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Click hereपब्लिक में मुर्गा बनकर चुकायी पत्नी से बेवफाई की कीमत
रोडवेज स्टैड़ के एक कोने में 37 साल का जनक झुककर अपनी दोनों टांगों से हाथ निकाल कर अपने कानों को कसकर पकड़े हुए मुर्गा बना खड़ा था। उसकी कमर पर एक भारी ब्रीफकेस रखा हुआ था। कुछ ही दूरी पर उसकी हसीन बीबी बिंदु अपनी एक सहेली के साथ खड़ी हुई आईसक्रीम खा रही थी।
बिंदु के एक हाथ में आइसक्रीम की कोन थी तो दूसरे हाथ में एक काले रंग का डंडा था। मुर्गा बने जनक को 10 मिनट हो चुके थे। उसकी टांगे कांप रही थीं। अपने ही शहर में इस तरह से मुर्गा बनकर खड़े हुए उसे शर्म आ रही थी लेकिन वो मजबूर था।
उसे मुर्गा बने देखकर कई लोग हंसते हुए गुजर गये। एक दो ने पूछा तो बिंदु हंसकर बोली ये मेरा पति है मुझे छोड़कर लाइन मार रहा था सो इसे सुधारने के लिए सजा दी है।
जोरू का गुलाम बेचारा कहकर कुछ लोग गुजर गये तो कई लेडीज बिंदु के पास खड़ी हो गयीं। बिंदु बेबाक हो कर बोले जा रही थी। ये मेरा नाम का पति है, असल में तो इसकी औकात मेरे सामने एक कुत्ते की है।
ये साला औरतों के सेडिंल के नीचे लगी धूल के बराबर भी नहीं है। इसके बाद भी साला मेरे सामने ही फ्लर्ट कर रहा था।
उसकी हर बात सुनकर जनक को लग रहा था कि काश वो जमीन में समा जाये। मगर इसके बाद भी बंदा सख्ती से कानों को पकड़कर मुर्गा बना हुआ था। कुछ मर्दो ने कहा लानत है यार क्या कोई पति इस तरह से अपनी जोरू का गुलाम हो सकता है। यार तूने तो नाक कटा दी।
सब कुछ सुनकर भी जनक चुपचाप मुर्गा बना हुआ था। इसी बीच एक लम्बी तंगडी औरत वहां आयी। उसको जनक जानता था। अरे बिंदु ये क्या हाल बना रखा है बेचारे का। मर्द को खासतौर पर पति को काबू में रखना कोई तुमसे ही सीख सकता है। सही लगाम डालकर काबू में रखा है तूमने इस घोड़े को।
मीता को वहां देखकर जनक कसमसाया तो हिलने की बजह से उसकी पीठ पर रखा ब्रीफकेस नीचे गिर गया तो बिंदु ने थपाक थपाक दो डंडे उसके चूतड़ों पर दे मारे। सही से मुर्गा बन हरामी।
मैंने मना किया था न हिलना नहीं है। समझ गये। इसके बाद खुद को पीछे हटाकर अपने हाथ को हवा में उठाकर दनादन दोनों चूतड़ों पर गिनकर दस डंडे मारे। इस बीच वो बोलती रही तुम बहुत फ्लर्ट कर रहे थे न अब करो। अब देखती हूं मैं तेरी हालत बनाऊंगी हरामी तू किसी औरत की ओर नजर उठा कर भी नहीं देख पायेगा। हरामी कायदे से मुर्गा बन हरामी।
औरतों पर लाइन मारने की यही सजा तय की है कुत्ते तेरे लिए मैंने। ये तो शुरूआत है तू देख तेरा क्या हाल करती हूं। मीता के साथ मिलकर बिंदु ने जनक की पीठ पर ब्रीफकेस लाद दिया। बिंदु ने कहा आप कहां जा रही हो। अरे मुझको दिल्ली जाना है और तुम मुझको भी एक शादी में दिल्ली जाना है।
बस आयी नहीं। इंतजार कर रहे थे कि ये खुद को शेर समझ कर लाइन मारने लग गया। अब इसको सुधार कर रखना ओर इसको इसकी औकात में रखना जरूरी था। इसलिए मुर्गा बना दिया। ऐसा करो जब तक बस नहीं आती तुम भी अपना बैग इसकी पीठ पर रखो। बैग को क्यों गंदा करती हो।
मीता ने भी अपना बैग उसकी पीठ पर रख दिया। अब मीता और बिंदु ठंड में खड़ी होकर आइसक्रीम खाने लगी जबकि जनक धूप में मुर्गा बना हुआ खड़ा था। पीठ पर अपने ब्रीफकेस के साथ एक भारी बैग का वजन भी उसे संभालना पड़ रहा था। इधर मीता और बिंदु आइसक्रीम खाते हुए बातों में मगन थी तो वहीं दूसरी ओर जनक मुर्गा बने बने पुराने ख्यालों में खो गया।
जब वो बिंदु से 20 साल पहले एक शादी समारोह में मिला था तो वो ऐसी नहीं थी। पहली नजर में ही उसको उससे प्यार हो गया। जमाने से लड़कर बिंदु जनक की दुल्हन बनी लेकिन समय ने ऐसा पलटा खाया कि एक सुन्दर आज्ञाकारी बीबी उसकी मालकिन बन बैठी। उसकी एक गलती ने सब कचरा कर दिया। अब वो कुछ वोल नहीं भी नहीं सकता था। उसका करार ही अपनी बीबी से ऐसा था कि शादी के 20 साल बाद भी वो उफ नहीं कर सकता था। हालांकि अब उसे अपनी बीबी की गुलामी में मजा आता था लेकिन जितनी तेजी के साथ वो अब उसकी गुलामी का दायरा बढ़ा रही थी। उससे उसे लग रहा था कि कुछ दिनों में उसकी बची कुची इज्जत भी खत्म हो जायेगी तथा वो एक अपनी पत्नी का वफादार कुत्ता बनकर ही रह जायेगा।
उसे आज भी अपनी उस गलती की कीमत चुकानी पड़ रही थी जो उसकी जान का जंजाल बन चुकी थी। जनक के पेंच जवानी में एक औरत नीलिमा से लड़ चुके थे। नीलिमा को बीडीएसएम सेक्स का बहुत शौक था और एक दिन जब बिंदु घर पर नहीं थी तो जनक उसको अपनी स्लैब बनाकर एक हफ्ते तक खूब मजे लिये। यही उसकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई। बिंदु ने हिडन कैमरे लगा रखे थे।
घर आने के बाद जब बिंदु ने रिकार्डिंग चैक की तो तो उसका पारा चढ़ गया लेकिन वो शांत रही। उसने इंतजार किया और फिर एक दिन के लिए मायके जाने का कहकर बाहर निकल गयी। जनक ने नीलिमा को बुलाया। नीलिमा के आते ही जनक ने उसके गले में पट्टा डालकर उसको मादरजात नंगा करके पहले तो मुर्गा परेड कराते हुए पूरे घर का चक्कर लगाया फिर उसे बैडरूम के बीचों बीच मुर्गा कर खड़ा कर दिया।
इसके साथ ही उसकी मूवमेंट रोकने के लिए उसके दोनों को दो रस्सियों के सहारे घुटनों के ऊपर एवं टांगों के निचले भाग को फैलाकर बांधने के साथ ही उसके दोनों हाथों को उसके पट्टे से अटैच कर दिया। अब नीलिमा मुर्गा पोज को अपनी मर्जी से छोड़ नहीं सकती थी। इसके साथ ही उसके मुंह में उसी की पेंटी को ठूंसकर उपर से टेप लगा कर उसकी आवाज को बंद कर दिया।
आज वो अपनी स्लैब को मुर्गा बनाकर उसी पोज में उसकी गांड मारना चाहता था। यह उसका पुराना सपना था कि किसी औरत को मुर्गा बनाकर वो उसकी गांड मारे। बिंदु के साथ उसकी यह विश पूरी नहीं हो पायी थी। उसे मार खाने में मजा नहीं आता था। जनक उसकी गांड की दरार को अपनी जीभ से चाटने लगा। मोबाइल पर लाइव देख रही बिंदु को लगा कि अब चार्ज लेने का टाइम आ गया है।
अभी मुर्गा बनी नीलिमा की गांड में जनक ने लंड डाला था कि घर का गेट खोलकर बिंदु अंदर आ गयी। ये क्या हो रहा है मेरी पीठ पीछे ये रास लीला कर रहे हो। बिंदु को देखकर ही जनक का फनफनाता सात इंची लंड मुरछा गया। क्या हो रहा है ये सब। नीलिमा की हालत तो खराब थी वो उठना चाह रही थी लेकिन हाथ कॉलर में उलझा होने के कारण वो खड़ी नहीं हो पा रही थी।
बिंदु ने पास पड़ी झाडू उठायी और दे दनादन नीलिमा के पिछबाड़े पर बरसाने लगी। अभी तक बीडीएसएम का सुख उठाने वाली नीलिमा की अब हालत पतली हो चुकी थी। सीकों वाली झाडू ने पांच मिनट में उसकी पीठ ओर चूतड़ों तथा टांगों के पिछले हिस्से को लाल धारियों से भर दिया।
चल तुझसे बाद में बात करूंगी पहले ये हिसाब देगा बेवफाई का। जनक की ओर इशारा करके कहा। जनक नीचे जमीन पर बिंदु के पैरों में गिरकर माफी मांग रहा था लेकिन बिंदु का पारा शांत नहीं हुआ। चल मुर्गा बन बहुत शौक है तुझको औरतों को मुर्गा बनाने। पलक झपकते ही जनक मुर्गा बन गया।
गांड मारेगा तू मुर्गाें की चल आज बताती हूं गांड में कुछ जाता है तो कैसा लगता है। यह कहकर बिंदु ने मुर्गा बने जनक की गांड के छेद पर आक थू करके थूक दिया। तू हिलेंगा नहीं चल तुझको भी इस कुतिया की तरह ही पहले टाइट कर दूं। जनक को टाइट करने के बाद बिंदु फिर सींकों वाली झाडू की मूठ को उसकी गांड में सरकाने में जुट गयी।
जनक की हालत खस्ता हो गयी लेकिन पांच इंच के करीब मूठ को अंदर घुसाकर ही बिंदु ने दम लिया। जनक की हालत अजब थी। दोनों को एक बराबर में मुर्गा बनाकर बिंदु बाहर गयी और जब वापस आयी तो दो बोरियों में वो पांच पांच ईंटे लेकर आयी।
जनक और नीलिमा की कमर पर पांच पांच ईंटों वाली बोरियों को रखकर उनको मुर्गा बने नीलिमा एवं जनक की पीठ से बांध दिया। इसके बाद बिंदु ने कहा कि तुम दोनों इंसान नहीं जानवर हो। तुम्हारे साथ जानवरों जैसा ही सलूक मैं करूंगी।
अपनी सेडिंल को निकालकर उसने पहले जनक के गालांे पर दे दनादन अपनी सेडिंल बरसायी फिर नीलिमा के गालों पर सेडिंल की वारिश की। दोनों के गाल टमाटर की तरह लाल करने के बाद नीलिमा एवं जनक की गांड पर लात मारते हुए हुए उनको बाहर निकलने का इशारा किया।
घर के मेन डोर से बाहर जाने के इशारे पर दोनों ही एक जगह जम गये नंगी हालत में मुर्गा बनकर सड़क पर जाने का ख्याल दोनों की रूह कंपा गया। बिंदु ने पूरी ताकत से अपनी ठोकरे उनकी गांड पर लगायी लेकिन दोनों बाहर नहीं गये।
तब बिंदु ने कहा कि एक ही शर्त पर तुमको मैं माफ कर सकती हूं दि तुम दोनों मेरे आजीवन गुलाम बन जाओ तो। दोनों ने सिर हिलाया। अचानक मुर्गा बने जनक की गांड पर पड़ी तेज चिरपरिचित ठोकर ने उसको अतीत से वर्तमान में ला दिया। पूरे दिन यही मुर्गा बना रहेगा तू चल बस आ गयी है।
जनक ने मीता के बैग एवं ब्रीफकेस को लेकर बस में गया। पिछली सीट पर बैठकर बिंदु ने कहा कि तुम सीट पर नहीं नीचे बैठोगे। जनक नीचे बैठ गया। मीता टिकट लेने चली गयी तो बिंदु ने जनक को सीट के नीचे फर्श पर लेटने का इशारा किया।
जनक अब बस के फर्श पर लेट चुका था। उसके शरीर को उसकी मालकिन एवं उसकी दोस्त के चार पैर कुचल रहे थे। अचानक बिंदु ने अपने गंदे सैडिल उसके मुंह पर रख दिया और गंदे सोल को चाटकर साफ करने को कहा।
जनक समझ चुका था कि दिल्ली तक का यह सफर उसके लिए कितना मुसीबत भरा रहने वाला है। हालांकि उसे किसी से कोई शिकायत नहीं थी। अपनी इस नयी कुत्ते वाली जिंदगी को खुद उसकी करतूतों ने चुना था। एक मर्द से कुत्ता बनना उसकी अब नियति थी। वो इसमें खुश भी था।
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