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Click hereनमस्कार पाठको यह कहानी 4 साल पहले की है ये मां के बारे में है . ये कहनी मेरी उस बारे में है कि कैसे मैंने अपनी मां को उनके भतीजे के साथ सेक्स करते देखा . और उसके बाद आज तक कई बार मैंने अपनी मां को सेक्स करते हुए देखा है. वो पहली बार था ऐसे एहसास मै कभी नहीं भूल सकता. अपने ही उम्र के लड़के को अपनी ही मां के ऊपर चढ़े हुए देखना वाकई अदभुत है . ये कहानी इस चैनल पर पहली बार है तो कोई गलती हो तो मुझे माफ़ करना . अब मई कहानी कहता हु .
कहानी के पात्रों से मैं आपका परिचय करा देता हूं कहनी मेरी मां के ऊपर है जिसका नाम है नम्रता है, देखने में गोरी हैं सूरत है हेमा मालिनी जैसी , उनकी तरह लगती है जब वह तैयार होती है . बड़े बड़े बूब्स जिसका साइज 40डी है. उनको देख कर कई लोग मचल जाते हैं, छोटे लड़कों का भी लौड़ा चलने लगते हैं . दूसरा पत्र का पात्र है सूरज जो कि मेरे चाचा का लड़का है वो.काफी हस्ट पुष्ट है उसका शरीर वह 6 फुट लंबा है और उसका ल** करीब 7 इंच लंबा है
तो कहानी कुछ इस तरीके से है 4 साल पहले जब मैं दसवीं कक्षा के अंदर था तो सूरज वह 12वीं पास कर चुका था . हम हर साल गर्मी की छुट्टी में गांव में जाते थे . मेरा गांव गोमतीनगर में है जो कि उत्तर प्रदेश में पड़ता है
गांव में अगर आप जाते हो तो आपको पता होगा गांव में दोपहर में कोई काम नहीं होता और सब लोग आराम से सो जाते हैं . गांव में अभी पढ़ाई का कोई जोर जबरदस्ती नहीं होता तो आदमी चाहे तो 12वीं के बाद 1 या 2 साल आराम से घर बैठकर मटरगश्ती कर सकता है , सूरज वो करता भी था . सूरज को इधर उधर बातें करना बातें बनाना उसको बहुत अच्छे से आता इसमें वक निपुण और शातिर भी था .
वह दिन मुझे अभी तक याद है दिन था 12 जून 201६, उस दिन हम सब लोग रात में छत पर सो रहे थे . मेरी मां जो साड़ी पहन कर सो रही थी , दाएं तरफ मैं था और बाएं तरफ सूरज था. वो हमारे साथ ही सोता था या यह कहें मम्मी के साथ ही सोता था . मुझे समझ नहीं आता था कि कैसे एक बारहवीं करने वाला छात्र , उसकी उम्र उस वक्त करीब 18 साल की रही होगी साल का लड़का मा से सट के सो रहा होता है और मां को भी कोई परेशानी नहीं थी . तो मैंने भी की कभी इस बारी पर ध्यान नहीं दिया . एक दिन जब मैं रात में पेशाब के लिए उठा तो मेंने देखा कि मां सूरज के बाईं तरफ जा चुकी है यानी वह मेरी तरफ से हटके सूरज के बगल में जा चुकी थी मुझे लगा कोई बात नहीं इतना तो शायद चलता ही है लेकिन मैं गलत था.
मैं जब पेशाब कर के ऊपर आया तो मैंने उस वक्त थोड़ी सी हलचल देखी, मेरी एक खासियत है कि मैं दबे पांव ही ऊपर चला आता हूं, मेरी बाहर आने की , इधर-उधर चलने की आवाज ज्यादा लोग सुन नहीं पाते . उस वक्त मैंने मेरी मां और सूरज को उस वक्त रंगे हाथों पकड़ा लेकिन अंधेरा बहुत ज्यादा होने के कारण मुझे लगा कि शायद गलती से हाथ उधर हो चला गया. इतने अंधेरे में तो यह लग रहा था जैसे सूरज ने मेरी मां के पेटीकोट के अंदर हाथ डाला हो . मैं थोड़ा सा और आगे आया और उन लोगों ने हाथ निकाल लिया . हालाकि बहुत ज्यादा अंधेरे के कारण मैं कुछ उस वक्त स्पष्ट नहीं कर पाया और मैं वहां आकर सो गया.
मैं फिर सोने का नाटक कर रहा था मुझे उस वक्त कुछ शक हो गया था इसलिए मैंने सिर्फ आंखें बंद की और मुंह दूसरी तरफ कर कर लेटने की कोशिश की और थोड़ी देर बाद या करीब कहे 10-15 मिनट बाद वो लोग फिर से शुरू हो गए . दबी आवाज में मां कहने लगी अभी नहीं, अभी नहीं अभी मोनू छत पर ही है अभी . अभी नहीं . उतने में सूरज ने कहा कोई बात नहीं चाची, चलो नीचे चल कर कर लेते हैं, लेकिन उस वक्त लाइट न होने कारण मम्मी ने कहा कि इतनी गर्मी में कैसे करेंगे और नीचे भी किसी को पता चल जाएगा . तो क्यों ना हम कल दोपहर में ये काम जो अधूरा आज छोड़ रहे हैं कल दोपहर में वह काम करते हैं. उन लोगो ने कुछ देर और इसे ही गुजरा , शायद कुछ और किया होगा लेकिन मैं देख नहीं पाया इंतजार कर रहा था अगली सुबह का या दोपहर का जब मैं उनकी chudai देख पाता.
मैं सुबह करीब 4:00 बजे उठ गया . मेरी नींद थोड़ी जल्दी खुल गई थी और मैं इधर उधर की बातें ही सोच रहा था कि तभी मैंने देखा मेरे बगल में सूरज एक तरफ उठा और उसने मुझे देखने की एक्टिंग की कही मैं उठ तो नहीं गया हूं. लेकिन मैं उठ कर बैठा नहीं था और आपने ही बिस्तर पर सोया हुआ था . उसने इधर उधर देखा और मैंने उसको बगल वाली निगाहों से उसको देख लिया सोचने लगा कि ऐसे क्या देख रहा है यह उठकर नीचे क्यों नहीं जा रहा. मैं मुड भी नहीं सकता था क्योंकि मैं जानता था कि अगर मैं जैसे ही मुड़ता वह लोग सतर्क हो जाते तो मैंने सोचा क्यों ना ऐसे ही लेटे रहे और देखें क्या होता है.
उसके बाद आवाज़ जाती है मां कहती है अरे थोड़ा नीचे करो , नहीं आराम से करो आराम से उंगली डालो मैं समझ जाता हूं कि शायद सूरज अब मेरी मां के चूत के पास है और वह उसमें उंगली कर रहा है. सूरज मेरी मां को किस कर रहा था क्योंकि उसकी आवाज तो मेरे कानों तक भी आ रही थी कमाल की बात तो यह थी कि यह गांव में सुबह 4:30 बजे हो रहा है गांव में लोग आप जानते हैं बहुत सुबह सुबह ही लोग उठ जाते हैं लेकिन उन बेशर्म लोगो ने दोपहर होने तक का भी इंतजार नहीं किया और खुले में ही शुरू हो गए.
मम्मी की सांसे तेज होती जा रही थी कारण यही हो सकता है कि सूरज उनकी च** के अंदर उंगली बहुत तेजी से आगे पीछे कर रहा होगा. इतना तो तय है कि उसने अपना ल** जो है वह भी मां की च** में नहीं डाला था क्योंकि अगर वह ऐसा करता तो उनके पकड़े जाने के बहुत ज्यादा चांसेस होते . उस वक्त वह लोग किसिंग, चूचे दबाने और च** में उंगली करने जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे थे . यह काम करीब 15 मिनट तक हुआ मां की सांसे एक तुम तेज थी .
. मैं बस यही सोच रहा था कि कैसे मैं उठा और सूरज को हटा हूं और अपनी मां को चोद दूं , मैं बस पता नहीं क्यों उस बिस्तर पर पड़ा रहा और उस पर का पल का आनंद लेता रहा.
उसके बाद सूरज उठा और चल दिया उसके 2 मिनट बाद ही मेरी मां उठी और वह भी चल दी. मै लेटा और मुट्ठ मारा और यह इमेजिन करने लगा कि मेरे कजिन भाई ने मेरी मां की च** के अंदर उंगली डाली होगी, कैसे मां के बड़े बड़े रसीले होंठों को चूसता होगा , कैसे उसने मेरे मां के चूची को दबाया होगा और उनका आनंद लिया होगा यही सब सोचकर मैंने मुट्ठ मारा और अब मैं भी नीचे आ गया दोनों के हाव भाव जो कि मुझे बिल्कुल ही नॉर्मल लग रहा था जैसे भी कुछ हुआ ही ना हो.
समय बीतता गया मेरी नजर उन पर ही थी और दोपहर भी आ गई अब मां सोने के लिए जाने वाली थी मै भी उधर कामों में व्यस्त था लेकिन मेरा पूरा ध्यान उन दोनों पर ही था. मां वहां सोने की लिए गई लेकिन उससे पहले ही मैंने अपना एक खेल कर चुका था. वह यह था कि हमारे घर के बगल में बहुत सारी लकड़ियां रखी हुई थी मकान बनाने के लिए, उनमें से कुछ लकड़ियों को मैंने साइड किया था ताकि अंदर का कमरा देख सकु और वह सेटिंग मैंने सुबह ही कर ली थी. मै इंतजार कर रहा था कि कब वह लोग आए और चुदैया को अंजाम दे और भी कुछ ऐसा ही . 3:00 बजे जब सब लोग या पूरा गांव सो जाता है, जब घर में और आस पड़ोस में किसी को किसी की कोई चिंता नहीं होती तब मां अंदर आई पंखा चालू किया . और मोबाइल प्र बात की और बेड पे लेट गई और थोड़े से कपड़े चेंज किया गांव में मैक्सी पहनने की इजाजत वैसे नहीं होती लेकिन सोते टाइम तो कपड़े बदल कर सोया जाहि सकता है.
मेरी मां ने कपड़े बदले और मैं उनको बाहर से नहीं देख पाया क्योंकि अगर मैं उस वक्त वहां होता तो मैं पकड़ाजाता . 10 मिनट के बाद सूरज वहां पर आ गया मैं दूसरी छत से सब कारनामा देख रहा था . दरवाज़ा खुला , मैंने अंदर का माहौल देखा मां ने साड़ी उतार दी थी वह ऊपर से नंगी थी और उसने मैक्सी डाल रही थी . मैंने उसको देखा, वह मैक्सी डाल ही रही थी उसकी चूत दिख रही थी. जो बिल्कुल भी सेव नहीं थी. उस पर बहुत सारे बाल थे उसे देखकर सूरज ने बिना गेट बंद की यही बोला अरे चाची कम से कम इसको तो काट लेती . तब मा बोली जरूर अब तुम आ गए हो तो तुम ही काट दो तो सूरज बोला ठीक है और उन दोनों लोगों ने दरवाजा लगा दिया.
मैं कुछ मिनट और रुका और सोचा कि क्या पता यह लोग तुरंत बाहर ना आ जाए . वो लोग जब 2 मिनट में भी बाहर नहीं आए तो मैं समझ गया कि शायद अब लाइन क्लियर हो चुकी है अब मैं अपना स्थान ले सकता हूं तो मैंने अपने पड़ोसी की छत टापी और मैं अपने घर पर आ गया जहां मैंने लकड़ियों को हटाया था मैं उस जगह पर आकर बैठ गया और घर के अंदर झांका.
अंदर झांकने पर मुझे एक बड़ा ही मनोरम दृश्य दिखाई दिया वह कि मेरी मां ने अपनी मैक्सि को अपने पेट तक उठा लिया था और अपनी एक टांग सोफे पे रख दिया था जिससे की च** पूरी तरीके से सूरज को देख रही थी और सूरज मा की च** पर व्हीट लगा रहा था . झांटों को साफ कर रहा था . ऐसा दृश्य शायद मैंने जिंदगी में कभी नहीं देख , आपने भी अपनी जिंदगी में ऐसा ना कभी देखा होगा , ना कभी किया होगा आप इसको ट्राई कीजिए जरूर , सूरज कभी एक उंगली उनकी च** के अंदर डालता और काभी वीट लगता था, कभी दो उंगली डालता और वीट लगाता है.
मां झुकती है और सूरज को एक किस देती है वह एकदम पोर्न स्टार की तरह लग रही थी 4 साल पहले तो मैं फोन भी ज्यादा नहीं देखता था लेकिं में इतनी ज्यादा उत्तेजना से भर चुका था कि मैं बस फटने ही वाला था.
दोनों का यह कार्यक्रम तकरीबन 10 मिनट तक चला और उस सूरज ने मां की चूत को पानी से साफ किया अब मां की चूत एकदम चमचमाती हुई बिल्कुल एकदम ऐसी लग रही थी मानो किसी लड़की की छूट हो . साफ देखकर लग रहा था कि मां की चूत को बहुत ज्यादा नहीं चोदा गया है. मै खानदान का आखरी लड़का था तो समझा जा सकता है कि मेरी मां ने किस तरीके से खुद को मेंटेन किया होगा. अब सूरज ने मां को कहा कि चाची चलिए आप बेड पर लेट जाइए मैं आपकी मालिश करता हूं और मा बेड पर लेट गई उन्होंने अभी भी मेक्सी पहनी थी मुझे तो यही समझ में नहीं आया कि जब चुदाई करनी ही है तो कपड़े बदलने से क्या फायदा.
मां अब बेड पर लेट गई सूरज ने कहा कि चाची अब पेट के बल लेट जाइए अम्मा ने वैसा ही किया सूरज ने अब तेल लाया जो मा ने रात को ही रख दिया था . वहां सूरज ने वो तेल लिया अपने हाथों पर मला और मां के पैरों से शुरू करने लगा हालांकि मैं तो मा को नंगा देख चुका था, लेकिन गैर मर्द के द्वारा मेरी मां को छुए जाने से जो उत्तेजना मेरे शरीर में हो रही थी उसकी अनुभूति में आपको नहीं बता सकता.
सूरज के हाथ बिल्कुल गरम होंगे जिससे कि मेरी मां एकदम संतुष्ट महसूस कर रही थी उसने पैरों के निचले भाग से शुरू किया और आते आते वह घुटनों तक आया पर ही मेरा ल** बिल्कुल 90 डिग्री के एंगल पर खड़ा हो चुका था और मैं बस यह सोच रहा था कि कैसे मैं दरवाजे पर एक लात मारूंगा और अंदर घुसू और इस चुदाई समापन समारोह का हिस्सा बनूं.
सूरज के हाथ अब बेकाबू से हुए जा रहे थे और वह मां की मांसल जांघों की तरफ बढ़ रहा था मां की जांगे सूरज के तेल लगाने के बाद और ज्यादा खूबसूरती से निखर कर सामने आने लगी . सूरज आगे बढ़ा और उसने मां को कहा कि चाची थोड़ा सा ऊपर उठिए . मैं आपकी मैक्सि को गांड तक कर देता हूं . तब मा बोली के बोला आगे भी लगाना है पीछे भी लगाना है इससे अच्छा कि मेरी मैक्सी खराब हो मैं कपड़े उतार ही देती हूं . उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और वापस उसी पोजीशन के अंदर लेट गई .. अब सूरज ने अपने हाथों पर तेल.लिया और पीठ के निचले हिस्से पर मालिश करने लगा और वह ऐसी पोजीशन में आ गया जिससे उसका ल** मां की च** पर टकरा रहा था और वह खुद मां की गांड पर मालिश कर रहा था.
मा ने सूरज से कहा अरे सूरज तेरे हाथों में तो बहुत जादू है, किस किस कि करता है तू मालिश . तो वो बोला अरे कहां चाची यह हाथ तो सिर्फ आपके लिए ही है और यह मालिश भी स्पेशली आपके लिए ही कर रहा हूं . मा बोली चल झूठे मैंने सुनी है तेरी बहुत सारी कहानियां. की तेरी बहुत सारी गर्लफ्रेंड है . सूरज बोला नहीं चाची ऐसा कुछ भी नहीं है दोनों हस रहे थे और मुझे थोड़ी घृणा भी हो रही थी . सूरज के जो हाथ थे वह मां की कमर की तरफ आने लगे क्योंकि वह झुक रहा था तो उसका लंड मेरी मां की गांड पर भी टच हो रहा था मां खूब एंजॉय कर रही थी वह अपनी गांड को थोड़ा सा पीछे और आगे करती जिससे कि सूरज का लंड उनकी गांड से टकराता और वह आह की आवाज निकलती थी .
तेल लगाते लगाते अब सूरज का लंड माँ की चूत पे लग रहा था . तब मा ने अपना एक हाथ लिया और लंड को ऊपर नीचे करने लगी उल्टे ही लेते हुए . अभी भी सूरज तेल.ही लगा रहा था और मा वहां उसके लंड को ऊपर नीचे कर रही थी . कहा कि बेटा अब ज्यादा देर नहीं करते हैं वरना शाम हो जाएगी यह करते-करते सूरज ने बोला हां चाची लेकिन मैं जरा आपके चूचों को तो मसल दूं . तो मा ने कहा हां मैं उल्टी हो जाती हूं तो सूरज ने कहा नहीं आपको उल्टा होने की जरूरत नहीं है मैं आपके चूचों पर वैसे ही लगा दूंगा . मा उल्टी ही लेटी रही सूरज ने अपने हाथों को मां के शरीर के नीचे किया और और वह खुद मां के ऊपर लेट गया और मां की गर्दन को चूमना शुरू किया मां मदहोश हो रही थी मां अपनी टांगो को मोड़ने लगी जो कि सूरज की गांड़ पे टच हो रही थी जिसे सूरज महसूस कर सकता था.
सूरज का मुंह अब आगे की तरफ हुआ और मा को किस करना शुरू किया मा कज गर्दन टेडी थी लेकिन वह च**** में इतनी मशरूफ हो गई थी कि उसे गर्दन का दर्द महसूस हो ही नहीं रहा था ना ही उस बात को शर्म लग रही थी कि वह 18 साल के युवक से अपनी चूत को चुदवए जा रही थी.. इसके बाद सूरज ने मां को सीधा किया अब मां के बड़े-बड़े चूचे जो थे वह बिल्कुल सूरज की तरफ आ गए . उसने उनको देखा और अपने दोनों हाथों में भरा. मै चूची के दर्शन कर ही नहीं पाया क्योंकि मैं बिल्कुल अलग एंगल से उसको देख रहा था लेकिन इतना तो तय था कि एक झलक पाने में जब मैंने देखा मेरी मां के स्तन बहुत ज्यादा बड़े थे . साड़ी में हो उतने ज्यादा बड़े नहीं लगते थे लेकिन सच में वह काफी ज्यादा बड़े थे और काफी टाइट थे एक 42 साल की महिला के लिए उतने टाइट चूची का मतलब क्या होगा यह आप जरूर मुझे कमेंट में बताएं .
सूरज ने मेरी मां की गर्दन के नीचे तकिया लगाया और.किस करने लगा . उसकी जीभ मां की जीभ से टकरा रही होगी ऐसा मुझे लगा.
और वह लोग बड़े ही उत्तेजित तरीके से एक दूसरे को किस कर रहे थे मां अपनी गर्दन उठा उठा कर उसको किस कर रही थी बचने की कोशिश कर रहा था मानो वह मां को ललचा रहा हो कि वह उसके लिए और प्रयास करें. मां उसके गर्दन को कभी उसके कान को , कभी उसकी नाक, को कभी उसके होठों को और कभी उसकी जीभ को लगातार चूस रही थी मा एकदम ऐसे अवतार में थी जिसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की होगी या कोई भी बेटा अपनी मा के के बारे में इस तरीके से कल्पना नहीं करता होगा , जब पहली बार अपनी मां को किसी के साथ चुद्वाते हुए देखे.
तो अब सूरज अपने मेन काम में लगा मां क्योंकि अब गर्म हो चुकी थी और मैं उससे कह रही थी कि सूरज ओ हो अब डाल भी दो अब ज्यादा मुझे मत तड़पाओ मेरी च** को ल** से ही शांत किया जा सकता है अब तुम जल्दी से डालो मेरे राजा. सूरज बोला ओके.
सूरज लेकिन बहुत शैतान इंसान था उसने मां के अंदर नहीं डाला बल्कि अपनी उंगलियों से मां को और परेशान करने का सोचा उसने अपनी दो उंगलियां ली मां की च** में उंगली की और मां के चूची को दबाता रहा मां छटपटा रही थी शायद छटपटाहट उसे चोदने की थी लेकिन इतनी जल्दी भी क्या जब तक फोरप्ले ना हो तो मजा नहीं आता है लेकिन शायद 42 साल की औरत को यह सब समझ में नहीं आएगा.
उनको तो शायद जल्दी से ल** चाहिये होता है और जबरदस्त चुदाई चाहिए होती है तो इससी के चक्कर में उनको 10 मिनट तक उंगली उनकी च** के अंदर बाहर करता रहा जिससे कि मेरी मां झड़ गई . झड़ते हुए हैं वह सूरज को.कहती है तुम बहुत बदमाश हो मैंने कहा तुम मेरी च** में ल** डालो लेकिन क्या कर रहे हो सूरज ने बोला चाची आपको तड़प आऊंगा तभी तो चुदाने का मजा डबल होगा.
सूरज की बातों को देख कर लगा कि वह बहुत बड़ा खिलाड़ी है उसकी हरकतों से तो मैं कभी पहचान नहीं पाया लेकिन आज अपनी मां की च** में उंगली करते हुए देख कर मैं यह समझ गया कि गांव में रहना मेरी मां के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होगा सोचा कि शायद हमें यहां से जल्दी चला जाना चाहिए . पर पहले कम से कम इस चुदाई का मजा तो ले लो.
मां पूरी तरीके से गीली हो चुकी थी उसकी च** से जो रस निकल रहा था उसको मैं कमरे के बाहर तक सूंघ पा रहा था. सूरज ने वहां मुंह लगाया और उसे चाटने लगा मा अब पूरी तरीके से पागल हो गई थी वह अपना हाथ से सूरज के सर को अपनी च** में इस तरह दबा रही थी कि मुझे डर लग गया कि कहीं सूरज का मुंह मां की च** में नाटक जाए . सूरज मां की च** में कुत्ते की तरह चाट रहा था ऐसी चटाई तो शायद आपने भी नहीं देखी होगी करीब 5 मिनट बाद मा दोबारा से झड़ गई . दुबारा से सूरज उसका सारा माल पानी पी गया देखने में तो बहुत घिनौना लग रहा था लेकिन सूरज के बर्ताव को देखकर लगता था कि वह उसको बहुत ज्यादा मनोरंजक तरीके से कर रहा है.
मेरी मां झड़ने पर बोली कि अरे वाह सूरज तुम्हारे हाथ और तुम्हारा मुंह तो बहुत ज्यादा अच्छे से चलता है तुम्हारे चाचा कभी मेरा इस तरीके से चूसते नहीं हैं . तुम सच सच बताओ जो तुमने कहां से सीखा है बहू मैं पर सूरज बोल दिया कि हां वह बड़ी मम्मी को भी चोद चुका है मैंने सोचा की क्या गाँव में यही सब होता है क्य . मां उससे कहती है कि तुम्हारा हाथ और मुंह तो बहुत अच्छा चलता है क्या तुम्हारा लंड * भी तुम्हारे बाप जैसा चलता है या नहीं . मैं फिर से सोच में पड़ गया कि क्या मा ने मेरे चाचा का लैंड भी ले लिया है बिल्कुल इसी अंदाज में चौकते हुए सूरज ने भी कहा क्या आप मेरे पापा से चुदी हुई हैं . माँ ने कहा हां मैं तुम्हारे पापा से चुदी हुई हूं.
मैंने सोचा की क्या गांव में ये सब क्या हो रहा है कोई अपनी माँ , बेहेन और औरतों को सिर्फ सेक्स की वास्तु के रूप में देख रहे थे. यहां कोई भी किसी की च**** कर रहा है मैं किस खानदान में पैदा हो गया मैं यही सब सोच रहा था कि मैंने एक चीज मिस कर दी कि सूरज अब मां की च** की तरफ आ चुका है.
सूरज बोला आप बहुत ज्यादा बड़ी रंडी हैं और दोनों लोग हंसे और मेरी मां बोली उसको रंडी नहीं कहते इसको परिवार में ही मजे लेना कहते हैं उन लोग हंसते हैं. इसके बाद सूरज अपना ल** पर कंडोम चलाता है और मेरी मां की च** पर उसको रखता है उस 7 इंच बड़ा होगा मोटा होगा मेरे पास इंस्टेप नहीं था वरना मैं नाप लेता.
थोड़ा लंड चूतम पे रगड़ने के बाद सूरज का लंड मां की च** के अंदर घुस आता है. शायद मां बड़े बड़े ल** ले चुकी होती है क्योंकि वह उफ तक नहीं करती . सूरज को यह देखकर शायद उसके आत्मसम्मान ko धक्का लगता है और अब वो पूरी शक्ति से एक ही वार में माँ की चूत को फाड़ के चूत के अंदर गुसा देता है . उस वार से माँ की चीख निकल जाती है , लेकिन वह कितनी भी ज्यादा नहीं होती कि वह नीचे के कमरे तक आ जाए उसके बाद सूरज जो कि ईगो पर चोट खाया हुआ इंसान लग रहा था माँ को बड़ी बेरहमी से चोद रहा था माँ उसको रोकने की कोशिश कर तो रही थी लेकिन कामयाब नहीं हुई है , कई झटकों के बाद माँ ने अपना हाथ हटा लिया और वह अब सूरज के धक्कों को इंजॉय कर रही थी.
सूरज धड़ाधड़ एक के बाद एक गति बढ़ाते हुए हमले करते जा रहा था और माँ उस हमलो को अपने अंदर समाहित करती जा रही थी. नीचे के औजार तो अपने काम में थे ही ऊपर से भी वह सूरज एक हाथ से मां के चुचो का दबा रहा था और वह लोग किस भी कर रहे थे .
सूरज माँ के ऊपर था और माँ उसके निचे इसी पोजीशन में सूरज ने माँ को २० मिनट्स तक छोड़ा . अब सूरज ने माँ से कहा की चाची में छूटने वाला हु . और ये कहने के बाद उसने अपना लंड निकल लिया . और अब माँ को घोड़ी बनने के लिए बोलै . अब मेरी माँ घोड़ी की पोजीशन में आ गयी . लेकिन मेरी ख़राब किस्मत , माँ की तो सिर्फ शकल ही दिख नहीं रही थी . क्योकि माँ का चेहरा दूसरी तरफ था . अब सूरज ने अपने लुंड पे एक बार और तेल लगाया एंड माँ चूतम पे लुंड रख के घुसा दिए . वो गरम मशीन की तरह लगातार माँ को छोड़ रहा था . वो माँ को बहुत तेज़ी से छोड़ रहा था . मुझे एक तरफ तो ये अच्छा लग रहा था की माँ की ताबड़तोड़ तरीके से चुदाई हो रही है और दूसरे तरफ ये चिंता थी की कही बेड न टूट जाये .
इसी उदेहबुन में मैंने देखा की सूरज अब झड़ने वाला था , उसने बोलै की चाची मैं निकल रहा हु चूतम में ही माल दाल दू क्या ? माँ ने बोला अभी नहीं थोड़ा और थोड़ा और लेकिन सूरज का विस्फोट हुआ
और उसने माँ की पीठ में ही माल गिरा दिया . और वो माँ पे ही गिर गया , माँ बोली की क्या बाबू इतना जल्दी ही गिर गए. सूरज ने हैरानी भरी निगाहो से देखा औरर बोला की मेरी गर्लफ्रेंड तो आधे घंटे में ही परेशां हो जाती है . माँ बोली की मुझे ज्यादा भूख है . माँ असंतुस्ट लग रही थी . लेकिन ये मानें की औसत भारतीय बस २० मिनट्स ही सेक्स कर सकता है और सूरज ने तो काम से कम १ घंटे किआ . तो सोचिये की मेरी माँ कितनी बड़ी चूड़ाकड होगी. शायद मैं इससे ज्यादा एक्सपेक्ट कर रही थी.
बाहर हाल जो भी हो तकरीबन चार 5:0 हो चुके थे यह वक्त सबके उठने का था . माँ तो संतुस्ट नहीं हुई . लेकिन अब क्या कर सकते है दोनों लोगो ने एक दूसरे की तरफ देखा और चुम्मा दिए . और आगे भी मिलने और चुदने का वचन लिया एक दूसरे से अलग हो गए मैं फिर से भागकर दूसरे की छत पर चला गया शायद 10 मिनट बाद सूरज नीचे आया. हो सकता है कि 10 मिनट तक उन्होंने कुछ और भी किया हो, यह भी हो सकता है कि 10 मिनट तक वो लोग कपड़ा पहन रहे हो . कुछ भी आपको क्या लगता है उन 10 मिनटों में क्या हुआ होगा इस कमेंट में जरूर बताएं और यह कहानी कैसी लगी इस बार भी कमेंट जरूर करें.
बहुत बढ़िया कहानी है. इसे पड़ते समय तो मुझे भी पैरों के बीच मे गिला गिला लग रहा था.
मेरा नाम रूपाली है. मैने तुम्हारी मा और भतीजे की सेक्स स्टोरी पढी. सच मे वाकई लाजवाब है. मै हमेशा इंटरनेट पे ऐसी सेक्स स्टोरीस ढुंडकर पढती रहती हु. मुझे मेरे पती का दोस्त हमेशा चोदता है. जब मेरे पती आऊट ऑफ टाऊन होते है किसी कंपनी के काम से और बच्चे स्कूल मे जाते है तब पती का दोस्त हमारे घर आकर मुझे दिन भर पेलता रहता है.
सच मे तुम्हारी स्टोरी पढकर मुझे भी लगने लगा है की, काश मेरा भी कोई देवर, जेठजी और फिर ससुर जी होते तोह मै भी घर मे ही कामसुख (शरीर सुख) प्राप्त कर लेती तोह फिर बाहर के किसी आदमी की क्या जरूरत? बस...ऐसा सुख घर मे हर किसी को मिले...!
मेरा नाम अभि है और मै पुणे की रहने वाली हु. मेरी शादी हो चुकी है और मुझे एक दीपक नाम का 2 साल का बेटा है. मै अक्सर अपने खाली समय मे इंटरनेट पर सेक्स स्टोरी पढती रहती हु. मै भी अपने ससुर और देवर से चुदवाती हु. इसलीये मुझे पता है की, घर मे ही आप अपने रिश्तो के लोगो से चुदवाते हो तोह बाहर के किसी को पता भी नही चलता और बाहर आपकी बदनामी भी नही होती.
इसलीये मैने तुम्हारी मा और सुरज दोनो को बहोत भाग्यवान कहा है क्योंकी तुम्हारी मा को और तुम्हारे सुरज को घर मे ही कामसुख (शरीरसुख) मिल रहा है और किसी को इस बारे मे कभी भी शक भी नही होगा.
पर मैने कभी अपने जेटजी और जेठानी के बेटे से कभी भी नही चुदवाया है. नाही मेरे भतिजे के बारे मे कभी सोचा था. मेरा भतिजा भी इंजिनीरिंग के तिसरे साल मे पढता है. पर तुम्हारी स्टोरी पढकर तोह मेरे मन मे भी मेरे भतिजे से चुदवाने के लिये चुत तपड उठी है इसलीये मै भी अबसे मेरे भतिजे को पटाने की पुरी कोशिश करूंगी. बस मुझे भी तुम्हारी मा की तरह भगवान मुझे भी भाग्यवान बनाये.