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Click hereहम दिल्ली की एक आधुनिक सोसाइटी में रहते हैं। यहां अधेड़ों की संख्या ज्यादा है जवानों की कम। आधे से ज्यादा रहने वाले ५० से ऊपर हैं। उनके बच्चे, नाती-पोते भी हैं पर ज्यादा नहीं। शाम को टहलते हुए ज्यादातर अधेड़ आदमी और औरतें ही दिखते हैं।
हमारी उम्र के ज्यादातर लोग रिटायर हो चुके हैं। सबके अपने अपने ग्रुप बने हुए हैं और उनके बीच एक दूसरे के घर आना जाना होता रहता है। पीना और खाना भी। इसी तरह बीवियों के भी ग्रुप बने हुए हैं।इतने साल साथ रहते मिलते जुलते दोस्तियां गहरी हो गई हैं।
विजय विधुर है। हमारे दो परिवार उसके सबसे करीबी दोस्त हैं। हम दोनों पति यानी हेमंत और मैं कमल ६०, ६१ के हैं। विजय भी इसी उम्र का है। मेरी बीवी रीना ५६ की और हेमंत की पत्नी मधु ५८ की हैं। दोनों अब भी चुस्त और मस्त हैं। कई सालों से साथ खाते पीते, मस्ती करते, दारू पीते हम इतने करीब आ गए कि एक दूसरे के साथ चूमा चाटी से शुरु करके पूरी चुदाई तक पहुंच गए थे। इस नायाब सुख को खूब भोगते हुए मजे से जी रहे थे। विजय की पत्नी १०-१२ साल पहले कैंसर में चली गई थी। तब से वह एक बेटे के साथ अकेले जी रहा था।
एक दिन आपस में बात करके तय करते हैं कि बिना औरत के विजय की जिन्दगी नीरस हो रही है, वह जीने का उत्साह खो रहा है। हमें उसकी मदद करनी चाहिए। हम अपनी बीवियों से बात करते हैं कि दोनों उसके साथ समय बिताएं, उसे भी सुख दें। दोनों नानुकुर के बाद तैयार हो जाती हैं। आखिर विजय दिल का अच्छा और सबकी मदद करने वाला हम सब का अच्छा दोस्त है। हमारी बीवियों को पसंद भी है और उन्हें भी उस पर तरस आता है।
चारों उसके घर जाते हैं। सब पीते हैं। माहौल खुशनुमा है तो मैं और हेमंत विजय को बताते हैं कि हमने सबने तय किया है कि मधु और रीना दोनों उसे भी वही मजा देंगी जो हमें देती हैं। पहले तो विजय चौंक कर सन्नाटे में आ जाता है। फिर हें हें कह के हँसने लगता है- देखो ऐसे मज़ाक मत करो मुझसे। इन दोनों के सामने कैसी बातें कर रहे हो तुम लोग? मैं कहता हूं- विजय, हम सब सीरियस हैं। हमसे तुम्हारी उदासी और अकेलापन देखा नहीं जाता। आखिर हम लोग २० साल पुराने दोस्त हैं। अब तुम हमारी बीवियों के साथ भाग तो जाओगे नहीं। इसलिए मौज करो, मूड बनाओ मस्ती का। आज तुम्हारी दूसरी, डबल सुहागरात है, पूरा मजा उठाओ। हम अब जा रहे हैं।
हम दोनों उन तीनों को छोड़ कर बाहर आ जाते हैं। साथ बैठ कर दारू पीते हैं और सोचते हैं वो लोग क्या कर रहे होंगे। दो घंटे बाद हमारी बीवियां खूब खुश खुश लौट आती हैं। रीना मेरी गोद में और मधु हेमंत की गोद में बैठ जाती हैं। हमारे गिलासों से लंबे शराब के घूंट लेती हैं और बताना शुरु करती हैं कि हमारे जाने के बाद उन्होंने क्या किया।
रीना और मधु मिल कर अशोक को चूमती हैं। लिपटती हैं। वह भी चूमता है, उन्हें बाहों में भर कर सहलाता है। दोनों पहले उसके कपड़े उतारती हैं मिल कर। फिर एक दूसरे के। रीना मधु का ब्लाउज़ खोलती है, ब्रा उतारती है और विजय से कहती है लो विजय, मधु के नींबू चूसो। वह अपने हाथ से मधु की छोटी छोटी चूचियां विजय के मुंह में डालती है। विजय लपक कर चूसता है, दोनों को बारी बारी से। मधु हाथ नीचे करके विजय के लटकते लंड से खेल रही है जो खड़ा हो रहा है।
थोड़ी देर चुसाने के बाद मधु कहती है, विजय मेरे नींबू चूस लिए अब इस रीना के पपीते चखो, सब भूल जाओगे। वह लपक कर रीना की कमीज उतार कर फेंक देती है, ब्रा निकाल देती है और रीना के बड़े बड़े लटकते पपीते विजय की फैली आंखों के सामने लटकने लगते हैं। रीना अपने हाथ से दोनों थनों को उठा कर विजय के मुंह पर रगड़ती है, लो विजय मेरे थन पियो। विजय पागलों की तरह उनमें मुंह मारने लगता है, बड़े बड़े निपल मुंह में भर कर चूसने लगता है। इधर दोनों सहेलियां मिल कर उसके खड़े लंड को सहला रही हैं।
मधु झट से नीचे बैठ कर उसका लंड मुंह में भर कर चूसने लगती है। बेचारा सालों बाद दो दो मस्तानी औरतों का मज़ा पाकर जन्नत में है। वह तुरंत पहले रीना को पूरी नंगी करता है, फिर मधु को। अब तीनों नंगे हैं। वह पहले जी भर कर दोनों की मेच्योर जवानियों को सब तरह से घूम कर, छू कर सहला कर देखता है फिर बारी बारी से दोनों के मुंह, गले, चूचियों, पेट, नाभी, जांघों, चूतड़ों को चूमते चाटते उनकी टांगों के बीच झांटों पर चूमने लगता है। दोनों एक दूसरे की चूचियों से खेल रही हैं, एक दूसरे को चूम रही हैं, नीचे विजय उनकी चूतों को खोल खोल कर चूम रहा है।
फिर दोनों उसको सोफे पर बिठा कर अगल बगल बैठ जाती हैं। बारी बारी से झुक कर उसके कड़े लंड को चूसने लगती हैं। फिर साथ साथ। फिर दोनों नीचे फर्श पर बैठ कर एक साथ उसका लंड चूसती हैं। थोड़ी ही देर में उत्तेजित विजय का लंड भलभला कर झड़ने लगता है। दोनों चुदासी बीवियां उसका फेदा चाव से चाट जाती हैं। विजय कहता है, आह मधु इतना मज़ा तो मुझे जिन्दगी में कभी नहीं आया, अपनी बीवी के साथ भी नहीं। वह भी होती तो सब मिल कर मजे करते।
हां विजय, हमने भी ऐसे कभी किसी एक अकेले आदमी के साथ मज़े नहीं किए, चारों मिल कर ही करते हैं हम। पर आखिर तुम हम लोगों के दोस्त हो। दोस्त दोस्त के काम नहीं आएंगे तो कौन आएगा...हमें तुम्हारा यूं अकेले रहना अच्छा नहीं लगता था। अब जब तुम्हारा मन करे हममें से किसी से कह देना और आ जाना या बुला लेना।
फिर मधु कहती है, आज हमें भी मज़ा आ गया। चलो अब आराम करो, हम चलीं अपने आदमियों के पास। साले बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहे होंगे यह जानने के लिए कि हम लोगों ने क्या किया। हमें अब उनसे भी चुदवाना है।
यह सुनते हुए हम अपनी बीवियों की चूचियों को नंगा करके उनसे खेलते जा रहे थे, उनकी साड़ियां उठा कर चूतों को सहला रहे थे, उन्हें चूमते जा रहे थे। यूं जब चारों खूब गर्म हो गए तो मैंने मधु को अपनी ओर खींच लिया और हेमंत ने मेरी बीवी रीना को। अब हमारी बारी थी एक दूसरे की बीवियों का मजा लेने की और यह देखने की कि उनकी चूतों में विजय का माल कितना और कैसे लगा हुआ था।
हम दोनों को ही दूसरे के माल से भरी हुई अपनी या एक दूसरे की बीवियों की गीली, ढीली और छप छप करती चूत को चोदने में मजा आता है।