Darvaje Banane Aaya, Bacha Bana Gay

Story Info
Darvaje Banane Aaya, Bacha Bana Gaya.
2.6k words
4.33
1.9k
1
0
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here
odinchacha
odinchacha
252 Followers

मेरा नाम हैप्पी सिंह (25) है और मैं पेशे से राज मिस्री हूँ। मैं अभी तक कुंवारा हूँ और काफी चूतो का स्वाद ले चूका हूँ । इस कहानी में भी उनमे से एक चूत का वर्णन पेश कर रहा हूँ। हमारी आज की कहानी की नायका को हम रानो के नाम से जानेगे। उसकी उम्र यही कोई 28 वर्ष, शादीशुदा, गदराये बदन की मलिका, थी।

हुआ यूं के मेरे पड़ोस में रहने वाली एक बूढी विधवा औरत ने एक दिन मुझे कहा के बेटा, मेरी बेटी यहां पास के गांव में ही रहती है। उन्होंने घर नया बनाया है। लेकिन उनका गली वाला गेट बना नही है तो उसके लिए वो मिस्त्री ढूंढ रहे है। यदि तुम्हारे पास वक्त है तो तुम वो काम करलो। तुम्हे भी थोड़े पैसे मिल जायेंगे और उनका भी काम निपट जायेगा। मैंने उन्हें काम के लिए हाँ बोल्दी। अगले दिन मैं उनके बताये पते पे अपने औजारो को लेकर पहुँच गया।

मुझे आया देख उसकी बेटी ने बहुत बढ़िया ढंग से मेरा स्वागत किया। खाने पीने की बहुत सेवा की और मुझे काम समझाया। मैंने उनके घर के हिसाब से काम के लिए 3 दिन का समय लिया और अपने काम पे लग गया। मज़दूर के तौर पे मेरे साथ उसका पति ही था। पहले दिन मैंने गली वाले गेट की नीव मज़बूत करके चिनाई का काम शुरू कर दिया।

फेर दोपहर के खाने के बाद जरूरत थी सरिया और चालियो की, तो मैंने उसके पति को बाज़ार से ये दोनों चीज़े लेने भेज दिया। थोड़ी देर तक वो अपने पति की गैर मौजूदगी में मेरे साथ काम में हाथ बटाती रही। वो मेरे गांव में रहकर आई थी। तो जाहिर है पूरे गांव को जानकर थी

उसके खानदान में मश्हूर था के उसकी माँ, बहन, वो सभी स्त्रियां पैसे के बदले सेक्स करती है। चाहे मैं ये बात भली भांति जानता था लेकिन किसी को भी उसके मुंह पे ऐसी बात कहना या पूछना बहुत कठिनाई का काम है। मेने सोचा मौका अच्छा है। ट्राई करने में क्या हर्ज़ है। काफी समय तक हम हंसी मज़ाक करते रहे। बातो बातो में वो भी इतना खुल गयी के हम बेशर्मो की तरह लण्ड, चूत की बात करने लगे।

मैंने ऐसे ही बोल दिया के रानो, तुम्हारा पति, तुमसे बड़ी उम्र का लगता है। क्या तुम्हे नही लगता के तुम्हारी जोड़ी परफेक्ट नही है।

मेरी इस बात से उसे काफी गहरा सदमा लगा। वो फक फक करके रोने लगी। मैंने उसे चुप कराते हुए कहा, यार तुम तो सिरियस हो गयी। मैंने तो हंसी मज़ाक में कहा था। लेकिन वो चुप होने का नाम ही नही ले रही थी। मैंने उसे गले लगाकर बहलाया फुसलाया और अंदर छाँव में पंखे की हवा के निचे ले जाकर बेड पे बिठाकर पानी पिलाया।

थोड़ी देर तक रोते रहने के बाद वो चुप हुई और बोली, हैप्पी तूने एक दम सच कहा है। मेरी और इनकी जोड़ी परफेक्ट नही है। मेरे साथ चलता हुआ ऐसे दिखता है जैसे मेरा पति नही मेरा बाप हो। एक दिन भी मैंने इसके साथ ख़ुशी से नही काटा। आज 3 साल हो गए है, मेरी शादी हुए, एक बार भी मैं पेट से नही हुई..

डॉक्टरों का कहना है के आपके पति में कोई दिक्कत है। ये वैसे तो उस दिक्कत की दवाई भी खा रहे है। लेकिन मुझे नही लगता के कोई फर्क पड़ेगा। लगता है मैं ऐसे ही बिना माँ का सुख लिए इस जहां से चली जाउगी। अब तुम ही बताओ मैं करु भी तो क्या?

मैं -- अब मैं क्या बोलू यार, थोड़ी देर तक देखलो शायद आपकी झोली भर जाये। नही तो...

वो -- नही तो क्या??

मैं -- नही तो कोई बच्चा गोद ले लेना।

वो -- नही गोद लिए बच्चे पे वो प्यार नही आता जो अपने पेट से पैदा किये बच्चे पे आता है। इसके इलावा कोई और रास्ता बताओ।

मैं -- रास्ता तो है लेकिन थोडा कठिन है। अगर आप बुरा न मानने का वादा करो तो बटाऊ।

वो -- हाँ वादा है, नही बुरा मानूंगी आप बताओ बस।

मैं -- आपके लिए दो हल है मेरे पास, नम्बर 1 आप अपना इलाज़ करवाके बच्चा लेलो।

नम्बर 2 किसी जान पहचान वाले से गर्भ ठहर वालो।

मेरी बात सुनकर वो कुछ पल के लिए खामोश सी हो गयी। फेर बोली," नम्बर 1 वाला हल तो महंगा पड़ेगा, लेकिन 2 नम्बर वाला एक दम सस्ता है। लेकिन ऐसा व्यक्ति मिलेगा कहां, जो ये काम कर सके।

मैं -- अपने आस पास नज़र मारिये। हो सकता है के आपके पास ही बैठा हो। उसने गर्दन घुमाकर इधर उधर देखा तो हम 2नो के इलावा कोई भी पास नही थी।

फेर वो बोली," मेरे पास आपके इलावा कोई भी नही है। तो आप मेरा ये काम करोगे। यदि आप मान जाते हो तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी। इस घर को एक वारिस मिल जायेगा। वरना हमारे जेठ जिठानी ही ये घर हड़प लेंगे।

मैंने भी सोचा अच्छा मौका है, एक तो फ्री में चोदने का मौका मिल रहा है, दूसरा इनको इनका वारिस मिल जायेगा। मेने उसे हां बोल्दी और वहीं उसी बैड पे लिटाकर उसे चूमने चाटने लगा।

वो बोली," अभी नही रुक जाओ, मेरे पति बाज़ार से आते ही होंगे। दूसरा गली वाला गेट नही है। तो कोई भी मुंह उठाये सीधा आ सकता है। हम पकड़े गए तो बहुत बदनामी होगी। ऐसे करते है, कही और का प्लान बनाते है। आज शाम को मैं आपके साथ ही आपके गांव चली जाउगी। वहां हम दिल खोलकर ये खेल खेलेंगे।

हम बाते कर ही रहे थे के एक व्हीकल की आवाज़ हमारे पास आकर बन्द हो गयी। हमने बाहर निकलकर देखा तो एक ट्रॉली में सरिया और चलिया आई हुई थी। मैंने और उसके पति ने मिलकर समान उतारा और ट्रेक्टर वाले को मेहनत देकर वापिस भेज दिया। इतने में शाम हो गयी। मैंने उन्हें बाकि का काम कल करने का कहकर अपने घर की तरफ जाने की आज्ञा मांगी।

इतने में रानो ने कहा," आप गांव तो जा ही रहे हो, मुझे भी ले जाओ, मैंने माँ से थोड़े पैसे उधार लेने है। कल सुबह हम इकठे वापिस आ जायेगे। मैंने कहा, मुझे आपको साथ ले जाने में कोई आपत्ति नही है। लेकिन पहले अपने पति से तो पुछलो।

इतने में उसका पति बोल पड़ा," इसमें पूछने की क्या बात है। आप कोई गैर थोड़ी न हो। वैसे भी कल को आपने सुबह 8 बजे आना ही तो है। इसे साथ में ले आना। पति द्वारा आज्ञा मिलने से रानो तो जैसे बागो बैग हो गयी।

उसने कहा, मैं इनके लिए 2-4 रोटिया सेंक दूं। हम तो घर पे चलकर खा लेंगे। करीब 20 मिनट के भीतर रानो ने अपने पति के लिए खाना तैयार कर दिया और हम बाइक से अपने गांव की और निकल गए। मेरे गाँव से काम वाली जगह 20 किलोमीटर थी। तो हम धीरे धीरे बाते करते सफर का मज़ा ले रहे थे।

वो -- ऐसा नही हो सकता के तुम मेरे साथ मेरे घर पे रुक जाओ। हम खुलकर मज़ा भी ले सकेंगे और यही से तैयार होकर सुबह वापिस आ जायेगे।

मुझे तो बस चूत से मतलब था। मैंने उसकी हाँ में हाँ मिला दी और घर पे फोन कर दिया के आज रात को किसी घर का लेंटर डाल रहे है। सो देरी भी हो सकती है। शायद न ही आऊँ। सो मेरी चिंता न करना। आप खा पीकर सो जाना।

करीब 15 -- 20 मिनट बाद हम गांव पहुँच गए। उसके मायके घर में पहुँच कर हमने चाय पी, खाना खाया और उसकी माँ से ढेर सारी बाते की।

मैंने इशारे से रानो से पूछा," मेरे यहां रहने से कोई माँ को ऐतराज़ तो नही। उसने हाथ से इशारा करके माँ से बात करने का भरोसा दिया।

रानो -- माँ, हैप्पी के घर वाले कही गए हुए है। मतलव उसके घर में कोई नही है। जो उसे खाना, पानी दे सके। आपको कोई ऐतराज़ तो नही। यदि एक रात वो यहाँ रुक जाये तो। हम सुबह यहां से ही तैयार होकर काम पे निकल जायेगे। नही तो किधर जाकर ये सुबह के लिए चाय खाना बनाएगा,।

उसकी माँ -- नही, मुझे कोई ऐतराज़ नही है। तुम यही सो सकते हो। यहां अलग कमरे में सो जाओ, मुझे तो खांसी की शिकायत है। सारी रात खांस्ती रहूंगी। जिस से तुम्हारी नींद भी खराब होगी और तुम सुबह समय पे जागकर काम पे नही जा सकोगे। सो उसके लिए यही बेहतर है। तुम दोनों साथ वाले कमरे में सो जाओ।

उसकी इस बात से तो मानो हमने जन्नत पा ली हो। रानो ने अपना और मेरा बिस्तर अलग कमरे में लगा लिया। कुछ देर तक हम उसकी माँ के पास बेठे बाते करते रहे। जब वो सो गयी तो हम अपने कमरे में आ गए और अंदर से दरवाजा बन्द करके जल्दी से कपड़े उतारकर एक ही बिस्तर पे आ गए।

मैे उसे पीठ के बल लिटाकर उसके ऊपर लेट गया और उसके पतले नरम होंठो का रसपान करने लगा। वो भी आँखे बन्द करके मेरा साथ देने लगी।

करीब 20 मिनट हम ऐसे ही एक दूसरे के होंठो का रसपान करते रहे।

फेर वो बोली," हैप्पी, आज की रात मैं तुम्हारी बीवी हूँ। जितना चोदकर मज़ा ले सकते हो, ले लो। कल लो ताना मत देना के मज़े लेने में कमी रह गई। मुझे बस बच्चा चाहिए, इसके लिए मैं कोई भी परीक्षा देने को तैयार हूँ। मेरी माँ भी मेरे बच्चा न होने से बहुत दुखी है। मेरे बच्चा हो जाये तो ये भी उसी दिन ठीक हो जाये। आधी से ज्यादा बीमार तो नाती के ना होने की वजह से हुई पड़ी है। मैं तेरा ये एहसान जिंदगी भर नही भूलूंगी। कृपया एक बार मेरी गोद भर दो।

उसकी बातों में एक दुखी माँ की करुणामयी आवाज़, बेबसी, अनेकों की भावनाये दिखाई दे रही थी।

मैं -- चुप हो जाओ, अब समझो तुम्हारे सारे दुःख टूट जायेंगे। दो तीन दिन लगातार मुझसे सहवास करलो। तुम्हारी झोली भरने की गारन्टी मैं लेता हूँ ।

मेरी बात सुनकर उसे थोड़ी आशा की किरण नज़र आई। वो बच्चे पाने के लिए इतना पागल हो चुकी थी के किसी भी हद तक जा सकती थी। मैंने उसे इशारे से लंड चूसने को कहा। उसने बिगड़ा सा मुंह बनाकर न चाहते हुए भी 2-3 बार चूसकर ये कहकर छोड़ दिया के मुझे ऐसा करने से उलटी आ जायेगी।

मैंने भी उसकी मज़बूरी को समझते हुए ज्यादा जबरदस्ती करना ठीक नही समझा। फेर मैंने लण्ड कड़क करके उसकी दोनों टाँगो को आपने कन्धों पे रखकर हाथ से अपने लण्ड को उसकी चूत के मुंह पे सेट करके हल्का सा झटका दिया। मेरा लण्ड उसकी खुली सी गर्म चूत में आधे से ज्यादा घुस गया।

मैनें फेर कमर पीछे करके एक और झटका मारा। इस बार पूरा जड़ तक लण्ड उसकी चूत में समा गया। उसे पता नही सच में दर्द महसूस हो रहा था या कहलो मेरा फुद्दू खीँच रही थी के इसको मैं कंवारी ही लगूँ। जब वो थोडा नॉर्मल लगने लगी तो मैंने अपनी कमर चलानी शुरू करदी।

पहले तो वो हल्का हल्का कहराने लगी। फेर जब उसे भी मजा आने लगा तो वो आह्ह्ह्ह..... सीईईईई..... आआउच् जैसी सिसकिया लेने लगी।

मैं ऊपर लेटा कभी उसके होंठ चूसता तो कभी उसके मम्मे, मुझे ये चूत बहुत महीनो बाद मिली थी तो मैं भी एक महीने तक जोड़ा हुआ माल इसपे ही खर्चने के मुड़ में था। हमारी ये प्यार की लड़ाई करीब 15 मिनट लगातार चली होगी। जिसमे वो 3 बार मैं 1 बार उसकी चूत में ही झड़ा।

उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा और थककर हम बिन कपड़े पहने ही सो गए। सुबह जब हमारे कमरे का दरवाजा खटकने की आवाज़ आई तो रानो ने झट से उठकर अपने कपड़े पहने और मेरे ऊपर मेरी रजाई डाल दी। जब रानो ने दरवाजा खोला तो उसकी माँ बाहर चाय का जग लिए खड़ी थी। रानो ने उस से जग लिया और वापिस कमरे में ही आ गयी।

जब उसकी माँ वापिस चली गयी तो उसने मुझे मेरे कपड़े देते हुए कहा," आज तो मर ही गए थे, सुबह सुबह अब जल्दी से कपड़े पहनलो, माँ किसी भी वक्त दुबारा वापिस आ सकती है। मैंने भी समय की नज़ाकत को समझते हुए रजाई में पड़े ही कपड़े पहन लिए और बैठकर चाय पीने लगा।

चाय पीके मेरी दीवार घड़ी पे नज़र गयी सुबह के 7 बज रहे थे। बाहर हल्की हल्की ठंडी हवा चल रही थी। मै उठकर फ्रेश होने गया और वापिस उसी कमरे में आके लेट गया। रानो उठकर अपनी माँ की काम काज में मदद करने लगी।

फेर करीब घण्टे बाद वो अपने और मेरे लिए खाना ले आई। हमने मिलकर खाना खाया और काम वाली जगह की और चलने को तैयार हो गए। रानो ने अपनी माँ से कुछ पैसे लिए और मेरे साथ बाइक पे बैठकर काम वाली जगह पे आपने घर आ गई।

यहाँ आकर भी उसने पहले चाय बनाकर पिलाई और मैं और उसका पति काम में जुट गए। दोपहर के 2 बजे के करीब हमने गली वाले गेट की एक साइड बना दी। फेर दोपहर का खाना खाकर दूसरी साइड को बनाने लग गए। जो के शाम 5 बजे तक वो भी पूरी हो गयी। मैंने अपने औज़ार सम्भाले और घर की और आने की इज़ाज़त मांगी।

आज फेर शायद रानो का दिल बेईमान हो रहा था। उसने अपने पति के सामने ही कह दिया। अब धुंध गहरी होने लग गई है। कहाँ इतनी दूर 20 किलोमीटर जाओगे। आज की रात यही रुक जाओ, वैसे भी अर्जुन (उसका पति) आज कुछ ज्यादा ही थक गया है। तुम दोनों मिलकर दारू शारु पीओ। सर्दी में फेर सुबह काम कर पाओगे।

इस से पहले मैं कुछ बोलता, अर्जुन ही बीच में बोल पड़ा। यार रानो ने सही कहा है आज मैं कुछ ज्यादा ही थकावट महसूस कर रहा हूँ। रानो ऐसे कर तुम प्याज़, लहसुन वगैरा काटो मैं पास के खोखे से मीट और दारू लेकर आता हूँ। आज खुलकर सर्दी का मुकाबला करेंगे। रानो प्याज़ वगैरा काटने लग गयी और अर्जुन मेरी बाइक से मीट लेने चला गया। उसके जाते ही मैंने उसे कमरे में ही पकड़ लिया।

वो बोली," सब्र करलो मुन्ने के पापा, आज की रात भी अपनी है। ये दारू, मीट महज़ एक बहाना है। तुम्हे यहां रोकने और अर्जुन को ठोकने का।

हम बाते कर ही रहे थे के इतने में अर्जुन सामान लेकर वापिस आ गया। रानो ने मीट को चूल्हे पे चढ़ा दिया और खुद रोटिया बनाने लग गयी।

करीब आधे घण्टे में ही सब्ज़ी बनकर तैयार हो गयी। रानो ने इशारे से बताया के इसको दारू बहुत चढ़ती है, इसे पहले ढेर करो, फेर हमारा काम बनेगा। मैंने भी उसे मोटे मोटे पेग लगवाये जिस से वो आधा खाना खाये ही लुढ़क गया। हमने उसे बिस्तर पे ठीक तरह से लिटाया और खाना खाकर हम भी 2 जिस्म 1 जान हो गए।

उस रात भी हमने 3 बार जमकर सेक्स किया और इस बार कपड़े पहनकर अलग अलग अपने अपने बिस्तर पे सो गए। सुबह हुई रानो ने मुझे और अर्जुन को जगाकर चाय पिलाई और हम दोनों फ्रेश होकर फेर काम पे लग गए। करीब 2 बजे तक हमने दोनों साइड पलस्तर भी करदी।और सारा काम समाप्त कर दिया।

अर्जुन ने मुझे 3 दिन का मेहनताना दिया और काम पूरा होने की ख़ुशी में आज फेर ईजॉय करने की दावत दी। मैंने बहुत मना किया लेकिन वो मान ही नही रहा था तो उसकी ज़िद के आगे मुझे झुकना पड़ा उस रात हमने जमकर दारू पी और अर्जुन के सोने के बाद जमकर चुदाई की।

अगले दिन मैंने उनसे विदा ली। कई महीनो बाद रानो का फोन आया उसने खुशखबरी दी के वो 3 महीने पेट से है और मेरे द्वारा की मदद के लिए मुझे धन्यवाद कहा। इसके बाद फेर काफी लम्बे समय बाद मुझे पता चला के उसनें बहुत ही खूबसूरत बेटे को जन्म दिया है। जिसे लेकर वो अपने मायके आई थी।

मैंने भी हमारे बेटे को देखा। जिसे देखकर दिल खुश हो गया के चलो मेरी वजह से किसी को ख़ुशी तो मिली। सो दोस्तों ये थी मेरी एक और आपके मनोरंजन के लिए सेक्स गाथा।

odinchacha
odinchacha
252 Followers
Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
Share this Story

Similar Stories

Pati Ke Accident aur Mere Maje Behosh pati ke saamne chudi patni.in Loving Wives
Kiraye ka Pati Pt. 01 Kiraye ka Pati.in Loving Wives
Bade Lund Wala Naukar Bade lund wala naukar.in Loving Wives
Affairs to Remember Pt. 01 The first part of the story.in Loving Wives
Mummy Aur Mere Teacher ममी ने मेरे ट्यूशन टीचर को पटायाin Mature
More Stories