गाय या भैंस 01

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माँ: हाँ बेटी, सभी मर्दों को गदराई औरतें पसंद आती हैं, वैसे तू भी अच्छी खासी गदरा गयी है। तेरे बाबूजी तभी तो तुझे अपनी गोदी में बिठाना चाहते हैं।

मधु सुधिया की गांड के फांक में हाथ डालते हुए मालिश करने लगी। सुधिया सीसियाने लगी और बोली बेटी तेरी हाथ की मालिश बहुत मज़ा आता है।

मधु: माँ कभी सुनील से भी मालिश करवा लो। वो भी तुम्हारे बदन को पसंद करता है।

सुधिया: धत! अपने बेटे से नंगे बदन की मालिश? क्या कह रही है तू

मधु: नहीं माँ, मालिश से क्या होता है! वैसे वो तुझे बहुत पसंद करता है। रात में मुझे बाहों में लेके 'मेरी सुधिया' बोल के होठों को किश करता है। मैं जगी होती हूँ पर उसे लगता है की मैं सोई हुई हूँ।

(सुनील ये सब सुन रहा था और उसे भी उतेजना हो रही थी)

सुधिया: चुप कर मधु! तूने गलत सुना होगा नींद में। मेरा बेटा भला मुझे 'मेरी सुधिया' क्यों बोलेगा। मैं उसकी माँ हूँ।

मधु: अच्छा, मेरी मधु बोले तो ठीक मेरी सुधिया बोले तो तुम्हे विश्वास नहीं। वो भी जवान है। उससे छोटी उम्र से ही राहुल अपनी माँ रजनी के बदन को चोदता था। तुम तो रजनी से भी ज्यादा गदराई और खूबसूरत हो, हो सकता है सुनील तुमसे चिपकना चाहता हो।

सुधिया: क्या बाके जा रही है, मधु।

(और फिर सुधिया ने करवट लेने को हुई, सुनील तब तक चुपके से कमरे के बाहर चला गया था। कुछ देर तक सुधिया के दूध और पेट की मालिश करने के बाद मधु और सुधिया दोनों बारी-बारी से नहाने लगे)

सुनील बराबर सुधिया को अपने बाहों में ले के - 'मेरी प्यारी माँ' कहते हुए गालों पे किश कर देता था। पर वो माँ-बेटे वाली बात ही होती थी।

आज की मालिश के बाद सुधिया भी सोच में थी और उधर सुनील भी। शाम में सुधिया किचन में खाना बना रही थी। मधु ने सुनील को बोलै की जा जाके अपनी दूधिया को पकड़ ले।

सुनील ने अपनी माँ को पीछे से बाहों में लेके उनके विशाल स्तनों को हाथों से धीरे धीरे मसलते हुए बोला- माँ क्या बना रही हो?

सुधिया: क्यों बेटा (सुधिया हालाँकि असहज थी सुनील के स्तनों को छूने से पर उसने कुछ बोला नहीं)

सुनील: माँ, बस यूँही (सुनील ने खुद को और ज़ोर से सुधिया से चिपका लिया और अपने बाहों की गिरफ्त मजबूत करते हुए उसके स्तनों को जोर-जोर से मसलने लगा)

तभी मधु भी किचन में आ गयी

मधु: क्यों छेड़ रहा है माँ को, चल इधर आ जा! देख नहीं रहा वो काम कर रही है।

(फिर सुनील ने वहीं मधु को वैसे ही जकड़ लिया और सुधिया के सामने ही मधु के स्तनों को रगड़ने लगा। वो मधु के गालों को चुम रहा था और प्यार से उसे मधु बुला रहा था।)

मधु: माँ, देखो न कितना तंग करता है।

(सुधिया काफी अचंभित थी उसे तो बस ये भाई-बहिन का प्यार लगता था पर उसे शक होने लगा की सुनील वकाई उन्दोनो के बदन का आशिक हो चूका था। पर वो खुल के ये बात भी नहीं करना चाहती थी।)

सुधिया: बेटे, रहने दे अब। बाद में दीदी को प्यार कर लेना।

सुनील: माँ, मुझे मधु बहुत अच्छी लगती है। फिर सुनील ने मधु को सीधे करके उसके होठों को खुद के होठों से चूसने लगा। मधु भी सुनील का साथ देने लगी। दोनों अपने माँ के सामने ही एक दुसरे को चूमने-चाटने लगे। फिर सुनील ने मधु के टॉप को खोलना सुरु किया। तब मधु ने उसे रोका और बोला - चलो अंदर चलते हैं माँ को दिक्कत होगी।

(सुधिया पूरे तरह से घबरा गयी थी अब, उसे पता चल गया था की दोनों के बीच सब-कुछ हो चूका है, पर उसने कुछ बोला नहीं।)

सुनील: माँ, मुझे मधु बहुत अच्छी लगती है। फिर सुनील ने मधु को सीधे करके उसके होठों को खुद के होठों से चूसने लगा। मधु भी सुनील का साथ देने लगी। दोनों अपने माँ के सामने ही एक दुसरे को चूमने-चाटने लगे। फिर सुनील ने मधु के टॉप को खोलना सुरु किया। तब मधु ने उसे रोका और बोला - चलो अंदर चलते हैं माँ को दिक्कत होगी।

(सुधिया पूरे तरह से घबरा गयी थी अब, उसे पता चल गया था की दोनों के बीच सब-कुछ हो चूका है, पर उसने कुछ बोला नहीं।)

सुधिया तुरंत उन्दोनो के पीछे उनके कमरे तक आयी- अंदर सुनील मधु को नंगा करके उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और उसके बदन की हुमच-हुमच के चुदाई कर रहा था। दोनों एक दुसरे से चिपके हुए थे। सुनील मधु को सुधिया बुला रहा था और मधु सुनील को बेटा। (सुधिया चौंक गयी ये सुन के, उसे काफी घबराहट होने लगी, उसे अफ़सोस हो रहा था की उसने ये समय रहते नहीं रोका था सुनील को)। सुनील ने मधु को करीब आधे घंटे तक चोदा फिर दोनों हाँफते हुए एक दुसरे की बाहों में निढाल हो गए। (सुधिया ये सब कमरे के गेट पर खड़ी देख रही थी और उसे यकीन नहीं हो रहा था जो उसने अभी अभी देखा था। फिर वो वहां से वापस किचन आ गयी और खाना बनाने में लग गयी)

खाना बनाने के बाद सुधिया ने दोनों को आवाज़ दिया। सुनील मधु को बाहों में कैसे हुए डाइनिंग चेयर पे बैठ गया। उसने मधु को अपने गोदी में बिठा लिया और उसके स्तनों को मसलता हुए उसके होठों को चूसने लगा। सुधिया ने उनके सामने खाना लगाया और फिर सुनील अपने हाथों से मधु को खिलाने लगा। सुधिया बिलकुल कमज़ोर महसूस कर रही थी खुद और वो कुछ बोल नहीं पायी।

मधु: माँ, देखो न! खाने भी नहीं दे रहा है।

सुधिया: दीदी को खाने दे बेटे, फिर प्यार कर लेना।

सुनील: मैं खिला तो रहा हूँ अपनी मधु को।

खाना-खाने के बाद सुनील मधु को वापस अपने कमरे में ले गया और दोनों एक दुसरे से चिपके बिस्तर पे लेट गए।

कुछ देर बाद श्याम घर आ गए और घर आते ही श्याम ने मधु को आवाज़ दी। सुनील ने मधु को जाने दिया। मधु ने टॉप और हाफ पैंट डाले श्याम के पास आ गयी और बोली: बाबूजी आपने बुलाया?

श्याम: (मधु को अपनी गोदी में बिठाते हुए): हाँ बेटी, इधर बैठो।

मधु को उन्होंने अपने जांघ पर बिठाया। श्याम ने लूंगी डाल राखी थी और अंदर कुछ नहीं पहन रखा था। लूंगी को थोड़ा खोलते हुए उन्होंने मधु को अपने नंगे jaanghon पे बिठा के उसके गालों पे जीभ लगते हुए बोला: बेटी तुम्हारा man तो लग रहा है न यहाँ? (फिर श्याम ने मधु के टॉप के ऊपर के दो बटन खोल दिए और बोला की बेटी हलके कपड़े पहना करो, आजकल खूब गर्मी हो रही है। टॉप के बटन खोलने से मधु के स्तन काफी बाहर आ गए थे। फिर श्याम ने उसके स्तनों को मसलते हुए बोला की बेटी राहुल तुम्हे अच्छे से प्यार नहीं करता था न! वो तो अपनी माँ के ही बदन से चिपका रहता होगा। खैर हम हैं हमारी बेटी से प्यार करने के लिए। क्यों बेटी?

तभी सुधिया उनके पास खाना लेते हुए आयी। श्याम ने मधु के हाफ पैंट को ऊपर तक उठा दिया था उसके जांघ पूरे नंगे थे और stan वैसे भी आधे बाहर तक थे। सुधिया ये देख के सहम गयी। पर वो श्याम को कुछ बोल नहीं सकती थी। तो उसने अनजान बनाते हुए बोला: क्या बात हो रही है बाप बेटी में, जरा मैं भी तो सुनूं?

श्याम: सुधिया, मैं मधु बेटी से कह रहा था की उसे बहुत प्यार नहीं मिला है अभी। पर हम किसलिए हैं। बेटी पूछ लो अपनी माँ से हम कितना प्यार करते हैं।

सुधिया: हाँ बेटी, तेरे बाबूजी चाहते हैं तू खूब ख़ुशी से रह यहाँ पे। जा अब अब कमरे में, बाबूजी को खाना खा लेने दे।

मधु तुरंत वहां से उठ के अपने कमरे को चली गयी। सुनील ने मधु को देखते ही उसे अपने बाहों में कस लिया और उसके होठों को चूसते हुए बोला- बाबूजी के पास सुधिया तो है ही, फिर तुझे प्यार करने की बात क्यों कह रहे थे।

मधु: क्यों, वो बाबूजी हैं, वो भी प्यार कर सकते हैं। तू भी तो उनकी सुधिया को प्यार करना चाहता है, वो भी तुम्हारी मधु को पसंद करने लगे हैं।

(फिर दोनों हॅसने लगे और जम कर एक बार और चुदाई की दोनों ने फिर दोनों सो गए)

अगले दिन जब मधु सुधिया की मालिश कर रही तब, सुनील फिर कमरे में आके सुधिया की नंगे नितम्बों को देखने लगा। मधु सुधिया के पीठ की मालिश कर रही थी और सुनील अपना लंड बाहर निकल कर सुधिया के गदराये बदन को देखता हुआ मूठ मारने लगा। थोड़ी देर में सुधिया को अपने नितम्बों पर गिला सा कुछ गिरता हुआ लगा। वो पीछे मुड़ी तो उसने देखा की सुनील पूरा नंगा अपने लंड को अपने हाथ में लिया हुआ बेशर्मी से खड़ा था।

सुधिया: क्या है ये बेटा? ऐसा नहीं करते। मधु तूने गेट नहीं लगाया था क्या?

सुधिया अपने नंगे स्तनों पर हाथ रखे बात कर रही थी। पर उसके स्तन इतने बड़े थे की वो एकदम नंगी थी तब। नितम्बों पर वीर्य गिरा हुआ था, और उसका मांसल गदराया हुआ बदन देख-कर सुनील खुद को रोक नहीं पाया।

उसने सुधिया को पीठ के बल करके सुधिया के ऊपर चढ़ गया और उसके स्तनों को मुँह में करके चूसने लगा।

सुधिया: छोड़ो सुनील बेटे, ऐसे नहीं करते माँ से। मधु रोको इसे।

मधु: माँ, प्यार ही तो कर रहा है, अब अपनी माँ से प्यार नहीं करेगा तो किसी और की माँ से करेगा क्या। (मधु भी अनजान बनके जवाब दे रही थी, जैसे सुधिया अनजान बन जाती थी।) सुनील माँ अच्छी हैं न! बाबूजी को माँ बहुत अच्छे से प्यार करती है।

सुनील: मेरी सुधिया मुझे भी प्यार करेगी। क्यों सुधिया? (ऐसा कहके सुनील सुधिया के गालों और होठों को चाटने लगा। सुधिया का मांसल बदन अब सुनील के पूरे कब्ज़े में था और वो उस बदन को पूरे ताकत से अपने शरीर से मसल रहा था।)

सुधिया: बेटे ये सही नहीं है। छोड़ दो मुझे।

सुनील: अच्छा, दीदी के सही है, और तेरे साथ नहीं। आज से मैं तुझे भी उतना ही प्यार करूँगा सुधिया जितना मधु को करता हूँ।

मधु: मुझे तो थका देता है तू, पूरे बदन में दर्द होने लगती है।

सुनील: मधु तू यहीं रुक, इसकी भी वैसी ही चुदाई करूँगा। पर पहले इस दूधिया के दूध तो पी लूँ। (सुनील ने फिर सुधिया के भारी स्तनों को मुँह में लेते हुए चूसने लगा।)

सुनील सुधिया से: तुझे काफी दिनों से चोदना चाहता था। बाबूजी से ही चिपकी रहती थी तू हमेशा। आज तेरी खबर लूँगा मेरी घरेलु दूधिया।

सुधिया: छी! कितना गन्दा हो गया है तू, छोड़ दे मुझे। (सुधिया जोर से सुनील को हिलती, पर सुनील ने खुद को ऐसा जकड़ लिया था की दोनों एक साथ ही हिलते फिर स्थिर हो जाते। सुधिया का भारी जिस्म था। सुनील ऊपर चढ़ा हुआ अपने मुँह को उसके स्तनों के बीच में करके दोनों स्तनों से अपने गालों पर मारने लगा। सुधिया ऐसी लग रही थी जैसे वो चुदने के लिए बानी हो)

मधु: तेरी दूधिया तेरे बाबूजी से बड़े अच्छे से चुदती है। बाबूजी इसे गाय बुलाते हैं और ये उनको मालिक। (एक रात मधु ने उन्दोनो को चोदते हुए सुन लिया था।) इतने बड़े दूध तो बाबूजी ने ही मसल मसल के तो किये हैं।

(सुधिया अचंभित थी पर वो कुछ कर नहीं सकती थी।)

सुनील: बाबूजी अब दूसरी गाय ले आएंगे खुद के लिए। ये गाय अब मेरी है। इसका दूध सिर्फ मैं पिऊंगा। (सुनील ने सुधिया की आँखों में देखते हुए बोला- मुझे अपना मालिक बना लो दूधिया।)

सुनील अब सुधिया को जोर-जोर से चोदने लगा। मधु अपनी बातों से उसे लगातार उन्मादित कर रही थी। कुछ देर के बाद सुधिया भी पूरी गरम हो गयी और धीरे धीरे सुनील का साथ देने लगी। फिर क्या था दोनों हवा की रफ़्तार से एक दुसरे को धक्का मरने लगे। 20 मिनट की धक्का-मुक्की के बाद दोनों झड़ गए।

मधु के लिए भी ये काफी कामुक अनुभव था। उसके पति राहुल के उसकी माँ के रिश्ते के बाद वो खुद के भाई को अपनी माँ को चोदते हुए देखा था उसने। पर उसे गर्व था की उसका प्लान सही चल रहा था।

सुधिया लाज के मारे बिस्तर पे ही पड़ी रही और मधु सुनील को लेकर दुसरे कमरे में आ गयी। सुनील अभी भी उतेज्जित था उसने मधु को अपने बाहों में लेके किश करने लगा और बोला: थैंक यू मधु। तूने मेरी बहुत दिनों की इच्छा पूरी कर दी। मैं दूधिया को कबसे चोदने की सोच रहा था।

मधु: मेरे प्यारे बेटे के लिए मैं कुछ भी करुँगी। मेरा सोना प्यारा बेटा।

(दोनों एक दुसरे की बाहों में खुद को डाले सो गए)

रात को जब श्याम ऑफिस से आया तो उसने फिर मधु को देखते हुए ही पास बुलाया। आज वो मधु के सामने ही लूंगी बदलने लगा। सुधिया खाना बना रही थी और श्याम अपने बैडरूम में था। वहीं सोफे पे बैठ के उसने मधु को खुद के जाँघों पे बिठा लिया और उसके गालों को चाटने लगा। मधु ने खुद ही अपने टॉप के कुछ बटन खोल दिए और श्याम के हाथ खुले स्तनों पर रख दिए। श्याम पूरा उतेज्जित हो चूका था उसने तनिक भी देर नहीं किया और मधु को बाहों में भींच के मसलने लगा। उसका लंड पूरा खड़ा हो चूका था और लूंगी उसके जाँघों के दोनों तरफ हो चुकी थी। मधु अपने नंगे मांसल जाँघों पर श्याम का लंड महसूस कर सकती थी। उसने एक हाथ से श्याम के लंड को पकड़ लिया और बोली - बाबूजी, माँ को बुलाऊँ ये तो पूरा खड़ा हो गया है। ये बोल के मधु श्याम के लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी।

श्याम: बेटी, ये तेरे लिए खड़ा है, आज मैं तुझे प्यार करना चाहता हूँ। जैसे तू राहुल को प्यार करती थी वैसे अपने बाबूजी को करो।

मधु: पर बाबूजी, आपकी गाय तो सुधिया है न (श्याम का लंड ने जोर से झटका मारा गाय सुनते ही)

श्याम: बेटी, तू भी तो गाय ही है। इतने बड़े थन हैं तेरे।

मधु: बाबूजी, पर गाय तो गोरी होती है न! मैं तो शामली हूँ!

श्याम: ठीक है बेटी, तू मेरी भैंस हुई। (अब श्याम मधु के स्तनों को बेशर्मी से झिंझोर रहा था। मधु रम्भाने लगी। श्याम ने मधु के सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया। श्याम ने मधु को बिस्तर पे लिटा के खुद उसके ऊपर चढ़ गया और धीरे धीरे उसके भरे बदन को मथने लगा। सुधिया खाना लेके गेट तक ही आयी थी वो रुक गयी। जो उसने देखा उसके लिए अचंभित करने वाला था। वो शर्म के मारे गेट सटा के वापस अपने किचन में आ गयी।)

सुनील मधु को बुलाने श्याम के बैडरूम की तरफ जाने लगा तो सुधिया ने उसे रोका। (सुधिया नहीं चाहती थी की वो मधु को श्याम से चुदते हुए देखे।) उसने अपने छाती को थोड़ा ऊँचा करते हुए अपने स्तनों के उभर को सुनील को दिखते हुए पास आने का इशारा दिया।) सुनील एकदम से सुधिया को बाहों में लेके उसके स्तनों को nighty के ऊपर से ही मसलने लगा।

सुनील: क्यों री गाय, दूध ज्यादा हो गए हैं क्या? खुद दूध पीने का इशारा दे रही है।

सुधिया: मालिक, आपकी गाय का दूध आपके लिए ही तो है। (सुनील को सुधिया का ऐसा बोलना काफी उतेज्जित कर गया।)

सुनील ने सुधिया की nighty के हुक्स खोल दिए और सुधिया को अपने रूम में लेके गेट को अंदर से लॉक कर दिया। सुधिया को अकेले में कमरे में नंगा करके बिस्तर पे लिटा दिया और बोला: तुझे मैं बाबूजी से खरीद लूँगा। वो कोई और गाय ले आएंगे। आज से तू मेरे साथ ही सोयेगी, दूधिया।

सुधिया: हाँ, मालिक, जैसा आप चाहें। आपके बाबूजी अब मुझे उतना प्यार भी नहीं करते।

सुनील: मैं तुझे खूब प्यार करूँगा मेरी गाय। तुझे दिन-रात दुहूँगा।

सुधिया ने सुनील को अपने भरे मांसल नंगे बदन से चिपका के अपने बाहों में जकड़ लिया। सुनील पूरी तरह से अपनी माँ के बाहों के गिरफ्त में था।

सुधिया: मालिक और मजबूती से दबाऊं आपको?

सुनील: दूधिया, बाबूजी को तो तू थका देती होगी साली। (ऐसा कहते हुए सुनील ने सुधिया के गाल पे जोर से मारा। उसके गाल पूरे लाल हो गए।) तू पैदा ही रंडी हुई थी साली।

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princeoo5432princeoo54328 months ago

I liked the story but didn't liked the humiliation of girls . It's very painful.

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