"मेरी बेटी नादान है"

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Mife ki maa.
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दोस्तो, मैं आपकी दोस्त INCEST LOVER उर्फ़ " उमा शर्मा " आपके सामने फिर से हाज़िर हूँ. एक कामुक हसीन दास्तान लेकर.

चलो शुरू करें "उमा शर्मा" के साथ घर-परिवार पति - पत्नी और पराये मर्दों में यौन सम्बन्ध की कहानी तो चलो शुरू करें "उमा शर्मा" के साथ कामवासना से भरपूर यौन सम्बन्ध की कामुक रहस्यमय उत्तेजक रोमांटिक की रंगीन कामोत्तेजक कहानियों की दुनिया की यात्रा..

केवल और केवल ON www.literotica.com साइट पर.

"मेरी बेटी नादान है"BY-उमा शर्मा

मैं , उम्र 28 साल, शादीशुदा हूँ। घर में मैं और मेरी बीवी हम दोनों ही रहते हैं।

यह कहानी आज से कोई 3 साल पहले की है। शादीशुदा होने के बाद भी मैं अपनी बीवी से खुश नहीं था क्योंकि वह मेरे साथ सेक्स तो करती पर पूरी तरह से नहीं। मैं उसके साथ ठीक से मज़ा नहीं कर पा रहा था और इसी वजह से हमारे बीच तनाव बना रहता था।

इसी बीच मुझे मेरे ससुराल जाने का मौका मिला। मेरी ससुराल मैं मेरे ससुर और सास ही हैं। हमारे वहाँ पहुँचते ही मेरा स्वागत किया गया।

शाम का खाना खाने के बाद मैं अपने ससुर जी बात करने लगा और मेरी बीवी मेरी सासु माँ के साथ रसोई में काम कर रही थी। फिर हम सभी लोग थोड़ी देर बात करने के बाद सोने चले गए।मेरी बीवी हमेशा की तरह सेक्स में रूचि ना लेते हुए सोने लगी लेकिन मैं भी उसे बिना सेक्स किये कैसे सोने देता। मैं गाउन के ऊपर से ही उसके बोबे दबाने लगा, उसे कुछ होने लगा लेकिन सेक्स मैं रूचि नहीं होने की वजह से उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं की।

मैं भी इतनी जल्दी हार नहीं माने वाला था, मैं कोशिश करके उसका गाउन निकाल दिया और अपने भी सारे कपड़े उतार दिए। अब मैं बिल्कुल नंगा और वह सिर्फ पेंटी में थी। उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

मैं धीरे-धीरे उसके बोबे दबाने लगा और बीच-बीच में चूसता भी जा रहा था। पर उसकी तरफ से कोई प्रत्युत्तर नहीं मिल रहा था। यह सब होने के बाद मुझे बहुत गुस्सा आया क्योंकि मेरा लंड कड़क हो चुका था और मैं प्यासा ही था।

हमारी बहस शुरू हो गई। हमारी बहस से शायद मेरी सासु माँ जाग गई थी और वो हमारे कमरे की खिड़की से हमें देख रही थी। उस वक्त भी मैं बिल्कुल नंगा और मेरी बीवी सिर्फ पेंटी में थी। मुझे इस बात का पता कुछ देर बाद चला जब अचानक मेरी नजर खिड़की पर पड़ी। पर मैंने देख कर भी अनदेखा कर दिया जिसकी वजह से वो बहुत देर तक छुप-छुप कर खिड़की से देखती रही और हमारा झगड़ा सुनती रही।

बहुत देर तक बहस करने बाद मैं अपने आप को शांत करने के लिए उठा और मुझे देख मेरी सास अपने कमरे में चली गई जो हमारे कमरे से लगा हुआ ही था। मैं जानता था कि मेरी सास अभी कमरे में गई हैं, मैंने जानबूझ कर बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया सिर्फ थोड़ा सा टिका दिया और मैं मुठ मारने लगा। सासु माँ के कमरे से बाथरूम साफ़ दिखाई देता था। मैंने देखा कि सासु माँ के कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ है। मैंने उधर ना देखते हुए मुठ मारना जारी रखा।

करीब 10 मिनट बाद मैंने अपना माल बाथरूम में छोड़ दिया। बाथरूम साफ़ करने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया और नंगा ही सो गया। सुबह जब उठा तो मैंने देखा कि मेरी सास मुझसे बात करने में कुछ हिचकिचा रही हैं और मेरी तरफ ठीक देख भी नहीं रही हैं। मैं रात वाली बात जानते हुए भी अनजान बना रहा।

सुबह के काम और नाश्ता करने के बाद मेरी बीवी मुझसे बाजार जाने के लिए कहने लगी पर मैं रात वाली बात से गुस्सा था इसलिए मैंने उसे मना कर दिया। वो मेरे ससुर जी के साथ बाजार चली गई। चूँकि मेरा ससुराल शहर से थोड़ा दूर था इसलिए मेरे ससुर जी ने अकेले जाने से मना कर दिया और वो मेरी बीवी को लेकर चले गए।

उनके जाने के बाद मैं टीवी देखने लगा और मेरी सास रसोई में काम कर रही थी। कुछ देर बाद मेरी सास मेरे पास आई और बैठ गई पर कुछ बोल ना पाई।

मैं समझ गया कि रात को जो कुछ देखा और सुना इस वजह से बात नहीं कर पा रही हैं। मैं बिना कुछ बोले टीवी देख रहा था।

कुछ देर सोचने के बाद वो बोली- मैंने रात को तुम्हारी बातें सुनी।

यह सुनकर मैंने अनजान होने का नाटक किया और चौंक गया।

वो थोड़ी देर तक कुछ नहीं बोली।

फिर पूछा- यह सब रोज होता है?

मैंने सर झुकाकर शरमाने का नाटक किया और बोला- रोज तो नहीं पर अक्सर होता है।

यह सुनकर वो बोली- मेरी बेटी नादान है, अभी छोटी है, धीरे-धीरे समझ जाएगी।

मैं यह सुनकर थोड़ा गुस्से में बोला- कब? जब उमर निकल जाएगी तब?

यह सुनकर वो कुछ नहीं बोली।

फिर मैंने कहा- आपने शादी से पहले समझाया नहीं कि अपने पति को नाराज़ नहीं करना चाहिए।

वो बोली- समझाया तो था पर.........!

इतना बोल कर रुक गई।

मैं थोड़ा और गुस्सा होते हुए कहा- अब मैं क्या करूँ? बीवी साथ देती नहीं है, बाहर जा नहीं सकता, बदनामी का डर है। बस अपना मन मार कर रह जाता हूँ।

वो कुछ नहीं बोली और चुपचाप अपने कमरे में चली गई।

थोड़ी देर बाद अन्दर से आवाज़ आई- मयंक जी!

मैं अन्दर गया तो जो मैंने देखा, देखकर मेरे तो होश उड़ गए। समझ नहीं आ रहा था कि खुश होऊँ या बाहर चला जाऊँ। मैंने देखा कि मेरी सास बिल्कुल नंगी खड़ी हैं।

मैंने पूछा- यह सब क्या है?

वो बोली- मेरी बेटी की सजा मैं भुगतने को तैयार हूँ।

मैं समझ गया कि वो क्या कह रही हैं, अपनी सास को चोदने की मेरी इच्छा तो शादी के समय से थी पर मौका नहीं मिला और फिर है तो सास ही ना।

मेरी सास का फिगर है 36-34-38 थोड़ी मोटी जरुर हैं पर है मस्त। उम्र होगी कोई 48 के करीब। पुराने जमाने में शादी जल्दी हो जाने की वजह से बच्चे भी जल्दी हो जाते थे। मेरी बीवी का जन्म हुआ तब मेरी सास की उम्र होगी करीब 22 साल।

खैर मैं भी सबकुछ भूलकर लगा अपने कपड़े उतारने। मैं यह मौका नहीं खोना चाहता था। वो मेरे लंड को ध्यान से देख रही थी।

मैंने मेरी सास से कहा- जब सजा भुगतने को तैयार हो तो ठीक से ही भुगतो ना!

वो बोली- जैसा तुम कहोगे मैं वैसा ही करुँगी।

मैंने उसे पलंग पर लिटाया और हम 69 की अवस्था में आ गए। पहले तो उसने मेरा लंड चूसने से मना कर दिया पर मेरे जोर देने पर चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाट रहा था।

थोड़ी देर तक यह सब करने बाद मैंने कहा- अब मैं तुम्हें चोदूँगा! तुम तैयार हो?

वो बोली- हाँ।

मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और अपना 8 इंच का लंड उसकी चूत में घुसाने लगा। चूँकि वो बहुत सालों के बाद चुदवा रही थी इसलिए उसकी चूत एकदम नई चूत की तरह कसी हो गई थी। मैंने एक जोरदार झटका मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और उसे थोड़ा सा दर्द होने लगा।

मैं थोड़ी देर रुका और उसके बोबे चूसने लगा। फिर मैंने एक और झटका दिया और अपना पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। फिर मैंने धीरे-धीरे चुदाई शरू की। कुछ देर बाद उसे भी मजा आने लगा और वो मेरा साथ देने लगी।

यह देख मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी देर बाद वो झड़ गई पर मैंने अपना काम जारी रखा। करीब 20 मिनट तक चोदने के बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ। तब तक मेरी सास तीन बार झड़ चुकी थी।

मैंने अपनी सास से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ, अपना लंड निकाल लूँ क्या?

वो बोली- डरने की कोई बात नहीं है, अब मैं माँ नहीं बनूँगी, तुम मेरी चूत में अपना माल भर दो।

यह सुनकर मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और 10-12 झटकों के बाद मैंने अपना सारा माल अपनी सास की चूत में छोड़ दिया।

थोड़ी देर तक वैसे ही रहने के बाद मेरी सास बोली- उठो, कोई आ जायेगा।

मैं उठा और कपड़े पहनकर टीवी देखने दूसरे कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद मेरी सास भी कपड़े पहनकर आ गई और बोली- मेरी बेटी तो बिल्कुल नादान है पर तुम जब चाहो तब उसकी भूल की सजा मुझे दे सकते हो।

यह सुनकर हम दोनों हँसने लगे।

समाप्त

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