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सुबह मैं उठी तो देखा रवि नंगे ही मेरे बगल में लेटा हुआ था। उसका लंड तना हुआ था। मैंने उसके लंड को चूसना शुरु किया और तब तक चूसा जब तक कि वह मेरे मुँह में ही झड़ नहीं गया।
रवि भी उठ चुका था।
मैं उठ कर अपने कमरे में गयी। नौ बज चुके थे। मेरे पति तब तक औफिस जा चुके थे। मैं भी फ्रेश हुई और खाना बनाने लगी। खाना बनाने के बाद मैं रवि को उठाने गयी। रवि उठकर नंगे ही बिस्तर पर बैठा कुछ सोच रहा था।
मैंने पूछा "क्या हुआ जानूं क्या सोच रहे हो"।
"सोच रहा हुँ कि पिछले कुछ दिनों में हम कहाँ से कहाँ आ गये हैं। अब मैं तुम्हारे बिना रह नहीं पाऊँगा।"
"मैं भी यही सोच रही थी। लेकिन यह अधिक दिनों तक संभव नहीं है।मानव के आने के बाद हमें सतर्क रहना होगा।"
"अगर मानव को भी हमारे संबंध पर आपत्ति ना हो तो।"
"क्या कहना चाहते हो तुम।"
"अगर मानव को पहले ही पता हो जाए हमारे संबंधों के बारे में तो वह आपत्ति नहीं करेगा।"
रवि की बात सुनकर मैं सोचने लगी यह कैसे संभव है कि मेरे बेटे को मेरे प्रेम संबंध के बारे में पहले ही जानकारी हो। यह तो तभी संभव है जब या तो मैं या मेरे पति या रवि उसे कुछ बताएँ।
बहुत सोचने के बाद मैं बोली "तब तो यह काम तुम्हारे फुफाजी ही करेंगे।"
यह बात रवि को भी ठीक लगी।
शाम को विवेक आॅफिस से आने के बाद फ्रेश होकर टीवी देख रहे थे।
तभी रवि आया और बोला "फुफा जी अब मैं बुआ से सचमुच प्यार करने लगा हूँ। बुआ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता। आप ही कुछ ऐसा करें कि हम अपने संबंध को जारी रख सकें।"
विवेक ने मुझसे पूछा "देखो उषा, यह तो तुम्हारा आशिक बन गया है।"
मैं बोली "मुझे भी अगर आप उसकी प्रेमिका बोलें तो कोई हर्ज नहीं है।"
"प्रेमिका या रखैल"
"आप कुछ भी कहें क्योंकि पिछले कुछ दिनों से तो मैं रवि से ही चुद रही हुँ। उससे चुदते चुदते मैं भी इसे चाहने लगी हुँ।"यह कहकर मैं रवि के पास जाने लगी तो विवेक ने मुझे रोका और रवि से बोले "रवि बेटा, आज मैं तुम्हारी प्रेमिका को चोदुँगा।"
यह कहकर वह मुझे लेकर कमरे में चले आए।
फिर मुझसे कहा "तुम्हें रवि से चुदना अच्छा लगता है। और क्या क्या अच्छा लगता है, पूरी तरह बताओ।"
मैं बोली "उसके द्वारा मेरा चूत चाटना, पीछे से मुझे चोदना और मेरे बदन को सहलाना सब अच्छा लगता है। मैं तो उसका लंड हमेशा चूसना चाहती हूँ।"
अब विवेक ने कसकर मेरे होंठ काटे और मेरी नाइटी निकालकर मुझे नंगा कर दिया। फिर मेरी चुची को जमकर चूसा और चुमते हुए मेरे चूत तक आ गये। फिर उन्होंनें मेरे चूत को जमकर चाटा। अब मैं पूरी तरह उत्तेजित हो गयी थी। मैंने भी विवेक को नंगे करके उनका लंड चूसा और चोदने को कहा। उन्होंने शुरु में धीरे धीरे मेरी चुदाई की। अब मैं झड़ने लगी थी तभी विवेक ने तेजी से धक्के लगाने लगे। कुछ ही देर में मैं और विवेक पस्त होकर बिस्तर पर पड़ गये।
थोडी़ देर बाद विवेक ने कहा "मैंने मानव से बात की थी और उसने कहा आप लोग खुद ही जानो।"
मैंने आश्चर्य से पूछा "आपने या बात की।"
"मैंने उससे कहा कि मैं तुम्हें नहीं संभाल पा रहा हूँ। इसीलिए तुम्हें मैंने अलग अपनी खुशी तलाशने को कहा।"
अब मैं सोचने लगी कि मेरा बेटा मेरे बारे में क्या सोचेगा।
फिर विवेक ने कहा "इस बार हमारी शादी की सालगिरह पर मानव भी यहीं होगा क्योंकि उस समय उसके कॉलेज में छुट्टी है। उसी दौरान उससे विस्तार में बात की जाएगी। तुम चिंतित मत हो।"
तब मैं भी उनकी बात सुनकर पानी पीने उठकर किचेन गयी। मैंने कोई भी कपडा़ नहीं पहना था। पानी पीकर जैसे ही आने लगी रवि ने मुझे पकड़ कर किस करना शुरु किया। मैंने भी उसका पूरा साथ दिया। फिर मैं उसके कमरे में गयी। उसके बाद उसने मेरे पूरे बदन को चूमा। फिर वह मेरे चूत में ऊँगली डाली। मैं चिहुँक उठी।
मैं बोली "अभी अभी तुम्हारे फुफाजी ने बहुत दिनों बाद मेरी जमकर चुदाई की है। क्या अब तुम भी मुझे चोदोगे।"
उसने बिना कुछ कहे मेरा चूत चाटने लगा और जब मैं झड़ने को हुई तो उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। जब उसका लंड पूरी तरह कड़क हो गया तो उसने मेरी चुदाई शुरु कर दी। अब मैं भी अपने चुतड़ उछालकर कर उसका साथ देने लगी। थोडी़ ही देर में मैं झड़कर निढा़ल पड़ गयी। रवि ने कब तक मुझे चोदा मुझे यह भी पता नहीं चला क्योंकि मैं तबतक सो चुकी थी।
सुबह जब मैं उठी तो देखा कि रवि मेरे बगल में पडा़ था। मैं उठकर अपने कमरे में गयी तो देखा मेरे पति भी अभी तक सोये हुए हैं।
क्रमशः...