मम्मी की नौकरी (भाग-3)

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चूसाई में आ रही है, इसलिए उसने इस बार अपने होँठोँ को खोल कर के मम्मी की पूरी लंड मुंह मेँ भर लिया और लंड को एक हाथ मेँ लेकर मुठियाने लगी ।

बिमला आंटी बहुत तेज़ी के साथ मम्मी की लंड के उपर जीभ चला रही थी और फिर पूरे लंड को अपने होंठो के बीच दबा कर ज़ोर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी, मम्मी ने उत्तेजना के मारे अपनी उभरी हुई गांड को उपर उछाल दी और ज़ोर से सिसकियां लेती हुई बोली-
"है दैया, उईईइ मां....सी सी..... चूस लो ओह चूस लो मेरी लंड को ओह, सी क्या खूब चूस रही हो रे तुम, ऐसे ही चूसो अपने होंठों के बीच में लंड को भर के इसी तरह से चूस लो.....।"

मम्मी के उत्साह बढ़ाने पर बिमला आंटी की उत्तेजना अब दुगुनी हो चुकी थी और व दुगुने जोश के साथ एक कुत्ते की तरह लॅप-लॅप करती हुई मम्मी की पूरी लंड को चाटे जा रही थी । अब बिमला लंड के सुपाडे के साथ साथ मम्मी की पूरी लंड को अपने मुंह में भर कर चूस रही थी । अब मम्मी की फूली हुई मूषल लंड अपने झांटोँ समेत बिमला की मुंह मेँ था । लंड का नशीला रस रिस रिस कर निकल रहा था । मम्मी की सिसकियां और शाबाशी और तेज हो चुकी थी और आंखें बन्द करके अपनी चुचियां जोर से मसलने लगी थी । बिमला आंटी अपने सिर को हल्का सा उठा के मम्मी को देखते हुए पुछा-
"कैसा लग रहा है बहू, तुम्हेँ अच्छा लग रहा है ?"

"हां भाभी, मत पुछो, बहुत अच्छा लग रहा है मेरी रानी, इसी मज़े के लिए तो तुम्हारी बहू कबसे तरस रही थी ।" मम्मी ने सिसकते हुए कहा ।

"चूस लो मेरी लंड को ऊऊओ और ज़ोर से चुस्स्स्स्सस्सो.. . पुरा का पुरा लंड मुंह मेँ लो....।" मम्मी मस्ती मेँ बडबडाने लगी ।

मम्मी के बताते ही बिमला आंटी ने लंड को मुठ्ठी मेँ भर के जोर-जोर से मुठियाना चालु कर दिया और अपनी जीभ से मम्मी की लंड को अंडोँ से लेकर सुपाडा तक चाटने लगी । पहले तो उसने अपनी जीभ और उपरी होंठ के सहारे मम्मी की लंड की सुपाडी को खूब चूसा फिर चाटते हुए लंड के निचे तक जीभ फिरा लाई ।

मम्मी कामो-उत्तेजना के कारण घुटि घुटि आवाज़ में चीखते हुए बोल पड़ी-
"ओह चुसो मेरी लंड को ऐसे ही चाटो मेरे रानी ।"

जैसा मम्मी ने बताया था उसी तरह से बिमला अपने जीभ को तेज़ी के साथ मम्मी की लंड पर उपर से निचे तक फिराने लगी और साथ ही साथ उसकी फनफनाती लंड को जोरोँ से मुठियाने लगी । बिमला की नाक बार बार लंड के निचले हिस्से से टकरा रही थी और शायद व भी मम्मी की आनंद का एक कारण बन रही थी । बिमला की दोनोँ हाथ मम्मी की मोटे गुदाज जांघोँ से खेल रहे थे । तभी मम्मी ने तेज़ी के साथ अपने गांड को हिलना शुरू कर और ज़ोर ज़ोर से हांफते हुए बोलने लगी-"ओह निकल जाएगा ऐसे ही मेरी लंड को चुसते रहना भाभी ओह, सी सी सीईई, साली बहुत गरम करता था ये लंड, आज निकल दो इसका सारा पानी ।"

और अब मम्मी दांत पीस कर लग भर चिखते हुए बोलने लगी-
"ओह हूऊओ सीईईईईईई चूसो और ज़ोर से चूसो अपनी बहू की लंड को जीभ से चोद दोओओओ अभी,,,,,,,सीईईईईई ईईइ और ज़ोर से चुसो सलीईईई...।" कहती हुई मम्मी ने अपनी भारी भरकम चुतडोँ को पहले तो खूब ज़ोर से उपर की तरफ उछाली फिर अपनी आंखोँ को बंद कर के गांड को धीरे धीरे फुदकते लगी । बिमला आंटी ये जानते हुए कि बहू झडने वाली है, जोर से मम्मी की लंड को हाथ मेँ कस कर उपर-निचे करने लगी । और अचानक मम्मी चिल्ला पडी । फिर एक बार हवा मेँ गांड उछाली और साथ ही मम्मी की लंड से तेज फौबारे के साथ गाढा सफेद विर्य छुट पडी ।

"ओह गई मैं मेरे रानी, मेरा निकल गया मेरे सैँय्या, तुमने मुझे जन्नत की सैर करवा दी , ओह ओह मैं गई…….।"

मम्मी की लंड बिमला की मुंह पर रगड खा रहा था । मम्मी की लंड के लाल सुपाडी के छेद से विर्य अब भी रिस रहा था जिसे बिमला आंटी बडे मजे से चाटे जा रही थी । पर मम्मी अब थोडी ठंडी पड चुकी थी, उसकी विशाल लंड अब सिकुडते हुए भी झटके मार रहा था । उसकी आंखेँ बंद थी और मम्मी ने दोनोँ पैर फैला दिए थे और सुस्त सी होकर लंबी-लंबी सांसेँ छोडती हुई लेट गई । बिमला ने अपने जिभ से चाट कर मम्मी की लंड से निकली विर्य को साफ कर दिया था ।

इतनी उत्तेजक द्रुश्य देखने के बाद मैँने भी अपना लंड को शांत कर दिया और अंदर झांका ।

बिमला आंटी ने मम्मी की लंड पर से अपने मुंह को हटा दिया और अपने सिर को उसकी गुदाज जांघोँ पर रख कर लेट गयी । कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद बिमला ने जब सिर उठा के देखा तो पाया की मम्मी अब भी अपनी आंखोँ को बंद किए बेशुध होकर लेटी हुई है ।

बिमला चुप चाप उसके पैरोँ के बीच से उठी और बगल में जाकर करवट लेट कर उसने अपने सिर को मम्मी की चुचियों से सटा दिया और एक हाथ मम्मी की मुरझे लंड पर रख कर लेट गयी । आंटी ने भी थोडी बहुत थकावट महसूस कर रही थी, हालांकि मम्मी की लंड एकदम मुरझा पडा था उसकी आंखेँ बन्द थे ।

बिमला अपने हाथोँ से मम्मी की पेट नाभि और जांघोँ को सहला रही थी । कुछ देर सहलाने के बाद आंटी चुप चाप धीरे से उठी और फिर मम्मी के पैरोँ के पास बैठ गयी । मम्मी ने अपना एक पैर फैला रखा था और दूसरे पैर को घुटनोँ के पास से मोड कर रखा हुआ था । उसके बाल थोडे बिखरे हुए थे, एक हाथ आंखोँ पर और दूसरा बगल में । पैरो के इस तरह से फैले होने से मम्मी की लंड और गांड का छेद स्पस्ट रूप से दिख रहा था । धीरे धीरे बिमला आंटी ने अपने होंठोँ को उसके जांघोँ पर फिराने लगी । बिमला की ये काम थोडी देर तक चलता रहा, तभी मम्मी ने अपनी आंखेँ खोली और आंटी को अपने जांघोँ के पास से उठाते हुए बोली-"क्या कर रही हो भाभी...... ज़रा आंख लग गई थी, देखो ना इतने दिनोँ के बाद इतने अच्छे से पहली बार मैँने वासना का आनंद उठाया है, इसीलिए शायद संतुष्टि और थकान के कारण आंख लग गई ।"

"ओह बहू, इसको तो मैं हाथ से ढीला कर लुंगी तुम सो जाओ ।"

"ऩहीँ मेरे रानी आ जाओ ज़रा सा बहू के पास लेट जाओ, थोडा दम ले लूं फिर तुम्हेँ असली चीज़ का मज़ा दूंगी ।" मम्मी बोली ।

बिमला उठ कर मम्मी के बगल में लेट गयी । अब वे दोनोँ एक दूसरे की ओर करवट लेते हुए एक दूसरे को बाहोँ मेँ भरने लगे । मम्मी ने अपनी एक पैर उठाई और अपनी मोटी जांघोँ को बिमला की कमर पर डाल दिया और उसकी उपर चढ गई। फिर मम्मी ने अपनी उभरी गांड को बिमला की बुर मेँ दबाती हुई उसकी होँठोँ को चुमने लगी । बिमला ने एक हाथ से मम्मी की लंड को पकड के उसके सुपडे के साथ धीरे धीरे खेलने लगी और दुसरी हाथ से उसकी एक चुचि को अपने हाथोँ में ले कर धीर-धीरे सहलाने लगी । चूमा चाटी ख़तम होने के बाद मम्मी ने पुछा-
"और भाभी, कैसी लगी मेरी लंड का स्वाद, अच्छा लगा या ऩहीँ ।"
"हां बहू बहुत स्वादिष्ट था सच में मज़ा आ गया ।"

बिमला मम्मी से फिर पूरी चिपक गयी । मम्मी की चुचिया उसकी चुचियोँ में चुभ रही थी और मम्मी की लंड अब सीधा आंटी की बुर पर ठोकर मार रहा था । दोनोँ एक दूसरे की आगोश में कुछ देर तक ऐसे ही खोए रहे फिर बिमला ने मम्मी की मुरझे हुए लंड को हाथ में लेकर मसलने लगी । मसलते मसलते बिमला की नज़र मम्मी की सिकुडते-फैलते हुए गांड के छेद पर पडी । देखने से तो मम्मी की गांड वैसे भी काफ़ी खूबसूरत लग रही थी जैसे गुलाब का फूल हो । बिमला अपनी लपलपाती हुई जीभ को मम्मी की गांड की छेद पर लगा दिया और धीरे-धीरे उपर ही उपर चाटने लगी । गांड पर बिमला की जीभ का स्पर्श पा कर मम्मी पूरी तरह से हिल उठी ।

"ओह ये क्या कर रही हो भाभी, ओह बडा अच्छा लग रहा है रीईए, कहां से सीखी ये, तुम तो बडा कलाकार हो रीईई, देखो कैसे मेरी लंड
को चुसने के बाद मेरी गांड को चाट रही हो, ओह भाभी सच में गजब का मज़ा आ रहा है, चाट लो पूरे गांड को चाट लो ओह...ओह उऊउगगगगगग ।"

बिमला आंटी दोनोँ हाथोँ से मम्मी की दोनोँ चुतडोँ को पकड कर छेद को फैलया और अपनी नुकीली जीभ को उसमेँ ठेलने की कोशिश करने लगी । मम्मी को बिमला की इस काम में बडी मस्ती आ रही थी और उसने खुद अपने हाथोँ को अपने गांड पर ले जा कर गांड के छेद को फैला दिया और बिमला को जीभ पेलने के लिए उत्साहित करने लगी ।

"खूब चाटो मेरी गांड को है दैया, मर गई रीईईई, ओह इतना मज़ा तो कभी ऩहीँ आया था ओह ।"

बिमला पूरी लगन से मम्मी की गांड चुस रही थी । तभी बिमला आंटी ने एक हाथ से मम्मी की लंड को आगे-पिछे करते हुए एक उंगली उसकी गांड के छेद मेँ पेल दिया । मम्मी चिहुंक उठी और मस्ती मेँ कराहने लगी । मम्मी की गांड मेँ उंगली को अंदर-बाहर करते हुए आंटी ने देखा की मम्मी की लंड के गुलाबी सुपाडी फुल कर लाल हो चुकी थी । तो उसने अपने होंठों को फिर से सुपाडी के गुलाबी छेद पर लगा दिया और ज़ोर ज़ोर से जीभ फिराते हुए मम्मी की गांड मेँ उंगली पेलने लगी । मम्मी के लिए अब बर्दाश्त करना शायद मुश्किल हो रहा था उसने बिमला की सिर को अपनी लंड से अलग करते हुए कहा-
"अब छोडो भाभी, फिर से चूस के ही झाड दोगे क्या, अब तो असली मज़ा लूटने का टाइम आ गया है, अब चलो मैं तुम्हेँ जन्नत की सैर कराती हुं, अब अपनी बहुरानी की लंड से चुदाई करने का मज़ा लूटो मेरी रानी, चलो मुझे नीचे उतरने दो ।"

बिमला ने मम्मी की लंड पर से मुंह हटा लिया और जल्दी से बिस्तर पर अपनी पैरो को घुटनो के पास से मोड कर जांघो को फैला दिया । अपने दोनोँ हाथोँ को अपनी झांटोँ से भरी बुर के पास ले जा कर मम्मी से बोली-
"आ जाओ बहू जल्दी करो अब ऩहीँ रहा जाता, जल्दी से अपने मूसल लंड को मेरी बुर में डाल के कूट दो ।"

मम्मी अब तक खडी होकर चुचियोँ को मसल रही थी और दुसरे हाथ से अपनी मूषल लंड को मुठ्ठी मेँ भर के लाल सुपाडा अंदर-बाहर कर रही थी । बिमला की तडप देख कर मम्मी उसके दोनो जांघोँ के बीच में घुटनोँ के बल बैठ गयी । और उसकी जांघोँ को अपनी जांघोँ पर सटा कर मम्मी ने अपने खडे लंड को पकड कर बिमला की बुर को फैला कर अपने लंड को सटा दिया । बिमला ने लंड के बुर से साटाते ही मम्मी से कहा-
"हां बहु अब मारो धक्का और घुसा दो अपने घोडे जैसे लंड को मेरी बुर में ।"

मम्मी कुछ देर तक अपनी लंड को बुर के लाल छेद पर रगडती रही और फिर एक धक्का मार दिया पर ये क्या लंड तो फिसल कर बुर के बाहर ही रगड खा रहा था, मम्मी ने दुबारा कोशिश की फिर लंड फिसल के बाहर, इस पर मम्मी ने कहा-
"तुम्हारी बुर तो बहुत टाईट है भाभी, मैँने सोचा ढीली होगी । भाई साहब से चुदवाती हो कि नहीँ ?"

"कहां तुम्हारे भाई साहब और कहां तुम्हारी ये लंड ! इनका तो बहुत छोटा सा लंड है बहू ।"

फिर मम्मी ने अपने दोनोँ हाथोँ को बिमला की बुर पर ले जा कर बुर के दोनोँ फांको को फैला दिया, बुर के अंदर का गुलाबी छेद नज़र आने लगा था, बुर एक दम पानी से भीगी हुई लग रही थी । और फिर मम्मी ने हंसते हुए बिमला आंटी के गाल पर एक प्यार भरा तमाचा लगाते हुए बोली-
"सोच क्या रही हो भाभी, अभी चुप चाप तमाशा देखो फिर बताना की कैसा मज़ा आता है ।"

कह कर मम्मी ने अपनी लंड को एक हाथ से पकडी और सुपाडे को सीधे उसकी चूत के गुलाबी दरार पर लगा दिया । सुपाडे को बुर के गुलाबी छेद पर लगा कर मम्मी लंड को अपने हाथो से आगे-पिछे कर के बिमला की बुर के गुलाबी दरार पर रगडने लगी । उसकी चूत से निकला हुआ पानी मम्मी की सुपाडी पर लग रही थी और मम्मी को बहुत मज़ा आ रहा था । मेरी सांसे उस अगले पल के इंतेज़ार में रुकी हुई थी जब मम्मी की लंड आंटी की चूत में घुसता, मम्मी फिर से बुर चोदने जा रही थी । मैं दम साढ़े इंतज़ार कर रहा था ।

तभी मम्मी ने बिमला की चूत के फांक को एक हाथ से फैलायी और थोडा सा थुक अपनी लंड पर लगाके सुपडे को सीधे बुर के गुलाबी छेद पर लगा कर उपर से हल्का सा ज़ोर लगाया । मम्मी की लंड का सुपाडा आंटी की बुर मेँ समा गया ।

फिर मम्मी ने बिमला की स्तनोँ पर अपने हाथोँ को जमाया और उपर से एक हल्का सा धक्का दिया तो उसकी लंड का थोडा सा और भाग बिमला की बुर में समा गया । उसके बाद मम्मी स्थिर हो गई और इतने से ही लंड को बिमला की बुर में घुसा कर आगे-पिछे करने लगी । थोडी देर तक ऐसा करने के बाद उसने फिर से एक धक्का मारा, इस बार धक्का थोडा ज़यादा ही जोरदार था और मम्मी की लंड का आधा से अधिक भाग बिमला आंटी की बुर में समा गया । आंटी की मुंह से एक चीख निकल गई । फिर भी मम्मी ने इस पर कोई ध्यान ऩहीँ दिया और उतने ही लंड को आगे-पिछे करते हुए धक्का मारने लगी और बोली-
"भाभी, चुदाई कोई आसान काम ऩहीँ है, थोडा जोर लगाना पडता है ।"

मम्मी अब उतने लंड को ही बुर में ले कर धीरे-धीरे धक्के लगा कर चोद रही थी । व अपनी मांसल गांड को उछाल-उछाल के धक्के पर धक्का मारे जा रही थी । बिमला की बुर ने पानी छोडना शुरू कर दिया था और उसकी बुर से निकलते पानी के कारण मम्मी की लंड का घुसना और निकलना भी आसान हो गया था । मम्मी अब और ज़ोर-ज़ोर से अपनी भारी गांड उछाल-उछाल के लंड बुर मेँ अंदर-बाहर कर रही थी । मम्मी ने इस बार एक ज़ोर-दार धक्का मारी और अपनी लंड बिमला की चूत में छूपा लिया । और फिर बिमला ने भी सिसकरते हुए बोली -
"सस्स्स्स्स्सिईईईईई है दैयया, कितना तगडा लंड है जैसे की गरम लोहे का रोड हो, एक दम सीधा बुर के दीवारो को रगर मार रहा है, मेरे जैसी चुदी हुई औरत के बुर में जब ये इतना कसा हुआ है तो जवान लौंडीयों की चूत फाड के रख देगा, मज़ा आ गया बहु ।"
कह कर तेज़ी से तीन चार धक्के निचे से मार दी । मम्मी के द्वारा तेज़ी से लगाए गये धक्को से उसकी पूरी की पूरी लंड बिमला की चूत के अंदर चला गया ।

मम्मी ने सिसकारते हुए धक्के लगाना जारी रखा और अपने एक हाथ को लंड के जड के पास ले जाकर देखने लगी की पूरी लंड अंदर गई है की ऩही । जब उसने देखा की पूरा का पूरा लंड बिमला की बुर में घुस चुका है तब उसने अपनी उभरी चौडी गांड को उछालते हुए एक तेज धक्का मारा और बिमला की होंठो का चुम्मा ले कर बोली- "कैसा लग रहा है भाभी, अब तो दर्द ऩहीँ हो रहा है न ।"

"ऩहीँ बहू, अब दर्द ऩहीँ हो रहा है, देखो ना तुम्हारी पूरी लंड मेरी बुर के अंदर चला गया है, मेरी बुर के पानी के गीले पन से तुम्हारी लंड अब आसानी से अंदर-बाहर हो रही है, मज़ा आ रहा होगा, अब तो तुम्हेँ पाता चल रहा होगा की चुदाई क्या होती है ।"

"हां भाभी, सच में गजब का मज़ा आ रहा है, ओह! तुम्हारी चूत कितनी कसी हुई है मेरी लंड तो इसमेँ बडी मुस्किल से घुसा है, जबकि मैँने सुना था की अधेड औरतो की चूत ढीली हो जाती है"
कह कर मम्मी ने लंड को पूरे सुपाडे तक खींच कर बाहर निकाला और फिर से बुर के छेद मेँ लगा कर उपर से गांड का ज़ोर लगा के एक ज़ोर दार शॉट मारी की पूरा लंड एक ही बार में गपक से बिमला आंटी की बुर के अंदर चला गया । मम्मी अब तेज शॉट लगा के पूरा का पूरा लंड बिमला की बुर में अंदर-बाहर कर रही थी ।

उसने बिमला की उत्साह बढ़ते हुए कहा-
"भाभी नीचे रह कर चुदवा रही हो, अपनी गांड उछाल-उछाल के तुम भी धक्का मारो, ऐसे पडे रहने से थोडे ही मज़ा आएगा । देखो मेरी लंड तुम्हारी बुर के दीवारोँ को कुचलती हुई कैसे बुर के जड तक ठोकर मार रही है, तुम भी नीचे से धक्का मारो मेरी जान और बताओ की कैसी लग रही है औरत की लंड से चुदाई करने में, मज़ा आ रहा है या ऩहीँ मुझसे बुर चुदवाने में ।"

बिमला भी नीचे से गांड उछाल कर धक्का मारना शुरू कर दिया । और मम्मी के चुचियोँ को अपने हथेलियों के बीच दबोच कर बोली-
"हां बहू, बहुत मज़ा आ रहा है, सच में इतना मज़ा तो जिंदगी में कभी ऩही आया, ओह! तुम्हारी लंड मेरी बुर मेँ एक दम कसा जा रहा है ।"

"ओह सस्स्स्स्स्स्स्सीईईई इओउगगगगग.... कितना गरम है तुम्हारी बुर भाभी,,,,,,,और ज़ोर से मारो धक्का और ले लो अपने बहू की लंड अपनी बुर में ऊऊओह मज़ा आ गया ।" कह कर मम्मी ने अपनी भारी गांड हवा मेँ लहराती हुई जोरदार चोदाई करने लगी । तभी बिमला अपनी एक उंगली को मम्मी की गांड के दरार पर लगा कर उसको हल्का सा उसकी गांड के छेद में डाल दिया ।

मम्मी की जोश बिमला की इस हरकत पर दुगुनी हो गई और व अपनी चुतडोँ को और तेज़ी के साथ उछालते हुए चोदने लगी और बडबडाने लगी-
"साली, गांड में उंगली डालती है, तेरी मां को चोदुं, साली गान्डु ले, और ले मेरी लंड का धक्का अपने बुर मेँ, फाड दुंगी साली तेरी बुर, ले सलीईईई, मुंह क्या देख रही है, चुचि दबा साली मुंह में लेकर चूस और चुदाई का मज़ा ले हाईईईई ओह ऊऊऊओह ।"

बिमला आंटी ने मम्मी के आदेश पर उसकी चुचियों को अपने हाथो में थाम लिया और उसकी एक चुचि को खींच कर उसके निपल से अपने मुंह को सटा कर चूसते हुए दूसरी चुचि को खूब ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी । मम्मी अब पुरे जोश मेँ अपनी उभरी गांड को उछाल-उछाल कर लंड को आंटी की गरम बुर में पेल रही थी । बिमला की चूत एक दम अंगीठी की तरह से गरम हो चुकी थी । मम्मी की लंड उसकी चूत के पानी से भीग कर सटा-सट उसकी बुर मेँ अंदर बाहर हो रहा था । उत्तेजना मेँ मम्मी की मुंह से गालियों की बौच्छार हो रही थी ।

बिमला मम्मी की चुचियों को मसलते हुए अपनी गांड को नीचे से उच्छालती जा रही थी, मम्मी की लंड उसकी कसी बुर गॅप-गॅप...फच-फ़च की आवाज़ करता हुआ अंदर बाहर हो रहा था । दोनोँ की सांसेँ तेज हो गई थी और कमरे में चुदाई की मादक आवाज़ गूंज रही थी । दोनोँ की बदन से पसीना छूट रही थी और सांसों की गर्मी एक दूसरे के बदन को महका रही थी ।

मेरा पुरा बदन पसीना से भीग चुका था । लंड को सहलाते हुए मैँने मम्मी की लंड से बुर की चोदाई का मजा लेने लगा ।

मम्मी अब शायद थक चुकी थी । उसकी धक्के मारने की रफ़्तार अब थोडी धीमी हो गई थी और अब व हांफने भी लगी थी । थोडी देर तक हांफती हुई व धक्का लगाती रही फिर बोली-
"ओह मैं तो थक गई रीईई, इतने में आम तौर पर मेरी पानी तो निकल जाती है, पर आज तुम्हारी बुर के जोश में मेरी पानी भी ऩहीँ निकल रही, ओह! मज़ा आ गया, आज से पहले ऐसी चुदाई कभी ऩहीँ की, पर थक गई रीईई मैं तो ।"

मम्मी की सांसेँ भी तेज चल रही थी । बिमला ने धीरे से मम्मी की भारी चुतड को पकड के नीचे से ही धक्का लगाने का प्रयास किया और दो-तीन धक्के मारी मगर मम्मी की भारी शरीर के कारण बिमला उतने ज़ोर के धक्के ऩहीँ लगा पायी जितना लगा सकती थी । उसने मम्मी को बाहोँ में भर लिया और मम्मी ने उसकी चेहरे को गौर से देखते हुए होंठो को चूम लिया और बोली-
"थोडा दम तो लेने दो भाभी, कितनी देर से तो चुदाई कर रही हुं, थकान तो होगी ही ।"

"मैँने कब मना किया है, थोडा आराम कर लो, कह कर बिमला ने धीरे से मम्मी को अपने उपर से उतार दिया ।"

उसके उतारने पर मम्मी की लंड भी फिसल के उसकी बुर से बाहर निकल गया । मम्मी ने कुछ ऩहीँ कहा और बगल में लेट कर दोनोँ जांघोँ को फैला कर हांफने लगी । मम्मी की लम्बा और मोटा लंड एक दम रस से भीगी हुई थी और उसका सुपडा लाल रंग के किसी पाहरी आलू के जैसे लग रही थी । फिर दो मिनट के बाद मम्मी उठी और अपनी लंड को पकड कर सीधे बिमला आंटी के जांघोँ के बीच चली गयी । उसकी जांघोँ के बीच बैठ कर मम्मी उसकी बुर को गौर से देखने लगी । बिमला की चूत फूल पिचाक रही थी और चूत का मुंह अभी थोडा सा खुला हुआ लग रहा था, बुर की गुलाबी छेद अंदर से भीगा हुआ महसूस हो रहा था । मम्मी कुछ देर तक अपलक बिमला की चूत की सुंदरता को निहारती रही । मम्मी ने जब कुछ करने की बजाए केवल घूरते हुए देखा तो वो सिसकते हुए बोली-
"क्या कर रही हो बहू, जल्दी से डालो ना चूत में लंड को, कितनी देखोगी बुर को, जल्दी से अपनी मूसल लंड डाल दो मेरे चोदु बहूरानी ।"

बिमला आंटी ने इतना कह कर मम्मी की लंड को अपने हाथोँ में पकड लिया और लंड के सुपडे निकाल कर बुर के खुले छेद पर घिसने लगी । मम्मी आंटी के उपर झुक गई और अपनी लंड को चूत की लाल छेद पर लगा कर कस के एक धक्का लगा दी । मम्मी की लंड बिमला की बुर की दीवारोँ को रगडता हुआ अंदर घुस गया । बिमला आंटी की मुंह से चीख निकल गई । मगर मम्मी ने तभी दो-तीन और ज़ोर के झटके लगा दिए और लंड पूरा अंदर घुस गया ।

बिमला ने मम्मी की दोनोँ चुचियों को अपने हाथोँ में थाम लिया और उन्हे दबाते हुए एक चुचि के निपल को चुसने लगी । और व भी अब नीचे से अपनी गांड उचकाने लगी । मम्मी ने बिमला की मुंह को अपनी चुचियोँ से अलग कर उसकी होंठ को चुमने लगी और धीरे-धीरे अपनी गांड उछालती हुई उसकी चूत मेँ लंड अंदर-बाहर करने लगी ।

बिमला ने अब नीचे से अपनी चुतड उछालनी शुरू कर दी । उसने मम्मी की दोनोँ चुतडोँ को अपने हाथोँ में थाम लिया और उन्हेँ मसलते हुए अपनी बुर मेँ दबाती रही । गांड उछालने से मम्मी की अंडकोष बिमला की गांड के छेद मेँ रगड खा रहे थे । बिमला की बुर से गच-गच ,,,,फ़च-फ़च की आवाज़ेँ आनी शुरू हो गई थी । अब मम्मी को मज़ा आना शुरू हो गया था और ज़ोर-ज़ोर से लंड को बुर मेँ पेलती हुई बिमला की होंठोँ और गालो को चूमने लगी थी और उसकी चुचियों को दबा रही थी । मम्मी की मुंह से सिसकारियों निकल रही थी और व हांफती हुई बडबडाने लगी ।

मम्मी की नितम्ब पर बिमला हाथ फिरा रही थी और व उपर से दबाते हुए मम्मी की लंड अपनी चूत में ले रही थी । पूरे कमरे में गच-गच ..... फ़च-फ़च की आवाज़ गूंज रही थी । दोनोँ के बदन से निकलता पसीना एक दूसरे को भिगो रहा था । फिर मम्मी ने बड़ी तेजी से अपनी भारी गांड हवा में उछालते हुए बिमला को चोदने लगी । मम्मी की पुरी बदन उत्तेजना में कांप रही थी और व बुर में लंड की रफ़्तार बढ़ा दी । बिमला सिसकते हुए बोली-
"बहु ऐसे ही मेरा निकलने वाला है, मारती रहो धक्का धीरे मत करो, ऐसे ही अब निकल जाएगा मेरा ।"

मम्मी ने भी मस्ती मेँ बड-बडाने लगी-
"ईईईईईई...ऊऊमाआ निकल जाएगाआअ,ईईई, मेरा निकल रहा हाईईईई,,,,,,,,, लगा कस के, तेरी बुर..।" कह कर मम्मी ने ज़ोर से धकका लगाते हुए लंड उसकी बुर मेँ जड तक पेल दी और गालिया बकते हुए विर्य छोडने लगी-
"ओह मेराआअ, ओह, तुमने तो आज जन्नत की सैर का आआअ...ईईई रे, ओह माआआआअ, गयी मैं तो, ओह मेरे लंड को पूरा का पूराआआ.,।" कह कर मम्मी बिमला के उपर लुढक गयी ।

मम्मी के झड़ने के साथ ही मैंने भी अपने लंड को जोर-जोर से मुठी में भर कर चोदने लगा और दो ही मिनट में सारा मॉल निकल दिया । मैं ऑंखें बंद करके हांफने लगा था । कुछ देर बाद मैंने फिर से मम्मी और बिमला आंटी की चोदाई देखने अन्दर देखा ।

बिमला भी झड चुकी थी । दोनोँ की आंखेँ बंद थी और एक दूसरे के बदन से चिपके हुए थे । मम्मी उठी और बिमला की बुर से लंड निकल ली और बुर से निकल रहे विर्य को चाट कर खाने लगी । बुर की सारा रस चाट जाने के बाद आराम से बिमला की सुडौल बदन को तौलिये से पोंछ रही थी । पोंछते पोंछते मम्मी ने कहा-
"भामी, तुम्हारी बुर इन झांटों ने ढक कर रखी है.. कुछ भी नहीँ दीखता है.. डॉक्टर साहब कुछ बोलते नहीँ....।"

और मम्मी ने बिमला के पैंरो के पास बैठ कर चूत को चूमा और दोनोँ हाथोँ से झांट अलग कर बूर की फांक को फैलाया कहा-
"कितना प्यारा माल है, चुमने और चाट्ने का मन करता है । लेकिन इन झांटो के बीच बूर चुसने और चाट्ने मेँ मजा नहीँ आयेगा ।"

मम्मी ने फिर बिमला की बूर को फैलाया और अन्दर के गुलाबी छेद को चुमते हुये कहा-
"लगता है तुम्हारा घरवाला कभी बुर को चुसता नहीँ है... तो फिर तुम्हेँ चूत का मजा ठिक से मिला ही नहीँ होगा । रानी चुदाई से ज्यादा मजा चूत चटवाने मेँ आता है । बुर साफ कर लो फिर तुम्हेँ ऐसा मजा दुंगी कि बूर चाटने के लीये लोगों से खुशामद करती रहोगी ।"

"मैने आज तक अपनी चूत की झांटेँ साफ नहीँ की है । अब में अपनी झांटेँ साफ करूंगी तो उन्हेँ शक़ हो सकता है ।" बिमला बोली ।

"अरे इस बात को लेकर तुम चिंता मत करो.. तुम मर्दों की फ़िदरत को नहीँ जानती.. जब व तुम्हारी बिना बालों की चूत देखागा , व तुम्हारी चूत चूसने मेँ लगा रहेगा ।" मम्मी ने जवाब दिया ।

"ठीक है फिर एक काम करते हैँ, तुम मेरी चूत के बाल साफ कर दो ।" बिमला ने कहा ।

"ठीक है । क्या में तुम्हारी चूत के बाल अभी इतनी रात को साफ कर दूं ? भाभी, अभी तो मैँ चोदाई से थक गई हुं ।" मम्मी ने पूछा ।

"हां और क्या ? शुभ काम मेँ देरी क्यों ! अभी सब सोए हुए हैँ, अब तुम आराम से मेरी बुर के बाल काट सकती हो ।" बिमला ने हंसते हुए कहा ।

मैँने गौर से दोनोँ की बातेँ सुन रहा था । मम्मी की झांटेँ साफ करने वाली बात सुन कर मेरा लंड मेँ फिर से तनाव आना शुरु हो गया । उन्हेँ क्या पता कि मैँ कबसे दोँनोँ की चोदाई देख रहा हुं । फिर मैँने लंड को सहलाते हुए अंदल झांकने लगा ।

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