खाला और अम्मी की चुदा‌ई

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Pakistani incest story.
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खाला और अम्मी की चुदा‌ई
मुसन्निफ़: शाकिर अली
****************************

मैं शाकिर अली हूँ, बा‌ईस साल का, और लाहोर में रहता हूँ। जो वाक़्या आज आप को सुनाने जा रहा हूँ आज से चार साल पहले पेश आया था। मेरे घर में अम्मी अब्बा के अलावा एक बहन और एक भा‌ई हैं। मैं सब से बड़ा हूँ। ये तब की बात है जब में दसवीं जमात में पढ़ता था। इस वाक़्ये का ताल्लुक मेरी खाला से है जिनका नाम अम्बरीन है। अम्बरीन खाला मेरी अम्मी से दो साल छोटी थीं और उनकी उम्र उस वक़्त क़रीब अढ़तीस बरस थी। वो शादीशुदा थीं और उनके दो बेटे थे। उनका बड़ा बेटा राशिद तक़रीबन मेरा हम-उम्र था और हम दोनों अच्छे दोस्त थे। अम्बरीन खाला के शौहर नवाज़ हुसैन बेहद र‌ईस थे। उनके लाहोर में इलेक्ट्रॉनिक्स और अप्ला‌इ‌अन्स के दो बड़े शोरूम थे और एक शोरूम दुब‌ई में भी था। खालू नवाज़ आधा वक़्त लाहोर में और आधा वक़्त दुब‌ई में रहते थे। अम्बरीन खाला भी बेहद ऐक्टीव थीं और खालू के कारोबार में भी मदद करती थीं। उनका ला‌इफ स्टा‌ईल बेहद हा‌ई-क्लॉस था और वो अपनी शामें अक्सर सोसायटी-पार्टियों और क्लबों में गुज़ारती थीं। खाला लाहोर के रोटरी कल्ब की सीनियर मेंबर थीं और काफी सोशल वर्क करती थीं।

अम्बरीन खाला बड़ी खूबसूरत और दिलकश औरत थीं। वो बिल्कुल मशहूर अदाकारा सना नवाज़ की तरह दिखती थीं। तीखे नैन नक़्श और दूध की तरह सफ़ेद रंग। उनके लंबे और घने बाल गहरे ब्रा‌उन रंग के और आँखें भी ब्रा‌उन थीं। उनका क़द दरमियाना था और जिस्म बड़ा गुदाज़ था लेकिन कहीं से भी मोटी नहीं थीं। कंधे चौड़े और फ़रबा थे। मम्मे भी बहुत बड़े और गोल थे जिन का सा‌इज़ छत्तीस-अढ़तीस इंच से तो किसी तरह भी कम नहीं होगा। उनके चूतड़ गोल और गोश्तदार थे। अम्बरीन खाला काफी मॉडर्न खातून थीं और कभी भी चादर वगैरह नहीं ओढ़ती थीं । उनकी कमीज़ों के गले काफी गहरे होते थे और जब अम्बरीन खाला पतले कपड़े पहनतीं तो उनका गोरा और गदराया हु‌आ जिस्म कपड़ों से झाँकता रहता था। अक्सर वो कमीज़ के साथ सलवार की बजाय टा‌इट जींस भी पहनती थीं।

मैं अक्सर उनके घर जाया करता था ताकि उनके उभरे हु‌ए मम्मों और मांसल चूतड़ों का नज़ारा कर सकूँ। खाला होने के नाते वो मेरे सामने दुपट्टा ओढ़ने का भी तकल्लुफ़ नहीं करती थीं इसलिये मुझे उनके मम्मे और चूतड़ देखने का खूब मौका मिलता था। कभी-कभी उन्हें ब्रा के बगैर भी देखने का इत्तेफाक हो जाता था। पतली क़मीज़ में उनके हसीन मम्मे बड़ी क़यामत ढाते थे। उनकी कमीज़ के गहरे गले में से उनके मोटे कसे हु‌ए मम्मे अपनी तमामतर गोला‌इयों समेत मुझे साफ़ नज़र आते थे। उनके मम्मों के निप्पल भी मोटे और बड़े थे और अगर उन्होंने ब्रा ना पहनी होती तो क़मीज़ के ऊपर से बाहर निकले हु‌ए साफ़ दिखा‌ई देते थे। ऐसे मोक़ों पर मैं आगे से और सा‌इड से उनके मम्मों का अच्छी तरह जायज़ा लेता रहता था। सा‌इड से अम्बरीन खाला के मम्मों के निप्पल और भी लंबे नज़र आते थे। यों समझ लें कि मैंने तक़रीबन उनके मम्मे नंगे देख ही लिये थे। मम्मों की मुनासबत से उनके चूतड़ भी बेहद मांसल और गोल थे। जब वो ऊँची हील की सैंडल पहन के चलतीं तो दोनों गोल और जानदार चूतड़ अलहदा-अलहदा हिलते नज़र आते। उस वक़्त मेरे जैसे कम-उम्र और सेक्स से ना-वाक़िफ़ लड़के के लिये इस क़िस्म का नज़ारा पागल कर देने वाला होता था।

अम्बरीन खाला के खूबसूरत जिस्म को इतने क़रीब से देखने के बाद मेरे दिल में उनके जिस्म को हाथ लगाने का ख्वाब समा गया। मेरी उम्र भी ऐसी थी के सेक्स ने मुझे पागल किया हु‌आ था। रफ़्ता-रफ़्ता अम्बरीन खाला के जिस्म को छूने का ख्वाब उनकी चूत हासिल करने की ख्वाहिश में बदल गया। जब उन्हें हाथ लगाने में मुझे को‌ई ख़ास कामयाबी ना मिल सकी तो मेरा पागलपन और बढ़ गया और में सुबह शाम उन्हें चोदने के सपने देखने लगा। इस सिलसिले में कुछ करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी और मैं महज़ ख्वाबों में ही उनकी चूत के अंदर घस्से मार-मार कर उस का कचूमर निकाला करता था। जब मैं उनके घर पे होता था और नसीब से जब कभी मुझे मौका मिलता तो अम्बरीन खाला की ब्रा-पैंटी या उनकी ऊँची हील वाली सैंडल बाथरूम में लेजाकर उनसे अपने लंड को रगड़-रगड़ कर अपना पानी निकाल लेता था। फिर एक ऐसा वाक़्या पेश आया जिस के बारे में मैंने कभी सोचा भी नहीं था।

मेरी बड़ी खाला के बेटे इमरान की शादी पिंडी में हमारे रिश्तेदारों में होना तय हु‌ई। बारात ने लाहोर से पिंडी जाना था। बड़े खालू ने जो फौज से रिटायर हु‌ए थे पिंडी के आर्मी मेस में खानदान के ख़ास-ख़ास लोगों को ठहराने का बंदोबस्त किया था। बाक़ी लोगों ने होटलों में क़याम करना था। हम ने दो बस और दो टोयोटा हा‌इ‍ऐस वैन किरा‌ए पर ली थीं। बस को शादी की मुनासबत से बहुत अच्छी तरह सजाया गया था। सारे रास्ते बस के अंदर लड़कियों का शादी के गीत गाने का प्रोग्राम था जिस की वजह से खानदान के सभी बच्चे और नौजवान बसों में ही बैठे थे । मैंने देख लिया था के अम्बरीन खाला एक वैन में बैठ रही थीं। मेरे लिये ये अच्छा मौका था।

में भी अम्मी को बता कर उसी वैन में सवार हो गया ताकि अम्बरीन खाला के क़रीब रह सकूँ। उनके शौहर कारोबार के सिलसिले में माल खरीदने दुब‌ई गये हु‌ए थे लिहाज़ा वो अकेली ही थीं। उनके दोनों बेटे उनके मना करने के बावजूद अपनी अम्मी को छोड़ कर हल्ला-गुल्ला करने बस में ही बैठे थे। वैन भरी हु‌ई थी और अम्बरीन खाला सब से पिछली सीट पर अकेली खिड़की के साथ बैठी थीं। जब में दाखिल हु‌आ तो मेरी कोशिश थी कि किसी तरह अम्बरीन खाला के साथ बैठ सकूँ। वैन के अंदर आ कर मैंने उनकी तरफ देखा। मैं उन से काफ़ी क़रीब था और मेरा उनके घर भी बहुत आना जाना था इस लिये उन्होंने मुझे देख कर अपने साथ बैठने का इशारा किया। मैं फौरन ही जगह बनाता हु‌आ उनके साथ चिपक कर बैठ गया। पीछे की सीट पर हम दोनों ही थे।

अम्बरीन खाला शादी के लिये खूब बन संवर कर घर से निकली थीं। उन्होंने सब्ज़ रंग के रेशमी कपड़े पहन रखे थे जिन में उनका गोरा गदराया हु‌आ जिस्म दावत-ए-नज़ारा दे रहा था। बैठे हु‌ए भी उनके गोल मम्मों के उभार अपनी पूरी आब-ओ-ताब के साथ नज़र आ रहे थे। साथ में दिलकश मेक-अप, ज़ेवर और ऊँची हील के सुनहरी सैंडल पहने हु‌ए कयामत ढा रही थीं। कुछ देर में हम लाहोर शहर से निकल कर मोटरवे पर चढ़े और अपनी मंज़िल की तरफ रवाना हो गये। मैं अम्बरीन खाला के साथ खूब चिपक कर बैठा था। मेरी रान उनकी रान के साथ लगी हु‌ई थी जब कि मेरा बाज़ू उनके बाज़ू से चिपका हु‌आ था। बगैर आस्तीनो वाली क़मीज़ पहन रखी थी और उनके गोरे सुडोल बाज़ू नंगे नज़र आ रहे थे। अम्बरीन खाला के नरम-गरम जिस्म को महसूस करते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने फौरन अपने हाथ आगे रख कर अपने तने हु‌ए लंड को छुपा लिया।

अम्बरीन खाला ने कहा के में राशिद को समझा‌ऊँ कि मेट्रिक के इम्तिहान की तैयारी दिल लगा कर करे क्योंकि दिन थोड़े रह गये हैं। मैंने उनकी तवज्जो हासिल करने लिये उन्हें बताया के राशिद एक लड़की के इश्क़ में मुब्तला है और इसी वजह से पढने में दिलचस्पी नहीं लेता। वो बहुत नाराज़ हु‌ईं और कहा के मैं उसकी हरकतें उनके इल्म में लाता रहूँ। इस तरह में ना सिर्फ़ उनका राज़दार बन गया बल्कि उनके साथ मर्द और औरत के ताल्लुकात पर भी बात करने लगा। वो बहुत दिलचस्पी से मेरी बातें सुनती रहीं। उन्होंने मुँह बना कर कहा कि आजकल की लड़कियों को वक़्त से पहले सलवार उतारने का शौक होता है। ये ऐसी कुतिया की मानिंद हैं जिन को गर्मी चढ़ी हो। ये तो मुझे बाद में मालूम हु‌आ कि अम्बरीन खाला खुद भी ऐसी गरम कुत्तिया मानिंद औरतों में से थीं। उनकी बातें मुझे गरम कर रही थीं। मैंने बातों-बातों में बिल्कुल क़ुदरती अंदाज़ में उनकी मोटी रान के ऊपर हाथ रख दिया। उन्होंने क़िसी क़िस्म का को‌ई रद्द-ए-अमल ज़ाहिर नहीं किया और में उनके जिस्म का मज़ा लेता रहा। वो खुद भी बीच-बीच में मेरी रानों पर हाथ रख कर सहला रही थीं।

बिल-आख़िर साढ़े चार घंटे बाद हम पिंडी पहुंच गये। मैं अम्बरीन खाला के साथ ही रहा। अम्मी, नानीजान और कुछ और लोग मेस में चले गये। अम्बरीन खाला के दोनों बेटे भी मेस में ही रहना चाहते थे। मैंने अम्बरीन खाला से कहा के कियों ना हम होटल में रहें। कमरे में और लोग भी नहीं होंगे, बाथरूम इस्तेमाल करने का मसला भी नहीं होगा और अगले दिन बारात के लिये तैयारी भी आसानी से हो जायेगी। अम्बरीन खाला को ये बात पसंद आयी। उन्होंने अपने बेटों को कुछ हिदायात दीं और मेरे साथ मुर्री रोड पर रिजर्व एक होटल में आ गयीं जहाँ खानदान के कुछ और लोग भी ठहर रहे थे। मैंने अम्मी को बता दिया था के अम्बरीन खाला अकेली हैं में उनके साथ ही ठहर जा‌ऊँगा। उन्होंने बा-खुशी इजाज़त दे दी।

होटल दरमियाना सा था। कमरे छोटे मगर साफ़ सुथरे थे। कमरे में दो बेड थे। कमरे में आकर फिर हम ने कपडे तब्दील किये। अम्बरीन खाला ने घर वाला पतली सी लॉन का जोड़ा पहन लिया जिस में से हमेशा की तरह उनका गोरा जिस्म नज़र आ रहा था। कपड़े बदलने के बावजूद उन्होंने अपनी ब्रा नहीं उतारी थी। मुझे थोड़ी मायूसी हु‌ई क्योंकि बगैर ब्रा के मैं उनके मम्मों को ज्यादा बेहतर तरीक़े से देख सकता था। उन्होंने आदतन ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल भी पहने रखे थे। खैर अम्बरीन खाला को अपने साथ एक कमरे में बिल्कुल तन्हा पा कर मेरे दिल में उन्हें चोदने की खाहिश ने फिर सर उठाया। लेकिन में ये करता कैसे? वो भला मुझे कहाँ अपनी चूत लेने देतीं।

अम्बरीन खाला अपने सूटकेस में कुछ ढूँढने लगीं और परेशान हो गयीं। जब मैंने पूछा कि को‌ई ज़रूरी चीज़ छूट गयी है तो पहले तो बोली की कुछ नहीं लेकिन फिर थोड़ी देर में ज़रा झिझकते हु‌ए बोली – “शाकिर मेरा एक काम करोगे... लेकिन वादा करो कि बाकी रिश्तेदारों को पता ना चले!” मैंने कहा – “आप बेफिक्र रहें, मैं किसी से नहीं कहूँगा!” फिर वो बोलीं कि सोने से पहले उनका थोड़ी सी शराब पीने को काफी दिल कर रहा है और वो शायद अपने सूटकेस में रखना भूल गयीं थीं। इसमें हैरानी वाली को‌ई बात नहीं थी क्योंकि मैं जानता था कि अम्बरीन खाला शराब पीती हैं। मेरी अपनी अम्मी भी तो किट्टी-पार्टियों में और घर पे भी कभी-कभार अब्बू की रज़ामंदी से अक्सर शराब पीती थीं।

मैंने कुछ अरसे पहले एक फिल्म देखी थी जिस में एक शराब के नशे में चूर औरत को एक आदमी चोद देता है। शराब की वजह से वो औरत नशे में होती है और उस आदमी से चुदवा लेती है। मैंने खाला से कहा कि वो फिक्र ना करें, मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ। मगर मैं वहाँ शराब कहाँ से लाता। लेकिन मैं इस मोक़े से फायदा भी उठाना चाहता था। फिर मैंने सोचा शायद होटल का को‌ई मुलाज़िम मेरी मदद कर सके। खाला ने मुझे कुछ रूपये देकर कहा कि मैं एहतियात बरतूँ कि होटल में ठहरे दूसरे रिश्तेदारों को पता ना चले। बहरहाल मैं बाहर निकला तो पच्चीस-तीस साल का एक काला सा आदमी जो होटल का मुलाज़िम था मिल गया। वो बहुत छोटे क़द का और बदसूरत था। छोटी-छोटी आँखें और अजीब सा फैला हु‌आ चौड़ा नाक। ठोड़ी पर दाढ़ी के चन्द बाल थे और मूंछें भी बहुत हल्की थीं। वो हर तरह से एक गलीज़ शख्स लगता था।

मैं उस के साथ सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आया और उससे पूछा कि मुझे शराब की बोतल कहाँ मिल सकेगी। उस ने पहले तो मुझे गौर से देखा और फिर कहने लगा के कौन सी शराब चाहिये। खाला ने कुछ बताया नहीं था और मुझे किसी ख़ास शराब का नाम नहीं आया इसलिये मैंने कहा– “को‌ई भी चल जायेगी। हम लोग शादी पर आये हैं और ज़रा मोज मस्ती करना चाहते हैं।“ उसने शायद मुझे और अम्बरीन खाला को कमरे में जाते देखा था। कहने लगा के “तुम तो अपनी अम्मी के साथ हो। कमरे में कैसे और किसके साथ शराब पी कर मोज मस्ती करोगे।“ मैं उसे ये ज़ाहिर नहीं करना चाहता था कि हकीकत में शराब तो खाला के लिये ही चाहिये इसलिये मैंने उसे बताया के में अपनी खाला के साथ हूँ और वैसे उसे हमारे प्रोग्राम से को‌ई मतलब नहीं होना चाहिये। खैर उसने मुझ से दो हज़ार रुपये लिये और कहा के आधे घंटे तक शराब ले आयेगा में उसका इंतज़ार करूँ। उस ने अपना नाम नज़ीर बताया।

मैं कमरे में वापस आ गया। मेरा दिल धक-धक कर रहा था। मैं डर रहा था कि नज़ीर कहीं पैसे ले कर भाग ही ना जाये मगर वो आधे घंटे से पहले ही शराब की बोतल ले आया। बोतल के ऊपर वोड्का लिखा हु‌आ था और उस में पानी जैसी रंग की शराब थी। मुझे इल्म नहीं के वो वाक़य वोड्का थी या किसी देसी शराब को वोड्का की बोतल में डाला गया था लेकिन बोतल सील्ड थी तो मुझे इत्मिनान हु‌आ। खैर मैंने बोतल ले कर फौरन अपने नेफ़े में छुपा ली। उसने कहा के बाथरूम के तौलिये चेक करने हैं। मैं उसे ले कर कमरे के अंदर आ गया। उस ने बाथरूम जाते हु‌ए अम्बरीन खाला को अजीब सी नज़रों से देखा। मैं समझ नहीं पाया के उसकी आखों में क्या था। वो कुछ देर बाद चला गया।

अम्बरीन खाला ने अपने और मेरे लिये सेवन-अप की बोतलें मँगवा‌ईं जो नज़ीर ही ले कर आया। इस दफ़ा भी उसने मुझे और अम्बरीन खाला को बड़े गौर से देखा। उसके जाने के बाद अम्बरीन खाला ने उनके लिये एक गिलास में थोड़ी वोड्का और सेवन-अप डालने को कहा तो मैं उठ कर कोने में पड़ी हु‌ई मेज़ तक आया और अम्बरीन खाला की तरफ पीठ कर के थोड़ी की बजाय गिलास में एक-चौथा‌ई तक वोड्का डाल कर उसे सेवन-अप से भर दिया। मैं चाहता था कि वो नशे में बदमस्त हो जायें। मैंने वो गिलास उनको दे दिया। उन्होंने गिलास से चन्द घूँट लिये और बुरा सा मुँह बना कर कहा – “ये कितनी वोड्का डाल दी तूने... बेहद स्ट्राँग है ये तो... ज्यादा चढ़ गयी तो?” मेरा दिल बैठ गया के कहीं वो पीने से इनकार ही ना कर दें लेकिन मैंने देखा कि वो फिर से गिलास होंठों को लगा कर घूँट भर रही थीं। मैंने कहा कि वो बेफिक्र होके पियें और इंजॉय करें कुछ होगा तो मैं संभाल लूँगा। मेरी बात से उन्हें इत्मिनान हु‌आ और वो मुस्कुरा कर पीने लगीं और मैं भी एक बोतल से सेवन-अप पीने लगा। जब उनका गिलास खाली हु‌आ तो मैंने इसरार करके उनके फिर से गिलास में एक चौथा‌ई वोड्का डाल कर सेवन-अप भर दी। दो गिलास खतम करने बाद तो खुद ही बोलीं कि फिर से गिलास भर दूँ।

रात के को‌ई साढ़े बारह बजे का वक़्त होगा। अम्बरीन खाला की हालत बदलने लगी थी। उनका चेहरा थोड़ा सा सुर्ख हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं। वो मेरी बातों को ठीक से समझ नहीं पा रही थीं और बगैर सोचे समझे बोलने लगती थीं। उनकी आवाज़ में हल्की सी लरज़िश भी आ गयी थी। वो वाज़ेह तौर पर अपने ऊपर कंट्रोल खोती जा रही थीं। कभी वो खामोश हो जातीं और कभी अचानक बिला वजह बोलने या ज़ोर से हंसने लगतीं। नशा उन पर हावी हो रहा था। इतनी ज्यादा शराब पीने की वजह से नशा भी ज्यादा हु‌आ था। उन्होंने कहा के अब वो सोना चाहती हैं। वो एक कुर्सी पर पसर कर बैठी हु‌ई थीं। जब उठने लगीं तो लडखड़ा गयीं। मैंने फौरन आगे बढ़ कर उन्हें बाज़ू से पकड़ लिया। उनके गोरे, मांसल और नरम बाज़ू पहली दफ़ा मेरे हाथों में आये थे।

मैं उस वक़्त थोड़ा घबराया हु‌आ था मगर फिर भी उनके जिस्म के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं उन्हें ले कर बेड की तरफ बढ़ा। मैंने उनका दुपट्टा उनके गले से उतार दिया और उन से चिपक गया। मेरा एक हाथ उनके सुडौल चूतड़ पर था। मैं उन्हें बेड तक लाया। मेरी उंगलियों को उनके चूतड़ के आगे पीछे होने की हरकत महसूस हो रही थी। मेरे सब्र का पैमाना लबरेज़ हो रहा था। मैंने अचानक अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हु‌ए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उसे आहिस्ता से टटोला। उन्होंने कुछ नहीं कहा। इस पर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया। उन्होंने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपनी कमर की तरफ ले आ‌ईं लेकिन कहा कुछ नहीं।

उन्हें बेड पर बिठाने के बाद मैंने उन से कहा के रात काफी हो गयी है और अब उन्हें सो जाना चाहिये। मैं उनके कपड़े बदल देता हूँ ताकि वो आराम से सो सकें। उनके मुँह से अजीब सी भारी आवाज़ निकली। शायद वो समझ ही नहीं सकी थीं के में क्या कह रहा हूँ। मैंने उनकी क़मीज़ पेट और कमर पर से ऊपर उठायी और उनका एक बाज़ू उठा कर उसे बड़ी मुश्किल से क़मीज़ की आस्तीन में से निकाला। अब उनका एक गोल और भारी मम्मा सफ़ेद रंग की ब्रा में बंद मेरी आँखों के सामने था। उनका दूसरा मम्मा अब भी क़मीज़ के नीचे ही छुपा हु‌आ था। मैंने उनके मम्मे के नीचे हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उसे पकड़ लिया। अम्बरीन खाला का मम्मा भारी भरकम था और उससे हाथ लगा कर मुझे अजीब तरह का मज़ा आ रहा था। फिर मैंने दूसरे बाज़ू से भी क़मीज़ निकाल कर उन्हें ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया। उनके दोनों मम्मे ब्रा में मेरे सामने आ गये। मैंने जल्दी से पीछे आ कर उनके ब्रा का हुक खोला और उससे उनके जिस्म से अलग कर के उनके मम्मों को बिल्कुल नंगा कर दिया।

ये मेरी ज़िंदगी का सब से हसीन लम्हा था। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। अम्बरीन खाला के मम्मे बे-पनाह हसीन, गोल और उभरे हु‌ए थे। सुर्खी-मायल गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े-बड़े और बाहर निकले हु‌ए थे। निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था जिस पर छोटे-छोटे दाने उभरे हु‌ए थे। मैंने उनका एक मम्मा हाथ में ले कर दबाया तो उन्होंने मेरा हाथ अपने मम्मे से दूर किया और दोनों मम्मों के दरमियाँ में हाथ रख कर अजीब अंदाज़ से हंस पड़ीं। शायद ज्यादा नशे ने उनकी सोचने समझने की सलाहियत पर असर डाला था।

मैंने अब उनके दूसरे मम्मे को हाथ में लिया और उस के मुख्तलीफ़ हिस्सों को आहिस्ता-आहिस्ता दबाता रहा। मैंने ज़िंदगी में कभी किसी औरत के मम्मों को हाथ नहीं लगाया था। अम्बरीन खाला के मम्मे अब मेरे हाथ में थे और मेरी जहनी कैफियत बड़ी अजीब थी। मेरे दिल में खौफ भी था और ज़बरदस्त खुशी भी कि अम्बरीन खाला मेरे सामने अपने मम्मे नंगे किये बैठी थीं और में उनके मम्मों से खेल रहा था। उन्होंने हंसते हु‌ए उंगली उठा कर हिलायी जिसका मतलब शायद ये था कि मैं ऐसा ना करूँ। उनका हाथ ऊपर की तरफ आया तो सलवार में अकड़े हु‌ए मेरे लंड से टकराया तो वो फिर से हंस दी लेकिन शायद उन्हें एहसास नहीं हु‌आ कि मैं अपना लंड उनकी चूत में डालने को बेताब था। मैं उसी तरह अम्बरीन खाला के मम्मों को हाथों में ले कर उनका लुत्फ़ उठाता रहा।

अचानक कमरे का दरवाज़ा जो मैंने लॉक किया था एक हल्की सी आवाज़ के साथ खुला और नज़ीर अंदर आ गया। नज़ीर ने फौरन दरवाज़ा लॉक कर दिया। उस के हाथ में मोबा‌इल फोन था जिस से उसने मेरी और अम्बरीन खाला की उसी हालत में तस्वीर बना ली। ये सब पलक झपकते हो गया। मैं फौरन अम्बरीन खाला के पास से हट गया और उनकी क़मीज़ उठा कर उनके कंधों पर डाल दी ताकि उनके मम्मे छुप जायें। नज़ीर के बदनुमा चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। उस ने अपनी जेब से छ-सात इंच लंबा चाक़ू निकाल लिया मगर उसे खोला नहीं। खौफ से मेरी टाँगें काँपने लगीं।

नज़ीर ने कहा के वो जानता था हमें शराब क्यों चाहिये थी। मगर मैं फ़िक्र ना करूँ क्योंकि वो किसी से कुछ नहीं कहेगा। उसे सिर्फ़ अपना हिस्सा चाहिये। अगर हम ने उस की बात ना मानी तो वो होटल मॅनेजर को बतायेगा जो पुलीस को खबर करेगा और आगे फिर जो होगा हम सोच सकते हैं। उसने कहा के शराब पीना तो जुर्म है ही पर अपनी खाला और भांजे को चोदना तो उस भी बड़ा जुर्म है। मुझ से को‌ई जवाब ना बन पड़ा। अम्बरीन खाला नशे में थीं मगर अब खौफ नशे पर हावी हो रहा था और वो हालात को समझ रही थीं। मेरा दिल भी सीने में ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।

मुझे सिर्फ़ पुलीस के आने का ही खौफ नहीं था। होटल में खानदान के और लोग भी ठहरे हु‌ए थे। अगर उन्हें पता चलता के शराब के नशे में चूर अम्बरीन खाला को मैं चोदना चाहता था तो क्या होता? अम्बरीन खाला की कितनी बदनामी होती। खालू नवाज़ क्या सोचते? उनका बेटा राशिद मेरा दोस्त था। अगर उसे पता चलता के मेरी नियत उसकी अम्मी की चूत पर थी तो उस पर क्या गुज़रती? मेरे अब्बू ने सुबह पिंडी पुहँचना था। उन्हें पता चलता तो क्या बनता? बड़ी खाला के बेटे की शादी अलग खराब होती। मेरा दिल डूबने लगा। अम्बरीन खाला ने हल्की सी लड़खड़ा‌ई हु‌ई आवाज़ में कुछ कहा। नज़ीर उनकी तरफ मुड़ा और उन्हें मुखातिब कर के बड़ी बे-बाकी से बोला के अगर वो अपनी चूत उसे दे दें तो को‌ई मसला नहीं होगा। लेकिन उन्होंने इनकार किया तो पुलीस ज़रूर आ‌एगी। अम्बरीन खाला चुप रहीं मगर उनके चेहरे का रंग ज़र्द पड़ गया। उन्होंने अपनी क़मीज़ अपने नंगे ऊपरी जिस्म पर डाली हु‌ई थी।

नज़ीर ने मुझसे पूछा के क्या मैंने पहले किसी औरत को चोदा है। मैंने कहा – “नहीं!” वो बोला के औरत नशे में हो तो उससे चोदने का मज़ा आता है लेकिन अम्बरीन खाला कुछ ज्यादा ही नशे में थी। वो अम्बरीन खाला के लिये तेज़ कॉफी ले कर आता है जिसे पी कर उनका नशा थोड़ा कम हो जायेगा। फिर वो चुदा‌ई का जायेगा मज़ा देंगी भी और लेंगी भी। उस ने अपना मोबा‌इल जेब में डाला और तेज़ क़दम उठाता हु‌आ कमरे से निकल गया। अम्बरीन खाला ने उसके जाते ही अपनी क़मीज़ ब्रा के बगैर ही पहन ली।

जब उन्होंने क़मीज़ पहनने के लिये अपने हाथ उठाये तो उनके मोटे-मोटे मम्मे हिले लेकिन उनके नंगे मम्मों की हरकत का मुझ पर को‌ई असर नहीं हु‌आ क्योंकि अब उन्हें चोदने का भूत मेरे सर से उतर चुका था। उनके नशे पर भी खौफ गालिब हो रहा था। उन्होंने कहा कि – “शाकिर तुमने ये क्या कर दिया? अब क्या होगा? ये कमीना तो मुझे बे-आबरू करना चाहता है!” उनकी परेशानी वाजिब थी। अगर हम नज़ीर को रोकते तो वो हमें जान से भी मार सकता था या को‌ई और नुक़सान पुहँचा सकता था। अगर हम होटल में मौजूद अपने रिश्तेदारों को खबर करते तो हमारे लिये ही मुसीबत बनती क्योंकि नज़ीर के फोन में हमारी तस्वीर थी। मैंने अम्बरीन खाला से अपनी हरकत की माफी माँगी। वो कुछ ना बोलीं।

कुछ देर में नज़ीर एक मग में कॉफी ले आया जो अम्बरीन खाला ने पी ली। उनका नशा कॉफी से वाक़य कुछ कम हो गया और वो पहले से काफी हद तक नॉर्मल नज़र आने लगीं। नज़ीर ने मुझे कहा कि – “मैं आज तुम्हें भी मज़े करा‌ऊँगा क्योंकि तुम्हारा दिल अपनी खाला पर है। वैसे तुम्हारी खाला है नंबर वन माल। इस कुत्तिया का नाम क्या है?” मुझे उसकी बकवास सुन कर गुस्सा तो आया मगर क्या करता। मैंने कहा – “अम्बरीन!” उस ने होठों पर ज़ुबान फेर कर अम्बरीन खाला की तरफ देखा। वो बोलीं कि उन्हें पेशाब करना है और अपना ब्रा उठा कर लड़खड़ाती हु‌ई बाथरूम चली गयीं। जब वापस आ‌ईं तो उन्होंने अपना ब्रा पहन रखा था और आकर कुर्सी पर बैठ गयीं। उनके आते ही नज़ीर ने अपने कपड़े उतारे और अलिफ नंगा हो गया।

उसका क़द बहुत छोटा था मगर जिस्म बड़ा घुटा हु‌आ और मज़बूत था। उस का लंड इंतेहा‌ई मोटा था जो उस वक़्त भी आधा खड़ा हु‌आ निस्फ़ दायरे की तरह उसके मोटे-मोटे टट्टों पर झुका हु‌आ था। उस के लंड का टोपा निस्बतन छोटा था मगर पीछे की तरफ इंतेहा‌ई मोटा हो जाता था। उसकी झांटो के बाल घने थे और घुंघराले थे और उन के अलावा उसके जिस्म पर कहीं बाल नहीं थे। टट्टे बहुत मोटे-मोटे थे जिनकी वजह से उसका लंड और भी बड़ा लगता था। अम्बरीन खाला नज़ीर के लंड को देख कर हैरान रह गयीं। इतना मोटा लंड शायद उन्होंने पहले कभी नहीं देखा होगा। मेरा ख़याल था कि अपने शौहर के अलावा वे कभी किसी से नहीं चुदी होंगी लेकिन बाद में पता चला कि ये मेरी गलत फ़हमी थी। वो तो अल्लाह जाने अपनी ज़िंदगी में पता नहीं कितने ही लंड ले चुकी थीं।

नज़ीर ने देखा कि अम्बरीन खाला उसके लंड को हैरत से देख रही हैं तो उसने अपना लंड हाथ में ले कर उसे ऊपर नीचे हरकत दी और इतराते हु‌ए अम्बरीन खाला से पूछा कि उन्हें उसका लंड पसंद आया या नहीं। वो खामोश रहीं लेकिन उनकी निगाहें नज़ीर के लंड पर ही जमी हु‌ई थीं। मैंने नोट किया कि उनकी आँखों में अजीब सी चमक थी पर फिर लगा कि शायद मेरा वहम था। वो फिर बोला – “जब ये लंड तेरी फुद्दी में जायेगा तो तुझे बहुत मज़ा देगा!” अम्बरीन खाला ने अपनी नज़रें झुका लीं और उनके गाल सुर्ख हो गये थे। नज़ीर ने अपना फोन और चाक़ू बेड के साथ पड़ी हु‌ई छोटी सी मेज़ पर रखे और मुझे भी कपड़े उतारने को कहा। मैं खौफ के आलम में चुदा‌ई का कैसे सोच सकता था। मैंने इनकार कर दिया।

वो अम्बरीन खाला के पास गया और उनका हाथ पकड़ कर उन्हें कुर्सी से उठाने लगा। उन्होंने अपना हाथ छुड़ाना चाहा तो नज़ीर उन्हें ग़लीज़ गालियाँ देने लगा। कहने लगा – “तेरी चूत मारूँ कुत्तिया... अब शरीफ़ बनती है! तेरे फुद्दे में लंड दूँ हरामज़ादी, कंजरी, बहनचोद! तेरी बहन को चोदूँ... अभी कुछ देर पहले तो तू शराब पीके नशे में मस्त होके अपने भांजे से चुदवाने वाली थी और अब शरीफ़ बन रही है!” इस बे-इज़्ज़ती पर अम्बरीन खाला का चेहरा फिर लाल हो गया। वो जल्दी से खड़ी हो गयीं। मैं भी अंदर से हिल कर रह गया। उस वक़्त मुझे एहसास हु‌आ के मैं नादानी में क्या गज़ब कर बैठा था।

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