छोटे लंड का पति

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वो मुझसे बहुत खुश हो गया और बोला, “आज तक मैंने जितनी भी लड़कियों को चोदा वो सभी बहुत ज्यादा चिल्लायी और चीखी थी। लेकिन तुम ज्यादा नहीं चीखी और चिल्लायी और तुमने मेरा पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। क्या तुम्हारे पति का लंड ज्यादा लम्बा और मोटा है!”

मैंने मेहता से झूठ बोला और कहा, “जी सर!”

वो बोला, “कितना लम्बा और मोटा है तुम्हारे पति का लंड?”

मैंने कहा, “सर! उनका लंड नौ इंच लम्बा है और बहुत मोटा भी!”

वो बोला, “फिर तो तुम्हारी चुदाई करने में मुझे खूब मज़ा आयेगा। बाकी की लड़कियाँ चीखती और चिल्लाती थी इसलिये मुझे ज्यादा मज़ा नहीं आता था। तुम मुझे पूरी तरह से खुश कर दो। मैं तुम्हारे पति को जनरल मनेजर बना दूँगा!”

मैंने कहा, “मैं आप को पूरी तरह से खुश करने की कोशिश करुँगी सर!”

उसने मुझे करीब आधे घंटे तक खूब जम कर चोदा। मैंने भी उसे जोश दिला-दिला कर उससे खूब जम कर चुदवाया । मुझे भी खूब मज़ा आया। इस चुदाई के दौरान मैं तीन मर्तबा झड़ गयी थी। लंड का सारा रस मेरी चूत में निकाल देने के बाद मेहता ने अपना लंड बाहर निकला। उसके बाद वो मेरे बगल में लेट गया। दस मिनट भी नहीं बीते थे कि मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी।

मेहता बहुत खुश हो गया और बोला, “तुम तो बहुत सैक्सी हो। अभी दस मिनट भी नहीं बीते हैं कि तुमने मेरा लंड चूसना शुरु कर दिया!”

मैंने कहा, “सर! मैं आप को पूरी तरह से खुश करना चाहती हूँ!”

मैं उसका लंड चूसती रही तो दस मिनट में ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मुझे फिर से चोदना शुरू किया। इस बार उसने मुझे लगभग आधे घंटे तक चोदा। मैंने भी उसे खूब जोश दिलाया। मैंने उससे कहा, “सर! आप मुझे बेहद अच्छी तरह से चोद रहे हैं। इतनी अच्छी तरह से मेरे हसबैंड मुझे नहीं चोद पाते। आपका लंड भी बहुत अच्छा है!”

मेरी बात सुन कर वो बहुत खुश हो गया। मैंने छः दिनों तक तरह-तरह के स्टाइल में मेहता से खूब जम कर चुदवाया। सातवें दिन मैं मेहता के साथ उसके आगोश में बैठी शराब पी रही थी और खासे नशे मे थी। मैंने मेहता से कहा, “सर! अब मैं आप को दूसरा मज़ा देना चाहती हूँ!”

वो बोला, “अब कौन सा मज़ा दोगी?”

मैंने कहा, “क्या आपने कभी किसी लड़की की गाँड मारी है?”

वो बोला, “सारी लड़कियाँ मुझसे चुदवाने में ही इतना ज्यादा चीखती और चिल्लाती थी कि मुझे कभी किसी लड़की की गाँड मारने का मौका ही नहीं मिला। क्या तुम मुझसे गाँड मरवाने के लिये तैयार हो!”

मैंने कहा, “जी सर। आप खूब जम कर मेरी गाँड मारिये और मज़ा लीजिये!”

वो बोला, “तुम फिर से चीखोगी और चिल्लाओगी!”

मैंने कहा, “सर! पहली-पहली बार मुझे थोड़ी तो दिक्कत होगी ही क्योंकि आप का लंड मेरे हसबैंड के लंड से ज्यादा लम्बा और मोटा है। मैं अपने हसबैंड से खूब जम कर गाँड मरवाती हूँ!”

वो बोला, “फिर ठीक है!”

चार दिनों तक मेहता ने खूब जम कर मेरी गाँड मारी। मुझे पहली बार उस से गाँड मरवाने में बहुत दर्द हुआ और मैं खूब चीखी भी लेकिन बाद में मुझे खूब मज़ा भी आया। दस दिन गुजर गये तो मेहता ने कहा, अब तुम चाहो तो जा सकती हो।

मैंने कहा, “सर! मुझे रुख़सती नहीं देंगे?

वो बोला, “रुख़सती?”

मैंने कहा, “रुख़सती सर...! मेरा मतलब बिदायी!”

मेहता बोला, “हाँ हाँ!! बोलो क्या चाहिये!”

मैंने कहा, “सर... आपने चार दिनों से मेरी चुदाई नहीं की है। आप सिर्फ मेरी गाँड का ही मज़ा लेते रहे। मेरी चूत में खुजली हो रही है। आप एक बार मुझे और चोद दीजिये!”

वो बोला, “ये कौन सी बड़ी बात है। अभी चोद देता हूँ!”

मेहता ने फिर से मेरी चुदाई की। उसने मुझे खूब जम कर चोदा। मैं उससे चुदवा कर एक दम मस्त हो गयी। उसके बाद मैं घर वापस चली आयी। घर पहुँचते ही फ्रांसिस ने मुझसे पूछा, “क्या हुआ? काम बन गया?”

मैंने मज़ाक करते हुए कहा, “वो तुम्हें मैनेजर नहीं बनायेगा!”

फ्रांसिस उदास हो गये और बोले, “उस साले ने दस दिनों तक मेरी बीवी की चुदाई की और मुझे मैनेजर भी नहीं बनाया!”

मैंने कहा, “लेकिन मेहता ने मुझे खूब जम कर चोदा है। मुझे तो उससे चुदवाने में खूब मज़ा आया और मैं एक दम मस्त हो गयी हूँ!”

फ्रांसिस उदास हो गये थे। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “उदास मत हो। मेहता तुम्हें जनरल मैनेजर बनाने के लिये तैयार हो गया है!”

मेरी बात सुनकार फ्रांसिस बहुत खुश हो गये। उन्होंने मुझे चूम लिया। अगले दिन मेहता ने फ्रांसिस को जनरल मैनेजर बना दिया। कुछ दिनों के बाद जॉन भी वापस आ गया। उसे जब पता चला कि उसके भैया जनरल मैनेजर बन गये हैं तो वो बहुत खुश हो गया। वो नहीं जानता था कि मैने उसके भैया को जनरल मैनेजर कैसे बनवाया है। मुझे अब मेहता अक्सर अपने घर बुलाया करता है। मुझे मेहता का लंड भी काफी पसन्द आ गया था इसलिये मैं अब भी उसके घर जा कर उससे खूब जम कर चुदवाती हूँ और मज़ा लेती हूँ। अब तो जॉन मुझे फ्रांसिस के सामने भी चोदने लगा है। फ्रांसिस और जॉन बहुत खुश हैं और मैं भी।

*** समाप्त ***

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