Manorama... Six Feet Under Pt. 04

Story Info
मनोरमा के पिता और गुलाबो का खेल
1.3k words
3.03
44.7k
1

Part 4 of the 8 part series

Updated 10/31/2022
Created 07/10/2014
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Note: All the characters in this story are 18 years are above.
इस कहानी के सारे पात्र 18 वर्ष या 18 वर्ष से ऊपर हैं

"हाँ मैं बिलकुल ठीक से हूँ और बहुत झुशी से हूँ पापा. ससुराल वाले मेरा अच्छी तरह से ख़याल रखते हैं."

मनोरमा ने चहकते हुए कहा.

बेटी की आवाज़ को सुन कर पापा श्रीराम सिंह समझ गए की उनकी बेटी ने ससुराल में अपना जलवा दिख ही दिया है. पर उन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं था ये जलवा था किस तरह का. वो जानते थे कि मनोरमा खुश है और उनके लिए इतना ही काफी था.

उन्होंने बोला, "मतलब, लगता है पूरा पूरा ख़याल रख रहे हैं ससुराल वाले?"

मनोरमा ने अपना निचला होठ दांत में दबाते हुए बताया, "हाँ पापा, मैंने सोचा भी नहीं था की तीन महीने में ही सभी लोग मेरा इतना ख़याल रखने लगेंगे. "

श्रीराम सिंह बोले, "बेटे मैं बड़ा खुश हूँ की तू खुश है. अब वही तेरा घर है. तेरी शादी हो गयी, अच्छा घर मिला गया. वहां सबका अच्छे से ख़याल रखना. अब तेरे भाई अमित की शादी हो जाए. बस मैं मुक्त हो जाऊं"

मनोरमा ने कहा, "हां पापा अब अमित की शादी जल्दी कराइए."

मनोरमा उस समय शीशे के सामने कड़ी थी. उसने खुद को ही अपनी आँख मारते हुए बोला,

"यहाँ मैं सबका ख़याल इतनी अच्छी तरह से रख रही हूँ कि आपकी बहु आपका कभी नहीं रख पाएगी"

श्रीराम सिंह बोले, " अच्छा बेटे, मेरा काम पर जाने का वक़्त हो गया है, मैं फ़ोन रखता हूँ. खुश रहो"

श्रीराम सिंह ने फ़ोन रखा नहीं था, बल्कि उन्हें रखना पड़ा. क्योंकि गुलाबो जो उनके घर की नौकरानी थी, उनका लंड किसी स्वादिष्ट लेमन चूस की तरह चाट रही थी. जब वो फ़ोन पर थे, गुलाबो घर का काम ख़तम कर के आई, श्रीराम सिह की धोती से उनका लंड निकाला और उसे मुंह में डालकर चुभलाने लगी. लंड चुस्वाने के आन्दतिरेक में अब उनकी आवाज संयत न रहती, इस लिए बेटी का फ़ोन थोडा जल्दी ही काटना पड़ा. बेटी को बोलना पड़ा की काम पर जा रहे हैं, और बेटी को ये बिलकुल अंदाजा नहीं था की उनके पापा कौन से काम पर जा रहे हैं.

"गुलाबो, तेरी मुंह बड़े कमाल का है. चूस इसे जरा जोर से. बड़ा आनंद आवे है मन्ने"

गुलाबो ने लंड को पूरा अपने मुंह में लिए हुए उनसे नज़रें मिलाईं मुस्कराई और जोर से चाटने लगी. श्रीराम सिंह का लंड अब तक पूरे शबाब पर आ चुका था. वो अपनी कुसी से उठे तो उनका लम्बा और मोटा लंड गुलाबो के मुंह से निकल गया. उन्होंने अपनी धोती और कच्छा जल्दी से उतारा और कुरते को निकाल कर फ़ेंक दिया और जा कर बगल में बिछे हुए दीवान पर जा कर लेट गए. गुलाबो अपने घुटनों के बल बैठ कर उनका लंड फिर से चूसने लगी. इस प्रक्रिया में उसकी गांड ऊपर की तरफ उठी हुई थी. वो पूरी तरह से नंगी थी.

वो दोनों इस बात से बिलकुल बेखबर थे की खिड़की पर खड़ा अमित उनके ये सारे कार्य प्रलाप देख रहा है. अमित आज अपनी सुबह की दौड़ से जल्दी घर आया और जब पापा को बात करते सुना तो सोचा की वो भी दीदी से बात कर ले. पर खिड़की से देखा की बात चीत के साथ गुलाबो की उनके पापा के लंड से डायरेक्ट बात चल रही है तो वो वहीँ ठहर गया. ये दृश्य पिछली रात में देखी गयी सनी लोएन्ने की फिल्म से कहीं ज्यादा कामुक था. उसका हाँथ उसके शॉर्ट्स में था और वो पाना लंड धीरे धीरे सहला रहा था. गुलाबो का गदराया बदन वो कई बार देख चूका था. गुलाबो बहार नौकरों के क्वार्टर में खुले में नहाती थी. अमित को उसके बड़े बड़े मम्मे और फेंकी हुई गोल एवं गुन्दाज़ चुतड इतने पसंद थे की उन्हें याद करते ही उसका लंड खड़ा हो जाता था. गुलाबो का पति हरिया श्रीराम सिंह के खेतों का प्रमुख था. वो अन्य नौकरों का सुपरवाइजर था. अमित को ये पता नहीं था की गुलाबो की चुदाई हरिया की पूरी रजामंदी से हो रही है .

अपना लंड चुस्वाते चुस्वाते, श्रीराम की साँसे तेज हो गयी थीं. गुलाबो की चूत में अभी तक वो अपनी तीन उंगलिया दाल चुके थे. चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. और उन्होंने अपनी उंगलिया निकाली और गुलाबो की उठी हुई गांड पर एक चपत मारी. गुलाबो को इस चपत का इशारा अच्छी तरह पता था. उसने उनके लौंडे को अपने मुंह से अज्जाद किये और फर्श पर कड़ी हो कर झुक कर उसने कुर्सी के दोनों हैंडल पकड़ लिए. उसकी गांड मानो श्रीराम सिहं को आमंत्रण दे रही थी की आइये और मेरी लीजिये. श्रीराम उठ कर उसके पीछे आये और अपने लंड गुलाबो की चूत के मुंह पर टिका दिया. गुलाबो ने अपने गांड को हिला कर मालिक का लंड थोडा अन्दर लिया. लंड का सुपादा पूरा अन्दर जा चूका था. आज गुलाबो की चूत बड़ी कसी कसी लग रही थी. उन्होंने एक धक्का दिया और पूरा का पूरा लंड अन्दर. गुलाबो के मुंह से चीख निकल गयी.

गुलाबो को अपने चूत में श्रीराम सिंह का लौदा कसा और गरम लग रहा था. उसे अभी भी याद है वो दिन जब वो हरिया से ब्याह कर इस हवेली के सर्वेंट क्वार्टर में आई थी. श्रीराम सिह उसकी उस दिन से नियमित रूप से चुदाई कर रहे थे. आदम जात की भूख जितना बढ़ाया जाये वो उतनी ही बढ़ती जाती है. गुलाबो का अब हाल यही हो गया था की वो रोज रोज अपनी चूत में कोई लंड चाहती थी. श्रीराम और हरिया दोनों इस बात को जानते थे. इस लिए उसे जैम के पलते थे. कई बार तो दोनों ने उसे एक साथ मिल कर छोड़ा हुआ था. जब भी श्रीराम सिंह किसी नेता या अफसर को बुलाते थे, उन्हें खिला पिला के बाद उनकी पेट के नीचे की भूख का इंतजाम गुलाबो करती थी. इस प्रकार से उस इलाके के जितने भी कॉन्ट्रैक्ट थे वो सब श्रीराम सिंह को मिलते थे.

श्रीराम सिंह ने उसे चोदते हुए दोनों हाथों से उसकी चुंचियां दबाना चालू कर दिया. चुन्ची के दबने से गुलाबो वर्तमान में आई.

"मालिक जोर से पेलो अपना लंड.... पेलो रजा पेलो ...."

"साली तू तो बिलकुल रंडी हो गयी है. ये ले .....मेरा पूरा लंड ....तेरी चूत तो अब लगता है ...गधे का लौंडा भी ले सकती है ...."

"मालिक आपके लंड के सामने ....गधे का लंड भी फेल है ....आ ...आ...उई.....सी,,,,,मर गयी मैं "

अमित अब तक अपना लंड शॉर्ट्स के बाहर निकाल चूका था. अन्दर की कार्यवाही को देख कर उसका लंड भी पूरी तरह से तन चूका था और वह सडका मारने लगा.

श्रीराम सिंह जोर जोर से गुलाबो को चोदने लगे...बीच बीच में उसकी गांड पर चपत भी लगा देते ...

"ये ले साली....ये ले मेरा लंड ...मैं छूट रहा हूँ....ऊ.....ऊ.....ऊ..... ..."

ये कहते हुए वो गुलाबो की चूत के अन्दर उन्होंने अपना सारा पानी छोड दिया. अमित के लंड से भी फव्वारा निकला उसके निशाँ खिड़की के नीचे की दीवाल पर आज भी है.

श्रीराम सिंह आकर दीवान पर बैठ गए और गुलाबो के पेटीकोट से अपना गीला लंड पोछने लगे. उनकी नज़र फ़ोन पर गयी. जल्दी में उशोने फ़ोन काटा नहीं था, फ़ोन अभी भी उनकी बेटी मनोरमा से कनेक्टेड था. उन्होंने फ़ोन उठा के सुनने की कोशिश की किसी ने उनके प्रलाप को सुना तो नहीं. उधर से कोई आवाज नहीं आई. पर जैसे ही श्रीराम सिंह के साँसे फ़ोन से टकराई, मनोरम की तरफ से फ़ोन कट गया. श्रीराम सिंह को पक्का नहीं पता चला की मनोरमा ने उस्न्की चुदाई सुनी है या नहीं.

पर दूसरी तरफ मनोरमा अपने पिता की इस गरम सी चुदाई को फ़ोन पर सुनकर पूरी तरह गरम हो चुकी थी और वह रवि को जगा कर उससे चुदने का प्लान बना रही थी. उसे अब पता चल गया था की उसकी चुदाक्कड आदतें उसने अपने बाप से ली हैं.

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1 Comments
MastramLegendsMastramLegendsover 9 years agoAuthor
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Folks, when I submitted my story, I only get to select language. And I did select Hindi. Where it is actually published, I don't get to select. Sorry for the trouble, but I did what I had to or I could do.

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