Bhabhi ka haseen dhokha Ch. 03

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bhabhi ke saath aur zyada sex.
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Part 3 of the 6 part series

Updated 06/08/2023
Created 09/11/2017
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मैं जब उठा तो भाभी मेरे से चिपक के सो रही थी. मैने घड़ी देखी तो उसमे चार बज रहे थे. मैने भाभी को देखा. वो बहुत प्यारी लग रही थी. मैने उन्हे थोड़ा कस्के अपनी बाहों में जकड़ा और प्यार से उनके होंठ चूम लिए. फिर उनके नंगे बदन को अपने हाथ से सहला रहा था. उनकी पीठ से होते हुए अपने हाथ उनके चूतड़ पर ले गया. उनके सुंदर चूतड़ पर हाथ मलते हुए मैने एक चपत लगाई. भाभी लेकिन उठी नही. उनके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी. मैने फिर उनके होंठ चूम लिए.

फिर मैने भाभी के घुटने के नीचे वाले हिस्से को पकड़ा और उनका पैर अपने सीने तक ले जाकर उनकी एड़ी अपने चूतड़ पर रख दिया. भाभी अब भी सो रही थी और उनकी चूत पूरी तरह से खुल गयी थी. मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मैने अपना लंड हाथ में लिया और लंड के टोपे को उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

भाभी नींद में 'म्म्म्ममम' की आवाज़ निकालने लगी. मुझे याद आया की मैने अपना वीर्य भाभी के अंदर छोड़ा था और शायद उससे वो माँ बन चुकी होगी. इसलिए मैं उनका पेट सहलाने लगा. भाभी को माँ बनाने के ख़याल ने मेरा लंड और कड़ा कर दिया. मुझसे रहा नही गया. मैने अपना लंड भाभी की चूत पर टिकाया और ज़ोर का झटका मारा. लंड एक ही बार में सारे बंधन तोड़ के पूरे आठ इंच भाभी की चूत में जाकर बस गया. भाभी चीख मार के उठी. मैने अपना हाथ जल्दी से उनके मूँह पर रखा. भाभी कुछ देर ऐसे ही कराह रही थी.

थोड़ी देर बाद मैने हाथ हटाया और लंड आगे-पीछे करने लगा. भाभी गुस्से से मुझे देख रही थी. मैं उनके चूमने के लिए आगे बढ़ा, भाभी बोली- "दूर हट.... इतनी बेरहमी से डाला है तूने अपना लंड मेरे अंदर.... बलात्कार करेगा अपनी भाभी का?"
मैने चुदाई बंद कर दी.
"नही भाभी... आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हो... मैं और आपका बलात्कार.... बलात्कार सिर्फ़ हिजड़े करते हैं. आपकी चूत गीली थी तो मुझे लगा... अगर आपको मैने दर्द दिया तो मुझे माफ़ कर दीजिए"

भाभी ने मुझे पुचकारा. मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोली- "राजू... तुझे कुछ भी करना हो मेरे साथ, मेरी अनुमति ले लिया कर.... तेरे साथ चुदाई के बाद मैं बहुत ही मीठी नींद सो रही थी. अचानक तेरे लंड के हमले ने मुझे जगा दिया. तुझे ये मालूम होना चाहिए की तेरी भाभी भी एक इंसान है सिर्फ़ एक चूत नही जिसमे तू कभी भी अपना लंड पेल देगा.... चल, कोई बात नही... इधर आ."

भाभी ने मुझे अपने पास बुलाया और मेरा माथा चूम के मुझे अपने सीने से लगा लिया. मेरा सर भाभी की चूची पर था. उनकी भूरी निप्पल मैने अपने मुँह में ली और चूसने लगा.

"ओ... दूद्धू पिएगा भाभी का?"
उन्होने अपना हाथ से मुझे सहारा दिया और ऐसे लगा जैसे एक माँ अपने बच्चे को दूध पीला रही हो. ज़ाहिर सी बात है की उनकी चूची से असली दूध नही निकला लेकिन मैं फिर भी चूस्ता रहा.

"राजू... चुदाई क्यों बंद कर दी तूने?.... तेरे लंड डालने के तरीके से नाराज़ थी मैं... तेरे लंड से नही.... तेरी एक चुदाई ने मुझे तेरे लंड का दीवाना बना दिया है.... क्या चोदता है तू... जानवर पाल रखा है तूने... चल चोद ले मेरी चूत को."

मैं भाभी के उपर चढ़ गया और फिर से ठुकाई करने लगा. भाभी की चूत बेशर्मी से गीली हो रही थी. वो मेरे लंड को जकड़े हुए थी. मैं फिर भी पूरी लगन से भाभी को चोद रहा था.
"हाँ राजू... चोद मुझे... चोद मुझे... तेरे मोटे लंड की दीवानी हो गयी हूँ मैं... इतना लंबा है ये... मैं इसे अपने बच्चेदानी में महसूस कर रही हूँ.... चोद मुझे... निकल अपनी ठरक मेरी चूत में"

मैने भाभी को चूम लिया और सटा-सट चोदने लगा. मेरे हाथ भाभी की चूचियों को कस के पकड़ कर चोद रहा था और उनके हाथ मेरे चूतड़ पर थे. वॉ अपनी उंगली से मेरी गान्ड का छेद रगड़ने लगी. बदले में मैं भी उनका दुद्धु पीने लगा. थोड़ी देर बाद भाभी बोली- "राजू... मैं.... मैं....मैं छूटने वाली हूँ"

मैं भाभी को बेरहमी से चोदे जा रहा था. अचानक भाभी मेरे चूतड़ पर अपने नाख़ून कस के गढ़ा दिए और 'आआआआअ" की आवाज़ के साथ छूटने लगी. मुझसे भी रहा नही गया. मैं भाभी का निप्पल जिसे मैं चूस रहा था ज़ोर से काटा और भाभी की चूत में ही छूटने लगा.

मेरे सारा माल गिराने के बाद, मैं भाभी के उपर बेहोश पड़ा रहा. कुछ देर बाद भाभी मेरे चूतड़ पर हल्के-हल्के चपत लगाने लगी.
"उठ राजू.... शाम हो गयी है... सासू माँ भी उठने वाली होंगी"
मैं भाभी के उपर से उठा और बगल में लेट कर आराम करने लगा. भाभी उठ कर बाथरूम में चली गयी और नहाने लगी. मैने उनको बहुत गंदा कर दिया था.

भाभी नहा कर बाहर आई और अपनी साड़ी पहनने लगी. मैं उठा और भाभी को पीछे से जाकर पकड़ा.
"भाभी... आज आपको मज़ा आया?"
"मज़ा?... तूने मुझे सबसे ज़्यादा सुख दिया है... ऐसा सुख जो सिर्फ़ एक मर्द ही एक औरत को दे सकता है.... तेरे लंड की तो मैं अब पूजा करूँगी"

मैं भाभी के सामने आया और घुटनो पर ज़मीन पर बैठ गया. भाभी की साड़ी का पल्लू खोला और उनका पेट सहलाने लगा. उनकी नाभि चूम ली.
"राजू, एक बात बता... मेरे पेट से तुझे इतना लगाव क्यों है? हमेशा इसको ही प्यार करता रहता है"
"भाभी... मेरे लिए ये दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है... आपका पेट और आपकी ये प्यारी सी नाभि" मैने नाभि चूमते हुए बोला.
"लेकिन भाभी, अब तो ये पेट बहुत जल्द फूल जाएगा"
"वो भला क्यों, राजू"
"क्योंकि भाभी, मैने अपना वीर्य आपकी चूत में छोड़ा था.... आप मेरे बच्चे की माँ बनने वाली हो"
भाभी हँसते हुए बोली
"अरे पगले... ऐसे ही किसी लड़की की चूत में अपना वीर्य छोड़ने से लड़की माँ नही बनती"
"तो फिर क्या भाभी?"
"महीने के कुछ दिन ख़ास होते हैं.... तब मेरी बच्चेदानी में अंडा होता है... उसे जब मर्द का बीज आकर मिलता है तब बच्चा पैदा होता है.... लेकिन तू फ़िक्र मत कर... जिस दिन मेरी बच्चेदानी में अंडा हुआ और चूत में तेरे लंड की खुजली हुई, तो तू कॉंडम पहनकर मेरे साथ सेक्स कर लेना... वैसे भी मुझे भी एक नाजायज़ औलाद को जन्म नही देना"

मैं भाभी का पेट चूमता रहा. भाभी साड़ी पहन कर तय्यार हो रही थी. मैं नंगा ही उनका पेट चूम रहा था. उनकी बातें सुन के मेरा लंड पूरा तन गया.

भाभी बोली, "चल राजू, तू भी कपड़े पहन ले.... हाय राम, इतनी चुदाई के बाद भी तेरा लंड खड़ा हो गया... कोई हैवान छुपा है तेरे लंड में."

"भाभी... बस आपके प्यार को तरसता है ये.... इसे थोड़ा प्यार कर लो ना"
मैने उपर उठ कर बोला. भाभी मुस्कुराई और ज़मीन पर बैठ कर मेरा लंड हाथ में लेकर उससे खेलने लगी. उन्होने मेरे लंड पर थूका और मेरा लंड पर थूक मलने लगी.

वो मेरे लंड को हिलाने लगी. मेरे लंड के टोपे पर पानी आ चुका था जिसे भाभी ने जीभ निकल कर चखा.
"बड़ा अच्छा स्वाद है तेरे लंड का, राजू"
भाभी मेरे लंड को चूम रही थी, चाट रही थी. मैं उम्मीद कर रहा था की भाभी मेरे लंड को चूसेंगी. लेकिन भाभी ने ऐसा नही किया. उन्होने मेरे दोनो टटटे पकड़े और बारी-बारी से एक-एक को मूँह में लेकर चूसा.

मुझसे रहा नही गया और मैने भाभी का चेहरा पकड़ा और लंड मूँह में डालकर अंदर-बाहर करने लगा. भाभी ने चूतड़ पर चपत लगाई. लंड मूँह से निकालकर बोली "अभी सिखाया हुआ पाठ भूल गया. मेरे साथ कुछ भी ज़बरदस्ती मत करना... इजाज़त ले हमेशा."

"सॉरी भाभी... पर लंड बहुत तंग कर रहा था... प्लीज़ चूसो ना इसे"
भाभी मेरे लंड को चूसने लगी और मेरे टटटे सहलाने लगी.

उन्होने लंड मूह से बाहर निकाला और बोली "राजू, मैं अभी नहा कर आई हूँ इसलिए मुझे गंदा मत करना... मेरे मुँह में ही अपना वीर्य निकल देना" और भाभी फिर से मेरा लंड चूसने लगी.

भाभी पूरे चाव से मेरा लंड चूस रही थी और प्यार से मेरे टटटे सहला रही थी. फिर उन्होने एक हाथ मेरे चूतड़ पर रख दिए और प्यार से चूतड़ सहलाने लगी. वो मेरा लंड चूस रही थी और साथ ही मेरे टटटे और चूतड़ सहला रही थी. फिर उन्होने अपनी उंगली ली और मेरे चूतड़ के छेद को उससे रगड़ने लगी. इतने में मैंने भाभी का सिर पकड़ा और मूँह में ही छूटने लगा. करीब ३० सेकेंड छूटा और फिर शांत हो गया.

भाभी मेरा सारा माल पी गयी. मैं फर्श पर ही लेट गया. भाभी अपनी साड़ी ठीक करने लगी.
"चल राजू... कपड़े पहन ले और अपने कमरे में चला जा."

मैं उठा. भाभी का पल्लू हटा के नाभि चूमी, कुछ देर पेट को अपने चेहरे से लगाया और फिर कपड़े उठा कर नंगा ही अपने कमरे में चला गया.

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