मामा तुम बहुत गंदे हो

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// अपनी भांजी सोनिया की मस्त चुदाई //
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मामा तुम बहुत गंदे हो
प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)


Note:

1. All characters in this story are over 18 years.

2 This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
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// अपनी भांजी सोनिया की मस्त चुदाई \\
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Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी और छोटी भी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Story : कहानी:
===========
मैं अपने भाई बहनों में सबसे बड़ा हूँ। उस समय मेरी भांजी सोनिया जिसकी उम्र उस वक्त करीब 18 साल होगी, उसका कद करीब 5 फुट 4 इंच है, रंग गोरा गोरा है, वो बचपन से रात को वो ज्यादातर मेरे साथ ही खेलते खेलते चिपक कर सो जाती थी, उस वक्त तो मुझे कुछ खास महसूस नहीं होता था। लेकिन जब उसके बूब्स करीब संतरे के आकार के हो गए तो रात को जब वो चिपक के सोती तो मेरी हालत ख़राब हो जाती।

हालाँकि तब तक मैं कई लड़कियों को चोद चुका था, तथा कइयों की तो सील भी मैंने ही तोड़ी थी, क्योकि हमारा बिजनेस ही ऐसा था, हमारा रेडीमेड कपड़े बनाने का कारखाना है और हमारे यहाँ मशीनो पर सिर्फ़ लड़कियाँ ही काम करती हैं, हम ज्यादातर कुंवारी लड़कियों को ही काम पर रखते हैं, क्योकि एक तो कम पगार पर मिल जाती थी तथा दूसरे शादी होने पर अपने आप साल दो साल में काम छोड़ कर चली जाती थी। ज्यादातर हमारे यहाँ 19-20 साल की लड़कियाँ काम करती थी।

खैर ये कहानिया मैं आपको बाद मैं लिखूंगा, तो मैं बता रहा था कि रात को जब मेरी भतीजी सोनिया मुझे चिपक के सोती तो उसके बूब्स मेरे सीने में दब जाते थे, उसे इस बारे में पता था या नहीं लेकिन इस हरकत से मेरा 8” लंबा हथियार खड़ा हो जाता और मुझे डर रहता कि कहीं उसका हाथ या पैर मेरे लंड को छू न जाए।

एक रात को जब उसे नींद आ चुकी तो मैंने धीरे से अपना हाथ उसके एक बूब्स पर रख दिया उसके बूब्स कमाल के सख्त थे। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिय। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी नाईट शर्ट के बटन खोल दिए और शमीज के ऊपर से उसके बूब्स को काफी देर तक दबाता रहा, उसने कोई हरकत नहीं की। इससे आगे बढ़ने की मेरी हिम्मत नहीं हुई आख़िर मैंने मूठ मार कर अपने को शांत किया और सो गया।

दूसरे दिन रात को फ़िर में उसके सोने का इंतजार करने लगा कि अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने बूब्स पर रख लिया और नींद में होने का नाटक किए हुए सोती रही। मुझे समझ में आ गया कि कल रात को उसे सब कुछ मालूम हो चुका था, फ़िर क्या था मैंने उसके नाईट शर्ट के बटन खोल दिए और देख कर हैरान रह गया कि आज उसने अन्दर शमीज ही नहीं पहनी थी। मेरे हाथ सीधे उसके अनछुए बूब्स पर थे, उसके छोटे छोटे पिंक कलर के निप्पल देख कर मेरे तो होश उड़ गए। उस रात मैंने उसके बूब्स को खूब मसला और मुँह में लेकर चूसा भी लेकिन वो सोती रही।

मैंने धीरे से उसके पजामे के ऊपर से उसकी चूत पर हाथ रखा तो मुझे लगा जैसे फूली हुई गद्दी पर हाथ रखा हो, मैंने धीरे से उसके पजामे के अन्दर हाथ डालने की कोशिश की तो वो दूसरी तरफ़ करवट बदल कर ओढ़ कर सो गई, आख़िर उस दिन भी मैंने मूठ मार कर अपने को शांत किया और सो गया।

अगले दिन से उसका व्यव्हार मेरे साथ कुछ बदल सा गया और वो बार-बार मामा- मामा कहकर मेरे साथ चिपकने लगी, मैं समझ गया कि अब इसको चोदने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा लेकिन मौका हाथ नहीं लग रहा था क्योंकि उसी कमरे में मेरे पिताजी भी सोते थे, इसलिए केवल बूब्स दबाकर तथा चूत ऊपर से दबाकर ही संतोष करना पड़ता था, अब तक हम खुल गए थे लेकिन हर बार वो इससे आगे बढ़ने के लिए मना कर देती।

आख़िर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया, दीदी और जीजाजी शादी में मुंबई गए थे, पिताजी कारखाने में चले गए, घर पर सिर्फ़ मैं और सोनिया ही थे। सुबह 10 बजे का वक्त होगा, पिताजी के जाने के बाद जब वो नहाने जा रही थी तो मैंने उसे पकड़ लिया और चूमने लगा। तो वो बोली ---- मामा मुझे छोड़ो ! मुझे नहाना है!

मैंने कहा---- चलो आज साथ नहाते हैं,

तो वो शरमा गई, क्योंकि आज तक हमने रात में ही सब कुछ किया था। मैं उसके साथ बाथरूम में घुस गया और उसके कपड़े उतारने लगा। वो न ना करती रही लेकिन मैंने उसकी पेंटी छोड़ कर सब कपड़े उतार दिए और अपने भी अंडरवियर छोड़कर सब कपड़े उतार दिए।

वो शरमा रही थी लेकिन मैंने उसकी एक चूची एक हाथ में तथा दूसरी मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसे भी मजा आने लगा। मैंने जैसे ही उसकी पेंटी को हाथ लगाया उसने कहा ---- मामा ये सब नहीं !

लेकिन मैं जानता था कि आज मौका है, जो करना है आज ही कर लेना है !

मैंने कहा---- कुछ नहीं होगा और जबरन उसकी पेंटी में हाथ डाल दिया। उसकी चूत पर नरम नरम रोयें जैसे छोटे छोटे बाल आना शुरू ही हुए थे, मैंने देखा उसकी चूत पूरी तरह गीली हो रही थी। मैंने उसकी पेंटी उतार दी तो उसने अपनी आँखे बंद करली। मैंने घुटनों के बल बैठ कर उसकी चूत को देखा और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा वो सिसकारियाँ भरने लगी और मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबा लिया।

मैंने उसे कहा---- चलो अन्दर बेडरूम में चलते हैं। वो कुछ नहीं बोली। मैंने उसे उठाया और अन्दर कमरे में बिस्तर पर ले आया। उसने आँखे बंद कर रखी थी, मैंने अपना अंडरवियर उतारा और उसकी बगल में लेट गया। धीरे धीरे उसकी चूत सहलाते हुए मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया, उसने उसे पकड़ लिया लेकिन कुछ कर नहीं रही थी। मैंने उसे लंड मुंह में लेने के लिए कहा तो उसने मना कर दिया। मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया।

मैंने फ़िर उसकी चूत चाटते हुए एक अंगुली उसकी चूत में डाल दी। उउफ्फ !! उसकी माखन जैसी छूट में मेरी उंगली फिसल कर अंदर चली गयी, उसने धीरे से उफ़ किया लेकिन कुछ बोली नहीं, मैं उसकी चूत में उंगली करता रहा, धीरे धीरे उसे भी मजा आने लगा।

फ़िर मैंने उठ कर अपने लंड पर थोड़ा तेल लगाया और उसके पैरों को चौड़ा करके बीच में बैठ गया। वो आँखे बंद करके पड़ी रही। मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुँह पर रखा और थोड़ा सा जोर लगाया ही था कि वो बोली- हाए मामा, दर्द हो रहा है, जबकि लंड तो अभी पूरा बाहर ही था।

खैर, मैंने थोडी देर उसके बूब्स दबाये और फ़िर थोड़ा जोर लगाया वो फ़िर बोलने लगी कि दर्द होता है। उसकी चूत इतनी टाईट थी कि लंड का टोपा भी अन्दर नही घुस रहा था, मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे बातों में लगाया और धीरे धीरे अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर रगड़ने लगा तथा उसे कहा कि वो जोर से मुझे बाँहों में भर ले। जैसे ही उसने मुझे बाँहों में लिया, मैंने पूरी ताकत से शोट मारा उसके मुँह से चीख निकल गई ।

एक झटके में मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था, वो नीचे छटपटाने लगी लेकिन मैंने उसे जकड़ रखा था, वो रोने लगी और कहने लगी मामा आप बहुत गंदे हो, आगे से मैं आपके पास कभी नहीं आउंगी।

मैंने अपना लंड और आगे नहीं दबाया और उतने ही लंड से उसको चोदता रहा। धीरे धीरे उसे भी अच्छा लगने लगा, उसकी बाहें फ़िर मेरी पीठ पर कस गई, जैसे ही उसने अपनी पकड़ टाईट की, मैंने एक जोरदार शोट पूरा लंड बाहर निकाल कर लगा दिया। उसके मुँह से हिचकी सी निकली और वो फ़िर रोने लगी लेकिन अब मैं रुकने वाला नहीं था। मैं उसको पूरी ताकत से चोदे जा रहा था। करीब 10 मिनट बाद उसने मुझे फ़िर बाँहों में भर लिया और अपनी टांगे और चौड़ी कर ली।

अचानक उसकी चूत मेरे लंड को भींचने लगी और वो मुझसे बुरी तरह से चिपक गई। मैं भी आने वाला था, मैंने झटके से अपना लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर अपना सारा माल उड़ेल दिया। मेरा लंड बुरी तरह दर्द कर रहा था तथा खून से लाल हो रहा था। 5 मिनट तक हम वैसे ही बेड पर पड़े रहे। जब उठने लगे तो सोनिया उठ नहीं पा रही थी।

जब हमने बेड की तरफ़ देखा तो हमारे होश उड़ गए पूरी बेडशीट लाल हो चुकी थी, यह देख सोनिया घबरा गई और फ़िर रोने लगी, मैंने उसे समझाया और चद्दर बदली, मैंने उसकी चूत पर नहाने के बाद रुई लगाई उससे चला नहीं जा रहा था, मैंने उसे पेनकिलर गोली दी, शाम तक काफी आराम हो गया, उसके बाद 4 दिन तक उसने मुझे हाथ भी नहीं लगाने दिया, लेकिन पांचवे दिन के बाद हमारा खेल फ़िर शुरू हो गया जो करीब 7 साल तक उसकी शादी तक चला।

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) (मस्तराम - मुसाफिर)

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