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Click hereदिनभर सायकल पर बैठ कर हर जगह घुमा पर कुछ भी उधारी वसुल नही हुई. मै थोडासा डर गया. मेरी मालकीण आज मुझे बहुत ही गंदे तरीके से डाटेंगी ऐसा मुझे लगने लगा. मै अब मालकीण को क्या जवाब दु? यह सोचते हुये मै दुकान के पास आ गया. तो दुकान मे शेटजी बैठे हुये थे. मुझे देखते ही चिल्लाके बोले,
शेटजी : "सुरेश कैसा हुआ आज का धंदा...?
मैने सायकल दीवार के पास लगाई.
मै : शेटजी सबके पास गया पर....
शेटजी : उधारी नही मिलि, यही ना?
शेटजी और चिल्लाके और गुस्से से मुझे बोले. मै चुपचाप खडा था.
शेटजी : तोह फिर जा, जाके बतादे उसे.
मै डरते हुये अंदर गया. मालकीण पलंग पर पान खाके सुस्ताई से पडी हुई थी. मेरी मालकीण उमर से लगभग 35 से 37 साल की होगी. पर उनका चेहरा 17 ते 18 साल के लडकी जैसा रसीला था. शरीर मजबूत था. स्तनो का आकार बडा होने के कारण उनकी छाती एकदम भरी हुई लगती थी. कमर भी बडी और गोलमटोल थी. पर मालकीण बहुत ही कडक स्वभाव की थी.
पिछली बार मै जब उधारी वसुल करने गया था और मेरे दोस्तो के साथ पत्ते खेलने बैठा था. यह बात मालकीण को किसीने बताई थी. तब से मालकीण ने उसकी तेज नजर मुझ पर रखे हुये थी. मै मालकीण के पास जाते ही उन्होने मुझे देखा और कहा.
मालकीण : सुरेश मैने तुम्हे जो नाम दिये थे, क्या क्या हुआ उनका?
मै : मालकीण हर एक पास गया पर.....
मालकीण : अरे थोडीसी तो कुछ वसुली की या नही???
मालकीण गुस्से मे मुझ पर बरस पडी और बोलने लगी.
मै : मालकीण, गुप्ताजी ने कहा है की अगले हफ्ते दुंगा.
मालकीण : तोह फिर तू वैसे ही खाली हाथ आ गया.....
फिर मालकीण थोडी देर तक वैसे ही पडी रही, और फिर
मालकीण : सुरेश, तेरा आज का दिन तो खाली ही गया, एक भी काम हुआ नही तेरे हाथो से...........
मै नीचे गर्दन झुकाये वैसे ही खडा था. तभी,
मालकीण : अब एक काम कर.
और पडे पडे ही मालकीण ने उनकी साडी एकदम से घुटनो के उपर तक ले ली. मालकीण के गोरेचिठे पाव नंगे हो गये.
मालकीण : सुरेश, मेरे पैर दबा, कम से कम दिन मे ईतना सा तो काम कर दे तेरे हाथो से..........
मुझे लग रहा था की, मालकीण मूझे बडी बडी गालिया देगी पर सिर्फ पाव दबाने को कह रही है सुनकर मै बहुत ही खुश हुआ. मै झट से जाके पलंग पर बैठ गया और मालकीण का एक पैर धिरे धिरे दबाने लगा. मालकीण आंखे बंद कर के चुपचाप पडी थी. मालकीण के गोरे गोरे पैर दबाते हुये मुझे धिरे धिरे मजा आने लगा. मेरा हाथ घुटनो के उपर तक जा रहा था. धिरे धिरे मालकीण को उनका इस तरह से पैर दबाना पसंद आने लगा. पैरोंका स्पर्श नरम नरम मुलायम सा था. पर कुछ तो अलग आकर्षण मुझे लगने लगा.
मालकीण के दोनो पाव मै बहुत देर तक दबा रहा था. मालकीण ने खुद की साडी फिर से और उपर लेली. गोरी गोरी झांघे नंगी हो गई. केले के पेड के जैसे उनकी झांघे देखकर मेरे मुह मै पाणी आने लगा.
मै : और दबाऊ?
मालकीण : अरे, दबा ना, और किसलिये इन्हे नंगा किया है.
मालकीण गुस्से मे बोली और मै झट से मालकीण का एक पैर दबाना शुरू कर दिया. मेरी पुरी जिंदगी मे मुझे ऐसा कभी नही लगा था की उतना सुख मुझे आज लग रहा था. मालकीण की गोरी गोरी झांघे बहुत ही आकर्षक दिख रही थी. उनका स्पर्श मन को बहुत ही सुखद लग रहा था. दोनो झांघो पर मेरे हाथ चल रहे थे और मालकीण धिरे धिरे आवाज मे सिसकारीया ले रही थी और मेरा भी शरीर गरम हो रहा है ऐसा लग रहा था. मेरे पॅंट मे हलचल शुरू हो रही है यह मात्र यकिन था. मेरा हाथ झांघो पर से बहुत उपर जा रहा था. मेरा हाथ और उपर लू ऐसा मेरे मन मे आ रहा था. इधर पॅंट मे मेरा लंड लंबा कडक होके सावधान पोजिशन मे खडा हो चुका था. यह काम कभी भी रुकना नही चाहीये ऐसा मुझे लग रहा था. फिर थोडी देर बाद मालकीण पेट के बल लेट गई और झांघे फैलाके बोली.
मालकीण : सुरेश, थक तो नही गये ना?
मै : नही.
मालकीण : अब पुरे मन से दबा, तू जब तक थक नही जाता तब तक दबा.
और मै फिर से उनकी झांघे दबाने लगा.
और मै फिर से उनकी झांघे दबाने लगा. मालकीण पेट के बल लेटी होने से उनकी मोटी गांड साडी के उपर से मुझे महसुस हो रही थी. साडी पुरी उपर करके मालकीण की गांड देखू ऐसा मुझे लगने लगा और फिर मै मालकीण की साडी पुरी उपर तक ले जा रहा था. उस नरम नरम मुलायम स्पर्श से मेरा शरीर भट्टी के जैसे गरम हो चुका था और पॅंट के अंदर लंड जोरजोरसे फडफडाने लगा था.
मालकीण : सुरेश... सच मे कितना अच्छा दबा रहा है तू.....
मै : तेल लगाके दबाऊ? एकदम मालीश जैसे.
मैने जरा मूड मे आके पुछा. मालकीण फिर से सीधी होके लेट गई और साडी को नीचे लाते हुये झट से उठ के बैठ गई. मै डर गया पर मालकीण धिरे आवाज मे बोली.
मालकीण : तेल लगाके दबा पर अभी नही.
मै : फिर कब?
मैने और भी बेकरार होके पुछा.
मालकीण : रात को........
मै : ठीक है.
मालकीण : रात को तू इधर आना भुलना मत. मै भी यही मिलुंगी.
मै : और शेटजी?
मालकीण : वह आज नही है, कही बाहर जानेवाले है. मै अकेली ही रहुंगी. जा अब.
मै बाहर आ गया. पर मेरा ध्यान अब किसी मे भी नही लग रहाता.
मालकीण की भारी भक्कम भरी हुई झांघे मेरे नजर के सामने से हट नही रही थी और अब आज रात को मालकीण की तेल से मालीश करनी थी. इस खयाल से ही मेरा पुरा शरीर और भी गरम हो चुका था. उस दिन शाम तक मैने मेरे सारे काम जल्दी से जल्दी निपटा लिये और रात को उस अंदर के कमरे मे जाके बैठ गया. मालकीण कब आयेगी? ऐसा मुझे लग रहा था. थोडी देर बाद मालकीण आ गई. आते समय उनके हाथ मे तेल की बडी कटोरी मुझे दिखाई दी. फिर उन्होने पलंग के पास कटोरी रखी और सारे दरवाजे अंदर से बंद कर किये. फिर मुझे देखते हुये बोली.
मालकीण : सुरेश, तेरी पॅंट और शर्ट निकाल. वैसे भी तेल के दाग तेरे कपडो गिरने मत दे.
इतना कहकर मालकीण ने उसके शरीर से साडी अलग कर दी और बगल मे रख दी. पेटीकोट पर मालकीण किसी अप्सरा के जैसी दिख रही थी. गोरा गोरा सफेद पेट बहुत ही सुंदर दिख रहा था. फिर मैने उनके कहे अनुसार शर्ट और पॅंट निकाल के मालकीण के कपडो पर रख दिये. अब मेरे शरीर पर सिर्फ अंडरविअर ही थी. मालकीण मुझे उपर से नीचे तक देखने लगी तो मै थोडासा शरमा गया. पर मालकीण नेही मुझे कपडे निकालने को कहे थे और निकालना मै भी चाहता था.
मालकीण पलंग पर आराम से पेट के बल होके लेट गई और हाथो से अपना पेटीकोट उपर करके खिच लिया. तभी उनकी आधी झांघे नंगी दिखाई दे रही थी. लाइट के उजाले मे मालकीण की झांघे चमक रही थी. उन झांघो को देखकर मै झट से आगे बढकर उनके पास गया.
मै : तेल लगाके मालीश करू ना?
मुझे पता था फिर भी पुछा लिया.
मालकीण : हं
ओ बस इतना ही बोली और मैने जल्दी से तेल मे मेरी उंगलिया डुबोके उनके गोरी गोरी झांघो पे हाथ रखा और मै धिरे धिरे उनके भारी भक्कम भरी हुई झांघो पे तेल की मालीश करके दबाने लगा. मेरे दोनो पैर उनके दोनो झांघो के उपर से उपर नीचे हो रहे थे. मै फिर जान बुजकर पेटीकोट तक हाथ ले जाना शुरू किया ताकी मालकीण की बडी गांड दिखाई दे यह मेरा विचार था. पर मेरा लंड उनके स्पर्श से एकदम खडा हो चुका था और मेरी अंडरविअर आगे की तरफ बहुत ही फुली हुई थी.
मालकीण की नरम नरम झांघे दबाते समय जो कुछ मुझे आकर्षण लग रहा था, वह कहने के लिये मेरे पास शब्द ही नही है. मालकीण ने अपनी झांघे बहुत ही जादा फैला दी. मै फिर मालकीण के दोंनो झांघो मे जाकर बैठ गया और उनकी झांघे दबाने लगा. उन्होने अपना पेटीकोट और उपर खिच लिया और बोली.
मालकीण : मस्त लग रहा है रे सुरेश....... और तेल लगा.......
मालकीण की आधी गांड नंगी हो चुकी थी. गांड की दरार मुझे साफ दिख रही थी. और मेरा लंड डटकर खडा होके मुझे पागल बना रहा था. मेरा ध्यान उनकी गांड पर पुरी तरह से गड चुका था. उनके गांड के दरार मे मैने तेल छोडा और उनकि गांड देखते हुये उंगलिया मै उपर नीचे करने लगा. मेरे मन मे अब कोई भी डर नही था. मेरा सारा शरीर इतना गरम हो चुका था की मेरी सासे मुझे गरम महसुस हो रही थी और मैने देखा मालकीण की चुत थोडीसी मुझे दिखने लगी थी. उस गुलाबी चुत के आसपास छोटे बाल फैले हुये थे. मेरा हाथ अब उसपार उनके गांड की दरार मे उपर नीचे हो रहा था.
उनके चुत को स्पर्श कर रहा था और मैने पुरा का पुरा पेटीकोट उनके कमर तक उपर कर डाला और मालकीण की गोरी गोरी बडी मादक गांड पुरी तरह से नंगी हो गई. मेरी कामवासना भडक उठी. मैने मालकीण को धिरे से कहा.
मै : मालकीण तेल की वजह से मेरी अंदरविअर सब गिली हो चुकी है.................. अंडरविअर निकाल दू?
मालकीण : निकाल दे सुरेश....... मै तुम्हे यही कहने वाली थी.
और इतना सुनते ही मैने झट से मेरे शरीर से अंडरविअर को आझाद कर दिया. मेरा 9 इंच का लंड तनकर फडफडाने लगा. मुझे लगने लगा की मालकीण की गांड की दरार मे मेरा लंड उपर नीचे करू पर.... पर इतने मे ही मालकीण ने लेटे हुये ही अपनी गर्दन पिछे करके देखा और मेरा 9 इंच का लंड देखके वह एकदम सीधी होके लेट गई और उठ के बैठ गई.
मेरा लंड अपने हाथो की मुट्टी मे ले लिया और मुझे बोली.
मालकीण : सुरेश, कितना बडा है रे तेरा हाथियार.
इतना कहकर मेरा लंड अपने हाथो से छोड दिया और अपने शरीर से ब्लाऊज निकाल दिया. उनके बडे बडे पके हुये आम के जैसे दोनो स्तन झुल रहे थे. मैने झट से उनके स्तन अपने हाथो मे पकड के उन्हे कचाकच दबाने लगा. मैने एक हाथ पेटीकोट के अंदर डालके मालकीण की चुत उंगलीयो से सहलाने लगा.
मालकीण : सुरेश...... तेरा पाईप इतना लंबाचौडा है, यह मुझको पहले पता होता तो मै मेरी भुक अनगीणत बार मिटा चुकी होती और मेरी चुत की आग शांत हो चुकी होती.
इतना सब कहकर उन्होने अपने शरीर से बचा कुचा पेटीकोट भी निकाल दिया और उन्होने मुझे सीधा लेटा दिया. अब पुरी तरह से नंगी हो चुकी मालकीण मेरे शरीर के उपर आ गई. मेरी कमर के दोनो बगल मे उन्होने अपने दोनो घुटने टेक दिये और थोडी देर तक वह अपनी गांड मेरे लंड पे घिसती रही. फिर उन्होने मेरा लंड हाथ से पकड कर एकदम उपर की और खडा किया और धिरे धिरे से अपनी चुत उन्होने मेरे लंड पे रख दी.
मेरा लंड उनके चुत मे थोडासा अंदर गया और फिर मालकीण ने अपनी गांड उपर नीचे और नीचे उपर हिलाने लगी. आगे पिछे जोरजोरसे हिलाने लगी और कुछ ही क्षण मे मेरा लंड पुरा का पुरा उनके चुत के अंदर समा गया. फिर मालकीण ने अपनी कमर जोर जोरसे उपर नीचे करने लगी. मेरा लंड उनके चुत मे अंदर बाहर होने लगा. मालकीण तुफानी ताकद से हिल रही थी और वह ऐसे हिलते समय उनके बडे बडे दोनो स्तन उपर नीचे झूल रहे थे. मैने हाथ आगे करके उनके दोनो स्तन हाथो मे पकड लिये और उन्हे कचाकच दबाने लगा और बीच मे ही मै मेरी कमर को उपर नीचे करके धक्के लगाने लगा.
मालकीण : सुरेश...... अरे बेवकुफ....... ऐसा कामसुख मेरे घर मे होते हुये भी...... मै विनाकारण...... तडप रही थी........ अब......मै.....तुम्हे कभी भी...........नही छोडुंगी......मस्त लग रहा है.......आआहहहह.........
ऐसा कुछ बडबडाते हुये वह जोर जोर से उपर नीचे अपनी गांड को हिला रही थी. मै उसके स्तनो को दबाते हुये नीचेसे उपर दणादण धक्के मार रहा था. मेरा लंड जोर जोर से अंदर बाहर हो रहा था और मेरी धक्के देने की गती और भी तेज हो रही थी.
मै अब सीधे ही मालकीण की कमर को पकडके नीचे से उपर जोर जोर से धक्के मारने लगा और फिर एकदम उनकी कमर जकड कर नीचे से उपर जोरसे आखरी धक्का मारा. उन्होने गांड भी अपनी नीचे दबा दी. मेरी वीर्य का फवारा उनके चुत मे पडते ही उन्होने अपनी आंखे बंद कर ली और मेरे शरीर पर लेट गई. मालकीण की बडी मादक विशाल गांड के उपर मै हाथ घुमाता रहा. फिर थोडी देर के बाद वह मेरे बगल मे लेटते हुये बोली.
मालकीण : सुरेश.... अब हफ्ते मे 5 से 7 बार तू यही मेरे पास सोयेगा........
मैने उनका एक स्तन मुह मे लिया और चुसते हुये बोला.
मै : सोऊंगा ना...
फिर उन्होने मेरे मुरझाये हुये लंड को सहलाने लगी. उनके सहलाने से मेरा लंड धिरे धिरे फिरसे खडा होने लगा और थोडी देर मे ही लंड एकदम पहिले जैसा लंबा और मोटा हो गया. फिर मै अब चुदाई करने मालकीण के शरीर पर चढ गया. उनकी दोनो झांघे फैलाके मैने मेरा खडा हूआ लंड उनके चुत पर रखा और एकही धक्के मे मेरा लंड उनके चुत मे बच्चेदानी तक समा गया और फिर 25 ते 30 मिनिट तक मै मेरा लंड आगे पिछे करने लगा. मालकीण ने मुझे सुबह होने तक मुझे छोडा नही था. उस रात मे 4 बार मै मालकीण पर चढकर उनको चोदा और 2 बार मालकीण मेरे उपर चढके उन्होने मुझे चोदा. मेरे नसीब के मुझे यह नोकरी मिली हुई थी.
sach me ye bde luck ki baat hoti he chut -bhosdi ko chodne ka moka milna .meri starting apni ma -behen ko chodne se hui thi .uske baad to mujhe 38 aurato ne apni chut ka paani mere lode ko peelaya he wo bhi ek baar nuhi mahino tk .aur mera loda fool ke ghode jesa ho guya he punjabi loda /ghoda ..9 aurato ne jinme meri bdi behen ke do bachche bhi include he ke 11 bachche kr chuka hu .kismat dekho fir bhi abhi kuwara hu ...