डॉक्टर का लंड - गौरी की चूत

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मेरा लंड भी आब कमउक्ता की सारी हदें पैर कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच मैं बैठा और उसकी टांगों को हवा मैं व शापे की तरह पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी छूट पैर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पैर ज़रा कस कर दबाया. छूट इतनी लुबरिकाटेड थी की लंड का हेअड़ तो घुस ही गया. आह. मरगगा. !! मैं मार गई. डॉकतूर्रर स्साहह्हहाआबबब. घबराऊ नहीं मेरी जान. और मैने लंड को हाथ से पकड़ तोड़ा और घुसाया. वो मुझे ढाका देने लगी वो चिल्ला भी रही थी दर्द के मारे. तब मैने उसे ज़बरदस्ती नीचे पटक्कर. उसपर लाते गया. अपनी छ्हात्ती से उसके बूब्स को मसलते मसलते आधे घुसे लंड को एक ज़बरदस्त शॉट मारा. वो इतनी ज़ोर से चीखी मोटिओं किसी ने मार ही डाला हो. उसका शरीर भी तड़प उठा. और उसने मुझे कस कर जकड़ भी लिया था. मेरे लंड का क़रीब 7 इंच उंदार घुसा हुआ था. और शायद उसकी कौमार्या की झिल्ली जो तनी हुई थी और अभी फ़ात्नी बाक़ी थी. थोड़ी देर बाद जब वो शांत सी हुई तो बोली.

डॉकटोर साहब मुझे छ्छोड़ दो. मैं नहीं सह पाऊँगी आपका लंड. मैने उसके हूंतों पैर अपने हूनत रखे और एक ज़बरदस्त क़िसस दिया जिस्मैईन उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गाये थे. उसकी लंबी बहूं ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी तँगन भी मेरी टांगों से लिपट रही थी. जैसे ठीक से छुड़ने के लिए पॉसीटिओं ले रही हो. थोड़ी देर मैं जब मुझे लगा की वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैने लंड को तोड़ा सा बाहर निकलते हुए एक भरपूर शॉट मारा. लंड का ये प्रहार इतना शक्तिसालि था की वो पस्त हो गई. एक और चीख के साथ एक हल्की सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्या आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दूसरे मरद से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उस'की छूट से रस धार बह निक'ली और बूरी तरह हांफ़ रही थी.
अब गोरी की छूट पूरी लासिली थी और मैं अभी तक नहीं झारा था. मैने ज़ोर डार धाक्कों के साथ उसे छोड़'ना शुरू किया. उस'की तिघ्ट छूट की दीवारों से रग़ाद ख़ाके मेरा लंड छ्हीला जा रहा था. लेकिन मैं रुका नहीं और उसे बूरी तरह छोड़'ता रहा. फिर मैने लंड उस'की छूट से खींच लिया और लंड एक आवाज़ के साथ बाहर आ गया मोटिओं सोड़ा वाटेर की बोट्थले खोली हो. फिर मैने उसे डोगग्य स्टयले में कर दिया और पीच्े से लंड उस'की छूट में डाल उसे छोड़'ने लगा. अब गोरी भी मस्ती में आ गयी और मुझे ज़ोर से छोड़'ने के लिए उक'साने लगी. छोड़ो मुझे. डॉकटोर साहब. फाड़ दो मेरी. डॉकटोर साहब. छ्छोड़ना मत मुझे. बुरी तरह. फाड़ दो मुझे. और ज़ोर से छोड़ दो मुझे. मैं दासी हूँ आपकी. आपकी सेवा करूँगी. रोज़ रात दिन आपके सामने बिल्कुल नंगी होकर रहूंगी. आपके लिए हमेशा तैयार रहूंगी. और जब जब आपका लंड चाहेगा तब तब छुड़वाने के लिए आपके बिस्तर पैर लेट जाऊंगी. पैर मुझे ख़ूब छोड़ो साहब. और ज़ोर से और तेज़ी से छोड़ो साहब. उस रात मैने गोरी को दो बार छोड़ा. दूसरे दिन दोपहर में ठाकुरैईं क्लिनिक में आ गयी मैने उसे बताया की चेक्क उप हो गया है और शाम तक छ्होटा सा ओपेरातिओं हो जाएगा और कल आप'की बहू आप'के घर चली जाएगी. ठाकुरैईं संतुस्ट होकर वापस हवेली चली गयी

आज रात गोरी ख़ुद उतावाली थी की कब रात हो. उसे भी पता था की कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने का. उसने आज मोटिओं मैने चाहा वैसे कर'ने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैने गोरी को तरह तरह से काई पोसे में छोड़ा. साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रह'ना है और क्या कर'ना है सब सम'झा दिया. दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया. मैने उसे समझा दिया की गोरी का ओपेरातिओं हो गया है डॉकटोर साहब गोरी अब मा बनेगी ना? हाँ पैर तुम जल्द बाज़ी मत कर'ना. अभी एक महीने तो गोरी से दूर ही रह'ना. और हाँ इसे बीच बीच में यहाँ चेक्क उप के लिए भेज'ते रह'ना. यह बहुत साव'धानी का काम है राजन ने कुच्छ आसमंजस से हाँ भारी. फिर वह गोरी को ले गया. गोरी मेरे प्लान के अनुसार बीच बीच में क्लिनिक में आती रही. मैं उसे शाम के वक़्त बुलाता जब गाँव के मरीज़ नहीं होते. रात 8 - 9 बजे तक उसे रख उसकी ख़ूब छुड़ाई कर'ता. गोरी भी ख़ूब मस्ती के साथ मुझ से छुड़'टी.

दो महीने बाद गोरी के ग़रभ तहर गया. मैने गोरी को समझा दिया की वह राजन से अब छुड़वाए. उसकी छूट को तो मेरे 10" के लंड ने पहले ही भोस'दा बना दिया था जहाँ अब राजन का लंड आराम से चला जाता.

राजन भी बहुत ख़ुश था की डॉकटोर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को छोड़ पा रहा है गोरी पह'ले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी. ठाकुरैईं को जब पता चला की गोरी के पान'व भारी हो गाये हैं तो उस'ने क्लिनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया. में तो ख़ुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मेद में आप'ना क्लिनिक चला रहा हूँ.

यह थी मेरी कहानी !

दोस्तो, आपको कैसी लगी, जरूर बताएँ।

apka

raviram69 (mastram-musafir)

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