दो आर्मी नर्सों की चुदाई

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उसके बाद शाम को हम लोग तैयार होकर बाहर निकले और सदर (कराची) आये। वहाँ मैंने शाज़िया को कुछ गिफ़्ट लेकर दिये और उसने भी कुछ शॉपिंग की। फिर रात को नौ बजे तक दोबारा होटल पहुँचे। शाज़िया ने मुसलसल चादर की हुई थी कि कोई उसको पहचान ना ले।

वापस रूम में आकर हम लोगों ने डिनर किया और फिर मैंने गरम दूध के लिये ऑर्डर दिया। कुछ देर बाद बेरा गरम दूध लेकर आया और मैंने बहुत पिया क्योंकि कम से कम दस दफा तो शाज़िया को चोद चुका था। इसलिये ताकत वापिस बहाल की। शाज़िया तो पूरी पियक्कड़ थी। उसने दूध को हाथ भी नहीं लगाया और रम पीने लगी। उसके बाद सब कुछ मुकरर करके हमने कपड़े चेंज किये। मैंने पायजामा और टी-शर्ट पहनी मगर शाज़िया अचानक बाथरूम से एक सैक्सी सी नाईटी और ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन कर निकली। वो बहुत अच्छी लग रही थी। ये क्रीम रंग की नाईटी थी। काफी बारीक और सिल्क की नाईटी और काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में वो बहुत सैक्सी लग रही थी। वो बिल्कुल ऐसे पेश आ रही थी जैसे एक बीवी करती है।

उसके बाद पूरी रात मैं उसके साथ चुदाई करता रहा और मैंने अपनी ज़िंदगी की एक ना भूलने वाली रात गुज़ार कर एक तारीख रकम की। मैंने पूरी रात शाज़िया को मुखतलिफ स्टाईल से चोदा, और जी भर कर उसकी चूत को चाटा और जी भर कर उससे लंड चुसवाया। तीन दफा उसकी गाँड में भी लंड डाला। सबसे अच्छा सीन ये था कि एक बार शाज़िया ने मेरे लंड पर शहद लगा कर चाटा और खूब चुसायी की। मैं पूरी रात ना सो सका बल्कि पूरी रात चुदाई में मसरूफ रहा।

सुबह तकरीबन छः बजे हमने आखिरी बार बाथ लिया और उसने मुझे बहुत प्यार किया। मेरे लंड का बुरा हाल हो चुका था क्योंकि मैंने बहुत ज़्यादा बार चुदाई कर ली थी और मेरा लंड सेंसटिव हो गया था । खैर उसके बाद हम तैयार हुए और मैंने काऊँटर पर आकर क्लीयरंस करवायी और फिर हम लोग अपना सामान ले कर होटल से बाहर आये। वहाँ से मैंने एक टैक्सी की और चूँकि शाज़िया का मेस और मेरी यूनिट कैंट स्टेशन के करीब थी, इसलिये साथ ही टैक्सी में बैठे। पहले मैं उसको उसके मेस की तरफ़ ले गया और उसने अपने होस्टल के गेट पर मुझे एक अच्छी सी किस दी और अपना सामान लेकर अंदर चली गयी। हालांकि टैक्सी वाला मिरर में से देख रहा था, मगर मैंने यही ज़ाहिर किया कि ये मेरी बीवी है और मैं इसको ड्रॉप करने आया हूँ। उसके बाद टैक्सी वाले को अपनी मेस कि तरफ़ लेकर गया।

अपनी यूनिट के गेट पर जाकर मैंने टैक्सी वाले को पेमेंट की और वो चला गया। गेट पर पहुँचते ही गेट संतरी ने मेरा इस्तकबाल किया और एक बैटमैन जल्दी से मेरा सामान लेकर मेरे रूम की तरफ़ रवाना हो गया। रूम पर पहुँच कर मैंने शॉवर लिया और फिर ड्यूटी ऑफिसर को फोन किया। नसीब से मेरा ही कोर्स-मेट ड्यूटी पर था। उसको अपने अपने की इत्तला दी और उसके बाद उसको बताया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है और इसलिये मैं ऑफिस नहीं आऊँगा। अगर कोई प्रॉब्लम हुआ तो मुझे बुला लेना।

फिर मैंने अपना मोबाइल बंद किया और शाज़िया के साथ गुज़रे हुए तमाम सीन को ज़हन में लाया और एक खुशगवार फ़ीलिंग के साथ एक गहरी नींद सो गया। शाम को जब मैं उठा और मोबाइल ऑन किया तो शाज़िया की तरफ़ से मिले प्यारे और सैक्सी एस-एम-एस पढ़े। फिर मैंने उसके मोबाइल पर फोन किया तो वो बेचारी ड्यूटी पर थी। उसने बताया कि वो मुझे और मेरे लंड को मिस कर रही है। मुझसे रहा नहीं गया और जल्दी से तैयार होकर अपनी होंडा बाईक निकाली और उसके बताये हुए हास्पिटल में एक फूलों के गुलदस्ते के साथ पहुँचा। ये शिफा हास्पिटल कोरांगी रोड पर है और इसमें फौज के तमाम लोगों का इलाज होता है। शाज़िया भी वहीं जॉब करती थी। मैं उसके बताये हुए वार्ड में गया। उसने आर्मी-नर्स का युनिफ़ॉर्म पहना हुआ था और वो बहुत ज़्यादा सैक्सी लग रही थी। उसकी आँखों से मालूम हो रहा था कि वो बहुत थकी हुई है। पिछली पुरी रात रम पी कर चुदाई की थी और सोना तो नसीब ही नहीं हुआ था।

खैर उसने मुझे विज़िटर रूम में बिठाया और मेरे लिये कोल्ड-ड्रिंक्स मंगवायी। मैंने उसको वह फूलों का गुलदस्ता दिया और उधर विज़िटर रूम में ही पकड़ कर चूमने लगा मगर उसने मुझे मना किया कि ये मेरी ड्यूटी प्लेस है.... यहाँ चुदाई करना खतरनाक है। खैर मैंने उसके साथ काफी समय गुज़ारा और इस दौरान मैंने उसे काफी चूमा और काफी दफा उसकी गाँड और चूचियों को दबाया उसके बाद मैं वापिस अपनी यूनिट आ गया और इसके बाद मैं वीक-एंड का इंतज़ार करने लगा। अगले शनिवार को फिर शाज़िया के साथ डेट लगायी। मेरे पास जगह नहीं थी लेकिन मैं उसको समंदर किनारे ले गया और वहाँ पर अंधेरे में कुछ चूमा-चाटी की और चूचियों को मसल और चूसा। उसने मेरे लंड की चुसायी की और फिर रात को वापिस मैं उसको उसके मेस छोड़ आया।

उसके बाद मेरा ये रूटीन बन गया था कि जब भी वो शाम को फ़्री होती तो मैं उसको अपनी मोटर-बाईक पर बिठा कर लेकर जाता और कोई भी खाली जगह देख कर कुछ चुदाई करता। मगर अभी तक कोई फ़्लैट या घर नहीं मिला था कि मैं अपने लंड की तमाम मस्ती उतार सकूँ।

इस दौरान शाज़िया ने मुझे अपनी बेस्ट-फ्रेंड फौज़िया से भी मिलवाया। वो होस्टल में शाज़िया की रूम-मेट थी। वो भी काफी सैक्सी लड़की थी। उसकी उम्र भी शाज़िया के जितनी थी मगर फिगर थोड़ा कम था। मेरे ख्याल से उसका फिगर ३४-२६-३४ था। शाज़िया ने मुझे उससे होस्टल में मिलवाया और उसने मेरी बड़ी खातिर की।

अब चूँकि शाज़िया की चूत को एक लत पड़ गयी थी और वो अपनी चूत को हर-रोज़ चटवाना और चुदवाना चाहती थी। मगर ना तो मैं इतना फारिग था और ना हमारे पास कोई घर या फ़्लैट था कि मैं उसको हर वक्त लेकर जाता और उसकी चूत की आग बुझाता। इसलिये उसने अपनी रूम-मेट फौज़िया से आहिस्ता-आहिस्ता चुदाई का सिलसिला स्टार्ट किया, जिसका मुझे बाद में मालूम हुआ। फिर मेरा रूटीन काफी मसरूफ हो गया था और मैं बस शाज़िया से रात को फोन पर चुदाई की बातें करता और वो फोन पर ही मेरी मुठ लगवा देती थी। वजह यह थी कि मेरी यूनिट में मेरी जिम्मेवारियाँ कुछ दिनों के लिये बढ़ गयी थीं, सो मैं शाज़िया को वक्त नहीं दे सका। मगर हम लोग फोन हर रोज़ करते और फोन-सैक्स करते थे। जबकि उसको तो उसकी फ्रेंड फौज़िया मिल गयी थी और वो दोनों हर रोज़ लेस्बियन चुदाई करती थीं। जब शाज़िया मेरे साथ फोन सैक्स करती तो उस वक्त साथ ही वो फौज़िया कि साथ चुदाई कर रही होती थी। उसके लहज़े से मालूम पड़ता था कि उसने शराब पी रखी होती थी।

काफी दिनों बाद मुझे एक काम से शिफ़ा हास्पिटल जाना पड़ा और मैं युनिफ़ॉर्म में था। मगर मेरे लंड में काफी खुजली हो रही थी और काफी दिन से शाज़िया की चूत का मज़ा नहीं लिया था। मैं अचानक युनिफ़ॉर्म में उसके ड्यूटी वार्ड में पहुँच गया तो वो हैरान हो गयी और मुझे युनिफ़ॉर्म में देख कर काफी खुश हुई। बेशक मैं युनिफ़ॉर्म में काफी स्मार्ट लगता हूँ और मेरे कंधों पर स्टार्स काफी अच्छे लगते हैं। खैर वो ड्यूटी पर थी और कोई जगह नहीं थी तो उसने मुझे अपने चेंजिंग रूम में बिठाया। ये इमरजेंसी वार्ड में नर्सेज का चेंजिंग रूम था। इधर नर्सें कुछ आराम और कुछ चेंजिंग वगैरह करती थीं। हालांकि इधर अदमियों को इजाज़त नहीं थी मगर शाज़िया ने रिस्क ले कर मुझे वहाँ बिठाया और मैं उसका इंतज़ार करने लगा।

कुछ देर बाद वो खुद कॉफी का कप लेकर आयी। मैंने पहले भी बताया कि शाज़िया युनिफ़ॉर्म में बहुत सैक्सी लगती थी क्योंकि उसकी बाहर निकली हुई गाँड और उसके बूब्स साफ़ नज़र आते थे। मैं तो उसको देख कर ही सैक्सी मूड में आ गया। जब वो अंदर आयी तो मैंने उसको पकड़ा और उसे चूमना शुरू कर दिया। उसने मना किया कि ये जगह ठीक नहीं है मगर मैंने कहा कि इधर तो कोई भी नहीं आता। फिर उसने डोर लॉक किया और मैंने आहिस्ता से उसकी युनिफ़ॉर्म शर्ट ऊपर की और उसकी सफेद-सफेद चूचियाँ चूसने लगा। काफी दिनों बाद उसकी चूचियाँ चूस रहा था, इसलिये बहुत मज़ा आया। फिर मैंने उधर ही अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना लंड बाहर निकाला। शाज़िया ने जल्दी-जल्दी उसको मुँह में लिया और चूसने लगी। साथ-साथ वो बोली कि मैं इसको मिस कर रही थी, ये मेरी जान कितना उदास है, चलो मैं तुमको खुश करती हूँ। मैं जल्दी ही गरम हो गया। फिर मैंने शाज़िया की पैंट नीचे की और उधर ही सोफ़े पर उसको उल्टा मोड़ दिया और पीछे से उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया।

मुझे कुछ-कुछ डर भी लग रहा था मगर चुदाई की इंतहा पर था, इसलिये जल्दी-जल्दी उसकी चूत में लंड आगे पीछे करने लगा। फिर कुछ देर बाद मैं उसकी चूत में फारिग हुआ और उसने मेरे लंड को अपनी चूत से निकाल कर चाटना शुरू किया और बोली कि, काफी दिनों से मैंने ये टेस्ट नहीं किया, और मेरे लंड को अच्छी तरह चाटने लगी। फिर उसने अपना ड्रेस ठीक किया और अपनी हालत को मिरर में देख कर ठीक किया। मैंने भी अपनी हालत ठीक की।

उसने डोर की कुँडी खोली और एहतियात से बाहर देखा कि कोई नहीं है। उसने बताया कि मैं वार्ड में जा रही हूँ, तुम बाद में आराम से निकल जाना। उसके चले जाने के बाद मैं भी कुछ देर बाद ठीक हो कर बाहर निकला और उसके पास वार्ड में गया। वहाँ शाज़िया की काफी कलीग्स थीं। शाज़िया ने मुझे उनसे मिलवाया कि ये मेरे कज़न हैं। मैं आर्मी की युनिफ़ॉर्म में था, इसलिये बाकी नर्सों ने शाज़िया को सराहा कि तुम्हारा कज़न काफी स्मार्ट है, और उसको छेड़ा और वो शर्मा सी गयी।

इमरजेंची वार्ड में चुदाई करके मेरा काफी खौफ हट गया था और जब तक उसकी उस वार्ड में ड्यूटी थी, मैं अक्सर शाज़िया के पास वार्ड में जाता और काफी खतरा लेकर अपने लंड की प्यास बुझाता। हालांकि हम लोग पूरा इंजॉय तो नहीं कर सकते थे मगर कुछ न कुछ कर ही लेते थे, क्योंकि वो जगह ज़्यादा सेफ नहीं थी। इसी दौरान मैं उसकी फ्रैंड फौज़िया से भी काफी फ़्री हो गया था लेकिन अभी तक उसने कोई चुदाई की बात नहीं की थी और न ही बताया कि वो शाज़िया के साथ लेस्बियन सैक्स करती है।

आखिरकार मेरा जिगरी दोस्त, अहमद, भी कराची वापस आ गया। वो काफी अमीर है और डिफेंस फेज़-ई/ई में रहता है। मैंने उससे मिल कर उसको बताया कि मैं उसको काफी मिस करता रहा हूँ। अभी तक मैंने शाज़िया की चुदाई का उसको नहीं बताया था मगर इस दौरान एक दिन हमारा प्रोग्राम होक्स-बे का बना और मैंने अहमद को भी प्रोग्राम का बताया और उसको शाज़िया और उसकी फ्रैंड का तफ़सील से बताया। मगर उसको अभी तक चुदाई का नहीं बताया था बल्कि बताया कि बहुत करीबी गर्ल फ्रैंड है।

आखिरकार सितंबर के पहले संडे को, मैं अहमद के साथ उसकी गाड़ी में शाज़िया के होस्टल आया। उस वक्त तक शाज़िया कि सिर्फ़ फोन पर अहमद से बात हुई थी, सो उन दोनों ने पहली बार अहमद को देखा। फिर हम चारों (शाज़िया, फौज़िया, मैं और अहमद) कार में बैठ कर होक्स-बे की तरफ़ रवाना हुए। अभी तक हम लोग रिजर्व थे क्योंकि मैं आगे अहमद के साथ बैठा था और पीछे शाज़िया और फौज़िया बैठी थीं।

होक्स्र-बे पर मैंने पहले से हट बुक करवाया हुआ था और हम लोग कुछ सामान लेकर गये थे। वहाँ मैंने फौज़िया को अहमद के साथ किया और खुद शाज़िया के साथ सी-साईड पर वॉक करने लगा। उसके बाद वो दोनों कुछ आगे चले गये और मैं शाज़िया को लेकर हट में आया। वहाँ मैंने उसको चूमना शुरू किया और फिर दोबारा एक ज़ोरदार चुदाई की। जब वो दोनों वापस आये तो मैंने रूम को लॉक किया हुआ था। उन्होंने नॉक किया और मैंने डोर खोला। हालांकि मैं चुदाई खतम कर चुका था मगर शाज़िया के ड्रेस से मालूम हो रहा था कि हम लोग चुदाई कर रहे थे। मगर उन्होंने कुछ नहीं कहा।

उसके बाद हमने मिल कर बियर पी और लंच किया। फिर लंच के बाद जब शाज़िया और फौजिया सामान संभालने में लगी तो अहमद बालकोनी में मेरे पास आया और आँख मार कर हालात मालूम किया। वो मेरा बेस्ट फ्रैंड है तो मैंने उसको हालात का बताया और उससे फौज़िया का मालूम किया। उसने बताया कि फौज़िया ने भी काफी बातें चुदाई पर की थीं उसके साथ और वो भी जल्द राज़ी हो जायेगी।

उसके बाद मैं शाज़िया को लेकर सी-साईड पर गया और अहमद और फौज़िया को हट पर छोड़ा और कहा कि, तुम लोग आराम करो, हम लोग राऊँड लगा कर आते हैं। फिर मैं शाज़िया को बगल में लेकर हट से दूर चला गया। पीछे मालूम हुआ कि अहमद साहब ने भी अपनी लंड की आग बुझा ली है और फौज़िया की चूत की सैर कर ली है। इस दौरान फौज़िया ने शाज़िया के साथ लेस्बियन सैक्स का भी अहमद को बताया। हम दोनो काफी देर बाद वापस आये तो हम सब ने मिल कर बियर पीनी शुरू की। इस दौरान हमने काफी गपशप की और फिर जब मैं अहमद के साथ अकेला हुआ तो उसने बताया कि काम हो गया है और उसने फौज़िया की चूत को पार कर लिया है।

खैर हमने एक बहुत अच्छा दिन होक्स-बे पर गुज़ार कर शाम को वापसी की। अहमद ने ड्राइविंग मुझे दी और वापसी पर मैं ड्राइविंग करता हुआ कार लेकर आया। वापसी पर शाज़िया मेरे साथ आगे की सीट पर थी जबकि फौज़िया अहमद के साथ पीछे सीट पर थी। हमने पूरे रास्ते बहुत इंजॉय किया मगर शाज़िया ने या फौज़िया ने ये नहीं शो किया कि दोनों अपनी चूत फिरवा कर आ रही हैं।

उसके बाद हम चारों का एक अच्छा ग्रुप बन गया। चूँकि अहमद काफी अमीर लड़का था और अकेला फ़्लैट में रहता था, तो मेरी निसबत उसके पास पैसा काफी था। वैसे भी आर्मी में तनखा काफी कम होती है और मैं वैसे भी काफी खर्चा नहीं करता था। मगर अहमद हर डेट पर हम चारों का खर्च बर्दाश्त करता था।

उसके बाद मैं कईं दफा शाज़िया को अहमद के फ़्लैट पर लेकर गया और शाज़िया की चूत की आग बुझाता रहा। इधर शाज़िया और फौज़िया तो अच्छी फ्रैंड्स थी ही और आपस में भी चुदाई करती थीं। उन्होंने एक दूसरे को हमारे साथ चुदाई की कहानी भी बता दी थी। अभी तक हम चारों ने ग्रुप सैक्स नहीं किया था और उसकी वजह या तो शरम थी या अभी तक मौका ही नहीं मिला था। अक्सर शाज़िया की ड्यूटी होती तो फौज़िया फ़्री होती, या फौज़िया की ड्यूटी होती तो शाज़िया फ़्री होती। आखिरकार २३ नवंबर को अहमद की सालगिरह थी और उसने मुझे पहले ही से दावत दे रखी थी और उन दोनों को भी कहा कि उन्होंने भी पार्टी में आना है।

यहाँ मैं एक बात वाज़िया कर दूँ कि नर्सों को होस्टल से बाहर रात गुज़ारने की इज़ाजत नहीं थी। इसलिये हम लोग या तो दिन में मिलते या रात दस बजे तक वापिस आ जाया करते थे, क्योंकि उनकी रोज़ाना रात को हाज़री होती थी और रोज़ाना उनकी रिपोर्ट उनकी हेड नर्स को जाती थी। जब से मैं कराची वापस आया था, मैंने दोबारा शाज़िया के साथ रात नहीं गुज़ारी थी और न कभी मौका मिला था। बरहाल मैंने शाज़िया को अहमद की सालगिरह और सैक्स प्रोग्राम का बताया। उसका भी दिल किया कि काफी इंजॉय किया जाये, सो उन दोनो ने अपनी हेड नर्स को इल्तज़ा की कि उनकी रिश्तेदारी में शादी है और उनको रात बाहर रहना पड़ेगा।

उनकी दरख्वास्त मंज़ूर हो गयी। मैं और अहमद २३ नवंबर को शाम के वक्त शाज़िया और फौज़िया के होस्टल उन दोनों को लेने अये। वो रात भी मेरी ज़िंदगी की ना भूलने वाली रात थी। शाम को हम चारों अहमद की कार में तारीक रोड गये और मैंने और दोनों लड़कियों ने अहमद के लिये कुछ गिफ़्ट पैक करवाये। उसके बाद अहमद के फ़्लैट पर चारों पहुँच गये।

अहमाद ने बताया कि अभी रात का खाना उसकी तरफ़ से बाहर रेस्तोरां में होगा। फिर वापस अकर केक काटेंगे। खैर हम चारों डिफेंस के एक खूबसूरत रेस्तोरां सिल्वर स्पून में गये और वहाँ ज़बरदस्त डिनर किया और डिनर के दौरान बहुत गपशप लगायी और काफी इंजॉय किया। उसके बाद वापस आकर फ़्लैट पर हमने बाकी प्रोग्राम को तरतीब दिया। ये पहली बार है कि शाज़िया और फौज़िया एक साथ उस फ़्लैट पर थीं, वर्ना तो मैं जब शाज़िया को ले कर जाता था तो वो अकेली होती थी, और अहमद जब फौज़िया को लेकर जाता तो वो भी अकेली होती थी।

अहमद ने बहुत इंतज़ाम किया था। उसने बड़ा सा केक मंगवाया था। उसके साथ बाहर के मुल्क से लायी महंगी शराब थी। खैर हमने फिर केक काटा और सब ने अहमद को हैप्पी बर्थडे कहा। उस वक्त मैंने अहमद के गालों पर एक किस की तो वो दोनो लड़कियाँ मुस्कुराने लगीं और कहने लगीं, देखो एक लड़का दूसरे लड़के को किस कर रहा है! मैंने जवाब दिया कि एक लड़की जब दूसरी लड़की को किस कर सकती है तो क्या मैं दूसरे लड़के को किस नहीं कर सकता? इस पर शाज़िया समझ गयी और ज़ोर- ज़ोर से हंसने लगी।

उसके बाद हम चारो ड्रिंक्स पीने लगे और गपशप लगाने लगे। दोनों लड़कियाँ पूरे जोश में वो महंगी शराब पी रही थीं और उन पर नशा जल्दी छाने लगा था। फिर फौज़िया ऊँची ऐड़ी की सैंडल में लड़खड़ाती सी किचन की तरफ बढ़ी तो अहमद भी उसके पीछे हो लिया। मैं शाज़िया को सहारा देकर बेडरूम में लाया और किसिंग करने लगा। मैंने शाज़िया को कहा कि ग्रुप सैक्स करते हैं मगर उसने कहा कि फौज़िया राज़ी नहीं होगी। खैर हमने कुछ देर बेडरूम में चुदाई की और इस दौरान अहमद ने भी फौज़िया को नहीं छोड़ा क्योंकि जब मैंने बेडरूम खोला तो बाहर हॉल में फौज़िया अपने कपड़े ठीक कर रही थी। दरसल अभी तक हम में कुछ शरम थी और मैंने कभी भी अहमद के साथ मिलकर कोई चुदाई-ईवेंट नहीं किया था। इसके अलावा मैं फौज़िया की चूत मारना तो चाहता था मगर शाज़िया से कभी इज़हार नहीं कर सका था। इसलिये हम लोगों ने और ड्रिंक्स लीं और काफी देर बातें करते रहे।

उसके बाद हमने मूवी लगायी और उस में कुछ सैक्सी सीन थे। इन तमाम हालात को देख कर शाज़िया का बहुत दिल चाहा मगर अभी तक वो अहमद से खुली नहीं थी। इसलिये उसने मुझे आँख मारी और सबसे कहा कि उसने बहुत ड्रिंक कर ली है और उसको नींद आ रही है और उसने सोना है। वो उठ कर नशे में लड़खड़ाती एक कमरे में चली गयी। शाज़िया के चले जाने के बाद फौज़िया ने भी सोना चाहा और वो भी नशे में लड़खड़ाती शाज़िया के रूम मैं जाने लगी तो मैंने कहा, फौज़िया साहिबा, आपका दूसरा रूम है। इस पर कुछ शर्मा गयी मगर मुस्कुरा कर दूसरे कमरे में चली गयी।

मेरा और अहमद का दिल तो कर रहा था कि गर्ल फ्रैंड्स को चेंज और शेयर करें लेकिन शायद अभी तक हम में कोई बात थी कि हिम्मत नहीं हो रही थी और फिर हम दोनो कुछ देर गपशप लगा कर अपने अपने कमरे में चले गये।

मेरे रूम में शाज़िया मेरा इंतज़ार कर रही थी और दूसरे रूम में फौज़िया अहमद का इंतज़ार कर रही थी। उसका हाल तो मुझे मालूम ना हो सका लेकिन शाज़िया चुदाई के लिये बेकरार थी। वो पहले ही अपने कपड़े उतार चुकी थी और नशे में बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी पड़ी अपनी चूत सहला रही थी। मैंने शाज़िया को बहुत ज़बरदस्त तरीके से छः दफ़ा चोदा और सुबह तक हम लोग मुखतलिफ़ तरीके से एक दूसरे के साथ चुदाई करते रहे।

सुबह होने से कुछ देर पहले मैं उठ कर किचन में पानी पीने आया तो उस दौरान फौज़िया भी किचन में थी और मैंने उसको छेड़ते हुए पूछा कि रात कैसी गुज़री? वो मुस्कुरायी और मुझसे मेरी रात का पूछा। मैंने पहली बार फौज़िया को अपने साथ काफी फ़्री देखा और उसे देख कर ज़ाहिर था कि वो भी शाज़िया की तरह नशे में थी। मैंने उसको बाँहों में लिया और कहा कि मैं तुम्हें भी चोदना चाहता हूँ!

उसने भी यही कहा कि मैं भी तुम्हारे साथ चुदाई करना चाहती हूँ मगर शाज़िया नहीं मानती क्योंकि वो तुमसे प्यार करती है और वो कहती है कि नोमी सिर्फ़ मेरा है! खैर उधर किचन में मैंने उसके साथ कुछ चूमा-चाटी की और कुछ उसके बूब्स दबाये। उसके बाद मैं अपने रूम में आ गया और शाज़िया के साथ एक और दफा चुदाई की। फिर सुबह हो गयी और मैंने पहले की तरह शाज़िया के साथ मिलकर बाथ लिया और फिर वो दोनो लड़कियाँ तैयार हुईं क्योंकि उन्होंने ड्यूटी पर जाना था।

उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल की तरफ़ आये। वहाँ गेट पर पहुँच कर हमने उनको अलविदा किया तो पहली बार शाज़िया के साथ-साथ फौज़िया ने भी मुझे एक किस किया और इसके जवाब में शाज़िया ने भी पहली बार अहमद को किस किया और हमारा थैंक्स किया और कहा कि बहुत मज़ा आया।

उसके बाद अहमद मुझे यूनिट छोड़ने आया और मैं अपनी ड्यूटी में मसरूफ हो गया। खैर दिन गुज़रते रहे और हम लोग उसी तरह अकेले-अकेले चुदाई में मसरूफ थे। मेरे पास अहमद की फ़्लैट की चाबियाँ थीं और मैं अक्सर शाज़िया को वहाँ लेकर जाता और हम दोनों इंजॉय करते। अहमद भी फौज़िया को लेकर जाता और वो भी चुदाई का मज़ा लेते।

मगर अभी तक फौज़िया के साथ सिवाय किसिंग के कुछ नहीं किया और उसकी अज़ीम वजह शाज़िया थी। वो मुझे शेयर करना नहीं चाहती थी। इसमें कोई शक नहीं कि मैं उसको बहुत अच्छा चोदता था और उसको पूरा मज़ा देता था, मगर मैं भी एक मर्द (बेवफ़ा जात) था और हर वक्त ग्रुप सैक्स या फौज़िया की चूत मारने का सोचता था।

एक दिन मैं शाज़िया को लेकर अहमद के फ़्लैट पर गया था और उसके साथ चुदाई कर रहा था। तभी अचानक डोर खुला और अहमद फौज़िया के साथ अंदर दाखिल हुआ। दरसल मैं शाज़िया को टिवी पर मूवी दिखा कर चोद रहा था और मुझे मालूम था कि अहमद नहीं आयेगा। फौज़िया भी अपने रिश्तेदार के घर गयी हुई थी, इसलिये उसका भी अहमद के साथ आने का कोई चाँस ना था। हम लोग शराब पीकर बेफ़िक्र होकर चुदाई में मसरूफ थे और ये सब इतना अचानक हुआ कि मैं और शाज़िया बिल्कुल संभल न सके।

उस दिन पहली बार मुझे फौज़िया ने और शाज़िया को अहमद ने नंगा देखा। मैं थोड़ा सा बौखलाया मगर अहमद मेरा जिगरी दोस्त था। इसलिये हिम्मत कर के मैंने शाज़िया को चोदना ज़ारी रखा। वो दोनों रूम में चले गये। पहले शाज़िया भी कुछ हिचकिचायी मगर अब तो सब कुछ खुल चुका था और फिर वो नशे में भी थी, इसलिये वो भी बेफ़िक्र हो कर चुदवाती रही। उसके बाद मैंने देखा कि बेडरूम का डोर खुला है और फौज़िया भी अहमद के साथ चुदाई स्टार्ट कर चुकी है।

इस तरह हमारा पर्दा खतम हुआ और मैंने पहली बार फौज़िया को पूरा नंगा देखा और वो भी काफी सैक्सी थी। लेकिन उसके बूब्स शाज़िया से छोटे थे, बाकी सब कुछ बहुत आला था, खासकर उसकी गाँड बहुत ही सैक्सी थी। ऊपर से फौज़िया ने उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे उसकी गाँड और भी सैक्सी लग रही थी और मेरे लंड पर कहर ढा रही थी। उसके बाद हम चारों नंगे थे और टीवी पर मूवी देखने लगे। शाज़िया मेरे लंड के साथ और फौज़िया अहमद के लंड के साथ खेल रही थी। मैंने शाज़िया से कहा अगर वो बुरा ना माने तो मैं फौज़िया को थोड़ा प्यार करूँ। शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था मगर अभी हम इतने खुल चुके थे कि वो इनकार ना कर सकी।

उसके बाद पहली बार मैंने फौज़िया के साथ चुदाई शुरू की। वो भी चुदाई में काफी एक्सपर्ट थी। इसी दौरान अहमद ने भी पहली बार शाज़िया को चूमना शुरू किया। पता नहीं क्यों मुझे अच्छा नहीं लग रहा था जब अहमद उसको किस कर रहा था, लेकिन अभी हम चारों इतने करीब आ गये थे और खुल चुके थे कि और कोई रास्ता नहीं था।

उसके बाद मैं दोबारा गरम हुआ और मैंने फौज़िया को एक ज़बरदस्त तरीके से चोदा। इसके साथ-साथ अहमद ने भी शाज़िया को आला तरीके से चोदा। अहमद का लंड मेरे से कुछ छोटा था, मगर वो भी चोदने में मास्टर था। आखिरकर हमने उस दिन ग्रुप सैक्स कर ही लिया। उस दिन हमने काईं दफा चुदाई की और फिर वापसी की तैयारी करने लगे तो मैंने सबको इकट्ठा करके एक वादा लिया कि हम में कोई बात छुपी नहीं रहेगी और ना कोई दिल में कोई बात रखेगा। जो भी बात होगी वो ओपन करनी होगी, जिसका भी जिसके साथ भी चुदाई करने का दिल चाहेगा वो खुल कर बोलेगा और बगैर किसी जलन के चुदाई करेंगे। मैं जानता था कि अगर ये वादा नहीं लेता तो हमारी दोस्ती और सैक्सी रिलेशन खराब हो सकते थे। मेरी ये बात सुन कर सबने हलफ़ दिया और सब खुश हो गये।

उसके बाद अहमद की कार में हम चारों उनके होस्टल आये, पर फिर अहमद के साथ मैं उसके फ़्लैट आया क्योंकि मेरी मोटर बाइक वहाँ थी। फ्लैट पर आकर मैंने सारी बात साफ़-साफ़ अहमद को बतायी और वादा लिया कि हमारी दोस्ती में कोई फ़रक नहीं आयेगा, और ना हम कोई बात छिपायेंगे। हर बात खोल कर करेंगे।

उसके बाद हमारी ज़िंदगी बहुत ही ज़बरदस्त तरीके से गुज़र रही थी क्योंकि हम चारों बहुत अच्छे और जिगरी दोस्त थे। उसके बाद काफी दफा हमने साथ में ग्रुप सैक्स किया। काफी दफा मैं सिर्फ़ शाज़िया को या सिर्फ़ फौज़िया को फ़्लैट पर लेकर गया। इसी तरह अहमद भी काफी दफा सिर्फ़ शाज़िया को और काफी दफ़ा सिर्फ़ फौज़िया को लेकर फ़्लैट पर गया और हम उन दोनों की चूत की आग बुझाते रहे। अहमद ही शराब और खाने वगैरह का खर्च उठाता था और चूंकि दोनों लड़कियों को रोज़ाना शराब पीने की आदत थी, इसलिये उनकी रोज़ की बोतल भी अहमद ही सपलायी करता था। दिन में या शाम को वो दोनों हमसे चुदवाती थीं और रात में होस्टल में दोनों चुदैलें नशे में चूर होकर लेस्बियन चुदाई करती थीं।

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