जाने अनजाने - (भाग-1)

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एक रहस्यमयी महिला के साथ गुजारे हुए पल
3.6k words
2.94
175.1k
5

Part 1 of the 2 part series

Updated 10/24/2022
Created 01/27/2012
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मेरा नाम राजपाल है, मैं पटना से हुं और दिल्ली में काम करता हुं । आपको अपनी असली कहानी सुनाना चाहता हुं जो एक हकीकत है ।
ये घटना दरअसल दो साल पहले की है । मैं एक बार ऑफिस के काम से ईलाहाबाद ट्रेन से जा रहा था । खराब मौसम के कारण ट्रेन दो घंटे लेट थी। तो मेरा बर्थ साइड लोवर था । और मेरे ऊपर वाली बर्थ एक औरत ने ली थी । दे घंटे बाद ट्रेन चल पडी । दिन में उस औरत के साथ मेरा बर्थ में बैठ के बात करते-करते चल रहा था । मैंने उनके बारे में पूछा तो बोली व एक विधवा है और 8 साल पहले उसकी पति का स्वर्गवास हुआ था । व अपनी मायके आयी थी अभी घर जा रही है । उनकी पति सरकारी जॉब में थे और अब उन्हें उनकी जगह नौकरी मिल गयी है । उनके दो बच्चे हैँ, एक बेटा और एक बेटी, बेटा 16 साल का और बेटी 12 साल की, दोनों स्कूल जाते है ।

उनको देखके लगा उनकी एज 43/44 होगी, सीधी सादी सभ्य महिला । उनकी शरीर बहुत सेक्सी लग रही थी । ब्लाउज में से झांकती उनकी मोटी-मोटी चुचियां बहुत मस्त लग रही थी । बार-बार उनकी चुचियोँ की झलक देखके मुझे बहुत अच्छा लगा रहा था । पुरे रास्ते दोनों एक ही बर्थ में बैठ के बात करते-करते टाइम पास कर रहे थे । उन्होंने अपना नाम नीता चौधरी बताया तो मैँने भी उन्हेँ अपना नाम बता दिया । उन्होँने अपना फ़ोन नंबर मुझे दिया और मैंने भी अपना नंबर उनको
दिया ।

ईलाहाबाद पहुंच कर व बोली-
"मैं आप को फ़ोन करूंगी तो आप बात कर लेना । मेरा घर स्टेशन से लोकल ही दो स्टेशन बाद में ही है । आप आजाना एक दिन ।" बोलके व ईलाहाबाद में दुसरी लोकल ट्रेन में बैठ गयी । दो दिन बाद उनका फ़ोन आया और मुझे उनके घर आने के लिए रिक्वेस्ट कर रही थी । मैं भी घर में फ्री था तो मैं जाने के लिए हां कर दिया और नेक्स्ट डे शाम को चल दिया । उनके घर करीब 6 बजे पंहुचा और देखा की घर में कोई नहीँ तो मैंने पूछा-
"आप के बच्चे दिखाई नहीँ दे रहे, कहां हैँ ?"

तो व बोली-
"आज सुबह मेरे पति का भतीजा आया था, व बच्चोँ को अपने घर घुमाने ले गया ।"

बात करते करते 7 बज गए । मैं सोफे पर बैठा था व एकदम से मेरे पास आयी और मेरा हाथ पकड़ कर मुझसे उठने को कहा, मैं उठ गया तो उन्होंने एक रूम की तरफ इशारा करके बोली-
"आप वहां रूम में बैठो, में अभी आती हुं ।"

मैं उस रूम की तरफ बढ़ने लगा और तभी उन्होंने ने पहले रूम की लाइट ऑफ कर दी । मैं जिस रूम में पहुंचा व बेडरूम था, व भी 5 मिनट के बाद आ गयी । बेड पर दिवार से पीठ टिका कर आराम से बैठ गयी । मैं भी उसके साथ पैर फेलाकर बैठ गया ।
अब व मेरी तरफ देखके बोली-
"आप मुझे अच्छे लगे हैँ, मैं बहुत परेशान हुं । न जाने आप क्या सोचेंगे मेरे बारे मेँ जानकर, मुझे अकेलापन बर्दास्त नहीं हो रहा है । इसलिए मैँने आप को आने के लिए रिक्वेस्ट करके बच्चोँ को भेज दिया ।"

फिर मैँने उनका हाथ आपने हाथ में लेकर उसे चूमा तो उसकी आंख बंद हो गयी, सांसेँ तेज चलने लगी । मैँने बोला-
"नीताजी, आप एक विधवा हो, पर ईससे मुझे कोई ऐतराज नहीँ !"

"पर आपको मेरी असलियत के बारे मेँ मालुम........।"

"क्या बके जा रहीँ हैँ आप! भला मुझे और क्या मतलब आपके बारे मेँ जानकर ।" मैँने उनकी मुंह से बात छिनते हुए बोला ।

फिर मैँने उन्हेँ गौर से देखा, उनका बदन इतना सेक्सी था की में बता नहीं सकता । चुचियां बड़े थे और पेट की चमड़ी मुड़ी हुई थी, जिसे देखकर मैँने उनकी बुर की गहराई का अंदाज लगा लिया । मांस से भरी हुयी जांघें साडी में से दिख रही थी । व सफ़ेद ब्लाउज पहनी हुई थी, उसमेँ से दूध का आकार साफ़ दिख रहा था । मैं हाथ चुमते हुए आगे बढ़ा और उनकी गर्दन से होते हुए उनकी होंठो पर आपने होंठ रख दिए । व सिहर उठी और अपनी आंख खोल कर मुझे देखा और झट से मुझसे लिपट गयी । व लम्बी-लम्बी सांसेँ ले रही थी ।

उन्होँने मुझे इतनी ताकत के साथ अपनी बांहों में लिया कि एक समय मेरी भी सांसेँ रुकने लगी । करीब 10 मिनट तक हम दोनों एक दुसरे के होंठ चूस रहे थे । फिर मैँने अपने होंठ उनके होंठो से अलग किये तो व जोर से हांफने लगी, मैँने अपने होंठ उनके गालोँ से रगड़ते हुए उनकी गर्दन पर उनकी कान पर चूमना शुरु कर दिया । व मचल उठी, फिर मैँने एक हाथ से उनके दूध को सहलाना शुरु किया तो उन्होँने एक हाथ मेरी गर्दन के पीछे डाल कर मेरा सर अपने सीने की तरफ खिंच लिया और बिस्तर पर लेट गयी । मैँने ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी दोनों दूध पर आपने होंठ फिराना चालू किया और एक हाथ से उनकी साडी पकड़ कर जांघो तक ऊपर कर दी ।

अब मैँ दूध से होते हुए पेट पर और उनकी नावेल को चूमने लगा, व आंख बंद किये हुए लेटी थी और अपने होंठ चबा रही थी । जोर-जोर से सांसेँ ले रही थी, फिर मैँने अपने होंठ साडी के ऊपर से ही उनकी चिकनी मोटी-मोटी जांघोँ पर लगा दिए और जोर-जोर से रगड़ने लगा । फिर मैँने उनकी जांघो को देखा तो देखता ही रह गया । व सबसे जयादा सेक्सी जांघों के कारण ही लग रही थी । क्या गदराई हुई जांघेँ थी उनकी । मैं तो देख कर मस्त हो गया । मैंने साडी को और ऊपर उठाई तो और हैरान रह गया, ऐसा लगा की उनकी शरीर से सेक्स फट कर बाहर आने को बेताब हो रहा था । उन्होँने ब्लू रंग की पेंटी पहनी हुई थी, मैंने उनकी जांघों को खूब चूसा फिर मैँने उनकी पैँटी के उपर से ही बुर पर जीभ चलाया तो मेरे होश ही उड गए । पैँटी के अंदर क्या है ? बुर है या फिर कुछ और ! फिर जैसे ही मैँने पैँटी के ईलास्टिक को एक और सरका दिया....एक लम्बा-मोटा लंड लहराते हुए बाहर आ गया ! मेरी तो धडकनेँ मानो बंद से हो गए । ये मैँ क्या देख रहा हुं । मैँने उनकी तरफ नजर घुमाई, व मुस्करा रही थी । क्या अजीब नजारा था । महिलाओँ के लंड ! एक बार मैँने इंटरनेट पर देखा था । पर नीता जैसे शादीशुदा औरत व भी दो-दो बच्चोँ की मां भी..... । मेरा पुरा बदन उत्तेजना के मारे कांप रहा था । मेरा लंड एकदम खडा हो गया ।

तभी मैँने पैँटी को उनकी बदन से निकाल दिया, उन्होँने भी गांड उठा कर पैँटी निकालने मेँ साथ दिया । अब दो बडे-बडे अंडकोष भी बाहर आ गया, पुरे लंड और अंडे हल्के झांटोँ से भरे थे । मैं धीरे-धीरे नीताजी की लंड के ऊपर हाथ फिराने लगा और उनकी लंड पर बार-बार हाथ फेर कर उसे सहलाने लगा । मेरा लंड भी उत्तेजना मेँ ऑप-डाउन होने लगा था, बहुत अच्छा लग रहा था मोटे और लम्बे गरम लंड पर हाथ फिराने में । अपनी एक निप्पल को मुंह मेँ लेकर व बोली-
"कैसा लग रहा है राज, मेरी लंड पर हाथ फेरने में?"
मैं उनकी सवाल को सुनकर लंड से हाथ हटाना चाहा तो उन्होँने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी लंड पर दबा दी और बोली-
"तुम हाथ फेरते हो तो बहुत अच्छा लगता है, देखो न, तुम्हारे द्वारा हाथ फेरने से कितनी तन गयी है मेरी लंड । तुम्हेँ हैरानी बहुत हुई होगी न मेरी लंड देख कर ! पर क्या करुं पति के मरने से दो साल पहले ही अचानक मेरी शरीर इस तरह से बदल गयी ।"

"पर आप लोग कुछ किया क्युं नहीँ ?"

"क्या करते, शर्म और बदनामी के डर से हम पति-पत्नी चुप रहे । लंड दिन व दिन बढने लगा । साल भर मेँ ही लंड इतना बडा हो गया फिर मैँने सारी गरमी अपनी लंड पर महसुस करने लगी ।"

"कमाल है ! फिर आपने क्या किया ।"

"एक दिन पति के कहने पर मैँने मुठ मारी तो इतना मजा आया कि पुछो मत और फिर यह मेरी आदत बन गई । उसके बाद मेरी बदन मेँ अजीब सा नशा छाने लगा और मैँ पति की गांड मारनी शुरु कर दी ।"

"क्या !" उनकी बात सुनकर मुझे बडा झटका लगा ।

"हां राज, उसके बाद मुझे लंड से अजीब सा मजा आने लगा था और मैँ किसी भी किमत पर उसे गवांना नहीँ चाहती थी । और अब मैँ इस लंड के साथ ही मरना पसंद करुंगी । अगर तुम नहीँ चाहते तो यहीँ रोक देते हैँ ।"

"नहीँ नीताजी, सच पुछो तो आपकी ये रुप देख कर मुझ पर भी अजीब सा नशा छाने लगा है । क्या आपकी बच्चोँ को ये मालुम है ?"

"नहीँ, उन्हेँ कुछ भी मालुम नहीँ । बहुत अच्छा लगा तुम्हारी बातेँ सुनकर ।" कहने के साथ उन्होँने थोडा सा और आगे बढ़ाया तो उनकी लंड मेरे होंठो के एकदम करीब आ गया । एक बार तो मेरे मन में आया की मैं उनकी लंड को चुम लूं मगर झीझक के कारण मैं उसे चुमने को पहल नहीं कर पा रहा था ।

व मुस्कुरा कर बोली-
"मैं तुम्हारा आंखो में देख रही हुं की तुम्हारे मन में जो है उसे तुम दबाने की कोशिश कर रहे हो । अपनी भावनाओं को मत दबाओ, जो मन में आ रहा है,उसे पूरा कर लो ।"

यह कहने के बाद उन्होँने लंड को थोडा और आगे मेरे होंठो से ही सटा दिया, मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और लंड के सुपाडे को जल्दी से चूम लिया । एक बार चूम लेने के बाद तो मेरे मन की झीझक काफी कम हो गया और मैं बार-बार उनकी लंड को दोनोँ हाथोँ से पकड़ कर सुपाडे को चूमने लगा । एकाएक उन्होँने सिस्कारी लेकर लंड को थोडा सा और आगे बढ़ायी तो मैंने उसे मुंह में लेने के लिये मुंह खोल दिया, और सुपाडा मुंह में लेकर चूसने लगा । इतना मोटा सुपाडा और लंड था की मुंह में लिये रखने में मुझे परेशानी का अनुभव हो रहा था ।

फिर मैं उनकी लंड से चूमते हुए फिर से जांघों पर आया और जांघों से होते हुए पुरे पैरोँ को चूमा । व मुझे अजीब सी निगाहों से देख रही थी । फिर मैं उन्हें आपनी बांहों में लेकर उठा कर खड़ा किया, अब हम बिस्तर पर दोनों खड़े हुए थे । मैँने उन्हें आपने सीने से लगाया और उनकी पीठ पर और गांड पर हाथ फिराने लगा । क्या उभरी हुई चुतड थी ! उनकी चूतड बड़ी-बड़ी और बहुत चौडी थी, उन्हें दबाने में मुझे भी
बहुत मजा आ रहा था । फिर मैंने उनकी साडी खोल दी अब व सफ़ेद ब्लाउज और पेटीकोट में थी । उनकी तो जो हाल थी सो थी, मेरा भी बुरा हाल था ।

मुझे मेरा पसंद का शरीर जो मिल गया था व खड़ी थी, में नीचे बिस्तर पर बैठ गया और पांव से चूमते हुए जांघों पर आ गया । व मेरे सर के बाल पकडे हुए थी , और मैं उनकी लंड के ऊपर तेज़ी से हाथ फिराने लगा । उन्हेँ भी बहुत मजा आ रहा था । व मचल रही थी, अब में उनकी लंड को मुंह मेँ लेकर चुसने लगा था । व बेकाबू हो रही थी और उन्होँने खड़े रहते हुए एक पैर ऊपर उठा कर मेरे कंधो पर रख दी, जिस से अब मैँ उनकी लंड के बिल्कुल नीचे था । मैं भी लगातार उनकी लंड चुसे जा रहा था । फिर उन्होँने पैर नीचे किया और मेरा सर अपनी लंड पर जोर से दबाते हुए आपने दोनों पैर फेलाकर मेरे ऊपर अपना पूरा वजन डाल कर जोर लगाकर मुझे बिस्तर पर लेटने के लिए मजबूर कर दिया । और मेरा मुंह मेँ अभी भी उसकी लंड भरा हुआ था और व ताकत से मेरा सर आपनी लंड पर दबाये हुई थी । अब में बिस्तर पर लेटा हुआ था और व मेरे मुंह के अंदर अपनी लंड रखे हुए बैठी थी ।
अब व जोर-जोर से मेरे मुंह मेँ अपनी लंड अंदर-बाहर करने लगी । व मेरे बाल पकडे हुई थी और जोर-जोर से अपनी भारी गांड हिला रही थी । करीब 6 मिनट तक वैसा करने के बाद व झड गई और मेरे मुंह मेँ ही सारा वीर्य उडेल दी । अब व हांफ रही थी, थोडी देर बाद व कुछ नीचे खिसकी और मेरे सारे कपडे उतार दिए ।

सबसे आखरी में उसने मेरा निक्कर उतारा और मेरा खड़ा लंड देख कर व मदहोश हो गयी । पहले तो उसने मेरे लंड को प्यार से सहलाया और फिर मेरे लंड के आजू बाजू चुमती हुई लम्बी सांस ली और एक दम से मेरा लंड अपनी मुंह में ले लिया । अब व मेरा लंड चुस रही थी, करीब 5 मिनट लंड चुसने के बाद मुझे लगा अब व और चुस ले तो मैं झड जाऊंगा । तब मैंने उसे ऊपर खींच लिया, लेकिन ऊपर आने के बाद भी उसने मेरा लंड नहीं छोड़ा, उनकी उभरी गांड मुझे बुला रहे थे । मैं पैर से फिर चूमते हुए असली जगह पर आ गया फिर अपने दोनों होंठोँ से उसकी चूतडोँ पर प्यार से किस किया और उनकी लंड को सहलाने लगा । मैंने एक गहरी सांस लेते हुए उनकी चुतडोँ को अपने दोनों हाथ में लेकर दबाया और आपने होंठ और गाल चुतडोँ से रगड़ने लगा । एक हाथ से उनकी लंड को मुठियाने लगा । करीब 10 मिनट तक जी भर कर उनकी चुतडोँ और लंड से खेलता रहा । फिर मैं बिल्कुल उनके उपर आ गया और उनके गांड के छेद पर अपना लंड रगड़ने लगा । फिर मैंने उनकी गांड के छेद में अंदर कर दिया । अब में उनके चुतडोँ पर दोनों हाथ रखते हुए धक्के मार रहा था । व भी हिल हिलकर मेरा साथ दे रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था ।

करीब 10 मिनट के बाद मैँने उनके पैर उठा कर अपने कंधे पर रख लिए और जोर-जोर से चुदाई करने लगा, मेरा चोदाई से उन्हेँ भी मजा आ रही थी । व अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह सीईईए सिस्कार रही थी । मैंने उनकी लंड को मुठियाते हुए चोदने लगा और फिर हम दोनोँ एक साथ जबरजस्त पानी छोडा, मेरे मुंह से भी जोर से आवाज़ निकल गया । उन्होंने तुरंत मुझे अपनी सीने पर खींच लिया, हम बहुत हांफ रहे थे ।
हम ऐसे ही आधे घंटे तक एक दुसरे की बांहों में बाहें डाले और मेरा लंड उनकी गांड में, लेटे रहे फिर हम उठे और साथ मेँ बाथरूम हो कर आये । हम दोनों नंगे ही रूम में घूम रहे थे ।
व आ कर बेड पर लेट गयी और अपनी लंड को मसलती हुई बोली-
"शाबाश राज, आप चुदाई करने में तो माहिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट
हो गई ! काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है ।"

"अब क्या विचार है ?" मैंने कहा ।

"अब तुम्हारी बारी है । एक बार और हो जाये, फिर चले जाना, मेरी लंड की खुजली मिटा दो राज ।" अपनी लंड को सहलाते हुए उन्होँने कहा ।

"क्या !" मैँने एकदम झटके खाए । नीता की अगले कार्यक्रम के बारे में सोच कर सिहर उठा ।

और फिर उन्होँने मुझे पलंग पर चोपाया कर दिया और अपनी मुंह मेरी गांड पर झुकायी और गांड के छेद पर जीभ फिराने लगी ।
अब उन्होँने अपनी नेक उंगली मेँ ढेर सारा थूक लगा उसे मेरी गांड मेँ पूरा डाल दिया और अंगुल को गांड के छेद मेँ अंदर-बाहर करने लगी । फिर उन्होँने मुझे बलपूर्वक पलट दिया और मेरी गांड हवा मेँ उठा कर गांड के छेद को जीभ से खोदने लगी । व अब मेरी गांड पर थूक डाल रही थी और अपनी जीभ गांड की छेद पर लगा कर धीरे-धीरे चाटने लगी । गांड पर उनकी जीभ की स्पर्श पा कर मैँ पूरी तरह से हिल उठा ।

उन्होँने पूरी लगान के साथ दोनोँ हाथोँ से मेरी गांड के छेद को फैलयी और अपनी नुकीली जीभ को उसमेँ ठेलने की कोशिश करने लगी । मुझे उनकी इस काम में बडा मस्ती आ रहा था । कुछ देर तक मेरी गांड चाटने के बाद नीता उठ कर खड़ी हो गयी और अपनी लंड को हाथ से सहलाते हुए मुझे पलंग पर सीधा लिटा दी । मैं हैरान था, मेरी छोटी सी गांड के छेद मेँ उनकी विशाल लंड कैसे जाएगा ?

नीता ने ढेर सारे थूक अपनी लंड पर लगा दी और पुरे लंड की मालीश करने लगी और मुस्कुरा कर पलंग से उतरी और अपनी उभरी हुई भारी गांड को लहराती हुई ड्रेसिंग टेबल से वस्सेलीन की शीशी उठा लाई ।
ढक्कन खोल कर ढेर सारा वस्सलिन हाथोँ मेँ ले ली और अपनी लंड की मालीश करने लगी । अब उनकी लंड रोशनी मेँ चमकने लगी । फिर उन्होँने मुझे पलंग पर पेट के बल लिटा कर मेरी गांड हवा मेँ उचका दिए । फिर व झुक कर मेरी गांड को मुंह मेँ भर कर कस कर काट ली । मुझे इसमेँ बड़ा मज़ा आ रहा था । कुछ देर बाद नीताजी भी पलंग पर चढ कर मेरे उठी हुई गांड के उपर खडी हो गयी । फिर दोनों तरफ पैर डाले मेरे गांड पर अपनी लंड पकड कर झुक गयी और लंड को गांड के छेद से रगड़ने लगी ।

नीता ने थोड़ी पीछे होकर लंड को निशाने पर रखा । फिर उन्होँने दोनोँ हाथों से मेरे गांड का छेद को फैला कर धक्का लगायी तो उनकी सुपडा गांड के छेद मेँ चला गया । फिर नीता ने दोबारा धक्का लगाई तो मेरे गांड को चीरती हुई उनकी आधी लंड गांड मेँ दाखिल हो गयी । मैँ ज़ोर से चीख उठा । पर नीताजी ने मेरे चीख पर कोई ध्यान नहीँ दी और अपनी लंड थोड़ी पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगायी । उनकी 9 इंच की लंड मेरे गांड को चीरती हुई पुरी की पुरी अंदर दाखिल हो गयी । नीताजी की आंखे बंद थी और मुह खुली थी, अंदर सांसेँ ले रही थी । फिर नीता ने आगे को झुक कर अपनी चुचीयोँ को मेरे पीठ पर दबा दी और उन्हेँ रगडने लगी । नीताजी की लंड अभी भी पुरा का पुरा मेरे गांड के अंदर था । कुछ देर तक मेरे गांड मे लंड डाले अपनी चूंचीयोँ को मेरी पीठ पर दबाती रही । जब नीता ने कुछ नॉर्मल हुई तो अपनी भारी गांड धीरे-धीरे हिला कर लंड मेरे गांड मेँ अंदर-बाहर करना शुरू कर दी ।

मेरी गांड बहुत ही टाईट था । गांड के कसावट के कारण उन्हेँ चोदने मेँ मजा आ रहा था और अपनी उभरी गांड को जोर-जोर से हिला कर आगे पीछे होने लगी । इसे चोदाई मेँ मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था । अब नीता सिसकारी भरती हुई धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी, उनकी लंड अब पुरी तेज़ी से मेरे गांड मेँ अंदर-बाहर हो रही थी । नीताजी की लंड ऐसे अंदर-बाहर हो रही थी मानो एंजिन का पिस्टन हो । पूरे कमरे मेँ चुदाई का गच-गच की आवाज़ गुंज रही थी । नीता ने बहुत जोर-जोर से धक्के लगा रही थी, बहुत ताकत थी उसमेँ । पागलोँ की तरह मुझे चोद रही थी, मेरे पीठ पर नीताजी के दूध रगड खा रहे थे जिनको मैं लगातार एक हाथ उपर उठा कर मसल रहा था ।

उन्हेँ भी इस चोदाई मेँ बहुत मजा आने लगा था । नीताजी की थिरकती हुई बडे-बडे अंडे मेरे गांड से टकरा रहे थे । अब व पुरे जोश मेँ पुरी तेज़ी से मेरे गांड मेँ लंड अंदर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी । हम दोनोँ पसीने-पसीने हो गये थे पर नीताजी रुकने का नाम नहीँ ले रही थी । जब नीताजी पूरा का पूरा लंड बाहर खीँच कर झटके से मेरे गांड मेँ डालती तो मेरी चीख निकल जाती । उनकी लावा अब निकलने वाली थी तो नीताजी ने मेरे बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मेँ समेट कर अपनी स्तन मेरे पीट पर रगडती हुई दनादन शॉट लगाने लगी । हम दोनोँ की सांस फुल रही थी ।

फिर आचानक नीता ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से अह्ह्ह्ह?? ..हूऊऊऊओ?? हहसी....... हम्मसीई?..म्म्म्माआआ... की आवाज़ निकालने लगी । अब व अपनी दोनोँ हाथ के सहारे थी और अपनी चुचियोँ को मेरे पीठ पर दबाये हुए थी । नीता अब बहुत स्पीड से पागलोँ की तरह आवाज़ निकालते हुए जोर-जोर से धक्का मार कर मुझे चोदे जा रही थी । आचानक नीता ने बहुत जोर से चीखी-अह्ह्हह्ह.?.. म्म्म्म्माआआ?? गूऊऊऊ??.. सीईउससेसेसे.. अह्ह्ह??.. हम्म? हम्म.अह्ह्ह्ह और मेरे पीठ से चिपक कर मेरे गांड मेँ पिचकारी छोड दी और झड गयी । मैँने अपनी गांड मेँ नीताजी की लंड से निकली गर्म वीर्य की तेज धार को महसुस कर रहा था । उसके बाद भी नीता ने अपनी लंड को अंदर तक पेल रखी थी और अपनी उभरी गांड को हवा मेँ उछाल रही थी । नीता ने उसी तरह से मेरे पीठ पर स्तनोँ को दबायी हुई चिपकी रही ।

नीताजी को जबरदस्त ख़ुशी हुयी थी, उन्हेँ पुरा आनद मिल गयी थी । व मेरे पीठ पर लेट गयी, नीता की लंड अभी भी मेरी गांड में थी । मैं प्यार से उनकी मांसल गांड पर हाथ फिराने लगा । करेब 10 मिनट बाद हम उठे नीता बहुत खुश थी, मुझे बहुत चुमे जा रही थी । बहुत प्यार किया, मुझे भी उनपर बहुत प्यार आया खेर फिर हम बाथरूम गए और अपने-अपने लंड साफ किए । बाथरुम से आकर मैंने कपडे पहनके निकलने को तैयार था, नीता अब साडी पहन चुकी थी व मेरे सीने चिपक गयी और मुझे चुमते हुए बोली-
"फिर कब आओगे राज ! मैँ तुम्हारा इंतजार हर पल करुंगी । तुमने तो मुझे जन्नत की सैर करा
दी ! और मुझे क्या चाहिए था ।"

तो मैँने कहा-
"नीताजी, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हैं, आप जब चाहे बुला लेना, मैँ हाजिर हो जाउंगा।" कहते के साथ मैंने नीताजी से जाने की इजाजत मांगी और बाहर आ गया ।

क्रमशः

dimpii4u
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Anonymous
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4 Comments
AnonymousAnonymousover 4 years ago
Very good story

Itna mast kahani Kabhi Nahi suna ye kahani mujhe bahut achha laga aise hi kahani aur banaya Jaye

AnonymousAnonymousover 4 years ago
Wow that's awesome story

Mujhe bhi mil jaye Koi aise lund wali lady

Jisko me santusht karu or woh mujhe santusht Kare

Agar Koi ho or interested ho to contact me

Nine zero four one three one zero three five zero

Par

AnonymousAnonymousalmost 7 years ago

वाह, shemale को रहस्यमई औरत बना के क्या मज़ेदार कहानी बुनी है। अच्छा लिखा है, मज़ा आया।

AnonymousAnonymousover 10 years ago

muahhhhhh maza aaa gaya

hume bhi vo address do na pls.

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