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Click hereचाची की चुदाई
लेखक: सुनील जैन ©
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अपने पेरैंटस के गुज़र जाने के बाद मैं अपने चाचा, चाची और उनकी बेटी (मेरी कज़िन बहन) के साथ उनके बंगले में रहता था। मेरे चाचा बहुत ही कामयाब बिज़नेस मैन थे। घर में हर तरह के सुख-साधन और लग्ज़री मौजूद थी। मेरी उम्र उस समय आठरह साल की थी और मेरी चाची बयालीस साल की थी और उनकी बेटी मुझसे एक साल बड़ी थी और अभी-अभी बीस साल पूरे करे थे और कॉलेज में पढ़ रही थी।। आपको बता दूँ की मेरी मीना चाची का गदराया बदन बहुत ही मादक और मस्त था। उसकी चूची छत्तीस साइज़ की थी और छत्तीस-सी साईज़ की ब्रा पहनती थी। पतली कमर और बहुत ही प्यारे-प्यारे मोटे-मोटे चूतड़ अढ़तीस साइज़ के थे। जिसको देख के किसी का भी लंड तन जाये। चाची की शक्ल-सूरत और जिस्म भी बिल्कुल नीता अंबानी जैसा था।
मेरी कज़िन बहन, सोनिया जो बस जवान ही हुई थी, एकदम अपनी माँ की तरह मस्त दिखने लगी थी। जब वो स्कर्ट पहनती थी तो मैं हमेशा कोशिश कर के उसके सामने ही बैठा करता ताकि मुझे उसकी चिकनी जाँघें और पैंटी में कसी चूत का उभार और चूतड़ दिखें। मैं हमेशा इस फिराक में रहता था की मुझे एक बार अपनी मीना चाची और सोनिया पूरी नंगी देखने को मिल जायें।
मीना चाची शिक्षित और काफी आधुनिक थी और और किट्टी पार्टियों और कुछ चैरिटबल संस्थाओं से भी जुड़ी हुई थी। शराब-सिगरेट का सेवन भी करती थी। मीना चाची ज्यादातर साड़ी या सलवार-सूट पहनती थी लेकिन कभी-कभार जींस, स्कर्ट वगैरह जैसे वेस्टर्न कपड़े भी पहनती थी। जब शाम को चाची साड़ी में बैठ कर व्हिस्की पीती थी और स्मोक करती थी तो मेरा लंड कस कर अकड़ जाता था। दोस्तों आपने कभी साड़ी वाली औरत को व्हिस्की और सिगरेट पीते हुए देखा है की नहीं? इतना मस्त सीन होता है की इच्छा करती है की वहीं साली की साड़ी उठा के लंड पेल दें। मैं उन दोनों माँ-बेटी को सिर्फ देख कर ही मस्त हो जाता था और बाथरूम में जा कर उनकी उतरी हुई ब्रा और पैंटी, जिस में से उनकी मस्त चूत और चूची की खुशबू आती थी और कभी उनकी की ऊँची ऐड़ी वाली सैंडल जिन में से उनके पैरों के पसीने की महक आती थी, खूब सूँघता हुआ मुठ मारता था। मीना चाची की पैंटी में हमेशा मादक सूगंध आती थी और सोनिया की पैंटी में उसकी ताजी चूत की खुशबू मैं सूँघता था और उनकी ब्रा, पैंटी और सैंडलों को चाट-चाट कर अपने लंड को ठंडा करता था।
एक दिन की बात है, मेरा लंड रात को अचानक खड़ा हो गया और मेरी इच्छा हुई की मैं मीना चाची के बाथरूम में जा कर उनकी पैंटी और ब्रा सूँघ कर मुठ मारूँ। मैं चुप-चाप बाथरूम की ओर जाने लगा तो मुझे मीना चाची के कमरे से हल्की सी लाइट और कुछ आवाज़ सुनाई दी। मैं भी धड़कते दिल से चाची के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा। अंदर मीना चाची चुदाई में मस्त हो कर चाचा को बहनचोद और मादरचोद की गालियाँ दे रही थी। इतनी सफिस्टिकेटिड और पढ़ी-लिखी चाची के मुँह से ऐसी गंदी गालियाँ सुनकर मुझे विश्वास ही नहीं हुआ।
मुझसे रहा नहीं गया। मैंने सोचा यह मौका है जब मैं मीना चाची को पूरा नंगा और चुदते हुए देख सकुँगा और मैं सीधा बालकोनी की ओर गया क्योंकि मुझे मालूम था वहाँ की खिड़की पर पर्दा नहीं है और वहाँ से मुझे सब दिखाई देगा। मैं चुपचाप दबे पैरों से बालकोनी में गया और अंदर का सीन देख कर तो मुझे जैसे मन की इच्छा मिल गयी। मीना चाची अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेटी हुई थीं और एक हाथ से सिगरेट पी रही थीं और चाचा उनकी चूत में भीड़ा हुआ था।
मीना चाची नशे में थी और कह रही थी, “मादरचोद कभी तो मेरी चूत को ठंडा करा कर, बस भोंसड़ी वाले अपना लंड डाल कर अपने आप को ठंडा कर लेता है। आज मादरचोद अगर तूने मेरी चूत को ठंडा नहीं किया तो मैं बज़ार में रंडी बन कर चुदवाऊँगी।”
चाचा भी अपनी और से पूरी ताकत लगा रहा था और कह रहा था कि “साली रंडी कितना चोदता हूँ तुझे… पर तेरी चूत की प्यास ही खत्म नहीं होती और तेरा बदन इतना मस्त है की चार पाँच शॉट में ही मेरा लंड झड़ जाता है” और इतना बोलते-बोलते ही चाचा अपना लंड मीना चाची की चूत में झाड़ कर लुड़क गये।
मीना चाची बोलती रहीं कि “पता नहीं कब मेरी चूत की प्यास ठंडी होगी, ये गाँडू तो मुझे ठंडा ही नहीं कर पाता है।”
चाचा और चाची को इस तरह गंदी भाषा में गालियाँ देते हुए बातें करते सुनकर मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था। मेरी बड़ी इच्छा करी कि मैं अंदर जाऊँ और मीना चाची को पकड़ कर खूब चोदूँ।
मैं अपना लंड हाथ में पकड़ कर वापस अपने कमरे की और चल दिया। रास्ते में सोनिया का कमरा पड़ता था। चाची की चुदाई देखने के बाद मेरा लंड फड़फड़ा रहा था। पता नहीं मैं किस ख्याल में सोनिया के कमरे में घुस गया। मुझे जब ध्यान आया तो मैंने अपने आप को सोनिया के बिस्तर के पास खड़ा पाया। सोनिया इस समय अपनी नाईटी में आराम से सो रही थी जो उसके चुतड़ों को सिर्फ़ आधा ढके हुई थी। मेरे सामने अभी भी मीना चाची की चुदाई का सीन चल रहा था और इसी गर्मी में मैंने देखा कि सोनिया की मस्त चिकनी-चिकनी टाँगें और फुले हुए चूतड़ जो उसने पैंटी में छुपाये हुए थे। मुझ से रहा नहीं गया और मैं बिस्तर के साइड में हो कर उसकी चिकनी टाँगों को अपने होठों से चूमने लगा, और धीरे-धीरे उसकी गाँड की दरार में अपने होंठ और नाक रख दी। जिस चूतड़ की खुशबू मैं पैंटी में सूँघता और चाटता था वही चूतड़ आज मैं असली में सूँघ रहा था और अपने होंठों से किस कर रहा था। इतने में सोनिया कुछ कुनमुनाई और मैं डर के मारे चुप चाप कमरे से निकल गया।
उसके बाद मैं बाथरूम गया और मीना चाची की पैंटी और ब्रा अपने रूम में ला कर सूँघते और चाटते हुए खूब मुठ मारी, और मैंने इरादा किया की एक बार मैं मीना चाची के साथ ट्राई तो मार के देखूँ, क्या पता, प्यासी चूत है, अपने आप ही मुझे चोदने को दे दे। मुठ मारते-मारते मैं मीना चाची की ब्रा अपने होंठों से लगा कर सो गया।
अगली सुबह में मीना चाची ने मुझे झकझोड़ के जगाया और बोली, “सुनील आज स्कूल क्यों नहीं गया? देख सुबह के दस बज रहे हैं, तेरे चाचा को तो आज सुबह महीने भर के लिये युरोप और अमेरिका जाना था, वो तो कभी के चले भी गये और सोनिया भी अपनी कालेज ट्रिप के साथ जयपुर चली गई है, मैं भी थक रही हूँ, तू नहा धो के नाश्ता कर ले तो मैं भी थोड़ा लेटूँगी।”
मैंने जल्दी से उठ कर सबसे पहले मीना चाची की पैंटी और ब्रा ढूँढी पर मुझे कहीं नहीं मिली। मेरी तो डर के मारे सिट्टी पिट्टी गुम हो गई, और मैं सोचने लगा की अगर चाची को पता पड़ गया तो चाची मेरी खूब पिटाई करेंगी।
मैं चुपचाप अपने सारे काम पूरे करके टीवी देखने बैठ गया और उधर चाची मुझे नाश्ता देकर अंदर जा कर लेट गयीं। थोड़ी देर बाद आवाज दे कर मुझे अपने कमरे में बुलाया, और बोली “सुनील मेरा जरा बदन दबा दे।”
उस समय मीना चाची सिर्फ़ ब्लाऊज़ और पेटीकोट में थीं और कहने के बाद पेट के बल हो कर उल्टी लेट गई। मीना चाची ने अपने ब्लाऊज़ का सिर्फ़ एक हुक छोड़ कर सारे हुक खोले हुए थे और अपना पेटीकोट भी कुछ ज्यादा ही नीचे कर के बाँधा हुआ था जिस से उनकी गाँड की दरार साफ नज़र आ रही थी। मेरे सामने वो चूतड़ थे जिसे सिर्फ़ देख कर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मीना चाची तो अपना पूरा बदन मेरे को दिखाते हुए मसलने को कह रही थी। मैं बिना देर करे चुपचाप चाची के साईड में बैठ कर धीरे-धीरे उनका बदन दबाने लगा, उनके चिकने बदन को छूते ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और मैं डरने लगा की कहीं मीना चाची को पता नहीं चल जाये। जब पेटीकोट के ऊपर से मीना चाची के चूतड़ दबाये तो लंड एक दम मस्त हो गया। पेटीकोट के ऊपर से ही मीना चाची के चूतड़ दबा कर मालूम पड़ गया था कि गाँड वाकय में बहुत गदरायी हुई और ठोस थी।
थोड़ी देर बाद चाची बोली, “अरे सुनील, जरा तेल लगा कर जोर से जरा अच्छी तरह से मालिश कर।”
मैंने कहा, “चाची तेल से आपका ब्लाऊज़ खराब हो जायेगा, आप अपना ब्लाऊज़ खोल दो।”
मीना चाची बोली, “सुनील मैं तो लेटी हूँ, तू मेरे पीछे से ब्लाऊज के हुक खोल के साईड में कर दे।”
मैं जिस मीना चाची को नंगा देखने को तरसता था और जिसकी ब्रा सूँघता था, मैंने बड़े धीरे-धीरे से उनके ब्लाऊज के हुक खोले और अब चाची की नंगी पीठ पर सिर्फ़ काली ब्रा के स्ट्रैप दिख रहे थे। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथों पर लेकर चाची की पीठ पर मलना चालू किया पर बार-बार चाची की काली ब्रा के स्ट्रैप दिक्कत दे रहे थे। मैंने मीना चाची को बोला कि “चाची आपकी पूरी ब्रा खराब हो रही है और मालिश करने में भी दिक्कत हो रही है।”
तब मीना चाची बोली कि “तू मेरे ब्रा के स्ट्रैप खोल दे।”
मीना चाची के मुँह से यह सुन कर मेरा लंड तो झटके लेने लगा। मैंने भी बड़े ही प्यार से ब्रा के हुक खोल दिये। पहली बार इतने पास से मैं मीना चाची की चिकनी सुंदर पीठ देख रहा था। मैं उस नंगी पीठ पर धीरे-धीरे तेल से मालिश करने लगा।
थोड़ी देर बाद मीना चाची बोली, “सुनील जरा मेरे नीचे भी मालिश कर दे।”
मैंने कहा, “चाची कहाँ करूँ?” तो मीना चाची बिना किसी शरम के बोलीं की “मेरे चुतड़ों की और किसकी।”
मैंने भी सोचा मौका अच्छा है और मैंने कहा, “पर उसके लिए तो आपका पेटीकोट उतारना पड़ेगा।”
तब चाची बोली, “जा कर अच्छे से पहले दरवाजा बंद कर आ।”
मैं जल्दी से जाके दरवाजा बंद कर के आया तो देखा मीना चाची पहले से ही अपना पेटीकोट उतार कर पिंक पैंटी और काली ब्रा को अपने हाथों से दबाय, पेट के बल उल्टी बिस्तर पर लेटी हुई थीं। मैंने तेल लेकर धीरे-धीरे चाची की मस्त टाँगों की और उन मस्ताने गदराये चूतड़ों की मालिश चालू कर दी। मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकता था की वो मीना चाची जिसका नाम लेकर मैं रात भर मुठ मारता था, एक दिन ब्रा और पैंटी में मेरे समने लेट कर मेरे हाथ से अपनी मालिश करवायेंगी।
मालिश करते-करते जब मैं मीना चाची की जाँघों पर पहुँचा तो मेरे हाथ बार-बार पैंटी के ऊपर से मीना चाची की कसी हुई चूत की मछलियों से टच हो रहे थे जो मुझे एक अजीब तरह का आनन्द दे रहे थे। मुझे पता नहीं क्या सूझा, मैंने मीना चाची की पैंटी के साइड से अपनी एक उंगली धीरे-धीरे अंदर डाली और मीना चाची की चूत पर उंगली फेरने लगा। मीना चाची की चूत एक दम बिना बाल की थी और उसकी साफ़्टनैस से मालूम हो रहा था की चाची शेव नहीं बल्कि हेयर रिमूवर से अपनी चूत के बाल साफ़ करती थीं।
तभी अचानक चाची सीधी हुई और अपनी काली ब्रा को छोड़ के एक चाँटा मेरे गाल पर मार दिया और बोली, “मादरचोद, तुझे शरम नहीं आती मेरी चूत में उंगली डालते हुए।”
जब मीना चाची उठी उस समय उन्हें अपनी काली ब्रा का ध्यान नहीं रहा और ब्रा के हुक पहले से ही खुले होने के कारण चाची की वो मस्त गोरी-गोरी चूचीयाँ जिसपे भूरे रंग के बड़े से निप्पल थे, मेरे सामने पूरी नंगी हो गई और मैं चाँटे की परवाह किये बिना मीना चाची की मस्त चूचीयाँ देखता रहा। मीना चाची ने भी उन्हें छुपाने की कोई कोशिश नहीं की, बल्कि एक और चाँटा मारते हुए बोलीं, “मादरचोद, बहन के लौड़े, तू मुझे क्या चूतिया समझता है, कल रात को मेरी पैंटी और ब्रा तेरे तकिये पर कैसे पहुँच गई, बता सच-सच मदरचोद… मेरी पैंटी और ब्रा के साथ क्या कर रहा था?”
मीना चाची ने इस तरह की भाषा में मेरे साथ पहले कभी बात नहीं की थी और इस वक्त उनका गुस्सा देख कर मैंने डरते-डरते बताया कि, “कल रात को जब चाचा आपको प्यार कर रहे थे, उस समय मैंने आपको देखा था और पता नहीं… आप उस समय इतनी सुंदर लग रही थीं कि बाथरूम में जा कर आपकी पैंटी और ब्रा लेकर अपने बिस्तर पर आ गया और आपकी पैंटी और ब्रा को सूँघते हुए और चाटते हुए अपने हाथ से मैंने खूब मुठ मारी।”
इस पर चाची ने एक चाँटा और मारा और बोलीं, “बहनचोद मुझे तो तूने नंगा देख लिया चुदवाते हुए… अब तू अपने कपड़े उतार के मेरे समने पूर नंगा हो के दिखा… मैं देखूँ तो सही आखिर तेरी लुल्ली है या लंड!”
उस समय चाची की चूचियाँ देख कर मेरा लंड पूरा तना हुआ था। मीना चाची ने आगे बढ़ कर अपने लिये एक सिगरेट जलाई और मेरा पायजामा खोल दिया और मेरा सढ़े आठ इंच लम्बा और ढाई इंच मोट लौड़ा मीना चाची की आँखों के सामने झूलने लगा। मीना चाची की आँखें फैल गयीं और वोह बस इतना ही बोली, “मादरचोद! इंसान का लंड है की घोड़े का… अभी तक कहाँ पर छुपा के रखा था… पहले क्यों नहीं दिखाया… इस लंड को देख कर तो कोई भी औरत नंगी हो कर अपनी चूत उछाल- उछाल कर चुदवायेगी!”
ये बालते-बालते मेरे लंड को चाची ने अपने हाथ में ले लिया और बड़े प्यार से अपना हाथ आगे-पीछे करते हुए उसे देखने लगी। दोस्तों पहली बार जब कोई औरत आपका लंड पकड़ती है और जो मस्ती बदन में चढ़ती है वोह मैं आपको बता नहीं सकता। मेरी ज़िंदगी में वोह पहली औरत का स्पर्श था जो मेरे लंड को मिल रहा था, और वो भी उस औरत का जिसको याद कर-कर के मैं कितनी बार मुठ मार चुका था। इस से पहले कि मैं कुछ बोल पाता, मेरे लंड से पिचकारी निकली और मीना चाची के होंठों और नंगी चूचियों पर जा कर पसर गयी।
मीना चाची अब बड़े प्यार से बोलीं, “माँ के लौड़े! बहनचोद! तू तो एकदम चूतिया निकला… मैं तो समझ रही थी की मेरी ब्रा खोल कर और मुझे पैंटी में देख कर शायद तू मेरे साथ जबर्दस्ती करके मेरी चुदाई करेगा… पर मुझे तू माफ कर दे, जब तूने मुझे अपनी बाहों में लेकर चोदा नहीं तो मैंने गुस्से में तेरी पिटाई कर दी… पर क्या करूँ इतने साल हो गये हैं मेरी चूत को ठंडा हुए… रोज़ अपने आप ही वाइब्रेटर डाल कर ठंडी करती हूँ पर असली मर्द से चुदने की ख्वाहिश मन में ही रह जाती है! आज जब मैं सुबह तेरे कमरे में गयी और अपनी पैंटी और ब्रा से तेरा मुँह ढका पाया तो मैं समझ गयी की तू मेरे सपने देख कर मुठ मारता है… इसी बहाने से मैंने आज तुझे मसाज के लिये बुलाया था, पर तेरा घोड़े जैसा लंड देख कर तो मैं पागल हो गयी हूँ… ऐसे लंड के तो मैं सिर्फ़ सपने ही देखती थी… और तू भी अब चूत लेने के लिये तैयार है… चल आज से सपने देखना बंद कर… और बता अपनी चाची की चूत चोदेगा?”
मेरे तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी। मैं पहले तो हक्का बक्का खड़ा रहा और बाद में मैंने कुछ झिझकते हुए उन ही के अंदाज़ में कहा, “चाची! जब से मेरा लंड खड़ा होना चालू हुआ है तब से मैंने सिर्फ़ आपको याद कर के मुठ मारी है… मैं हमेशा ही आपको सपने में बिना कपड़ों के नंगी, सिर्फ़ ऊँची हील्स वाली सैंडल पहने हुए इमैजिन करता था और आपके मोटे चूतड़ और चूचीयों को इमैजिन करता था, मैंने मुठ तो बहुत मारी है पर मुझे चोदना नहीं आता, तुम बताओगी तो मैं बहुत प्यार से मन लगा कर तुमको चोदूँगा!”
चाची बोलीं, “सुनील अब तेरा लंड देखने के बाद ही मैं तो तेरी हो गयी और चुदाई तो मैं खूब सीखा दूँगी… पर तुझे मेरी हर बात माननी होगी और अगर तूने मुझे मस्त कर दिया तो मैं तुझे जो तू इनाम माँगेगा तुझे दूँगी… और ध्यान रहे ये बात किसी को मालूम नहीं होनी चाहिए!”
अब हम दोनों के बीच कोई शरम या पर्दा नहीं रह गया था। चाची ने कहा, “आज से तू और मैं जब भी अकेले होंगे… तू मुझे सिर्फ़ मीना बुलाना और अब मुझे अपनी बाहों में भर कर मेरे होंठ चूसते हुए मेरे चूतड़ मसल!”
मैंने भी इतने दिनों की मुठ मारने के बाद मिला चाची का नंगा बदन अपनी बाहों में पकड़ कर उठा लिया और नंगी मीना चाची को अपनी बाहों में भर कर उनके नरम-नरम होंठों को अपने मुँह से चूसने लगा। बता नहीं सकता कि मैं उस समय किस जन्नत में था, और अपने हाथ पीछे ले जा कर उनकी पैंटी में डाल कर उन मतवाले चूतड़ों को दबाने लगा। जब मैं पेटीकोट के उपर से दबा रहा था, मुझे उस समय ही मालूम हो गया था कि मीना चाची के चूतड़ बहुत ही तगड़े और मस्त हैं, और अब जब उनके नंगे चूतड़ पकड़े तो हाथों में कुछ ज्यादा ही जान आ गयी और मैं कस-कस कर मसलने लगा।
मीना चाची ने भी मुझे अपनी बाहों में कस कर पकड़ रखा था जिस से उनकी माँसल चूचियाँ मेरे सीने से लग कर मुझे गुदगुदा रही थी। थोड़ी देर एक दूसरे को चूसने के बाद मीना चाची मुझ से अलग हुई और अपनी अलमारी खोल कर व्हिस्की की बोतल निकाल कर बोली, “जब तक सोनिया वापस नहीं आती तेरी चुदाई की क्लासिज़ चालू और अब तू हफते भर मेरी क्लास अटेंड करेगा!”
इतना कह कर मीना चाची ने दो ग्लास में शराब डाली और दो सिगरेट जला लीं और एक मुझे देते हुए कहा, “जो मैं बताऊँ वैसे ही करना!”
“लेकिन चाची मैंने कभी स्मोक या ड्रिंक नहीं की है!” मैं थोड़ा हैरान होते हुए बोला।
“मादरचोद... नहीं की है तो आज कर ले... चुदाई भी तो तूने पहले कभी नहीं की है... मज़ा आयेगा.. बिलीव मी!” चाची बोली।
उसके बाद मीना चाची एक हाथ में व्हिस्की का ग्लास और एक में सिगरेट पकड़ कर मेरे सामने आई और बोली, “बहन के लौड़े! तू मुझे हाई हील के सैंडलों में इमैजिन करता है ना, चल अब अपने हाथों से मेरे पैरों में सैंडल पहना और फिर मेरा पेट चूमते हुए मेरी पैंटी उतार और पीछे से मेरी गाँड के छेद में उंगली डाल और धीरे-धीरे से अपने मुँह से मेरे पेट को चूमते हुए मेरी बूर के ऊपर ला कर मेरी चूत को अभी सिर्फ़ ऊपर से ही चूस। मैं तुझ से नाचते हुए अपनी चूत चुसवाँऊगी, बाद में जब तू अपनी ड्रिंक और सिगरेट खतम कर लेगा तब तुझे बताऊँगी की औरतें अपनी चूत का पानी मर्दों को कैसे पिलाती हैं।”
मैं तो उस समय कुछ बोलने की हालत में ही नहीं था। मैं तो बार-बार यही सोच रहा था की मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ। जिस औरत को नंगा देखना और चोदना मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा मकसद था वो ही औरत मेरी बाहों में नंगी मुझ से चुदवाने के लिये मचल रही है। खैर, मैंने मीना चाची के आदेश अनुसार उनके गोरे-गोरे नरम पैरों को चूम कर उनको चार इंच ऊँची पेन्सिल हील्स वाले सैण्डल पहनाये। आज तक मैं चाची के सैक्सी सैण्डलों को चूम-चूम कर और अपने लंड पे रगड़-रगड़ कर मुठ मारता था पर आज वही नंगी चाची के सैण्डलों में बँधे पैरों को मैं चूम रहा था और इस का सीधा असर मेरे लंड पे हो रहा था।
फिर मैं मीना चाची के बताय तरीके से उनको अपनी बाहों में भर कर चूमने और पैंटी उतारने लगा। मीना चाची अपने चूतड़ हिला-हिला कर अपनी ड्रिंक और सिगरेट पी रही थी और जब मेरे होंठ मीना चाची की चूत के उभार पर टच हुए तो मीना चाची ने कस कर मेरा सर पकड़ा और चूत के उभार पर दबा दीया। वो मीठी-मीठी सितकारियाँ भरने लगी और बोली, “सुनील तुझे मैं ज़िंदगी का इतना प्यार दूँगी की जब तू अपनी बीवी को चोदेगा तो हमेशा मेरी ही चूत याद करेगा!”
मैं भी मन लगा कर मीना चाची की चूत की दरार पर और उभार पर जीभ फेरने लगा। थोड़ी देर बाद मीना चाची के चूतड़ों में एक कंपन आया और मेरा सर जोर से दबाते हुए अपनी चूत का पानी बहार छोड़ दिया। उसके बाद मेरी बगल में बैठ गयी और बोली, “सुनील! आज पहली बार ऐसा हुआ है की मैं अपनी चूत चुसवाते हुए झड़ी हूँ!”
मीना चाची की आँखें शराब और ओरगैज़्म के कारण नशीली हो रही थी। उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और चोंकते हुए बोली, “हाय-हाय सुनील! यह क्या हाल कर रखा है तूने अपने लंड का… तन कर एक दम फटने को हो रहा है… मेरे प्यारे सुनील! लंड को इतना नहीं अकड़ाते की लंड फट ही जाये और वैसे भी आज से यह लंड अब सिर्फ़ मेरा है… चल थोड़ा तेरे लंड को ढीला कर दूँ… फिर तुझे आराम से अपनी चूत का पानी पिलाऊँगी!”
इसके बाद मीना चाची ने मुझे एक छोटा सा पैग और दिया और एक-एक सिगरेट जला कर मेरे बदन से चिपट गयी, और मुझे खींच कर बिस्तर पर टाँगें सीधी कर के पीठ के सहारे बिठा दिया और बोली, “चल अब तू आराम से अपनी ड्रिंक और सिगरेट पी…!” और फिर मेरा लंड पकड़ कर कहा, “मैं लंड की ड्रिंक और सिगरेट बना कर पीयुँगी… और तेरी मस्ती निकले तो निकाल दियो मेरे मुँह में… लंड चूसना किसे कहते हैं अब मैं तुझे वो बताऊँगी!”
इतना कह कर मीना चाची ने अपने रसीले होंठ मेरे लंड के सुपाड़े पर रख दिए जो कि तन कर एक दम लाल टमाटर की तरह हो रहा था और फिर धीरे-धीरे मेरे लंड को अपने मुँह के अंदर जीभ फिराते हुए सरकाने लगी। मुझे नहीं मालूम औरतों को लंड चूसते हुए कैसा लगता है पर मैं इतना बता सकता हूँ की कोई भी मर्द मादरचोद अपना लंड चुसवाने के बाद बिना चूत लिये रह नहीं सकता, चाहे उसे उसके लिये कुछ भी क्यों ना करना पड़े। मेरे उपर तो उस समय मीना चाची के नंगे बदन का नशा, व्हिस्की का नशा, सिगरेट का नशा और मीना चाची से लंड चुसवाने का नशा ऐसा छाया हुआ था की जैसे मैं किसी और दूसरी दुनिया में हूँ। ये चारों ही नशे ज़िंदगी में पहली बार मैं अनुभव कर रहा था।
पहले तो मीना चाची बड़े प्यार से अपना मुँह उपर नीचे सरका-सरका कर मुझे लंड चुसाई का मज़ा देने लगी। मेरा पूरा लंड मीना चाची के मुँह में समा नहीं पा रहा था पर वो बहुत तबियत से मेरी आँखों में आँखें डाल कर चूस रही थी। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल था। मैने मीना चाची का सिर कस कर अपने हाथों में पकड़ लिया और हाथ से उनका सिर उपर नीचे करने लगा और नीचे से अपने चूतड़ उछाल- उछाल कर मीना चाची के मुँह में ही शाट देने लगा और जब मैं झड़ा तो मैंने कस कर मीना चाची का सिर पकड़ कर नीचे से एक शाट लगाया जिस से मेरा लंड सीधा मीना चाची के गले में जा कर फँस गया और उस समय मेरा पूरा साढ़े आठ इंच और ढाई इंच मोटा लौड़ा जड़ तक मीना चाची के मुँह में घुसा हुआ था और मेरी झाँट के बाल मीना चाची की नाक में घुस रहे थे। जब मैं शाट लगा कर मीना चाची के गले में अपना लंड फँसाकर झड़ रहा था उस समय मीना चाची बूरी तरह छटपटा रही थी और मुझ से दूर जाने की कोशीश कर रही थी पर मैंने भी कस कर उन का सिर पकड़ा हुआ था और जब तक मेरे पानी की आखिरी बूँद नहीं निकली, मैंने मीना चाची का सिर नहीं छोड़ा।
मीना चाची वाकय में बहुत चूदास औरत थी। इतनी तक्लीफ होने के बाद भी मेरे लंड का सारा पानी चाट-चाट कर पी गयी और एक भी बूँद बाहर नहीं गिरने दी। मीना चाची ने मेरा झड़ा हुआ लंड अपने मुँह से बाहर करा तो मैं बोला, “चाची आई एम सारी! पर यह मेरा पहली बार था इसलिये मैं अपने आप को कंट्रोल बाहर कर पाया!”
मीना चाची ने मेरे होंठ चूमते हुए कहा, “डार्लिंग तू सिर्फ़ मुझे मीना बोल… और मादरचोद मैं इसी तरह तो अपन बदन रगड़वाना चाहती हूँ… कसम से आज पहली बार लंड चूसने का असली मज़ा मिला है। ऐसा प्यारा और तगड़ा लंड हो तो मैं ज़िंदगी भर चूसती रहूँ!”
लंड चुसवाने के बाद मैं भी थोड़ा सा मस्त हो चूका था। मैंने कहा, “क्यों मीना चा... मेरा मतलब सिर्फ़ मीना... तुम्हारा इतना चुदास बदन है… तुमने शादी से पहले किसी से चुदवाया या नहीं?”
मीना चाची बड़े दुख से बोली “अरे नहीं रे, मेरे पास अपनी चूत फड़वाने के और नए-नए लंड लेने के मोके तो बहुत थे पर मैंने सोचा हुआ था के मैं अपनी चूत सुहाग रात वाले दिन ही अपने हसबैंड को दूँगी। पर मुझे क्या पता था की मेरी किस्मत में ऐसा गांडू लिखा हुआ है। अगर मुझे पता होता तो मैं शादी से पहले जम कर अपनी चूत का मज़ा उठाती। तेरे चाचा का सिर्फ़ पाँच इंच लम्बा और एक इंच मोटा है और बस पाँच-छ: धक्के में ही झड़ जाता है और गांडू की तरह मेरी चूचियों पर उल्टा लेट कर सो जाता है!”
इतना कह कर मीना चाची बिस्तर से उठीं और अलमारी से नौ इंच लम्बा वाइब्रेटर लेकर आयी और बोली, “अभी तक तो मेरा असली हसबैंड ये ही है जिस से मैं अपनी चूत की आग बुझाती हूँ। तेरे चाचा के अलावा तू पहला लड़का है जिस से मैं अपना नंगा बदन चुदवाऊँगी… बस तू मेरा साथ मत अलग करना!”
मीना चाची कहते-कहते बहुत भावुक हो गयी थीं। मैंने मीना चाची को अपनी बाहों में भर लिया और एक दम फ़िल्मी डाय़लोग मारते हुए बोला, “मीना डार्लिंग आज से मैं तुम्हारे जिस्म की भूख को शाँत करूँगा और जब तुम कहोगी उसी समय अपना लंड तुम्हारी सेवा में हाज़िर कर दूँगा! आज से तुम्हारे दुख के ओर वाइब्रेटर के दिन बीत गये। आज से तुम सिर्फ़ इस असली लंड का मज़ा लो…!” और इतना कह कर मीना चाची को दबा दबा कर उसके रसीले होंठ चूसने लगा।
मीना चाची की चूचियों का दबाव पाकर और उनकी मस्त मोटी-मोटी जवानी सीने से लगा कर मेरा लंड फिर से पूरा तन गया था। मीना चाची बोली, “भोसड़ी के! तेरा लंड है की मस्त गन्ना… देख तो सही कैसे खड़ा हो कर लहरा रहा है!”
मैंने कहा, “मीना यह तो फिर से तुम्हारे होंठों को ढूँढ रहा है चुसाने के लिये।”