पहली बार_ किरायेदार का मोटा लंड

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मेरी चुदाई देखा कर भाभी ने रवि अंकल का घोड़े जैसा लंड लिया.
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पहली बार_ किरायेदार का काला मोटा सा सांप जैसा लण्ड लिया

By: raviram69© द्वारा रविराम६९

// हाय राम.. इतना मोटा लंड.. मेरी चुदाई देखा कर भाभी ने रवि अंकल का घोड़े जैसा लंड लिया //

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All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories, कामुक कहानी, हिंदी सेक्स स्टोरीज, हिंदी में चुदाई की कहानी

मेरा संक्षेप परिचय

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दोस्तो, मेरा नाम रविराम69 है, सभी मेरे मोटे लम्बे और गधे जैसे लंड की वजह से मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं | कई औरतें मुझे मस्तराम कहते हैं. मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है | जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े का लंड या किसी गधे का लंड हो, मेरा लंड उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है | आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है | मैंने अपनी मम्मी को भी पटाकर चुदाई की है क्योंकि मेरे पापा काम के सिलसिले में ज़्यादातर बहार ही रहते हैं, में बचपन से ही देखता आया हूँ, की मम्मी की चूत कितनी प्यासी है, पापा के कहने पर ही मम्मी हमेशां अपनी चूत की झांटों को साफ़ कर के रखती है, (मम्मी की चूत के ऊपर सिर्फ दिल के आकार (शेप) में बाल हैं, अब तो मम्मी मेरे पठानी लैंड की दीवानी है .. जब पापा घर पर नहीं होते तो हम दिन और रात मैं कई कई बार चुदाई कर लेते हैं .. बस या ट्रेन या रिक्शा मैं भी मम्मी मेरे लैंड को (सबसे छुपाकर) हाथ में रखती है और मेरे लैंड को आगे पीछे करती है. मम्मी को मेरे लंड का लम्बाई और मोटाई बहुत बसंद है ..मम्मी को मेरा लैंड पूरा मूंह मैं ले कर चूसना और चूत में डालकर रखना बहुत पसंद है, मेरा लंड घोड़े/गधे के लंड जैसा है -- आगे से लंड का सुपाड़ा फूला हुआ है, और लंड की लम्बाई पीछे की तरफ से मोटी होती जाती है, जब किसी की चूत या गांड में पूरा जड़ तक लंड घुस जाता है तो दोनों को ही चुदाई का आनंद आता है .....(बाकि फिर दोस्तों ),

अभी स्टोरी

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जैसे ही मैं मैं सोने जाने लगी तो तो मेरी नज़र अचानक लकड़ी वाली दीवार पर गई, तो मैं एकदम से डर गई, वहाँ पर एक काला, मोटा सा सांप जैसा कुछ नजर आया, मैंने डरते हुए नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि वो लंड था, किसी मर्द का पूर्ण उत्थित लंड! मैं समझ गई कि यह रवि अंकल का ही हो सकता है | मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि रवि अंकल ऐसे होंगे | लकड़ी की दीवार में एक छेद है, जो लकड़ी की गाण्ठ निकल जाने से हो गया था, छेद को बंद करवाने की कभी जरूरत महसूस नहीं हुई थी | मैं सहमते हुए उस लंड के और नजदीक गई क्योंकि अब मेरा डर उत्सुकता में बदल गया था |

अंकल का लंड अविश्वसनीय रूप से मोटा और काफी लम्बा था, लंड एकदम गुस्सैल नाग की तरह फुफकारता हुआ, हिलता हुआ दिख रहा था | लंड का सुपारा अत्यंत ही फ़ूला हुआ दिख रहा था, सूजा हुआ ऐसा लग रहा था | इतने विशाल, एकदम काले लंड को देख कर मेरी चूत के दोनों ओंठ डर के मारे थरथर काँपने लगे, उसके घने बाल सिहरन के मारे एकदम झनझना कर खड़े हो गये, योनि से कुछ चिकना सा निकलने लगा | फिर मैंने डरते हुए उस लंड हल्के से स्पर्श किया, फिर डर थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसको अपने हाथों से पकड़ लिया,

वह विशाल लंड मेरे हाथ के स्पर्श के बाद और भी मोटा और सख्त हो गया था, लंड को पकड़ने में मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था | फिर मैंने उत्सुकतावश लंड के सुपारे के आवरण को हटाया तो मैं एकदम से डर गई क्योंकि वो एक अंडे जितना बड़ा था | इतना बड़ा सुपारा तो मैंने ब्लू-फिल्मों में भी नहीं देखा था | उसके छेद से कुछ चिकना सा तरल पदार्थ निकल रहा था, जिसे मैंने छू कर देखा तो मुझे वो चिपचिपा सा लगा | यह सब करते हुए मेरे दिल की धड़कन एकदम से तेज हो गई, और गर्म सांसें चलने लगी थी, मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया, पैन्टी एकदम गीली हो गई थी | अंकल के लंड का अत्यंत विशाल सुपारा मुझे दिखने में बहुत ही प्यारा लग रहा था तो मैंने हिम्मत करते हुए सुपारे पर अपने गुलाबी, नाजुक होठों से एक चुम्बन ले लिया |

मेरे चुम्बन लेने से लंड का आकार और भी दैत्याकार हो गया | ऐसा करने से मैं बहुत ही उत्तेजित हो गई थी, मैंने अंकलजी के मोटे सुपारे को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, चाटने से उनके लंड से कुछ चिकना सा निकलने लगा था, जिसे मैं चाट गई फिर मैंने उसे थोड़ा सा मुँह में लेकर चूसना शुरू किया, अत्यंत मोटा होने के कारण मैं उसे मुँह में ले ही नहीं पा रही थी.तभी एक झटके से विशाल सुपारा मेरे होंठों को चीरते हुए मेरे मुख में घुस गया, मुँह में घुसने के बाद मैं उसे बहुत प्यार से अपनी जीभ से सहलाने लगी | थोड़ी देर के बाद फिर एक हल्का सा धक्का आया और आधा लंड मेरे मुँह में घुस गया, इतने मोटे लंड को मुझे अपने मुँह में लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, लेकिन मैं उसे किसी तरह से चूस रही थी |

लंड चूसते समय अनायास ही मेरा हाथ मेरी पैंटी में घुस कर अत्यंत घने बालों वाली योनि की फाँकों को सहलाने लगा था | करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद उस लंड ने मेरे मुँह में एक गर्म सी मलाई छोड़ दी, वैसे तो यह मेरा प्रथम अनुभव था परन्तु वो कहते हैं ना कि 'शादी नहीं हुई तो क्या, बारातें तो बहुत देखी हैं!' मैंने बहुत सी ब्ल्यू फ़िल्में देख रखी थी, और कहानियाँ तो हर रात मेरी हमबिस्तर होती थी, गर्म-गर्म मलाई का स्वाद मुझे कुछ अजीब सा लगा, मितली होने को भी हुई पर उसे मैं यौनामृत समझ कर पी गई |

अगले दिन सुबह जब मैं रवि अंकल से मिली तो उन्होंने मुझसे इस तरह से बात की कि जैसे बीती रात कुछ भी नहीं हुआ था | सुबह ही मेरे मम्मी-पापा मुजफ्फरपुर चले गए क्योंकि आज वहाँ मेरे दादाजी के हर्निया का ऑपरेशन होने वाला था, घर में केवल मैं और निशा भाभी थी, भैया अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गए हुए थे | दिन भर मैं रात होने का इंतज़ार करने लगी, मेरे ध्यान में रवि अंकल का मोटा लंड आते ही मेरी मासूम योनि में कम्पन शुरू हो जाती और योनिरस निकलने लगता, दिन में तीन बार मैं अपनी पैंटी बदल चुकी थी | रात करीब 10 बजे जब मैं अपने कमरे में आई तो मेरी नजर सबसे पहले उसी छेद पर गई, वहाँ पर सामान्यतः दिखने वाली रोशनी नहीं थी, मुझे लगा कि उस पार कोई है छेद के पास! इसका मतलब यह था कि छेद से अंकल मुझे देख रहे थे | परन्तु मैंने अपनी सामान्य गतिविधी जारी रखी, मैंने अपने सोने वाले वस्त्र पहनने थे तो मैं एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी |

मैं जानबूझ कर छेद के सामने चली गई और अंकलजी को अच्छे से अपने नंगे जिस्म को दिखाने लगी, इतने में अंकलजी ने उस छेद से अपने सख्त लंड को बाहर निकाल दिया, जिसे देखकर मेरे शरीर में जैसे एकदम से करंट दौड़ गया हो | मैं छेद के पास जाकर अंकल का लंड पकड़ कर उसे बेतहाशा चूमने लगी फिर उसका सुपारा को खोल कर उसपर अपने होठों की एक गर्मा-गर्म छाप दी, उसे अपनी मुट्ठी में भींच कर आगे-पीछे करने लगी | फिर मैं अंकल के लंड को अपने जीभ से चाटने लगी | लंड को चाटने से रह-रह कर मेरी चूत के दोनों कोमल ओंठ एकदम फड़कने लगे | मैं अंकल का लंड अपने मुंह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगी | दीवार के दूसरी ओर से भी अंकल की सिसकारियाँ स्पष्ट सुनाई दे रही थी |

अब मैं इससे आगे कुछ करना चाह रही थी, मैंने अपने बिस्तर को उस लकड़ी की दीवार से सटा दिया और मैं दीवार के सामने अपनी टांगों को फैला कर इस तरह बैठ गई कि अब अंकल का लंड और मेरी योनि एकदम आमने-सामने थी | मैंने अपनी योनि की दोनों होंठों को चीर के उसे अंकलजी के लंड पर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी तो मेरी योनि से योनिरस निकलने लगा | अब मैंने अपनी 4 इंच लम्बी दरार वाली योनि को एकदम से चीर के अपनी चूत की छेद को अंकल के भीमकाय मोटे सुपारे पर एकदम से सटा कर उसे रगड़ने लगी, फिर मैंने थोड़ा ताकत लगा के उसे अपनी योनि में समाने का प्रयास किया परन्तु सुपारे का आकार बड़ा होने कारण अन्दर नहीं घुस पाया, मैंने 3-4 बार थोड़ा और ताकत लगा के प्रयास किया लेकिन हर प्रयास असफल ही गया |

उस समय मुझे लग रहा था कि कैसे मैं अंकलजी का पूरा लंड अपने चूत में पूरा समा लूँ | उत्तेजना से मेरी पूरी जिस्म एकदम गर्म हो चुका था | तभी अंकल ने छेद से अपना लंड निकाल लिया और छेद के पास अपना मुँह लाकर बोले- बेटी सीमा , कान यहाँ लगा कर मेरी बात सुनो!जब मैं अपना कान वहाँ पर ले गई तो अंकल ने कहा- सीमा , मेरा लंड बीमारी के कारण अत्यंत मोटा हो गया है, यह अब ऐसे तुम्हारी चूत में ऐसे नहीं घुसेगा | तुम अपनी योनि में ढेर सी वेसलीन लगा कर घोड़ी बनकर छेद में अपनी योनि को सटा दो | इस तरह से तुम्हारी योनि में मेरा लंड घुस जायेगा | फिर मैंने अपनी चूत में ढेर सारी वेसलीन लगा ली और छेद के आगे चूतड़ लगा कर घोड़ी बन गई |

फिर अंकल ने कहा- जब मैं अपना लंड अन्दर घुसाऊंगा तो तुम्हें शुरू में दर्द होगा पर तुम जरा भी चिल्लाना नहीं, अपनी दाँत पर दाँत चढ़ा के अपना जबड़ा एकदम से भींच लेना, थोड़ी देर ही दर्द होगा, बाद में आनन्द आना शुरू हो जायेगा | इसके बाद मैं घोड़ी बनकर छेद के पास अपनी चूत को एकदम से सटा दिया | फिर मेरी अत्यंत कसी हुई के चूत के दोनों पंखुड़ी जैसे कोमल ओठों को फैलाता हुआ अंकल का बेरहम सुपारा जैसे ही मेरी चूत में घुसा, मेरे मुँह से अचानक उईईई ईईईई माँ की चीख निकल गई |

तभी मैंने अंकल को बोला- अंकलजी, मुझे बहुत ही दर्द हो रहा है, आप जल्दी से अपना लंड बाहर निकाल लो | यह सुनकर अंकल एकदम घबरा गए और उन्होंने अपना लंड बाहर निकलने का प्रयास किया परन्तु उनका लंड बाहर नहीं निकला | लंड का सुपारा मेरी तंग योनि में बुरी तरह फँस चुका था और अंकलजी के बहुत प्रयास करने के बाद भी निकल नहीं पा रहा था | मेरे तो होश ही एकदम उड़ गए थे, मेरी चूत में दर्द भी बहुत हो रहा था |

अब इस आफत की घड़ी में किसी की मदद भी नहीं ले सकती थी, तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया कि घर में तो मम्मी-पापा तो हैं नहीं, घर में तो केवल निशा भाभी है, भैया तो अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गए हुए हैं | सोचा कि अभी मुसीबत की घड़ी में भाभी से मदद ले लेती हूँ फिर भाभी से मैं और अंकलजी माफ़ी मांग लेंगे | मेरा मोबाइल मेरे सामने ही था, मैंने भाभी को फ़ोन करके बोला कि भाभी अभी मैं एक बहुत बड़ी मुसीबत में फँस गई हूँ, आप जल्दी से मेरे रूम में चली आओ | भाभी ने ज्यों ही मेरे कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ का नजारा देख कर एकदम सन्न रह गई |

मैंने भाभी से कहा- भाभी,म आप चाहे बाद में मुझे कितना भी डांट लेना या पीट लेना लेकिन अभी मेरी मदद कर दो, आप अभी पीछे के कमरे में जाकर के रवि अंकल से मेरी चूत में फँसा उनका लंड निकालने का कोई उपाय पूछो | भाभी जब अंकलजी के कमरे में गई तो अंकलजी ने गिड़गिड़ाते हुए भाभी से माफ़ी मंगाते हुए कहा- निशा बेटी, मुझे माफ़ कर दो | तब भाभी ने गुस्से में कहा- माफ़ी आप बाद में माँगिएगा, पहले आप सीमा की चूत में फंसा हुआ आपका वो निकालने का उपाय बताइये |

रवि ने कहा- बहू, तुम सीमा की कमर को पकड़ के थोड़ी ताकत लगाते हुए उसे मेरे लंड की ओर धकेलना और जब मेरा पूरा लंड उसकी योनि में घुस जायेगा तो तुम उसकी कमर को पकड़ के उसे आगे-पीछे करना, इससे थोड़ी देर में मेरा स्खलन हो जायेगा और मेरा लंड छोटा होकर बाहर निकल जायेगा | भाभी मेरे कमरे में चली आई, पहले उसने अंकल का मोटा लंड को पकड़ के उसे छुड़ाने का प्रयास किया तो मेरी योनि में और भी दर्द होने लगा तो भाभी ने ऐसा करना छोड़ दिया फिर उसने मेरी पतली कमर को पकड़ के उसे लंड की ओर धकेलने का प्रयास किया | तो घप्प से अंकलजी का पूरा लंड मेरी योनि के अन्दर तक घुस गया, मैं दर्द से एकदम चिल्ला उठी तो भाभी ने कहा- थोड़ा बर्दाश्त करो सीमा |

उधर से अंकलजी ने कहा- शाबाश बेटी निशा, इसी तरह से धीरे-धीरे प्रयास करते रहो | तुम सीमा की कमर को पकड़ के उसे धीरे-धीरे आगे-पीछे करो | फिर भाभी ने मेरी पतली कमर को पकड़ के उसे अंकल की मोटी रॉड के आगे-पीछे पिस्टन की तरह करने लगी मेरी अत्यंत कसी हुई चूत की मांसपेशियों ने अंकल के गधे जैसे लम्बे और मोटे लंड को एकदम दबोच रखा था | भाभी मेरी नाजुक कमर को पकड़ के उसे लयबद्ध तरीके से आगे-पीछे कर रही थी | मेरे मुँह से दर्द और आनंद की मिली-जुली कराह निकल रही थी | थोड़ी देर के बाद मेरा दर्द कम हो गया और मुझे आनन्द की अनुभूति होने लगी |

भाभी मेरी कमर को पकड़ कर उसे खूब जोर-जोर से आगे-पीछे कर कर रही थी, कमरे में फच-फच की भद्दी सी आवाज़ चारों तरफ फ़ैल रही थी और उधर से अंकल की आनन्द भरी कराहट भी सुनाई पर रही थी | भाभी ने मुझसे पूछा- सीमा, चुदवाने में अब तुम्हें कोई दर्द महसूस नहीं न हो रहा है? तो मैंने कहा- भाभी अब बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा है, अब अच्छा लग रहा है | बहुत मजा भी आ रहा है, ये सब देखते हुए लग रहा था कि भाभी भी बहुत उत्तेजित हो गई थी |

अब मैं खुद अपने नितम्ब आगे-पीछे करने लगी तो भाभी ने मेरी कमर को छोड़ दिया | मुझे अपनी चूत चुदवाने में इतना ज्यादा आनंद आ रहा था, जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती | जब मैं अपनी नितम्ब को आगे-पीछे कर रही थी तो भाभी अंकल के कमरे में चली गई और उनसे बोला -- अंकलजी, 10 मिनट हो गये हैं और अब और कितनी देर में आपका छूटेगा? तो अंकल ने कहा- बेटी, सीमा की चूत तो अत्यंत ही कसी है, स्खलन तो अब तक हो जाना चाहिए था, अगर तुम थोड़ी मेरी मदद करोगी तो जल्द ही छूट जाएगा |

निशा ने कहा- कैसी मदद चाहिए, अंकलजी?तो अंकल ने- बहू, अगर अभी तुम मेरी अंडकोष को अपनी हाथों से सहलाओगी तो मेरा माल जल्द ही गिर जाएगा | निशा भाभी भी मेरी चुदाई देखकर उत्तेजित हो गई थी, फिर भाभी ने शरमाते हुए अंकल के अंडकोष अपने गोरे-गोरे, नाजुक हाथों से सहलाने लगी | भाभी के अंडकोष सहलाने के कारण अंकल को अत्यधिक उत्तेजना मिलने लगी | अंकल के अंडकोष को सहलाते हुए भाभी ने कहा- अंकली, आपके अंडकोष तो मेरे पति से बहुत बड़े हैं | तो रवि ने कहा- बेटी, मेरा लंड बहुत ही बड़ा है इसलिए मेरे अंडकोष भी बड़े हैं |

रवि बोला- अच्छा बताओ बेटी, मेरे और तुम्हारे पति के तुलना में किसके अंडकोष ज्यादा सुन्दर हैं?

भाभी- अंकलजी, आपके अंडकोष ज्यादा सुन्दर हैं, बहुत प्यारे हैं दिखने में |

यह सुनकर अंकल ने कहा- बेटी निशा, एक बात बताओ, हम लोग हर सुन्दर और प्यारी चीज़ को चूम लेते हैं ना?

निशा- हाँ अंकलजी |

रवि - तो फिर तुम मेरे अंडकोष भी चूमो ना, तुमने अभी इसे सुन्दर और प्यारा कहा है |

यह सुनकर भाभी का गोरा चेहरा शर्म से लाल हो हो गया |

रवि - शर्माओ मत बेटी, जल्दी से किस करो तो मेरा भी जल्दी से छूट जायेगा |

फिर भाभी ने शर्माते हुए अंकल की टांगों के बीच उनके पीछे से घुस कर अंडकोष अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उस पर अपने नाजुक गुलाबी होठों से एक चुम्बन लिया | अंकल ने कहा- बेटी, इस पर अपने होठों को रगड़ो तो मेरा जल्द ही छूट जायेगा | ऐसा सुनकर भाभी ने अंडकोष को पकड़ कर उसे अपने गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया, होठों पर गोली रगड़ने के कारण गोली गीली होकर भाभी के मुँह में घुस गई तो अंकल ने कहा- अपने मुँह से मत निकालना बेटी, गोली को चूसती रहो तो मेरा जल्दी ही फॉल हो जायेगा |

अपनी गोलियाँ चुसवाने में अंकल को असीम आनन्द आ रहा था | थोड़ी देर अंकल ने कहा- बेटी मेरी दोनों गोलियों को लेकर अपने मुँह में लेकर जल्दी से चूसो क्योंकि अब मेरा जल्द ही फॉल होने ही वाला है | ऐसा सुनकर भाभी दोनों गोलियों को अपने मुंह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी, इसके थोड़ी देर के बाद मेरे गर्भाशय पर गर्म-गर्म वीर्य की बौछार होने लगी | अंकल का फॉल होते देख भाभी अंकल के कमरे से तुरंत निकल कर मेरे कमरे में आ गई |

इतने तगड़े लंड से जबरदस्त चुदाई के बाद मैं एकदम थक गई थी और अपने बिस्तर पर निढाल पड़ी थी | भाभी भी सामने कुर्सी पर चुपचाप बैठी थी | इतने में मेरे कमरे में रवि अंकल आकर निशा भाभी के पैर पकड़ लिए और गिड़गिड़ाते हुए माफ़ी माँगने लगे तो भाभी ने कहा- ठीक है अंकलजी, इस बार मैं आपको माफ़ कर देती हूँ पर आप आगे से ऐसा गलत काम सीमा के साथ नहीं करेंगे |

रवि - थैंक यू बेटी निशा, अब मैं आगे से ऐसा कोई गलत काम नहीं करूँगा |

फिर निशा भाभी ने अंकलजी से कहा- अंकलजी, मैं तो आपका इतना बड़ा लंड देख के एकदम से डर गई थी, अभी तक मैं डर से सहमी हुई हूँ, मेरे पति से आपका लंड दुगना लम्बा और काफी मोटा है |

रवि - बेटी, मेरे लंड में बीमारी होने के कारण यह 10 इंच लम्बा और अत्यधिक मोटा हो गया है | पहले तो यह केवल 7 इंच लम्बा था |

रवि ने महसूस किया कि निशा उनके लंड की बातों में दिलचस्पी ले रही है | फिर रवि अंकल ने कहा- बेटी निशा, मेरा लंड कोई साँप थोड़े न है जिसे देख कर तुम डर गई, लो अभी मैं तुम्हें अपना लंड दिखा कर तुम्हारा डर समाप्त कर देता हूँ |

यह बात सुनकर भाभी शर्म से लाल हो गई और बोली- नहीं अंकलजी, उस समय तो मैंने मजबूरी में आपका लंड देख लिया था पर अभी देखने में शर्म आएगी | अंकल ने निशा को फुसलाते हुए कहा- डरो नहीं बेटी, एक बार देख लो, अगर तुम्हें देखने में अच्छा नहीं लगेगा तो मैं तुरंत बंद कर लूँगा | निशा भाभी ने शरमाते हुए, सकुचाते हुए बोला- ठीक है अंकलजी, दिखाईये |

निशा भाभी की भैया के साथ शादी अभी दो महीने पहले ही हुई है | भाभी एकदम गोरी और अत्यधिक सुन्दर है, भाभी की जिस्म तो एकदम छरहरा है पर उनके मुम्मे और नितम्ब शरीर के अनुपात में अत्यंत बड़े हैं | कोई भी उनकी ओर देख के तुरंत आकर्षित हो जाता है | भाभी की हाँ सुनते ही रवि अंकल का लंड उनके लुंगी के अन्दर खड़ा हो गया था | अंकल ने ज्योंही अपनी लुंगी खोली तो उनके 10 इंच लम्बा लपलपाते हुए लंड को भाभी हक्की बक्की हो कर के विस्फरित नज़रों से देखने लगी | भाभी अंकलजी का फनफनाया हुआ गधे जैसा लंड देख के एकदम सिहर उठी |

वो बहुत गौर से अंकल का लपलपाता हुआ लंड देखने लगी | अंकल भाभी को गर्म होते देख कर भाभी से कहा- डरो नहीं बहू, लंड को पकड़ कर देखो, इससे तुम्हारा डर ख़त्म हो जायेगा | भाभी ने सकुचाते हुए अपने कोमल, नाजुक हाथ से अंकल का गधा जैसा मोटा लंड पकड़ लिया | भाभी का हाथ अंकल के लंड पर पड़ते ही उसका आकार और भी बड़ा हो गया. फ़िर भाभी ने कहा- अंकलजी, यह तो बहुत ही मोटा है | मेरे पति का लंड तो इसके तुलना में बहुत पतला है |

रवि - बेटी, तुम्हे अब डर नहीं ना लग रहा है?

भाभी- नहीं अंकलजी, अब डर नहीं लग रहा है |

रवि - बेटी, अभी तुम्हें मेरा लंड पकड़ने में कैसा लग रहा है?

भाभी ने उत्सुकतावश अंकल से पूछा- अंकलजी, जरा अपने लंड की टोपी खोल के दिखाओ तो, मुझे खोलने में शर्म लग रही है |

रवि - शर्माओ मत बेटी, तुम खुद इसे खोल के देख लो | फिर भाभी ने अंकल के लंड की टोपी खोला तो उनके अंडे जितने बड़े सुपारे को देख कर अचंभित होकर बोला- ओ, माई गॉड! यह तो किसी भी लड़की की योनि को एकदम से फाड़ देगा, पता नहीं सीमा ने इसे कैसे बर्दाश्त कर लिया?अंकल ने मुस्कुराते हुए कहा- ऐसी बात नहीं है बेटी, क्या सीमा की चूत फटी? मोटे लंड से सम्भोग करवाने से किसी भी स्त्री को अत्यधिक आनन्द आता है |

भाभी- ना बाबा ना, इतने मोटे लंड से तो मैं सम्भोग करवाने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूँ | अंकल- अरे बाबा, मैं तुम्हें मुझसे कोई सम्भोग करवाने को थोड़े न बोल रहा हूँ, मैं तो केवल तुम्हारा डर ख़त्म करना चाहता हूँ | तभी भाभी ने देखा कि अंकल के लंड के छिद्र से कुछ चिकना सा निकल रहा है तो अंकल से पूछा- अंकलजी, ये आपके लंड के छिद्र से ये चिकना सा क्या निकल रहा है? अंकल- बेटी, इस चिकनाई के कारण योनि में लंड सुगमता से प्रवेश कर जाता है, कसी हुई भी योनि में जरा भी दर्द नहीं होता है | बेटी इस चिकनाई को चाट कर देखो यह तुम्हें अत्यंत ही स्वादिष्ट लगेगा |

भाभी- अंकलजी, चाटने से कोई बीमारी नहीं न हो जाएगी?

र वि - नहीं बेटी बिल्कुल नहीं कुछ होगा, ये चिकनाई तो प्रोटीन से भरी एक अत्यंत ही स्वास्थवर्धक चीज़ है |

ऐसा सुनकर भाभी अंकल के सुपारे पर लगी चिकनाई को अपने जीभ से चाटने लगी | भाभी के सुपारे चाटने से अंकल का सुपारी और भी बड़ा हो गया था |

रवि - बेटी, सुपारा को चाटने के बजाय उसे अपनी मुँह में लेकर चूसो तो चिकनाई तुम्हारे मुँह में अच्छे से जायेगी |

भाभी- पर अंकल, आपका सुपारा तो अत्यंत ही बड़ा है, ये मेरे मुँह में नहीं जा पायेगा |

रवि - सीमा , इसे अपने मुँह में लेकर चूस चुकी है, यह अन्दर चला जायेगा बेटी | ऐसा सुनकर भाभी अंकल का मोटा सुपारा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी |

रवि - बहु, सुपारी चूसने में कैसा लग रहा है? भाभी ने अपने मुँह से सुपारी निकाल कर बोला- अंकलजी, बहुत अच्छा लग रहा है! अंकल ने कहा- बेटी, मेरे पूरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसो तो तुम्हें और भी अच्छा लगेगा | ऐसा सुनकर भाभी अंकल का 10 इंच लम्बा लंड अपने पूरे मुँह में लेकर चूसने लगी, और इधर अंकल ने धीरे से भाभी के बड़ी-बड़ी, कसी हुई बड़ी बड़ी मस्त चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाना शुरू कर दिया | भाभी भी पूरी मस्ती में आ गई थी इसलिए उसने कुछ नहीं बोला |

फिर अंकल ने भाभी की भरी भरी चूचियाँ दबाना छोड़ कर भाभी की बालों को पीछे से पकड़ कर उसके मुँह में अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगे, वो भाभी की मुँह को चूत की भांति चोद रहे थे | ऐसा करने से भाभी को थोड़ा दर्द होने लगा तो भाभी ने अपना मुँह लंड से बाहर निकाल लिया | थोड़ी देर सुस्ताने के बाद अंकल ने कहा- बेटी, तुम्हारी योनि कसी हुई है या खुली हुई है?

भाभी- मुझे इस बारे में कोई आईडिया नहीं है अंकलजी | अंकल- ठीक है बेटी, अभी अपनी योनि को मुझे दिखाओ तो मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम्हारी योनि कसी हुई है या खुली हुई है | भाभी- मुझे अपने कपड़े खोलने में शर्म आ रही है अंकलजी, आप खुद ही मेरे कपड़े खोल के मेरी योनि को देख लीजिये | फिर क्या था, अंधे को जैसे दो आँखें मिल गई हो, अंकल ने पहले भाभी की साड़ी को खोला फिर पेटीकोट को खोल दिया, फिर ब्लाउज को खोल दिया |

अब भाभी केवल ब्रा और पैंटी में थी | अंकल भाभी के ब्रा और पैंटी में उनके गदराये हुए गोरे-गोरे जिस्म, बड़े बड़े मुम्मे और चौड़ी मस्त गांड को देख करके एकदम सन्न रह गये, और अपने लंड को आगे-पीछे हिलाने लगे |

भाभी- अंकलजी, मुझे ब्रा और पैंटी में देख कर आप अपने लंड को क्यों हिला रहे हैं?

रवि - बेटी, तुम्हारे इतने सुन्दर जिस्म को देख के मैं अपने आपको नियंत्रित नहीं कर पा रहा हूँ.

भाभी- अंकलजी, मुझे आपके इरादे नेक नहीं लग रहे हैं, कहीं आप मेरे साथ चुदाई करने को तो सोच नहीं रहे हैं |

रवि - नहीं बेटी, मुझे गलत मत समझो, मैं तो केवल तुम्हारी योनि का निरीक्षण करना चाहता हूँ |

भाभी- ठीक है अंकलजी, कीजिये | फिर अंकल ज्यों ही भाभी का पैंटी खोलने लगे तो भाभी ने शर्म से अपनी हाथों से अपने चेहरे को छिपा लिया | पैंटी उतारने के बाद रवि भाभी की गोरी-गोरी, बिना बालों की एकदम चिकनी और एकदम पाव की तरह फूली हुई मस्तानी चूत को देख कर उनकी आँखें एकदम फटी की फटी रह गई |

रवि ने भाभी के कोमल योनि को सहलाते हुए बोला- बेटी, तुम्हारी योनि तो अत्यंत ही सुन्दर है, तुम्हारा पति तो अत्यंत ही भाग्यशाली व्यक्ति है | रवि के योनि सहलाने से भाभी के जिस्म में एकदम करंट सा दौड़ गया | फिर भाभी ने कहा- अंकलजी, अब आप मेरी योनि को देख के बताईये कि यह कसी हुई है या खुली हुई है?

रवि - बेटी, ऐसे देखने से पता नहीं चलेगा, तुम्हे बिस्तर पर लेटा कर तुम्हारी योनि को चीर के देखना पड़ेगा | ऐसा कह कर रवि अंकल ने भाभी को अपने दोनों हाथों से उठा के बिस्तर पर लेटा दिया और फिर भाभी की दोनों टांगों को एकदम से फैला दिया | फिर अंकल ने भाभी के योनि के दोनों फांकों के चीर के देखा, बीच का भाग एकदम गुलाबी था फिर रवि अंकल ने भाभी की चूत को सूँघ करके उसकी मादक खुशबू को लिया फिर उसे चूम लिया |

raviram69
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