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Click hereदोनोँ महिलाएं खड़ी हुई और पास के टेबल की ओर बढ़ गयी । चलने से दोनोँ महिलाओँ के भारी चुतड की थिरक देखकर मेरा लंड फिर से तन कर खडा हो गया । मम्मी की लंड चलने से आगे-पिछे थिरक रही थी ।
मम्मी ने पहले तो सभी समान इकट्ठा किया जो झांटेँ साफ करने के काम मेँ आता है और फिर अपनी भाभी को टेबल पर लेट जाने को कहा । बिमला टेबल पर लेट गयी । मम्मी उस के सामने खड़ी हो गयी और उसकी एक बिते बुर को निहारने हुए बिमला के होँठों पर एक चुंबन जड़ दिया । फिर मम्मी ने कैँची लेकर बिमला की बुर की झांटेँ अच्छी तरह से तराश कर छोटी कर दी । फिर उस पर शेविंग क्रीम लगा दी । मम्मी फिर रेज़र उठा कर उसकी झान्टेँ साफ करने लगी । व गरम पानी मेँ रेज़र को डुबाती और फिर बुर की मुलायम त्वचा पर रेज़र घुमा देती । आख़िर मेँ बिमला की बुर पर बाल का एक रेशा भी नहीँ बचा था । फिर मम्मी ने गरम पानी से उसकी चूत और बगल के हिस्से को अच्छी तरह पौंछ दिया । बिमला अब उठ कर अपनी बिना बालों की चूत को शीशे के आगे निहारने लगी ।
"अच्छा लगा ?" मम्मी ने पूछा ।
"कुछ कह नहीँ सकती, क्योंकि मैँने पहली बार अपने बुर के बाल साफ किए हैँ । पर एक बात बताओ बहू, तुमने इतनी अच्छे तरीके से बाल काटना कहां से सिखे । क्या मैँ खुद अपना झांट साफ कर सकती हुं ?" बिमला ने मम्मी से पुछी ।
"व तुम्हेँ अभी समझ मेँ नहीँ आएगा । पहले मैँ खुद ही अपने बुर के बाल साफ कर लेती थी । मेरी पति तो अब नहीँ रहे पर उन्हेँ बिना झांटोँ वाली बुर बहुत पसंद था । उन्होँने ही मुझे बाल बनाना सिखाए थे ।" मम्मी ने हंसते हुए कहा ।
"पर बहू, अब तुम लंड का झांट क्योँ बढा रखी हो ?"
"जैसे बुर बिना झांटोँ से अच्छा लगता है उसी तरह झांटोँ से लंड की शोभा बढता है । अब समझ मेँ आया, मैँ क्योँ अपनी लंड पर बाल उगाई रखी हुं ।" मम्मी ने अपनी लंड को सहलाती हुई जवाब दी ।
फिर मम्मी निचे बैठ गई और अपनी जिभ को बिमला की बिना झांटोँ के बुर को चारों और फिराने के बाद थोडी देर तक चूत को चाटने लगी और बोली-
"देखो भाभी, अभी मेरा बेटा यहां है, अगले रात को फिर मेरे पास आ जाना । मैँ तुम्हेँ बुर चटाई का असली मजा दुंगी । चलो अभी बहुत थक गई हुं मैँ ।"
फिर बिमला अपनी पेटीकोट, ब्लाउज पकडी... साडी जब लपेटने लगी तो मम्मी उसे रोकते हुए बोली-
"ये क्या भाभी, साडी क्यूँ पहन रही हो ? चलो ऐसे ही ।"
"पर बहू, कोई देख लेगा तो ?"
"अरे सब सो रहे होँगे अभी, चलो मैँ भी इसी तरह चलती हुं तुम्हारे साथ ।"
जैसे ही मम्मी और बिमला आंटी निकलने के लिए दरवाजे की और बढे मैँ तुरंत वहां से हट कर पिछे कोने मेँ छिप गया । कोना अंधेरा था, इसीलिए मैँ बच गया । तभी दरवाजा खुली, मम्मी और आंटी बाहर आ गए और बिमला की कमरे की और बिल्कुल नंगे ही जाने लगे । दोनोँ महिलाओँ के नंगा बदन देखकर मेरा लंड फिर से खडा हो गया । मैंने मम्मी की नंगी बदन को निहारने लगा, मम्मी चलते हुए अपने बिखरे लम्बे बालोँ को संवारने लगी थी जो चोदाई करते बक्त बिखर गया था । मम्मी की मस्त उभरी गांड चलने से उपर-निचे थिरक रहे थे, हाय!.. बडे ही सेक्सी लग रही था मम्मी की गांड ।
बिमला को छोड कर मम्मी वापस लौटने लगी । तभी मम्मी लंड के जड को मसलने लगी, शायद खुजली होने लगी... और क्योँ न हो इतनी चोदाई जो की थी बुर मेँ । उसकी लंड बांए-दांए थिरक रहे थे ।
तभी अचानक मम्मी निचे उतर गई और दिवार के पास जाकर अपनी लंड हाथ में लिए खडी हो गई । मेरा तो पुरे बदन कांपने लगा, मुझे मम्मी की मस्त लंड दिख रहा था जिसको एक हाथ से व सहला रही थी । पर ये क्या ? आगे-पीछे बिना देखे ही मम्मी दिवार पर लंड भिडा कर पेशाब करने लगी । मैँने झट से अपने लंड को मुठियाने लगा शायद कोई आवाज न आए, इसिलीए मम्मी दिवार से लंड सटा कर पेशाब कर रही थी । मम्मी को शायद बहुत जोर से पेशाब लगी थी, और इतनी रात को कौन जाग रहा होगा...... इसिलीए मम्मी बिना सोचे ही दरवाजे के सामने नंगी पेशाब कर रही थी । मैँ लंड मुठियाते हुए मम्मी की लंड देख रहा था । मम्मी एक हाथ से लंड को पकडे रखा था और दुसरी हाथ से अपनी नंगी गांड को सहला रही थी, लंड के सुपाडे से तेज धार के साथ पेशाब निकल रही थी । काफी देर के बाद मम्मी पेशाब खत्म की और लंड को निचोड के खाली कर दिया । और मुड कर अपने कमरे मेँ घुस गाई ।
मैँ जोर-जोर लंड मुठियाने के बाद झड गया और अपने कमरे मेँ आकर सो गया ।
समाप्त
Ye galat bol rahe ho uski to bur hogi