शबाना की चुदाई

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फिर हम दोनों ने अगले आधे घंटे में दो-दो पैग खींच दिये और यहाँ वहाँ की आम बातें की… जैसे तेरा सलवार सूट बहुत खूबसूरत है कहाँ से लिया...! कौन सी फिल्म देखी वगैरह-वगैरह! इस दौरान उसकी बातों से मुझे एहसास हुआ कि वो भी अपने शौहर से खुश नहीं है। उसके शौहर की भी सरकारी नौकरी है और मेरे शौहर असलम की तरह ही उसे भी अपनी हसीन बीवी की कोई कद्र नहीं है। मैंने भी अपने शौहर के बारे में इशारे से बताया लेकिन हिंदू मर्दों से अपने नाजायज़ ताल्लुकात का बिल्कुल ज़िक्र नहीं किया। एक बार उसने मेरे सैंडलों की तारीफ करते हुए पूछा कि “कहाँ से लिये” तो मेरे मुँह से निकलते-निकलते रह गया कि “ये तो मेरे आशिक ने तोहफे में दिये हैं।” मैंने उस दिन भी बलराम से मिले पचासियों जोड़ी सैंडलों में से एक जोड़ी पहन रखे थे।

मीठा-मीठा सा नशा छाने लगा था। शराब का तीसरा पैग पीते हुए नाज़िया कुछ मचलते हुए अंदाज़ में बोली, “शब्बो! एक बात बता! जब रास्ते में उस हिंदू लड़के ने गाली दी तो तुझे कैसा लगा?” मैंने कहा “हट बे-हया! बड़ी शोख हो गयी है तू!” इतना सुनते ही वो बोली, “मैं सब जानती हूँ। तेरे जज़्बात मैं वहीं समझ गयी थी!” फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, “जल्दी से पी और चल ऊपर चल शब्बो जान!” हमने अपने गिलास खाली किये और फिर वो मुझे ऊपर ले गयी और ऊपर ले जाकर उसने पीछे वाली खिड़की खोली। हाय अल्लाह ये क्या? नीचे तो एक दंगल जिमखाना था जहाँ कुछ चार लोग वरज़िश कर रहे थे। नंगे वरज़िशी पहलवान जिस्मों पर छोटी सी लंगोटी! मैंने नाज़िया को शर्मीले अंदाज़ में कहा, “ऊफ़्फ़ तौबा! ये क्या दिखा रही है कमबख्त?” नाज़िया ने शरारत से कहा, “तो फिर ये तेरी बिल्ली जैसी भूरी आँखों में चमक क्यों आ गयी शब्बो... इन नंगे हिंदू मर्दों के जिस्म देख कर?”

इतने में वरज़िश करते हुए एक पहलवान ने ऊपर देखते हुए इशारे से नाज़िया से पूछा कि “ये कौन है?” नाज़िया ने थोड़ा चिल्ला कर कहा, “मुस्लिम चूत!” और हंस पड़ी। मुझे भी उसकी इस शरारत से हंसी आ गयी। शराब का नशा अब पहले से तेज़ होने लगा था। मैंने नाज़िया को देखते हुए हंस कर कहा, “तू ना जितनी शर्मीली थी कॉलेज में उतनी बे-हया हो गयी है!” “क्या करूँ? अगर शौहर मेरे शौहर जैसा हो तो बे-हया होना लाज़मी है!” नाज़िया ने मेरी तरफ आँख मारते हुए कहा और सीने से ओढ़नी हटा कर अपनी मुस्लिमा चूचियों को उभार कर बोली, “वो मेरा हिंदू चोदू है शब्बो!” और इशारे से एक चुम्मा उसकी तरफ़ किया। मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरी सहेली भी मेरी तरह हिंदू अनकटे लंड की दिवानी है और उसके हिंदू मर्द से नाजायज़ ताल्लुकात हैं। मैंने फिर खिड़की से देखा तो उफ़्फ़ अल्लाह ये क्या... उस हिंदू पहलवान मर्द ने अपनी लंगोटी से अपना हिंदू त्रिशूल निकाला हुआ था और उसने जान कर उसे खड़ा नहीं किया था। एक लम्बा सा मोटा हिंदू लंड नीचे लटका हुआ था। मेरी मुस्लिम हिजाबी आँखें उसके हिंदू नंगे अनकटे लंड को हवस से देख रही थीं। नाप में बिल्कुल बलराम के लंड की तरह था लेकिन थोड़ा सांवला था।

अब नाज़िया ने उसको इशारे से कहा कि अपना हिंदू लंड खड़ा करे। वो मुस्कुराया और फिर नाज़िया को अपनी मुस्लिम चूची बाहर निकालने का इशारा किया। नाज़िया ने अपनी गहरे गले की कमीज़ में हाथ डाला और अपना गोरा बड़ा मुस्लिम मम्मा बाहर निकाला और फिर नाज़िया ने शरारत से उसे सलाम किया। वो भी बड़ा बदमाश था उसने सलाम करते हुए अपने हिंदू लंड की तरफ़ इशारा किया कि इसको सलाम कर! उसने अपने हिंदू लंड को काबू में रखा था और उसे उठने नहीं दिया और फिर इशारे से नाज़िया को नीचे दंगल में आने को कहा।

मैंने नाज़िया की तरफ़ देखा तो उसने आँख मारते हुए कहा, “चल असलम कटवे की मुस्लिमा बीवी! आज तुझे अपने हिंदू यार के लंड के नज़ारे दिखाती हूँ !” मैंने भी नाज़िया का मुस्लिम चूतड़ दबाया और कहा, “अभी जो आया था ना वो तेरा कटवा शौहर... वो तो तेरी हसीन मुस्लिम चूत देखने के भी काबिल नहीं है नाज़ू!” हम दोनों हंसते हुए नीचे हॉल में गये और जल्दी से एक-एक पैग और खींचा। फिर हम अपने-अपने सैंडल के अलावा सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयीं। नाज़िया ने मेरी नंगी मुस्लिम चूचियों को दबाया और बोली, “माशा अल्लाह शबाना इज़्ज़त शरीफ रंडी जी! हिंदू मर्दों के लिये कैसे खुशी से तेरी मुस्लिमा चूचियाँ कैसे सख्त हो गयी हैं।” फिर हमने अपना अपना बुऱका पहना। सिर्फ बुऱका और ऊँची-ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने फिर हम दोनों पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल कर हिंदू दंगल के मैदान में दाखिल हो गयीं। नशे की खुमारी में हम दोनों के कदम ज़रा से डगमगा रहे थे।

दंगल के मैदान से गुज़र कर हम अंदर गये जहाँ लंगोटी बाँधे चार नंगे हिंदू मर्द मौजूद थे, जिनके वरज़िशी जिस्म हमारे हिजाबी जिस्मों को जैसे प्यार से चोदने के लिये बेताब थे। अंदर आते ही नाज़िया झटके से अपनी नकाब हटाकर जल्दी जल्दी चारों हिंदू पहलवानों को सलाम-सलाम कहते हुए अपने आशिक से जाकर लिपट गयी जिसने पहले से ही अपने लंगोट से अपना हिंदू त्रिशूल लटकाया हुआ था। ये देख कर मेरी बुऱके में छुपी नंगी मुस्लिम चूत भी जोश खाने लगी। करीब एक महीने से हिंदू लंड के लिये तरस रही थी मेरी रंडी मुस्लिम चूत। जैसे ही मैंने बाकी तीन हिंदू पहलवानों को देखा तो उफ़्फ़ अल्लाह! ये क्या? इन हिंदू मर्दों ने भी अपने-अपने हिंदू त्रिशूल निकाल लिये थे और तीनों मर्दों के अनकटे बड़े-बड़े लौड़े खड़े हुए फनफना रहे थे। तीनों के लंड करीब दस से बारह इंच लंबे और मोटे थे। उनमें से एक ने अपने कड़क हिंदू लंड को सहलाते हुए मुझे सलाम किया और कहा “मुस्लिम लौंडिया ज़रा अपने चेहरे से हिजाब हटा! देखें तो सही बुऱके में छुपा हुआ माल कैसा है!”

मैंने मुस्लिमा अंदाज़ में अपने चेहरे से नकाब हटाया। “राम कसम! साली हिजाबी राँड मस्त है...!” मेरी भूरी आँखें और हसीन खूबसूरत चेहरा देख कर सबके हिंदू लंड और कड़क हो गये। एक हिंदू मर्द मेरे पास आया और मेरे बुऱके में छुपे गोल मुस्लिम मम्मे को हल्के से मार कर बोला, “साली मस्त कटवी है तू हिजाबी राँड!” उसके मारते ही मेरे मुँह से सिसकी निकली और मैंने शोखी भरे अंदाज़ में कहा, “उफ़्फ़ आहिस्ता से हिंदू पहलवान जी! आपका नाम क्या है?” लेकिन उसे ठीक से सुनाई नहीं दिया। उसने मेरे पीछे हाथ डाल कर मेरे मुस्लिमा चूतड़ों को ज़ोर से दबाया और बोला, “ज़रा ऊँचा बोल मेरी मुल्लनी रंडी जान!” मैंने फिर उसके होंठों के पास होंठ रखते हुए कहा, “आपका नाम क्या है गरम हिंदू पहलवान मर्द जी?”

उसने जोश में मेरा एक मुस्लिम चूतड़ और एक हिजाबी मम्मे को ज़ोर से दबाते हुए कहा, “किशन नाम है मेरा... साली गरम मुस्लिम रंडी!” और फिर मेरे मुस्लिम सुर्ख होंठों पर अपने हिंदू होंठ रख दिये। उफ़्फ़ अल्लाह! मेरे होंठ गरम थे और उसके भी। मैं आँखें बंद करके जोश में उसके होंठों को चूस रही थी। मेरा मुस्लिम हाथ उसके हिंदू अनकटे लंड की तरफ़ बड़ा और उसके हिंदू त्रिशूल को पकड़ते ही मेरी आँखें हैरत से खुल गयी। तौबा! ये क्या! इतना गरम और सख्त हिंदू लंड! वो समझ गया। उसने अपने हिंदू होंठ मेरे होंठों से हटाये और बोला, “लौंडिया ये कटवा मुलायम लंड नहीं है... ये मेरा कट्टर हिंदू त्रिशूल है साली!”

नाज़िया जो मेरे बिल्कुल करीब ही बैठी थी अपने आशिक के लंड को पकड़ कर मेरी तरफ़ देखते हुए बोली, “शबाना देख ये मेरा धगड़ा चोदू विजय शिंदे है” और फिर अपना पाकिज़ा मुँह खोल कर विजय का बड़ा सा लंड चूसने लगी। देखते ही देखते विजय शिंदे का अनकटा हिंदू मोटा लंड मेरी सहेली नाज़िया के मुस्लिमा मुँह में और बड़ा हो गया। नाज़िया मस्ती से उसे चूसने लगी और विजय की तरफ़ देख कर बोली, “मेरी चिकनी मुसल्ली गरम चूत को अपने हिंदू त्रिशूल लंड से चोद डालो मेरे हिंदू सनम!” और फिर से उसके लंड पर टूट पड़ी और लंड चूसते हुए उसने मेरी गाँड पर मार कर कहा, “मेरी शबाना जान! देख क्या रही है जल्दी से किशन की हिंदू मुरली अपने मुस्लिम मुँह में लेकर बजाना शुरू कर!”

मैं हंस पड़ी और किशन का लंड पकड़ कर नाज़िया से बोली, “चुप कर हिजाबी रंडी! पहले खुद अच्छे से विजय जी का शिवलिंग तो चूस कमबख्त!” मैं घुटने टेक कर बैठ गयी और किशान का एक फुटा लौड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी। बलराम का लौड़ा भी ऐसा ही अज़ीम था इसलिये किशन का लौड़ा भी मज़े से अपने मुँह में ठूँस कर चूस रही थी। मेरे पीछे खड़े हुए दूसरे हिंदू मर्द ने ज़ोर से मेरे चूतड़ पर मारा। जैसे ही मैं उफ़्फ़ करते हुए पलटी उसने मेरी मुस्लिमा चूची पकड़ ली और बोला, “साली कटल्ली लौंडिया! किशन की मुरली ही बजाती रहेगी या रवि लोहिया का लोहा भी चूसेगी।” मैंने रवि की तरफ़ देखा और किशन की मुरली की तरफ़ बुऱके वाली गाँड करके रवि का लोहे जैसा लंड चूसने लगी। पीछे से किशन ने मेरा बुऱका उठा कर मेरी मुस्लिम गाँड नंगी कर दी। उधर विजय शिंदे नाज़िया के बाल पकड़ कर अपना हिंदू लंड उसके मुँह में चोद रहा था और चौथा हिंदू जिसका नाम विशाल था, उसने नाज़िया का बुऱका खोलना शुरू किया। बुऱका उतरते ही नाज़िया बिल्कुल नंगी हो गयी और विजय शिंदे के लंड को लगातार चूसती रही। उसके जिस्म पर अब ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल के अलावा और कुछ नहीं था।
इधर मैंने रवि के लंड को चूसते हुए अपनी नंगी मुसल्ली गाँड किशन की तरफ़ की हुई थी। नाज़िया ने विजय का लंड मुँह से निकल कर कहा, “शब्बो जान! बोल दूँ इन हिंदू मर्दों को कि तू मदरसे की उसतानी है।”

ये सुनते ही किशन जिसके सामने मेरी गाँड कुत्तिया बनी हुई थी, उसने पीछे से मेरी चूत को अपनी उंगलियों से पकड़ कर कहा, “हाँ साली रंडी नाज़िया तूने ठीक कहा… इसके होंठ भी गरम थे और राम कसम साली मुल्लनी की चूत भी गरम है!” फिर सवालिया अंदाज़ में किशन ने मुझसे पूछा, “साली राँड! हिजाब में छेहरा छुपा कर बच्चों को सबक सिखाने की बजाय अगर तू इस तरह शराब पी कर अपनी चूत खोल कर फिरेगी तो ठीक नहीं रहेगा?” मैंने तंज़िया अंदाज़ में कहा, “ये सवाल मुझसे पूछ रहे हो या मेरी कुत्तिया बनी मुस्लिम चूत से मेरे किशन कनहैया!” इस पर सब हंस पड़े और मैं भी हंस रही थी कि अचानक किशन ने अपनी गरम हिंदू मुरली मेरी मुस्लिमा चूत में ज़ोर से झटके के साथ घुसेड़ दी! “उफ़्फ़ अल्लाहहऽऽऽ,, मर गयीऽऽऽ कमबख्त नाज़ूऽऽ मेरी चूत फट गयीऽऽऽ, अल्लाहऽऽऽ प्लीज़ किशन निकालो! तुम्हारा ये अनकटा त्रिशूल मेरी चूत फाड़ रहा हैऽऽ उफ़्फ़ निकालो!”

नाज़िया ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी, “अब क्या हुआ हसीन शब्बो! तेरी खूबसूरती पर मरने वाले मुल्ले कटवे तो अब शरम से झुक जायेंगे कि तूने अपनी मुसल्ली चूत किशन के लंड से चुदाई है!” मैंने हल्के गुस्से से कहा, “चुप कर कुत्तिया रंडी! मेरी चूत में मूसल घुसा है और तुझे हरामी कटवों की पड़ी है?” मैं बोल ही रही थी कि विशाल ने नाज़िया की गाँड में दमदार लंड घुसेड़ कर कहा, “ज़रा अब बता कि तू क्या करेगी जब कटवे मुल्ले तेरी गाँड चुदने की बात सुनेंगे?” नाज़िया चिल्ला उठी, “उफफफऽऽऽ विशाआऽऽल धगड़े चोदू! मेरी गाँड में मूसल घुसेड़ ही दिया तुमने ना!” जैसे ही नाज़िया का मुँह खुला, विजय ने अपना हिंदू लंड उसके मुँह में डाल कर कहा, “बज़ार में ऊँची सैंडल पहन कर अपनी गाँड मटका-मटका कर और चूची उछाल कर हमारे हिंदू लंड को इसी लिये तो गरम करती है तुम मुल्लियाँ कि हम तुम्हारी मुस्लिम गाँड और चिकनी छिनाल चूत मारें! है ना मेरी नाज़िया जान?” नाज़िया ने मुँह में से लंड निकाला फिर अपनी ज़ुबान बाहर करके विजय शिंदे के गेंदों की थैली से चाटती हुई लंड के गुलाबी टोपे तक ज़ुबान फेर कर बोली, “हम बज़ार में इसलिये अपनी गाँड मटकाती और मुस्लिम चूचियाँ उछालती हैं ताकि तुम जैसे गरम मर्दाना हिंदू धगड़े हमारी चिकनी मखमली मुल्लनी चूत को चोद कर हमारी प्यास बुझायें... मेरे हिंदू सनम!”

वहाँ नाज़ू की मुस्लिम गाँड विशाल अपने हिंदू लंड से चोद रहा था और यहाँ किशन मेरी मुसिल्मा चूत को चीर कर अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था। मैं रवि लोहिया का काला लंड चूस रही थी और उसके हिंदू लंड की झाँटों के बाल मेरे सुर्ख मुस्लिम होंठों पे बिखरे हुए थे जैसे मेरे होंठों को सहला रहे हों। रवि अब मेरे सामने लेट गया और मैं झुक कर उसका लंड चूसने लगी। मेरे बुऱके से दोनों मुस्लिम चूचियाँ बाहर निकल कर लटक रही थी। विजय शिंदे जो नाज़िया का मुँह चोद रहा था, उसने झुक कर मेरी मुस्लिम चूची को पकड़ लिया। मैंने विजय की तरफ़ देखा तो उसने मेरी चूची को दबाते हुए कहा, “राँड! कैसा लग रहा है अपना हिजाबी मम्मा मेरे हिंदू हाथों से मसलवाते हुए?” मैंने रवि का लंड मुँह में से निकाला और विजय के हाथ पे हाथ रख कर अपनी मुस्लिम चूची को और दबवाया और बोली, “मेरा शौहर असलम... कमबख्त दोनों हाथ से भी दबाता है मेरी मुस्लिम चूची तो ऐसी मर्दानगी नहीं ज़ाहिर होती विजय जी!” इधर रवि लोहिया ने फिर से मेरे मुसल्ली मुँह में लंड घुसेड़ते हुए दूसरे हाथ से नाज़िया की लटकती चूची पकड़ ली और दबाने लगा। अब विशाल नाज़िया की चोदू गाँड पर ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा और यहाँ मेरी कुत्तिया बनी मुस्लिम चूत को किशन भी ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।

चुदाई ज़ोर पकड़ने लगी और हम दोनों मुसल्लियों के मुँह से हाय अल्लाह। उफफ अल्लाह! निकलने लगा। इधर रवि लोहिया मेरे बाल पकड़ कर अपने लंड को ऐसे मेरा मुँह चोदने लगा कि जैसे पानी निकालने वाला हो। उधर विजय भी मेरी मुस्लिम चूची दबाते हुए नाज़िया के प्यारे मुस्लिम मुँह में ऐसे ही लंड चोदने लगा कि पानी निकालने वाला हो। इधर मेरी मुस्लिम चूत उधर नाज़िया की मुस्लिम गाँड ज़ोर से चोदी जा रही थी। फिर चारों मर्दौ ने एक दूसरे को इशारा किया और हम दोनों को तंज़िया अंदाज़ में कहा, “प्यारी मुल्लनी रंडी शबाना और हिजाबी रंडी नाज़िया! अब तैयार हो जाओ हमारे हिंदू त्रिशूलों से मलाई की धार तुम दोनों राँडों के मुँह , चूत और गाँड में छूटने वाली है।” मैंने रवि लोहिया का तमाम लंड अपने हलक तक अंदर ले लिया और उसके हिंदू लंड के बाल मेरी नाक में घुस गये। पीछे से किशन ने अपना पूरा लंड बाहर निकाला और मुझे गाली देते हुए फिर से ज़ोर के एक झटके से अंदर दाखिल हो गया, “हिजाबी राँड!!” कहते हुए किशन के लंड से एक तेज़ धार मेरी मुल्लनी चूत में महसूस हुई। अभी मैं चूत में किशान की मलाई महसूस ही कर रही थी कि मेरे मुँह में रवि लोहिया के लोहे जैसे लण्ड से मलाई की धार फूट पड़ी। मैं भी जोशिले अंदाज़ में रवि के लंड को ज़ोर से चूसने लगी और उसका हिंदू त्रिशूल लंड मेरे थूक और उसकी हिंदू मलाई से तरबतर हो गया।

उधर मेरी नज़र नाज़िया की तरफ़ गयी। उफफ उसकी आँखें भी बस मेरी तरफ़ देख रही थीं और विजय शिंदे का लंड भी मलाई से भरा हुआ था। विजय शिंदे का मोटा लंड मुँह में भरा होने की वजह से नाज़िया के मुँह से कम ही आवाज़ आ रही थी। मैंने नाज़िया की गाँड की तरफ़ देखा तो विशाल जो नाज़ू की मुसल्ली गाँड चोद रह था, वो भी जोशिले अंदाज़ में आखिरी मरहले में था और उसके अज़ीम त्रिशूल से भी पानी निकल रहा था शायद। इधर किशन ने लगातार कुछ देर झटके मारते हुए अपने धार्मिक लंड से सारा पानी मेरी मुस्लिम चूत में भर दिया और गाँड को सहलाने लगा। चारों हिंदू मर्दों ने अपना-अपना पानी हमारी हमारे छेदों में भर दिया और लंड निकाल कर खड़े हो गये।
हम दोनों नंगी मुस्लिम मस्तानी हिजाबी औरतें उन चार जवान वरज़िशी पहलवान मर्दों के बीच बस ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी ज़मीन पर बैठी हुई थीं। अब उन्होंने हमारे नकाब हमारे हाथ में देकर कहा, “ज़रा अब इन नकाबों से हमारे जवान गदाधारी हिंदू लौड़ों को साफ़ करो हमारी रखैलों!” हम दोनों ने नंगे जिस्मों पर सिर्फ़ नकाब पहना और चारों का लंड नकाब से समेट कर मुँह में लेकर साफ़ किया। चारों ने फिर लंगोट बाँधे और हमारे बुऱके हाथ में दिये और कहा “अब ऐसे ही सिर्फ नकाब और सैंडल पहन कर नंगी रंडी बनकर दोनों हिंदू दंगल से अपने घर जाओगी।” फिर चारों ने हमारे तरफ़ बारी-बारी देखते हुए कहा, “खुदा हाफ़िज़ छिनाल मुल्लनियों! तुम्हारी छिनाल चूत और गाँड हमेशा हमारी रखैल रहेंगी।” फिर हम दोनों ने भी शरारत से वैसे ही नकाब पहने और दंगल के दरवाजे से पहले बाहर झाँका लेकिन कोई नहीं था। नशे की खुमारी अब तक बरकरार थी और ऊँची पेंसिल हील की सैंडलों में डगमगाते हुए जितना तेज़ हो सकता था हम अपनी मुस्लिम चूचियाँ उछालती और गाँड मटकाती हुई अपने घर में आ गयी।

मेरी चूत और नाज़िया की गाँड में से गाढ़ी हिंदू मलाई बाहर बह रही थी। हमने शराब का एक-एक पैग खींचा और फिर मैं नाज़िया से खुशी से लिपट गयी और बोली, “नाज़ू छिनाल तूने सच में आज मेरी उस्तानी चूत को बहुत मज़े दिलवाये... मेरी रंडी सहेली.. जब से इस शहर में आयी हूँ.... ऐसी चुदाई के लिये तरस गयी थी।” नाज़िया भी अपनी मुस्लिम चूची मेरी चूची से चिपकाते हुए गले लगी और बोली, “रंडी शब्बो आज तूने भी मेरे साथ आकर मेरी मुसल्ली गाँड को और मज़े से चुदवाने का मौका दिया!”

“तो क्या तूने आज से पहले कभी गाँड नहीं चुदवायी थी…?” मैंने हैरत से पूछा तो नाज़िया बोली, “तो तुझे बहुत तजुर्बा है क्या गाँड मरवाने का? तेरा कटवा शौहर तेरी गाँड चोदता है क्या?” “उस नामर्द से तो मेरी चूत भी नहीं चोदी जाती गाँड क्या खाक मारेगा!” मैं बोली और फिर मैंने उसे रमेश और बलराम से अपनी चुदाई के बारे में बताया। इसी दौरान नाज़िया मेरे होंठों पर अपने होंठ रख कर चूमते हुए मेरी चूचियाँ दबाने लगी। किसी औरत के साथ ये मेरा पहला मौका था। फिर उसने मेरी चूत चाट कर साफ की और मैंने उसकी गाँड अपनी ज़ुबान से साफ की।

अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने कहा, “जा आ गया तेरा ढीला कटवा शौहर!” नाज़ू हंसती हुई बोली, “आज इसके लंड पर सोते हुए पैर रख कर ज़ोर से सैंडल की हील घुसेड़ दुँगी... फिर किस्सा तमाम!” हम दोनों ज़ोर से हंसने लगी। उस दिन के बाद तो मैं हर रोज़ मदरसे से लौटते हुए नाज़िया के घर के पीछे दंगल में पहुँच जाती और उन चारों हिंदू मर्दों से खूब चुदवा-चुदवा कर घर वापस आती। कईं बार अगर नाज़िया मेरे साथ नहीं होती तो भी मैं अकेली उन चारों मर्दों से एक साथ रंडी की तरह चुदवाती और उनका पेशाब भी पीती।

  • COMMENTS
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16 Comments
AnonymousAnonymous3 months ago

Supb aur likho

AnonymousAnonymous5 months ago

helllo

AnonymousAnonymous5 months ago

hello

AnonymousAnonymousover 1 year ago

Hiii

AnonymousAnonymousover 1 year ago

Waiting for new story sabana

AnonymousAnonymousover 1 year ago

Mujhe bhi de de hindu hindu ko hi degi

Mast hai mere liye

RashedasheikhRashedasheikhover 1 year ago

Haa ghar bulana hai apko koi dikkat

AnonymousAnonymousover 1 year ago

Mast

AnonymousAnonymousover 2 years ago

email ID kyu de rahi ho Rasheda Sheikh? Ghar bilana hai kya?

Tahira Amin

AnonymousAnonymousabout 4 years ago
proud of being mulla

dusre mullo ki trah meri bhi lulli kati hui hai aur chhoti hai bahut lkn mai18 saal ki bahan Afifa ko chhu kr Bahut maza leta hu... Bahut achhi kahani hai ..pura padhne se pahle hi meri kati lulli ka pani gir jata hai..mujhe to lgta hai agar isi tarah se hamari mulli bahne hindu se chudwati rhengi to hum mulle cuck bn jyenge...sach kahun to khhud chodne se zyda maza muslimah ladki ko Hindu se chudware dekhneein ata hai ..chahe wo humarai apni muslimah biwi ya bahan kyu na ho...agar Sahi lgi baat to zrur btayega maip pe

akbaralifaisal@gmail.com

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