सीधी- सादी रूपा की जवानी (भाग - १)

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रूपा: (मासूमियत से) ‘सर, लण्ड क्या होता है?’

उसके इस मासूम सवाल पर रवि के लंड ने हुंकार भरी और रूपा के निप्पल मसलते हुए उसने जवाब दिया।

रवि:‘अरे तुम्हे लंड नहीं पता, रुको मैं बताता हूँ!’

ये कहते हुए उसने अपना पैंट और अंडरवियर उतार दी और अपना खड़ा लंड रूपा के हाथ में दे दिया। रूपा ये देख कर शर्मा गयी और उसने अपनी आँखें दूसरी ओर कर लीं।

रूपा: ‘सर ये क्या किया आपने, क्या आपको शर्म नहीं आ रही मेरे सामने कपडे उतारने में? और ये तो नुन्नी है, जहाँ से लड़के सु-सु करते हैं’।

रवि: ‘हाँ, जब लड़के छोटे होते हैं, तो इसे नुन्नी कहते हैं लेकिन बड़े होने पे लंड कहा जाता है और मेरी ज़िन्दगी का सवाल है तो मैं कैसे शर्म कर सकता हूँ। तुम भी बिलकुल भी शर्म मत करो और इसे हाथ से पकड़ो और ऐसे ऊपर नीचे करो’।

रूपा शरमाती है फिर लंड को देखती है - एकदम काले रंग को मोटा लंड। करीब 8 च लम्बा होगा लेकिन कम से कम 3.5 इंच मोटा। उसके नीचे २ बड़ी बड़ी गेंदें थी जो बालों से छिपी हुयी थी। लंड के सिरे पर एक छोटा सा छेद था जिस से एक चिपचिपा पदार्थ बाहर आ रहा था। रूपा को ये देख के घिन आती है और उसे पसीने की बदबू भी आ रही थी। लेकिन फिर भी वो रवि सर की जान की खातिर लंड की मसाज करती रहती है।

रवि: ‘हाँ, बहुत अच्छे, ऐसे ही हिलाती रहो। बीच बीच में टट्टों, मेरा मतलब जो नीचे २ बॉल नज़र आ रही हैं, उन्हें भी सहलाओ।’ ‘ओह येह! दैट्स माय स्लट!’

ये कहते हुए रवि के हाथ नीचे रूपा की गांड की तरफ बढ़ते हैं और वो स्कर्ट के नीचे से हाथ डाल कर उसके गांड के दोनों उभारों को अच्छे से महसूस करता है। उसकी गांड इतनी मलाईदार है कि उसे लगता है जैसे उसने ऊन के दो गोले पकड़ रखे हो।

रूपा: सर, आप ने मुझे पीछे से क्यूँ पकड़ रखा है?

रवि: इस से जल्दी से स्ट्रेस निकलेगा और डॉक्टर ने कहा है कि स्ट्रेस निकलने का संकेत है की लंड से खूब सारा रस निकलेगा। तो जब मैं कहूँ तो तेज़ी से हिलाना।

रूपा ने हाँ में सर हिलाया और पूरी लगन से रवि का काला, मोटा और लंबा लंड दोनों हाथों से पकड़ कर हिलाने लगी।

रवि झड़ने के बहुत करीब था तो उसने रूपा को नीचे घुटनों पर धकेल दिया और उसका टॉप उतार फेंका। अब उसकी मस्त चूचियां उसके लंड के ठीक सामने थीं। उसने आगे हो कर लंड को दोनो पहाड़ों के बीच कर दिया और दोनों निप्पलस को पकड़ कर खिंचा और आपस में टच करवा दिया। रूपा दर्द से कराह उठी और बड़ी मुश्किल से अपनी चीख रोकी। रवि को तो जैसे चूत का ही आनंद मिलने लगा था, वो जोर जोर से चूची चोदन में लीन हो गया और कुछ ही देर में उसने अपना ढेर सारा चिपचिपा रस रूपा के मम्मों, चेहरे और अपने ऊपर निकाल दिया।

रूपा: सर, अब आप ठीक हैं?

रवि: हाँ, अब मैं बिलकुल ठीक हूँ मतलब अभी का तो सब तनाव दूर हो गया। और सुनो, जैसे तुम्हे पता है कि मुझे साफ़ सफाई पसंद है तो ज़रा ये सब साफ़ कर दो।

और ये कहते हुए उसने वैसे ही नंगे, फ़ोन उठाया और हमेशा की तरह महत्त्वपूर्ण कॉल पर व्यस्त हो गया।

रूपा ने टेबल पर नज़र दौडाई तो जो टिश्यू का डिब्बा हमेशा रखा होता था वो आज कहीं नज़र नहीं आ रहा था। वो सोच ही रही थी कि क्या करूँ की रवि ने एक कागज उसकी तरफ बढाया जिसपर लिखा था - "जल्दी करो, मुझे मीटिंग में भी जाना है। साफ़ करके मुझे कपडे भी पहना दो क्यूंकि मैं फ़ोन पर हूँ न।" ये कागज देकर रवि अपने घुटनों पर बैठी रूपा के सामने खड़ा हो गया। रूपा जब इधर उधर देखती रही तो रवि ने गुस्से से उसकी तरफ देखा और पास में पड़ा रूपा का टॉप उसके हाथ में दे दिया। रूपा ने डर कर जल्दी से अपने टॉप से ही अपने उपर गिरा रवि का सारा रस पोंछा, फिर रवि के लंड और बॉल्स को पोंछा। फिर उसने रवि को अंडरवियर और पैंट पहनाई।

फिर उसने रस से भीगा हुआ टॉप पहना और अपनी सीट पर लौट गयी। पूरे दिन वो रवि के रस की महक और गीलेपन में रही, बस जाते हुए वो सोच रही थी की अच्छा है आज सफ़ेद टॉप था तो कुछ नज़र नहीं आएगा। अगले दिन सुबह फिर रूपा का फ़ोन बज उठा।

इसी प्रकार रोज़ ही कभी एक बार तो कभी दो बार रूपा को तनाव निवारण का कार्य संपन्न करना होता था। एक दिन सुबह रवि सूट बूट पहन कर ऑफिस पहुंचा। आज एक बड़ी डील के लिए क्लाइंट आने वाला था और रवि की उसके साथ मीटिंग थी। क्लाइंट के आने के ठीक आधे घंटे पहले रवि ने रूपा को अपने केबिन में बुलाया।

रवि: रूपा, जैसा की तुम्हे पता ही है कि आज हमारी कंपनी के लिए कितना बड़ा दिन है। आज मैं बहुत ही चिंतित हूँ तो ऐसा करो की तो तुम तुरंत अपनी मसाज शुरू कर दो।

रूपा हमेशा की तरह रवि की कुर्सी के सामने अपने घुटनों पर बैठ गयी और आज तो खुद ही उसने अपना गुलाबी रंग का टाइट टॉप निकल कर दूर रख दिया (वो इस टॉप को ख़राब नहीं करना चाहती थी)। जब उसने रवि की पैंट उतरी तो उसका लंड मुरझाया हुआ था। ये देख कर उसे बेहद आश्चर्य हुआ और वो थोड़ी खुश भी हुई कि आज तो छुट्टी।

रूपा: सर आज तो आपका लंड तनाव में नहीं है।

रवि: अरे तनाव मेरे अंदर भरा हुआ है और मुझे महसूस हो रहा है की वो लंड तक पहुँचने ही वाला है।

ये कहते हुए रवि ने अपने हाथों से उसकी चूचियाँ मसलना शुरू कर दी। रवि अब उससे खेलने से पहले उसका थोंग भी ये कह कर उतरवाता था की उसे गांड मसलने में परेशानी होती है। रूपा ने पहले तो सोचा की थोंग में गांड पर कोई कपडा तो होता ही नहीं लेकिन फिर हमेशा की तरह उसकी बात मान ली। तो चूचियाँ मसलते हुए उसने रूपा को उठा कर टेबल पर बिठा दिया और उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी।

अब उसकी चूत की दो कोमल फांकें उसकी नज़रों के सामने थीं और उनके बीच में हलकी सी नमी साफ़ नज़र आ रही थी। रूपा ने कंपनी के नियमों के अनुसार अपने शरीर के सारे बाल साफ़ कर रखे थे और इसलिए उसकी चिकनी, कसी हुई चूत मानों रवि के लंड को निमंत्रण दे रही थी। इस अनुपम दृश्य को देखते हुए रवि का लंड अपने पूरे जोश में आ चुका था।

रवि: देखा, मैंने कहा था न की तनाव आने ही वाला है।

रूपा: सर आप बिलकुल ठीक कह रहे थे, लेकिन आप फ़िक्र मत कीजिये आपकी स्लट आपकी सारी परेशानियां मिटा देगी।

ये कहते हुए रूपा ने अपने दोनों हाथों से लंड को पकड़ लिया और पहले एक चूची से और फिर दूसरी चूची से उसका आलिंगन कराया। ये रूपा ने खुद ही सोचा था और इस बात पर रवि बेहद खुश हुआ और उसके चेहरे को पकड़ के ज़ोर से किस किया और अपनी जीभ रूपा के होठों में दे दी । रूपा चौंकी तो रवि ने किस को रोक कर समझाया।

रवि: ये तो तुम्हे शाबाशी देने का तरीका है रूपा। तुम इतनी मेहनत से काम कर रही हो, तो मुझे तुम्हारा उत्साह वर्धन तो करना होगा ना। सभी स्लट्स को ऐसे ही शाबाशी दी जाती है। बस मेरी जीभ को अच्छे से चूसो। तुम जितनी मीठी दिखती हो उतनी ही मीठा तुम्हारा स्वाद है।

रूपा को रवि के मुंह से हल्की सी सिगरेट की महक आ रही थी लेकिन फिर भी उसने अपने फूल से कोमल होठों से रवि को किस करना जारी रखा। वैसे तो वो शायद पहली बार किस कर रही थी लेकिन भगवान ने उसे शायद ऊपर से ही काम-क्रीड़ा में पारंगत करके भेजा था।

रवि का लंड और भी कड़ा हो गया और उसने ढेर सारा प्री-कम निकाल कर रूपा के नाज़ुक हाथों को गीला कर दिया, फलस्वरूप लंड हाथों में फिसलता हुआ आगे पीछे होने लगा। रूपा का स्वाद लेकर रवि अपनी चरम सीमा पर पहुँचने ही वाला था तो उसने रूपा को फिर से नीचे बिठा दिया।

रवि: सुनो रूपा, मेरा रस निकलने ही वाला है और क्लाइंट भी मीटिंग के लिए आता ही होगा। मैं अपना सूट खराब करने का रिस्क नहीं ले सकता तो कुछ और करना होगा।

रूपा ये सुन कर कंफ्यूज हो गयी।

रवि: एक ही तरीका है कपडे गंदे ना करने का - तुम्हे सारा रस अपने मुंह में लेना होगा।

और ये कहते ही रवि ने रूपा के बाल पकड़कर अपना लंड उसके मुंह में घुसा दिया और उसे लंड को लोलीपोप की तरह चूसने का आदेश दिया। रवि को लंड डालते ही ऐसा लगा मानो उसने हलके गरम मक्खन में अपना लंड पहुंचा दिया हो। रूपा के छोटे से मुंह में रवि को मोटा लंड बड़ी मुश्किल से समां रहा था और रवि के कहेनुसार रूपा अपनी जीभ उसके लंड पे चारों ओर ऐसे घुमा रही थी जैसे वो एक कुल्फी का स्वाद ले रही हो।

ये महसूस करके रवि जोश में आ गया और उसने अपना मोटा लंड पूरा का पूरा रूपा के मुंह में घुसा दिया, रूपा की नाक रवि के बालों से टकराने लगी। अचानक हुए हमले के लिए रूपा तैयार नहीं थी और रवि के झांट के बालों के कारण उसे सांस लेने में मुश्किल भी हो रही थी, गले में लंड पहुँचने के कारण उसे उबकाई सी आई तो उसने अपने दोनों हाथों से लंड को पकड़कर अपने मुंह से बाहर निकल दिया और गहरी साँसे लेकर खुद को सामान्य करने लगी। रवि ने ये देखकर उसे कुछ समय सांस लेने का मौका दिया लेकिन अगले ही पल वो गरजा।

रवि: यहाँ क्लाइंट आने वाला है, मेरी जान का सवाल है और तुम्हे अपनी पड़ी है! जब तक मैं ना चाहूँ तब तक तुम्हे लंड मुंह से बाहर नहीं निकालना है। तुम ये कभी ना भूलो इसलिए मुझे तुमको सजा देनी होगी !

ये कहते ही रवि ने झुक कर अपनी पैंट से अपना रुमाल निकाला और रूपा के दोनों हाथों को साथ में लेकर उसकी चूत के सामने बाँध दिया। रूपा कुछ समझ पाती उस से पहले ही रवि का लंड फिर से उसके मुंह में था। अब रवि ने एक हाथ से उसके बाल पकडे हुए थे और उसके सिर को अपने लंड पर ऊपर नीचे कर रहा था। दूसरा हाथ से वो रूपा की नरम लेकिन सीधी खड़ी हुई चूचियों से खेल रहा था। उसके एक निप्पल को रवि ने इतनी ज़ोर से खींचा की रूपा दर्द से कराह उठी।

रवि: रूपा, क्या तुम्हे समझ आया की क्या करना है?

रूपा ने जब हाँ में सर हिलाया तभी रवि ने उसका निप्पल छोड़ा। एक बहुत खूबसूरत और जवान लड़की उसके सामने घुटनों पर बैठी थी। उसके हाथ बंधे थे और उसके मम्में हर धक्के के साथ हिल रहे थे और उसकी छोटी सी, फूलों के प्रिंट वाली स्कर्ट इधर उधर उछल रही थी। वो उसके लंड को अच्छे से चूस रही थी या सही कहें तो रवि उसके मुंह को चोद रहा था।

इतने शानदार नज़ारे को देखते हुए रवि ज्यादा देर खुद को रोक नहीं पाया। वो खड़ा हो गया और दोनों हाथों से उसने रूपा के सर को पकड़ लिया और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगा। अगले ही पल वो झड़ रहा था और जब रूपा ने सर पीछे करने की कोशिश की तो उसने और ज़ोर से उसका मुंह अपने लंड पर दबा दिया। रूपा हाथ बंधे होने के कारण कुछ ना कर सकी तो और उसे सारा रस पीना पड़ा। उसे रवि के रस का स्वाद थोड़ा खारा, थोड़ा तीखा, थोड़ा मीठा सा लगा और अच्छा नहीं लगा। रवि ने जब अजीब से हाव भाव रूपा की शक्ल पर देखे तो उसने पास रखा पानी का ग्लास उसकी तरफ बढ़ाया और कहा।

रवि: कोई बात नहीं रूपा, जल्दी ही तुम्हे आदत हो जाएगी और स्वाद पसंद आने लगेगा।

रूपा इस बात का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी और रवि को हाथ खोलने को कहने ही वाली थी की रवि के केबिन के दरवाजे पर दस्तक हुई और आवाज़ आई - “रवि जी! आर यू इन देयर? मैं अंदर आ जाऊं?” रवि आवाज़ सुनते ही समझ गया की उसका क्लाइंट मीटिंग के लिए आ पहुंचा है।
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कहानी जारी रहेगी दोस्तो, लेकिन अगले भाग “सीधी- सादी रूपा की जवानी (भाग - २)” में ....

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर) at raviram69atrediffmaildotcom

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