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Click hereविवेक ने अपना लंड तृषा के मुंह में दे दिया. तृषा मोटा लंड अपने मुंह में ले कर मजे से चूसने लगी. इधर नीचे कविता तृषा की बुर के आस पास का इलाका, गांड का छेद सब कुछ चाट रही थी. तृषा तुरंत झड गयी, पर उसने अपने पापा का लंड चाटना नहीं छोड़ा.
बाद में तीनों ने एक साथ शावर में नहाया. शावर में विवेक ने तृषा को चोदा. जब वो उसे छोड़ रहा था. माँ कविता अपनी बेटी की चूत चूस रहें थीं.
इस तरह से पूरा दिन पारिवारिक खेल में बीता. रात में विवेक ने माँ और बेटी दोनों की चूत मारी और गांड मारी. एक पोज में जब माँ बेटी एक दुसरे के ऊपर 69 कर रहे थे. विवेक अपना लंड थोड़े देर कविता की चूत में डाल के चोदता था फिर निकाल कर चल के दुसरे किनारे पर आ कर उसे त्रिधा की गांड में पेल देता था. चुदाई के तरह की क्रीड़ायें करते हुए परिवार एक ही बिस्तर पर सो गया.
सुबह का सूरज निकला. परिवार में किसी को पिछले 48 घंटे में कपडे पहनने की जरूरत नहीं महसूस हुई थी. तृषा अपने माँ डैड के लिए चाय बना कर लायी. और पूछा,
"क्या आज पडोसी हमारे यहाँ आ रहे हैं?"
"हाँ. मैं फोन कर के कन्फर्म कर देत़ा हूँ अभी”
"क्या मैं आप लोगों की पार्टी में आ सकती हूँ आज प्लीज?"
कविता और विवके ने एक दूसरे की तरफ देखा और बोला,
“हाँ पार्टी में तो आ सकती हो, पर पहले हम दोनों से एक एक बार चुदना होगा चाय पीने के बाद”
परिवार के तीनों लोग इस बात पर हंसने लगे.
हंसी-खुशी का ये महौल जारी रहेगा अगले भाग में ...
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