मेरी बहनों ने मेरे लंड का मजा लिया

Story Info
मेरी बहनों ने मेरे लंड का मजा लिया।
9.3k words
4.32
1.1k
5
0
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मेरी बहनों ने मेरे लंड का मजा लिया

दोस्तो, मैं आपके लिए एक और नयी कहानी लेकर आया हूँ जो मैंने बहुत ही मन लगाकर और मेहनत के साथ लिखी है।

ऐसी बहुत कम कहानियाँ देखने को मिलती हैं जिनको हम एक से अधिक बार पढ़ने की इच्छा करें। इस लिहाज से मैंने इस कहानी में एक नया अंदाज़ पेश करने का प्रयास किया है। आशा करता हूँ कि आप इसका भरपूर मज़ा लेंगे।

यह एक लम्बी चौड़ी चूत और लंड की घिसाई से फूली हुई गांड की तरह बहुत बड़ी है। इस कहानी को समझने के लिए पहले आप इसके पात्रों को जानें।

मेरे घर में मैं इमरान (25 वर्ष) , अब्बू (50 वर्ष) , अम्मी (47 वर्ष) , मेरी बहन रुबीना (23 वर्ष) , बहन राबिया (21 वर्ष) , बहन इसराना (19 वर्ष) और मेरी दो विवाहित बहन हैं, नजमा (29) और आसिफा (27) ।

नजमा और आसिफा के पति सगे भाई हैं और मिस्त्री का काम करते हैं। मैं ज़्यादा पढ़ा लिखा नहीं था तो अपने जीजा के साथ ही मिस्त्री का काम किया करता था।

वैसे मुझे सेक्स के बारे में काफ़ी जानकारी थी पर कभी किया नहीं था।

कुछ दिन पहले एक दिन जब नजमा दीदी घर पर आई हुई थी तो उन्होंने कहा कि अब रुबीना की शादी करनी चाहिए ये भी जवान हो गई है। उसके बाद राबिया और इसराना भी इसके बराबर की हो गई हैं।

अम्मी बोली "तूने कोई लड़का देखा है क्या?"

नजमा बोली "लड़का भी देख लेंगे अम्मी, पहले मन तो बनाओ शादी का?"

मैं उन दोनों के पास से ये बात सुन कर आ गया और कमरे में गया जहाँ रुबीना, राबिया और बाक़ी सब बैठे थे।

मैंने वहाँ इस बात का ज़िक्र किया कि राबिया की शादी होने वाली है तो अब सबने इस बारे में ही ज़िक्र करना शुरू कर दिया।

नजमा दीदी की दो बेटियाँ हैं "सोफिया और आयत।" उन्होंने ज़ोर जोर से शोर मचा दिया जिससे रुबीना शर्मा गई और दूसरे कमरे में चली गई, उसके पीछे-पीछे राबिया भी चली गई।

गर्मी के दिन थे तो हम सब अपनी छत पर सोते थे।

सबने ऊपर ही चारपाई बिछाई और अम्मी ने नीचे बिस्तर बिछा दिया, नजमा दीदी अम्मी के पास ही लेट गई।

आज तो पूरे दिन से घर में बस शादी की बात छिड़ी हुई थी तो वही बातें चलती रही। मैं उनकी बातें सुनते-सुनते सो गया।

रात को मेरी नींद खुली तो मुझे पेशाब लगा हुआ था। फिर मैं उठा तो काफ़ी रात हो गई थी। मैं नीचे टॉयलेट में गया। टॉयलेट की लाइट जली हुई थी और दरवाज़ा बंद था तो मैं रुक गया।

बाहर ही खड़ा हुआ मैं इंतज़ार करने लगा। काफ़ी देर बाद दरवाज़ा खुला और रुबीना अपनी सलवार का नाड़ा ठीक करती बाहर निकली।

फिर मैं अंदर घुस गया और पेशाब करने लगा।

मेरे मन में तभी जिज्ञासा हुई कि रुबीना क्या कर रही थी इतनी देर तक? मैं ज़्यादा समझ नहीं पाया और सोचा शायद वह मेरे से आगे ही आई हो इसलिए ज़्यादा टाइम लग गया। फिर मैं वापस जाकर सो गया।

अगले दिन मैं काम से वापस आने के बाद नजमा दीदी को उनके घर छोड़ने जाने लगा तो दीदी ने अपना बैग मोटरसाईकिल पर रखा और वापस जाकर रुबीना से कुछ बात करने लगी।

अम्मी भी खड़ी थी।

फिर वह आकर बाइक पर बैठ गयी। उसके बाद मैं उनके घर गया जहाँ आसिफा दीदी भी थी और उनकी बेटी भी बैठी हुई थी। मैं उनसे मिला तो ध्यान दिया कि आसिफा दीदी का पेट बाहर निकला हुआ है।

मुझे समझते देर न लगी कि दीदी पेट से है। उसके बाद मैं फिर वापस घर आ गया। रात का समय था तो मैंने सीधा ऊपर आकर ही खाना खाया और सोने लगा।

मुझे नींद नहीं आ रही थी।

आसिफा के बारे में मैंने अम्मी से बात की तो अम्मी ने बताया कि वह पहले से जानती हैं कि आसिफा पेट से है।

अम्मी बोली "उसको एक लड़का हो जाये तो सही रहे, जो पहले हुए वह तो मर गये। ये भी अच्छा है कि वह लोग शहर में रहते हैं वर्ना अगर गाँव में होते तो उसके ससुराल वाले जीना हराम कर देते।"

मुझे अम्मी से बात करते हुए नींद आ गयी। फिर मैं सो गया।

रात को मेरी नींद एक आहट से खुली। मैंने देखा कि रूबीना फिर से नीचे जा रही है। मुझे कल वाली बात याद आयी और मैं उसके पीछे-पीछे जाने लगा।

वो नीचे जाकर टॉयलेट में घुस गयी और गेट अंदर से बंद कर दिया। मैं भी अब गेट के बिल्कुल पास आ कर खड़ा हो गया तो उसके पेशाब गिरने की आवाज़ आने लगी।

मैं रूबीना की मस्त चूत की कल्पना में डूब ही गया। फिर पानी डालने की आवाज़ आई तो मैंने सोचा कि अब वह अपनी चूत साफ़ कर रही होगी।

मैं दरवाजे से कान लगाकर खड़ा था और मेरा सारा वज़न दरवाजे पर था।

पता नहीं कब रूबीना ने एकदम से दरवाज़ा खोल दिया और मैं अंदर की ओर घुस गया। मैं रूबीना से टकराया तो वह हैरानी से बोली " भाई! आप यहाँ क्या कर रहे थे?

मैंने होश संभालते हुए कहा " पेशाब करने आया हूँ।

रुबीना बाजी बोली "तो गेट से बिल्कुल चिपकने की क्या ज़रूरत थी, थोड़ी दूर खड़े हो जाते?"

मैं खड़ा होते हुए बोला "मुझे अंदर से आवाज़ आ रही थी।"

वो थोड़ा सहमी और बोली "कैसी आवाज? यहाँ कोई आवाज़ नहीं हुई, मैं तो अकेली ही थी।"

फिर मैंने कुछ नहीं कहा और रूबीना को ऊपर से नीचे तक अच्छे से देखा।

उसकी चूची का साइज 32 होगा मगर गांड काफ़ी उभरी हुई थी। उसकी कमर एकदम से पतली थी।

फिर वह बोली " आपने कल भी आवाज़ सुनी थी क्या?

मैंने हाँ में सिर हिलाया। "

वो मेरे कंधे को पकड़कर बोली "भाई, मुझे ये सब नजमा दीदी ने करने के लिए कहा था, मैं किसी लड़के से नहीं मिली कभी!"

तभी हम सीढ़ियों पर आवाज़ सुनी तो रुबीना बाजी एकदम से बाहर चली गई और मैं गेट बंद करके तनकर मोटे हो चुके लंड से पेशाब करने लगा।

मेरा लंड बिल्कुल टनटना गया था और दीवार पर ऊपर तक धार मार रहा था।

पेशाब करने बाद मैं बाहर निकला तो राबिया बाहर खड़ी थी। मैं उसकी साइड से निकल बिना बोले चला गया।

मैं फिर चुपचाप ऊपर चला गया और अपनी चारपाई पर लेट गया। अब मेरे मन में बस ये ही सवाल था कि नजमा दीदी ने उसको क्या करने के लिए बोला होगा?

तभी राबिया भी टॉयलेट से वापस आ गई और रुबीना से बात करने लगी। मैं ये सोचने लगा कि अब ये दोनों क्या बातें कर रही होंगी। फिर मुझे सोचते हुए ही नींद आ गयी।

अगले दिन मैं काम पर जाने लगा तो रसोई में रुबीना बाजी और अम्मी खाना बना रही थी।

मैंने इशारे से रूबीना को बुलाया तो रुबीना बाजी बाहर आ गई।

मैंने रसोई से थोड़ा अलग होकर उनके कान में पूछा "नजमा दीदी ने क्या करने के लिए बोला था तुम्हें?"

इस सवाल पर वह शर्मा गयी।

मैंने उसका चेहरा ऊपर किया और इशारे से उसको फिर से पूछा।

वो बोली "शाम को बताऊंगी।"

फिर वह वहाँ से भाग गयी।

मैं अपने काम पर चला गया।

शाम को आने के बाद मैं रुबीना बाजी को ढूँढने लगा तो वह रसोई में थी और अम्मी खाना लेकर अब्बू के कमरे में जाने लगी।

मैं जल्दी से रसोई में घुसा और रुबीना बाजी को पीछे से पकड़ा और अपना खड़ा लंड उनकी मोटी गांड से चिपका दिया।

मैं फिर से वही सवाल पूछने लगा तो उन्होंने कहा "कोई आ जाएगा रसोई में, रात को बात करते हैं।"

अपनी बेचैनी मिटाने के लिए मैंने पूछा "अरे कुछ तो बता दो?" मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा रात से, मैं ठीक से सो भी नहीं पाया हूँ।

वो बोली "दीदी ने सफ़ाई करने के लिए बोला था।"

मैंने पूछा "कैसी सफाई?"

वो बोली "तभी तो कह रही हूँ, रात को बात करेंगे, अभी यहाँ सारी बात नहीं बता सकती।"

फिर मैं रसोई से आ गया। सबके खाने के बाद मैं सोने के लिए ऊपर चला गया।

आज तो रुबीना बाजी ने चारपाई मेरे पास ही बिछाई थी और दूसरी तरफ़ मेरी दोनों बहनें थीं।

थोड़ी रात होने के बाद सब सोने लगे तो मैंने अपने हाथ से रुबीना बाजी का हाथ पकड़ा और उन्हें जगाने के लिए हिलाया।

वो मेरी तरफ़ मुड़ गई। वह भी नहीं सोई थी।

उन्होंने लेटे-लेटे ही सबको देखा तो सब गांड फैला कर सो गए थे।

फिर उन्होंने चारपाई से उठते हुए मुझे साथ आने को बोला तो मैं पीछे-पीछे चल दिया और सीढ़ियों से उतरते हुए उनकी हिलती गान्ड की देख कर मज़ा लेने लगा।

हम दोनों नीचे आ गए तो वह कमरे की तरफ़ जाने लगी।

मैं भी साथ में चला गया।

बाजी ने कहा "अब बताओ, क्यूं परेशान हो?"

मैंने कहा "बाजी, नजमा दीदी ने क्या करने के लिए कहा था?"

वो बोली "अरे नीचे की सफ़ाई करने के लिए कहा था।"

मैंने कहा "सफाई तो रोज़ होती है घर में!"

इस पर बाजी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी सलवार के ऊपर से ही चूत पर रख दिया और बोली "यहाँ की सफ़ाई के लिए बोला था पागल!"

अब मैं समझ गया तो बाजी ने अपना हाथ हटा लिया मगर मैंने अब भी वहीं हाथ रखा हुआ था।

मैं बोला "बाजी मुझे दिखाओ ना ... कैसी लग रही है अब सफ़ाई करने के बाद?"

वो बोली "नहीं इमरान, ऐसे अच्छा नहीं लगता। तू भाई है मेरा, मैंने तो ये अपने शौहर के लिए की है।"

फिर मैं बोला "अच्छा बाजी, अब आपके शौहर मेरे से ज़्यादा अजीज़ हो गये कि आप मुझे मना कर रही हो? अभी तो उनका अता पता भी नहीं कि आप गांड फैलाकर उनके लिए तैयार हो रही हो?"

बाजी चुप हो गई और अपना सूट उठा कर होंठों में दबा लिया और सलवार का नाड़ा खोल दिया। सलवार नीचे गिर गई और वह अपनी ब्लू कलर की पैंटी नीचे खिसकाने लगी।

मुझे उनकी जांघों के बीच में चूत के दर्शन हुए।

मैं तो एकदम होश खो बैठा। ये पहला अवसर था कि मैं चूत के दर्शन कर रहा था।

अब मैंने चूत को हाथ से छूना शुरू किया तो बाजी भी कामुक होने लगी।

मेरा लंड एकदम से तन गया था। मैंने अपनी ज़िप खोल कर बाजी को लंड दिखाया तो वह खुश हो गई।

मैंने कहा "बाजी अंदर डाल दूं क्या इसे?"

उन्होंने कुछ नहीं कहा। बस गर्दन झुका ली तो मैंने पैंट का बटन खोल कर निक्कर नीचे कर दिया और बाजी की चूत में लंड लगाने लगा। बाजी को अच्छा लगा और मैं लंड को अंदर घुसाने लगा तो बाजी मेरे कंधे पकड़ कर सहारा लेने के लिए खड़ी हो गई।

मैंने तभी पास रखी चारपाई पर लेटने को कहा तो वह लेट गई। मैं उनके ऊपर चढ़कर चूत में लंड घुसाने लगा और बाजी थोड़ा-सा हिलने लगी।

शायद उन्हें ये अजीब लगा हो या पहली बार करने में डर लग रहा हो, तो मैंने धीरे से बाजी की चूत में लंड का सुपारा डाल दिया।

बाजी की चूत ने पहले ही पानी निकाल दिया था तो मैं अब पूरा घुसाना चाहता था। मैंने ज़ोर का धक्का मारा और बाजी के ऊपर लेट गया।

वो मेरे कंधे पर हाथ से पीछे धकेलने मगर मैंने उनके हाथ को पकड़ कर रोक दिया और लंड अंदर ही रहने दिया।

अब मैंने बाजी के होंठों पर चूमा और गर्दन पर भी किस किया।

वो थोड़ा शांत लगने लगी तो मैंने फिर दूसरा धक्का मारा और बाजी कराह उठी।

मैंने उनका मुंह अपने मुंह में दबा लिया।

उनके कंधों पर अपने हाथ रखकर धक्के लगाने लगा तो थोड़ी ही देर में बाजी भी कमर हिलाने लगी और मेरे होंठ भी चूसने लगी। मुझे अब मज़ा आने लगा तो मैंने भी ज़ोर जोर से धक्के लगाने शुरू किए।

बाजी की चुदाई करते हुए ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था। इसलिए मैं ज़्यादा देर नहीं रोक पाया।

फिर थोड़ी ही देर में मेरा पानी बाजी की चूत में गिर गया।

मैं भी थककर उनके ऊपर गिर गया।

बाजी भी लंबी सांसें ले रही थी।

कुछ देर आराम करने के बाद में फिर से बाजी के ऊपर चढ़ गया तो उन्होंने कहा "इमरान जल्दी करो, फिर ऊपर जाकर सोना भी है, कहीं कोई हमारी चारपाई देख लेगा तो ग़ज़ब हो जाएगा।"

मैंने बाजी की चूत में फिर से लंड घुसा दिया और धक्के लगाता रहा। वह भी गांड उठाकर लंड को अंदर तक लेती रही और मुझे कमर से पकड़ कर चूमती भी रही।

हवस में मैं भी उनके होंठों को चूस लेता और धक्के लगाता।

अब मैं थक कर रुक गया तो बाजी बोली "क्या हुआ?"

मैं बोला "कुछ नहीं, बस थोड़ी देर सांस ले लूं, उसके बाद दोबारा करूंगा।"

वो बोली "तुम हटो, मैं ऊपर आती हूँ।"

बाजी अब मेरे ऊपर लेट गई और अपने हाथ से पकड़ कर लंड को चूत में सेट किया और ऊपर लेट गई। मेरा लंड चूत के अंदर तक घुस गया। अब बाजी अपनी कमर और चूतड़ हिला कर धक्का लगा रही थी।

उन्होंने एकदम अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और चूत को तेजी से लंड पर पटकने लगी। उसके मुंह से आह्ह ... आह्ह ... करके हल्की सिसकारी निकल रही थी। शायद वह चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी।

फिर मुझे लंड पर चिकनाई महसूस और मुझे लगा कि बाजी की चूत का पानी निकल गया। फिर वह थककर मेरे सीने पर लेट गई तो मैंने करवट बदल ली।

अंदर घुसे हुए लंड को अंदर ही फंसा रखकर मैंने बाजी को नीचे लेटाया और उसकी चूत में फिर से धक्के लगाने लगा। अब बाजी हल्की फुल्की आवाज़ ही निकाल रही थी मगर मैं तो पूरी मस्ती से चोद रहा था।

अबकी बार मेरा पानी निकलने तक मैंने उसकी चूत का कचूमर निकाल दिया। फिर मेरा पानी भी निकल गया। बाजी भी शायद दोबारा से झड़ गयी थी। कुछ देर तक हम दोनों लेटे रहे और फिर कपड़े पहन कर ऊपर आकर लेट गये। फिर हम दोनों चुपचाप सो गये।

उस रात की चुदाई के बाद हम दोनों रात में रोज़ ही चुदाई करते थे।

एक दिन बाजी सो रही थी। मैंने उनको उठाया तो वह उठी नहीं। मैं उनको उठाने के लिए कोई तरकीब सोचने लगा जिससे शोर ना मचे और बाजी उठ भी जाए।

मैं अपनी चारपाई से धीरे से उठा और बाजी की चारपाई पर लेट गया। उनके दोनों कंधों को पकड़ कर उनके होंठ चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर में बाजी एकदम हड़बड़ाते हुए उठ गई मगर शोर नहीं किया उसने।

उसने मुझे देखा और मैंने उसके होंठों पर उंगली रख कर चुप रहने का इशारा किया।

फिर मैंने उन्हें छोड़ दिया और नीचे की तरफ़ जाने लगा।

वो भी मेरे पीछे-पीछे आ गई क्योंकि उनकी चूत भी रोज़ उछाल मारती थी अब।

दीदी की चूत अब मेरा लंड खाकर ही सोती थी। मैं पानी पीने के लिए रसोई में आ गया। वह भी मेरे पीछे रसोई में आ गई। मैंने ख़ुद भी पानी पीया और बाजी को भी दिया।

पानी पीकर उनकी नींद उतर गई।

बाजी बोली "इमरान, कल रात में तुमने मस्त चुदाई की और पूरा दिन काम किया तो बहुत नींद आ गई थी। याद ही नहीं रहा कि तुम आज भी मुझे जन्नत दिखाओगे।"

मैंने कहा "बाजी जन्नत तो आप मुझे दिखाती हो।"

तभी हमें बाहर किसी के चलने की आवाज़ सुनाई दी। हम दोनों की गांड फट गई। हम बिल्कुल चुप हो गए और ध्यान से सुनने लगे।

कुछ देर बाद वह आवाज़ सीढ़ियों की तरफ़ चली गई तो हमने चैन की सांस ली।

हमने खुदा का शुक्रिया किया कि कोई पेशाब करने आया होगा और वापस चला गया।

मैंने कहा "बाजी, जल्दी से करो।"

बाजी बोली "मैं ज़मीन पर लेट जाती हूँ।"

मैंने कहा "बाजी, आप बस झुक जाओ, आज मैं पीछे से करूंगा।"

बाजी दीवार के सहारे झुक गई।

मैंने उनकी गांड पर से हाथ फिराया और चूत के आगे ले जाकर सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी भी उतार दी।

उनकी पैंटी घुटने तक सरका कर मैंने अपने भी नीचे के कपड़े उतारे और पीछे से चूत में धक्कापेल चुदाई शुरू कर दी।

बाजी भी अपनी गांड को पीछे की तरफ़ धकेल कर मज़ा ले रही थी।

कसम से दोस्तो, आज नए स्टाइल से करने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने बाजी को पानी निकलने तक चोदा और फिर वह खड़ी हो गई।

वो बोली "इमरान, अब और नहीं झुका जाएगा। कमर में दर्द हो रहा है।"

मैंने कहा "बाजी, चलो मेरा तो पानी निकल गया और नहीं करना अब।"

बाजी बोली "मुझे भी नींद आ रही है, मैं तो तुम्हारे लिए ही आ गई, कहीं तुम परेशान ना हो जाओ और तुम्हें नींद भी ना आए।"

इस पर मैंने बोला "बाजी आपको मेरी कितनी फ़िक्र है, पर आज तो किसी गांडू की नज़र ही लग गई थी शायद। चलो चलते हैं।"

हम कपड़े पहन कर छत पर आ गए।

वहाँ देखा कि राबिया अब बाजी की चारपाई पर लेटी हुई है जबकि रोज़ वह इसराना के साथ सोती है।

रुबीना बाजी ने मेरी तरफ़ देखा तो मैंने मुंह पर उंगली रखकर चुप रहने का इशारा किया और चारपाई पर लेट गया। बाजी भी चारपाई पर लेट गई।

अगली सुबह मेरी आँख नहीं खुली तो बाजी मुझे उठाने आ गई। मैंने आँख खोली और छत पर देखा तो सब नीचे चले गए थे।

मैंने बैठकर बाजी को अपनी तरफ़ खींचा तो वह मेरे ऊपर गिर गई।

मैं उनको किस किया और फिर बाजी ने भी मुझे वापस किस किया।

हम सुबह ही चुम्मा चाटी करने लगे।

तभी सीढ़ी के पास से राबिया निकली और बोली "गाल पर किस करने से मज़ा नहीं आएगा होंठों को चूसो।"

आवाज सुनते ही हम दोनों एकदम अलग हो गए और चुप होकर राबिया की तरफ़ देखने लगे।

वो बिल्कुल पास आ गई और मेरी चारपाई पर बैठ गई।

मेरा और बाजी का खून दौड़ना बन्द हो गया; हम बिल्कुल सुन्न हो गए।

तभी राबिया बोली "डरो मत, मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगी, अगर कहना होता तो काफ़ी पहले बता चुकी होती, साले अपनी सगी बहन की चूत में रोज़ लंड पेलता है? बस मुझे एक शिकायत है कि तुमने रात में सेक्स किया पर मुझे नहीं दिखे, कहाँ गांड मरवा रही थी बाजी? कल मुझे तुम्हारी फ़िल्म देखने का मौका नहीं मिला।"

बाजी बोली "हम कल तो रसोई में" , वह कमरे में तो ...

कहते हुए वह अपनी बात भी ख़त्म नहीं कर पाई थी कि तभी राबिया बोली "ओह ... तो ये बात है! अब मुझे पता चला कि रात में मैंने कहाँ नहीं ढूँढा तुम्हें। चलो कोई बात नहीं, अगली बार बता देना जहाँ भी करने का मन हो, मुझे तुम्हारा चुदाई का मेला देखना है... वर्ना अम्मी को बता दूंगी और फिर तुम दोनों की गांड पर अच्छे से लौड़े लगेंगे।"

ये बोलकर राबिया चली गई।

मैं और बाजी एक दूसरे को देख कर अब खुश हो गये।

बाजी बोली "जान बच गई; वर्ना मुझे तो लगा कि ये साली किसी के सामने अपना भोसड़ा खोल देगी तो अब्बू हम दोनों को जान से मार देंगे।"

मैंने कहा "बाजी, राबिया के बारे में सोचो कुछ वर्ना ये कहीं गलती से भी मुंह खोल गई तो मामला गड़बड़ हो जाएगा।"

बाजी बोली "कुछ नहीं होगा, मैं उस साली से बात कर लूंगी, तुम काम पर जाओ।"

फिर मैं उठकर नीचे आ गया।

राबिया ने कहा "इमरान तू नहा ले, मैं खाना लाती हूँ।"

मैं नहाकर तैयार हुआ तो राबिया खाना ले कर आई और बोली "अच्छे से खा ले, अब तो दिन रात मेहनत करनी पड़ती है तुझे, तेरा तो तेल ही निकल जाता है।"

ये बोलकर वह ज़ोर जोर से हंसने लगी। मैंने चुपचाप खाना ख़त्म किया और अपने काम पर आ गया।

उस दिन जब मैं काम से घर लौटा तो अम्मी को मैंने बताया कि दोनों जीजा अब विदेश में काम करने जाने वाले हैं, उन्होंने आज अपने काग़ज़ बनवा लिए हैं।

ये सुनकर सब लोग खुश हो गये।

अम्मी बोली "आज खाने में अच्छा बनाना कुछ। आज हम दावत करेंगे।"

तो हमने नॉनवेज बनाया और सबने अच्छे से खाया।

हम सब अपने जीजा की विदेश में नौकरी लगने से काफ़ी खुश थे।

बाजी की गांड फटी हुई लग रही थी। वह आज कुछ परेशान लग रही थी। मुझे बार-बार इशारे से अलग बुला रही थी।

मैं उन्हें रुकने का इशारा करता मगर वह बार-बार इशारे से बुला रही थी।

फिर मैं उनके पीछे कमरे में आ गया तो बाजी बोली "राबिया साली मान तो गई है पर उसने कहा है कि आज हम दोनों को उसके सामने चुदाई करनी पड़ेगी।"

वो चुप हुई तो मैं बोला "बाजी, ये तो बड़ी मुश्किल बात है, ऐसे कैसे हो सकता है?"

बाजी बोली "करना तो पड़ेगा... नहीं तो वह रण्डी कहीं मुंह न खोल दे।"

मैंने कहा "कोई बात नहीं, रात को करते हैं, जो भी होगा देखा जायेगा।"

तो हमने खाने के बाद ऊपर चारपाई डाली और सब लेट गए। राबिया बाजी के पास लेटी थी। मतलब वह साली आज हमारी फ़िल्म देख कर ही मानेगी।

आधी रात को बाजी ने मुझे हिलाया तो मैं उठ गया क्योंकि मुझे भी नींद नहीं आई थी।

बाजी और राबिया दोनों गांड मटकाती हुई नीचे जा रही थीं।

मैं भी उनके पीछे ही चल दिया।

नीचे आकर बाजी टॉयलेट में घुस गई तो राबिया बोली "इमरान, मुझे पता है कि तुम्हें अजीब लगेगा, मगर मैं तो रोज़ तुम दोनों को चुदाई करते देखती हूँ, आज बस नज़दीक से देखूंगी, इसलिए तुम ज़्यादा सोचो मत।"

मैंने कहा "नहीं, तुम देख लेना, कोई बात नहीं।"

उतने में ही बाजी बाहर आ गई तो मैं अंदर घुस गया और गेट बंद करने लगा तो राबिया ने गेट अंदर की ओर धकेल कर कहा "क्या छुपा रहा है? हमारे सामने ही कर जो करना है बहनचोद, मुझे भी देखना है कि लड़के कैसे पेशाब करते हैं।"

मैं अपनी बहनों के सामने ही पेशाब करने लगा।

वो मेरे मुरझाये लंड को देख रही थी। वह अजीब से चेहरे बनाकर कुछ सोच रही थी।

तभी बाजी बोली "इमरान, कहाँ चलें?"

तो मेरे से पहले राबिया बोल पड़ी "रसोई में चलो, मैंने वह ही चुदाई नहीं देखी, आज हिसाब पूरा हो जाएगा, जैसे उस दिन किया था आज भी वैसे ही करना।"

मैं अब पेशाब करने के बाद टॉयलेट से बाहर आया और उन दोनों के पीछे रसोई में गया।

राबिया बोली "जल्दी शुरू करो, कहीं कोई उठ गया तो मेरी फ़िल्म खराब हो जाएगी।"

बाजी ने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार हाथ में पकड़ ली।

राबिया मेरी तरफ़ देखने लगी। मुझे लगा उसको गुस्सा आ जाएगा तो मैंने भी अपने कपड़े उतार कर लंड बाहर निकाल दिया और बाजी की तरफ़ गया।

मैंने बाजी की कमर पकड़ी और उन्हें झुका दिया तो बाजी के हाथ से सलवार छूट गई और उनकी लाल पैंटी दिखने लगी।

तो मैंने बाजी को कहा "बाजी आप सिलेंडर पर हाथ रख लो।"

बाजी थोड़ा आगे खिसकी और सिलेंडर पर हाथ रख लिए। मैंने बाजी की पैंटी नीचे खींच दी और घुटनों तक सरका दी।

राबिया बोली "अरे उतार दे।"

तो फिर मैंने बाजी की पैंटी पकड़ी और नीचे की तरफ़ खींच दी। बाजी ने अपना एक-एक पैर उठाकर सलवार और पैंटी बिल्कुल निकाल दी तो मैंने बाजी के चूतड़ों से कमीज को कमर पर डाल दिया।

अब बाजी की उभरी हुई गांड साफ़ सामने आई और मैं अपना लंड चूत के सुराख में डालने लगा।

बाजी बिल्कुल शांत होकर ये सब महसूस कर रही थी।

राबिया बड़े ध्यान से सब देख रही थी जैसे उसको कल ये एग्जाम में लिखना हो।

मैंने अपना लंड बाजी की चूत में डाल दिया और उनकी कमर पकड़ कर धक्के लगाने लगा।

बाजी अब थोड़ा मज़े ले रही थी। अपनी कमर से पीछे की तरफ़ धक्के लगा रही थी।

राबिया चुप होकर हमें देख रही थी।

मैंने बाजी की चूत में धक्के मार मारकर अपना पानी निकाल दिया और लंड बाहर खींच लिया।

अब रूबीना एकदम खड़ी हो गई और मेरे सीने से चिपक गई।

राबिया बोली "इतनी जल्दी कैसे कर लिया? मुझे तो अभी मज़ा आना शुरू हुआ है।"

मैं बोला "दो मिनट रुको, हम दोबारा करेंगे।"

राबिया बोली "जल्दी शुरू करो; फिर सोना भी है।"

मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ा और बाजी के सूट के नीचे से चूत पर रगड़ने लगा तो बाजी ने अपना सूट ऊपर उठा लिया ताकि राबिया ये सब देख सके।

राबिया ने बाजी को बोला " अरे बाजी उतार दो सब कुछ!

बाजी थोड़ा पीछे हठी और कमीज उतार दिया और उनकी लाल चोली (ब्रा) दिखने लगी।

राबिया बोली "बाजी, ये चोली तो मेरी है।"

बाजी बोली "नहीं ये मेरी है। ये दोनों लाल कच्छा और चोली साथ ही तो लाई थी अम्मी।"

मैं बोला "बाजी, आप दोनों को एक ही नाप की चोली आती है क्या?"

बाजी बोली "हाँ, 32 है इसकी नाप भी और मेरी भी।"

मैंने राबिया से उसकी चोली दिखाने को कहा तो वह शर्मा गई और मना करने लगी।

दोबारा से मैंने कहा "जल्दी से दिखाओ, तुमने तो मेरा सब कुछ देख लिया।"

फिर उस रांड ने अपना कमीज ऊपर उठाया। उसका गोरा पेट दिखने लगा। फिर उसने और ज़्यादा ऊपर उठाया तो उसकी काले रंग की चोली दिखी।

सच में ही रूबीना और राबिया की चूची एक ही नाप की थीं, बिल्कुल फ़र्क़ नहीं था। राबिया भी बिल्कुल चिकनी थी और रुबीना बाजी की तरह मखमली बदन की मालकिन थी।

मैंने कहा "राबिया, तुम भी हमारे साथ शामिल हो जाओ।"

बाजी ने भी राबिया को ये ही बोला तो राबिया बोली "आज तुम दोनों मुझे करके दिखाओ, मैं कल से सोचूंगी।"

फिर मैंने बाजी की चूत में फिर से लंड रगड़ना शुरू कर दिया जिससे मेरे लंड में तनाव आने लगा।

मैंने बाजी की चूत ने लंड घुसा दिया और उनको बांहों में भर लिया।

मैं ज़ोर जोर से धक्के लगाने लगा।

कुछ देर बाद मैंने बाजी से कहा "बाजी चलो, दूसरी तरह से करते हैं।"

तो बाजी फिर से सिलेंडर पर हाथ रख कर झुक गई। मैंने पीछे से लंड घुसा दिया और कमर को पकड़ कर धक्के पेलने लगा।

बाजी मस्त हो रही थी।

मैंने तभी देखा कि उसकी चूची मेरे हाथ से टकरा रही है तो मैंने उनकी चोली का हुक खोल दिया। वह चोली उनके हाथ की कोहनी तक उतर गई। अब बाजी ने उसको बिल्कुल उतार दिया।