समीर और उसकी माँ राधा - भाग 01

Story Info
Incest+adultery+bdsm+hardcore+erotica.
6.6k words
3.53
50.3k
6

Part 1 of the 4 part series

Updated 06/12/2023
Created 12/03/2018
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ये कहानी है समीरकी याने मेरी. में अपने प्यारे माँ-पापा का आज्ञाकारी १८ सालका बेटा हु. ज्यादा पढ़ाई मुझे बोर करती है. मेरे माँ-बापने भी कभी मुझपर पढ़ाई का दबाव नहीं डाला था, इसी लिए मेंरे पापा ने मेरे पढाईमें रुचिका आकलन कर मुझे १२वि के बाद सीधे रत्नागिरी के ITI महाविद्यालय में दाखिला करवाया जहा में सिविल ड्राफ्टमैन का कोर्स कर रहा हु.

में अपनी माँ राधा के साथ रत्नागिरी के भाटे पुलके नजदीक बनी ७ मंजिला आनंद नामकी अपार्टमेंट में सबसे निचली मंजिलपर ३ बैडरूम एक हॉल वाले ब्लॉक क्र.१ में रहता हु. मेरा रंगरूप पूरा गोरा मेरी खूबसूरत माँ राधा पर गया है. और कद-काठी मेरे ३६ सालके पिता रणदीप पर गयी है. मेरा कद है ५.४ फ़ीट, में जिम नहीं जाता फिरभी मेरा शरीर पूरा फिट है. कहीभी चर्बी नामकी चिझ ही नहीं है. में दिखने में एक दम स्मार्ट और हैंडसम हु लेकिन अभीतक कोई लड़की मुझसे नहीं पटी या कहे मुझसे कभी लड़किया पटानेकी हिम्मत ही नहीं हुवी. इसका मतलब इस तड़पती किशोरी अवस्था में अभीतक में कुंवारा लड़कियोंका प्यासा हु. तो दूसरी तरफ थी मेरी माँ जो मैने अभीतक देखि हुवी सब खुबसूरत लड़कियोंमे भगवान्की बनायीं हुवी सबसे खूबसूरत रचना है, जिसके बारे में आपको थोड़ी देर बात पता चलेगा.

मैने अपने जिंदगीके १४ साल अपनी माँ राधा की परछाई में बिताये, लेकिन उसके बाद जैसे जैसे में बड़ा हुवा मेरी समझ बड़ी वैसे वैसे मुझे अपनी माँ के खुले विचारोंकी वजहसे दोस्तोंके सामने बहोतबार शर्मिंदगी महसूस हुवी. इस कारन में अपनी १६ की उम्र में आते-आते अपनी माँ राधाके साथ अपने दोस्तोंके सामने जाना और अपने दोस्तोंको अपने घर लाना भी बंदकिया, ऐसा करनेका दूसरा कारन था मेरे दोस्तोंकी मेरी मादक माँ पर गंदी नजरे.

मेरे पापा रणदीप जो सिंघमके अजय देवगणकी तरह दीखते है. उनका कद ५.७ फ़ीट है. वो बैंक में अकाउंटेंट है. और पिछले ३ महीने पहले ही उनकी पोस्टिंग रत्नागिरी से मुंबई में हुवी. इस कारन मेरे पापा जुहू बीच की पास वाली चन्द्राक्ष अपार्टमेंट में रेंट पर रहैते है. मेरा एक १५ सालका छोटा भाई भी है. जो मेरे पापा के साथ मुंबई में रहता है, और वही मुंबई महाविद्यालय में पढ़-लिख रहा है. मेरा भाई श्रवण दीखनेमे हुब-हु मेरी कॉपी ही है, फरक ये है के वो मुझसे पढ़ाई लिखाई में कोसो आगे है. इसी कारन पापा ने उसे उनके साथ मुंबई लेजाकर वही बड़े स्कूलमे दाखिला करवाया. वो दोनों महीनेके ३ हफ़्तोंबाद यहाँ रत्नगिरिमे घर हमारे पास आते है, वो भी सिर्फ २ दिनके लिए. और जभी पापा घर लौटते थे तब हम दोनों भाई घरके हॉल में और हमारे माँ-पापा दिनभर किसी ना किसी बहाने मौक़ा मिलने पर बेडरूमे घुस जाते. तो एक दिन जब मैने माँ के बेडरुमके बहार उन्हें आवाज लगायी तो माँ ने जवाबमे कहा था, "बच्चो ममी-पापा इस वक़्त पत्ते खेल्र रहे है डिस्टर्ब मत करो." कितनी झूटी है मेरी माँ, क्योके मेरी उस वक़्त इतनी समज बढ़गयी थी के मुझे पता था के मम्मी-पापा उस वक़्त बैडरूम में एक दुसरेकी चुम्मिया ही ले रहे होंगे.

तो अब आते है मेरी माँ राधा पर. तो जैसे के मैने कहा था के मेरी माँ खुले विचारोंकी महिला है. याने जो दिमागमे वही मुँहपर है. शॉर्टकट में कहे तो मेरी माँ जब बोलती है तो फ़िल्टर का इस्तेमाल ही नहीं करती जैसे के अगर किसीने मेरी माँ को छेड़ते हुवे कहा के, "जानेमन ज़रा हमें भी इस गांड के मजे दिलवा." तो इसपर मेरी माँ का जवाब होगा, "आजा मेरी गांड को हाथ लगाकर तो दिखा फिरमे तुझे दिखाती हु तेरी ओकात." अब इस्से आप लोगोंको मेरी माँ के खुले विचारोंका अंदाजा आया होगा. लेकिन अभी भी आप जरासे दूर ही हो, तो आपकी ये दुरी असली कहानीके शुरू होते ही ख़त्म होगी.

मेरी ३४ साल की माँ कट्टर ब्राह्मण परिवारसे है. जिसका ५.५ फ़ीट का बदन ऐसा है जैसे दूधसे नहाया हुवा हो, पूरा गोरा मादक बदन है मेरी माँ राधा का. अगर मेरे पापा ने मेरी माँ को १५ सालकी उम्र में पटाया ना होता तो जिस खुले विचारोंवाली मेरी माँ है उसका अबतक १००० मर्दो ने काम-रस निचोड़कर पीलिया होता.

जब मेरी माँ राधा साड़ी और एक दम टाइट छोटा ब्लाउज़ पहनकर शृंगार कर घरसे कुछ खरीदने दूकान की ओर सडक से चलते मटकते हुवे जाती उस वक़्त नजारा देखते ही बनता था, सब सडक से आने जाने वाले मर्दोंकी नजरे मेरी माँ के सारिसे उभरकर दीखते हर चाल पर मटकते कामुक अन्गोंपर ही रहती. मेरी माँ की मस्त गद्देदार गांड ३४ साइज की थी, जिसको हर चाल पर सारिसे मटकते हुवे देख किसी ८० सालके बूढ़े का भी लंड खड़ा होजाये और अगर मेरी माँ राधा का गलतीसे भी सारिका पल्लू निचे गिरे तो ब्लाउज़ में कैद ३३ साइज के अमृत से भरे दोनों आमोंको देख किसीभी मर्द का उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने का दिल करजाये. मेरी कामुक माँ को हमेशा साडी अपनी पेट की नाभिसे १ इंच निचे बांधने की आदत थी. इस कारन बहार मरदोंपर आफत बनजाति मेरी माँ, क्योके जब भी मेरी माँ राधा कही सड़क या बहार होती तो आसपासके मर्दोंकी हवसभरी नजरे झटसे मेरी माँ की पतली मस्त मटकती कमरपर जाती जो ३० की साइज की थी,सारिके पल्लुकी खुली साइड से मेरी माँ का दीखता नंगा पतला पेट उसपर बीचमे बंधी सारीके ठीक ऊपर नाभि का छेद देख कर तो बाहरी मर्दोंका दिल मेरी माँ को पानेके लिए मचलता ऐसे कामुक और आकर्षक अंग है मेरी माँ के. उन्होंने अपने आप को इतना फिट रखा है के मेरी माँ २ बच्चों की माँ लगती ही नहीं थी. मेरी माँ मर्दो के लिए कामुक आफत थी आफत के जिसे कोई भी पा नहीं सकता लेकिन मेरी माँ के बदनको देख कर ही मर्दोंके मुँह में पानी आजाये ऐसी है मेरी माँ.

मैने अपनी प्यारी माँ को कभी हवसकी नजरसे नहीं देखा लेकिन मेरे जीवनमे कुछ ऐसे पल आने वालेथे जिसमे मेरी काम-वासना अपनी नीचता दिखाने वाली थी और ये नीचता एक कीडेसे शुरू होने वाली थी, तो ये कहानी उसपर ही आधारित है तो चलिए शुरू करते है.

*****

२०१७ का साल शुरू है, जुलै का तीसरा रविवार. रातके १० बजे है.

तो इस वक़्त रात १० बजे समीर अपने परिवार के साथ घरपर किचन में डाइनिंग टेबल पर डिनर कर रहा है. समीरने तो आपको उसके घरके बारे में बतादिया ही होगा लेकिन में आपको उसके घरके बारे में विस्तारसे बताता हु. समीरका घर रत्नागिरी के भाटे पुलके नजदीक आनंद नामकी ७ मंजिला अपार्टमेंट में पहली मंजिलपर फ्लैट क्र.१ में है. समीर के घर मे ३ बेडरूम्स और १ बडासा हॉल है. १ बैडरूम श्रवणका दुसरा समीरका और तीसरा उन्ह दोनोंके माँ- पापा का है. ये तीन्हो बेडरूम्स एक दुसरेके आमने सामने है, जिन्हके बीचमे बडीसी जगह है, जिसका एक छोर घरके हॉल और किचन की तरफ तो दुसरा छोर बाथरूम की तरफ जाता है. उन्ह तीन्हो बेडरूम्स में सब सुख सुविधाएं है. लेकिन राधाके और उसके पतिके बैडरूम में ऐसी लगा हुवा है, जो उन्ह दोनों बच्चोंके कमरोंमे नहीं लगा हुवा. इस कारन गर्मियोंमें या कभी कभी समीर अपनी माँ के बैडरूम में रातमे सोने जाता है. समीरके घरके हॉल में एक बड़ा ४९ इंच वाला एलसीडी टीवी दिवारमे लगा हुवा है और उसके सामने फर्शपर चारो ओर बैठने और लेटने के लिए आराम दायक बड़े गद्दे बिछाये हुवे है. यहाँ हॉल में कोई सोफा सेट नहीं है सिर्फ चारो दिवारोंको लगकर बड़े गद्दे तकियोंके साथ बिछाये हुवे है, जो घरके हॉल को एक बड़ाही स्टाइलिश लुक देता है, ये आयडिया राधा का था. तो समीर के पिता तो अपनी कामुक पत्नीके आयडिया से भी आगे निकले और घरकी सुरक्षा केलिए सब सीमाएं ही लांघदी. उन्होंने घरके सब बेडरूम्स से लेकर हॉल तक सब जगह CCTV कॅमेरास लगवा दिए जिसका सारा कंट्रोल था राधा के मोबाइल में. इन्ह कॅमेरास की १५ सालके श्रवणको कोई दिक्कत नहीं थी क्योके वो पिछले २ महीनेसे ज्यादातर अपने पापा के साथ मुंबई में ही रहता है और दूसरी बात ये के वो अपने शरीर के साथ ज्यादा कोई कामुक उंगलिया करता नहीं था, अगर दिल करे तो बाथरूम में जाकर अपना लंड हिलाकर अपने आपको शांत करता है. लेकिन समीरने ही सिर्फ इन्ह कॅमेरास को अपने बैडरूम में लगवानेका विरोधकिया था जिसे उसके माँ-पापा ने अनदेखा किया. और अब जभी समीरको अपने शरीरसे कोई कामुक हरकत करनी होती है तो वो उसके बैडरूम के कॅमेरा पर हमेशा कपडा डाल देता, इसी बातपर उसकी माँ राधा हमेशा उसे चिढ़ाते हुवे गाना गाती थी के, "चुनरी के पीछे क्या है, चुनरी के पीछे." इस माँ के ताने का मतलब टियूब लाइट समीरको २-३ दिन बाद समज आया तब वो खुदपर बहोत शर्मिन्दा हुवा और अपनी माँ पर गुस्सा.

आज समीरके पिता और भाई की २ दिन की छुट्टी का लास्ट दिन है, और वो कल सुबह ही वापस फिरसे मुंबई में जाने वाले है, जहा समीरके पिता बैंक में अकाउंटेंट है, तो छोटा भाई श्रवण बड़े स्कूल में पढ़ रहा है.

तो अभी इस वक़्त खुराना परिवार याने समीर खुराना का परिवार घरके किचेन में बड़ी डाइनिंग टेबल पर गप्पे लड़ाते हुवे खाना खा रहे है.इस समय पिता और पुत्रोंने हाफ पैंट और बनियान पहनी है. और राधाने पहना है सफ़ेद रंगका मस्त पतला उसके कामुक अंग उभरकर दिखाने वाला गाउन. समीर और उसका भाई अगल-बगल कुर्सी पर बैठे है तो उनके माँ-पापा भी सामने अगल-बगल कुर्सी पर बैठकर डाइनिंग टेबल पर डिनर कर रहे है, और यहाँ-वहाकि जनरल बाते चल रही है. इसी बिच समीरने अपने माँ के हाथकी भिंडी चपाती के साथ खाते हुवे उत्सुकता से एक ऐसी बात उठायी जो उसके माँ पापा में झगड़ा करवाने वाली थी, "माँ मुझे आप एक बात बताओ, में १८ का आप ३४ की फिर इसका मतलब मैन आपकी १६ की उम्र में जन्म लिया तो फिर ये गैरकानूनी हुवा ना? मैने किसी बुक में पढ़ा था."

अपने बेटे समीरकी बात सुन राधाने अपने बगलमे कुर्सीपर बैठे अपने प्यारे पतिकी ओर घूरके देखा और वो बोली, "बेटा ये सवाल मुझसे नहीं, तुम्हारे पिताजी से पूछ."

राधा की बातसुन समीर के ३६ सालके ५.७ फिट कद के पिता रणदिप सुरक्षात्मक होगये क्योके उन्हें पता था के उसकी पत्नी मुँह फट है. इस कारन उसे इस टॉपिक को बच्चोंके सामने बढ़ाना नहीं था तो वो बोला, "बेटा चिंटू, वो हम दोनोंकी गलती थी. अब इसपर कोई बात नहीं होगी." लेकिन तभी रणदीप के बगलमे बैठी उसकी मुँह-फट पत्नी उसकी तरफ घूरते हुवे देख झटसे बोली, "ऐसे कैसे मेरी गलती, पढाईके नाम पर मुझे घर बुलाकर क्या क्या शरारते मेरे साथ करते थे, वो बताऊ क्या? मेरी पढ़ाई भी आपकी वजह से छूटगयी."

अपनी मादक गोरी पत्नी की बात सुन रणदीप की ताव मारती काली मुछे मुरझासी गयी और बात एक हदसे आगे बढे उसके पहले झटसे अपनी बगलमे बैठी राधा की एक जाँघपर हाथ रख उसे गाउन के उपरसे सहलाया और राधा की आंखोंमे देख बोला, "सिर्फ मेरी गलती थी, जानू अब बस हां, बच्चे है सातमे."

अपनी पत्नीको मस्का लगाते हुवे रणदीप मन ही मन बोलरहा था, "तू तो आज गयी, तेरा बैडरूम में ऐसा हाल करूंगा के तू अब देख,कमिनी."

तो दूसरीतरफ समीर और श्रवण खाना खाते हुवे सामने अपने पापा को उस टॉपिक पर उनकी माँ को मस्का लगाकर शांत करते हुवे देख उन्हें ज़रा अजीब लगा. लेकिन ये टॉपिक बहोत सेंसिटिव है इसका अनुमान उन दोनोंको होचुका था. इस कारन वो दोनों चुप-चाप खाना खा-रहे थे. समीरको तो बहोत अपने आप पर गर्व होरहा था के उसने एक बहोत बड़े टॉपिक को घरमे उठाया जिसपर उसके पापा को उसकी माँ राधा को शांत करने के लिए मस्का लगाना पड़ रहा है. लेकिन इस टॉपिक की गहराई से समीर अनजान था जैसे के आप हो.

अपने पति का उसे मस्का लगाकर की हुवी बातको सुन राधा सामने कुर्सीपर बैठे खानेकी डिश की तरफ देख खाना खा रहे समीरकी तरफ देख बोली, "अगर उस गलतीसे मेरा बेटा चिंटू मुझे मिला तो वो गलती गलती नहीं वो तो भगवान् ने दिया हुवा तोहफा है. सही कहा ना चिंटु?"

(समीरके माँ-पापा उन्ह दोनोंको हमेशा चिंटू और चीकू कहकर ही प्यारसे बुलाते है.)

समीर जैसे ही अपनी माँ की बात सुनता है वो सामने कुर्सी पर बैठ खाना खारही माँ को देख खुशीसे मुस्कुराकर बोलता है, "हां माँ, लेकिन मेरे जन्म के बाद आपने ३ साल बाद एक गलती करदी."

राधा अपने बेटे की बात सुन झटसे बोली, "कौनसी गलती बेटा?"

समीर हस्ते हुवे अपनी माँ को बोला, "चीकू को जन्म देने वाली गलती, हां हां हां हां हां."

और ये समीरका मजाक सुनतेही उसके बगलमे डिनर टेबल के पास कुर्सी पर बैठा उसका छोटा भाई श्रवण और उसका किचनमे डिनर करते समय ही झगड़ा शुरू हुवा, जिसे उनके माँ-पापा अब शांत करनेमे जुटे.

रातके १० बजकर ३० मिनट होचुके है.

समीर और श्रवण खाना खाने के बाद हाथ-मुँह धोकर सीधा अपने-अपने बैडरूम में चलेगये, तो पीछे किचनमे उनके पिता भी डिनर टेबल से खाना खाकर उठे और राधा को डाइनिंग टेबल साफ़ करते हुवे डिशेस उठाते हुवे देख जरा ग़ुस्से में बोले, "किचन का काम होनेके बाद, जल्दी बैडरूम में आना. तुम्हारी अछेसे खबर लेनी है."

अपने पति की बात में ग़ुस्सा महसूस कर राधा एक पलके लिए डाइनिंग टेबल एक कपडेसे साफ़ करना बंद कर अपने पति की तरफ शरारती मुस्कान लाकर बोली, "२ दिन तो आपने मेरी अछेसे खबर ली, आपको कल सुबह मुंबई के लिए जाना नहीं है क्या?"

अपनी पत्नीकी शरारती मुस्कान देखकर भी रणदीप का ग़ुस्सा कम नहीं हुवा वो अपनी पत्नी की बातपर बिना कुछ बोले हाथ मुँह धोने बाथरूम गया. तो पीछे राधा को अपने प्यारे पतिदेवके ग़ुस्से की वजह पता थी तो वो डिनर टेबल साफ़ करते हुवे मन ही मन बोली, "उन्हिकि तो गलती थी, उन्हिकि वजहसे मेरी पढ़ाई अधूरी रहे गयी, इसमें मैने गलत क्या कहा था जो इतना ग़ुस्सा होगये है." ऐसा मन ही मन सोच उसके कामुक गदराये गोरे जिस्म में काम वासना की आग धधक रही थी. राधा को पता था के उसका पति आज उसके गोरे बदनके कामुक अंगोंको ग़ुस्से में बहोत दर्द देगा उसे सजा देगा, क्योके उसने पहले भी अपने पतिका ग़ुस्सा सहा था.

रातके ११ बज चुके है.

रणदीप अपने बैडरूम में पिछले ३० मिनट से ग़ुस्से में अपनी पत्नी की राह देखते हुवे लाइट बंद कर अंधेरेमे बेडपर ऐसी की ठंडी हवामे लेटा हुवा था, के तभी बैडरूम के नजदीके खुले दरवाजेकी तरफ आती हुवी पयलकी छम -छम की आवाज सुन हाफ पैंट और बनियाँन मे झटसे अपनी बेडपर एक दम से स्टाइल में विष्णु की लेटनेकी पोज़ में आकर खुले दरवाजेकी ओर ग़ुस्से में देख रहा था.

तो दूसरी तरफ राधा अपने कामुक बदनपर पतले सफ़ेद गाउन के उपर मोगरेका खुशबूदार ईत्तर लगाकर अपने बेडरूमकी ओर बढ़ रही थी. राधाने मोगरेका खुशबूदार इत्तर इसलिए लगया था के इस सुंगंध से उसके पतिका थोडासा ग़ुस्सा उसके प्रति कम हो.

इस समय राधा का मादक गोरा बदन सफ़ेद पतले गाउन में बहोत कामुक लग रहा था, अपने पतिके ग़ुस्से का होनेवाला सितम अपने बदनपर महसूस कर राधा के कामुक गोरे बदनमे काम-अग्नि की ज्वाला संचारित होचुकी थी. राधाके ३३ के दूधसे भरे आमोंके निप्पल काम-पीड़ा से पुरे तनकर उसने पहने पतले गाउन में ब्रा के खुरदुरे कपड़ेपर बार-बार घिस कर राधा को और भी ज्यादा काम-उत्तेजित कर रहे थे. इस वक़्त राधा की गुलाबी योनि काम-पीड़ा की खुजलीसे गीली होचुकी थी. राधा के घने काले खुले बाल और उपरसे राधाके पतले सफ़ेद गाउन से उभरकर दीखते कामुक अंगोंको देख वो एक काम देवी लग रही थी.

आने वाले कामुक तूफान की आहटसे राधा अपना गुलाबी रसीला ऊपरी होठ मुहमे लेकर बड़ेहि कामुक अंदाजमें चूसते हुवे अपनी ३४ साइज की गांड मटकाते हुवे और अपने पतिके नामका गले में पहना मंगलसूत्रा से एक हाथसे खेलते हुवे वो बैडरूम के खुले दरवाजे से अंदर गयी तो रूम में पूरा अन्धेरा था. राधाने बैडरूम के दरवाजेके नजदीक ही जो लाइट का स्विच था उसे उसने झट से ऑन किया तो बैडरूम में सामने बेडपर उसका पति हाफ पैंट और सफ़ेद बनियान में लेटा हुवा उसकी तरफ ही ग़ुस्से में देख अपने एक हाथसे अपनी काली मूछोंको ताव ऐसे देरहा था जैसे कहे रहा हो के, "आजा रानी तेरी रातभर अब कुटाई होगी."

दूसरी ओर रणदीप ने बैडरूम में बेडपर लेटे हुवे जैसे ही अपनी पत्नी को बेडरूमकी लाइट ऑन कर बैडरूम के दरवाजेके नजदीक खड़ा देखा तो वो झटसे राधाकी नशीली आंखोंमे घूरते हुवे गुर्मी में बोला, "दरवाजा बंद कर."

अपने पतिको बेडपर लेटे उसकी तरफ देख ऐसी गुर्मी में बात करता देख मुँह फट राधा झटसे ग़ुस्से में बोली, "में आपकी नौकरानी नहीं पत्नी हु, ठिक्से बात करिये."

अपनी कामुक पत्नीका ग़ुस्सा देख बेडपर लेटा अपनी पत्नीसे रूठा हुवा रणदीप राधा की ओर देख बोला, "महारानीजी प्लीज़ रूमका दरवाजा बंद कीजिये और यहाँ बेडके पास आइये." ऐसा ग़ुस्से में बोलकर रणदीप अपनी कामुक बीवी की नशीली आंखोंमे देखने लगा.

अपने रूठे पति ने ग़ुस्से में कही प्यारी बात सुन राधा मुस्कुरायी. बेडरुम का दरवाजा बंदकर बैडरूम के बेड की तरफ कदम बढ़ाये. राधा ने पहने सफ़ेद पतले गाउन से उभरकर दीखते उसके कामुक अंग चलते वक़्त बड़े ही कामुक अंदाजमें थिरक रहे थे, उन्ही कामुक अन्गोंपर बेडपर लेटे रणदीप की नजरे थी और वो ग़ुस्से में भी अपने तने ७ इंच लंबे और ३ इंच मोटे लंड को हाफ पैंट के उपरसे एक हाथसे मसलनेसे अपने आप को रोक नहीं पाया.

दूसरी तरफ राधा बेड की तरफ आगे बढ़ते हुवे बेडपर लेटे अपने पतिको हाफ पैंट के उपरसे तने लंड को एक हाथसे मसलता देख वो मन ही मन बोली, "अच्छा बच्चू एक तरफ मुझपर ग़ुस्सा हो और दूसरी तरफ मेरे बदनको देख उत्तेजित होकर अपना लंड मसल रहे हो, ऐसे गुस्से को तो में चुटकी बजाते ही गायब करदूंगी." ऐसा मन ही मन बोल वो अपने दोनों हाथ उपर पीछे खुले घने काले बालोंकी तरफ कर पतले गाउन से उभरी ३३ साइज की चूचिया कामुक अंदाजमें फुलाते हुवे अपने खुले बाल दोनों हाथोंसे बांधरही थी और बेडपर लेटे पति की हाफ पैंट की तरफ देख रही थी, जहा उसका पति एक हाथसे अपना तना हुवा लंड पैंट के उपरसे मसलते हुवे उसकी तरफ बढ़ रही मादक पत्नीके गाउन से उभरकर दीखते कामुक अंगोंको देख रहा था. उसी वक़्त राधाने अपनी रसीली जीभ अपने रसीले गुलाबी ऊपरी होठोंके उपरसे ऐसे कामुक अंदाजमें चाटते हुवे घुमाई के कहे रही हो, "छोरो ये गुस्सा राजा और दो अपना लॉलीपॉप चूसने."

अपनी बीवी को उसके हाफ पैंटमे तने हुवे लंड की ओर देख कामुक हरकते करता देख बेडपर लेटा रणदीप झटसे अपना हाथ अपनी हाफ पैंटमें तने लंड के उपरसे हटाता है. फिर अपनी कामुक बीवी की कामुक हर्कतोंसे काम-वासना में अपने आप को डूबनेसे बचाकर अपनी बीवी की तरफ देख घूरते हुवे बोलता है, "आव जल्दी, ज्यादा नखरे मत करो."

अपने पतिकी बात सुन राधा अपनी पतली कमर मटकाते हुवे बेडके नजदीक पहुंची और सामने बेडपर लेटे उसी की ओर घूरते हुवे देख रहे पति को बोली, "इतनी छोटीसी बातपर गुस्सा क्यों हो?"

बेडपर एक साइड लेटा हुवा एक हाथसे अपनी मूछोंको ताव मार रहा रणदीप अपनी बीविको घूरते हुवे बोला, "पहले बैठिये महारानीजी."

इस वक़्त राधाकी गुलाबी योनि में गुद-गुदिसि होरही थी. उसके कामुक अन्गोंपर होने वाले दर्दकी आहटसे राधा की साँसे ज़रा काम-उत्तेजनासे तेज चलरहीथी. और उसके साँसे तेज लेने से दूधसे भरे संतरे गाउन से उभरकर फूलरहे थे. राधाने अपने आपको संभाला और गुस्साए पतिकी बातका पालन कर बेडके किनारे बैठगयी और अपने नजदीक बेडपर लेटे पतिकी आंखोंमे देख बोली, "अब बोलिये चिंटू के पापा, क्या बात है? क्यों ग़ुस्सा हो इतनी छोटीसी बातपर."

अपनी खुशबूदार कामुक पत्नीकी सुगंध सूंघते हुवे रणदीप बेडपर सरकते हुवे बेडके किनारे बैठी पत्नीकी पीठसे चिपक कर पीठ के बल लेटा और फिर बोला, " डिनर के वक़्त तुमने बच्चोंके सामने हम दोनों की स्कुल वाली बात क्यों कही?" ऐसा बोलकर उसने अपना एक हाथ अपनी कामुक पत्नी की जांघोंपर रखा और वो पतले सफ़ेद गाउन के उपरसे जांघोंको अपने एक हाथसे सहलाने लगा.

अपने पतिकी बात सुन और उसके हाथका अपनी जाघोंको स्पर्श महसूस कर राधा झटसे बोली. "चिंटू ने पूछा तो मैने बोल्दिया, इसमें गलत क्या हुवा?"

राधा की बात सुनतेही रणदीप ने बेडके किनारे बैठी उसकी बिवीके जांघोंपर रखा हाथ एक झटकेमें राधाकी रस-मलाईदार जांघोंकी बिचकि खायी में घुसाया और अपने एक हाथसे अपनी बीवी की योनि की पंखुडिया गाउन के उपरसे बेदर्दीसे मसलने लगा.उस वक़्त रणदीपको अपने हाथों की उंगलियोंपर बीविकी योनिसे आती कामुक गर्मी महसूस होरही थी.

अपने पतीने अचानक की हुवी कामुक हरकतसे राधा अपने पाँव फर्शपर पटकने लगी अपना एक हाथ पीछे अपने पतिके सिनेपर रख बनियाँन को पकड़कर चीखते हुवे बोली, "हाय रे दया मरगयी रे, चिंटू के पापा मेरी चुत. अह्ह्ह्हह्ह दर्द हो रहा है, अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह हाय रे दया मरगयी रे चिंटू के पापा ज़रा धीरे अह्ह्ह्हह." राधाने बेडपर बैठे हुवे अपनी जाँघे फैलाई जिस्से दर्द कम हो और उसका पति उसकी चुत अछेसे मसल सके.राधा की इस वक़्त योनिसे टपकती काम रस की बुँदे उसकी पैंटी को गीला कर चुकी थी.

रणदीप अपनी बीवी की काम-रस से भरी चुत गाउन के उपरसे मसलते हुवे बेडपर अपनी बीवी की पीठसे चिपक कर लेटे हुवे बोला, "बच्चोंके सामने तुम्हे ये कहने की क्या जरुरत थी के में तुम्हे पढ़ाई के नाम पर घर बुलाता और तेरे साथ शरारते करता, अगर उन्हें मेरी शरारत का मतलब समझमे आया तो वो क्या सोचेंगे मेरे बारे में." ऐसा बोलते हुवे वो बेड के किनारे बैठी पत्नीके नजदीक बेडपर लेटे हुवे अपने हाथपर ज्यादा जोर डालकर राधा की योनि अपने हाथके पंजेमे भींचकर मसलने लगा.

अपने पतिके कामुक घावोंसे राधा तो बेडके किनारे बैठी पानी-बिन मछली की तरह तड़प रही थी. दर्दभरी सिसकारियां लेते हुवे पीछे बेडपर लेटे उसकी नाजुक योनि हाथसे मसल रहे पतिके सिनेको अपने हाथके नाखुनसे कुरेदते हुवे बोली, "अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह, चिंटू के पापा अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह, अब आपने और मेरी चुत मसली तो मेरा पानी निकल जाएगा, अह्ह्ह्हह्हह."

अपनी पत्नीकी बात सुन रणदीप अपना हाथ राधा की रसीली योनिके उपरसे हटाता है और बेडपर पीठके बल लेटे हुवे बोलता है, "आगेसे बच्चोंके सामने इन विषयोंपर कुछ मत बोलना. और दूसरी बात मेरी वजहसे तुम्हारी पढ़ाई नहीं छूटी समझी, उसकेलिए जिम्मेदार तुम खुद हो. क्योके में तुझे मेरे घर पढ़ाई के लिए ही बुलाता था. लेकिन तू आती थी छोटासा फ्रॉक पहनकर और अंदर चडी भी नहीं पहनती थी. फिर पढ़ाई के वक़्त ऐसे बैठती थी के जिस्से मुझे तेरी चुत का पूरा नजारा दिख जाता. दो-तीन दिन तुझे सिर्फ देखा, फिर यही रूटीन रहा तेरा फिर चढ़गया एक दिन तेरे पे, इसमें मेरी क्या गलती?"

अपने पतिके कामुक घावोंसे घायल राधा बेड के किनारे जाँघे फैलाकर बैठी सिसकारियां लेते हुवे अपनी दर्द कर रही योनि एक हाथसे गाउने के उपरसे सहलाते हुवे पतिकी बातपर बोली, "हाय राम अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आह्ह्ह्हह्ह, तो चढ़े क्यों? अह्हह्ह्ह्ह कंट्रोल करते अपने आपको उस वक़्त. आह्ह्ह्हहह."

अपनी पत्नीकी ये बात सुन रणदीप का माथा सनक गया और वो बेडपर लेटे हुवे बेडके किनारे बैठी उसकी बीविको बोला, "कुत्ते की दुम जैसे कभी सीधी हो नहि सकती वैसे तुम कभी अपनी गलती मानोगी ही नही."

अपने पतिको उसकेलिए कुत्ता शब्द इस्तेमाल करता देख मुँह फट राधा अपने पति की ओर देख ग़ुस्से में बोली, "तेरा बाप कुत्ता, तेरी माँ कुत्ती."

पत्नीकी बात सुन रणदीप का ग़ुस्से का पारा सातवे आसमाँपर पहुंचा. उसने बेडके किनारे बैठी अपनी पत्नीके बंधे बाल एक हाथसे पकडे और वो बेडसे उठकर घुटनोंपर बैठ गया, फिर दर्दसे चीखती अपनी बिवीके बाल ग़ुस्से से खींचते हुवे उसका खुबसुरत मुँह अपने चहरे के पास लाकर बोला, "साली कमिनी मेरे माँ-पापा को कुत्ता बोलने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुवी, अगर कुत्ता बोलना था तो मुझे बोलती."ऐसा बोलकर रणदीप ने अपनी बिवीके बाल एक हाथसे पकडे रखे और बीवी की ३३ साइज की चूचिया भी दूसरे हाथसे बेदर्दीसे गाउन के उपरसे पकड़ली और उन्हें पूरी ताकतसे बारी-बारी मसलने लगा.

बड़ा ही दर्द भरा कामुक मंजर था बैडरूम का. राधा बेडके किनारे बैठी हुवी और उसके पीछे उसका पति उसके बंधे बाल एक हाथसे पकड़कर दूसरे हाथसे राधाके गाउन से उभरकर दिखती उसकी चूचिया बारी बारी बड़ेहि बेरहमी से मसल रहा था और राधा दर्दसे चीख और चिल्ला रही थी, "अह्ह्ह्हह्हह, चिंटू के पापा सॉरी. आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह गलतीसे माँ-पापा का नाम निकला अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह. हाय रे दया मरगयी, मेरे संतरे पिचक गए रे आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह."

राधा को अपनी गलती का एहसास होचुका था. लेकिन अब देर होचुकी थी क्योके आज रात उसको दर्दसे तड़पना ही लिखा था.

राधाने उसके ऊपर भड़के पतिको बहोत मस्का लगाकर शांत करनेकी बहोत कोशिश की, यहातक के उसने अपने पति रणदीपको उसका लंड अछेसे चूसकर देनेकी ऑफर भी दी. जो उसके पति रणदीप ने ठुकरादी. रणदीप एक भरे-पुरे शरीर का मालिक है और पूरा ५.७ फिट का है. उसके सामने कामुक बदनवाली नाजुक राधा की एक ना चली.

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