असली आनंद जीजाजी ने दिया

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जीजाजी के मोटे लंड का स्वाद अच्छा है|
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raviram69
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12/01/2015 असली आनंद जीजाजी ने दिया
प्रेषक : रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories

मेरा परिचय
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दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, दोस्त मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं। मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है। जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े या किसी गधे का लंड हो । जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है । आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है।


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
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मैं ज़ोर से चिल्लाई, दीदी बचा। जीजाजी ने मुझे मार दिया । मुझे अब नहीं चाहिए। मैं चिल्लाती रही मगर उन्होंने एक भी नही सुनी। वे और ज़ोर से ठेलते गाये। मेरी आँख से आँसू आते देख उन्होंने अपना लंड निकाल लिया तब जाकर मुझे राहत हुई। अब उन्होंने मुझे चित कर दिया। अपने लंड के सुपाड़ा उघार कर मेरे बुर पर रख दिया।
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Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी और छोटी भी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Story : कहानी:
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बेटी को धन की सुख देने के लिए मेरी बाप ने मेरी शादी एक 50 बरस के मर्द के साथ कर दी. मेरे पति की मुझसे उनकी दूसरी शादी थी. पहली की मौत हो चुकी थी. उनका एक लड़की थी जिसकी शादी हो चुकी थी. शादी के पहले मुझे उनके और परिवार के बारे मे अधिक जानकारी नही थी.

सुहाग रात मे मैं उनको देखकर हैरान रह गई. वे देखने मे ही बहुत कमज़ोर दिख रहे थे. मेरी उमर उस समय सिर्फ़ 19 बरस थी. वे आते ही दरवाज़ा बंद कर लिए और मेरी बगल मे बैठ गए. वे मुझे पकड़ कर चूमा लेने लगे. कुछ् इधर उधर के बाते करने के बाद वे मेरी ब्लाउज खोल दिए. मैं ब्रा पहन रखी थी. कुछ देर उपर से ही सहालाने के बाद ब्रा भी खोल दिए. उसके बाद मेरी चुची को चूसने लगे. मुझे अब अच्छा लगने लगा था.

मैने धीरे से अपनी हाथ उनके लंड तरफ़ बढ़ाया. अभी तक कुछ भी नही हुआ था. वे अपने कपड़े खोल दिए और सहालाने के लिए बोलने लगे. मैने भी कुछ देर तक हाथ से सहलाती रही. खड़ा नही होने पर मुख मे खाने के लिए कहने लगे. क़रीब 10 मिनट के बाद भी जब नही खड़ा हो पाया तो मैं निराश हो गई. उनके लंड मे नाम मात्र का ही कडापन आया था. अब वे मेरी साडी खोल दिए और अपने मुरझाए हुए लंड से मेरी बुर रगड़ने लगे.

मैं तो उनके लंड के तैयार होने का इंतज़ार कर री थी. वे मेरी बुर को अब जीभ से चूसने लगे. अभी भी उनका लंड बहुत नरम था. मैं मन ही मन अपने को कोसती रही और बाप को शराप्ती रही. वे मेरी बुर चूसने मे और मैं उनका लंड चूसने मे मशगुल थी. मुझे अब सह पाना मुश्किल था. जैसा था वैसा ही मैंने उनको चोदने के लिए कहने लगी. वे अपना नरम नरम लंड मेरी गरम गरम बुर मे प्रवेश करने लगे .मगर प्रवेश करने से पहले ही वे गिर गाये.मैं तड़पती रह गई . मैं सोचने लगी कि पहले रात के चलते ऐसे होगया. मैं चुप चाप रह गई.

दूसरी रात भी मैंने बहुत कोशिश की मगर सब बेकार गया. इसी तरह महीनो बीत गाये. मैं जब भी बिस्तर पर तडपती रही. मेरी बड़ी बहन जीजाजी के साथ तबादला होकर उसी शाहर मे आ गयी. एक दिन मेरी बहन मुझसे मिलने मेरी घर पर आ गई. वे मेरा हाल ख़बर पूछने लगी. मैं चुप हो गई. जब वे ज़िद करने लगी तो मुझे सबकुझ बताना ही पड़ा. वे निराश हो गई और कुछ सोचने लगी. मैंने पूछने लगी तुम कैसी हो. जीजाजी कैसे हैं. वे कह रही थी की तुम्हारे जीजाजी तो बहुत तगडे है. वे मुझे बहुत मज्जे देते हैं. मान ही मान मैं इर्ष्या करने लगी .वे बोलने लगी की मैं कल तक कुछ सोचती हू. कल 12 बजे मेरी घर आ जाना. वही पैर बैठ कर बाते करेंगे. मुझे कुछ आशा दिखाई देने लगी.

सुबह होते ही मैं जल्दी जल्दी काम निपटा कर तैयार हो गाई. ठीक १२ बजे मैं दीदी के घर पहौच गई. वे मुझे देख कर मुस्कुराने लगी. वे मुझे अपने बेड रूम मे ले गई .दीदी अपने रूम मे टीवी चला रही थी. वे बोलने लगी की तुम कुछ देर तक वीडियो देखो मैं काम निपटा कर आती हूँ. एक सीडी वही पर रखा हुआ था जिसपर लिखा हुआ था हम दोनो. मैंने उसी सीडी को लगा कर देखने लगी. सीडी देखते ही मैं घबरा गई और दरवाज़े की तरफ़ देखी. दीदी बाथरूम मे थी. मुझे और अधिक देखने का इच्छा जागृत होगई. इस सीडी मे तो जीजाजी और दीदी का रंगीन खेल भरा हुआ था. जीजाजी का लंड तो देखते ही बनता था. लग रहा था की दीदी बहुत रोएगी .मगर वा तो मज़े ले रही थी. मैं सोचने लगी काश मुझे कोई ऐसे चोदने वाला मिलता.

उसी समय दीदी अंदर आगई और कहने लगी तुम को यह कैसा लग रहा है. मैंने सीडी बंद करदी. उसी समय जीजाजी भी आगये. मुझे देखते ही वे मुस्कुरा दिए. दीदी कहने लगी अरे साली तरफ़ भी तो देखो. वह बेचारी शादी होने के बाद भी कुँवारी है. दीदी कहने लगी आज तुम्हारे जीजाजी को तुम्हारे लिए ही मैंने बुलाया है . कल तुमसे मिलने के बाद मैने इनको सब कुछ बता दिया था. दीदी कहने लगी अब तुम लोग अपना काम करो मैं बाहर देखती हूँ. जीजाजी कह रहे थे तुम तो बहुत सेक्सी लगती हो. तुम्हारे स्तन तो काफ़ी बड़े है और वे दीदी के जाने के बाद बिना रूम बंद किए ही मेरी स्तन दबाने लगे.वह कह रहे थे की जब तुम्हारे दीदी ही है तो उससे छिपाना क्या. ऐसे तो साली तो आधी घर वाली होती ही हैं. लेकिन मैं तुम्हारे इच्छा के बिपरीत कुछ नही करूँगा.

मैं चुप चाप थी. मैं सोचने लगी की कही वे चले ना जाए. इससे अच्छा मौक़ा अब नही आने वाला मैं मुसकुराने लगी.जीजाजी समझ गए की मैं सहमत हू. वे अब मेरा ब्लोउज और ब्रा खोल दिए . मेरे चुचि को मसलने लगे . मैं भी अब सहयोग करने लगी थी. जीजाजी के लॅंड का उभार अब पैंट पैर दिखाई देने लगा था. मैंने उनका पैंट पैर हाथ डाला तो वे पैंट खोल दिए. अब उनका लॅंड बाहर निकल चुका था. मैं अपने हाथ से उनके लॅंड को सहालाने लगी. अपने पति का लॅंड से जीजाजी का लॅंड को तुलना कर रही थी. मन ही मन मैं सोचने लगी की मेरी दीदी कितनी लॅकी है की उसे ऐसे लॅंड वाला पति मिला है. कुच्छ देर तक मैं उनके लॅंड को देखती रही. इतने मे जीजा जी कहने लगे कैसा है मेरा हथियार. तुम्हारे पति का कैसा हैं. मैं कहने लगी, जीजाजी उनका तो खडा ही नही होता हैं. मैं महीनो से तरप रही हू. आपका लॅंड तो काफ़ी मोटा और बड़ा है. दीदी को तो बहुत दुखता होगा. उसी समय दीदी आगई. बोलने लगी अरे केवल देखते ही रहोगी.

मैं बोलने लगी दीदी इनका तो बहुत मोटा है, मैं नही सह पाऊँगी. दीदी कहने लगी हा, मोटा तो है लेकिन सहना ही पड़ेगा. पहली बार मुझे भी बहुत दर्द हुआ था. लेकिन अब तो मजा आता है. जीजाजी को दीदी कहने लग बेचारी तुम्हारा घोड़ लॅंड देख कर डर गई है. मेरे बहन को मत रूलाना. बेचारी अभी तक तो कुँवारी जैसे ही तो है.इतन कह कर वा फिर चली गई. जीजाजी अब मेरी साड़ी और पेटी कोट भी खोल दिए .वे मेरे बुर को चटने लगे. मुझे बेड पैर सूता दिए और अपना लॅंड मेरे बुर मे डाल कर चूसने के लिए कहने लगे. वे मेर उपर चढ़े हुये थे . अपनी जीभ से मेरी टिट चाट रहे थे. मुझे काफ़ी मजा आरहा था. मैंने भी दोनो हाथो से उनका सिर पाकर कर दबाने लगा. ज़ोर ज़ोर से लॅंड चूसने के लिए कह रहे थे. उनका लॅंड का स्वाद लेने मे मुझे भी मजा आरहा था.

इतने ही मे अपना पूरा लॅंड मुख मे अंदर तक धकेलने लगे. मुझे तो पहली बार इतना तगड़ा लॅंड मिला था. मैं मज़े से उनका लॅंड चुस रही थी और जीजाजी मेरे बुर चुस रहे थे. उसी समय मुख मे गरम गरम और नमकीन टेस्ट आने लगा. वे और ज़ोर से लॅंड अंदर किए. मुझे तो मजे का स्वाद आरहा था. कुछ देर तक और चूसती रही. वे बाहर लिए और बाथरूम मे चले गए. बाथ रूम से आने के बाद वे फिर मुझसे अपना लॅंड सहलवाने लगे. क़रीब ५ मिनट के बाद वे फिर तैयार होगए. जीजा जी का लॅंड फिर से पहले जैसे ही कठोर और मोटा होचुका था. इस बार वे मुझे पट सूता दिए. मेरे गाड़ मे थोडा थूक लगाए और एक अंगुली घुसा कर बाहर भीतर करने लगे. मैंने कहने लगी जीजाजी इसमे भी करोगे क्या. इसमे तो नही सहा जायगा. आज बुर मे ही कर लो. फिर कभी इसमे. जीजाजी नही माने और कहने लगे गाड़ लिए बिना मैं तुम्हारा बुर नही लूंगा. अगर मेरा शर्त मंज़ूर है तो बोलो नही तो छोड़ देता हूँ. मुझे तो आज चुदाई का भरपूर मजा लेना था. मैं चुप रही. मैं मुसकूरा दी और कहने लगी आप बहुत बदमश हो, आज मैं सब कुछ सहने को तैयार हूँ.

जीजाजी मेरे गांड़ पर अपना लंड रख लिया। अपने लंड में थोडा सरसों का तेल लगाया और मेरे बुर में भी थोड़ा डाला। वे गांड़ को एकदम लूज छोड़ देने को बोले। ऐसा लग रहा था कि वे बड़े चुदक्कड हैं। मैं तो आज सब कुछ सहने को तैयार थी। वे कहने लगे कि मैं धीरे से अंदर करूँगा, अधिक दुखे तो बोल देना। मैंने भी हाँ कह दी। दीदी फिर रूम में आ गई। वे मेरे गांड़ के उपर कुछ उनको देख कर कहने लगी, अरे तुम बहुत शैतान हो। उनको पहले गांड़ ही चाहिए। ये मेरे साथ भी ऐसा ही करते हैं।पहली बार तो थोडा दुखा था मगर उसके बाद तो मजा आने लगा है। आज तो तुम्हें सब कुछ सहना पड़ेगा। दीदी कह रही थी कि प्यार में तो सब कुछ चलता है। दीदी जीजाजी को कुछ इशारा करके रूम से फिर बाहर निकल गई। इस बार वह दरवाज़ा बाहर से बंद कर दी।

मैं तो थोडा डर गई। जीजाजी ने दीदी के जाते ही एकदम ज़ोर से धक्का लगा दिया। मैंने एक हाथ से उनका लंड पकड़ना चाहा मगर वे तो अपना पूरा लंड डाल चुके थे। मैं ज़ोर से चिल्लाई, दीदी बचा। जीजाजी ने मुझे मार दिया । मुझे अब नहीं चाहिए। मैं चिल्लाती रही मगर उन्होंने एक भी नही सुनी। वे और ज़ोर से ठेलते गाये। मेरी आँख से आँसू आते देख उन्होंने अपना लंड निकाल लिया तब जाकर मुझे राहत हुई। अब उन्होंने मुझे चित कर दिया। अपने लंड के सुपाड़ा उघार कर मेरे बुर पर रख दिया। मेरी दोनो चूचियां पकड़ कर चूसने लगे। अपने लंड के सुपाड़े से मेरे टिट को रगड़ रहे थे।

वे पक्के खिलाड़ी लग रहे थे मैंने उनकी कमर पकड़ ली। मुझे उनका पूरा लंड चाहिए था। मैं जीजाजी को अंदर ठेलने का ज़िद करने लगी मगर उन्हें अब कोई जल्दी नहीं लग रही थी। वे उठ कर फिर बाथरूम में चले गए, इस बार मुझे भी लेते गए। जीजाजी मेरी बुर में साबुन लगा कर अपने से धो दिए। तब मैंने भी उनका लंड धो दिया। अब हम दोनो फिर बेड पर आ गए। इस बार वे मेरे दोनो टांगो के बीच में बैठ गये। मेरे दोनो टाँगो को उठाकर अपने कंधो पर रखे। मुझे से अपना लड पकड़वाया ऑर अपने बुर के छेद पर रखने को बोले। मैंने भी वैसे ही किया। जीजाजी कह रहे थे कि अब मत रोना गांड़ इतना नहीं दुखेगा।

तब भी मुझे डर लग रहा था। उन्होंने पहले आधा ही अंदर किया और कुछ देर तक उतना डाल कर ही बाहर भीतर करते रहे। जीजाजी पुछने लगे बोलो मजा आ रहा है कि नहीं। मैं कुछ नहीं बोली और जीजाजी की कमर पकड़ कर अपने तरफ़ दबाने लगी। जीजाजी कहने लगे अच्छा तो अब लो मेरा पूरा लंड का मजा इतना कहकर जीजाजी ने कसकर धकका मारा और उनका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया। ऐसा लगा कि उनका लंड छाती तक आ गया है। मैं ज़ोर से चिल्ला उठी। मैं जीजाजी को गाली देने लगी। कहने लगी तुम बहुत शैतान हो तुमने तो आज मुझे फाड़ ही डाला। मेरी गांड़ और बुर एक ही दिन में बरबाद करके रख दी। जीजा जी मुस्क़ुरा रहे थे।

अब वे मेरे चूची को दबाने लगे और धक्के लगा कर चोदने लगे। अब मेरी टाँगो को नीचे रख दिया और एक चूची को मुख में डाल कर चूसने लगे। ज्यों ज्यों धक्का मार रहे थे मुझे अपना स्तन चुसवाने में और मजा आ रहा था। अब मेरे सब दर्द ग़ायब हो चुके थे। मैं बोल रही थी और ज़ोर से धक्के मारो मेरे अच्छे जीजाजी। आप सचमुच में मर्द हो। आज पहली बार ज़िंदगी का मजा आ रहा है फिर दीदी आ गई। उस समए हम दोनो मस्ती में थे। दीदी कहने लगी, अरे मुझे भूल गये क्या उसे अब थोड़ी जलन होने लगी थी। दीदी कहने लगी अब तो मुझे भी नहीं रहा जाता।


इतना सुनते ही जीजा जी मुझ पर से उतर गये और दीदी को मेरे साथ में ही पेट के बल लेटा दिए। जीजाजी दीदी को नंगे कर दिए। जीजाजी ने दीदी के गांड़ में थोड़ा थूक लगाया । दीदी ने अपने दोनो हाथों से अपनी गांड़ फैलाई। जीजाजी ने एक ही बार में अपना समूचा लंड दीदी के गांड़ में डाल दिया। दीदी को कोई दर्द होते नहीं दिखा। वह नीचे से कमर चला रही थी। जीजाजी कहने लगे देखो तुम्हारी दीदी कैसे चुदवा रही है मगर तुम चिंता मत करो, कुछ ही दिनों में तुम भी पक्की हो जाओगी। उसके बाद जीजाजी हम दोनो बहनो को बारी बारी से चोदने लगे। अंत में जीजाजी मेरे उपर चढ़ गये और कहने लगे कि आज अपना माल तुम्हारे ही अंदर डालुंगा। वे मेरे स्तन को फिर चूसने लगे और कच से पूरा लंड अंदर कर के ज़ोर से धक्का लगाने लगे।

मैं अब गिरने लगी थी। वे समझ गए और अपने दोनो हाथों से मेरी कमर कस कर पकड़ ली। मेरा चूची कस कर चूसने लगे। मैंने भी अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। मैं कह रही थी अरे मेरे राजा और ज़ोर से धक्के मारो और अंदर धकेलो, मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो। बीच बीच में दीदी जीजाजी को और धक्का मरने को उकसा रही थी। दीदी जीजाजी से कह रही थी आज मेरी बहन की प्यास बुझा दो। आज अपनी साली के जवानी को मसल दो। जीजाजी लास्ट बार धक्का मारे और मैं चिल्ला उठी। अरे बाप रे अब छोड़ दो। कुछ देर तक हम बिस्तर पर ही पड़े रहे। मैं दीदी और जीजाजी का शुक्रिया अदा कर रही थी। बेड पर देखा तो काफ़ी ख़ून के धब्बे थे। मेरे स्तन पर दाँतों के निशान बन गये थे।

दीदी जीजा जी के तरफ़ देख कर मुस्कुराने लगी। दीदी कह रही थी तुम्हारा सील भी आज तुम्हारे जीजाजी ने ही तोड़ी। मैं अपने जीजाजी का लंड पकड़ कर कहने लगी दीदी ये बहुत मजे का है। पहले दर्द देता है और फिर मजा। जीजाजी कह रहे थे साली तो आधी घर वाली होती है, इसलिए इसमें तुम्हारा अब बराबर का हक है।

जब चाहो आ जाना, मेरा लंड तुम्हारी गांड और बुर के लिए हमेशा तैयार रहेगा। वे दीदी से कह रहे थे कि तुम्हारी बहन तो कमाल की चीज़ है। आज तो मुझे मजा आ गया। क्या मस्त जवानी है। सील तोड़ने में तो बहुत ज़ोर लगाना पड़ा। साली का माल तो बहुत ही टाईट है इसको लूज करने में बहुत दिन लगेगा।

अभी मेरे दो बच्चे हैं। बच्चे पाकर मेरे पति भी काफ़ी ख़ुश रहते है। मैं अब उनको कोई शिकायत नहीं करती। मेरे पास काफ़ी संपत्ति है। मेरे दीदी के पास एक अच्छा मर्द। हम दोनो बहने एक दूसरे का ज़रूरत पूरा करते है और आनंद से रहते है।

~~~ समाप्त ~~~

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)
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