घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 03

Story Info
घर के लाड़ली बेटी ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से घर को अपने चुदाई.
6.5k words
4.11
41.5k
1
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Part 4 of the 11 part series

Updated 06/09/2023
Created 09/22/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और अगर इसके किसी पात्र या घटना किसी के वास्तविक जीवन से मिलती है तो उसे मात्रा के संयोग माना जायेगा.

यह कहानी मेरी पिछले कहानी "किस्मत का खेल - चुदक्कड़ परिवार" श्रृंखला के अगली कड़ी है, परन्तु अपने आप में एक पूरी कहानी है. आशा करता हूँ की पाठकों को पसंद आएगी.

*****

अध्याय - 3 - सुलह

दिन भर सब कुछ सामान्य रहा. शाम को अशोक घर आया तो उसने बताया की उसके बड़े भाई यानि के मयूरी के बड़े चाचा की तबियत अचानक ख़राब हो गयी है तो उसको देखने जाना है. उसने शीतल को कहा की आज रात पैकिंग कर लो, कल सुबह की ट्रैन से हम निकलेंगे. उसने बताया की उन लोगों को वापिस आने में दो-तीन दिन लग जायेंगे. घर में माहौल काफी गंभीर था.

लेकिन इधर मयूरी के कामनावशित दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. मयूरी को ये एक अच्छा मौका लगा जब वो अपनी अगली चाल चल सकती थी. अब घर में सिर्फ वो और उसके दो भाई रहने वाले थे जिसमे से एक को उसने कल शाम में अपनी चुत का स्वाद चखाया था और एक को आज सुबह ही अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गांड का भी स्वाद चखा चुकी थी. वो अपने आगे की योजना को पुख्ता करने की सोच में लग गयी.

अगली सुबह अशोक शीतल को लेकर स्टेशन चला गया अपने भाई को देखने के लिए. विक्रम उनको छोड़ने स्टेशन गया. तब तक मयूरी और रजत घर में बिलकुल अकेले थे. मयूरी किचन में कुछ काम कर रही थी की रजत ने अचानक से पीछे से जाकर उसके चूचियों को दबोच लिया. मयूरी चिलायी:

मयूरी: "क्या कर रहे हो रजत?"

रजत (थोड़ा डरते हुए): "क्या हुआ दीदी?"

मयूरी (थोड़ी झल्लाहट के साथ): "ये तुम क्या कर रहे हो?"

रजत अब सहम गया था. वो समझ नहीं पा रहा था की ये क्या हो रहा है? अभी सुबह ही तो उसने अपनी इस क़यामत जैसी दिखने वाली दीदी को अपना लंड चुसाया था. उसकी चूचियों को उसने उमेठ दिया था, उसने उसके चुत के रस का एक-एक बून्द अमृत की तरह चाट लिया था और अब वो ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो. फिर भी वो डरते हुए थोड़ी हिम्मत जुटाके बोला:

रजत: "मैं तो बस आपको छेड़ रहा था... सॉरी... "

मयूरी समझ गयी थी की उसके ऐसे व्यवहार से रजत डर गया है. पर ये मयूरी के चाल का अगला कदम था. उसको पता था की वो क्या कर रही है. वो बिलकुल अनजान बनते हुए बोली:

मयूरी: "आगे से ध्यान रखना... "

और ये बोलकर मयूरी अपने काम में लग गयी. रजत भी वापिस हॉल में आकर टीवी देखने लगा. लगभग एक घंटे बाद विक्रम स्टेशन से वापिस आया.

रजत ने दरवाजा खोला और बिना कुछ बोले वापिस आकर हॉल के सोफे पर बैठ गया और टीवी देखने लगा. वो अब भी परेशां था की ये उसके साथ क्या हो रहा है. अभी अच्छा मौका था जब अपनी बड़ी बहन को चोद सकता था पर मयूरी के अचानक से बदले ऐसे व्यवहार से वो परेशान था. वो सोच रहा था की कही ऐसे तो नहीं की मयूरी को अपनी सुबह की घटना पर पछतावा हो रहा हो और वो अब आगे ऐसा कुछ नहीं करने देगी. रजत ने सोचा की अगर ऐसा है तो वो उस से बात करेगा और इस बात को यही ख़तम कर देगा.

विक्रम ने घर में आते ही अपने कमरे का रुख किया और वो अंदर चला गया. इधर मयूरी ने किचन का काम ख़तम किया और अपने कपडे बदले. उसने आप एक छोटी सी स्कर्ट पहनी और ऊपर में एक ब्लैक कलर की टॉप जो बहुत ही ज्यादा ढीली थी. टॉप के निचे उसने ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी पर उसकी बड़ी-बड़ी और गोल-गोल चूचियों की उभार को आराम से देखा जा सकता था. मयूरी की चूचियां इतनी बड़ी थीं की वो इन ढीले कपड़ो में कहाँ छुपने वाली थी.

फिर मयूरी हॉल में आयी और टीवी के सामने एक कामुक मुद्रा में खड़ी हो गयी. उसने विक्रम को आवाज़ लगायी:

मयूरी: "भैया......??"

विक्रम: "हाँ.... "

मयूरी: "जरा बाहर आना... "

विक्रम: "क्या हुआ? "

मयूरी: "एक जरुरी बात करनी है... प्लीज जल्दी बाहर आओ... "

विक्रम (बाहर आते हुए): "क्या हुआ मयूरी?"

मयूरी: "इधर सोफे पर बैठ जाओ, एक जरुरी बात करनी है... "

विक्रम रजत के साथ सोफे पर थोड़ी दुरी बनाकर बैठ गया. अब दोनों भाइयों के दिल में धक्-धक् हो रही थी की मयूरी पता नहीं क्या बोलने वाली है. क्यूँ की कल से लेकर आजतक इस घर में काफी कुछ हो चूका था.

विक्रम: "हाँ बोलो... "

मयूरी: "देखो... तुमदोनो को मैं एक सरप्राइज देने वाली हूँ... "

विक्रम: "क्या सरप्राइज?"

मयूरी अब दोनों भाइयों के सामने राज का पर्दा खोलने वाली थी.

मयूरी: "तुम दोनों को अभी तक लग रहा होगा की तुमने मेरी चूचियों के साथ खेल लिया, मेरी चुत का स्वाद चख लिया तो अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल के मेरी इस कंवारी चूत मजा ले लोगे?"

विक्रम और रजत (एक साथ): "कककक... क्या????"

विक्रम और रजत... दोनों भाइयों की ऑंखें फ़टी की फ़टी रह गयी. उनको अपने कानो पर विश्वास नहीं हुआ की उनकी बहन ये क्या कह रही है. दोनों अभी तक ये समझ रहे थे की ये खूसूरत और हसीं वाकया सिर्फ उनके साथ ही हुआ है पर यहाँ तो बात कुछ और थी. उस से भी ज्यादा, उनकी अपनी बहन दोनों भाइयो के सामने ऐसे खुल्ले में चुत, चूचियां और लौड़ा जैसे शब्दों का उपयोग कर रही थी वो भी बेधड़क. दोनों एक दूसरे को देखते रह गए और कुछ पल तक बातों को समझने का प्रयास करते रहे...

फिर उनकी इस ख़ामोशी को मयूरी ने तोड़ते हुए बात को साफ़ किया...

मयूरी: "हाँ... तुमदोनो ज्यादा आश्चर्यचकित मत होओ... मैंने तुम दोनों को अपनी इस प्यारे-से शरीर के दर्शन भी कराये हैं और बहुत हद तक मजा भी दिया है..."

विक्रम और रजत (एक साथ): "कककक... क्या????"

मयूरी: "हाँ... तुमदोनो बिलकुल सही सोच रहे हो. भैया, कल शाम को तुम्हे बहुत मजा आया ना जब तुम मेरी चुत को जोर-जोर से चाट रहे थे और अपना लंड तुमने मेरे मुँह में पेल दिया.....?"

विक्रम (हकलाते हुए): "मम... मैं.... मैं.... वो.... वो... "

मयूरी: "कोई बात नहीं, मुझे भी बहुत मजा आया... और तुम रजत, तुम्हे तो मेरी गांड का छेद बहुत प्यारा लगता है न? आज सुबह ही तुमने पहले अपनी उँगलियों से फिर अपनी जीभ से... बहुत मजा लिया...?"

ऐसा कहते हुए मयूरी ने अपना टॉप निकाल फेंका और उसको हवा में लहराते हुए रजत के मुँह पर फेंक दिया... फिर वो आगे बोलती है:

मयूरी: "रजत, जब तुम मेरी चूचियों को जोर-जोर से उमेठ रहे थे तो सच कह रही हूँ की मुझे भी बहुत मजा आया... तुम्हारे लंड से निकले हुए पानी के एक-एक बून्द का स्वाद मुझे तृप्त कर रहा था. "

रजत और विक्रम अब भी बात को समझ नहीं पा रहे थे. वो कभी मयूरी को देखते तो कभी एक-दूसरे को. मयूरी ने फिर आगे बात की:

मयूरी: "मैं ये साफ़ कर देना चाहती हूँ की अभी तक मेरा तुमदोनो के साथ जो भी हुआ, उसके लिए मैं एकदम शर्मिंदा नहीं हूँ, बल्कि मुझे इस बात का बहुत ख़ुशी है की मेरे इस जवानी को कोई बाहर वाला लुटे इस से पहले मेरे अपने भाई इस का मजा लें और मुझे भी मजा दें. पर मैंने इस विषय में बहुत सोचा, और फिर इस निर्णय पर आयी की मैंने तुमदोनो से हमेशा एक जैसा प्यार किया है. तुमदोनो मुझे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारे हो... मैंने हर साल राखी भी तुमदोनो की कलाई पर एक-साथ बाँधी है.... "

विक्रम और रजत मूक बने बस मयूरी की बात को सुन रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थी की वो आखिर चाहती क्या है? मयूरी अपनी बात पूरी करती है:

मयूरी: "तो बहुत विचार-विमर्श के बाद मैंने ये निर्णय लिया है की तुमदोनो अगर चाहो तो मेरी चुत का आधा ही नहीं, बल्कि पूरा मजा ले सकते हो... अपना लंड इसमें डालकर मेरी चुत को निहाल कर सकते हो और अपनी इस बहिन का जीवन तृप्त कर सकते हो. पर एक शर्त होगी.... "

विक्रम और रजत (फिर एक साथ - थोड़ी ख़ुशी और थोड़ा आश्चर्य के साथ): "क्या शर्त?"

मयूरी: "अगर तुमदोनो मेरी इस चुत का आगे कभी भी मजा लेना चाहते हो तो..."

विक्रम और रजत ने उसकी बात को बिच में काटते हुए उत्साह से पूछा: "तो....?"

मयूरी (थोड़ा मुस्कुराते हुए): "अरे धैर्य रखो... बता रही हूँ... बता रही हूँ... मैं देख रही हूँ की तुमदोनो ही अपनी बहन को चोदने के लिए उतावले हुए जा रहे हो.... "

विक्रम और रजत एक दूसरे की तरफ देखते हुए झेंप-से जाते हैं. मयूरी आगे बोलती है:

मयूरी: "तो, अगर तुमदोनो मेरे इस जिस्म का पूरा मजा लेना चाहते हो, मेरी इन गोल-गोल भारी-भारी चूचियों को पकड़कर मसल देना चाहते हो, मेरी गांड के छेद पर फिर से अपनी जबान को फेरना चाहते हो, मेरी चूत को अगर चोदना चाहते हो तो तुमदोनो को ये एकसाथ करना पड़ेगा.... "

विक्रम (गुस्से से): "मतलब?"

मयूरी: "मतलब की मैं तुमदोनो पर एक-साथ अपनी जवानी लुटाना चाहती हूँ..."

विक्रम: "ये नहीं हो सकता?"

मयूरी: "क्यूँ नहीं हो सकता?"

विक्रम: "इसने मेरी गर्लफ्रेंड के साथ...."

मयूरी: "अरे भैया... तुम पागल हो क्या? रजत भी तो यही बोल सकता है? पर तुमदोनो समझ क्यूँ नहीं रहे की सपना ने तुमदोनो का चूतिया काटा है वो भी एक साथ... रजत ने जो भी किया उसकी मर्जी से ही किया न? उसके साथ को जबरदस्ती तो नहीं की न?"

विक्रम: "वो जो भी है? पर मैं इस धोखेबाज के साथ कुछ शेयर नहीं कर सकता. "

मयूरी (अपना फैसला सुनते हुए): "तो एक बात मेरी भी सुन लो... अगर तुमलोग एक साथ नहीं आओगे तो मेरे शरीर को हाथ लगाने के बारे में भी मत सोचना... अगर मैं अपनी चूत तुम्हे दूंगी तो एक साथ नहीं तो मैं अपना कोई और इंतेज़ाम कर लुंगी. और कान खोलकर सुन लो, अगर मैं चाहूँ तो मेरे लिए लंड की लाइन लग जाएगी... ऐसा हुश्न है मेरे पास... पर क्या तुम्हे कभी ऐसा हुश्न मिलेगा, वो भी अपने घर में? ये तुम सोचो? तुम जब चाहो तब मुझे चोद सकते हो और अपना लंड मेर शरीर के हर छेद में डाल सकते हो... पर ये तुम्हे साथ में ही करना होगा. ये मेरा अंतिम फैसला है... तुम चाहो तो अपने कमरे में जाकर आपस में बातचीत कर के सुलह कर सकते हो... मैं यही तुम्हारा इंतज़ार करुँगी... "

ऐसा कहते हुए बड़े ही कामुक अंदाज़ में अपना हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपने चूत को छेड़ने लगी...

पर दोनों में से कोई भी उठा नहीं. मयूरी ने फिर से जोर देते हुए कहा:

मयूरी: "अब तुम दोनों अंदर जाओगे की मैं अपने हाथ से ही अपने आप को सुखी कर लूँ. और अगर ऐसा हुआ तो ये बात तो पक्की है की मेरे इस सुन्दर से जिस्म का सुख कोई और ही भोगेगा क्यूँ की अब मैं बिना चुदाई के नहीं रह सकती. अगर तुम नहीं तो कोई और सही, पर मुझे चुदाई तो चाहिए... अब जाओ और जल्दी से बातचीत कर के अपना मामला ठीक करो. अगर बात बनती है तो दोनों वापिस आकर मेरे एक-एक चूचियों को मसलना सुरु करो... "

और ऐसा कहते हुए उसने अपने चूचिओं को अपने हाथो से जोर जोर से दबान शुरू कर दिया और अपने गीले लाल-लाल होठो की अपने सफ़ेद दांतो से बड़े ही कामुक अंदाज़ में काटने लगी.

इधर दोनों भाई उठे और अपने कमरे में चले गए. दोनों भाइयों में लगभग छह महीनो से बातचीत बंद थी और इतने दिन के बाद वो आपस में बातचीत करने वाले थे. दोनों को थोड़ा अजीब लग रहा था पर अब बात करना इतना जरुरी हो गया था की क्या कहें. अगर वो बात कर के आपस में सुलह नहीं करते तो उनकी वो कामदेवी बहन उन्हें अपना चुत तो क्या एक चुम्बन भी नहीं देने वाली थी. अंदर जाते ही रजत ने बातचीत की पहल की:

रजत: "भैया... मुझे सच में नहीं पता था की आपका सपना के साथ कुछ चक्कर चल रहा है? और जिस दिन मुझे पता चला उसी दिन से मैंने उस से बातचीत करना बंद कर दिया. कसम से... "

विक्रम: "मैं अब समझ गया छोटे... ये मेरी ग़लतफहमी थी... मयूरी सच कह रही है, सपना ने हम दोनों का चूतिया काटा है... पर मैं ये बात समझ नहीं पाया... मुझे माफ़ कर दे... "

और ऐसा कहते हुए विक्रम रजत के गले लग गया... फिर रजत ने कुछ महसूस किया और बोला:

रजत (शरारती अंदाज में): "भैया... आपका लंड तो अभी से खड़ा है?"

विक्रम (झट से उसके लंड को पकड़ते हुए): "और ये क्या है? तेरा खड़ा नहीं है क्या?"

रजत (हँसते हुए): "पर भैया... अपने अपनी छोटी बहन की चूचियां दबायी... चुत चाटी और उसको अपना लंड भी चुसाया? छी... छी... आपको शर्म नहीं आयी?"

विक्रम: "और तूने...? अपनी बड़ी बहिन की चूचियों को मसला? उसकी चूत तो चाटी ही, उसकी गांड भी चाटी? और अब तेरा ये लंड उसकी चूत फाड़ने को बेताब है?"

रजत: "हाँ भैया... जिसकी बहन इतनी धमाकेदार माल हो, वो अपनी बहन को चोदे बिना कैसे रह सकता है? पता नहीं अब तक कैसे मैंने अपने आपको कण्ट्रोल में रखा... जब भी इसके भारी-भारी चूचियों और बड़े-बड़े गांड को देखता तो तो बस मुठ मार के रह जाता था. पर आज ईश्वर ने ये मौका दिया है... चलो... दोनों भाई पक्का बहनचोद बन जाते है... और उसकी चूत के चीथड़े उड़ाते है... "

विक्रम: "हाँ मेरे भाई... सपना ने अपनी चुत मारने नहीं दी, पर इसकी तो मैं छोडूंगा नहीं... चल.... "

दोनों भाई कमरे से बाहर आते है और मयूरी के पास पहुंचते है. बाहर आते ही दोनों मयूरी की एक-एक चूचियों की अपने हाथ में भरते हैं और उसकी ब्रा को निकाल फेंकते है... फिर विक्रम बोलता है:

विक्रम: "मयूरी, तू यही चाहती है ना की हम दोनों भाई एक साथ तुझे चोदे... तो तेरी ये ख्वाहिश हम जरूर पूरी करेंगे... हमने अपनी पुरानी बातो पर सुलह कर ली है... और अब तुझे एक-साथ अपने दोनों भाइयों का लंड का मजा मिलेगा... अब तो तू खुश है न?"

मयूरी को पक्का पता था की यही होने वाला है. इतनी अच्छी चुत चटाई और लंड चुसाई के बाद मयूरी के शरीर का भोग करने से तो स्वयं भगवान् भी मना नहीं कर सकते थे, ये तो फिर भी दो सामान्य इंसान थे. उसने विक्रम की बात सुन लेने के बाद ख़ुशी से अपने दोनों भाइयो का लंड अपने एक-एक हाथ में भरते हुए बोली...

मयूरी: "हाँ मेरे भाइयों... मुझे पता था... तुम दोनों मेरी जवानी की प्यास को ऐसे तड़पने के लिए नहीं छोड़ोगे.... मुझे पता था की तुम मेरी राखी का कर्ज जरूर उतारोगे. आओ मेरे बहनचोद भाइयों... चोद दो अपनी बहन को.... और इतना चोदो की मैं तृप्त हो जाऊँ... मेरी जवानी की प्यास बुझ जाये... "

रजत: "हाँ दीदी... आज हम दोनों भाई तुझे इतना चोदेगे की तुम्हे अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए किसी और का चेहरा और लंड देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी. हम दोनों भाई मिलकर तुम्हारी चुत के चीथड़े-चीथड़े कर देंगे...."

और ऐसा कहते हुए रजत मयूरी की पैंटी खोल कर फेंक देता है... अब मयूरी अपने दोनों भाइयों के सामने एकदम आदमजात नंगी खड़ी थी... उसके शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं था. उसके आँखों के सामने उसके दोनों भाई उसके इस कामुक शरीर से खेल रहे थे और वो उन हर एक छुअन का आनद ले रही थी. वो उन दोनों का लंड पकड़कर टीवी के पास से चलकर सोफे तक ले जाती है और दोनों भाइयों को सोफे पर बैठा देती है, पर खुद खड़ी रहती है और फिर अपना सीना आगे कर देती है जिस से दोनों उसकी चूचियों से खेल सकें...

दोनों भाई उसकी एक-एक चूची को अपने हाथ से मसलना सुरु कर देते है और एक-एक हाथ से उसकी गांड के एक-एक भाग का जायजा लेने में लग जाते है... थोड़ी देर में रजत अपना एक साथ मयूरी के जांघो से होते हुए उसके चुत तक ले जाता है और उसकी चिकनी चुत जो पहले से ही गीली हो चुकी थी, को धीरे धीरे अपने उँगलियों से छेड़ने लगता है. इसी बिच विक्रम अपना एक हाथ गांड से होते हुए गांड की छेद पर ले जाता है और अपनी उँगलियों से मयूरी की गांड की दरार और छेद को छेड़ने लगता है... और अब मयूरी के आनंद की सिमा नहीं थी. वो बस सिसकारियां और आहें भर रही थी...

मयूरी: "आह..... आ... माँ.... आह.... मुझे बहुत.... मजा आ रहा है मेरे बहनचोद भाइयों... तुम मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे हो..."

मयूरी खड़ी थी और उसके दोनों भाई सोफे पर बैठ कर उसके जिस्म के साथ खेल रहे थे. उनकी हरकतों की वजह से मयूरी को अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था. उसके टाँगे जवाब दे रही थी, मदहोशी के उस आलम में वो एकदम बेजान हुई जा रही थी. वो इस समय बस आहें भर पा रही थी... उसको और किसी चीज़ का कोई होश नहीं था...

थोड़ी देर तक ऐसे ही उसके जिस्म के साथ खेलने के बाद रजत उठा और मयूरी के रसभरे कपकपाते होठो पर अपने होंठ रख दिए. और वो उसके होठो के साथ अपनी जबान और होठो से कलाकृति दिखाने लगा... मयूरी को रजत की ये अदा बहुत जी ज्यादा पसंद आयी... वो कुछ बोल नहीं पा रही थी बस आनंद ले रही थी.

इधर विक्रम ने मयूरी के एक टांग को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और वो अपने चेहरे का रुख मयूरी की चूत की ओर करता है... वो देखता है की गुलाब की पंखुड़ियों की तरह मयूरी की चूत एक-दम गुलाबी-सी है... उसकी चुत के आस-पास बाल को कोई नामो-निशान तक नहीं था. मयूरी की चुत गीली हो चुकी थी... उसने अपने होंठ और जीभ से मयूरी के चुत का स्वाद लेना शुरू कर दिया...

मयूरी इस दोतरफे हमले से एकदम विचलित हो गयी... उसकी सिसकारियां तेज़ हो रही थी... पर रजत ने उसने मुँह को बंद कर रहा था... अपने मुँह से... मयूरी के होठों पर रजत के होठो का ताला इतना गहरा था की उसके मुँह से बस ऐसी आवाज़ ही आ पा रही थी...

मयूरी: "ममम..... आ... मम... ..म .... ऊ...... म..... "

रजत ने अपने हाथ से मयूरी के मखमल जैसे कोमल गांड पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया... और फिर धीरे-धीरे उसके हाथ की उंगलिया मयूरी के गांड की दरार में चलने लगी... मयूरी के आनंद की चरम सिमा आ चुकी थी... वो इतनी देर में कम-से-कम पांच बार झड़ चुकी थी. अब उसका अपनी टांगों पर खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था. वो अपने होठों का ताला रजत से जबरदस्ती खोलती है और ढप से सोफे पर बैठ जाती है... और विक्रम खड़ा हो जाता है... रजत तो पहले से ही खड़ा था. अब उसके दोनों भाई उसके सामने खड़े थे और वो अपने मादक-मदमस्त नग्न शरीर के साथ उनके सामने बैठी थी.

उसने दोनों भाइयों को अपने कपडे उतरने का इशारा किया. दोनों ने बिना वक्त गंवाए अपने कपडे निकाल फेंके. अब वो दोनों भाई अपने बहिन के सामने एकदम नंगे खड़े थे और दोनों का लंड एकदम जैसे उफान मारता हुआ खड़ा था. मयूरी ने दोनों के लंड को बड़े प्यार से देखा और अपने दोनों हाथों से उनको पकड़ लिया... उसने नोटिस किया की दोनों का लंड साइज और मोटाई में लगभग एक जैसा ही है... दोनों लंड मोटे थे और लम्बे-तगड़े थे. उसने पहले विक्रम के लंड को अपने मुँह में लिया और रजत के लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी... फिर थोड़ी देर बाद उसने रजत के लंड को अपने मुँह में डालकर विक्रम के लंड को हाथ से हिलाने लगी.

इस तरह से मयूरी बारी-बारी से कभी एक का लंड चुस्ती और दूसरे का लंड अपने हाथ से हिलाती, फिर अगले ही क्षण दूसरे का लंड चुस्ती और पहले का लंड अपने हाथ से हिलाती. इस तरह से उसने दोनों के लंड से बहुत देर तक खेला और फिर थोड़ी देर बाद दोनों के लंड से एक साथ अमृत की बरसात हुई... दोनों के लंड से जो वीर्य की ज्वालामुखी निकली, वो मयूरी के चेहरे पर फ़ैल गया और ढलते हुए उसके चूचियों पर गिरने लगा. मयूरी ने बड़े प्यार से जितना हो सके उनके अमृत-रास को चाट लिया और बाकी अपने बदन पर मलने लगी.

अब तक सब लोग थक चुके थे, रजत और विक्रम भी अब सोफे पर बैठ गए. फिर थोड़ी ही देर में दोनों का तूफानी लंड फिर से उफान मारता हुआ खड़ा हो गया. विक्रम ने पूछा:

विक्रम: "तो मयूरी, अपने चुत का सील किस से तुड़वाना पसंद करोगी?"

मयूरी: "तुम दोनों में जिस की मर्जी जो... मेरी चूत का सील खोल सकता है... मुझे कोई ऐतराज़ नहीं... "

विक्रम: "रजत तुम्हारा क्या कहना है?"

रजत: "भैया... जो भी दीदी की इस प्यारी सी चुत का सील तोड़ेगा वो बहुत ही खुसनसीब होगा... पर मैं ये मौका आपको देना चाहता हूँ... समझ लो सपना के बदले में मेरी तरफ से आपको तोहफा... "

विक्रम: "धन्यवाद मेरे भाई... तुम्हारा ये मुझ पर एहसान रहा... जो मैं जिंदगी भर कभी भूल नहीं पाउँगा... "

रजत: "तो फिर देर किस बात की? तोड़ दो इस रंडी की चुत का सील... "

विक्रम: "ठीक है फिर... आज मैं वो खुशनसीब भाई बनने जा रहा हु अपनी सगी बहन की चूत का सील तोड़ेगा... बहन भी ऐसी-वैसी नहीं... एक अप्सरा जैसी बहन... तुम्हे कभी बताया नहीं मैंने पर तुम्हारी जवानी को देखकर कई बार मुठ मारा है मैंने... आज मुझे उसी लंड से तुम्हारे चुत का चोदने का मौका मिल रहा है... तो ठीक है फिर... मयूरी...?"

मयूरी: "हाँ भैया...?"

विक्रम: "थोड़ा दर्द होगा... देखो ये मेरे लिए भी पहली बार है... तो मुझे भी सील तोडना तो दूर, चूत चोदने का भी अनुभव नहीं है... पर मैं कर लूंगा... तुम थोड़ा बर्दाश्त करना मेरी बहन... क्यूँ की थोड़े से दर्द के बाद बहुत मजा आनेवाला है... "

मयूरी: "तुम चिंता मत करो भैया... मैं इस दर्द के लिए कई सालों से तड़प रही हो... आज चाहे जो भी हो, तुम रुकना मत... मैं कितना भी रोऊँ, चिलाऊँ, तुम मेरी चुत की चुदाई चालू रखना... आज मुझे लड़की से औरत बना दो भाई और खुद मर्द बन जाओ... मेरे इस कौमार्य को भंग करो... "

विक्रम फिर मयूरी की चुत पर थोड़ा थूक लगता है और थोड़ा थूक वो अपने लंड पर भी लगता है... अब इस घर में चुदाई की आंधी आने वाली थी... इस घर के सारे बच्चे आपस में खूब चुदाई करने वाले थे. विक्रम पहले मयूरी की टांगो को फैलाता है और उसके एक टाँग को सोफे एक पीछे वाले हिस्से जो की सहारा देने के लिए होता है, उसपर रख देता है और एक अपने कंधे पर. फिर अपने लंड को मयूरी की चुत पर सेट करता है और धीरे धीरे अपने लंड को मयूरी की चूत के मुहाने पर रगड़ने लगता है... मयूरी के चूत से इतने में ही ढेर-सारा पानी निकल जाता है... विक्रम को उसके चूत के गीलेपन का एहसास होता है. वो मयूरी की तरफ देखता है जो आनंद के मारे आहे भरी जा रही थी...

मयूरी: "आह.... आ... आह.... "

विक्रम: "तो खेल शुरू किया जाए?"

मयूरी: "भैया... अब और मत तरसाओ, डाल दो अपना ये मोटा सा लौड़ा मेरी इस कँवारी चूत में और तोड़ दो मेरा सील... बना दो मुझे लड़की से औरत... जल्दी करो भैया... अब बर्दाश्त नहीं होता... आआह... "

विक्रम मयूरी की ऐसी बातों से उत्साहित हो जाता है और एक जोरदार झटका मारता है, उसका लंड लगभग आधा मयूरी की चुत में घुस जाता है और मयूरी दर्द के मारे बिलबिला उठती है... उसकी आँखों से आंसू निकलने लगते है... रजत इतनी देर में मयूरी के मुँह में अपना मुँह जोड़ देता है और वो उसको प्रगाढ़ चुम्बन देने लगता है... साथ ही साथ इसकी विशाल चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगता है...

विक्रम पहले झटके के बाद थोड़ी देर रुकता है... दर्द उसको भी हो रहा था क्यूँकी मयूरी की चुत बहुत ही ज्यादा टाइट थी. उसके लंड पर बहुत दबाव पड़ रहा था, पर अब वो वापिस मुड़ने की स्थिति में बिलकुल नहीं था. थोड़ी देर के बाद हो अपना लंड पर एक और झटका मारता है और लंड लगभग तीन चौथाई तक मयूरी की चूत के अंदर चला जाता है.. अब मयूरी का दर्द और बढ़ जाता है... विक्रम रुक जाता है पर लंड बाहर नहीं निकालता... कुछ देर बाद वो धीरे धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगता है. विक्रम की नजर अपने लंड पर पड़ती है जिसपर थोड़ा थोड़ा खून लगा था. वो समझ जाता है की अब उसकी प्यारी बहिन कंवारी नहीं रही. उसने उसको लड़की से औरत बना दिया था.

विक्रम देखता है की अब मयूरी का दर्द थोड़ा कम हो रहा है और उसके आवाज़ में दर्द की जगह आनंद की सिसकारियां ले रही है... वो धीरे-धीरे अपना लंड आगे-पीछे करता रहता है और अपना स्पीड थोड़ा बढ़ा देता है...

मयूरी: "आह.... ह... भ.... भैया.... मेरे प्यार भैया.... मेरे सैंया.. चोद दो मेरी चुत को मेरे भाई... आह... "

विक्रम: "हाँ मेरी बहना... आज से मैं तेरा भैया और सैयां दोनों हो गया... अब तेरी चूत को मैं खुद चोदुँगा...."

ऐसा कहते हुए वो अपने स्पीड बढ़ा देता है...

मयूरी: "आह... भैया.... मुझे बहुत मजा आ रहा है.... पेलो... पेल दो अपना लौड़ा... मेरी चुत में... आह... "

मयूरी के ऐसी बातों से विक्रम का हौसला बढ़ जाता है और वो एक और जोरदार झटका अपने लंड का उसकी चुत पर लगता है... इस बार उसका पूरा लंड मयूरी की चुत के अंदर चला जाता है...

मयूरी (दर्द और आनंद के मिले-जुले स्वर में): "आह.... माँ... बहुत मजा आ रहा है भैया.... है... आ... हां.... आ.... "

अब विक्रम अपने चुदाई की स्पीड को बहुत तेज़ कर देता है और कमरे में मयूरी और विक्रम की चुदाई की आवाज़ आने लग जाती है... इधर रजत अब मयूरी की चूचियों को छोड़कर उठकर उसके चूत के पास आ जाता है और बड़े गौर से अपने भाई-बहन की चुदाई का दृश्य देखने लगता है. विक्रम अभी होश में नहीं था... वो अपने धुआंधार चुदाई में पूरी तरह व्यस्त था. विक्रम लगातार जोर-जोर से धक्के लगाए जा रहा था. घर के हॉल में मयूरी की सिसकारियां और विक्रम की जांघो का मयूरी की जांघो के बार-बार आपस में टकराने की थप-थप की आवाज़े आ रही थी. करीब 15 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद अब विक्रम का लंड पानी छोड़ने वाला था... वो जोर से बोला:

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