मेरी दीदी रंडी निकली

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यह कहानी भाई बहन की हे केसे बहन रंडी से रखेल बनी भाई की
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मेरी दीदी रंडी निकली

हेल्लो दोस्तों मेरा नाम संजू है और मैं 20 साल का हूँ मेरी बहन का नाम अंजू हैं और वह बड़ी ही सुन्दर सुशील बुड्ढों का लंड खड़ा कर देने वाले कामुक बदन की मालकिन है और मैं उसका भाई बड़े लंड का वैसे मेरा लंड सिर्फ़ 7इंच लम्बा है थोड़ा छोटा है पर ठीक हे क्योंकि मैं झूट नहीं बोलता डाक्टरों के हिसाब से एक आम आदमी का लन्ड 3.5इंच से 5.5का होता है ब्लू फ़िल्मों में सब झूट होता है, अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ मैं अक्सर दीदी कि गांड को देखता ही रह जाता हूँ।

जब दीदी को मैं सुबह-सुबह देखता तो मुझसे अपना लंड संभाला नहीं जाता मैं अक्सर छुपाता और वह मुस्कराती मुझे देखकर।

हम एक ही स्कूल में थे वह 12 वी में और में 11 वी में हम दोनों साथ ही स्कूल जाते थे।

एक दिन मैने दीदी को स्पोर्ट्स रूम में जाते देखा मैं भी पीछे-पीछे चल दिया उनके साथ वाहा कुछ लड़कियाँ थी शायद 3-4 मैं अंदर का नजारा देखकर चौंक गया वहाँ एक लड़का एक लड़की को चोद रहा था और बाकी सब उसे चीयर कर रही थी सब उन दोनों चुदाई कपल के आसपास थी। अब दीदी ने सबको कुछ इशारा किया मैं खिड़की में से चुपके-चुपके देख रहा था एक ही इशारे में सब जन्मजात नंगी हो गईं और उस लड़की को चाटने लगी तो कोई लड़के को।

अब किसी ने एक गोली निकाली और लड़के के मुंह में डाल दी लड़के को और अधिक जोश आ गया अब वह लड़का जोर-जोर से धक्का मार रहा था थोड़ी देर में लड़की उस लड़के के जोर-जोर के धक्कों से दर्द सहन ना कर पाई उसने चूत में से लंड बाहर निकाल लिया, उसका लंड मेरे मुकाबले थोड़ा छोटा था अब मेरी आँख गांड दोनों फटी जब मैने लड़की का चेहरा देखा वह मेरी अंजू दीदी की बेस्ट फ्रेंड थी सोनाली और लड़का तो पूछो ही मत हमारे स्कूल का स्पोर्ट्स टीचर था।

अब वह टीचर सोनाली को पकड़कर मारने लगे बोले "साली छिनाल रंडी चल बन घोड़ी, कुतिया कहीं की" वह बोली "सर, आप भले ही पैसे मत देना पर अब छोड़ दो दर्द होता है" मेरा तो दिमाग ही घूम गया मैं सोचने लगा मेरी दीदी की दोस्त रंडी हे या शायद मेरी दीदी भी?

सोनाली हाथ पैर जोड़ने लगी और दूर बैठ गई सर को गुस्सा आने लगा उन्होंने एक लड़की को पकड़कर उनके लंड पर मुंह कर दिया वह लड़की उनका लन्ड चूसने लगी, अब सर ने पास पड़े गोली के पैकेट में से एक और गोली खा ली सोनाली घबराने लगी सर बोले "फ़िक्र मत कर रंडी अब तू नहीं चुदेगी अब तेरी इस दलाल सहेली की बारी है इसने मुझे हलकी दर्द ना सहन कर पाने वाली रंडी दी!" दीदी के चेहरे का रंग उड़ने लगा वह बोली "सर आप किसी और को चोद लो मेरे पीरियड चल रहे हे प्लीज़" सर के तो सिर पर शायद चूतसवार था उन्होंने दीदी कि एक ना सुनी दीदी को उनकी और खींचने लगे।

अब दूसरी लड़कियाँ मुस्कुरा रही थी सर ने फक्क से दीदी की चूत में लंड डाल दिया ओर चोदने लगे दीदी रोने चिल्लाने लगी पूरे कमरे में सिसकारियों की आवाज आने लगी दीदी चिल्ला भी रही थी बहुत देर बाद सर का पानी निकला उन्होंने दीदी की चूत में ही निकाल दिया दीदी उनपर चिल्ला रही थी "साले कुत्ते की ओलाद मेरी चूत में क्यों निकाला शादी के पहले चूत में से बच्चा निकलाएगा मादरचोद" दीदी को सर बोले "सॉरी मेरी रंडी मैं तो तेरी चूत में ही निकालूंगा अगर तू पैसे ना लेती तो मैं सोचता बाहर निकालने के बारे में" और सर हंसने लगे दीदी के चेहरे पर से चुदाई का नूर जाने लगा दीदी का मुंह छोरा-सा हो गया।

अब दीदी ने आव देखा ना ताव और सर के गोटों पर एक लात दे मारी और बोली "साले मादरचोद अगर मैं घर बैठ गई ना तो एक चूत भी नसीब ना होने वाली" सर दर्द से करा रहे थे, दीदी ने उनकी पास पड़ी शर्ट से पैसे निकाले और कुछ सोनाली को और कुछ बाकी लड़कियों को दिए और सभी लड़कियाँ पैसों का गोल-गोल बंडल बनाने लगी और दीदी बोली "जिसकी कमाई उसके पास" पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया फिर मैने देखा सभी लड़कियों ने पैसों ला बंडल अपनी-अपनी चूत में डाल दिया और दीदी ने बंडल निकालकर अपनी ड्रेस में रख दिया।

बाकी लड़कियाँ बंडल को अंदर बाहर कर रही थी चूत में शायद उनका खाली ना हुआ हो अब दीदी एक लड़की की चूत पर झुकी और चाटने लगी सहलाने लगी लड़की को मजा आ रहा था थोड़ी देर में वह लड़की झड गई उसकी चूत का सारा रस दीदी पी गई और नोटों के बंडल को चाटने लगी।

अब सबने कपड़े पहने और दीदी सर से बोली "ऐ छक्के, बता अब कब आए और किसकी लेगा अब?" सर कुछ नहीं बोले दीदी और बकी लड़कियाँ चली गई, मैं दूसरी खिड़की में था इसलिए किसी को नहीं दिखा अब सर भी धीरे से खिसक लिए।

मै वहीं सीन सोचता-सोचता घर आ गया कमरे जाकर में लेट गया मेरे सामने वहीं सीन चल रहा था।

मेरा दिमाग खराब हो रहा था, दीदी आ गई थोड़ी डर में अभी इस वक़्त मम्मी और पापा नहीं थे घर पर तो मैने कुछ नहीं देखा सोचा और दीदी के पास चला गया और मैं बोला दीदी थो गई होगी आओ कुछ खा लो हम साथ बैठकर खाना खाने लगे।

मै धीरे से बोला "दीदी आज तो बहुत कमाई हुई हे तुम्हारी?" दीदी हकलाने लगी और बोली "कैसी कमाई, कौनसी कमाई?" मैं बोला "वह स्पोर्ट्स रूम वालीं" दीदी का मुंह खुला का खुला रह गया।

अब वह बोली "क्या करती भाई भरी जवानी में ऐसा ही होता है, मैं चूत की गर्मी-गर्मी में चुदवा बैठी" आज पहली बार मेरी संस्कारी दीदी के मुंह से चूत सुना था मैने, मैं बोला वह तो ठीक है कोई बात नहीं चुदवा लेती पर तुम तो धंधा कर रही हो उपर से चूत में सारा पानी डलवा रही हो तुम्हे हमारा कोई ख्याल है अगर पेट से हो गई तो? " दीदी का मुंह उतार गया मैं तो यही चाहता था शायद अब मैं कमरे में चला गया।

अब कुछ डर बाद दीदी आयो कमरे में और आते ही दरवाजा बन्द कर दिया और मेरे पास आ गई दीदी की आंखों में आसूं थे वह पास आकर बैठ गई ओर बोली "मै रंडी नहीं बनना चाहती थी मैं तो बस ऐसे ही कभी-कभी जब चूत गर्मी छोड़ती हे तो कर लेती हूँ पैसे के पैसे आ जाते हे और चूत भी ठंडी ही जाती है" मैं बोला "कबसे चल रहा है यह सब?" दीदी बोली "यही कुछ 6-7 महीने से" मैं चौंक उठा और पूछा "कितनी बार चुदी हो?" दीदी ने कहा "यही कुछ हफ्ते में एक दो बार" मैं यह सुनकर सुन्न-सा पद गया।

मैने पूछा "कितनो ने तुम्हारी चूत के मज़े लिए हे आजतक?" दीदी शरमाते हुए बोली "आज सातवा था"।

अब मैने बोला "क्या लोगों यह धंधा बन्द करने का? तुम अगर अपनी चूत ढीली करवा लोगी तो शादी के बाद जब तुम्हारा पति तुम्हारी चूत देखेगा तो क्या मिलेगा उसको, एक बड़ा-सा भोसड़ा?"

वह बोली "भाई आज की सोचो बाद में तो मैं सब संभाल लूंगी"।

दीदी बोली "जबतक कुछ पक्का इलाज नहीं होता मैं कोई धंधा बन्द नहीं करने वाली ट्से हो जो कर लो" मुझे अब गुस्सा आ रहा था तो उसे शांत करने के लिए दीदी बोली "तुम्हे शांत करने के लिए में कुछ भी कर सकती हूँ, तुम्हे मेरी जो रंडी चाहिए वह चोद लो मैं पैसे भी नहीं लूंगी बस तुम किसी को बताना मत प्लीज़"।

मै बोला "किसी को भी चोद सकता हूँ?" तो दीदी ने हाँ करदी पर दीदी को क्या पता था कि मेरे शैतानी दिमाग में क्या था अब मैं बोला "दीदी क्या तुम गांड भी मारनी हो अपने रंडी के बिजनेस में?" तो दीदी ने कहा "गांड तो मैं किसी से ना मराऊ, मर जाऊंगी पर गांड किसी से ना मराने वाली" तो मैं भी दीदी से बोला "तो ठीक है दीदी मुझे आपकी एक रंडी पसंद है और वह हो आप मुझे आपको चोदना हे और वह भी रोज" अं दीदी कुछ सोचने लगी मैं फिर बोला "सोच लो नहीं तो तुम्हारा धंधा बन्द ना हो जाए"।

अब दीदी कमरे से बाहर जाने लगी मैने पूछा "कहा चली?" दीदी ने जवाब दिया "धंधा बन्द करने अब क्योंकि मुझे तो लंड मिल गया वह भी परमानेंट" दीदी के चेहरे पर खुशी थी मैं बोला "पर दीदी आपने लेट बहुत कर दिया जवाब देने में अब अगर आप अपनी गांड मारने दोगी तो ही मैं आगे कुछ करूंगा नहीं तो देख लो अपने हिसाब से" दीदी की आंखे बाहर आ रही थी शायद उनको गुस्सा आ रहा था।

फिर वह मुस्कुराई ओर बोली "भाई हो तुम मेरे तुम्हारे लिए तो कुछ भी कर सकती हूँ एक बार गांड मराने में क्या हे" मैं बोला "सिर्फ एक बार? तो रहने दो आप तो करो धंधा जाओ किसी के भी नीचे अपनी आग शांत करने"।

दीदी बोली "ठीक हे भाई जब मन करे मेरी गांड हाजिर रहेगी"

मैने बोला "तो फिर दीदी कल रात को पापा मम्मी किसी काम से बाहर जा रहे हे तुम्हारे लिए कल सरप्राइज चुदाई पैकेज है"

दीदी खुश हो उठी उन्होंने अपनी फ्रेंड्स को फोन करके बोला कि अब वह रंडी का काम नहीं करेगी उसे एक पक्का लंड मिल गया है।

अगले दिन सुबह से ही दीदी मुझे रिझा रही थी शायद उन्होंने सुबह पैंटी नहीं पहनी थी सलवार कमीज़ में उनकी गांड की दरार साफ-साफ दिख रही थी मेरा लन्ड तन गया था पेंट मस तम्बू बन गया था पापा मम्मी दो दिन के लिए सुबह से ही निकल गए मैने दीदी को जबरदस्ती स्कूल भेज दिया और सोनाली को फोन लगा के बोल दिया कि "दीदी को शाम 5बजे के पहले मत छोड़ना नहीं तो सबको बता दूंगा कि तू एक रंडी हे और तू रुक कुछ दिन दीदी के बाद तेरी भी गांड का नंबर लगाता हूं" सोनाली की तो गांड फट गई थी मेरी बात सुनकर।

अब दीदी रात को आई तो मैने अपना कमरा सुहागरात के जैसे सजा रखा था और दीदी को चोदने के लिए नंगा ही था मैं कमरे में दीदी ने जब आकर देखा तो मेरा लंड देखती ही रह गई और बोली "भाई आज तुम मेरी गान्ड फाड़ दोगे मुझे नहीं मरवानी तुम रहने दो मैं रंडी हि अच्छी हूं"

मुझे गुस्सा आया मेने दीदी कि पलंग पर पटक दिया ओर कपड़े निकालने लगा दीदी ने स्कूल ड्रेस पहन रखी थी इसलिए उसे आराम से निकाला ओर ब्रा पैंटी तो फाड़ दी और दीदी से बोला "अब दीदी तू और तेरी गांड तो गई अब" दीदी घबरा गई मैने दीदी को उल्टा किया और मैने दीदी की गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगा पर सूखा लंड कहाँ जाता मैने एक जोर का झटका मारा लंड थोड़ा-सा अन्दर चला गया दीदी जोर-जोर से रोने लगी मैं रुक गया अब दीदी को कुछ सूझा उसने लंड गांड से बाहर निकाल लिया दीदी ने एक जोर का झटका मारा लंड पहले से थोड़ा और अंदर चला गया और उसे दर्द होने लगा।

अब उसने लंड लो गांड से बाहर निकाल निया और पलट गई ओर लंड चूसने लगी खूब सारा थूक लगाया और फिर उल्टी लेट गई दीदी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी मैने भी कुछ सोचा और इस बार दीदी कि चूत में डाल दिया लंड।

दीदी बड़बड़ाने लगी बोली "साले बेहेनचोद गांड मार रहा हे तो वहीं मार ना चूत को क्यों छेड़ रहा है उसमे तू लंड मत डाल उसे तू गांड के बाद मुंह से चोदना" अब मैने लंड को गांड के छेद पर सेट किया और एक ही झटके में पूरा अन्दर उतार दिया दीदी हाथ पैर मारने लगी चिल्लाने लगी पर मैं कहा सुनने वाला था धीरे-धीरे आगे पीछे होने लगा दीदी को कुछ अच्छा लग रहा था मैं जब भी दीदी को अछा महसूस होता या उसकी चीख कम होती अपनी स्पीड बढ़ा दिया करता ऐसे ही में दीदी कि गांड में झड दिया पूरी गांड मेरे माल से भरी हुई थी।

इसके बाद मैने दीदी की चूत को अपने मुंह से छोड़ा फिर एक और राउंड गांड मारी हम दोनों ऐसे ही सो गए थे।

सुबह उठे मैंने दीदी को देखा वह सो रही थी मैने उसे उठाया वह उठकर किचेन में चाई बनाने चली गई उसने कपड़े नहीं पहने थे वह लंगड़ा-लंगड़ा कर चल रही थी मैने देखा कि उसकी गान्ड पर थोड़ा-सा सूखा हुआ खून लगा हे।

और साथ ही चादर भी खून में खराब हो गई थी मैं नहीं चाहता था कि चादर बदली जाए जो कि मेरी और दीदी कि पहली चदाई की निशानी हे इसलिए मैने चाकू से अपना हाथ थोड़ा-सा काटकर उसपे बंडेज लगा लिया।

अब दीदी नंगी किचेन में काम कर रही थी मैं गया दीदी के पास उसने रात के दर्द के बारे में मुझे बताया मैने हंसकर कहा "यही तुम्हारी सजा थी और रंडी से मेरी बहन बनने कि परीक्षा भी" दीदी खुश थी अब हमने थोड़ी देर बाद फिर चुदाई की इस बार मैने चूत मारी दीदी की उसको खूब मज़ा आया।

अब मैं बोला "दीदी तुम्हारी गैंग में किस किसने गांड नहीं मरवाई हे?" दीदी ने बताया कि बस अब सोनाली बची हे तो मैने उसे रात को बुलाने को कहा दीदी ने उसे बुला लिया और रात को।

मै फिर नंगा ही थी जब सोनाली कमरे मैं आई उसने मेरा लन्ड देखा और बोली "क्या तुमने मुझे जो धमकी दी थी फोन पर वह सही थी?" मैने हाँ में सर हिलाया वह घबरा गई इतने में दीदी कमरे में आ गई और बोली "देख सोनाली आज तुझे इससे अपनी गांड खुलवानी पड़ेगी नहीं तो यह सबको बता देगा इसने मेरी भी गांड मारी कल बहुत मजा आया"।

पर सोनाली नहीं मानी दीदी थी तो नंगी ही उसने अपना गांड का छेद दिखाया और बोला देख कितना खिल रहा है जैसे कोई फूल हो"।

सोनाली नहीं मानी तो दीदी ने और मैने जबरदस्ती करके उसे बाँध दिया और एसा बाँधा कि उसकी गांड चूत और मुंह छोड़ सके फिर दीदी बोली "भाई मारो इसकी गांड फाड़ दो" दीदी ने उसकी गांड को चाटकर थूक लगाया और मेरे लन्ड पर भी मैने उसपर मेरी दीदी की तरह बिल्कुल रहम नहीं किया उसकी गांड में एक ही बार में पूरा का पूरा लन्ड उतार दिया वह चिल्लाए जा रही थी तो दीदी ने अपनी चूत उसके मुंह से लगा दी उसकी चीख कुछ कम हुई पर उसे दर्द तो हो रहा था।

मै झड गया सोनाली की गांड में इतने में दीदी एक वायग्रा कि गोली ले आई और मुझे खिला दी वह बोली "साली छिनाल तेरे कारण उस दिन सर ने मेरी चूत चोद दी तू ना चिल्लाती ती कुछ ना होता" अब मैने सोनाली की गांड में लंड डाला पर मुझे कुछ अजीब-सा लगा मैने लंड चूत में डाल दिया फिर मुझे एक आइडिया आया मैने सोनाली की रस्सी ढीली कर दी और उसे छोड़कर मैं दीदी पर झपट पड़ा दीदी चिल्लाने लगी सोनाली उठ भी नहीं पा रही थी मैने दीदी की गांड में एक ही झटके में पूरा लन्ड डाल दिया दीदी चिल्ला रही थी।

सारी रात यहीं चला कभी दीदी कभी सोनाली ऐसे सुबह हुई सोनाली से भी चला नहीं जा रहा था दीदी इस उसके घर छोड़ आई फिर मम्मी पापा आ गए हम दोनों एक ही कमरे में सोते थे इसलिए रोज चुदाई करते कभी-कभी सोनाली को भी स्टडी के बहाने बुला लेते।

उस चुदाई की रात के बाद सोनाली और दीदी उनकी रंडी गैंग से बाहर आ गई और उन दोनों ने प्राइवेट फॉर्म डाल दिया था जिसमें स्कूल नहीं जाना रहता हे बस एग्जाम देनी होती है।

समाप्त।

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2 Comments
AnonymousAnonymousabout 3 years ago
बहुत अच्छी स्टोरी है

बहुत अच्छी स्टोरी है

rajNsunitaluv2explorerajNsunitaluv2explorealmost 4 years ago
very good

कहानी पढ़के खूब मज़ा आया. इसको आगे भी बढ़ा सकते है.

सुनीता

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