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Click hereमैं वहाँ पर अंदर घुस गयी और तभी मेरी तरफ़ मर्दों की भीड़ जमा होनी शुरू हो गयी। मैं ये देखकर हैरान रह गयी कि वहाँ करीब तीन-चार औरतें और भी थीं जो अलग-अलग जगह पर गाँव के कईं मर्दों से ग्रुप-चुदाई करवा रही थीं। उन्हें देखकर साफ ज़ाहिर था कि ये गाँव की रहने वाली औरतें नहीं थीं बल्कि मेरी ही तरह शहर से आयी हुई अमीर औरतें थीं। मैंने तभी उन मर्दों से कहा कि “आप सब मेरी चुदाई कर लो पर इसके बदले में मुझे पैसे चाहिये।” इस पर वो कहने लगे कि “पहले चुदाई होगी तेरी और बाद में पैसे दे देंगे तुझे थोड़े बहुत! ” फिर मेरी चुदाई वहीं पर स्टार्ट हो गयी।
अल्लाह जाने मेरे अंदर घंटों इतनी चुदाई करवाने ताकत कहाँ से आ गयी थी। पिछली शाम से मैं कितने ही मर्दों से बेतहाशा चुदी थी और अब फिर चुदने के लिये तैयार थी। सभी मर्द मेरे को चोदने के लिये आ गये। वहाँ पर भीड़ इतनी बढ़ गयी कि कोई भी मुझे चोद नहीं पा रहा था। तभी उनमें से जो थोड़ा नेता किस्म का था उसने कहा, “बारी-बारी से चोद लेना सभी लोग और एक लाइन लगा लो सभी मर्द!” तकरीबन बीस-पच्चीस मर्द होंगे वहाँ पर। उन सभी ने लाइन लगा ली और बारी-बारी से मुझे चोदने लगे।
मुझे कुछ नहीं होश था कि मुझे कौन-कौन चोद रहा था। बस मैं तो अब ऐसे ही गंदी गली में ज़मीन पर पड़ी थी जो कोई आ रहा था बस मुझे चोदते जा रहा था। तकरीबन शाम के पाँच बजे मैंने उनसे कहा कि “बस अब मुझे जाने दो और पैसे दे दो!” तो उन्होंने कहा “अभी कुछ देर और रुक जा। और थोड़ी देर में चली जाना।” तकरीबन सवा पाँच बजे उन्होंने मेरी चुदाई बंद कर दी और मुझे कहा “चल अब दफ़ा हो जा यहाँ से!”
मैंने उन्हें कहा कि “मुझे पैसे तो दे दो!” तो सभी हंसने लग पड़े और कहने लगे “तेरे जैसी अमीर और शहरी औरतें हमारे पास चुदवाने के लिये आती हैं और हमें ही पैसे भी देती हैं और तू हमसे पैसे माँग रही है?” अब मैं समझी कि वो औरतें जो मुझसे पहले वहाँ चुद रही थीं वो पैसे दे कर इन गाँव वालों से चुदवाने के लिये आती हैं। और इसी ल्ये सुबह मुझे चोदने वाले मर्दों ने मुझसे पैसे माँगे थे। पर मेरे हालात उस वक्त दूसरे थे। मुझे तो चुदवा कर पैसे कमाने थे।
मैंने उनसे मिन्नत की कि मुझे पैसे बहुत ज़रूरी चाहिये तो सबने कहा “लगता है ये छिनाल विशाल साहब ने यहाँ भेजी है! चलो इस कुत्ती को थोड़े बहुत पैसे सभी दे दो! हमारा ही फायदा है क्योंकि ये भी अब हमारी नई ग्राहक बनेगी।” तो सभी ने मुझे पचास-पचास रुपये दे दिये। कुल मिला कर तेरह सौ पचास रुपये ही इकट्ठे हुए।
अब भी मेरे पास साढ़े छः सौ रुपये कम थे। मैंने उनसे कहा कि “मुझे साढ़े छः सौ रुपये और चाहिये” तो उन्होंने कहा कि “साली इतने दे दिये ना बहुत है अब और पैसे नहीं मिलेंगे तुझे!” मैंने उनसे फ़िर से मिन्नत की और कहा कि “मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ पर मुझे साढ़े छः सौ रुपये और दे दो।” इस पर उनमें से एक ने कहा कि “तुझे अभी के अभी एक कुत्ते और गधे का लन्ड लेना होगा।” मैं ये सुनकर हैरान गयी। इस कहानी की लेखिका रिहाना हुसैन है!
मैंने पहले सोचा कि अगर पैसे ना लेकर गयी तो एक हफ़्ते तक कईं मर्दों से चुदाई होगी और पता नहीं विशाल क्या-क्या उल्टी सीधी सज़ा दे मुझे। इससे अच्छा तो है कि मैं अभी कुत्ते और गधे से चुदवा लूँ... एक नया तजुर्बा भी हो जायेगा। मैं इतनी ठरकी और बेशरम बन गयी थी कि जानवरों से चुदने का सोच कर गरम हो रही थी। मैंने तुरंत हाँ कर दी।
तभी वहाँ पर थोड़ी ही देर में कुछ मर्द एक बड़े से कुत्ते और गधे को ले कर आ गये। कुत्ते के मुँह बन्धा हुआ था ताकि वो किसी को काट ना ले। वहाँ पर बहुत भीड़ जमा हो गयी मुझे देखने के लिये। तकरीबन पूरा गाँव मुझे देखने के लिये आ गया। तकरीबन साठ-सत्तर मर्द वहाँ पर आ गये थे।
मैंने तभी गधे का लन्ड चूसना स्टार्ट कर दिया और कुत्ते को मेरी कमर पर चढ़ा कर मेरी चूत में कुत्ते का लन्ड डाल दिया गया। गाँव के सभी लोग कहकहे लगा रहे थे और मजे ले रहे थे। सभी बहुत मजे ले रहे थे और कह रहे थे “आज तो मज़ा आ गया! ऐसी चुदाई काफी दिनों बाद देखने को मिली है!” कुत्ते के लण्ड से चुदाई में मुझे भी जम कर मज़ा आया। कुत्ते से चुदते हुए मैं गधे के लन्ड का टोपा भी चुस रही थी। गधे के लन्ड के छेद से चीकना सा पानी बह रहा थ जिसे मैं पीने लगी। बहुत ही अजीब सा स्वाद था। जब कुत्ते का वीर्य मेरी चूत में निकल गया तो मेरी चूत में गधे का लन्ड लेने की बारी थी। मेरे चूसने और मेरे हाथों की मालिश से गधे का लन्ड तो तन कर बहुत ही ज्यादा बड़ा हो गया था। तकरीबन पंद्रह-सोलह इंच से भी ज्यादा बड़ा लन्ड होगा उस गधे का। उस तने हुए लन्ड का साइज़ देखकर एक बार तो मैं सिहर गयी लेकिन मेरी चूत उससे चुदने के लिये मचलने लगी। इस कहानी की लेखिका रिहाना हुसैन है!
मैंने गधे के नीचे लेट कर चुदने के लिये पोज़िशान ले ली। मेरा सिर और कंधे ज़मीन पर टिके थे और पैर मज़बूती से ज़मीन पर गड़ाये हुए मैंने अपने घुटने मोड़कर अपनी गाँड हवा में उठा कर अपनी चूत गधे के फनफनाते लन्ड के पास ठेल दी। मैंने एक हाथ बढ़ा कर उसका लन्ड अपनी चूत के ऊपर टिका दिया और तभी वो गधा झटके से लन्ड मेरी चुत में पेलने लगा तो मैंने भी अपने कुल्हे लन्ड पर आगे ठेल दिये। वो लन्ड थोड़ा सा मेरी चूत में अंदर जा कर फंस गया। थोड़ा मैंने अपनी गाँड घुमा-घुमा कर हिलायी और थोड़ा गधे ने लन्ड को झटके मारे और उसका लन्ड मेरी चूत में उतरने लगा। आखिर में गधा जोर से रेंका और एक ज़ोर का धक्का मार कर लन्ड इतना अंदर उतार दिया कि अब और अंदर जाने कि गुंजाइश नहीं थी। मैं मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। मैं ये भी भूल गयी थी कि हमारे चारों तरफ गाँव के मर्द खड़े गधे से मेरी चुदाई का नज़रा देख रहे थे। उसके बाद मेरी गधे से चुदाई स्टार्ट हो गयी। तकरीबन २-३ मिनट की चुदाई के बाद ही मेरा जिस्म ऐंठ गया और मैं जोर से चींखते हुए भरभरा कर झड़ गयी। मेरा जिस्म इस तरह झनझनाने लगा जैसे मिर्गी का दौरा पड़ा हो। इतनी ज़ोर से मैं झड़ी कि मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया। उसके बाद तो मुझे कुछ होश ही नहीं रहा।
तकरीबन पंद्रह-बीस मिनट तक गधा मुझे चोदता रहा और मैं बे-होशी की हालत में भी बार-बार झड़ती रही। जब मुझे होश आया तो मैं वहीं ज़मीन पर पड़ी हुई थी और मेरे ऊपर गधे का बहुत सारा वीर्य था। उसके बाद मैं उठी और मुझे उन्होंने दो हज़ार रुपये दे दिये। मैं वहाँ से विशाल के घर की तरफ़ चल पड़ी। मैं वहाँ पहुँची तो देखा कि वहाँ पर रुबीना कि चुदाई चल रही थी।
मैंने विशाल को कहा कि “मैं दो हज़ार रुपये ले आयी हूँ।” इसपर विशाल ने मुझे मेरे फटे हुए कपड़े दे दिये। मैं एक बार फिर से बाथरूम में जा कर नहायी और मैंने वो कपड़े पहन लिये। उसके बाद विशाल ने मुझे बताया कि रुबिना एक हफ़्ते के लिये यहाँ पर रह कर उससे और उसके दोस्तों से चुदने के लिये आयी है। उसके बाद मुझे विशाल ने मेरे घर छोड़ दिया। इस कहानी की लेखिका रिहाना हुसैन है!
इस बात को तकरीबन तीन साल हो गये हैं। उसके बाद से मुझे लन्ड लेने की ऐसी लत्त लगी कि अब तक मैं तकरीबन दो सौ से भी ज्यादा मर्दों से चुदवा चूकी हूँ। हर महीने में तकरीबन दो-तीन बार मैं विशाल के गाँव में जा कर उसके दोस्तों के अलावा गाँव के मर्दों से चुदवाती हूँ वो भी पैसे दे कर। इसके अलावा भी मैं जहाँ कहीं भी हूँ वहीं किसी ना किसी से चुदवा लेती हूँ। अपने मोहल्ले में भी कईं पड़ोसियों के साथ-साथ दूध वाले, सब्ज़ी वाले, चौंकीदार और यहाँ तक कि भिखारियों तक से चुदवाने से बाज़ नहीं आती।
मर्दों के अलावा मुझे जानवारों से भी चुदने की लत्त पड़ गयी। मेरे मोहल्ले की गलियों का शायद ही कोई कुत्ता बचा हो जिससे मैंने चुदवाया ना हो। तकरीबन हर रोज़ ही दिन भर में गली के एक या दो कुत्तों को फुसला कर अपने घर में ले जा कर खूब चुदवाती हूँ। कुत्तों का लन्ड झड़ने के बाद जब मेरी चूत या गाँड में फूल कर फंस जाता है तो मुझे खूब मज़ा आता है और मैं आधा-आधा घाँटा कुत्ती की तरह उनसे जुड़ी रहती हूँ। अब तो ये हाल है कि मेरे घर के गेट के बाहर गली-मोहल्ले के कुत्ते खुद ही मंडराते रहते हैं मुझे चोदने के लिये। जब भी विशाल के गाँव में जाती हूँ तो गाँव के मर्दों की मदद से किसी ना किसी गधे से ज़रूर चुदवाती हुँ। गाँव वालों के मेहरबानी से ही कुत्तों और गधों के अलावा कईं बार तो दूसरे जानवर जैसे कि घोड़ा, बकरा, बैल, इनके लन्ड से भी चुदवाने का खूब मज़ा लेती हूँ।
मेरे शौहर जब भी छः-सात महीने में दो हफ्तों की छुट्टी लेकर आते हैं तो मैं उन्हें भी नहीं छोडती। उन्हें भी वायग्रा खिला-खिला कर घंटों उनसे चुदवाती हूँ। उन्हें मैंने ये एहसास दिला रखा कि उनके ना रहने पर मैं कितना तड़पती हुँ और जब वो आते हैं तो मैं चुदाई की महीनों की कसर उनके साथ निकालती हूँ। मुझे चोदते-चोदते अधमरे हो जाते हैं और बारह-बारह घंटे बेसुध होकर सोये पड़े रहते हैं। इस दौरान उनकी मौजूदगी में भी मैं दुसरे मर्दों और कुत्तों से चुदवा लेती हूँ।
!!!! समाप्त !!!!
Hi @Arfa... سلام علیکم
kya aapko kisi ki madad ya rahnumai mili? mujhe bhi ye kahani parh ke bohat maza aaya aur کُتّوں ke saath sex ke baare mein bohat dilchaspi hai.
میں نے اس کہانی کو کم از کم پچھلے ہفتے میں تین مرتبہ پڑھا ہے اور اسی حوالے سے خواب دیکھ رہی ہوں۔ شکریہ آپ کی شاندار کہانی کا
"میرا بھی اب جانوروں کے ساتھ یہ سب کرنے کا بہت دل کرنے لگا ہے
Absolutely amazing, this is peak bdsm with incredible plot development and execution. keep comming more from Rehana Hussain and Vishal
Bohat hi sexy story likhi hai aur zahir hai ki kaafi had tak ismei fiction hi hai… Mai aapse poochna chahti hoo ki kya ismei thodi bohat haqiqat bhi hai kya jaise ki kya aapne really mei کُتّوں ke saath kiya hua hai kya..
Main aisa isliye pooch rahi hoon kyonki meri bhi ye fantasy rahi hai kai saalo se کُتّوں ke saath sex karne ki lekin kabhi amal karne ki himmat nahi hui…. Agar aapko really mei tazurba hai to please meri thodi رہنمائ kare den… I am 36… shadishuda hun… aur sex ki kaafi shaukeen hoon… porn wagairah ka bhi kaafi shauk hai… aur ab tak chaar gair mardo ke saath sex relations bhi rahe hai… lekin ab کُتّوں ke saath sex ka really mei tajurba karne chahti hoon… please help kar de ismei meri…
-Arfa
Amar16, aapki Maa dhanya hain. Saal mein 200, to aaj tak ek shahar ki aabadi jitne to ho hi gaye hone? Aap ko apne 'real baap' ka pataa hai ya....? Main 27 saal ki hoon, lekin abhi tak sirf saat ke saath...
Ragini