Sex with Celestial Nymph URVARSHI

Story Info
A virgin man summon URVARSHI celestial nymph & have sex.
3.9k words
5
795
00
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

स्वर्ग सुंदरी अप्सरा उर्वशी के साथ सेक्स ::

मेरा नाम निशांत है उम्र 32 कद 6 फीट मैं दिल्ली में रहता हूं मैं एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में पिछले 10 साल से कार्यरत हूं।पिछले 10 वर्षों में मैंने एक भी छुट्टी लिए बिना लगातार कार्य किया है कार्य की अधिकता होने से मेरे स्वास्थ्य पर असर पड़ा और मैं बीमार पड़ गया मेरे बड़े मैनेजर ने मुझसे कहा "तुम्हें दो-तीन महीनों की छुट्टी लेकर कहीं घूमने जाना चाहिए जिससे तुम फिर से तरोताजा होकर काम पर वापस लौट सको ". मेरे डॉक्टर ने भी यही सलाह दी तो मैंने सोचा कि ठीक है छुट्टी पर कहीं घूमने चलते हैं बताता चलूं 32 वर्ष होने के बावजूद मेरी अभी तक शादी नहीं हुई है और मैं अभी तक कुंवारा हूं । मुझे पहाड़ घूमने का बहुत शौक था तो मैंने तय किया कि मैं देवभूमि उत्तराखंड की यात्रा पर जाऊंगा

मैंने उत्तराखंड की यात्रा के लिए अपनी कार तैयार की और दिल्ली से उत्तराखंड की तरफ निकल पड़ा।

दो-तीन दिन उत्तराखंड में घूमने के बाद ही मेरा मन इतनी भीड़ भाड़ देखकर ठिठक गया मैं अपने होटल में बैठा हुआ था तभी उस होटल का मैनेजर मेरे पास आया और हमारी बातचीत होने लगी तो मैंने उसे बताया कि यहां तो बहुत भीड़ भाड़ है और मुझे यहां भीड़ में अच्छा नहीं लग रहा है मुझे कोई शांत और एकांत जगह चाहिए। तो उसने मुझे बताया कि आप द्रोणागिरी पर्वत की ओर चले जाएं वहां एक सिद्ध ऋषि नित्यानंद का आश्रम है वहां आप एकांत में रहकर पहाड़ों का आनंद ले सकते हैं

उससे पता लेकर अगले दिन ही मैं उनके आश्रम की ओर निकल पड़ा । स्वामी चिन्मयानंद जी का आश्रम पहाड़ों में अंदर था वहां तक मुझे पहाड़ की चढ़ाई कर कर जाना पड़ा। आश्रम में पहुंचते ही मुझे बहुत अच्छा लगा, आश्रम पहाड़ों के बीच में स्थित था । चारों तरफ खुली खुली वादियां और चारों तरफ हरियाली थी और लोग नाम मात्र के थे । मैं स्वामी नित्यानंद जी के पास जाकर उनसे बोला " महाराज मैं आपके आश्रम में रहकर योग तथा आराम करना चाहता हूं " वह बोले "ठीक है आप कुछ राशि देकर यहां जब तक चाहे तब तक रह सकते हैं " । मैं तैयार हो गया ।आश्रम में मैं सुबह उठकर स्वामीं स्वामी जी के साथियों के साथ योग करता और पहाड़ों को निहारता।

स्वामी जी के आश्रम में एक छोटी सी कुटिया में ढेर सारी पुस्तकें रखी हुई थी । जो कि योग तथा साधना से जुड़ी हुई थी एक दिन मैंने उन किताबों को पढ़ने का सोचा। उन्हीं किताबों में से एक अप्सरा साधना की किताब ने मुझे बहुत आकर्षित किया मैं उसे लेकर पढ़ने लगा । उसमें कई अप्सरा को साधना द्वारा वश में करने का तरीका दिया था। काफी देर पढ़ने के बाद मैंने सोचा क्यों ना मैं भी अप्सरा साधना करूं ।

मैं वह किताब लेकर स्वामी जी के पास गया । उनसे मैंने साधना के बारे में पूछा उन्होंने मुझे सभी साधनों में से सबसे उत्तम साधना उर्वशी साधना के बारे में बताया कि मैं उर्वशी की साधना कर उसे अपने वश में कर सकता हूं । परंतु यह साधना कठिन है इसके लिए मुझे एकांतवास में 49 दिनों तक साधना करनी होगी । मैंने बोला कि मैं तैयार हूं । उन्होंने बोला " यहां से 2 किलोमीटर दूर घने जंगलों में एक गुफा है जो मेरी ही है वहां पर तुम्हारी साधना के लिए सारे इंतजाम मिलेंगे तुम वहां जाकर साधना करो मैं तुम्हें कैसे साधना करनी है बतलाई देता हूं " ।

मैं अगले दिन स्वामी जी के एक साथी के साथ गुफा की ओर निकल पड़ा । उसी गुफा के पास पहुंचकर उस साथी ने मुझे एक उपवन भी दिखाया जिसमें फूल एवं फल लगे हुए थे । उसने कहा कि "आप इन फुल एवं फूलों का इस्तेमाल पूजा तथा स्वयं के खाने के लिए कर सकते हैं " । फिर वह वहां से वापस लौट गया । मैं गुफा के अंदर गया तो वहां सारा इंतजाम था । जमीन पर बिस्तर लगा हुआ था। गुफा के अंदर लालटेन अगरबत्ती चांदी का थाल और बाकी पूजा की चीजें रखी हुई थी। मैं पास ही बहती नदी में नहा कर तैयार होकर पूजा की तैयारी करने लगा ।

रात के 9:00 बजे ही मैंने उर्वशी साधना करने लगा । यह साधना कठिन थी रात के 9:00 बजे से 12:00 बजे तक यह साधना करनी थी ‌। मैं हर रात यह साधना एकांतवास में रहकर करने लगा । ऐसे ही दिन गुजरते गए और 17 दिन बाद मुझे गुलाबों की खुशबू महसूस हुई और पायल की झंकार भी। परंतु स्वामी जी ने मुझे बिना किसी कारण अपनी साधना न तोड़ने का बोला गया था । इसी तरह मुझे 25 वे दिन किसी स्त्री का स्पर्श महसूस हुआ। उसके कोमल हाथ मेरी पीठ पर चलते हुए प्रतीत हुए ।36 वे दिन एक औरत मेरे गोद में आकर बैठ गई, फिर भी मैं अपनी साधना में मगन रहा यह कठिन था । पर मैं अपनी साधना करता रहा इसी तरह 49 दिन रात के 12:00 बजे एक दिव्य प्रकाश मेरी आंखों पर पड़ा । इसके बाद मुझे आवाज आई "स्वामी मैं आपकी साधना से बहुत प्रसन्न हूं कृपया आंखें खोलें " मैंने आंखें खोली तो देखता ही रह गया।

जैसा कि हम सोचते हैं उर्वशी वैसी बिल्कुल नहीं दिखती है उसका शरीर हल्का बैगनी था । जो दिखने में बहुत खूबसूरत लग रहा था । उसके बड़े बड़े नैन मुझे एकटक देखे जा रहे थे । उसके काले घने बाल उसकी गांड तक फैले हुए थे । हवा में लहरा रहे थे उसके लाल सुर्ख बड़े-बड़े होंठ थे। गले में सोने का हार था। गर्दन किसी सारस की भांति पतली और खूबसूरत थी। उसके स्तन बड़े-बड़े चुस्त एवं कसे हुए थे। निप्पल जैसे कोई काला बड़ा अंगूर हो । कमर छरहरी और नाभि में रिंग पहनी थी। उसके उसके स्तन कपड़ों से ढके नहीं थे। सिर्फ निप्पल पर सोने की रिंग थी । जो उसे नाममात्र को ढके थी कमर पर सोने की हार था जो

उसकी चूत को ढके हुए था ।

वह मुझसे फिर से बोली "आप मुझ से डरे नहीं मैं आपसे सिद्ध हो चुकी हूं आप मुझे किस रूप में धारण करना चाहते हैं " स्वामी जी के कहे अनुसार मैंने उससे कहां कि "हे सुंदरी अप्सरा उर्वशी आप मेरी पत्नी रूप में सिद्ध हो और पत्नी रूप में मेरे साथ जिंदगी भर रहे।" वह मुझसे बोली " ठीक है स्वामी मैं आपके साथ पत्नी रूप में बनकर रहूंगी। "वह मेरे पास आकर बैठ गई और हम दोनों धीरे-धीरे बातें करने लगे वह मुझे स्वर्ग की बातें बताने लगी फिर वह मुझसे बोली "क्या इच्छा है मेरे लिए मैं आपके लिए क्या कर सकती हूं।"

मैं हमेशा उसे नाचते हुए देखना चाहता था इसलिए मैंने मेरे लिए नृत्य करने का आदेश दिया.. उसने मुस्कराते हुए कहा, हाँ मेरे भगवान. उसने आनंद के साथ नृत्य करना शुरू कर दिया.. उसका नृत्य इतना मोहक था,उसके कूल्हे हिल रहे थे और उसके स्तन उछल रहे थे उसकी हर चाल.. मेरा लंड मेरी लुंगी में एक बड़ा तंबू बना रहा था.. वह कई बार मेरे पास आई और मैं उसे छू नहीं सका मैंने पूछा कि क्या वह मेरी पत्नी के रूप में मेरी सेवा करेगी और उसने कहा " हाँ मेरे भगवान आप मुझे जैसा चाहो वैसे इस्तेमाल कर सकते हो।"

मैंने कहा कि " मेरे लंड को इंद्र के लंड जितना बड़ा बना दो"...उसने कहा हाँ मेरे स्वामी... और कुछ ही सेकंड में मेरा लंड घोड़े की तरह होने लगा, यह 13 इंच लंबा और 4 इंच चौड़ा हो गया, जिस पर बड़ी-बड़ी नसें दिखाई दे रही थीं । वह मेरे पास आई और मैंने उसकी कमर पकड़ ली... मैं उसकी कमर को चुमना और चाटना शुरू कर दिया...उसकी प्यारी मोहक कराह निकलीआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्् आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्..उसने पीछे से मेरा सिर पकड़ लिया और उसकी कमर पर दबा दिया.. मैंने कमर को चाटा और चूसा उसकी नाभि और उसकी कमर काटने लगा...मैंने उसके बड़ी गाड़ को पकड़ लिया और उसके गाड़ को निचोड़ने लगा..मैं देख सकता था कि वह हमारी संभोग पूर्व क्रीड़ा का आनंद लेने लगी है।

मैंने उसे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया। मैं उसके करीब आया और कहा कि" तुम बहुत सेक्सी हो उर्वर्शी" । मैंने उसके होठों के साथ खेलना शुरू कर दिया, मैंने अपनी उंगली उसके मुंह में डाल दी, उसने मेरी उंगली चूसी फिर मैंरे होंठ उसके लाल होंठों में शामिल हो गए और हम एक दूसरे के होंठ चूसने लगे..मैंने उसके लाल चबाने लगा. उसके होंठ कितने रसीले थे मैं उसे काट रहा था और वह मेरे मुँह में कराहती रही..आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्.

मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली, उसने खुशी-खुशी मेरे अनुरोध को स्वीकार कर लिया.और मैंने उसके रसीले होंठों को अपने दांतों के बीच निचोड़ा और उसके होठों को बाहर की तरफ खींचा... और उसके मुंह से बड़ा कराह निकला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया. हम दोनों की जीभ आपस में लड़ने लगी एक दूसरे की जीभ का स्वाद लेने लगे कभी वह मेरे मुंह के अंदर जीप डालकर मेरे मुंह का रसपान करती कभी मैं दोनों एक दूसरे का रसपान आधे घंटे तक करते रहे हम एक दूसरे मे खोए हुए थे एक दूसरे के शरीर का शरीर के घर्षण का आनंद ले रहे थे.

आगे बढ़ते हुए मैंने उसके कानों को काटना शुरू कर दिया और उसकी बैंगनी गर्दन को चाटने लगा.. मेरी छाती उसके स्तन को निचोड़ रही थी.. मैंने उसके बड़े खुले स्तन की मालिश करते हुए कहा.. मैंने उसकी स्तन दरार को चाटना शुरू कर दिया.. मैं बड़े रसदार गोल गहरे बैंगनी स्तन देख सकता था जिनमें निपल्स एक बड़े रसदार अंगूर की तरह खड़े थे.. मैंने अपनी जीभ को बड़े रसदार निपल्स के चारों ओर लपेट लिया और उसे चूसकर कटा और उर्वशी के मुंह से जोर से कराह निकलीआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्वामी धीरे दर्द होता है

। इसी के साथ मैंने दूसरे स्तन को निचोड़ना शुरू कर दिया... मेरे अंदर जोश की नदियां बहने लगी खून किसी ज्वालामुखी के लावा की तरह प्रतीत होता था.. मेरी सांस गर्म थी और शरीर में आग लग रही थी... अति जोश के साथ मैंने उसके दूसरे निप्पल को काट लिया.. वह जोर से कराह उठी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् और मेरी पीठ पर अपने बड़े बड़े लाल नाखून घुसा दिए. मैं दर्द और खुशी से चिल्ला रहा था ।हमारे शरीर के बीच एक गर्म तूफान चल रहा था जो हम दोनों को आनंद और सेक्स की भूमि में ले जाने की कोशिश कर रहा था..

वह भी अत्यंत जोश में आ चुकी थी वह मुझे अपने ओर खींच रही थी। उसने मेरे कान काटने शुरू कर दिए.. उसने मुझे ऊपर की ओर घसीटा और मुझे जोश के साथ मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया... मुझे उसकी यौन ऊर्जा बढ़ती प्रतीत हूई.. उसने मेरे होंठ, कान को काटा ।..मैं उसके कोमल स्तन को निचोड़ रहा था और उसके निपल्स को खींच रहा था। मैंने उसके निप्पल को अपनी उँगलियों के बीच खींचा और वो मेरे मुँह में कराह उठी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह्

आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हम बहुत खुशी में थे कि सारी दुनिया को भूलकर बस एक दूसरे के शरीर का आनंद लें ...

मैंने फिर से उसके स्तनों को चूमा, उसके स्तन पर काट लिया और उसके निपल्स को अपने दांतों के बीच खींच लिया... वह लगातार मेरी पीठ और मेरी गांड को खरोंच रही थी... उसने मुझे नीचे की ओर धकेला मैं और नीचे गया और उसकी जांघों को चाटने और उसे काटने लगा... फिर उसके पैर को चाटा..फिर मैंने उसे मुड़ने का इशारा किया। और वह पलट गई फिर मैंने उसकी जांघों पर काटना शुरू कर दिया और मैं उसकी बड़ी गोल गांड के पास पहुँच गया... मैंने उसे जोर से थप्पड़ मारा,... वह बहुत अच्छा कराह रही थी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् फिर मैंने चूमा और उसके मोटी मोटी गांड को को काटा और थप्पड़ मार मार कर के मजे लेता रहा।

मैंने उसकी पीठ को पूरी तरह से चाटा, काटा, चूम लिया, उसके कंधे को काटा और मैंने उसके निप्पल पकड़ लिए और उसे चूमा... हम गहरे सेक्स के सागर में डूबे हुए एक दूसरे के शरीर का आनंद ले रहे थे... हम एक-दूसरे को गले लगा रहे थे उसने मेरी लुंगी को निकाल दिया.. और मेरा बड़ा घोड़े जैसा लौडा मुक्त हो गया उसने मेरे लौड़े को पकड़कर सहलाना शुरू कर दिया। उसकी कोमल बड़ी उंगली मेरे लौड़े को पकड़कर मालिश करनी लगी ।.उसने मुझे और अधिक आनंद देने के लिए इसे थोड़ा अपने नाखून से खरोंच दिया... फिर उसने मेरा लंड अपनी जलती हुई गर्म गीली चूत पर रख दिया । जब हम चूम रहे थे तो हम एक दोनों के शरीर आपस में रगड़ने लगे... मेरा लंड उसकी चूत के होठों के बीच रखा हुआ था और हम पागलों की तरह रगड़ रहे थे इस रगड़ और घर्षण से उसकी चूत गीली होने लगी... उसने मेरे बड़े लिंग पर झरने की तरह अपनी चूत का रस चुने लगा।

.. उसने मुझे नीचे धकेल दिया और मैं नीचे गया और उसकी चूत के होठों को अलग कर लिया और उसकी चूत के रस को सूंघा और धीरे-धीरे मालिश करना शुरू कर दिया.. उसके मुंह से जोर से कराह निकली.आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाँ हां स्वामी चाट लो मेरी गर्म चूत को....

फिर मैंने उसे अपनी जीभ से चाटा... मैंने उसकी चूत के होठों पर चूसा और काट लिया और उसकी चूत की मालिश करना शुरू कर दिया। उसकी लेबिया को चाटने लगा और मेरी जीभ को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा... उसने मेरे सिर को उसकी चूत में घुसा दिया... वह अपनी चूत पर मेरी जीभ के काम का आनंद ले रही थी... वह कराह कर बोली "आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हू आह्ह्ह्ह्ह्ह्‌‌ आह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्वामी... किसी ने भी ऐसा नहीं किया है.. ऐसे ही मुझे अपनी जीभ से चोदो खा जाओ मेरी गरम चूत को, पी जाओ मेरे गरम चूत का पानी ऐसा सुख मुझे स्वर्ग में भी ना मिला स्वामी."।

मैंने घूम कर अपना लौड़ा उसके मुंह के पास रख दिया वह हाथों से मेरा लौड़ा सहलाने लगी और हम देखते ही देखते हम 69 की पोजीशन में आ गए... उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी... मैं गहरे आनंद में था और उसकी चूत खा रहा था लगातार । हम दोनों एक दूसरे को खुश कर रहे थे। मैंने अत्यधिक जोश में आकर उसका सिर पकड़ लिया और अपना लंड उसके मुंह के अंदर जोश में धकेलना शुरू कर दिया... मैं अपने 13 इंच के लंड को उसके गहरे अंदर छूते हुए महसूस कर सकता था...

मैं उसके मखमली मुँह और गीले होंठों को अपने बड़े लंड के चारों ओर लिपटा हुआ महसूस कर सकता था मैं अपनी मोटे लौड़े* से उसका मुंह चोद रहा था... और मैं 25 मिनट तक लगातार हम दोनों एक दूसरे को मुंह से चोद रहे थे...वह मेरा लौड़ा बाहर निकाल कर मेरे लोड़े का सर चूसने लगी जैसे कोई लॉलीपॉप हो। और बोली " स्वामी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है मेरी गीली चूत को आपका गरम लौड़ा चाहिए चोद डालिए इस अप्सरा उर्वशी को"।

मैंने अपने लंड को बाहर निकाला जो उसकी लार से गीला था... उसके होंठों को चूमा और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया... उसने हाँ में सिर हिलाया और मैने लंड को उसके अंदर धकेल दिया... उसकी चूत किसी कुंवारी लड़की की तरह कसी हुई थी और उसकी चूत की दीवारों ने लंड को जकड़ लिया जैसे कोई रेशमी मुट्ठी हो। मेरे लौड़े और उसकी चूत की दीवारों का घर्षण शुरू हो गया इस घर्षण से जो सुख प्राप्त हुआ वह अति आनंद देने वाला था मेरा लौड़ा धीरे धीरे उसकी चूत की गहराई में जाने लगा उसने मुझे कस कर पकड़ लिया उसने अपनी टांगों को मेरे गांड पर दबाया अपने नाखूनों को मेरी मेरी पीठ पर घुसा दिया हम दोनों आनंद में तड़पने लगे ।

मेरा 13 इंच का घोड़ा उसकी चूत की गहराई में धीरे-धीरे समाने लगा और अंत में मुझे उसके गर्भ को छूने का अनुभव हुआ वह सुंदरी अप्सरा तड़पने लगी मुझे नोचने लगी मेरा लौड़ा पूरा उसकी चूत के रस से गीला हो चुका था फिर मैंने अपने लौड़े को ऊपर की तरफ खींचा और फिर अंदर धकेला, उसकी सांसे बहुत गर्म हो चुकी थी उसके मुंह से कराने की आवाज आने लगी...आअअअहहहज्ञज्ञज्ञज्ञहहहहह स्वामीआआअअअअइइइइइइहह।

मैंने धीरे धीरे गति बढ़ाने शुरू की अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगा,मैंने उसे गहरा और तेजी से चोदना शुरू कर दिया...मेरा बड़ा मोटा 13 इंच का लंड उसकी चूत के अंदर चुदाई कर रहा था.और उसने अपने बड़े-बड़े नाखून मेरी पीठ पर घुसा दिए और मेरे कान और कंधे पर काटने लगी... दर्द और सुख का अनुभव एक साथ हो रहा था जो अकल्पनीय था उसकी गर्म सांस मेरे होठों को छू रही थी और मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ लगा दिए और उसका रस पान करने लगा इधर मेरा लौड़ा उसकी चूत की चुदाई कर रहा था मैं महसूस कर सकता था कि मेरा लंड उसके गर्भ को छू रहा है...

मैंने उसे गहरी और तेज़ी से चुदाई करते जा रहा था. उसकी चूत किसी भट्टी की तरह गर्म थी मेरा लौड़ा उसकी गर्म और गीली चूत* के अंदर किसी गर्म इंजन के पिस्टन की भांति जो पूरी तरह गीला हो उसकी चूत मे अंदर बाहर होने लगा.. मेरा गर्म पिस्टन उसकी गीली गर्म चूत की दीवारों के अंदर घिस रहा था..

इस गर्म पिस्टन और चूत के दीवारों में जो घर्षण हो रहा था उससे हम दोनों के शरीरों में जोश एवं सुख की तरंगे फैल रही थी।जब भी मैं उसके स्तनों के निप्पलों को अपने दांतों से पकड़ कर ऊपर खींचता उसकी चूत की दीवारें मेरे लौड़े को और तेजी से जकड़ लेती जिससे हम दोनों का आनंद दुगना हो जाता ऐसा मैंने कई बार किया । उसने मुझसे कहा "स्वामी और तेजी से चोदो मेरी चूत फाड़ दीजिए मेरी चूत के चिथड़े उड़ा दीजिए मैं आपके लौड़े का बहुत आनंद ले रही हूं यह सुख तो स्वर्ग लोक में भी ना मिला। स्वामी और तेज। आह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह् स्वामीमममममय"

मेरे लौड़े को उसकी चूत पर मारने से थप थप थप थप की आवाज जोर जोर से पूरे रूम में गूंज रही थी हम दोनों अनंत काम में डूबे हुए थे एक दूसरे की बाहों में एक दूसरे को प्यार कर रहे थे, और इसी तरह 45 मिनट बीत गए परंतु लग रहा था जैसे अभी कुछ ही क्षण पीते हो हम दोनों काम रस में पूरी तरह डूबे हुए पूरी दुनिया भूल कर चुदाई में मस्त थे। हम दोनों का शारीरिक सेक्स देखकर ऐसा प्रतीत होता था जैसे दो जंगली जानवर संभोग कर रहे हो पूरी गुफा चुदाई की आवाज से गुंजायमान था । हम दोनों की आवाज में ऐसी प्रतीत होती थी जैसे सियार रात में ध्वनि करते हैं। रात गहरा रही थी लेकिन हम दोनों का काम संगम अभी तक अपने चरम पर नहीं पहुंचा था, यह धीरे-धीरे चरम सुख की ओर बढ़ता जा रहा था।

मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से बाहर निकाला जो उसकी चूत के रस से पूरी तरह गीला हो चुका था। मैंने अपना लौड़ा निकाल कर उसके मोटी चूचियां वह आपस में दबाया और उसकी चुचियों के बीच में डालकर चूचियां चोदने लगा मेरा लौड़ा उसके मुंह तक पहुंच रहा था उसने अपना मुंह खोल कर ले मेरे लौड़े को अपने मुंह के अंदर ले लिया चुचियों का सख्त भाग और मुंह का साथ मिलने से मेरा लौड़ा और टाइट हो गया मैं चरम सुख में था ऐसा ही 10 मिनट तक चलता रहा मैं जोर-जोर से उसकी चूचियां और मुंह चोद रहा था।

मैंने उसको कुत्तिया बनने का निर्देश दिया वह कुत्तिया पोजीशन में आ गई । मैंने उसकी गांड पर तीन-चार जोर जोर से थप्पड़ मारे उसके मुंह से कराह निकल गई फिर मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में जोर से डाल दिया और जोर जोर से उसकी चूत मारने लगा फट फट फट फट फट की आवाज पूरी गुफा में गूंज रही थी हम दोनों किसी दो जंगली शेरों की तरह चुदाई कर रहे थे

मैंने अपना लौड़ा निकाल कर उसकी गांड के छेद पर हटा दिया और धीरे-धीरे मेरा लौड़ा उसकी उसकी गांड में जाने लगा वह जोर से चिल्लाई आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्‌ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ब् और स्वामी ऐसा मत करिए बहुत दर्द होगा कभी किसी ने नहीं किया, पर मैं रुका नहीं मैंने उसकी गांड में अंदर तक अपना लौड़ा डाल दिया और उसकी गांड मारने लगा गांड चूत* से भी ज्यादा टाइट थी और अति आनंद आने लगा

मैंने हाथ डालकर उसकी चूचियां और निप्पल भी दबाने लगा कुछ देर बाद वह भी इसका आनंद लेने लगी और कहने लगी स्वामी ऐसे ही मेरी गांड मारो इस कुंवारी गांड आपके लिए ही अभी तक बची हुई थी मेरी गांड मार लीजिए स्वामी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ब्ब आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ब्ब मुझे बहुत मजा आ रहा है स्वर्ग लोक में किसी ने ना मारी, आप गांड फाड़ दीजिए मेरी सुख से अभी तक मैं अनजान थी आप मुझे इस सुख के बारे में और बतलाइए और सिखाइए।

3 घंटे से ज्यादा बीत चुके थे मैंने अपना लौड़ा उसकी गांड से बाहर निकाला और नीचे लेट गया, मैंने उससे कहा मैं बहुत देर से तुम्हारी जुदाई कर रहा हूं अब तुम मेरा साथ दो और मेरे ऊपर आकर मेरे लौड़े की सवारी करो वह समझ गई कि मैं किस पोजीशन की बात कर रहा हूं बस उठी और आप मेरे लोड़े पर आकर अपनी चूत को लगाया और मेरी मेरे लौड़े की सवारी जोर से करने लगी मैंने उसकी चूचियां अपने हाथ में लेकर निप्पल को बाहर किसने खींचा हम दोनों अति आनंद में चुदाई कर रहे थे वह किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे लौड़े की सवारी करती थी और अति आनंद का सुख दे रही थी हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे मैंने उससे कहा कि मेरा वीर्य निकलने वाला है वह बोली स्वामी मै भी चरम सुख के पास है और मेरा भी पानी निकलने वाला है

मैंने उसे वापस बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत और लौड़ा जोर से डालकर उसे और जोर जोर से चोदने लगा हम दोनों ही चरम सुख की तरफ बढ़ रहे थे मैं उसे किस करने लगा और उसकी चूत जोर-जोर से मारने लगा और हर 10 मिनट बाद मुझे मुझे लौड़े पर गर्म लावा बहता सा महसूस हुआ, मैंने उससे कहा मेरा वीर्य निकलने वाला है वह बोली आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ब्बआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ब्ब मेरा भी पानी छूटने वाला है मेरी चूत के अंदर अपना सारा वीर्य निकाल

हम दोनों एक साथ चरम सुख को प्राप्त हुए मेरा वीर्य उसकी चूत के अंदर बहने लगा और उसका पानी भी छूट गया मेरा वीर और उसकी चूत का पानी मिक्स होकर उसकी जांघों से होकर नीचे बहने लगा हम दोनों चरम सुख को प्राप्त हुए दोनों एक दूसरे की बाहों में डाले हुए थे 4 घंटे की संभोग क्रिया के बाद हम दोनों चरम सुख में थे मेरा लौड़ा अभी भी उसकी चूत के अंदर पड़ा हुआ था और मेरा शरीर उसके शरीर पर चिपका हुआ था हम दोनों पसीने से तरबतर निडाल पड़े थे मैंने उसे प्यार से किस किया और किस करता रहा फिर हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।

सुबह नींद खुली तो वह जा चुकी थी। स्वामी जी ने बताया था अप्सरा को जब चाहे बुला सकते हो ।मैं वहां से तैयार होकर वापस स्वामी जी के पास आया और उन्हें सारी बात बताई कि कैसे मैंने उर्वशी को साध लिया है। बाद में मैं वापस दिल्ली आ गया और उर्वशी अप्सरा के प्रभाव से मैंने अपना खुद का बिजनेस खोल लिया और एक बड़ी कंपनी का मालिक बन गया जब भी मेरा सेक्स करने का मन होता है मैं उर्वशी को बुला लेता हूं वह मेरी पत्नी रूप में बहुत सेवा करती है जिनको भी उर्वशी साधना के बारे में पता करना मुझे संपर्क कर सकते हैं मैं उन्हें पूरी विधि बता दूंगा धन्यवाद यह स्टोरी सत्य है मैं अपने और भी अनुभव अन्य स्टोरी ओं में शेयर करूंगा सजेशन के लिए मैसेज करें धन्यवाद।

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Neal and Tara Ch. 01 Neal meets his friend's mother; their sexual journey starts.in Mature
Indian Mom's Mid-Life Crises Ch. 01 A married, Indian, mom of two rediscovers life's offerings.in Incest/Taboo
Indian Wife Helps Husband's Friend Pretty wife's attempts to play cupid misfire.in NonConsent/Reluctance
Midnight Tryst with Sunita Midnight adventure with my best friend's mom.in Mature
Mallu MILF Asha A faithful Indian mother is corrupted.in Incest/Taboo
More Stories