Bua k sath holi

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incest between aunt and nephew
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बुआ संग खेली होली
मैं अमित कुमार एक अठरह वर्ष का हृष्ट-पुष्ट युवक हूँ और अपनी तैंतीस वर्षीय बुआ के साथ, मुंबई में एक दो कमरे वाले फ्लैट में रहता हूँ। मेरे जन्म के समय ही मेरी माँ का निधन हो गया था और तब से आज तक मेरी बुआ ने ही मेरी परवरिश की और मुझे पालपोस कर बड़ा भी किया। जब मैं दस वर्ष का था तब मेरे पापा दुबई में नौकरी करने चले गए थे और आज तक वापिस नहीं आये ! लेकिन वह हर माह बुआ को मेरी पढ़ाई और घर खर्च के लिए पैसे ज़रूर भेजते हैं और आज भी वह हर माह खर्चा भेजना नहीं भूलते !

मेरी बुआ एक बाल-विधवा है, जब वह चौदह वर्ष की थी तब उनका विवाह कर दिया गया था, लेकिन शादी के एक माह के बाद ही उनके पति की सांप के काटने से मृत्यु हो गई थी। उनके पति की अकाल मृत्यु के बाद, जिसमें उनका कोई दोष नहीं था, हमारे निर्दई समाज की कुरीतियों ने उन्हें अकारण ही शापित घोषित कर दिया। क्योंकि पति की मृत्यु के समय तक उनका गौना नहीं हुआ था इसलिए वह ससुराल ना जाकर अपने पीहर में ही रहने लगी। लेकिन उनके दुर्भाग्य ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उनके पति की मृत्यु के छह माह के बाद ही मेरे दादाजी भी गुज़र गए और वह बिल्कुल असहाय तथा अकेली हो गई। समाज से शापित कहलाने के कारण उनके लिए कोई और रिश्ता भी नहीं आया और उनका पुनर्विवाह नहीं हो सका था। इसलिए तब मेरे पिता ने अपनी बहन को सहारा दिया और उन्हें हमारे घर का एक सदस्य बना लिया।

उन्ही पारिवारिक दुखद दिनों में, मेरा जन्म भी हुआ था और दुर्भाग्य से मेरी माँ का स्वर्गवास भी हुआ। बुआ बताती है कि मेरी माँ ने अंतिम साँस लेने से पहले मुझे उनकी गोद में डाल कर मेरी देखभाल और परवरिश की ज़िम्मेदारी दे दी थी। पहले के दस वर्ष तो बुआ मुझे पालने के लिए घर पर ही रही, लेकिन पापा के दुबई जाने के बाद उन्होंने घर की आमदनी बढ़ाने के लिए अथवा अपने को व्यस्त रखने के लिए एक गैर सरकारी संगठन में नौकरी भी कर ली।

अब जिस घटना का मैं विवरण करने जा रहा वह इस वर्ष मार्च के तीसरे रविवार की है जब मैं नहाने के बाद बाथरूम से बाहर अपने कमरे में आ कर अपना बदन पोंछ रहा था। तभी बुआ बाथरूम में लगे गीज़र से रसोई के लिए गरम पानी लेने के लिए मेरे कमरे में आ गई और मुझे बिल्कुल नंगा देख कर एक बार तो रुकी, मुझे निहारा और फिर मुस्कराती हुई बाथरूम से पानी लेने चली गई।

मुझे इस बात का बिल्कुल भी अंदेशा नहीं था कि रसोई में काम कर रही बुआ, रसोई के उस दरवाज़े से, जो मेरे कमरे में खुलता है, मेरे कमरे में भी आ सकती हैं। जब मैं कपड़े पहन कर बुआ से रसोई में जाकर इस बारे में खेद प्रकट किया तो बुआ ने कहा कि इसमें खेद करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि उन्होंने तो मुझे जन्म से ही नंगा देखा है तथा दस वर्षों तक मुझे नग्न अवस्था में स्नान भी कराया है। अगर आज आठ वर्षों के बाद उसने मेरे को एक बार फिर से नग्न देख लिया है तो इसमें परेशान होने की कोई बात नहीं है, कभी कभी छोटे से घर में ऐसी घटना हो ही जाती है।

फिर बुआ ने मुझे अपने गले से लगा कर प्यार किया और कहा कि मैं इस बात को भूल जाऊँ। मैं रसोई से बाहर तो आ गया लेकिन बुआ का इस तरह गले से लगा कर प्यार करना और उनकी आँखों में जो चमक थी उसका कारण मुझे समझ में नहीं आया। अगले आठ दिन सामान्य रूप से निकल गए और मंगलवार को होली की छुट्टी थी। क्योंकि बुआ तो होली खेलती नहीं थी इसलिए मैंने अकेले ही पड़ोसियों के साथ खूब होली खेली तथा दोपहर एक बजे के बाद मैं बुरी तरह रंगा हुआ और पूरा गीला बदन लिए हुए घर लौटा !

मेरे को उस हालत में रंग और बाल्टी लिए घर में घुसते देख कर बुआ ने रसोई से ऊँची आवाज़ में ही कह दिया कि मैं कमरे को गन्दा नहीं करूँ और सीधा बाथरूम में जा कर नहा लूँ।

बुआ बहुत ही शक्की मिजाज़ की है इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए मैं उनके कहे अनुसार बाथरूम जाता हूँ या नहीं वह मेरे पीछे पीछे खुद भी वहीं बाथरूम में आ गई !

क्योंकि मैं तो होली के ही मूड में था इसलिए बुआ को देखते ही मैंने पलट कर बुआ को गले से लगा कर होली की मुबारक दी तथा उन के पूरे चेहरे पर गुलाल लगाया और उनके बदन को बाल्टी में रखे हुए नीले रंग से उन्हें पूरा भिगो दिया।

आकस्मिक रंग लगाने की मेरी इस हरकत से वह मेरे पर झल्ला उठीं और मुझे बहुत ही बुरी तरह डांटते हुए अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट को बाथरूम में ही उतार कर, पैंटी और ब्रा में ही अपना हाथ मुँह धोया तथा मुझे नहाने का आदेश देकर बाथरूम से बाहर चली गई।

उनके उस गुस्से के रूप को देख कर मैं घबरा गया और बाथरूम का दरवाज़ा बंद किये बिना, जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर नहाने बैठ गया।

अभी आधा ही नहाया था कि बुआ फिर बाथरूम में आ गई और कहने लगी कि मेरी गर्दन के पीछे और पीठ पर बहुत रंग लगा हुआ था और क्योंकि वह रंग मुझ से उतर नहीं रहा था, इसलिए वह उसे अच्छी तरह रगड़ कर उतार देती हैं।

मैं बिल्कुल नंगा था और मुझे शर्म भी आ रही थी लेकिन बुआ मेरे लाख मना करने पर भी पैंटी और ब्रा में ही बिल्कुल बेझिझक मुझे नहलाती रही।

जब मैं नहा चुका और खड़ा होकर अपना बदन को पोंछने लगा तब बुआ मेरी परवाह किये बिना ही अपनी पैंटी और ब्रा उतार कर नहाने बैठ गई।

बदन पोंछने के बाद जैसे ही मैं तौलिया बाँध कर कमरे में जाने लगा तभी बुआ ने आवाज़ लगा कर कहा कि उसकी गर्दन के पीछे और पीठ पर जो रंग मैंने लगाया था उसे मैं ही रगड़ कर छुड़ा दूँ !

मेरे मन में बुआ को कुछ देर और नंगा देखने की इच्छा जाग उठी थी, इसलिए उस इच्छा को पूरा करने की मंशा से मेरे पास बुआ की आज्ञा मानने के इलावा और कोई चारा नहीं था। मैंने बुआ के पीछे से जाकर उसकी गर्दन से रंग छुड़ाने के लिए जैसे ही आगे बढ़ा, तभी बुआ ने कहा- तौलिया गीला हो जायेगा, उसे उतार कर पानी में आना !पहली बार किसी औरत के नंगे बदन को देख कर मेरे लौड़े में जान आ गई थी और वह तन कर खड़ा हो चुका था। मैंने तौलिया उतार कर खूंटी पर टांग दिया और किसी तरह अपने पर काबू करते हुए बुआ के कहने के अनुसार बुआ की गर्दन और पीठ का रंग उतारने लगा।

एक बार तो कंधे पर साबुन लगाते समय वह मेरे हाथ से फिसल कर नीचे की ओर सरक गया। जब मैं उसे पकड़ने के लिए लपका तो साबुन तो छिटक दूर जा गिरा और बुआ की चूची मेरे हाथ में आ गई, और मेरा तना हुआ लौड़ा बुआ की गर्दन से जा टकराया।इसके लिए मैंने बुआ से माफ़ी मांगी लेकिन उसने कोई प्रतिक्रया नहीं दी। इसके बाद मैं बुआ को नहाते हुए छोड़, तौलिए से अपने हाथ पोंछता हुआ नंगा ही बाथरूम से बाहर बैडरूम में चला गया।

लगभग दस मिनट के बाद बुआ ने मुझे आवाज़ देकर तौलिया देने को कहा। मैं बैड से तौलिया उठा कर उन्हें देने के लिए बाथरूम में गया तो बुआ मेरे इन्तज़ार में दरवाज़े की ओर मुँह कर के खड़ी थी। मैंने उन्हें तौलिया दिया और कमरे में वापिस जाने के बजाये वहीं खड़े रह कर बुआ के बहुत ही मनमोहक बदन को देखता रहा !

उनका रंग बहुत ही गोरा और चिकना था, उनका चेहरा आकर्षक और नैन नक्श तीखे थे, गर्दन लंबी और जिस्म गठा हुआ था, 26 इंच की कमर बहुत ही पतली और नाभि बहुत ही आकर्षक लग रही थी ! उनकी चूचियाँ गोल तथा उठी हुई और बहुत ठोस दिख रही थी, मुझे चूचियों का साइज़ लगभग 34 लगा ! उनकी बाजु और टाँगें पतली मगर मज़बूत, तथा बहुत चिकनी लग रही थी और जांघें सुडोल और ताकतवर तथा बहुत ही लुभावनी लग रही थी, उनके चूतड़ गोल और बड़े बड़े थे तथा उनका साइज़ भी 34 तो होगा ही !

बुआ के सिर के बाल तो घने और काले थे, काँखों और जाँघों के बाल भी काले रंग के थे लेकिन बहुत ही थोड़े से थे ! उन थोड़े से काले रंग के बालों के बीच में से उनकी चूत की फांकें साफ़ नज़र आ रही थी ! उनकी चूचियों पर गहरे भूरे रंग की मोटी मोटी चुचुक देख कर मेरा मन उन चूचियों को छूने और मसलने के लिए बहुत ही विचलित हो उठा था !

बुआ ने जब बदन पोंछ कर मुझे इस तरह बुत बन कर उसे घूरते हुए देखा तो झट से बदन को तौलिए ढांपते हुए पूछा कि मैं क्या देख रहा हूँ !

तब मेरे मुँह से निकला- मैं तो एक परी को देख रहा था और अब आपने उसे ढांप ही दिया !

बुआ ने कहा क्या वह इस उम्र में भी मुझे परी लगती हैं तो मैंने जवाब में कह दिया कि वे रंग रूप और बदन से तो अभी भी एक इक्कीस-बाईस वर्ष की एक परी जैसी ही लगती हैं।

मेरे मुख से अपने रूप-रंग और जिस्म की इतनी तारीफ़ सुन कर बुआ शरमा गई और जल्दी बैडरूम में आकर कपड़े पहनने लगी।

सबसे पहले उसी तरह तौलिया बंधे बंधे ही दूसरी तरफ मुँह करके अपनी पैंटी पहनी, जब वह पैंटी को टांगों में डालने के लिए नीचे झुकी तब पीछे से तौलिया ऊपर हो गया और उसकी दोनों टांगों के बीच में से उसकी पतली फांकों वाली अनचुदी कुंवारी चूत दिखाई देने लगी। बुआ ने जल्दी से सीधा हो कर पैंटी को ऊपर खींच कर अपनी स्थान पर सेट किया और फिर मेरी ओर मुँह करके अपनी सलवार पहनी। इसके बाद उसने अपनी ब्रा उठाई और इधर उधर कुछ देख कर रुकी लेकिन फिर जाने क्या सोच कर तौलिए को उतार दिया और बाहें उठा कर ब्रा पहनने लगी। उसके नंगे वक्ष पर दो मौसम्मी जितनी बड़ी चूचियाँ बहुत ही सुन्दर लग रही थी जिन्हें देखते ही मेरा लौड़ा सलामी देने लगा। मैंने उसे टांगों के बीच में दबा कर नियंत्रण में किया और बुआ को देखने लगा।

बुआ ने आगे से ब्रा को अपनी चूचियों पर निर्धारित कर अपने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक बंद करने लगी लेकिन वह बंद होने का नाम ही नहीं ले रहे थे। जब बुआ ने मेरी ओर देख कर मुझे उन्हें बंद करने के लिए कहा तो मैंने साफ़ मना कर दिया, तब वह मेरे नज़दीक आकर पूछने लगी कि क्या मैं उसकी चूचियों देखने एवं छूने का इच्छुक हूँ?

मैंने उसकी तरफ देख कर अपने सिर को हिला कर जब पुष्टि की, तब बुआ ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी ब्रा के अंदर डाल दिया और एक चूची मेरी हाथों में दे दी। मैं पहले तो उसे एक सपना समझा लेकिन जब हाथों में बुआ के चूचुक का स्पर्श महसूस हुआ तब यकीन हुआ कि मैं सपने में नहीं यथार्थ में बुआ की चूचियों को पकड़े हुए था !

कुछ देर मैंने बुआ की चूचियों और चूचुक को दबाया, मसला और फिर थोड़ा अलग हो कर उनकी ब्रा के हुक को बंद कर दिया ! उसके बाद बुआ ने कमीज़ पहनी और बाल संवार कर रसोई में खाना बनाने चली गई !
मैं भी उसके पीछे रसोई में चला गया और हम दोनों ने वहीं रखी एक मेज़ पर बैठ कर भोजन किया तथा उसके बाद हम बैठक में बैठ कर टीवी देखने लगे। जब टीवी पर कोई भी प्रोग्राम मुझे पसंद नहीं आया, मैं बोर होने लगा, तब मैं बुआ से कह कर बेडरूम में आ गया और अपने कपड़े उतार दिए, सिर्फ जांघिया पहने हुए सोने चला गया। मैं लगभग तीन घंटे सोया होऊँगा, क्योंकि जब मेरी नींद खुली तब मैंने घड़ी में देखा कि वह शाम के छह बजा रही थ।

जैसे ही मैंने करवट लेकर सीधा होना चाहा तो हो नहीं सका और जब सिर मोड़ा कर देखा तो पाया कि बैड पर मेरे पीछे बुआ सोई हुई थी। मैं धीरे से थोड़ा अलग हट कर उठा और मुड कर बुआ को देखा तो हैरान रह गया, बुआ बिल्कुल सीधा सिर्फ एक पैंटी पहने सो रही थी और उनकी चूचियाँ उनकी छाती पर किसी मीनार के गुम्बदों की तरह सिर ऊपर उठा कर खड़ी थी।

मैं कुछ देर तो बुआ को और उनकी चूचियों को देखता रहा लेकिन जब मैं अपने पर नियंत्रण नहीं रख सका तो अपने दोनों हाथों से उन चूचियों को सहलाने लगा, उन चूचियों के ऊपर चुचुकों को अपनी उंगली और अंगूठे के बीच में मसलने लगा।

मेरे ऐसा करने पर बुआ की नींद खुल गई और उन्होंने मेरे हाथ पकड़ लिए तथा आँखों से गुस्सा दिखा कर पूछने लगी कि मैं यह क्या कर रहा हूँ।

पहले तो मैं उनके प्रश्न से सकपका गया लेकिन जल्द ही अपने को संभाला और बोला- मैं तो अपनी परी को प्यार कर रहा था ! इस पर बुआ ने पूछा कि क्या परी को प्यार ऐसे करते है, तब मैंने झट से कह दिया कि अगर आप अनुमति दे तो मैं सही तरीके से प्यार कर देता हूँ।

तब बुआ ने उठ कर मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मेरे सिर को चूमने लगी। बुआ के चूमने के कारण मेरा मुँह नीचे हो गया और उनकी चूचियों बिल्कुल मेरे होंठों के पास आ गई, मैं अपने आप को रोक नहीं सका तथा अपना मुँह खोल कर उनकी दाईं चूची को अपने होंठों के बीच में दबा कर चूसने लगा। मेरा ऐसा करना शायद बुआ को अच्छा लगा इसलिए उन्होंने मेरे चेहरे को अपने सीने में दबा लिया और मुझे चूचियों को चूसने की खुली छूट दे दी।

अगले दस मिनट तक मैं उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा और बुआ भी कभी मेरा सिर, कभी माथा और कभी गालों को चूमती रही। जैसे ही मैं बुआ से अलग हुआ तब उन्होंने मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर लेट गई और मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। इधर मेरा अर्धनग्न शरीर बुआ के अर्धनग्न शरीर पर लेटा था और उधर नीचे मेरे जांघिये में मेरा लौड़ा उत्तेजित हो कर बुआ की जांघों में घुसने की कोशिश कर रहा था।

जब बुआ को उनकी जांघों पर मेरे लौड़े की चुभन महसूस हुई तो उन्होंने नीचे दोनों के शरीर के बीच में हाथ डाल कर मेरे लौड़े को पकड़ कर साइड में कर दिया और मुझे फिर अपने से चिपका लिया! मेरा लौड़ा बेचारा हम दोनों के शरीर के बीच में फंस कर रह गया और अत्यंत उत्तेजना के कारण उसमें से धीरे धीरे पूर्व-वीर्य का रिसाव होने लगा। दस मिनट तक मुझे अपने ऊपर ऐसे लिटाये रखने के बाद बुआ ने अपनी बाजुओं को थोड़ा ढीला किया और झट से मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये तथा मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मेरा चुम्बन लेने लगी।

मैं तो उत्तेजित था ही इसलिए बुआ का साथ देने लगा और उनकी जीभ और होंठों को चूसने लगा। यह सिलसला करीब पन्द्रह मिनट तक चला और जब बुआ तथा मेरी सांसें फूलने लगी तब हम अलग हुए !

इसके बाद मैं बुआ के ऊपर से हट कर उनकी बाईं ओर लेट गया और एक हाथ से उनकी चूचियों को दबाने लगा। जब दूसरा हाथ मैंने बुआ की जांघों की ओर बढ़ाया तो उनने मेरे हाथ को पकड़ कर मुझे ऐसा करने से रोक दिया।

जब मैंने पिछले एक घंटे से कमरे में छाई चुप्पी को तोड़ते हुए बुआ से पूछा ही लिया कि वहाँ हाथ क्यों नहीं लगाऊँ तो उन्होंने बोला कि अभी नहीं, रात हो जाने दो !

उनके मुँह से इतना सुनते ही और रात में होने वाले रोमांच की आशा से मेरा दिल उछाल मारने लगा और मैं बुआ से चिपक गया तथा अपने दोनों हाथ से बुआ की चूचियों पकड़ ली।

तब बुआ ने कहा- चाय का समय हो गया है, उठना चाहिए !

और मुझ से अलग हो कर वह उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं कुछ देर तो उसी तरह बैड पर लेटा रहा और रात को होने वाली क्रिया के बारे सोच कर रोमांचित होता रहा ! फिर मैं भी उठ कर बाथरूम में गया तो देखा कि बुआ ने अपनी पैंटी उतार कर एक तरफ रख दी थी और चूत को अच्छी तरह से रगड़ कर धो रही थी। मैंने जब पैंटी को हाथ लगा तो उसे बुरी तरह गीला पाया तो समझ गया कि जब मैं बुआ की चूचियों को चूस रहा था तब बुआ का पानी छूट गया होगा। पैंटी मेरे हाथ में देख कर बुआ थोड़ा मुस्कराई और फिर उंगली से मेरी तरफ नीचे की ओर इशारा किया। जब मैंने नीचे की ओर अपने गीले जांघिये को देखा तो मैं भी अपनी मुस्कराहट रोक नहीं सका। उसके बाद मैंने भी अपना जांघिया उतार कर बुआ की पैंटी से मधुर मिलन के लिए उसके ऊपर ही रख कर अपने लौड़े को धोने लगा।

बुआ उसी तरह बिना कपड़ों के रसोई में चाय बनाने चली गई और मैं साफ़ जांघिया पहन कर टीवी देखने के लिए बैठक में बैठ गया। थोड़ी देर के बाद नंगी बुआ चाय लेकर आई और उसे मेज़ पर रख कर बैडरूम में जा कर नाइटी पहन कर वापिस बैठक में मेरे पास आ कर बैठ गई। जब हम चाय पीते हुए बातें कर रहे थे तब मैंने बुआ से पूछा कि वह कपड़े उतार कर मेरे साथ क्यों सोई थी, तो उन्होंने बताया कि बिजली चली गई थी और उन्हें बहुत गर्मी लग रही थी इसलिए कपड़े उतार दिए थे। जब बिजली आई तो बैडरूम में चल रहे पंखे के नीचे अपना पसीना सुखाने के लिए मेरे पास लेट गई और वहीं उसकी आँख लग गई। जब मैंने बुआ से रात के बारे में कुछ बात करने की चेष्टा की तो उन्होंने डांट दिया कि मैं चुपचाप जा कर पढूं !

मैंने हताश होकर चाय पी और अपनी मेज़ पर जाकर पढ़ने बैठ गया। रात साढ़े नौ बजे बुआ मेरे पास आई और प्यार से मेरे बालों में हाथ फेरती हुई मुझे खाना खाने के लिए कहा। तब मैंने किताबें बंद कर उसके साथ रसोई में जाकर खाना खाया और फिर उसी तरह सिर्फ जांघिया पहने हुए बैड पर जा कर लेट गया !

करीब आधे घंटे के बाद बुआ रसोई का काम समाप्त करके कमरे में आई और मेरे पास लेट गई। जब मैं कुछ देर तक आँखें बंद किए लेटा रहा तो बुआ से रहा नहीं गया और उसने मेरी ओर करवट लेकर मुझे अपने साथ चिपका लिया। उनकी ठोस चूचियाँ मेरे बदन में चुभ रही थी और उसकी जाँघों की गर्माहट मेरी टांगों को जला रही थी। इस हालत में मेरा लौड़ा क़ुतुब मीनार की तरह खड़ा हो गया और जांघिये का तम्बू बना दिया। मैं अभी उस खड़े लौड़े को छुपाने या बिठाने का सोच ही रहा था कि बुआ ने मेरे जांघिये को नीचे सरका कर उस हिलती मीनार को हवा में लहराने के लिए आज़ाद कर दिया।

बुआ के ऐसा करने से मुझे उनकी इच्छा का संकेत मिल गया और मैंने भी उनकी ओर करवट लेकर उनकी नाइटी ऊपर करी और उनकी चूचियों पर टूट पड़ा। तब बुआ भी मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगी और उसके ऊपर की त्वचा को पीछे खींच कर सुपारे को बाहर निकाल दिया। बुआ की इस हरकत के कारण मेरे लौड़ा तन कर लोहे की रॉड जैसा हो गया, तब बुआ उठ बैठी और झुक कर उन्होंने मेरे लौड़े को बहुत गौर से देखा और अपने हाथ से उसकी मोटाई और लम्बाई को नापने की कोशिश करने लगी। उन्होंने कहा कि यह तो बहुत पतला और छोटा सा होता था, लेकिन अब तो यह काफी मोटा भी हो गया था और मुझसे उसकी लम्बाई तथा मोटाई के बारे में पूछा !

जब मैंने उन्हें बताया कि मेरा लौड़ा साढ़े सात इंच लंबा और दो इंच मोटा है तब उन्होंने आकस्मात ही झुक कर मेरे लौड़े के सुपारे को चूम लिया ! फिर बुआ ने मेरी टांगों को चौड़ा कर मेरे टट्टों को पकड़ लिया और मेरी ओर देखते हुए मुस्करा कर कहा- ये भी काफी बड़े हैं, लगता है कि इनमें काफी रस होगा !

बुआ का इस तरह मेरे लौड़े और टट्टों को पकड़ कर उनकी तारीफ़ करना सुन कर मुझे बुआ की कल वाली आँखों की चमक का मतलब कुछ कुछ समझ आ गया और उ्नकी आगे क्या करने की मंशा है इसका भी कुछ कुछ अंदेशा हो गया। तब मैंने बुआ से नाइटी उतारने को कहा तो उन्होंने झट से जवाब दिया कि उन्होंने तो मुझे उतारने के लिए कभी मना ही नहीं किया। बुआ की यह बात सुन कर मैंने आगे बढ़ कर उनकी नाइटी ऊँची करके उतार दी। बुआ ने ब्रा एवं पैंटी नहीं पहनी हुई थी इसलिए नाइटी उतारते ही वे मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गई थी !

फिर मैंने झुक कर बुआ के माथे, आँख॥न, नाक, कान, गालों को चूमा और अपने होंठ उनके होंटों पर रख दिए !

बुआ ने भी मेरी इस हरकत का जवाब दिया और मेरी चुम्बन को स्वीकार किया और मेरे होंटों को कस कर चूम लिया तथा मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया। उनकी चूचियों को पकड़े पकड़े ही मैंने उनकी ठोड़ी, गर्दन तथा वक्ष को चूमा और फिर उनकी चूचियों के चुचुकों को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मेरा ऐसे करने पर बुआ बेड पर लेट गई और धीमी आवाज़ में आह... आह... करने लगी और अपने पेड़ू के बालों में उँगलियाँ फेरने लगी। लगभग पांच मिनट के बाद मैंने बुआ के पेट और कमर को चूमा और उनकी नाभि में अपनी जीभ घुमाई जिससे बुआ को गुदगुदी हुई और वह हँसने लगी। अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए मैं आगे बढ़ा और बुआ की झांटों के बालों को चूमता हुआ उसकी जाँघों के अंदर की ओर से चूमा और बुआ की टांगों को चौड़ा करके उनकी चूत की फांकों को चूमने लगा।

चूत पर मेरे होंठ लगते ही बुआ सिहर उठी और उनकी चूत फूलने लगी तथा उसकी फांकें फूल की पत्तियों की तरह खुल गई और उसका भग-शिश्न मेरे होंटों को छूने लगा। मैंने उस भग-शिश्न को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया तब बुआ ने काफी ऊंचे स्वर में आह... आह... की आवाजें निकालने लगी तथा देखते ही देखते वह अकड़ गई और उसकी चूत ने थोड़ा सा पानी निकाला।

मैंने उस पानी को चखा तो मुझे बहुत स्वादिष्ट लगा, तब मैंने उसके भग-शिश्न पर थोड़ी जोर से जीभ से सहलाया तो बुआ ने फिर ऊँचे स्वर में आआह्ह्ह्ह... की और मेरी प्यास बुझाने के लिए चूत ने फिर पानी की धारा छोड़ दी! इसके बाद जैसे ही मैं अलग हुआ तब बुआ ने मुझे पकड़ लिया और कहा कि अब मुझे उनकी प्यास भी बुझानी चाहिए !

मेरे पूछने पर कि कैसे तो उसने कहा वह उस समय वह बहुत गर्म थी और उसे ठंडा करने के लिए जैसे वह कहती है मैं वैसे ही करूँ! मैंने अनुमान लगा लिया कि अब वह भी वही चाहती थी जो मैं चाहता था, इसलिए मैं तुरंत तैयार हो गया।

बुआ ने मुझे खड़ा करके खुद नीचे बैठ गई और मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। चूसते चूसते उन्होंने मेरा पूरा लौड़े को अपने मुँह के अंदर गले तक उतार लिया और अपने सिर को आगे पीछे करना शुरू कर मुँह की चुदाई करने लगी। मुझे उनका ऐसा करना बहुत अच्छा लगा, इससे मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मेरे लौड़े में से रस की धारें निकली और बुआ के गले में उतरने लगी ! छह में से पांच धारें तो बुआ के गले में उतर गई लेकिन आखिरी धार बाहर उसके मुँह और बदन पर गिरी।

बुआ ने उस बिखरे हुए रस को हाथ से अपने चेहरे, वक्ष और चूचियों पर मल लिया। इसके बाद बुआ बेड पर लेट गई और टाँगें चौड़ी करके मुझे बीच में बिठा लिया और मेरे लौड़े को मसलने लगी। लगभग बीस मिनट तक मसलने के बाद जैसे ही मेरा लौड़ा तना, उन्होंने उसे पकड़ कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और मुझे धक्का मारने को कहा।

मैंने जैसे ही धक्का लगाया लौड़ा अंदर न जाकर एक तरफ़ को फिसल गया, तब बुआ ने कहा कि मेरा लौड़ा मोटा है और क्योंकि आज तक उसकी चुदाई नहीं हुई इसलिए उसकी कुवारीं चूत बिल्कुल सिकुड़ी हुई है और लौड़े को अंदर जाने का रास्ता नहीं दे रही !

फिर बुआ ने अपनी टांगों को और चौड़ा किया जिससे उनकी चूत का मुँह और खुल जाए और उन्होंने एक बार फिर मेरे लौड़े को पकड़ कर चूत के मुँह पर रख कर मुझे फिर से धक्का देने को कहा।

मैंने जैसे ही धक्का दिया तो मेरे लौड़े का सुपारा बुआ की चूत के अंदर चला गया और इस के साथ ही बुआ बहुत ही जोर से चिल्लाई हाआ आआआ आईईई... मार डाला ! और जोर जोर से चिल्लाने लगी!वह बार बार मुझे कहने लगी कि मैंने तो उसकी चूत ज़रूर फाड़ दी होगी। मैं थोड़ी देर तक बुआ के सामान्य होने का इंतजार किया और फिर इससे पहले बुआ मुझे कुछ कहे, मैंने एक और धक्का लगाया तथा आधा लौड़ा उनकी चूत के अंदर कर दिया।

बुआ एक बार फिर बहुत ही जोर से चिल्लाई हाआ आआआ आई ईई..... मर गई, अबे क्या अपना लौड़ा घुसेड़ रहा है या कोई मूसल घुसा रहा है?

बुआ दर्द के मारे तड़पने लगी और जोर जोर से रोने लगी तथा मुझे गालियाँ भी देने लगी। उसे चुप कराने के लिए मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उन्हें चूसने लगा ! तभी मुझे अपने लौड़े पर गीलापन महसूस हुआ और जब मैंने हाथ लगा कर देखा तो मुझे अपने हाथ पर खून लगा नज़र आया, तभी मैं समझ गया कि आज बुआ की मुनिया का सील-तोड़ उदघाटन हो गया था!

कुछ देर के बाद जब बुआ शांत हो गई तब मैंने लौड़े को चूत के अन्दर करने के लिए आहिस्ता आहिस्ता जोर लगाया लेकिन मेरा लौड़ा बिल्कुल ही नहीं सरका। तब मुझसे और नहीं रुका गया और मैंने एक जोर का धक्का लगा कर पूरा का पूरा लौड़ा चूत के अन्दर जड़ तक घुसेड़ दिया !

इस बार बुआ तिलमिला कर बहुत ही जोर से चिल्लाई हाह आह आआ आआई ईई... मार डाला, उई ईईई ईईईइ... माँआआ... मर गई ! बुआ दर्द से तड़पने लगी और फिर से रोने लगी और उनके आंसू आँखों से बह कर उसके गालों को धोने लगे।कुछ देर के लिए मैं फिर उनके ऊपर लेट गया और वह सुबकते सुबकते बड़बड़ाती रही कि आज तो तूने मेरी चूत का सत्यानास कर दिया होगा, उसे फाड़ कर उसके चीथड़े कर दिए होंगे!

मैं आँखें बंद किये चुपचाप बुआ के ऊपर लेटा रहा और उनके दर्द के कम होने की इंतज़ार करने लगा। पांच मिनट के बाद पूछने पर उन्होंने कहा कि अब वे ठीक हैं और उन्हें दर्द भी नहीं है तथा अब मैं उसे जम के चोद सकता हूँ तब मैंने धक्के मारने शुरू कर दिये। पहले धीरे धीरे धक्के दिए, फिर तेज़ी से धक्के दिए और उसके पांच मिनट के बाद तो बहुत ही तेज़ी से झटके दिए। इस दौरान बुआ हर दो से तीन मिनट के बाद इधर अकड़ कर आआह्ह्ह्ह... आआह्ह्ह्ह... हाआ आआ ईई... हा आआह आआईईई.... उई ईईइ...उईइ....की आवाजें निकालती और उधर उनकी चूत भी पानी छोड़ देती।

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