सबरीना की बस की मस्ती

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Sabrina has sex with young goon & involves her daughter too.
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सबरीना की बस की मस्ती
लेखक: अन्जान
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बस भीड़ से एकदम पैक थी। पैसेंजर एक दूसरे के बदन से एकदम सटे थे। किसी को भी हिलने की जगह नहीं थी। सबरीना भी उस भीड़ में बुरी तरह फंसी थी। उसकी सहेली ने उसे बुलाया था। शौहर घर ना होने से वो आज अपनी सहेली के पास जाने निकली थी। जब भी उसे या उसकी सहेली को ऐसा वक्त मिलता तो वो एक दूसरे के घर एक रात आती-जाती थी जिससे उनका वक्त पास हो। सहेली ने नया फ्लैट लिया था और आज पहली बार वो अपनी सहेली के नये घर जा रही थी। दिखने में सबरीना बेहद खूबसूरत और सैक्सी थी और उसकी फिगर भी एकदम मस्त थी। आज ४२ की होने के बाद और शादी के इक्किस साल के बाद भी वो एकदम ३०-३२ की लग रही थी। आम तौर पे इस उम्र में औरतें शादी और बच्चे होने के बाद मोटी हो जाती है पर सबरीना ने अपनी सेहत का काफी ध्यान रखते हुए ज़रा भी चर्बी चढ़ने नहीं दी अपने जिस्म पे। उसकी ५’४” की लंबाई पे ३६-२८-३६ का जिस्म बहुत अच्छा दिखता था। कंधों तक बाल, टाइट कसी साड़ी या चूड़ीदार सलवार कमीज़ और हल्का सा मेक-अप उसे भीड़ में अलग दिखाता था। सबरीना के जिस्म का सबसे आकर्षक हिस्सा था उसकी गाँड। जब वो ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन कर चलती तो उसकी वो गाँड ठुमकती थी। टाइट गाँड होने से ठुमकने में एक मदहोशी थी। टाइट साड़ी या कसी हुई चूड़ीदार सलवार और ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहनने से उसकी वो गाँड और नज़र में भरती। आज सबरीना ने एक क्रीम कलर की नेट की साड़ी पहनी थी। क्रीम स्लीवलेस ब्लाऊज़ और सिर्फ़ मोतियों की माला थी। पैरों में गहरे ब्राऊन कलर के चार इंच ऊँची ऐड़ी की सैंडल थे। भीड़ की वजह से पसीना चू रहा था और वो कॉटन की साड़ी पसीने से कमर और पेट पे चिपकी थी। पसीने से ब्लाऊज़ भी तरबतर होने से उसमें से सबरीना की ब्रा दिखायी दे रही थी। ऊपर हैंडल पकड़ने से उसके ब्लाऊज़ के अंदर की ब्लैक ब्रा और उनमें दबे मम्मों की रूपरेखा साफ़ दिखायी दे रही थी।

सिटी बस में १-२ ही लाईट जल रही थी। उस भीड़ में बाकी मर्दों में विक्की भी था और इत्तफ़ाक से वो एकदम सबरीना के पीछे खड़ा था। विक्की एक २५-२६ साल का मर्द था। भीड़ में छेड़-छाड़ करने का उसका कोई इरादा ना था पर बार-बार पीछे के धक्कों से वो आगे वाली औरत से टकरा जाता था। उस औरत ने जब १-२ बार मुड़ के ज़रा नाराज़गी से उसे देखा तो उसने सोचा कि मैं जानबूझ के कुछ नहीं कर रहा तो भी ये औरत क्यों बिगड़ रही है मुझ पे? वो उस औरत को पीछे से देखने लगा। उस औरत की टाइट साड़ी में लिपटी गाँड, पसीने से गीली कमर, ब्लाऊज़ से दिख रही ब्रा और बगलों से दिखते ब्रा में छिपे गोल मम्मे देख के उसकी पैंट में हलचल होने लगी। विक्की ने सोचा कि कुछ किया नहीं तो भी ये औरत नाराज़गी दिखा रही है तो कुछ करके इसकी नाराज़गी लेना अच्छा है। यही सोचते हुए विक्की ने पीछे खड़े होते हुए हल्के से उस औरत की गाँड को छूते हुए खुद बोला, “उफ्फ साली कितनी भीड़ और गर्मी है, कितने लोग भरे हैं बस में... और ये बस भी कितनी धीरे चल रही है।”

इस बार गुस्सा होने के बजाय सबरीना को लगा जैसे उसकी ही गलती है और वो थोड़ी नरमी से मुस्कुराते हुए बोली, “ओह आय एम सॉरी, भीड़ की वजह से मैंने आपको गुस्से से देखा।” उस औरत की बात सुन के विक्की ने भी कहा, “नहीं-नहीं कोई बात नहीं, पर खड़े रहने तक की जगह नहीं है इस भीड़ में।” इतने में पीछे से भीड़ ने फिर धक्का मारा और विक्की पीछे से सबरीना के जिस्म से पूरा चिपक गया। विक्की भीड़ को पीछे धक्का दते हुए बोला, “सॉरी मैडम लेकिन क्या करूँ? पीछे से इतनी भीड़ का धक्का आता है और आपसे टकरा जाता हूँ, आय एम सॉरी।” सबरीना समझी कि विक्की सच कह रहा है, इसलिये वो भी बेबस हो कर मुस्कुराते हुए कुछ नहीं बोली।

विक्की को पीछे से उस औरत के पसीने से गीले ब्लाऊज़ से उसकी ब्लैक ब्रा दिखायी दी। पूरा पसीना पीठ पे था, पसीने की बूँदें बालों से टपक के पीछे और आगे से ब्लाऊज़ गीला कर रही थी। सहारे के लिये हाथ ऊपर होने से उसकी चूंची दिख रही थी। अब विक्की ज़रा बिंदास होकर उस औरत के पीछे चिपक के गरम साँसें उसकी गर्दन पे छोड़ने लगा। सबरीना उस आदमी की साँसों से और उसके तने हुए लंड का स्पर्श अपनी गाँड पे महसूस करके मचली ज़रूर, पर पीछे मुड़ के उसकी और नाराज़गी से देखते हुए अपनी नाखुशी जतायी कि उसकी हरकतें उसे पसंद नहीं। विक्की ने उसकी नज़र को पढ़ा पर ध्यान ना देते हुए, पीछे से उसे और दबाके अपना हाथ हल्के से उसके पसीने से गीले नंगे पेट पे रखते हुए बोला, “साला कितनी आबादी बढ़ गयी है देश की, ठीक से सफ़र भी नहीं कर सकते। ना जाने लोगों को इतने बच्चे पैदा करने का वक्त कैसे मिलता है।”

अपने पेट पे उस आदमी का हाथ पाके सबरीना को कैसा तो लगा। उस मर्द का हाथ हटाने की उसके पास जगह भी नहीं थी इसलिये वो थोड़ा आगे होते हुए हल्की आवाज़ में बोली, “देश की आबादी और लोग क्या-क्या करते हैं... ये जाने दो आप! आप थोड़े पीछे खड़े रहो।” अब विक्की पीछे हटने वाला नहीं था। वो भी थोड़ा आगे खिसकते हुए फिर उसके पसीने से गीले पेट को उँगली से मसलते हुए बोला, “अरे भाभी कैसे पीछे जाऊँ, देखो पीछे कितनी भीड़ है, आप तो सिर्फ़ पीछे से दब रही हो, मैं तो आगे आपसे और पीछे भीड़ से दबा हूँ... बोलो क्या करूँ?” सबरीना पीछे हो कर थोड़ा उस आदमी के नज़दीक आके उसके पैर पे अपना ऊँची ऐड़ी का सैंडल रख के दबे होंठों से बोली, “अपना हाथ हटाओ।” जैसे उसने कुछ सुन ही नहीं हो, विक्की अपना हाथ और रगड़ के पीछे से उससे चिपकते हुए बोला, “यार सबको क्या इसी बस से आना था! भाभी सॉरी... आपको तकलीफ हो रही है पर क्या करूँ?” फिर हल्की आवाज़ में सबरीना के कान के पास आके विक्की बोला, “अरे भीड़ है तो ये सब चलता है।” उस आदमी की बात से सबरीना समझ गयी कि ये भीड़ का पूरा फायदा लेने वाला है और अब वो पीछे हटने वाला नहीं। इसलिये जैसे तैसे करके अपने आपको आराम देने की कोशिश करते हुए वो बोली, “कबीर मोहल्ला और कितनी दूर है पता नहीं, ये बस भी कैसे धीरे चल रही है। इससे तो अच्छा होता कि मैं रिक्शा ले लेती तो इस भीड़ से तो नहीं जाना पड़ता।”

विक्की ने सोचा कि इज़्ज़त की वजह से ये औरत कुछ नहीं बोल सकेगी। अपने हाथ से उसका पेट मसलते हुए, गरम साँसें गर्दन पे छोड़ते हुए और गाँड पे हल्के से लंड रगड़ते हुए वो बोला, “कबीर मोहल्ला अब २० मिनट में आयेगा, भाभीजी! आपका तो फिर भी ठीक है... मुझे तो गाँधी नगर जाना है, आपके स्टॉप से ३० मिनट आगे। आपके उतरने के बाद मुझे आधा घंटा इस भीड़ में आपके बिना गुजारना है।” सबरीना को भी पूरा एहसास हुआ कि वो आदमी इस भीड़ का फायदा उठा रहा है और वो कुछ नहीं कह सकती। बेबस हो कर अब कोई विरोध किये बिना अपना जिस्म ढीला छोड़ते हुए वो बोली, “वैसे ये कबीर मोहल्ला इलाका कैसा है? वहाँ से मुझे जामिया नगर जाना है।” विक्की अब बिंदास उस औरत को मसल रहा था। उस औरत की नाभि में अँगुली डालते हुए वो बोला, “मोहल्ला तो अच्छा है लेकिन लोग हरामी हैं। ज़रा संभल के जाना, बहुत गुंडे रहते हैं वहाँ, खूब छेड़ते हैं बेटियों और औरतों को... अपने रिक्शा से ही जाना ठीक था।” हाथ अब उसके बूब्स के नीचे तक लाके और १-२ बार उसकी गर्दन हल्के से चूमते हुए विक्की आगे बोला, “भाभी तुम आरम से खड़ी रहो... पीछे भीड़ बढ़ भी गयी तो तुमको तकलीफ नहीं होने दूँगा। तुम्हारा नाम क्या है भाभी, मैं विक्की हूँ।”

सबरीना के पास अब आगे जाने की जगह नहीं थी इसलिये वो अब विक्की की हरकतों का मज़ा लते हुए कोई विरोध नहीं कर रही थी। पर वो एक बात का ख्याल रख रही थी कि कोई ये देखे नहीं। इसलिये जब विक्की ने उसकी नाभि में उँगली डाली तो उसने सहारे का हाथ निकाल के अपना पल्लू पूरा सीने पे ओढ़ते हुए कहा, “ओह थैंक यू। मेरा नाम सबरीना खान है। जामिया नगर जाने का कोई दूसरा रास्ता है क्या? आप मुझे पहुँचायेंगे वहाँ? आप साथ रहेंगे तो वो गुंडे मुझे तंग भी नहीं करेंगे।” इशारे से सबरीना विक्की को अपने साथ आने के लिये बोल रही थी... ये विक्की समझ गया और सबरीना के पल्लू ओढ़ने से ये भी समझ गया कि ये औरत मस्ती चाहती है। वो समझा कि ये साली सबरीना बेगम को मज़ा आ रहा है, कुछ बोल ही नहीं रही है, देखें कब तक विरोध नहीं करती। विक्की ने पल्लू के नीचे से अपना हाथ सबरीना के मम्मों पे रखते हुए कहा, “दूसरा रास्ता बड़ा दूर का है, तुम चाहो तो मैं छोड़ूंगा तुमको जामिया नगर, मैं मर्द हूँ, मेरे साथ कबीर मोहल्ले से आओगी तो कोई नहीं छेड़ेगा तुमको। तेरे लिये इतना तो ज़रूर करूँगा मैं सबरीना।” इस भीड़ में अपने मम्मों पे हाथ पाके सबरीना ज़रा घबड़ा गयी और सिर पीछे करके दबे होंठों से विक्की से बोली, “शुक्रिया विक्की... पर तेरा इरादा क्या है? भीड़ का इतना भी फायदा लेने का... ऐसे? मैं कुछ बोलती नहीं... इसलिये ये मत समझो कि मुझे कुछ पता नहीं है, पहले पीछे से सट गये मुझसे, फिर पेट रगड़ा और अब सीने तक पहुँच गये। इरादा क्या है बता तो सही?”

विक्की ने मुस्कुराते हुए कहा, “ऐसा ही कुछ समझो सबरीना, अब तुम लग रही हो इतनी मस्त कि रहा नहीं गया... पहले दिल में कुछ नहीं था पर छूने के बाद अब सब करने का इरादा है, अब तक पिछवाड़ा और पेट सहलाते हुए हाथ अब सीने तक पहुँचा है पर अभी नीचे जाना बाकी है, बोल तेरा इरादा क्या है? तू भी तो मज़ा ले रही है, बोल तू क्या चाहती है?” विक्की का हाथ अब सबरीना के ब्लाऊज़ के हुक पे आ गया। सबरीना समझी कि विक्की ब्लाऊज़ खोलना चाहता है, इसलिये उसने झट से मुड़ कर विक्की का हाथ वहाँ से खिसका दिया पर ऐसा करने से विक्की का हाथ उसके पूरे कड़क मम्मों को छू गया। विक्की को देखते हुए उसने कहा, “हुम्म छोड़ो उसे, जहाँ जितना करना है उतना ही करना। तुम लोगों कि यही तकलीफ है, थोड़ी ढील दी कि पूरा हाथ पकड़ लेते हो। ये लो मेरा स्टैंड आया। तुम चलते हो क्या मेरे साथ... मुझे जामिया नगर छोड़ने विक्की?” सबरीना ने आखिरी शब्द आँख मारते हुए कहे। विक्की सबरीना के हाथ को पकड़ के बोला, “अब तेरी जैसी गरम माल मिले तो रहा नहीं जाता, इसलिये तेरा ब्लाऊज़ खोलने लगा था। तेरे साथ आऊँगा सबरीना लेकिन मेरे वक्त की क्या कीमत देगी तू?” विक्की ने सबरीना का हाथ कुछ ऐसे पकड़ा कि वो हाथ उसके लंड तो छू गया।

लंड को छूने से सबरीना ज़रा चमकी। वो अब चाहने लगी थी कि इस मर्द के साथ थोड़ा वक्त बिताऊँ। वो भी गरम हो गयी थी। मुस्कुरा कर वो बोली, “अरे पहले बस से उतर तो सही, मुझे ठीक से पहुँचाया तो अच्छी कीमत दूँगी तेरे वक्त की। देख बस रुकेगी अब... मैं उतर रही हूँ... तुझे कुछ चाहिये इससे ज्यादा तो तू भी उतर नीचे मेरे साथ।” सबरीना का स्टॉप आया और वो झट से आगे जाके बस से उतरने लगी। सबरीना का जवाब सुन के विक्की खुश हो कर उसके पीछे उतरा और ज़रा आगे तक दोनों साथ-साथ चलने लगे।

विक्की सबरीना को लेके चलने लगा। सबरीना ने जानबूझ के अपना पल्लू ऐसे रखा जिससे विक्की को बगल से उसके मम्मों का तगड़ा नज़ारा दिखे और उसके मम्मों के बीच की गली साफ़ दिखायी दे। आगे काफी सुनसान गली में पूरा अंधेरा था। विक्की सबरीना की कमर में हाथ डालके कमर मसलते हुए बोला, “जामिया नगर में इतनी रात क्या काम है तेरा? किसको मिलने जा रही है तू इतनी रात सबरीना।” घबड़ाते हुए सबरीना विक्की का हाथ कमर से हटाते हुए बोली, “विक्की हाथ हटा कमर से, पता नहीं चलता यहाँ रासते में कितने लोग आते जाते हैं। मैं जामिया नगर अपनी सहेली के घर जा रही हूँ।” विक्की ने हाथ फिर सबरीना की कमर में डाल के उसे अपने से सटते हुए कहा, “सबरीना जैसा अच्छा तेरा नाम है वैसा अच्छा तेरा रूप है। सुन सबरीना इस अंधेरे में किसी को कुछ नहीं दिखता, वैसे भी इस वक्त कोई भी आता जाता नहीं यहाँ से... इसलिये तो डरना नहीं बिल्कुल।” ये कहते हुए विक्की अपने दूसरे हाथ को सबरीना के नंगे पेट पे रखते हुए बोला, “इस वक्त सहेली के घर क्या काम निकाला तूने?”

किसी के देखने के डर से सबरीना जल्दी-जल्दी विक्की के आगे चलते हुए सड़क से ज़रा उतर के सुनसान जगह में एक पेड़ के पीछे जाके खड़ी हो गयी। तेज़ चलने से उसकी साँसें तेज़ हो गयी थीं जिससे उसका सीना ऊपर नीचे हो रहा था और पल्लू तकरीबन पूरा-पूरा ढल गया था। जैसे ही विक्की उसके सामने आया तो वो बोली, “उफ्फ ओहह, तुम क्या कर रहे थे सड़क पे ऐसे? कोई देखेगा तो क्या सोचेगा? आज मेरी सहेली ने मुझे उसके नये घर बुलाया था, इसलिये मैं उसके घर जा रही हूँ।” विक्की सबरीना के सामने खड़ा हो कर सबरीना का बिना पल्लू का उछलता हुआ सीना देखते हुए एक हाथ से ब्लाऊज़ पर से मम्मे मसलते हुए और दूसरे हाथ से उसका पेट सहलाता हुआ बोला, “यहाँ कौन देखने आता है कि कौन मर्द कौनसी औरत के साथ क्या कर रहा है? अब वैसे भी कोई हमें देखे तो क्या होगा? वो भी वही करेगा जो मैं कर रहा हूँ तेरे साथ, है ना? या तो ये सोचेगा कि हम मियाँ बीवी हैं और घर में मस्ती करने को नहीं मिलती... इसलिये यहाँ आये हैं जवानी का मज़ा लने।” सबरीना अब कोई भी ऐतराज़ किये बिना विक्की को अपने जिस्म को मसलने देते हुए बोली, “हाय रब्बा कितना बेशरम है तू, बाप रे कैसी गंदी बात करता है? मैं उम्र में तुझसे पंद्रह-बीस साल बड़ी हूँ। वैसे भी हम मियाँ-बीवी तो बच्चों के सोने के बाद ही करते हैं ये सब... अगर बहुत रात हो जाये तो खेलते भी नहीं ये खेल कईं दिनों तक।”

सबरीना का ढला पल्लू किनारे हटा के विक्की झुकके उसके मम्मों के बीच में मुँह से मसलते और ब्लाऊज़ से मम्मों को हल्के से काटते हुए बोला, “अब तेरी जैसी गरम औरत इतनी बिंदास होगी तो शर्म क्यों जान? बस में भी कितनी मस्ती से मसलवा रही थी जान... वैसे रात को देर हो जाये तो मस्ती नहीं करता तेरा शौहर तो तुझे बुरा नहीं लगता सबरीना?” जब विक्की झुकके उसके मम्मों को चूमने लगा तो सबरीना अपने सीने को और ऊँचा उठा के उसके मुँह पे दबाते हुए बोली, “उम्म्म्म्म मैं बिंदास लगी तुझे... वो कैसे ये तो पता नहीं... बस में ऐतराज़ करती तो मेरी ही बे-इज़्ज़ती होती ना?”

सबरीना की चूचियाँ जीभ से चाटते हुए विक्की सबरीना की साड़ी पेटिकोट से निकालने लगा। सबरीना का ज्यादा से ज्यादा क्लीवेज चाटते हुए विक्की ने अपना मुँह सबरीना के ब्लाऊज़ में घुसाया जिससे सबरीना के ब्लाऊज़ का एक हुक टूट गया और सबरीना का ज्यादा क्लीवेज नंगा हो गया। मम्मों को नीचे से ऊपर दबाते हुए विक्की सबरीना का सीना चाटते हुए बोला, “वैसे जान माना कि बस में ऐतराज़ करती तो तेरी बे-इज़्ज़ती होती... पर ये सच बता कि क्या तुझे ऐतराज़ करना था जब मैं तेरे जिस्म से खेल रहा था बस में?”

विक्की सबरीना की साड़ी निकालने लगा तो सबरीना उसे थोड़ा दूर करके अपने साड़ी पकड़ती हुई बोली, “अरे इतनी जल्दी क्या है जो विराने में तू सीधे पेटिकोट पे आ गया? पहले अच्छे से गरम तो कर। उफ्फ देख तूने मेरा हुक तोड़ दिया... अब मैं क्या करूँ? विक्की बस में तुझसे अगर ऐतराज़ करना होता तो तुझे इतना खेलने देती क्या मैं? मेरा शौहर रात को आके देखता है कि बेटियाँ सोयी नहीं तो बिना कुछ किये जाके सीधे खर्राटे लगाने लगता है।” विक्की अपनी जीभ सबरीना के क्लीवेज पे घुमाके पेटिकोट के नीचे हाथ डाल के एक हाथ से उसकी नंगी टाँगें सहलाते हुए और दूसरे हाथ से मम्मे ज़रा ज़ोर से मसलते हुए बोला, “जल्दी तो नहीं रानी, बस तेरा गरम और गोरा जिस्म नंगा देखने की ख्वाहिश है और कुछ नहीं। अरे हुक टूटा तो क्या हुआ? जब यहाँ से जायेगी तो क्या पल्लू नहीं लेगी सीने पे जान तू? उम्म बड़ा गरम माल है तू। मुझे ये समझ में नहीं आता कि ऊपर वाला तेरी जैसी गरम माल को इतना ठंडा शौहर क्यों देता है। या शादी को इतने साल हो गये... इसलिये शौहर को दिलचस्पी नहीं रहती अपनी सैक्सी बीवी में।”

सबरीना अपना सीना और तान के विक्की का सिर पकड़ के अपने मम्मों पे दबाते हुए बोली, “अरे अब तेरे पास हूँ तो नंगी करेगा ही ना, इतनी जल्दबाज़ी मत कर, या तूने किसी और को वक्त दे रखा है? अरे पल्लू तो डालूँगी पर उसके नीचे से खुला हुक लोगों को मुफ़्त का तमाशा दिखायेगा... उसका क्या? रहा मेरी किस्मत का सवाल तो तू तो ऐसे बोल रहा है कि हर खूबसूरत औरत का शौहर ऐसा होता है। असल में मेरा शौहर काम की वजह से थकता है नहीं तो दो बच्चे कैसे पैदा करती मैं उसके साथ? आहह सुन इतना बेरहम मत बन, आराम से हौले-हौले मसल मेरा सीना।”

आधी खुली साड़ी, घुटनों तक ऊपर आये पेटिकोट और हुक टूटे ब्लाऊज़ में सबरीना को एक बार देख के विक्की उसे नीचे बिठा के उसकी गोद में सिर रख के लेटते हुए और हल्के-हल्के उसके मम्मे मसलते हुए बोला, “मैंने किसी को वक्त नहीं दिया जान... पर सोचा तुझे जल्दी होगी जाने की, वैसे जल्दी नहीं होगी तो रात भर रखुँगा तुझे। तेरी जैसी गरम औरत का सीना हर दिन थोड़ी लोगों को देखने को मिलता है, एक दिन फ़्री में दिखाया तो क्या जायेगा तेरा? अब जो दो लड़कियाँ हैं... वो तेरी हैं पर उनका बाप कौन है रानी? तेरे चूतिया शौहर की ही निशानी हैं वो दोनों या किसी और की? तेरी जैसी गरम औरत को बेरहमी से ही मसलना चाहिये जिससे तुम और गरम हो कर चुदवाती हो, तेरी जैसी औरतों को खूब जानता हूँ मैं सबरीना।”

नीचे बैठने से सबरीना का पेटिकोट खराब हो गया। वो उठना चाहती थी लेकिन तब तक विक्की उसकी गोद में लेट गया था। विक्की के बालों में हाथ घुमाते हुए वो बोली, “अरे ये क्या विक्की, ये नीचे क्यों बिठा दिया? मेरी साड़ी पूरी खराब हो जायेगी, वैसे ही पसीने से भीगी थी... अब उसपे मिट्टी लगेगी। उम्म बस ऐसे ही मसल हौले-हौले मेरे मम्मे, आहह बहुत मज़ा आता है। क्या तू ऐसे ही अपनी बीवी को भी मसलता है? तो उसे रोज़ जन्नत नसीब होती होगी? अरे मेरा सीना हर किसी को दिखाने के लिये थोड़ी है। हाँ ये बात और है कि तेरे जैसे लोग चोरी छिपे देख लेते होंगे। वैसे मेरा सीना कड़क है इसलिये तो तूने मुझे देखा ना...? रही बात मेरे बच्चों की तो विक्की वो दोनों मेरे शौहर के ही बच्चे हैं। मेरे शौहर ने ही मुझे अम्मी बनाया... इतनी ताकत है उसमें... भले आज वो पहले जैसा हर दिन मस्ती नहीं करता मेरे साथ।” ये सब बोलने के बाद सबरीना ने मोबाइल से अपनी सहेली को फोन करके बताया कि वो किसी काम में फंसी है... इसलिये उसे आने में देर होगी, लेकिन वो आयेगी ज़रूर।

फोन पे हुई सबरीना की बात सुन के विक्की खुश हुआ और सबरीना को झुकाके उसके मम्मे बारी-बारी चूमते हुए विक्की बोला, “ये अच्छा किया तूने कि सहेली से कहा कि तुझे देर होने वाली है। अब फ़ुर्सत से तुझे चोदुँगा रानी, तेरी जैसी मुसल्ली औरत को मस्ती से चोदना चाहिये... तब पूरा मज़ा मिलेगा। सबरीना साड़ी खराब हुई तो क्या... तेरी चूत को तो मज़ा मिलेगा ना?” विक्की मुड़कर पेटिकोट के ऊपर से चूत चूमते हुए बोला। “मेरी शादी नहीं हुई अब तक इसलिये तेरी जैसी गरम औरतों को ढूँढता हूँ। तुम मुसल्ली औरतें बहुत शर्मिली होती हो…. बुर्के में रहती हो लेकिन चुदवाने की इच्छा बहुत होती है... इसलिये जब मेरे जैसे मर्द के हाथ आ जाती हो तो ना-ना करते दिल खोल के चुदवाती हो।” फिर वो ब्लाऊज़ के ऊपर से किस करते हुए बोला, “सबरीना रानी! जैसे तेरे ये मम्मे हैं... वो देखके तो किसी की भी नियत खराब होगी जान, और उससे पहले तो तेरी मस्त गोल गाँड देखके मेरी नज़र तुझपे आ गयी। तुम औरतें ये ऊँची ऐड़ी की सैंडल पहन कर खूब अच्छा करती हो... इससे तुम्हारी गाँड और उभर जाती है। क्या ये सच है कि तेरे शौहर ने ही तुझे चोद के वो बच्चे पैदा किये... सबरीना?”

विक्की से तारीफ और बातें सुन के सबरीना को अच्छा भी लगा और शर्म भी आयी। विक्की द्वारा मम्मे और चूत चूमने से मस्त हो कर सबरीना ने अपनी ब्लाऊज़ के हुक खोले और विक्की को अपने सीने का पूरा मुआयना करवाती हुई वो बोली, “हुम्म्म्म उम्म्म प्लीज़ और चूस... और चूस मेरे मम्मे और मसल भी उनको विक्की। तू सच बोलता है, मेरी जैसी गरम मुसलमान औरत तेरे जैसे मर्द के हाथ आये तो पहले शर्माती है पर फिर दिल खोलके मज़ा लूटने देती है। विक्की तू पहला मर्द नहीं जो मेरा कसा जिस्म देखके मेरे पीछे पड़ा पर पिछले कईं सालों में तू वो पहला मर्द है जिसे मैंने पूरी लिफ़्ट दी है। शादी से पहले मैंने भी कई लंड लिये हैं। पर विक्की इतनी भी गाली मत दे मेरे शौहर को और उसे इतना भी निकम्मा मत समझ। मेरी दोनों बेटियों का बाप मेरा शौहर ही है विक्की।”

सबरीना की ब्रा में भरे मम्मों को देख के विक्की चकाचौंध हो गया क्योंकि वो बड़े और कसे हुए मम्मे सबरीना की ब्रा में भी नहीं समा रहे थे। उस टाइट ब्रा में कसे सबरीना के मम्मे देखके पागल जैसे उनको चूसने, मसलने और हल्के-हल्के काटते हुए विक्की बोला, “आहह साली क्या मस्त चूचियाँ हैं, तेरा वो चूतिया शौहर ज्यादा चोदता या ज्यादा मसलता नहीं क्या तुझे... जो इतना मस्त जिस्म है तेरा अब तक? साली तू एकदम गरम माल है जान, खूब मज़ा आयेगा तुझे चोदने में। क्यों गाली नहीं दूँ तेरे चूतिया शौहर को? साला घर में इतना गरम माल छुपाके रखता है, गाँडू कभी मिला मुझे तो उसकी गाँड मारूँगा।” सबरीना के मम्मों से खेलते हुए विक्की ने सबरीना का हाथ पकड़ के अपने लौड़े पे लाके रखा।

विक्की की गंदी बातें और चूत छूने से सबरीना की चूत और गरम हो गयी। विक्की के लंड पे हाथ जाते ही सबरीना को करंट सा लगा और उसके निप्पल काफी कड़क हो गये। विक्की का मुँह अपने मम्मे पे दबाते हुए वो बोली, “आहह... आहह ओहहह अल्लाह हाँ... और चूस... और चूस ले इनको... बहुत बेताब हूँ मैं राजा। मेरे शौहर ने बहुत मसले हैं मेरे मम्मे, शादी से पहले भी मसलता था जब हम मिलते थे, अब मेरे मम्मों के साइज़ से तो अंदाज़ा लगा कि कितना मसलता था मुझे वो। बाप रे...! तेरे सामान की लंबाई और चौड़ाई तो काफी है, शादी क्यों नहीं की अब तक? ऐसे सामान वाले के नीचे कोई भी औरत सोने को तैयार हो कर पूरी-पूरी रात मज़ा ले ऐसे सामान का।”

विक्की ने सबरीना की ब्रा खोल के उसके कड़क निप्पल देखे तो बेताबी से उनको मसलते हुए और फिर एक-एक को चूसते हुए बोला, “सामान क्यों बोलती है साली? क्या है इसका नाम? साली तेरे उस चूतिया शौहर का लंड सामान होगा... मेरा तो लौड़ा है लौड़ा... समझी? सिर्फ़ पैंट के ऊपर से छू कर क्या बोलती है, ज़िप खोल के बाहर निकाल के देख कैसा है मेरा लंड सबरीना! बहनचोद... इसे क्या मसलना बोलते हैं? गाँडू में ताकत है या नहीं? अब मम्मे मैं मसलूँगा... तब देख कैसे चींख-चींख के उछलेगी तू। साली शादी की तो एक ही चूत चोदने को मिलेगी लेकिन नहीं की तो तेरी जैसी मस्त गरम चूत मिलेगी... और तू इस लौड़े से चुदवाके तेरी सहेलियों को भी सुलायेगी मेरे नीचे... है ना?”
विक्की की ज़िप खोल कर सबरीना ने अपने दोनों पैर घुटनों में मोड़ लिये जिससे उसकी साड़ी जाँघों से ऊपर खिंच गयी और विक्की को उसकी चूत दिखायी दी क्योंकि सबरीना ने पेटिकोट के नीचे पैंटी ही नहीं पहनी थी। झटके से विक्की की पैंट खोल के सबरीना ने अपने हाथ से उसका लंड निकाला। काले साँप जैसे सख्त गरम लंड को देख कर वो खुश हुई। लंड के आजू बाजू में घनी झाँटें देख कर उसमें अपनी अँगुलियाँ घुमाती हुई वो बोली, “ओहह वॉओ! क्या मस्त लंड है तेरा विक्की। लंड बोलने में ज़रा शर्म आती थी इसलिये मैंने सामान बोला। सुन विक्की तेरा ये लंड का मज़ा सहेलियों में क्यों बाँटू? तेरा ये लंड तो मैं ही पूरा खाऊँगी और खाके थक गयी तो फिर किसी सहेली को दूँगी... मेरी सहेलियों को चोदना है तो मेरी मिन्नतें करनी पड़ेंगी... विक्की।”

सबरीना कि नंगी गीली चूत देख कर उस पे हाथ रख कर मसलते हुए सबरीना की साड़ी कमर तक उठा कर वैसे ही लेटे-लेटे उसकी चूत के पास आके उसकी चूत पे जीभ फेरने के बाद विक्की बोला, “अब अंजान मर्द से चुदवाने वाली है तो लौड़ा बोलने में कैसी शरम जान? एक हाथ से लंड सहला और दूसरे से मेरी गोटियाँ। साली आज तुझे जन्नत की सैर करवाऊँगा। मिन्नतें तो क्या मेरी जान... मैं तो तेरा गुलाम हूँ... चाहे तो मुझे अपनी सैंडल की नोक पे रख... कहेगी तो तेरे सैंडलों के तलवे तक चाटूँगा अगर मुझे अपनी सहेलियों की चूत दिलवायेगी तो... वैसे तेरी बेटियों की उम्र क्या है सबरीना? मेरा लंड तुझे इतना अच्छा लगा है तो देख आज तुझे कितना मज़ा दूँगा, वैसे मेरा लंड इतना अच्छा क्यों लगा तुझे सबरीना जान?”

अपनी चिकनी चूत पे पहले विक्की का हाथ और फिर चूत को चाटने से सबरीना को अच्छा लगा। वो अपनी चूत हल्के से विक्की के मुँह पे दबा कर अपनी उँगली पे विक्की के लौड़े का रस लेके बोली, “अब तेरा हाथ मम्मों पे पड़ा तो ये लगा मुझे कि मसलना किसको कहते हैं और मर्द का हाथ कैसा होता है। मेरा शौहर आज तक मम्मे मसलता था पर उसमें वो बेरहमी नहीं थी जो तू दिखा रहा है। विक्की एक बात माननी पड़ेगी तुझे कि उसके दबाने या ना दबाने की वजह से मेरे मम्मे आज भी ढीले नहीं हैं और तने हुए हैं... जिससे मुझ में अपने आप कॉनफीडेंस आता है और दूसरी औरतों की तरह पुश-अप ब्रा नहीं पहननी पड़ती है। देख तो सही तेरा लंड कैसा फुँफकार रहा है मेरे मम्मे देख कर... मानो मम्मे देखे ही ना हो... तू मेरे सैंडलों के तलवे चाटने की बात तो कर रहा है... साले... सोच ले... मैं भी बहुत कुत्ती औरत हूँ... सच में चटवाऊँगी अपने सैंडलों के तलवे... फिर मत कहना।”

Anjaan
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