Wife in Training

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Wife recalls her merciless sexual training.
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बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर मैंने जल्दी जल्दी झांटो पे शेविंग क्रीम लगाई। दराज़ से रेजर निकाला … ज़मीन पर बैठ कर बहुत ध्यान से बाल साफ़ करने लगी. स्टेशन से मेरे शौहर घर आ चुके थे. मुंबई में तिवारी से मिल कर आए हैं. वहां रहने वाला उनका बिगड़ैल यार. शराब पीना एक तरफ, गांजा भी फूंकना सीखा दिया तिवारी ने इनको। नशे मे मेरा क्या करेंगे पता नहीं, लेकिन अगर झांट पर बाल हुए तो मेरी गांड मार देंगे. पहले गलती की सज़ा ले चुकी हुँ.

रेजर धो कर झटपट नहा लिया. बदन पर हल्का तेल मलने लगी … सर्दी मे खाल खुश्क हो जाती है. गाउन पेहेन कर बिस्तर पर बैठ गयी. अभी कमरे के अंदर नहीं आये - बाहर से टीवी के आवाज़ आ रही थी. इंतज़ार करते करते निकाह के रात याद आ गयी.

अम्मी ने बताया था कि निकाह की रात शौहर को हर बात की इजाज़त होती है। फिल्मो में देखा था कि आहिस्ता से, मोहब्बत से चेहरे से दुपट्टा सरकाया जाता है. हलके हाथ से सहलाया जाता है. झुकी आँखों मे ही गाल धीमें से चूमा जाता है. पर मेरी सुहाग रात पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.

अम्मी अब्बु ने अलीगढ के कान्वेंट में पढ़ाया, सब बुरी आदतों से दूर रखा, लड़कों से कभी बात भी नहीं करने दी और अठारह साल की होते ही ब्याह कर दिया।

अम्मी ने दो गोली दीं … एक दर्द के लिए और एक गर्भ निरोधक। बोलीं शादी होते ही बच्चे कर लिए तो शौहर बदन की भूख बाहर की औरतों के साथ मिटायेगा। मुझे कुछ समझ नहीं आया. सहेलियों में भी किसी का निकाह नहीं हुआ था. जब रश्मि के भाई की शादी हुई थी तो उसने भाई भाभी के कमरे के आवाज़ों की नक़ल कर के हमें खूब हंसाया था.

निकाह से पहले मैं और मेरे मंगेतर एक ही बार मिले थे. मेरे होने वाले शौहर ने मुझे होंठों पे चूमने की कोशिश की थी। मेरे मना करने पर मेरे बाल पकड़ कर मेरे होंठो को ज़ोर से काट लिया था. मैं रोने लगी थी तो उन्होंने आइस क्रीम दिलवाई थी और सॉरी बोला था. मना किया की घर पर कुछ बोला तो बेइज़्ज़त कर के सगाई तोड़ देंगे. मुझे क्या पता था कि यह सिर्फ ट्रेलर है … निकाह की रात, शादी का घर मेहमानो से भरा था लेकिन इन को मेरी चीखों की कोई परवाह नहीं थी. दरवाज़ा बंद करते ही अपनी शेरवानी खोलने लगे. पायजामा खोल कर बिस्तर की तरफ आने लगे. मेरा कलेजा मुँह में था … मैंने कभी किसी मर्द को इस तरह बिना कपड़ो के नहीं देखा था … मैं बेड के किनारे बैठी थी और ये सामने खड़े हुए थे.

अंडरवियर नीचे कर के बोले 'चल, चूस!'

मैंने सहम कर आँखे कस के बंद कर ली थी - प्लीज ये आप क्या कर रहे हैं!

इनकी आवाज़ सुनाई दी - "ये लौड़ा है … चूस के मोटा कर दे तभी तो तेरी नथ उतारूंगा"

मेरी घिग्घी बंध गयी थी. आँखें बंद थी और शर्म के मारे कान गर्म हो गए थे. मैंने ना में सर हिलाया तो एक कस के झापड़ रसीद हुआ था. मेरी चीख निकल गयी। मुँह खुला तो शौहर ने लौड़ा घुसा दिया। चेहरा दोनों ओर से पकड़ कर हिलने नहीं दिया .... ''चूस मेरी रानी - तुझे प्यार करना सिखाऊंगा''. मैंने डर के मारे मुँह बंद करना चाहा .... पर इन्होने उंगलिया डाल कर होंठ खोल दिए. मेरे हाथ मेरे सर के ऊपर पकड़ लिए और आगे पीछे होने लगे. इनका लौड़ा मेरे मुँह में कड़ा हो गया था और … गले के पीछे भाग मे टक्कर कर रहा था. मेरी सांस रुक रही थी. मेरी कुछ समझ मे नहीं आ रहा था. आंसू गिरने लगे और होंठ छिलने लगे.

लम्बी आह भरते हुए इन्होने मुझे छोड़ दिया. मेरे होंठो को प्यार से चूमा और बाल सहलाने लगे.

''डर गयी? हैना? मज़ाक कर रहा था तेरे से''

मैं बाथरूम की तरफ भागने लगी तो मुझे पकड़ लिया .... आंसू पोंछे .... और बाहों में भर लिया.

मेरे बाल सहलाते हुए मांग टीका निकाल कर टेबल पर रख दिया. फिर मेरे कान के झुमके और दुपट्टा भी उतारा। मैंने छुड़ाने की कोशिश की तो जाने नहीं दिया. मेरी कुर्ती खींच के ऊपर की तो मैंने रोका … पर जबरन उतार दी. मैं आँखे भींचे उनकी छाती में चेहरा छुपा खड़ी रही. उनका कद मेरे से 10- 12 इंच ऊंचा है. मेरी नंगी पीठ पर हाथ फेरते हुए हाथ नीचे ले गए और उन्होंने शरारे का नाड़ा खोल दिया.

मन ही मन अम्मी-अम्मी करती रही और खड़ी रही एक जगह. जब शरारा नीचे गिरा तो शर्म के मारे सिकुड़ गयी. मामी की बड़ी बहु ने सुहाग रात के लिए लाल रंग की ब्रा और पैंटी ला के दी थी. अब सिर्फ वह ही पहने रह गयी थी और कलाई भर चूड़ियाँ।

पांच मिनट पहले हुई ज़ोर ज़बरदस्ती का डर अभी मन से निकला नहीं था. मेरा बदन अकड़ा अकड़ा सा था. माँ के अलावा किसी ने मुझे ऐसे नहीं देखा था। मेरे गहने एक एक कर के उतारे गये और ये मुझे बिस्तर तक ले गये. खुद बैठ गए लेकिन मैं खड़ी रही. मेरे जिस्म पे हाथ फेर रहे थे, कभी कंधे कभी बाहें कभी जांघें … और मैं काँप रही थी.

'' गज़ब की खूबसूरत है तू तो! क्या कसा हुआ और भरा हुआ बदन है. अब्बा सही कह रहे थे कि उम्र का फर्क फायदेमंद ही होता है मर्द के लिए.''

मैं 18 की थी और ये 28 के. मेरा रंग सांवला है, बाद में कहीं बात बनें न बने, ये सोच कर अम्मी अब्बु ने अच्छा रिश्ता मिलने पर फ़ौरन हाँ कर दी थी.

''ब्रा खोल ना!''

मैंने ना में सर हिलाया तो ये अचानक खड़े हो गए! मुझे लगा फिर से झापड़ मारेंगे … तो मैं बोल पड़ी ''खोलती हूँ!!"

हँसते हुए ये वापिस बिस्तर पर पसर गये. मैंने ब्रा का हुक खोला और ज़मीन पर गिरा दी. बाहों से छाती ढक ली. काश बाल खोल पाती और खुद को ढक लेती।

''रुक मत रानी, चल पैंटी भी निकाल दे ना!'' कहते हुए लेटे लेटे ही अपने पैर के अंगूठे को पैंटी के इलास्टिक में अटका कर नीचे सरकाने लगे. मेरी सुर्ख लाल पैंटी जांघों तक नीचे हो गयी. मैं एक हाथ से छाती की गोलाइयाँ ढकती और एक हाथ से अपनी बुर। ये मेरी हालत के मज़े ले रहे थे।

''तेरी ब्रा का साइज क्या है? देखने में इतने छोटे मम्मे हैं … बड़ी मेहनत लगेगी मेरी इनको भरने में !''

ये कह के ये उठ गए और दोनों हाथ से इन्होने मेरी छाती नोचनी शुरू की. "क्या गठा हुआ शरीर है तेरा - तेरी चूचियाँ पी लू? हैं? बोल ना मेरी जान"

मेरे निप्पल खींचते और कभी मरोड़ते। मैं दर्द सहती रही लेकिन मुँह से आवाज़ नहीं निकाली क्यूंकि पूरा घर मेहमानो से भरा था. फिर अपने दोनों हाथ मेरे पीछे ले गये और मेरे चूतड़ दबाने लगे. मुझे पास खींचा - क्यूंकि मैं अब तक बिस्तर के साइड पर ही खड़ी थी, मेरी छाती उनके मुँह के पास हो आई।
"आ तेरे मम्मे चूस के बड़े कर दूँ!" कह के मेरे निप्पल ज़ोर से चूसे। मानो मेरी ब्रैस्ट को निगलने की कोशिश कर रहे थे! उनके दांत के निशान बनने लगे थे। रुक कर बोले "कैसे मुलायम फूल सी हैं तेरी चूचियाँ, छोटी गुलाबी सी। कल सुबह तक सूज न जाएँ" मेरे निप्पल को दांत से काटा और फिर जीभ से सताने लगे।

मेरी सिसकी निकल गयी तो बोले "अभी मज़ा आएगा तुझे! बस मेरी बात मानती जा तू! तेरे चूतड़ इतने गोल हैं - चबा के खा जाऊंगा इनको" अपने हाथों से मेरे बम्स को मसलने लगे और ज़ोर से च्यूंटी काटी!

"आउच! प्लीज! आप.... "

इस से पहले कि मैं कुछ मिन्नत करती, मुझे खींच के अपनी गोद में बिठा लिया और मेरे दोनों होंठ चूसने लगे. अपना एक हाथ मेरी कमर पर कस दिया और एक से निप्पल मसलने लगे. होंठ चूसना छोड़ कर फिर गर्दन पर चूमने लगे. अचानक गर्दन पर दांत ज़ोर से काट लिया और फिर नाखूनों से मेरे बूब्स कुरेदने लगे.

"आह्ह्ह्ह" मैं तड़प उठी.

मुझे गोद से उतार कर बिस्तर पर फेंका और मेरे घुटने पकड़ कर अलग कर दिए. "प्लीज, मुझे डर लग रहा है!" आखिर मुझसे रहा न गया और मैं बोल पड़ी.
अम्मी की बात एक तरफ और दहशत एक तरफ. इन्होंने मुस्कुरा के मेरी तरफ देखा "चार शादी की इजाज़त है मुझे पर अगर तू मुझे खुश रख पायी तो तुझे ही रानी बना के रखूँगा!" मुझे समझ नहीं आया कि आगे क्या बोलूं। डर के मारे आँखें और ज़्यादा खुल गयीं और गला सूख गया.

मेरे घुटनों के बीच हाथ फेरा, जाँघों के भीतर सहलाया और पैंटी सरका के पूरी उतार दी. मेरी बुर के बालों पर हाथ फेरा।

"तेरी चूत की फांके तो बालों के बीच दिखाई नहीं देती … बाल साफ़ क्यों नहीं किये तूने?" ये कह के ये उठे और बाथरूम से रेजर ले आये. मैं डर के मारे ज़ोर ज़ोर रोने लगी और 'नहीं प्लीज नहीं' चिल्लाने लगी. कमरे के बाहर से अचानक कुछ हंसने की आवाज़ें सुनाई दीं. मैं हैरान थी कि ससुराल के लोग मेरी सुहाग रात की खबर रख रहे हैं! हंसने की आवाज़ सुन के मेरे नए शौहर भी मुस्कुराने लगे। मुझे इशारे से चुप रहने को कहा। मेरे कांपते बदन को सहलाया, जांघें खोलीं और मेरे बाल रेजर से साफ़ करने लगे।
"जो हिलेगी तो कट जाएगी तेरी स्किन - आराम से लेटी रह"

बिना शेविंग क्रीम के मेरी नरम खाल पर ब्लेड रेगमार जैसा लग रहा था. मेरी टाँगे काँप रही थी. नंगेपन की शर्म अब ब्लेड की दहशत में छुप गयी थी। 2-3 मिनट में काम ख़त्म कर ये अपनी कलाकारी को निहारने लगे। मेरी चिकनी और बिना बाल की चूत को छूने लगे। मुझे वहां नीचे कुछ गीलापन महसूस हुआ और अटपटा लगा।

इन्होने बाल फर्श पर झाड़े और एक ऊँगली से चूत की फांकें मलने लगे। दुसरे हाथ से अपना लौड़ा मल रहे थे.

"इतनी टाइट है तू! मैंने पहले कभी किसी कुंवारी लड़की की नहीं ली. कॉलेज और दफ्तर की गर्ल फ्रेंड्स के साथ सेक्स किया है लेकिन कोई भी कुंवारी नहीं थी। शादी शुदा दोस्तों से सुना है खून रिसता है पहली बार। तु डरेगी तो और टाइट हो जाएगी। रिलैक्स कर मेरी जान!"

ये कहते हुए मेरी छाती पर चढ़ गए और अपना लौड़ा एक बार फिर मेरे मुँह में डाल दिया। इस बार मेरी न करने की मजाल नहीं हुई। "तेरे चूचों में दूध भर के चूसूंगा एक दिन - अभी तो तू मेरा सुपाड़ा चूस और गीला कर दे। तेरा ही फायदा है"

चुस्वाने के साथ ही हाथ पीछे कर के मेरी चूत मलने लगे. अचानक एक ऊँगली अंदर घुसेड़ दी और मैं छटपटा उठी। मैंने लौड़ा मुँह से निकाल दिया। मुझे ज़ोर से खींचा और उल्टा कर दिया।

हाथ पेट के नीचे रख के खींचा और मेरा बम ऊपर खेंच लिया. जहाँ ऊँगली घुसाई थी वहां अपना लौड़ा रख दिया. "अगर चूत नहीं फटवानी तो हिलियो मत!!" दोनों हाथों से पहले मेरे बम्स को अलग किया और फिर मेरी चूत की फांकें अलग की - फिर ज़ोर से धक्का दिय। मेरी चीख निकला गयी। बाहर से इनकी भाभीयों हंसने की आवाज़ें आई और फिर मेरे ससुर की डांट की।

लगा किसी ने मुझे टांगो बीच से कर चीर दिया है। इनका लौड़ा इतना गर्म और सख़्त लग रहा था। इन्होंने फिर से धक्का मारा और लौड़ा और ज़्यादा अंदर घुस गया. पहले से ही रेजर से छिले हुए स्किन पर लौड़े के हमले से और दर्द हुआ। मैं बिलबिला उठी। इन्होने मेरे मुँह पर हाथ दबा कर मेरी चीख रोक ली।

"एक बार का दर्द है मेरी जान फिर तुझे मज़े लेने सीखा दूंगा" अपना पूरा वज़न मेरे पे डाल के ये पूरे ज़ोर से मुझे तबाह करने लगे। मेरी चूत में दर्द हो रहा था … अंदर पेट की गहराई तक धक्का लग रहा था और मेरे नए शौहर ज़ोर-ज़ोर आहें भर रहे थे। बीच बीच में झुक कर मेरी पीठ पर दांत से काट लेते। पूरा बाहर निकालते और फिर कस के वापिस धक्का देते। फच फच की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी. "आईई … आअह्ह्ह्ह … या अल्लाह" मेरी हालत खराब थी.

अचानक मुझे अलग कर दिया। बोले "इतनी जल्दी क्या है? पूरी रात अपनी है - आ तुझे दिखाऊ तू क्या कमाल लग रही है"

मेरे हाथ पकड़ के मुझे बिस्तर से उतारा। मुझसे चला नहीं जा रहा था। पैरों के नीचे मेरा शादी का जोड़ा पड़ा था। मुझे खींच के अलमारी पर लगे शीशे के सामने ले गए। दोनों नंगे बदन। शीशे में देखा मेरा काजल फैल चुका था, लाल लिपस्टिक होंठों के बाहर फैली थी, बाल बिखरे हुए और आँखे रो रो के लाल हो गयी थी। मेरे मम्मों पर नाख़ून के और गर्दन पर दांत के निशान थे। ज़िन्दगी में पहली बार बुर के बाल गायब थे। शौहर मेरे पीछे खड़े थे और उनका गर्म लौड़ा मेरी पीठ पर रगड़ रहा था। उन्होंने मेरी टाँगे खोली। चूत के होंठ गुलाबी गोश्त से लग रहे थे। जांघ के अंदर खून लगा था जो देख के मैं सहम गयी थी।

मेरे दोनों हाथ पकड़ कर उन्होंने शीशे के आजु बाजू ऊपर कर दिए और मुझे आगे की तरफ झुका दिया। अपने घुटने मोड़ कर लौड़ा मेरी घायल चूत पर सरकाने लगे. मैं दुहाई देने लगी तो अपने हाथ स से मेरा मुँह बंद कर दिया।

"मर्द का ये खेल जब शुरू होता है तो खतम करना पड़ता है मेरी जान"

एक ही ताक़तवर धक्के में अंदर घुसाया और तेज़ी से अंदर बहार करने लगे। मेरा हाल बुरा था। टांगों में जान नहीं बची थी। पर इन्होने मुझे गिरने नहीं दिया। एक हाथ कमर पर और एक मुँह पर कसा था, और मुझे पुरे ज़ोर से धकेल रहे थे। मेरे पेट के अंदर तक वार महसूस हो रहा था। हर धक्के पर बिजली के करंट दौड़ने लगे। दर्द के साथ साथ अजीब सी सिरहन दौड़ रही थी। होंठ कांप रहे थे, बदन निढ़ाल था।

"आँखे खोल मेरी जान! देख कितनी सुन्दर लग रही है सुहाग रात को! ऐसे चूडी मेहँदी वाली की पहले कभी नहीं ली मैंने! आह! आह! ओह! हा!"

रफ़्तार बढ़ाते हुए और लौड़ा अंदर घोंपते हुए मेरे शौहर मेरे मम्मों को नोचने लगे. मेरे निप्पल खींचते हुए उनके बदन में झटके आने लगे और वह मेरे ऊपर गिर पड़े. शीशे में देखा कि मेरी जांघों के बीच से कुछ रिस रहा था … उनका लौड़ा अभी मेरे अंदर ठूँसा था लेकिन कुछ रस छोड़ रहा था।

इस रात को बीते 5 साल गुज़र चुके थे।

मेरे शौहर ने मुझे मेर बदन के बारे में बहुत कुछ सिखाया। निकाह के रात के ज़ुल्म के बाद कई रात तक मुझे नहीं चोदा। अगले कुछ दिन बस मेरे बदन से खेलते रहे। मेरे मम्मे घंटों तक चूसे ताकि वो भर जाएँ। मेरे चूत के दाने को मसल कर मुझे बेचैन किया और उसका मज़ा लेना सिखाया। जब मैं मस्त हो जाती तब वो मेरे बम्स पर तेल मल कर मेरी चूत में 1, 2 और कभी दर्द करते हुए 3 उँगलियाँ भी घुसा देते। अपना लौड़ा मुझसे खूब चुसवाया। अपना रस मेरी छातियों पे छोड़ कर फिर उसको मला लेकिन चुदाई नहीं की. जब उन्हें लगा की मैं रिलैक्स हो गयी हूँ, तब एक हफ्ते के बाद ही मेरी दोबारा ली. उन्होंने बताया कि बाकी मर्दों से उनका लौड़ा ज़्यादा मोटा है और मुझे कुछ दर्द सहने की आदत डालनी होगी।

वो सख्त और गुस्सैल मिज़ाज़ के हैं इस लिए उनकी कोई बात टालने की मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई।

शादी के 1 साल बाद एक बार ऐसा हुआ की मैंनेचूत के बाल ठीक से शेव नहीं किये। रात को बिस्तर पर उन्होंने देखा पर कुछ नहीं कहा। उस दिन मुझे एक नया सबक मिला। उन्होंने मेरे बम्स पर तेल लगाया जो वो अक्सर करते थे। लेकिन इस बार तेल मेरी गुदा में डाला। मुझे अजीब लगा पर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि कुछ पूछूँ। मेरा बदन वैसे भी उनका गुलाम था। तेल लगाते हुए गुदा में ऊँगली डाली और तेल अंदर तक घुसाने लगे। तब मेरे मन में डर लगा। लौड़ा चुस्वाने के बाद उन्होंने मुझे बोला की तेल लगाओ इस पर। मैंने चुप चाप लंड पर तेल मला। मुझे खाने की टेबल तक ले गए और पीठ पर लिटा दिया। पैर खीच कर घुटने ऊपर मोड़ दिए और बोला "अपने घुटने पकड़ो!"

"अगर हिलने की कोशिश की तो साली तुझे बेल्ट से मारूंगा!" मैं डर गयी। 1 साल में 3 - 4 बार पिट चुकी थी इनके हाथ। उसके बाद कई दिनों तक जिस्म से दर्द और निशान नहीं गए थे।

उन्होंने अपना लंड मेरी गुदा में घुसाने की कोशिश कि। मेरी आवाज़ गले में अटक गयी थी। जब एक बार में अंदर नहीं गया तो और तेल लगाया। 4 -5 बार के बाद लंड अंदर घुस गया। मेरी जान निकल गयी और मैं चीख उठी।

"वैक्सिंग करवा लियो अगली बार …आगे से अगर तेरी चूत चिकनी नहीं हुई तो ऐसे ही तेरी गांड मारूंगा! समझी की नहीं!!"

धक्के मारते मारते, मेरी गांड पर ज़ोर ज़ोर थप्पड़ मारने लगे। मुझे लगा मुझे किसी ने दो भाग में चीर दिया है। मेरी चीखों का इन पर कोई असर नहीं होता था। टीवी की आवाज़ तेज़ कर देते थे। शुक्र था की उस दिन वो जल्दी ही झड़ गये। ज़ख्म भरने में कई दिन लग गए थे याद है मुझे।

अगली बार जब मेरी गांड मारी तब मेरी चूत भी चिकनी थी और मेरी कोई गलती भी नहीं थी.

होली पर भांग पिला कर मेरी ली थी। बोले थे "लेट जा, ढीला छोड़ दे - बदन को रिलैक्स कर। थोड़ी लम्बी सांस ले"

मेरा सर चकरा रहा था … लेकिन मैं अपने शरीर को ढीला करने में कामयाब हो गयी थी. इस बार तेल लगा कर गांड मरवाने पे कोई खून नहीं आया। न ही मेरी गुदा दुखी। नशे में सर चारा रहा था। जब लंड मेरी गांड में अंदर बहार सरक रहा था, मेरे शौहर मेरे चूत के दाने को बेरहमी से मसल रहे थे. मेरी चूत रिस रही थी और बिस्तर गीला हो रहा था.

5 साल के बाद आज भी उनसे डर लगता है। कभी कभी दरिंदे के जैसे हवस के भूखे हो जाते हैं। मेरे शरीर को नोच कर दांत से काट कर बेरहमी से चोदते हैं. बाथरूम जाना भी मुश्किल हो जाता है. उन को बच्चे पैदा करने की कोई जल्दी नहीं है. कंप्यूटर पे पोर्न फिल्म दिखा कर मुझ से नयी नयी हरकतें करवाते हैं। कभी कभी मुझ से अपनी चूत में खीरा या गाजर डालने को कहते हैं और बैठ कर देखते हैं. एक बार मेरी चूत में लंड डाला और मेरी गांड में दो उंगलियां। सिर्फ एक झिल्ली ही थी अंदर लौड़े और ऊँगली के बीच। उस दिन तो पेशाब करने में भी चीस उठ रही थी।

जब से तिवारी के साथ गांजा पीना शुरू किया है, घंटो तक रात को जगाते हैं. इतनी चुदाई के बाद मेरी हालत नहीं रहती सुबह उठने की.

मेरे बदन को भी सेक्स की आदत हो गयी है। लगातार चूसने और रगड़ने से मेरे मम्मे 32 B से 36 C के हो गए हैं । हमेशा कहीं न कहीं दांत के या नाख़ून के निशान रहते हैं शरीर पर। कभी कभी होंठ सूजे होते हैं तो शर्म आती है सब के सामने जाने में। सोचती थी बच्चे हो जाएँ तो ये सब बंद हो जायेगा लेकिन ये मौका नहीं चूकते मुझे बताने का कि जब मैं पेट से होउंगी तो ये मेरा क्या करेंगे। ससुराल वाले क्या सोचते होंगे अल्लाह जाने लेकिन क्या करूँ, अपने शौहर को मना करने की मेरी मजाल अब भी नहीं होती।

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AnonymousAnonymousover 8 years ago
read part 2 of the same story

https://other.literotica.com/s/desi-sunday-sex

second part is as good as the first. Kaama69 should start a chain story!

AnonymousAnonymousalmost 9 years ago
best hindi story

best hindi porn story i have ever read. so real ... makes me horny

kaama69kaama69about 9 years agoAuthor
how does one do that

How can category be changed once posted? Can it be posted again in another category?

AnonymousAnonymousabout 9 years ago
Suggest putting this in Non-English category instead

I think most people will be surprised to see this story in non-English. And (if I'm right about the source language) Hindi readers probably wouldn't think of looking in this category for stories in this language either.

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