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Click hereहाय दोस्तों कैसे है आप? मै बहेनचोद रविराज आपके पास और एक नई स्टोरी लेकर हाजीर हो गया हू। पिछली बार मुझे
ईतने सारे मेल मिले की मुझे मेरा In-Box 2 बार खाली करना पडा। और मै मेरी दुसरी सच्ची कहानी आपको बताने पर
मजबूर हो गया। आपका ढेर सारा प्यार देखकर मुझे उतनी ही खुशी हो रही है जितनी की मुझे स्वाती दिदी को चोदते वक्त
मिलती है। दोस्तों मै भगवान से यहीं प्रार्थना करूंगा कि मेरे सभी रिडर दोस्तोंको जल्द से जल्द एक अछी सी चुत मिल
जाये। और दोस्तों मुझे भरोसा है जल्द ही आपको भी चुदाई का मौका जरुर मिले।
तो दोस्तों मै अब मेरी असली स्टोरी पर आता हू।मेरा दिदीके साथ चुदाई का कार्यक्रम अछी तरह से चल रहा
था। छुट्टीयोंके दौरान दिदीने मेरी मौसीकी बेटी सुमन को भी मुझसे चुदवाया था।मै बडा ही चोदू बन गया था। जब भी मौका
मिले मै दिदीको किस करता था,उसके मम्मे दबाता था। और थोडासा भी समय मिले तो दिदीकी चुत जरुर मारता था।
ये बात है। 1 जानेवारी 2014 की बिल्कुल ताज़ी। 31 दिसेंबर को मेरी दोनो दिदीया ससुराल से मैके (हमारे घर) आयी थी।
अब तो मेरे दोस्त लोग जानते ही है की मेरी दोनो बहेनों की शादी हो गयी है। और मेरी बडी दिदी नेहा को एक प्यारासा
बच्चा भी हो गया है। 1 जनवरी के दिन सुबह सब लोग एक दुसरे को Happy New Year की बधाईया दे रहे थे।
आज हमारे घर के सब लोग (मम्मी,पापा और मेरा बडा भाई राहूल)छुट्टी पर थे। सुबह मै बेडरुमसे बाहर निकल आया।
स्वाती दिदीने मुझे सबके सामने बडे जोर से चुमा और बोली,"Happy New Year Raj". सेम टु यू। मैने कहा।
सब लोग आज बहुत खुश थे।कोई कुछ ना बोला। और कोई क्युं बोलेगा? हम लोग तो भाई-बहन थे ना। मै दिदीके पिछे
पिछे घर के अंदर चला गया। और मौका मिलते ही दिदीको बोला,"दिदी चलो ना आज नये साल की शुरुवात तुम्हारी चुतसे
करते है।दिदी कुछ भी नही बोली। मै समझ गया की चुदने के लिये दिदी तैय्यार है।शायद उसका भी मन चुदने को कर रहा
हो।क्युकी मेरे दोनों जिजा नही आये थे।घर मे हम दोनोंके सिवा और कोई नही था। मैने स्वाती दिदी की टांगों पर हाथ
फेरना शुरू कर दिया।दिदी कुछ ना बोली।दिदी ने धिरेसे एक सिस्कारी ले ली। मै समझ गया, की दिदी मुड मे है।फ़िर
मैने स्वाती दिदी के स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसके मम्मे मसलने लगा! मैने एहसास किया कि स्वाती दिदी के मम्मे
अब पहेलेसे दुगने बडे और जाम हो गये थे। दिदीका एक मम्मा मेरे हाथ मे नही बैठ रहा था। दिदी की मुह से सिस्कारीया
निकल रही थी। मैने मेरा काम चालू रखा। दिदि आंखे बंड करके खडी थी। मोके का फ़ायदा ऊठाते हूये मैने मेरा लंड
स्वाती दिदी के नाजुक हातो मे पकडा दिया । आखे बंद हि रखते हुये दिदी मेरे लंड को धिरे-धिरे सहलाने लगी। घर के
सब लोग बाहर जैसे की वाचमन बन बैठे थे। अंदर क्या चल रहा है ईसका उन्हे अंदाजा भी नही था।हम दोनो भाई-बहन
अंदर चुदाई का मजा ले रहे थे। मैने कहा,"दिदी अब जादा मत तरसाओ जल्दी से अपने कपडे उतरो और तैय्यार हो जाओ,
मेरी प्यास जल्दी बुझा दो।" "नही मेरे राजा, सब लोग बाहर बैठे है, किसी भी वक्त कोई भी अंदर आ सकता है। और हमारा
सब खेल बिगड सकता है। हमे सब्र करना पडेगा।" दिदी बोली। मैने कहा,"नही दिदी अब मै रुकने को तैय्यार नहि हू। चाहे
कुछ भी हो जाये मुझे तुम्हारी चुत अभी मारनी है। मै कुछ भी सुनने के मुड्मे नही हू। चलो तुम बिछाने मे घुसो हम
बिस्तर मे मजे करेंगे। अगर कोई अंदर भी आ गया तो तुम सरदर्द का बहाना बना लेना।" दिदी कुछ ना बोली। थोडि
देर मे दिदीने कहा, राज हम लोग खुब मजेसे खुले आम चुदाई कर सकते है। मै उछ्ल पडा।कैसे दिदी? मैने पुछा। तो
स्वाती दिदी बोली मेरे पास एक बढीया तरीका है। मैने कहा,"बता दो ना दिदी।" स्वातीदिदी बोली,"आज 1 जनवरी है ना!
मै मा से बोलती हू की हम दोनो दादाजी की समाधी पर नारियल तोडने जा रहे है। जैसा कि हम हर साल जाते है। और
उधर ही मजे करते है। हम खुले आम जन्नत की सैर करेंगे। तो तू सोच हमे कोई रोकेगा क्या?" "क्या कमाल का
दिमाग है मेरी दिदीके पास!", मैने कहा।
और स्वातीदिदी ने मा को नारियलवाली बात बता दी। और मा ने भी खुशीसे हामी भर ली। अब मा की
संम्मती मिलने के बाद किसिके रोकने का तो चान्स ही नही था। फ़िर मै और स्वातीदिदी पुजा का सामन लेके
दादाजी के समाधी की ओर निकल पडे।घरसे लग-भग 20 मिनिट की दुरीपर हामारे खेत मे दादाजी की समाधी थी। हम
धिरे-धिरे चल रहे थे। रस्ते मे हम ढेर सारी बाते करते जा रहे थे। मैने पुछा," दिदी शादीके बाद क्या तुमने कभी
जिजाजी के सिवा किसी और से भी चुदवा लिया है क्या?" तो दिदी बोली,"क्यु पुछ रहा है?" बता दो ना दिदी प्लिज।
मैने कहा। दिदी बोली," पहेले तु बता, तुने कितनी लडकीया चोदी?" मैने कहा," नही दिदी,मै सिर्फ़ सुमन की चुदाई करता
हू, और वैसे भी तुम्हारी चुत जैसी चुत मुझे थोडी ही मिलने वाली है।" "ऐसा क्या है मेरी चुत मे?" दिदीने पुछा। मैने
कहा,"दिदी आपकी चुत मे जो मजा है वो शायद ही किसी की चुत मे हो!" "चुप बैठ मुझे फ़्लर्ट कर रहा है क्या?",दिदी बोली।
"नही दिदी, मै सच बोल रहा हू तुम्हारे चुत जैसा मजा नेहा दिदी की चुत मे भी नही है।"मैने कहा। "चुप हो जा झुठे!
जब नेहा की चुदाई करता है तो कितनी लार टपकाता है मुझे पता नही है क्या?"दिदी बोली। और जब तु नेहा के सुसुराल मे
जा कर उसकी चुत मरता है तब तुझे मजा नही आता क्या? मुझे नेहा ने सब बता दिया है। उससे भी तु ऐसी ही चिकनी
चुपडी बाते करके चोदता रहता है।" नही दिदी अब मेरे लंड को हर रात एक चुत की जरुरत है। नही तो मै सो नहि पाता हू।
तो दिदी बोली, मै मा से तुम्हारी शादी की बात करू क्या?" मै झेप गया। हम झाडीयोंसे जा रहे थे,और मै आगे कुच बात
करनेवाला था तभी सामने से एक खर्गोश का बच्चा भाग गया। एकदम से आवाज आ गयी तो दिदी डर गयी। और उसी
झाडी मे मेरी गले लग गयी। मैने भी मोके का फ़ायदा ऊठाते हुये झट से दिदी को पकडा और चुम लिया। राज थोडा सब्र
भी करो ना। सब कुछ तुम्हे मिलने वाला ही है ना। दिदी बोली। मै चुप हो गया। और मै दिदीका हाथ पकडकर चलने लगा।
थोडी दुर चलने पर हमारे पडोसमे रहनेवाला चंदर सामने से आ गया। और ठीक सामने आते ही बोला,"वाव क्या माल बन
गया है रे, जानेमन किस चक्की का आटा खा रही हो जरा हमे भी चखा दो।क्या BOL बनाये है। क्या Figar बन गया
है। बहुत दिन हो गये तुम्हारी चुत के दर्शन करके।"आज जरा दर्शन तो कराओ। मुझे बहुत गुस्सा आ गया था। मै कुछ
बोलता लेकीन दिदीने मुझे चुप रहेने को कहा। और हम कुछ बोलने से पहेले ही वो बोल पडा,"और एक बात आजकल तु
रवीसे भी चुदवा रही है।मुझे किसिसे पता चल गया है। क्या लाजवाब तरिका निकाला है।चुत की खुजली मिटाने का!!!
जानेमन तुम्हारी जवानी का रस पिकर बहुत दिन हो गये है। आज थोडासा और मिले तो तुम्हारी सेहत के लिये अछा
रहेगा।" स्वाती दिदी कूछ ना बोल रही थी,बस वो मेरी तरफ़ देखने लगी।मेरी समझ मे थोडा-थोडा मामला आ रहा था।
मै समझ गया की कभी-ना कभी तो दिदीने चंदरसे चुदवा लिया है। चंदर ने देखा की दिदी मेरी तरफ़ देख रही थी। फ़िर
चंदर बोला," रवी की तरफ़ क्या देख रही हो? जब मुझे कुछ प्रोब्लेम नही है तो ईसे भला क्या प्रोब्लेम हो सकती है?
अब तो तुम दिन रात रवीसे चुदोगी ना? और मै किसी को क्युं बता दुंगा की तुम्हे मैने तुम्हारे भाई के सामने चोदा
है!और रवी भी ये बात किसीको नही बतायेगा। फ़िर वो मुझसे बोला,"क्यु मै ठिक बोल रहा हू ना?" मै चुप रहा। और
दिदी के जवाब का ईंतजार करने लगा। स्वातीदिदी भी कुछ नही बोल रही थी। चंदर समझ गया की स्वाती चुदने के लिये
बिल्कुल राजी है। फ़िर उसने दिदी का हाथ पकड लिया, और हाथ को kiss किया। दिदी कुछ ना बोली। चंदर ने
दिदी के कमर को पकडा और उसकी मुह मे मुह डाल के लंबा सा किस लिया। अब स्वाती दिदी ने भी चंदर को कस
के पकडा और वो भी चंदर को किस करने लगी।उसका साथ देने लगी। फ़िर चंदर स्वाती दिदी को झाडीयों के पिछे ले
जाने लगा,जैसे की अब उन दोनोंको मेरी कुछ जरुरत ही नही थी।लेकीन मै स्वाती दिदीके पिछे-पिछे चलने लगा। थोडी
देर चलने के बाद चंदर का खेत था। उसके खेत मे एक छोटासा मकान बनाया हुआ था। चंदर हमे उस मकान मे ले
गया। मकान मे एक चारपाई रखी थी। अंदर जाते ही दिदी उस चारपाई पर बैठ गयी। मेरी तो कुछ भी समझ मे नही
आ रहा था। क्या करे-क्या ना करे? यहापर भी चंदर ने पहल कर दी। उसने दिदीके कपडोंके उपरसे ही दिदी के मम्मे
दबाने शुरू कर दिये। मम्मे दबाते दबाते वो बोला तो जानेमन कहा जा रही थी। "हम दादाजी की समाधी पर नारियल
तोडने जा रहे थे।",दिदीने जवाब दिया।आज के दिन स्वाती दिदीने Top और स्कर्ट पहना हुआ था। चंदरने दिदीके
मम्मे दबाते दबाते दिदीका Top निकाल दिया। स्वाती दिदीने अंदरसे ब्रा नही पहनी थी। Top निकालते ही दिदीके
दोनो मम्मे बाहर आ गये। क्या मस्त नजारा था।क्या बताउं दोस्तों मैने जब दिदीके खुले हुये मम्मे देखे तो मै पागल
हो गया। और झटसे मैने स्वाती दिदी का मम्मा पकड लिया और उसे मसलना शुरू किया। और दुसरा मम्मा मुह
मे लेने की कोशिश करने लगा। मेरा पागलपन देखकर चंदर बोला,"आरे भाई जरा सब्र कर ना सब माल तेरेही घर का
है। मै क्या ईसे अपने साथ ले जा रहा हू। एक बार जि भर के चोदने दे तु भी मजे ले,और मुझे क्या मालूम नही है
क्या वैसे भी तुम लोग बिना चुदाई के तो घर जाने वाले नही थे। बराबर बोल रहा हू ना? मै और दिदी कुछ ना बोल
सके। फ़िर चंदर बोला रवी तू बहूत गरम हो गया है पहला नंबर तेरा है, चल शुरू हो जा। फ़िर मै स्वाती दिदी के चुत
पर उंगलीया फ़िराने लगा। और चंदर स्वातीदिदी के मम्मे सहलने लगा। स्वाती दिदी मस्त हो गयी थी उसकी मुह से
मादक सिस्कारीया निकल रही थी। दिदी निचेसे गांड हिला-हिला कर हमारा साथ दे रही थी,और हम दोनो(मै और चंदर)
स्वाती दिदी का बदन नोच रहे थे,खरोच रहे थे।चंदर स्वाती दिदी का एक मम्मा मुह मे लेकर जोर से चबा रहा था।
और दुसरा मम्मा दुसरे हाथ से मसल रहा था। मेरा लंड एक्दम 90 डिग्री मे खडा हो गया था। मैने अपना लंड दिदीके
हाथ मे दिया। स्वाती दिदी मस्त मजेसे मेरे लंड के साथ खेलने लगी। फ़िर चंदर ने अपना लंड दिदी के मुह पर फ़ेरना
शुरू कर दिया।दिदी को भी बहुत मजा आ रहा था।दिदी ने एक हाथ मे मेरा लंड पकडा और दुसरे हाथ मे चंदर का लंड
पकड लिया, और दोनोंके साथ बडे प्यार से खेलने लगी। मै बहुत गरम हो चुका था। मैने अपना लंड दिदीके हाथ से
छूडवाया और दिदीके चुत की सैर करने के लिये तय्यार हो गया। मैने दिदी के पुरे कपडे उतार दिये। उसे पुरी तरह से
नंगी कर दिया। फ़िर मैने दिदी को चारपाई पर लेटने को कहा। दिदी भी मजा लेना चाहती थी। ईसलिये वो चुपचाप
लेट गयी। मैने मेरा लंड दिदी की चुत मे डाल दिया। और अंदर-बाहर करने लगा। दिदी चंदर के लंड के साथ खेल
रही थी। उसके लंड का सुपाडा निचे उपर कर रही थी। क्या मजा था यार दिदी के दो टांगोंके बिच मे। मै दिदी के
चुत के साथ कब्ब्डी का खेल खेलने लगा।दिदी की चुत गिली और चिप चिपीसी हो गियी थी, उसमेसे सफ़ेदसा पानी
निकल रहा था। अब दिदी बहुत जोश मे आ गयी थी। वो चंदर के लंड को पकडकर निचे चुत कि तरफ़ ढकेलने लगी।
चंदर निचे कि तरफ़ आके मेरी बाजू मे खडा हो गया। और मेरा चुदाई का खेल खतम होने का इंतजार करने लगा।
मगर स्वाती दिदी के दिमाग मे कुछ और ही चल रहा था। दिदी ने मुझे रोक लिया और वो उठकर चारपाई पर अपनी
दोनो टांगे खोलकर बैठ गयी। और मुझे गेम चालू करने को कहा। मै फ़िर से दिदी की चुत पर टुट पडा। चंदर हम दोनों
भाई-बहन की चुदाई देख रहा था। और मजे ले रहा था। मुझे दिदी ने थोडासा बाजू को हटाया और चंदर के लंड को
हाथ मे पकडकर दुसरी साईड से अपनी चुत मे उसका भी लंड लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन हम दोनोंके लंड एक
हि टाईम मे दिदी की चुत मे प्रवेश नही कर पा रहे थे।मैने भी थोडीसी कोशिश करके देख ली पर बेकार्। कुछ ना हो
सका! फ़िर चंदर चारपाई पर लेट गया और उसने अपने लंड पर दिदी को बैठने को कहा। आगे क्या करना है शायद
दिदी की समझ मे आ गया। स्वाती दिदी अपनी टांगे खोलके चंदर के लंड पर बैठ गयी, बैठते समय उसने चंदर का लंड
अपनी चुत के अंदर घुसा लिया था। अब चंदर ने अपने घुटने चारपाई के निचे झुका लिये। फ़िर क्या था, मुझे
क्या करना है ये बताने की तो जरुरत ही नही थी।मै निचे खडा हो कर अपना लंड दिदी के चुत के मुह पर लगाया।
और धिरे-धिरे अंदर धकेलने लगा। स्वाती दिदी की चुत मे पहेले से ही चंदर का लंड था, और दुसरा मै घुसा रहा
था। दिदी की चुत का मुह धिरे धिरे बडा हो रहा था। शायद दिदी को दर्द हो रहा था। वो अब दर्द से चिल्ला रही
थी। चंदर दिदी कि चुत मे लंद डालके चुपचाप लेटा था, मगर मै बहेन-चोद दिदीके दर्द की पर्वा ना करते हुये अपना
लंड धिरे-धिरे अंदर-बाहर हिलाने लगा। दिदी कि चुत तो पहले से हि गिली थी, इसलिये मुझे कुछ तकलिफ़ नही
हो रही थी।थोडी देर बाद चंदर भी अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा। अब दिदी को मजा आ रहा था। स्वाती दिदी
की चुत पहेले से ही टाईट थी, और अब तो दो लंड अंदर लेने की वजह से और टाईट हो चुकी थी। ऐसी
पोजीशन मे मै दिदी को जादा देर न ठोक सका और मेरा विर्य पतन हो गया। मेरा लंड धिरे धिरे छोटा होने लगा।
फ़िर भी दिदी मुझे मेरा लंड बाहर नही निकालने दे रही थी। मैने वैसे ही अपना लंड बाहर निकाला, तो दिदी ने
मुझे पकड लिया। और मेरे लंड को सहलाने लगी। चंदर ने मुझे गला हुया देखकर अपना अंगल बदल दिया।
उसने स्वाती दिदी को निचे उतारा और वो चारपाई के निचे आके खडा हो गया। उसने दिदीको घोडी बनाया
और चंदर अब दिदी को पिछेसे कुत्ते कि तरह चोदने लगा। दिदिने आज दो लौडोंका मजा लुटा था। इस
बिच मे वो दो या तिन बार झड चुकी थी। उसकी चुत की खुजली को हम दोनोंने मिटाया था। और दिदी अब
बहुत थंडी पड गयी थी। और अगले आठ दिन तक स्वाती दिदी किसीका लंड लेने की हालत मे नही थी।
दिदी को चंदर ने जम के चोदा था। और मैने भी दिदी के सारे शरिर को खुब नोचा था,खुब खरोचा था। हम सब
का पानी गल गया था। हमारे नल खाली हो चुके थे। ईसके साथ ही दिदी के दोनों दुध के मटके खाली हो चुके थे।
मै कपडे पहनने के लिये निचे झुक गया, और कपडे उठाने लगा। मैने दिदी के भी कपडे उठाये और दिदीको
कपडे देने लगा, ईतने मे कपडे के नजदिक रखा हुआ नारियल दिदिके स्कर्ट को लटक गया था। वो नारियल
देखकर मुझे एक आयडीया सुझ गयी। मैने चंदर से कहा, "मै बहुत थक चुका हु, मै थोडी देर आराम करना
चाहता हू, अगर तुम्हारी ईजाजत हो तो।" चंदर बोला, "क्यू शर्मिंदा कर रहे हो? तुमने मुझे जन्नत कि सैर
करा दी और क्या मै तुम्हारे लिये इतना भी नही कर सकता? मै अब घर जा रहा हू, तुम यहा पर आराम कर
सकते हो।और मुझे भेज कर और मजे लेना चाहते हो तो वो भी कर सकते हो।यहा पर कोई नही आयेगा। तुम
लोग बिल्कुल सुरक्शित हो।" मैने कहा, नही यार अब चुदाई का मुड नही है। बस थोडी देर आराम करेंगे और
चले जायेंगे, और वैसे भी दिदी बहुत थक चुकी है।" चंदर ने ठिक है कहा और वो अपने घर चला गया। चंदर
के जाने के बाद दिदी बोली,"क्यू अब क्या इरादा है?" मैने कहा,"तुम्हे पता नही है क्या?" "नही" दिदी ने कहा।
"दिदी तुमने एक नया तरिका मुझे दिखाया है अब मै तुम्हे एक नया तरीका दिखाता हू।" मने कहा। हाय राम,
तु मुझे और एक बार चोदना चाहता है?" दिदी बोली। प्लिज दिदी ना मत करो। लेकिन दिदी नही मान रही थी।
स्वाती दिदि अभी तक नंगी ही बैठी थी। और उसके कपडे मेरे पास थे। मैने मेरे पास जो नारियाल था वो तोड
दिया। और नारियल का पुरा पाणी दिदी की चुत और मम्मे पर डाल दिया। नारियल के पानी से दिदी की चुत
गिली हो गयी। फ़िर मै चारपाई के निचे (बाजू मे) बैठ गया,और स्वाती दिदी की चुत पर मेरी जिभ फ़िराने लगा।
नारियल का स्वाद और दिदी के चुत का स्वाद एकदम मस्त लग रहा था। दिदि बोली,"राज आज तक मैने ना
जाने कितने लोगोंसे चुदवाया है लेकिन सच बताउ, तुम्हारी बराबरी कोई भी नही कर सकता!!
"क्यु दिदी?" मैने पुछा। तो दिदी बोली आज तक किसी ने मेरी चुत को नही चाटा, ना ही मेरी
चुत को जिभ लगायी। मुझे बहुत आछा लग रहा है।फ़िर हम 69 कि पोजिशन मे हो गये और मैने मेरा लंड
धिरे से दिदी के मुह पर रख दिया। दिदी उसे चुमने लगी। मैने कहा,"दिदी पुरा मुह मे लो ना!!!!" दिदी बोली
"मैने आज तक किसीका भी लंड मुह मे नही लिया। और तुझे भी बताती हू लंड की जगह मुह मे नही सिर्फ़
और सिर्फ़ चुत मे होती है।तुम भी ईसे मेरी चुत मे डालो और खुब मजे ले लो। फ़िर मै दिदी के मम्मे मसलने
लगा। दिदी अब बहुत गरम हो गयी थी। उसने मेरा लंड हाथ मे पकडा और अपने चुत के मुह पर लगा डाला
फ़िर क्या हुआ बताने की जरुरत है क्या??? मैने दिदी कि जमके चुदाई की। हमारा राऊंड खतम हो जाने पर
दिदी बोली, "राज तुझे आज रात नेहा को भी चोदना पडेगा।" "क्यु दिदी?" मैने पुछा।तो स्वाती दिदी बोली,
"नेहा कि चुत आज सुबह्से ही पानी छोड रही है।" "ठिक है दिदी जैसा तुम ठिक समझो।" मैने कहा।
और दोस्तों मैने फ़िर उस रात मेरे दोनों बहनों कि चुत का पानी निकाला। कैसे निकाला, ये
मै आपको मेरी अगली कहानी मे जरुर बता दुंगा। क्युंकी ये कहानी बहूत लंबी होती जा रही है।
तो दोस्तों आपको ये मेरी असली कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करना मत भुलना… मै फ़िर हाजीर हो जाऊंगा
एक नई कहानी ले कर। मेरी जिंदगी कि सच्ची कहानी।
मेरा E-Mail ID :- damruwala01@gmail.com ये है।मुझे ईंतजार रहेगा आपके mel का।