी देर से बिचारी दूसरों के आनन्द के लिये कुर्बानियां दिये जा रही थी । लेकिन अब भी काफ़ी धीरज और सावधानी की जरुरत थी । अजय जैसे कुशल मर्द तक उनकी पहुंच पूरी तरह से जेठानी के मूड पर ही निर्भर थी ।

चूत के दाने से उठी लहरें शोभा के पूरे शरीर में चींटी बन कर रेंगने लगी थीं । बार-बार जेठानी के स्तनोँ में नाखून गड़ा वो उनको रफ़्तार बढ़ाने के लिये उकसा रही थीं । दोनों जेठानी-देवरानी मुख मैथुन के मामले में अनुभवहीन थे किन्तु शोभा जो थोड़ी देर पहले ही अपनी जेठानी के साथ काम संसार के इस मजेदार रहस्य से परिचित हुई थी, जानती थी कि अगर जेठानी रफ़्तार के साथ छोटे स्ट्रोक से उसकी क्लिट
को सहलायेगी तो वो जल्दी ही आर्गैज्म की चरमसीमा पार कर लेंगी । "आह..और तेज..तेज !", शोभा अपने विशाल नितंबों को दीप्ति के ऊपर थोड़ा हिलाते हुये कराही । अजय के हाथ भी शोभा की आवाज सुन कर रुक गये । जब उसने चाची के चेहरे की तरफ़ देखा तो आश्चर्यचकित रह गया । दोनों आंखें बन्द किये चाची पसीने से लथपथ जैसे किसी तपस्या में लीन थी । चाची ने मम्मी के पेट पर उन्गलियों से छोटे घेरे बना जतला दिया कि उसे क्या पसन्द है । मम्मी भी तुरन्त ही चाची के निर्देश को समझ गई । जैसे ही मम्मी की जीभ सही जगह पर आती शोभा उसके जवान भरे हुये सीने पर चिकोटी काट लेती । अपनी चूत के मजे में उन्हें अब मम्मी के दर्द की भी परवाह नहीं थी ।

"ऊह.. आह.. आह.. उई मांआआआ... आह", शोभा के मुहं से हर सांस के साथ एक सीत्कार भी छुटती । पागलों की तरह सारे बाल खोल जोर जोर से सिर हिलाने लगी थीं । शर्मो हया से दूर शोर मचाती हुई शोभा को दीन दुनिया की कोई खबर ना थी । अभी तो खुद अगर कमरे में उसका पति भी आ जाता तो भी वो जेठानी के मुहं को ना छोड़ती थी । दीप्ति की जीभ इतने परिश्रम से थक गयी थी । क्षण भर के लिये रुका तो शोभा ने दोनों हाथों के नाखून उसकी खाल में गहरे घुसा दिये "नहीं दीदी अभी मत रुक.. प्लीज...आह" । बेचारा दीप्ति कितनी देर से अपनी देवरानी की हवस बुझाने में लगी हुई थी । चाची तो अपनी भारी भरकम गांड लेकर मम्मी के चेहरे के ऊपर ही बैठ गय़ीं थीं । फ़िर भी बिना कुछ बोले पूरी मेहनत से चाची को बराबर खुश कर रही थी । मम्मी का लंड थोड़ा मुरझा सा गया था । पूरा ध्यान जो देवरानी की चूत के चोंचले पर केन्द्रित था । अजय बिना पलकें झपकाये एकटक चाची की भारी चौडी नितम्ब मम्मी के मुहं पर उछलते देख रहा था । शोभा, उसकी चाची, इस वक्त पूरी तरह से वासना की मूर्ति बनी हुई थी । सब कुछ पूरी तरह से आदिम और पाशविक था । उसका अधेड़ मादा शरीर जैसे और कुछ नहीं जानता था ना कोई रिश्ता, ना कोई बंधन और ना कोई मान्यता । कमरे में उपस्थित तीनों लोगों में सिर्फ़ वही अकेली इस वक्त मैथुन क्रिया के चरम बिन्दु पर थीं । उनकी इन स्वभाविक भाव-भंगिमाओं से किसी ब्लू-फ़िल्म की नायिकायें भी शरमा जायेंगी । दीप्ति की समझ में आ गयी कि अगर किसी औरत को इस तरीके से इस हद तक गरम कर दिया जाये तो वो सब कुछ भूल कर उसकी गुलाम हो सकती है । दीप्ति के दिल में काफ़ी सालों से शोभा के अलग ही जज्बात थे ।

dimpii4u
dimpii4u
106 Followers
12