गदराई मोटी गाय 01

Story Info
माँ तुम्हारा बदन मेरे लिए खाली रहेगा.
27.8k words
3.98
22.9k
12
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here
IndicLust
IndicLust
12 Followers

कानपूर से करीब चार घंटे की दूरी पर मोहनगढ़ गाँव है। हम उस गाँव के मूल निवासी थे। हमारे घर में मैं, मेरे माता-पिता, मेरे भैया बस चार लोग ही थे। मेरे पिता पूरे गाँव में अपनी करतूतों के लिए बदनाम थे। वो दिन भर पीते रहते थे और हमेशा ही उनकी किसी न किसी से झड़प हो जाती थी और फिर पूरे घरवाले परेशान रहते। माँ हमेशा पिताजी को समझती पर वो शराब की लत में माँ की बात पे बिलकुल ध्यान नहीं देते। मेरी माँ पिताजी की आदतों से हमेशा दुखी रहती। पिताजी ने उम्र भर कोई अच्छी नौकरी नहीं की और हमारी माली-हालत हमेशा ही ख़राब बनी रही। थोड़ा बहुत हमारे खेत से अनाज का इंतजाम हो जाता था और जैसे-तैसे ही हम अपने जीवन का निर्वाह कर रहे थे। भैया ने गाँव के सरकारी स्कूल से ही दसवीं और बारहवीं की पढाई की थी। फिर उन्होंने कानपूर यूनिवर्सिटी से कॉरेस्पोंडेंस ग्रेजुएशन कम्पलीट की थी और सरकारी नौकरी की तैयारी करते थे। अपनी तैयारी के साथ साथ वो गाँव में बारहवीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ते थे। इस तरह कुछ आय भी जो जाती थी और भैया की तैयारी में मदद भी मिल जाती थी।

पिताजी की आदतों ने एक दिन उनकी जान ही ले ली। हम सभी घर पे ही थे की खबर मिली की रोड पे उन्हें किसी गाड़ी ने ठोकर मार दी और वो सड़क पे ही दम तोड़ गए। हमारे पूरे घर में मातम छा गया। हालाँकि उनकी आदतों की वजह से हमें लोगों के सामने काफी जलील होना पड़ा था पर घर में हम दोनों भाई उन्हें पिता-समान ही इज्जत देते थे। हमारी माँ, जो पिताजी की मौत के समय 51 साल की थीं, ने हमेशा हमें पिताजी की इज्जात करनी सिखाई थी और वो खुद भी हमारे सामने पिताजी को कुछ भी बुरा-भला नहीं कहती थीं। जरूर अकेले में वो उन्हें समझाती थीं की वो शराब की आदत छोड़ दें। पर भगवान् को कुछ और ही मजूर था और पिताजी 55 की उम्र में ही हमें छोड़ कर चले गए।

भैया पढ़ने में काफी अच्छे थे और पूरे गाँव में लोग उनकी तारीफ़ करते थे। पिताजी के देहांत के ठीक एक साल बाद भैया को एक अच्छी सरकारी नौकरी मिल गयी और फिर भैया ने माँ और मुझे अपने साथ ही कानपूर शहर बुला लिया। हमने एक 2bhk फ्लैट रेंट पे लिया था जिसका किराया भैया ने कंपनी लीज रेंट करवा दिया था। भैया की उम्र उस समय 25 थी और मेरी 18 और माँ की 52 । मैंने अभी-अभी दसवीं की परीक्षा गाँव के ही विद्यालय से दी थी और फिर कानपूर में एक कॉलेज में बारहवीं के लिए नामांकन करवा लिया। भैया और मेरी उम्र में दस साल का अंतर था और वो मुझे बहुत मानते थे। जॉब के साथ भी जब कभी उन्हें समय मिलता वो मुझे पढ़ते थे। पिताजी के निधन के बाद से माँ थोड़ी उदास-उदास रहती थी।

नौकरी मिलने के बाद से भैया ने घर की सारी जिम्मेवारी ले ली थी और वो हमें किसी भी चीज की कमी नहीं महसूस होने देते थे। कॉलेज ख़त्म होने के बाद मैंने इंजीनियरिंग कॉलेज में नामांकन के लिए तैयारी शुरू कर दी। माँ की तबियत लगातार ख़राब ही हो रही थी। घर पे भैया ने नौकरानी रखी थी जो घर का सार काम कर देती थी। भैया को जॉब करते हुए 4 साल हो गए थे और माँ उनसे अब शादी करने को कहने लगी। पहले तो भैया ने मन किया कुछ दिन पर फिर माँ की बिगड़ती तबियत देख-कर उन्होंने शादी के लिए हाँ कर दी पर उन्होंने शर्त रखी की शादी वो अपनी पसंद की लड़की के साथ ही करेंगे। माँ को इस बात से कोई ऐतराज़ नहीं था।

दो महीनों के अंदर ही उन्होंने अपनी पसंद से शादी कर ली, मेरी भाभी भैया से उम्र में 5 साल बड़ी थी, दरअसल दोनों का प्रेम विवाह था। भाभी अपने घर की सबसे बड़ी थी, उन्होंने अपने भाई-बहनों की पढाई की वजह से देर से शादी करने का फैसला किया था। वो भैया की ही कंपनी में काम करती थीं जहाँ दोनों एक दूसरे से प्यार कर बैठे।

भाभी एक भरे बदन की बेहद गदराई औरत थीं भैया उनके सामने बच्चे जैसे लगते थे। वो बहुत खूबसूरत तो थी ही लेकिन उनके बदन का कसाव दूर से ही दीखता था। मेरी माँ पहले तो इस शादी के खिलाफ थीं पर फिर भैया के जिद के आगे वो मान गयी। भैया, भाभी ने मंदिर में शादी की और हमने हमारे गाँव से किसी को भी नहीं आमंत्रित किया था। शादी के बाद भाभी और भैया दोनों काम पे जाते थे और में अपने कोचिंग। सब कुछ सही चल रहा था। हमने एक नया 3 bhk मकान किराये पे ले लिया था। भैया भाभी एक कमरे में रहते थे, एक में माँ, और एक मुझे मिला था। नयी भाभी के साथ भी मैं बहुत जल्दी घुल-मिल गया था। हालाँकि तब मेरी उम्र बस 19 की थी लेकिन मुझे सेक्स का थोड़ा ज्ञान तो आ ही गया था और भाभी का बदन मुझे काफी आकर्षित करता था। मैं भी खुद के लिए भाभी जैसे ही गदराई बदन के औरत की कामना करता था|

मैं देख सकता था की भैया अब काफी खुश रहते था हो भी क्यों नहीं इतनी मोटी गदराई गाय मिली थी उन्हें बीवी के रूप में। दोनों ऑफिस से आने के बाद खाना खाते ही अपने कमरे में बंद हो जाते थे। और शनिवार और इतवार को तो पूरे-पूरे दिन वो कमरे में ही रहते थे। खैर ऐसा किसी भी नए जोड़े के साथ रहता है शादी के बाद लेकिन शादी के 6 महीने बाद तक यही चल रहा था । भाभी के बदन में और कसाव आ गया था इस बीच और वो और भी ज्यादा गदरा गयी थीं। मैं उन्हें भाभी माँ कहता था जैसा की हमारे गाँव में भाभियों को बुलाते थे। उनके व्यव्हार से ऐसा नहीं लगता था जैसे वो मुझे बिलकुल भी शर्माती हों, वो मुझे एक बेटे की जैसे ही मानती थी । हमेशा मेरी पढाई और मेरे स्वास्थय के लिए पूछती रहती थीं । माँ का भी पूरा देखभाल करती थीं वो और माँ को कोई भी काम नहीं करने देती थीं ।

घर में सभी खुश थें, इस बीच मेरा नामांकन इंजीनियरिंग कॉलेज में हुआ और मुझे भोपाल जाना पड़ा पढाई करने । मैं 3 महीने में बस एक बार आता था घर और जब भी घर आता था भाभी के बदन की कसावट बढ़ी हुई ही पाता| उन्होंने नौकरी वापस नहीं करने का निर्णय ले लिया था क्यूंकि अब तक भैया की तनख्वाह काफी अच्छी हो गयी थी, भाभी घर का अच्छा ध्यान रखती थी ।

लेकिन मेरी माँ की तबियत अब काफी ख़राब रहती थी, भैया ने उन्हें दिल्ली ले जा करके अच्छे डॉक्टर से भी दिखाया था लेकिन वो ठीक न हो सकीं। मेरे दूसरे साल इंजीनियरिंग में उनका निधन हो गया । भाभी ने बढ़ी हुई जिम्मेवारी तुरंत उठा ली वो मुझसे अब हर हफ्ते एक बार बात करती थी और मेरा ख्याल लेती थीं। भाभी माँ जैसे की मैं उन्हें बुलाता था वो बिलकुल माँ जैसे ही अब मेरा ध्यान रखने लगी।

मैं दिवाली की छुट्टी मैं घर आया था। भाभी ने पूरा घर सजाया हुआ था पर भैया किसी ऑफिस के जरुरी काम से बाहर गए हुए थे और घर पे मैं और भाभी ही बस थे। भाभी को देखते ही मैं थोड़ा असहज हो जाता हूँ क्यूंकि वो बड़ी मादक लगती थीं। लेकिन उन्हें इस बात का बिलकुल भी एहसास नहीं था। उनके शरीर की बनावट कुछ 48 - 40 - 48 हो गयी थी। कैसे भी कपड़े पहने वो, उनके यौवन की मादकता साफ़ झलकती थी। ये पहली बार था जब मैं और वो अकेले थे घर पे। मुझे वो बिलकुल ऐसे लगती जैसे हमेशा ही चुदने के लिए तैयार हो। भैया जरूर भाभी को जम के चोदते होंगे भाभी के लगातार बढ़ते शरीर को देख के ये आसानी से कहा जा सकता था।

मैं 6 दिनों की छुट्टी पे आया था और हर दिन मेरी उत्तेजना बढ़ रही थी । भाभी घर में nighty में ही रहती थीं जो की उनके बदन के गदरायेपन को बिलकुल निखार रहा था । पहले ही दिन जब मैं अपने कमरे से सो के बाहर निकला तो देखा वो ड्राइंग हॉल में लेटीं थीं । मुझे देखते ही उन्होंने अपने स्तन पे टॉवल दाल दिया पर वो इतने बड़े स्तन थे की टॉवल के ऊपर से ही मुझे उत्तेजित कर गए। खैर मैं झेप गया और दुबारा कमरे के अंदर चला गया । जिस तरीके से उनके स्तन उभरे हुए थें वो पूरी गाय दिख रही थी। उनके nighty का कलर ट्रांसपेरेंट वाइट था और गोरे बदन की वजह से वो एक भरी-पूरी मांसल औरत दिखती थीं। मैं सोचता था अगर मुझे ये गदराई गाय मिल जाए तो मैं इसे दिन-भर दुहूँगा पर किस्मत तो भैया ने ही पायी थी । मैं उनके बदन से उत्तेजित हो गया था और वो जब भी सामने आती मैं न चाहे भी उनके बदन को आगे से या पीछे से घूरता रहता था।

भाभी और भैया दोनों ने decide किया की वो बच्चा अभी नहीं चाहते हैं। उन दोनों से फॅमिली प्लानिंग की हुई थी। दुसरे दिन मैंने ऐसे ही बात बढ़ाने के लिए उनके घरवालों के बारे में पूछा - भाभी जानती थी की मुझे ज्यादा पता नहीं था इसलिए वो मुझे बताने लगी। भाभी के घर में उनके माँ-पिता और एक भाई और एक बहन हैं । भाई बहन दोनों की शादी हो गयी है और दोनों खुश हैं अपने जीवन में । फिर मैंने उनसे उनके और भैया के शादी की बात छेड़ दी । वो थोड़ी शर्मा गयीं पर बोलीं की वो और भैया दोनों अपने-अपने घर की जिम्मेवारी संभाल रहे थे जो दोनों को अच्छी बात लगी । यही वजह थी की दोनों को आपस में बात करने के लिए बहुत कुछ होता था ऑफिस में और फिर दोनों करीब आते गए । भाभी मेरे से काफी करीब बैठी थी और ये काफी उत्तेजना से भरा माहौल था । मैंने उनके उम्र की बात भी छेड़ दी । वो थोड़ी झेप गयी पर कहा की उन्हें भी यकीन नहीं था की भैया जो की इतने स्मार्ट दीखते हैं एक बड़ी उम्र की औरत के साथ शादी को तैयार हो जायेंगे । भाभी हालाँकि चाहती थी भैया से शादी करना लेकिन थोड़ी आशंकित भी थी क्यूंकि उनके बीच 5 साल का फर्क था । मैंने भी बात बढ़ाने के लिए उन्हें बताया की कैसे हमारी माँ बिलकुल नहीं चाहती थी की ये शादी हो पर भैया ने जिद करके ये शादी की । मैंने भी भाभी से कहा की वो इतनी खूबसूरत है वो उन्हें शादी के proposals तो आते होंगे तो उन्होंने कहा की वो ठान चुकी थी की जब तक अपने छोटे भाई बहन की पढाई और शादी नहीं हो जाती वो शादी नहीं करेंगी । उनके माता-पिता हालाँकि जिन्दा थे पर कुछ काम नहीं करते थे । गाँव से अनपढ़ ही शहर आ गए थे, कुछ साल काम किया भी था पर फिर भाभी ने अच्छी नौकरी पकड़ ली तो अपने पिता को काम करने से मना कर दिया क्यूंकि वो काफी छोटे स्तर की नौकरी किया करते थे । अब उनके माँ-पिता की जिम्मेवारी भाभी का भाई उठाता है ।

फिर मैंने उनसे पूछा की क्या वो खुश हैं भैया के साथ तो उन्होंने कहा की आपके भैया से पूछो आप। मैंने तुरंत कहा की भैया तो बहुत खुश होंगे आपके जैसी बीवी पाकर आप इतना ध्यान जो रखती हो उनका (हालाँकि मैं कहना कुछ और चाहता था!)| वो खुश हो गयीं और फिर हमने यूँही इधर-उधर की बात की फिर वो अपने कमरे में चली गयीं और मैं अपने कमरे में।

मैंने ऐसी दूसरी औरतें भी देखीं हैं पर भाभी जैसा confidence किसी मैं नहीं देखा। ज्यादातर ऐसी भरे बदन की औरतें कुछ न कुछ इशारा दे देती हैं लेकिन पिछले 3 सालों में भाभी ने मुझे कुछ भी hint नहीं दिया। हाँ मैं बिना hint के ही उत्तेजित रहता था वो अलग बात है। पर पूरी पतिव्रता थी मेरी भाभी।

भाभी मुझे बेटा - बेटा कह के बुलाती थी पर न चाहते हुए मैं मना भी नहीं कर सकता था। वो मम्मी के जाने के बाद और सहज हो गयीं थीं मुझे लेकर और इस बार की छुट्टी में तो मुझे उनका बर्ताव थोड़ा और माँ जैसा लग रहा था । हर कुछ घंटे पे मुझे खाने के लिए पूछती थीं। दिवाली की छुटियाँ बीत गयीं लेकिन इस बार काफी समय बिताया था मैंने भाभी के साथ और उनके बदन के प्रति मेरा आकर्षण बढ़ गया था। मैं वापस तो चला आया पर उनके बदन की चाहत साथ ही रही। खैर मैं अपने पढाई में मसगुल हो गया। इस बीच और भी बार घर आया मैं पर बस कुछ ही दिनों के लिए। मैंने अपनी इंजीनियरिंग कॉलेज की पढाई पूरी की और एक अच्छी कंपनी में नौकरी करने लगा।

मुझे नौकरी करते अभी 1 साल भी नहीं हुआ था की अचानक मुझे भाभी का कॉल आया की भैया का एक्सीडेंट हो गया और उनकी हालत काफी नाज़ुक है । भाभी कॉल पे रो रही थीं, मैंने तुरत अगले ही फ्लाइट से हॉस्पिटल पंहुचा पर तब तक भैया का देहांत हो चूका था । ये हमारे घर के लिए एक बड़ा सदमा था । भाभी और मेरा भतीजा तो रोये जा रहे थे । पूरे क्रिया-क्रम तक भाभी ने कुछ नहीं बोला। भाभी तो बेसुध थी बिलकुल । भाभी के माँ-पिता, उनके भाई और बहन सभी हमारे ही घर आ गए थे ।

सभी बस भाभी को ही चुप कराने में लगे हुए थे । वो लगातार रोये जा रही थी । थकने पे सो जाती थी फिर रोने लगती थी । उन्हें देख-कर मुझे भी रोना आ जाता था । पूरे एक महीने हो चुके थे भैया के death के बाद से - मैंने अपनी छुट्टी बढ़ा ली थी भाभी के भाई और उसकी पत्नी और भाभी के माँ-पिता साथ में ही थे। भाभी की बहन वापस चली गयी थी। सभी काफी परेशान थे की भाभी का भविष्य क्या होगा। एक दिन उनके पिताजी ने और उनके भाई ने (राहुल, जो की उनसे 5 - 7 साल छोटा था) मुझे दूसरे कमरे में बुलाया और वो भाभी के हालत पे चिंता जाहिर करने लगे मैंने उन्हें कहा की वो ठीक हो जाएँगी पर वो दोनों काफी चिंतित थे। मुझे ऐसा लगा जैसे उनलोगों ने कुछ सोच रखा था और मुझे बताने के लिए बुलाया हो। मैंने उन्हें कहा की मैं भाभी को अपने साथ शहर ले जाऊंगा वैसे भी हम यहाँ रेंट पे ही रहते थे। तब भी वो दोनों बहुत सहज नहीं दिखे। राहुल ने कहा की दीदी भैया से बहुत प्यार करती थी और जब तक वो अकेले रहेगी उसे भैया की याद आएगी। फिर मैंने कहा तभी तो मैं उन्हें अपने साथ ले जा रहा हूँ। उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी, जैसे वो पहले खुश रहती थी वैसे ही रहेंगी। फिर उनके पिताजी ने वो बात कह ही दी जिसके लिए उन दोनों में मुझे अलग बुलाया था - तुम मधु (भाभी का नाम) से शादी कर लो! ये मेरे लिए काफी अचंभित करने वाला था। एक बाप जो किसी काम के लायक नहीं था और एक भाई जिसे भाभी ने खुद इस लायक बनाया था वो भाभी की शादी उनके देवर से ही (जो की 15 साल छोटा था!) करने की बात कह रहे थे। मेरे सामने तुरंत भाभी का रोटा हुआ चेहरा, और उनका गदराया बदन (जो की और निखार गया था बीते सालों में), मेरे भैया, सब मेरे सोच में आने लगे । मैं बिलकुल शांत हो गया कुछ देर के लिए।

राहुल ने बोला की मधु दीदी मेरा काफी ख्याल रखेगी और फिर मुझे इतनी स्वाभाव से अच्छी बीवी नहीं मिलेगी। राहुल के पिता ने भी भाभी की तारीफ की और मुझे प्यार से समझाने लगे। मुझे समझ ने नहीं आ रहा था। मैंने उन दोनों को कहा पर वो मेरी भाभी माँ है और मेरे से इतनी बड़ी हैं उम्र में (भाभी की उम्र तब 38 साल की थी और मैं 23 साल का)। ये शादी नहीं हो सकती चाहे हम लोग कितना भी चाहे। राहुल ने तपाक से कहा की भाभी थोड़े ही न माँ होती है मैं तुम्हारी जगह होता तो उम्र के लिए तो बिलकुल भी नहीं सोचता। मधु दीदी इतनी खूबसूरत हैं की जिसे चाहे वो शादी करने को तैयार हो जाए हम तो बस चाहते हैं की घर की इज्जत घर में ही रहे और तुम तो कमाते भी हो, तुम्हे ये बोझ भी नहीं लगेगा। दीदी जैसे तुम्हारे भैया का ख्याल रखती थी तुम्हारा भी रखेगी। अभी उसे कोई बच्चा भी नहीं है, जो बच्चा होगा वो तुझसे ही होगा। (ये बात मुझे बहुत उत्तेजित कर गयी)| मुझे समझ में नहीं आ रहा था, वैसे भी मैंने भाभी को साथ शहर ले जाने की बात कही थी। अगर मैं शादी किसी और से भी करता तो भी मुझे जीवन भर भाभी का देखभाल करना ही था और शायद यही डर था इन बाप-बेटे को जिसकी वजह से वो चाहते थे मैं शादी ही कर लूं।

मेरी असमंजसता से उन दोनों को hint तो मिल ही गया था। राहुल की पिता ने कहा की अगर मैं सहमत हूँ इसके लिए तो वो मधु (अपनी बेटी, मेरी भाभी) से आज ही बात करेंगे और फिर परसों कोर्ट में दोनों का निकाह करवा दिया जायेगा। (दरअसल उनलोगों का भी जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था इसमें, करीब एक महीने आने को थे और भाभी बिलकुल भी नहीं समझ रही थी। मुझे भी ऑफिस से कॉल्स आ रहे थे वापस आने के लिए। मैं छुट्टी पे छुट्टी ले रहा था)| हालाँकि मैं इस बात से उत्तेजित भी था की भाभी जैसे गदराये बदन की औरत मुझे मिल रही थी बीवी के रूप में पर मुझे कतई नहीं लगा की ये हो पायेगा सो मैंने उन दोनों को हाँ कह दिया।

राहुल और राहुल के पिता दोनों काफी खुश हो गए और उनके पिता ने मेरे पीठ पे हाथ रखते हुए कहा की वो कभी इस एहसान को भूल नहीं पाएंगे। राहुल ने मुझे थैंक यू जीजाजी बोला और फिर दोनों कमरे के बाहर चले गए। मैं बिलकुल खामोश बहुत सारे सोच में खो गया। मुझे इस बात की बेहद सुखानोमिति हो रही थी की एक दुधारू गाय मुझे जीवन भर के लिए मिल रही थी और जिससे मैं हमेशा उतेज्जित रहूँगा। मैं हमेशा से भाभी जैसे ही औरत से शादी करना चाहता था पर भाभी खुद मुझे मिल जायेगी ये मुझे तनिक भी उम्मीद नहीं थी। शाम तक राहुल और उसके पिता ने भाभी को छोड़ कर सबसे बात कर ली, भाभी से बात करने के लिए राहुल ने अपनी दीदी (जो की भाभी से 2 - 3 साल छोटी थी) को बुला लिया| मैं अपने काम में व्यस्त था और रह-रह कर भाभी का सुन्दर चेहरा और उसका मांसल बदन मेरे सामने आ जाता और मुझे उत्तेजित कर जाता।

जब राहुल की छोटी दीदी (सुमन) आयी शाम में तो मुझे लग गया जैसे की आज रात ही ये लोग सब फैसला कर देंगे। मैं बगल वाले कमरे में ही था जब भाभी के घर वाले उन्हें समझा रहे थे। भाभी बिलकुल कुछ नहीं बोल रही थी और थोड़ी-थोड़ी देर पे रोने भी लगती थी। सुमन ने भाभी से कहा की वैसे भी तुम्हे सुनील (मेरा नाम) के साथ ही जीवन भर रहना होगा, बेहतर होगा यदि तुम दोनों शादी कर लो। तभी राहुल ने बोला की सुनील इस बात के लिए राजी है। तब मैंने भाभी की आवाज़ सुनी वो बोली की सुनील को इस बात की समझ नहीं है वो तो अभी बच्चा है। (ये मुझे उनके तरफ से हाँ जैसे लगी)। राहुल के पिता ने मेरी तारीफ करते हुए कहा की वो कमाता है, इतना जिम्मेवार है खुद ही कह रहा था भाभी को शहर ले जा के साथ रखूँगा। बिलकुल शादी का प्रस्ताव मैंने और राहुल ने रखा था पर वो तुम्हारी जिम्मेवारी के लिए तो वैसे भी तैयार था। वैसे भी उसे तुम्हारी इतनी खूबसूरत बीवी कहाँ मिलेगी सो वो तुरंत मान गया। मैं समझ रहा था राहुल और उनके पिता की चाल वो शादी को बस एक मजह फॉर्मेलिटी की तरह पेश कर रहे थे। ये करीब घंटे भर चला पर मैं तब तक सो गया था।

सुबह सब ने खाना खाया और फिर मुझे भाभी के कमरे में बुलाया गया, भाभी नहा करके बहुत दिनों के बाद काफी फ्रेश लग रही थीं। भाभी के बगल में उनकी बहन सुमन बैठी थी। और मुझे राहुल के माता -पिता ने अपने बीच में सोफे के दूसरी तरफ बैठाया था । उनके पिताजी ने बात की शुरुवात की। मैं एक-टक भाभी को देख रहा था उनके चेहरे पे निरंतर रोने की वजह से थोड़ी उदासी आ गयी थी पर बदन वैसा ही कसा हुआ था। भाभी काफी सीरियस दीख रही थी। जैसा मैं समझ पा रहा था वो इसे बस एक फॉर्मेलिटी के रूप में देख रही थी उन्होंने पति-पत्नी के बीच के संबंधों के बारे में शायद सोचा नहीं था वरना वो मुझपे भी शक करती। वो शर्मिंदगी तो महसूस कर रही थी लेकिन उनकी शर्मिंदगी मुझे इस बात में फसाने को ले के थी। वो शर्मिंदा थीं की उनके पिता और भाई ने मुझे उनसे शादी करने की बात कही थी। राहुल के पिता ने मुझे पूछा की क्या मुझे कोई आपत्ति है इस शादी को लेकर तो मैंने कहा की मैं भाभी माँ को हमेशा खुश रखूँगा और भाभी माँ जैसा चाहेंगी वैसे ही करूँगा। राहुल की माँ ने तुरंत कहा की मैं उन्हें मधु बुलाऊँ और न की भाभी माँ। मैंने कहा माँ जी मैं अपनी मधु को हमेशा खुश रखूँगा| मैं देख सकता था की भाभी की आँखों से आंसूं छलक आये। फिर राहुल के पिताजी ने भाभी से कहा की क्या उन्हें कोई आपत्ति है तो भाभी ने भी अपने सर को ना में इशारे से घुमाया। फिर क्या था राहुल और सुमन दोनों ने मुझे जीजाजी कह के congratulate किया और भाभी की और देख के मुझसे कहा की जीजाजी हमारी दीदी का पूरा ख्याल रखना ।

अगले ही दिन हमारी कोर्ट में शादी हुई और फिर मंदिर होके हम सब लोग शाम को घर पे वापस लौट आये । हमने किसी भी दूसरे जन को पता नहीं चलने दिया था यहाँ तक की हमारे मकान-मालिक भी अनभिज्ञ थे इस बात से। भाभी के कमरे को सुमन ने सजा दिया था और रात में मुझे भाभी के कमरे में ही सोना था । मेरी तो हालत काफी ख़राब थी। उत्तेजना से परिपूर्ण मैं बैचैन था की रात कब आएगी पर मुझे ये भी नहीं पता था की भाभी कैसे रियेक्ट करेगी। मेरे दिमाग में शहर वापस जाने को लेकर काफी ख़ुशी थी क्यूंकि यहाँ तो काफी लोग थे लेकिन शहर में बस मैं और मेरी गदराई गाय होगी फिर तो मैं उन्हें दिन-भर चोदूँगा। रात आ गयी और जब मैं अंदर कमरे में जाने लगा तो सुमन और राहुल ने मुझे thumps up का सिग्नल दिया। सुमन ने मेरे हाथ में दूध का गिलास दिया और बोला की भाभी मेरा इंतज़ार कर रही है।

जब मैं अंदर आया तो भाभी मुझे देख के रोने लगी, मैंने उन्हें समझाते हुए कहा की भाभी माँ अगर आप नहीं चाहेंगी तो मैं कुछ नहीं करूँगा। मैंने तो आपके हित के लिए ही शादी के लिए हाँ कर दिया था। पर वो रोती रहीं। मैंने बहुत समझाया पर वो बिलकुल एक बेसुध औरत की तरह रोती ही रहीं। वैसे मैं इतने करीब था अपनी काम-इच्छा की तृप्ति के लिए लेकिन मैंने संयम से काम लेना जरुरी समझा और उनके पास बैठ के उनके गालों से आसुओं को हाथ से पूछने लगा फिर मैंने उनके माथे पे एक चुम्बन दी। पहली बार मैं उनके शरीर को स्पर्श कर रहा था। जब मैंने उनके गालों पे हाथ रखा तो मुझे अजीब सुख की अनुभूति हुई। इतनी मुलायम थी उनकी त्वचा। फिर मैंने धीरे से उनके दोनों कन्धों पे हाथ रख के उन्हें लिटा दिया। मैंने उनसे पूछा की अगर वो साड़ी चेंज करना चाहती हैं तो मैं हेल्प कर देता हूँ। उन्होंने कुछ बोला नहीं। मैं बगल में लेट गया और उनके गालों पे आंसू पोछते हुए हाथ फेरने लगा।

मेरे अंदर असीम उत्तेजना का संचार हो रहा था । मैंने हिम्मत करके अपने हाथ को उनके होठों के बीच ले जा करके होठों को एक-दूसरे से अलग किया और फिर अपने होठों को उनके करीब ले जाने लगा। भाभी ने जैसे फुर्ती से अपने चेहरे को दूसरे तरफ कर लिया पर कुछ बोला नहीं। मैंने भी जिद नहीं की। मैं अपने हाथ को भाभी के विशाल स्तनों के ऊपर फेरने लगा और उनके ब्लाउज के हुक को खोलने लगा तभी भाभी दूसरी तरफ मुँह करके रोने लगी। उनके स्तन इतने बड़े थें की मैं रुक नहीं पाया और उनके रोते हुए भी मैंने उनके स्तनों को ब्लाउज से बाहर कर दिया और उन्हें अपनी तरफ घुमा के बोला की भाभी आप रो क्यों रही हैं। मुझे अच्छा नहीं लग रहा है। मैंने अपने हाथों से उनके स्तनों को धीरे धीरे सहला रहा था। वो शायद सोच रही थी की ये अभी बोल रहा था बिना उनकी मर्ज़ी के कुछ नहीं करेगा और अभी उनके स्तनों को सहला रहा है जबकि भाभी नहीं चाहती थी। सो मैंने तुरंत उन्हें सॉरी बोल उनके ब्लाउज को दुबारा लगा दिया, पर वो स्तन इतने बड़े थे की दुबारा ब्लाउज लगाने में बड़ी दिक्कत आयी। मैंने फिर भाभी से माफ़ी मांगते हुए कहा की आपका बदन ही ऐसा है की मैं फिसल गया और फिर मैं दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।

अगली सुबह सभी अपने-अपने घर वापस जाने की तैयारी में थे। उन सबको पता थी की भाभी बिलकुल भी खुश नहीं हैं पर उन्हें इसके अलावा कोई और उपाय भी नहीं दिख रहा था। शाम में मैं और भाभी फ्लाइट से दिल्ली आ गए। राहुल ने घर को खाली करने और सारे सामान को ट्रांसपोर्ट करने की जिम्मेवारी ले ली। जब भाभी के घर के लोग जाने लगे तो मुझे बुलाकर थैंक यू कहा और बोला की मधु थोड़ी उदास है पर धीरे धीरे खुश हो जाएगी और फिर हमारे जीवन में बहुत ख़ुशी आएगी ।

रात तक हम दिल्ली (जहाँ मैं जॉब करता था) में थे, मैंने अपने मकान-मालिक को बता दिया था की भाभी भी मेरे साथ रहने आ रहे हैं। मैंने 2bhk फ्लैट ले रखा था लेकिन मुझे इस बात का डर था की कहीं भाभी और मेरी शादी की बात सबको न पता चल जाए। पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की लोग इसे सही नहीं मानेंगे। मेड ने रात का खाना बना दिया था और मैं और भाभी खा के दूसरे कमरे में सोने के लिए आ गए।

भाभी ने nighty चेंज कर ली और मैंने बॉक्सर डाल लिया। भाभी के बदन की विशालता को उनकी nighty बिलकुल नहीं संभाल पा रही थी। मैंने भाभी को पहली बार इस nighty में देखा था| nighty पूरी खींची हुई लग रही थी । एक तरफ को उनके स्तनों के उभार की वजह से वो काफी आगे तक आयी हुई थी और फिर उनके नितम्बों के विकास के वजह से काफी पीछे तक खींची हुई थी। वो एक विशाल चुड़क्कड़ औरत की तरह लग रही थी उस nighty में । मैंने उनसे पूछा की उनके पास और nighty है की नहीं- तो उन्होंने ना में सर हिलाया । मैंने कहाँ की कहीं ये फट न जाए पूरा खिंच गया है आपके बदन के फैलाव की वजह से। उन्होंने सर झुकाते हुए कहा की सूरज (मेरे भैया) ने जान-बूझ कर ऐसा लिया था। (भाभी अभी भी मेरे भावनाओं को समझ नहीं रही थी तभी तो उन्होंने ऐसा कहा!)। मुझे ये बात बेहद उत्तेजित कर गयी और मैंने बिना समय गवाएं तुरंत कहा की भाभी माँ किसी भी मर्द को आपके जैसी एक गदराई औरत ऐसे ही तंग कपडे में चाहिए होगी (पहली बार मैंने भाभी के मुँह पे गदराई शब्द का इस्तेमाल किया था!)| भाभी झेप गयी और मैंने भी बात आगे नहीं बढ़ाई। भाभी ने लाइट बंद करने को कहा, मैं हालाँकि लाइट बंद नहीं करना चाहता था क्यूंकि मुझे भाभी के बदन को देखने का मैं कर रहा था। पर मेरे सामने पूरा जीवन पड़ा था और मैं जल्दी-बाज़ी नहीं करना चाहता था।

IndicLust
IndicLust
12 Followers