साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ

Story Info
This is a story of two close friends and their wives.
20.1k words
4.35
26.7k
13

Part 1 of the 2 part series

Updated 06/09/2023
Created 05/19/2019
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साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ

प्रिय पाठक गण

अकसर मेरी कहानिया लम्बी होती हैं और शायद कुछ लोगोँ को बोरिंग भी लगे, क्यूंकि मैं कहानियों में पटकथा पर और जो भावावेश और जज्बा होता है उस पर ज्यादा बल देता हूँ। यह कहानी वैसे तो साधारणसी है पर इसमें वही भाव आपको दिखेंगे। अगर आपमें धैर्य एवं भाव को परखने की शूक्ष्मता के लिए जो समय और सोच चाहिए उसका अभाव है तो आपको मेरी कहानी नहीं भाएगी।

राज और कमल की दोस्ती स्कूल में मशहूर थी। उनके घर नजदीक ही थे और उनके माता पिता एक दूसरे को जानते थे। वह शुरू से सेकंडरी हाई स्कूल तक साथ साथ पढ़े, क्रिकेट खेले और बहोत मस्तियाँ भी की। कमल राज से एक क्लास सीनियर था। उनकी दोस्ती कैसे इतनी गहरी हुयी इसके पीछे एक कहानी थी। कहानी कुछ इस तरह थी की जब राज छठवीं क्लास में था तब उसीकी स्कूल में सीनियर क्लास में एक हट्टाकट्टा लड़का था जो हमेशा राज का मजाक उड़ा कर राज को तंग करता रहता था। एकबार जब राज ने उसका विरोध किया तो उसने राज को एक घूंसा मारा। राज गिर गया और उसके दाँतो से खून बहने लगा। तब कमल ने उस मोटे लड़केकी पिटाई की और राज को बचाया। उस लड़के से लड़ते कमल को भी चोटें आयीं और काफी खून निकला।

पर बात यहां ख़तम नहीं हुई। वही मोटा लड़का शहर के पुलिस अफसर का बेटा था। कमल से पिटाई होने के बाद वह तिलमिला उठा था और एक दिन मौक़ा मिलते ही उसने राज को स्कूल छूटते ही स्कूल के बाहर ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर अपनी गाडी में उठवा लिया और राज को शहर के बाहर दूर एक नाली के पास पिटाई करके लहू लुहान हालत में फेंक दिया।

कमल जैसे ही स्कूल से बाहर निकला तो बच्चों ने उसे बताया की राज को उस मोटे लड़के ने दोस्तों से मिलकर कैसे अगुवा किया था। कमल आग बबूला हो गया, पर उसे राज की चिंता थी। वह तुरंत अपनी साइकिल पर निकला और उस मोटे लड़के के घर के बाहर कुछ पौधों की आड़ में छुपकर वह मोटे लड़के का इंतजार करने लगा। जब वह लड़का अपने घर पहुंचा की कमल ने लपक कर कार में बैठे हुए मोटे लड़के की गर्दन दबोच ली और जोर से दबायी। वह लड़का छटपटा ने लगा और कमल के हाथों से चार करारे थप्पड़ रसीद होने पर उसने अपना गुन्हा कुबूल किया। कमल के कहने पर उसने राज को जहां पिटाई कर के छोड़ा था वहाँ ले गया।

उसी गाडी में कमल राज को अस्पताल ले गया और उसकी जान बचाई। मोटे लड़के के पिता जो पुलिस में थे वह बड़े सज्जन थे। अपने बेटे की करतूत पर बड़े शर्मिन्दा हुए और बेटे को सबके सामने

दो थप्पड़ लगाए और कमल और राज के माता पिता को बेटे की शिकायत ना करने के लिए प्रार्थना की। राज के माँ बाप तो कमल के पाँव पकड़ कर उसका अहसान मानने लगे। इस वाकये के बाद राज के माता पिता कमल के घर आये और उसकी बड़ी प्रशंसा की। राज और कमल के कुटुंब की दोस्ती और गहरी हो गयी। राज की माँ और कमल की माताजी एक दूसरे की पक्की सहेलियाँ बन गयीं। राज कमल को बड़े भाई की तरह मानने लगा। कमल हमेशा उसे छोटे भाई की तरह प्यार करता था। राज की माँ कमल को इतना प्यार करती थी की वह सबको कहती थी की "अगर मेरी बेटी होती तो मैं कमल के साथ उसकी शादी जरूर करती।"

घरसे राज या कमल कोई भी चीज़ लाते तो वह मिल बाँट कर खाते। उनकी दोस्ती बचपन से ही गाढ़ी हो गयी। राज के लिए भी कमल का वजूद कोई देवी देवता से कम नहीं था। राज को कोई भी छोटा मोटा फैसला करना होता था तो वह कमल से पूछता और वही करता जो कमल उसे कहता। इतना ही नहीं, जब कभी कमल अपने घर में सोया होता था और राज उसे मिलने आता, तो तुरंत कमल के पाँव दबाने लगता था।

कमल स्कूल में एक अच्छा खासा क्रिकेटर माना जाता था। नियमित व्यायाम करने के कारण उसका बदन गठीला और आकर्षक था। अपनी स्कूल की टीम का वह कप्तान था। कमल सुन्दर बदन का, आकर्षित आँखों वाला और मनमौजी था। उसकी एक आदत थी की वह जो दिल में आता था बोल देता था या कर देता था। कमल मजबूत शरीर का था और राज थोड़ा कमजोर, दुबला पतला था। पढ़ाई में राज हमेशा अव्वल आता था। कमल भी पढ़ाई में ठीक ही था।

उनकी दोस्ती बढ़ती गयी और उन दोनों की जोड़ी पुरे स्कूल में मशहूर हो गयी। कमल रंगीन तबियत का था। राज थोड़ा गंभीर किस्म का था। छठी सातवीं कक्षा से ही अक्सर कमल राज से लड़कियों के बारेमें बातें करता। धीरे धीरे राज भी कमल के साथ स्कूल की लड़कियों के बारेमें बातें करने लगा। जब वह दोनों बात करते तो मालूम होता की उन दोनों की नजर अक्सर एक ही लड़की पर टिकती थी। एक बार कमल ने राज से पूछा, "राज यार हम दोनों को एक ही लड़की क्यों पसंद आती है? अगर हमने एक ही लड़की शादी के लिए भी पसंद की तो क्या होगा?"

राज ने फ़ौरन कहा, "तो फिर हम दोनों ही वह लड़की से शादी करेंगे।"

कमल: "पर एक लड़की से दो मर्द शादी नहीं कर सकते।"

राज: "तो फिर हम क्या करेंगे? तो मैं वह लड़की तुम्हारे लिए छोड़ दूंगा। मैं उससे शादी नहीं करूंगा।"

राजकी बात सुन कर कमल राज को गले लगा कर बोला, "नहीं यार, ऐसा नहीं हो सकता। हमारी यारी के बिच में कोई लड़की नहीं आनी चाहिए। अगर ऐसी नौबत आयी तो हम दोनों अलग अलग लड़कियों से शादी तो करेंगे, लेकिन दोनों लडकियां हम दोनों की पसंदगी की ही होंगीं और हमारी बीबियाँ हम दोनों की होंगी ना की किसी एक की।"

कमल हंस पड़ा, "यह तो बहुत अच्छा होगा। तब तो हम दोनों हमारी दोनों बीबियों के साथ ही रहेंगे और उनके साथ मिलजुलकर एन्जॉय करेंगे। कभी तुम मेरी बीबी के साथ रहना और मैं तुम्हारी बीबी के साथ। कैसी रहेगी? बोलो मंजूर?"

राज ने एक ही पल में कहा, "एकदम मंजूर।"

उस समय इतनी समझ नहीं थी की बीबी कोई बपौती संपत्ति नहीं है की उसे मिलजुल कर बाँटा जाये।

हाई स्कूल पास करने के बाद वह दोनों को अलग अलग कॉलेज में दाखिला मिला और वह कुछ सालों के लिए अलग हो गए। पर उनकी बात फ़ोन पर होती ही रहती थी। कमल राज को अपनी हर बात बताता और राज कमल को। फ़ोन पर भी वह एक दुसरेकी टांग खींचते रहते की कोई लड़की फँसी के नहीं।

कमल की शोहरत बढ़ने लगी, क्यूंकि वह क्रिकेट खेलनेमें अव्वल था। उसने अपनी स्कूल को इंटर स्कूल खेलों में चैंपियनशिप दिलाई थी। कॉलेज में वह टीम का कप्तान रहा और वहाँ भी उसने अपने झंडे गाड़ दिए। स्कूल और कॉलेज में लडकियां कमल पर फ़िदा थीं। कॉलेज में खेलते खेलते ही वह रणजी ट्रॉफी में भी खेलने लगा। उसके आकर्षक व्यक्तित्व के कारण वह काफी लोकप्रिय बना। उसके फोटो खेलकूद के और फैशन के मैगज़ीन में अक्सर आते रहते थे। यह कहा जाता था की एक न एक दिन वह भारत के लिए जरूर खेलेगा। .

कॉलेज पास होते ही कमल को उसके क्रिकेट में लोकप्रियता के कारण मुंबई में एक बड़ी कंपनी में नौकरी मिली। उधर राज ने कॉलेज में मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के लिए और पढ़ाई की।

दो तीन सालों के बाद कमल की शादी की बात होने लगी। उस समय कमल ने यह शर्त रखी की जो भी लड़की वह पसंद करेगा उसे राज भी मिलेगा और हाँ कहेगा तभी बात आगे बढ़ेगी। कुमुद नामकी एक लड़की से शादी के बारेमें बात होने लगी तो कमल ने राज को बुलाया। राज को कुमुद से मिलाया। उसी समय कुमुद को पता लगा की कमल के जीवन में राज की कितनी अहमियत थी। राज की रजामंदी से कमल की शादी कुमुद के साथ तय हो गयी। कमल की शादी में राज उसका ख़ास दोस्त बना था।

कुमुद कुछ गंभीर और अपनी उम्र से कहीं ज्यादा परिपक्व सी लड़की थी। पढ़ाई में वह काफी तेज थी और अपनी कॉलेज में काफी अच्छे नंबर से अव्वल रहती थी। वह देखने में बहुत सुन्दर थी, पर माँ बाप की तालीम के कारण वह धर्म में आस्था रखने वाली, शर्मीली और संकुचित विचारों की थी। कुमुद का नाक नक्श सुकोमल और बदन पतला था पर उसके स्तन उसके बदन के हिसाब से भरे हुए थे। उसकी कमर और नितम्ब उसके ड्रेस में खूब जँचते थे। राज को सबसे अच्छी लगी कुमुद की आँखें जो बिना बताये जैसे बहुत कुछ कह रही थी। कुमुद की आँखों में एक गंभीरता और सौम्यता थी जो कुमुद के व्यक्तित्व को भलीभाँती प्रदर्शित करते थे।

कमल ने देखा की राज को उसकी भाभी पसंद आयी। कमल ने महसूस किया की कुमुद को देखते ही राज का चेहरा खिल उठता था और उस के चेहरे पर अजीब से भाव दिखाई पड़ते थे। शायद राज को कमल की होने वाली पत्नी कुमुद काफी भा गयी थी। कमल को लगा की राज के मन में कुमुद के लिये जरूर नरम भाव था। कमल ने राज से पूछा, "यार मेरी बीबी कुमुद कैसी लगी?"

राज जवाब देनेमें थोड़ा हिचकिचाया; पर जब राजने देखा की कमल जवाब लिये बिना उसे छोड़ेगा नहीं तब वह दबी आवाज में बोला, "भाभी बहुत सुन्दर है यार।"

राज ने कमल की और कुमुद की जोड़ी की खूब तारीफ़ की। खैर, शादी के दरम्यान उनके बिच खूब हंसी मजाक हुआ। कुमुद भी काफी खुशनुमा लड़की थी।

राज कॉलेज में ग्रेजुएशन के आखरी साल में पढ़ रहा था उसी दरम्यान रानी कॉलेज में पहले साल में पढ़ती थी। जब राज अव्वल दर्जे से पास हुआ तो रानी पहली लड़की थी जिसने उसे बधाई दी। रानी को देखते ही पहली मुलाक़ात में ही राज उस पर फ़िदा हो गया पर उसने अपने मन के भाव जाहिर नहीं किये। रानी पढ़ाई में थोड़ी कमजोर थी और उसने राज से पढ़ाई में सहायता मांगी। राज तो रानी से मिलने के मौके ही ढूंढता था। राज ने रानी को शाम को थोड़ी देर कॉलेज में ही बैठ कर पढ़ाना शुरू किया। इस तरह उनकी मुलाकातों का दौर शुरू हुआ।

रानी आधुनिक विचारों वाली लड़की और कॉलेज में खेलकूद में अक्सर अव्वल होती थी। कॉलेज की महिला क्रिकेट टीम की वह कप्तान थी। जब भी महिला टीम का कोई मैच होता था तो पूरा कॉलेज टीम को सपोर्ट करने पहुंचता था। यह बात और है की सारे लड़के महिला टीम को सपोर्ट करने कम और रानी को घूरने ज्यादा आते थे। रानी पुरे कॉलेज की शान थी। रानी के पिता और माँ अपने जमाने में माने हुए खिलाड़ी और एथलिट थे। रानी भी उन्हीं के नक़्शे कदम पर शारीरिक क्षमता पर काफी ध्यान देती थी और खेलकूद के मैदान में और जिम में खासी कसरत एवं परिश्रम कर उसने अपने बदन को फिट रखा था।

लम्बी, सुन्दर और भरे हुए बदन की रानी जब लेग्गीन पहन कर कॉलेज आती तो सारे लड़के उसकी गाँड़ को घूरते ही रहते। रानी की कमर, जांघें और गाँड़ एकदम सुआकार और सुडौल थी। वह अक्सर जीन्स और टॉप पहनकर कॉलेज आती थी। रानी की कमर के निचेसे उसकी जांघों पर से घूमती हुई उसकी गाँड़ का फैलाव और उसके फुले हुए गालों के बिच की दरार की हलकी सी झलक देखकर लड़के आह भरने लगते। कोई कोई बार जब वह स्कर्ट पहनकर कॉलेज में आती तो रानी की कमल की डंडी के सामान जांघें देखकर अच्छे अच्छों की हालत खराब हो जाती थी और ख़ास कर लड़कों में शर्त लगती थी यह जानने के लिए की उस दिन रानी ने कौनसे रंग की पेंटी पहनी होगी।

कॉलेज में रानी को महिला टीम में क्रिकेट खेलते हुए देख कर कई लड़के रानी पर मरते थे और उसके करीब आने की भरपूर कोशिश करते थे। रानी का अच्छा खासा फैन क्लब था, पर रानी को राज ज्यादा अच्छा लगा क्यूंकि वह उसकी हर बात मानता था, रानी के बारेमें हमेशा चिंतित रहता था और उसकी बहुत इज्जत करता था। दोनों में मुलाकातें होती गयीं और देखते ही देखते दोस्ती प्यार में बदल गयी।

राज कमल को रानी के साथ प्यार के बारे में बताता था। उसने कमल से कहा की कई बार उसने रानी को किस किया और उसके स्तनों का मजा लिया था। राज रानी के भरे हुए स्तनों के बिच कैसे अपना सर सटा कर कई बार रानी की गोद में लेट जाता था यह बताते राज और कमल दोनों अपने हाथों से हस्तमैथुन कर अपना माल निकालते थे। पर रानी ने राज को उससे आगे बढ़ने की कतई इजाजत नहीं दी। रानी का कहना था की पहले शादी फिर सब कुछ। राज ने कमल से और अपने माता पिता से रानी के बारेमें बात की तो सब बड़े खुश हुए। दोनों की शादी की बात होने लगी।

राज ने ख़ास कमल की पसंद जानने और रानी से मिलाने के लिए कमल को बुलाया। हालांकि रानी कमल से पहले मिली नहीं थी पर कमल की क्रिकेटर के रूप में शोहरत से वह भली भाँती वाकिफ थी। पहली बार रानी को जब पता चला की कमल राज का दोस्त है, तब रानी की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा। कमल उसका हीरो था। क्रिकेट खेलनेमें वह कमल को अपना आदर्श मानती थी और उसके बारेमें अखबारों में बड़े चाव से पढ़ती रहती थी। रानी ने तो कमल के कई फोटो अपने रूम में दीवारों पर सजा रखे थे। रानी कमल को मिलते ही उसकी दीवानी हो गयी।

कमल की रानी से जब पहली बार मुलाक़ात हुई तो कमल भी रानी को देखता ही रह गया। रानी की तेज और कटीली आँखों ने कमल के दिल को जैसे अपनी नजर की छुरी से काट सा दिया। रानी के पुरे फुले हुए बड़े स्तनों को वह देखता ही रह गया। रानी के घने लम्बे बाल देखते ही बनते थे। वह उतनी सुन्दर पीछे से थी जितनी आगे से।

जब राज ने कमल से रानी के बारे में पूछा और उस से शादी करने की इजाजत मांगी तब कमल ने उसे फ़ौरन हाँ कह दिया। उन शुरूआती मुलाकातों में ही रानी और कमल की भी अच्छी खासी दोस्ती हो गयी थी।

रानी से मिलने के बाद जब राज ने कमल से पूछा की क्या कमल को रानी पसंद है? तब कमल के मुंह से अनायास ही निकल गया की, "यार तेरी गर्ल फ्रेंड तो बड़ी मस्त है।"

राज ने कमल को झकझोरते हुए कहा, "कमल भैया, मुझे हमारा एक दूसरे से किया वादा याद है। अगर तुम्हें रानी बहुत पसंद है तो तुम जब बोलो तो मैं तुम्हारे लिए रानी को छोड़ सकता हूँ। शायद रानी को भी कोई आपत्ति नहीं होगी क्यूंकि वह तो वैसे ही आपके पीछे पागल है।"

कमल ने राज से कहा, "तू पागल है? मैं शादी शुदा हूँ। मेरा कहने का मतलब था की रानी मस्त है और तू उसके साथ खूब मजे कर।" कमल राज से रानी की ज्यादा तारीफ़ करने से डरता था क्यों की राज कहीं ऐसा ना सोचे की कमल की नजर रानी पर है।

राज ने देखा की कमल भैया मना तो कर रहे थे पर कमल भैया की नजर उस की होने वाली बीबी रानी पर थी इस बात में कोई शक नहीं था। हालांकि कमल भैया ने ना तो ऐसा वैसा कुछ कहा और ना ही कुछ किया, पर राज समझ गया की कमल भैया को रानी भा गयी है। राज जानता था की रानी थी ही इतनी सुन्दर और देखने में सेक्सी की अगर मौक़ा मिले तो कमल भैया तो क्या, कोई भी मर्द रानी को चोदना चाहेगा।

वह जानता था की कमल भैया तो वैसे ही रंगीन मिज़ाज के थे, तो भले ही वह कुछ ना बोलें पर उनके मन की मंशा क्या होगी वह राज जानता था। उसी वक्त राज ने मनमें प्रण लिया की अगर कमल भैया के मनमें की कहीं न कहीं रानी को चोदने की थोड़ी सी भी इच्छा है तो वह कमल भैया के मन की ख्वाहिश जरूर पूरी करने की भरपूर कोशिश करेगा।

राज ने रानी को साफ़ साफ़ बता दिया था की कमल भैया उसकी आत्मा थे और वह कमल भैया के लिए कुछ भी कर सकता है। एक बार जब रानी ने राज से हंसी मजाक में पूछा की क्या वह कमल को रानी से भी ज्यादा प्यार करता है तो राज ने पट से कहा, "तुम मेरी जान हो और कमल भैया मेरी आत्मा है। तुम मेरे जीवन में अब आयी हो। कमल भैया तो मुझसे बचपन से जुड़े हैं। भगवान् करे ऐसी घडी ना आये, पर अगर मुझे तुम दोनों में से कोई एक को चुनना पड़े तो मैं कमल भइया को चुनूंगा।"

यह सुनकर रानी दंग रह गयी। आज तक रानी ने किसी व्यक्ति में भी अपने दोस्त के लिए इतना समपर्ण का भाव कभी नहीं देखा था। पर रानी खुश भी हुई क्यूंकि वह कमल को तो वह वैसे भी अपना हीरो मानती थी और कमल के खेल और उसके व्यक्तित्व की वह दीवानी थी।

राज की शादी में कमल और कुमुद ख़ास मेहमान रहे। राज की शादी के दरम्यान कुमुद की भी रानी से अच्छी खासी दोस्ती हो गयी थी। शादी के बाद अक्सर कमल की पत्नी कुमुद राज की बीबी रानी से फ़ोन पर बात करती रहती थी। फ़ोन पर बात करते करते रानी और कुमुद भी ख़ास दोस्त बन चुके थे। हालांकि उसके बाद ज्यादा मिलना हुआ नहीं।

राज को अहमदाबाद में अच्छे ओहदे वाली सरकारी नौकरी मिली। शादी के पहले एक डेढ़ साल तक तो राज की और उसकी बीबी रानी की रति क्रीड़ा धमाके दार हुआ करती थी। राज की बीबी रानी बिस्तर में आक्रमक थी। पर डेढ़ साल गुजरने के बाद दोनो का सेक्स का जोश धीरे धीरे कम होने लगा। तो कमल का भी तो वही हाल था। राज और कमल फ़ोन पर चर्चा करते यही सोच रहे थे की शादी के पहले उन्होंने सोचा था की शादी के बाद खूब मजे करेंगे पर डेढ़ साल के बाद ही पति पत्नी को एक दूसरे से सेक्स करने में मजा इतनी जल्दी कम कैसे हो जाता है? ख़ास तौर से महिलाओं को तो यह बात सटीक लागू होती है।

राज अपनी पत्नी रानी को कमल के बारे में हर रोज कुछ न कुछ बताता ही रहता था। एक रात रानी को उसने बातों बातों में उनके बचपन के बारे में बताया। राज ने बताया की कमल और राज ने एक दूसरे को वचन दिया था की वह एक ही बीबी के साथ शादी करेंगे। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह दोनों एक दूसरे की बीबी को मिल बाँट कर एन्जॉय करेंगे।

राज की पत्नी रानी हंसने लगी। उसने कहा, "तुम दोनों पागल हो क्या? मिलजुल कर एकदूसरे की बीबी को एन्जॉय करने की बात कहाँ से आयी? ऐसा कभी होता है क्या? अगर मान भी लिया जाए की पति की ऐसी इच्छा हो तो भी बीबियाँ थोड़े ही मानेगीं? ऐसे थोड़े ही होता है? यह सारी बातें बचपन की बातें हैं। अब तुम दोनों बड़े हो गए हो।"

तब राज ने कहा, "ऑफिशियली ना होता हो। पर मैंने सूना है की छुपे छुपे तो सब होता है। कई दोस्त ऐसे भी हैं जो मौक़ा मिलने पर एक दूसरे की बीबी को बदलते हैं और उनके साथ सेक्स का मजा लेते हैं। ऐसे कई क्लब भी हैं।"

रानी ने कहा, " पागल हो गए हो क्या? आपका कहने का मतलब है की दो पति मिलकर दोनों में से किसी एक की बीबी को चोद सकते हैं या फिर दो पति एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे की बीबियों को चोद सकते हैं? क्या बात करते हो? अगर ऐसा हो तो फिर शादी का वजूद ही क्या रह जाता है?"

राज ने रानी की बात का कोई जवाब नहीं दिया। रानी ने राज को सीधा सटीक जवाब तो दे दिया पर उसके मन में इस वार्तालाप से जरूर एक आशंका जगी की कहीं उसके पति के मनमें उस को कमल भैया से चुदवाने की इच्छा तो नहीं? यह सोचते ही रानी के मनमें एक अजीब सा तूफ़ान उमड़ने लगा। हालांकि रानी ने उस विचार पर उस समय ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फ़ौरन उसे अपने मन से खारिज कर दिया।

लोग अक्सर अपनी शादी शुदा जिंदगी की नाजुक बातें छुपा के रखते हैं। पर राज और कमल फ़ोन पर अपने निजी वैवाहिक जीवन के बारेमें अक्सर बात किया करते थे। खास तौर पर राज कमल को अक्सर फोन किया करता और अगर कोई नयी ताज़ी बात हो तो बताने में संकोच नहीं करता था। उसने बचपन से ही तय किया था की कमल उसका दुसरा रूप है। वह कमल से कुछ भी छिपाना नहीं चाहता था। कमल यह समझ नहीं पाया की क्या राज कमल को सारी बातें बता कर अपना छोटे भाई का फर्ज निभा रहा था या फिर उसकी कुछ और मंसा थी।

कमल राज और रानी की गोपनीय बातें सुनकर बड़ा उत्तेजित हो जाता था। रानी पर कमल वैसे ही फ़िदा था, हालांकि वह अपने आप को बड़ा नियत्रण में रखता था। जब राज कमल को फ़ोन पर उसकी और उसकी बीबी रानी के सेक्स की बातें बताता था तो कमल का लण्ड खड़ा हो जाता था और कमल बगैर रुके अपने हाथों से ही मुठ मारकर अपना माल निकाल लेता था, या फिर अपनी बीबी कुमुद पर उस रात कहर ढा देता था।

हालांकि कमल की बीबी कुमुद, कमल को राज और कमल के बिच फ़ोन पर होती बातों के बारेमें ज्यादा कुछ पूछती नहीं थी, पर जब कमल राज के साथ फ़ोन पर बात करता था और वह पास ही होती थी तो सुनकर थोड़ा बहुत समझ जाती थी की दोनों दोस्तों के बीचमें क्या बातें हो रही थीं। कमल भी कुमुद को बताता था की उनकी क्या बात हो रही थी। कमल की बात सुन कर कुमुद आश्चर्य में पड़ जाती थी की उनकी दोस्ती इतनी गहरी थी की एक दूसरे को इतनी निजी गोपनीय बातें बतानेमें दोनों दोस्तोंको कोई ख़ास झिझक नहीं होती थी। खैर उसे उनकी दोस्ती के बारेमें तो पहले से पता तो था ही।

राज और कमल और कमल की पत्नी कुमुद और राज की पत्नी रानी भी फ़ोन पर एक दूसरे से बात करते रहते थे। कुछ समय बाद कमल के मन में यह स्पष्ट हो गया था की राज की नजर उसकी बीबी कुमुद पर कुछ ज्यादा ही थी। कमल तो खैर राज की पत्नी रानी पर पहले से ही फ़िदा था। कमल जानता ही था की रानी भी उसे पसंद करती थी। फ़ोन में दोनों एक दूसरे की बीबी के साथ हल्का फुल्का मजाक जरूर कर लेते थे बस। पर बात उससे आगे नहीं बढ़ी।

एक बार कमल और कुमुद अपने गाँव जाते हुए राज के यहां एक दिन रुके। तब कमल ने महसूस किया की कुमुद को देखकर राज भी कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो रहा था। कमल को लगा जैसे राज को कुमुद का बदन (वह पतली और सुडौल थी), उसका पहनावा, उसकी चालढाल उसका मुस्काना खूब पसंद आता था। शायद राज सोच रहा होगा की कमल की पत्नी कुमुद राज के ही टाइप की है।

जब कमल ने राज को कुमुद को ताकते हुए पकड़ा तो एक आँख मारकर उसे चिढ़ाया। कमल की आँखों का इशारा देख कर राज सहमा गया और उसने बरबस अपनी निगाहें कुमुद के बदन से हटा ली। ऐसे ही बातों में मुलाकातों में धीरे धीरे दोनों जोड़ी के बिच आपसी सम्बन्ध गहरे होते चले गए।

शादी के करीब दो साल बाद राज का मुंबई जाने का प्रोग्राम बना। राज के आने की खबर सुनते ही कमल ने आवभगत की तैयारियां शुरू कर दी। कमल बार बार अपनी बीबी कुमुद से कहने लगा, "डार्लिंग राज मेरी जान है। वह मेरा दोस्त और भाई नहीं वह मेरा सब कुछ है। जितना मैं तुम्हें चाहता हूँ उतना ही या शायद उससे ज्यादा मैं राज को चाहता हूँ। राज की आवभगत मैं कोई कसर नहीं होनी चाहिए।" कुमुद भी जानती थी की राज कमल की जान है। कुमुद को भी तो राज की सभ्यता और शर्मीलापन खूब पसंद था। राज की चोरी छुपी नजरें कुमुद भी भांप गयी थी।

कमल ने मुंबई में एक छोटा सा फ्लैट ख़रीदा था। राज सबेरे ही कमल के घर पहुँच गया और अपनी आवभगत देख कर खुश हुआ। कमल की बीबी कुमुद पहले से ही भजन कीर्तन में कुछ ज्यादा ही विश्वास रखती थी। उन्होंने एक छोटा पर खूबसूरत मन्दिर रसोई घर में ही सजा रखा था।

उस शाम, कमल कुछ सामान खरीदने बाहर निकला था। वापस आते हुए कमरे में दाखिल हो रहा था की कमल ने देखा की राज एक कोने में बैठे हुए कमल की बीबी कुमुद को ताड़ रहा था, जो की उस समय दूसरे कमरे में फर्नीचर की डस्टिंग कर रही थी। कुमुद ने चुन्नी नहीं डाली थी और अपना घाघरा अपनी जाँघों पे चढ़ा कर वह सफाई के काम में तल्लीन थी। वह राज की हाजरी से बेखबर सफाई में लगी हुई थी और कोई गाना हल्के हल्के गुनगुना रही थी। कमल ने तब राज की आँखों में जो भाव देखे तो कमल समझ गया की उसकी बीबी को देख कर राज के मन में कुछ कुछ जरूर हो रहा था।

उस रात कमल ने अपनी बीबी कुमुद को चिढ़ाया और कहा, "मेरा दोस्त राज तुझ पर फ़िदा है, ऐसा लगता है। उसे तेरी पतली कमर, सुआकार गाँड़ और करारी चूँचियाँ बहुत पसंद है। मैंने देखा है की जब तू चलती है तो वह तुझे पीछे से ताकता ही रहता है और तेरी गाँड़ हिलाती हुई चाल पर वह फ़िदा लगता है। बेचारा दूसरे कमरे में सोते हुए भी शायद तुम्हारे ही सपने देख रहा होगा।"

जब कमल की बीबी कुमुद ने यह सूना तो वह कमल पर आग बबूला हो गयी और बोली, "तुम्हें क्या बोलना चाहिए और क्या नहीं यह पता ही नहीं है। वह तुम्हारा गहरा दोस्त है और मैं तुम्हारी बीबी। राज ने कभी भी आज तक गलत अंदाज से मुझे छुआ नहीं है। वह एक आदमी है। आदमी की नजर औरत के शरीर पर स्वाभाविक पड़ ही जाती है। पर इसका मतलब यह नहीं की वह बुरा है। तुम्हारी नजर में ही कुछ गड़बड़ है।" यह कह कर कुमुद रिसिया गयी। कमल ने उसे शांत करने की कोशिश की पर वह न मानी। आखिर में कमल थक हार कर करवट बदल कर बिस्तर में खिसक कर कुमुद से थोड़ी दूर लेट गया।

कमल की बात सुन कर कुमुद को चैन नहीं पड़ रहा था। वह शयन कक्ष से दरवाजा खोल कर बाहर निकली। बाहर के कमरे में लेटा हुआ राज अंदर के कमरे से आ रही आवाजें सुन कर यह समझ गया था की कमल भैया और कुमुद के बिच कुछ कहा सुनी हो रही थी पर कुछ स्पष्ट नहीं सुनाई पड़ रहा था। एकाध बार उसने अपने नाम का जिक्र होते हुए सूना जरूर था।

राज ने जब देखा की कुमुद बाहर आ गयी थी और वह दुखी और नाराज लग रही थी तो वह भाग कर कुमुद के पास गया उसकी आँखें नम हो रही थी। राज ने कुमुद से सम्मान और प्यार से पूछा की क्या बात थी। जैसे ही राज ने कुमुद से थोड़ी सी सहानुभूति जताई की कुमुद की आँखों में से गंगा जमुना बहने लगी। कुमुद राज से लिपट कर और उसके कंधे पर सर रख कर रोने लगी। राज ने अपनी बाहें फैलायीं तो अनायास ही कमल की बीबी कुमुद राज की बाहों में समा गयी। वह बोल नहीं पा रही थी। राज थोड़ी देर उसकी भाभी के सर पर हाथ फिराता रहा। कमल सारा नजारा अंदर से देख रहा था।

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