स्कूल की दोस्त संग हसीन चुदाई

Story Info
एक पुरानी स्कूल कि दोस्त को जयपुर की ठंडी रेत में चोदा.
1.4k words
2
1.2k
0
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मैं आपका दोस्त guruswami429 फिर से ले कर आया हूं एक और नई कहानी । कहानी की गोपनीयता के लिए नाम बदल दिए गए है।

मेरा नाम है रोहन। मै हरियाणा का रहने वाला हूं। साधारण सा शरीर लेकिन बातों का शौकीन । इस कहानी में मैं आपको अपनी स्कूल के समय की एक दोस्त के साथ बिताई एक हसीन रात के बारे में बताऊंगा।

स्कूल में मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी नाम था विदिशा। स्कूल के दोस्त हमेशा कहते थे कि लड़की तुझे पसंद करती है पर कभी मुझे महसूस नहीं हुआ कि ऐसा कुछ है। मेरे को विदिशा सही लगती थी लेकिन कभी गलत नहीं सोचा उसके लिए। हमारे फिर स्कूल अलग हुए कॉलेज में चले गए। कुछ सालों बाद इंटरनेट पर मुझे फिर से विदिशा दिखी। मुझे मन हुए बात करने का तो मैंने सामने से मेसेज कर दिया। कुछ समय बाते हुई । धीरे धीरे गरमा गरम बाते भी होने लगी।

एक बार उसने कहा कि यार तू मुझे मिलने जयपुर आ जा। वो जयपुर के एक कॉलेज में पढ़ रही थी। मेरा भी मन था जयपुर घूमने का तो मैंने भी कह दिया कि आ जाऊंगा। उसे लगा मै मजाक कर रहा हूं लेकिन मै अगले शनिवार वहां पहुंच गया। 2 दिन की मेरे कॉलेज की छुट्टी थी तो मेरा वहीं रहने का मन था। मैंने विदिशा को फोन करके बता दिया और वो हैरान थी क्योंकि हम 4 साल बाद मिलने वाले थे। वो मुझे लेने अाई तो मैंने उसे देखा। वो बिल्कुल वैसी लड़की थी जैसी मेरे को पसंद थी। वो लाल रंग का टाइट टॉप और नीचे एक टाइट जीन्स पहन के अाई थी। 34-32-36 का भरा हुए बदन। मुझे हमेशा से थोड़ी मोटी और थोड़ी सावली लड़की पसंद थी और वो वैसी ही थी। मैंने देखते ही सोचा की अगर ये मुझे अाज अपने गले लगा ले तो मज़ा आ जाए।

इतने में विदिशा ने अपने हाथ आगे किए और मुझे गले लगा लिया। उसके बड़े चूचे और बदन की खुशबू ऐसी थी मन कर रहा था चूमना शुरू कर दू उसे लेकिन खुद पर कंट्रोल किया। क्योंकि डर था कि वो बुरा ना मान जाए। फिर मैंने उसे छोड़ा और होटल की तरफ जाने लगा । मैंने उससे कहा कि थक गया ही कुछ देर आराम करूंगा शाम को घूमने चलेंगे। मुझे लगा वो मेरे साथ रूम पर रुक जाएगी लेकिन वो चली गई। मुझे लगा में जिस लड़की के लिए आया हूं वो ही शायद खुश नहीं हुई यही सोचते सोचते मैं सो गया और शाम को मेरा फोन बजा तभी मैं उठा।

जैसे ही मैंने फोन उठाया सामने विदिशा थी। वो बोली कि दोपहर से बेसब्री से इंतज़ार कर रही हूं जनाब का दरशन दे भी दो। उसकी आवाज में अलग सा नशा था। मैं खुश हो गया शायद सालों पुराना ख्वाब आज पूरा होगा। तभी मै तैयार हुआ और जैसे ही बाहर गया तो उसे देखता है रह गया। विदिशा ने काले रंग का सलवार सूट पहना था जिसमें उसका सावला रंग और निखर कर बाहर आ रहा था।

विदिशा_ क्या हुआ घूरते रहोगे या चलोगे भी।

वो हंसने लगी और हम चल दिए। वो स्कूटी चला रही थी और मै पीछे बैठा था मन कर रहा था पकड़ लू उससे लेकिन देर ने मुझे रोक लिया।

फिर हम शाम को एक किला देखने गए। नरागढ़ किला नाम था उसका राजा महाराजा का। हम थोड़ा अंदर गए। चलते चलते विदिशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया । उसके छूने से एक करंट था लगा शरीर को वो मुस्करा रही थी और ऐसा दिखा रही थी कुछ हुआ ही नहीं। फिर हमे देख कर लग रहा था हम जोड़े में घूमने आए हैं वो ऐसे चिपक कर चली रही थी। धीरे धीरे हम आगे बढ़ने लगे हमारा ग्रुप और गाइड आगे चले गए।

विदिशा शायद जान बुझ कर धीरे चल रही थी। फिर एक दम उसने मुझे एक अकेले कोने मै धक्का दे दिया और अपने लाल होठ मेरे होठ से मिला दिए। मैं कुछ देर तक कुछ समझ नहीं पाया लेकिन फिर मै भी उसका साथ देने लगा। 5 मिनिट तक उसके रसीले होंठ चूसने बाद वो अलग हुई और प्यार से बोली रोहन क्या तुम मेरे लिए यहां तक आए हो। मैंने बोला कि तुझे क्या लगता है मै अकेला जयपुर घूमने आया हूं।

उसके बाद हमे जिस जगह एक दूसरे को चूमने का मोका मिला हमने एक दूसरे को प्यार किया। मैंने उसके 34 के बड़े बड़े चूचों को भी मसला। उसके बाद हमे एक कोना देखा जहां कुछ अंधेरा था और गार्ड भी नहीं था। मैंने उसके होठों को काटना शुरू कर दिया वो दर्द में सिसकियां ले रही थी। ओह रोहन कहां थे इतने दिन... आराम से मै कहीं भाग्गग्गग... प्लीज़ ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज... मैंने उसके सूट के ऊपर ही उसकी ब्रा खोल दी और उसके दोनों कबूतरों के साथ खेलने लगा। मैं उन्हें दबाता और वो थोड़ा था चिल्ला देती। मैने उसके संतरो को चूसना शुरू किया सूट के ऊपर से ही। मैंने जैसे ही उसकी सलवार में हाथ डाला उसकी सिसकियां बढ़ने लगी तभी हमे वहां से कुछ आवाज अाई तो हमने कपड़े ठीक किए और निकाल गए वहां से।

किले से बाहर निकालने बाद मैंने उससे पूछा होटल चले तो उसने मना कर दिया । मैं उदास हो गया तभी वो बोली कि जो मज़ा बाहर है वो कमरे में कहां। मेरी हमेशा से इच्छा थी कि खुले में प्यार करने की शायद आज वो पूरी होने वाली थी। तभी वो मुझे पास में एक रेत के टीले के पास ले गए जहां उसने पहले से कुछ इंतजाम कर रखा था। इंतजाम के नाम पर बस एक चीज थी कि पकड़े जाने का डर काम था और मुझे सिर्फ वही चाहिए था।

जाते ही उसने मुझे चूमना काटना शुरू कर दिया। मैं कुछ संभाल पाता उससे पहले मेरे कपड़े उतार चुकी थी वो सिर्फ कच्छा बाकी था। मैंने भी उसका सूट खोल दिया और ब्रा फिर फेक दी। उसकी पेंटी निकालने के बाद मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। वो मज़े से सिसकी ले रही थी और मेरा जोश बड़ा रही थी। वो बार बार मना कर रही थी कि ये नहीं लकिन मै नहीं मान रहा था। उसने अपना सारा पानी निकाल दिया।

उसके बाद मैंने अपना हथियार उसके मुंह में देना चाहा तो उसने मना कर दिया बोली मैंने आजतक कुछ किया ही नहीं है। यहां तक ही मेरे बदन को भी किसी ने नहीं छुआ है। ये सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने अपनी जेब से कंडोम निकाला और अपनी तलवार पर मयान लगा ली। मैंने धीरे धीरे उसकी गुफा में घुसने की कोशिश की लेकिन काफी टाईट थी और मेरा हथियार अंदर नहीं जा रहा था। फिर मैंने उसे कस कर पकड़ा और अंदर डाल दिया। वो दर्द से चिलाने लगी। रेत में अपने हाथ पैर मारने लगी लेकिन मेरी पकड़ मजबूत थी। उसकी चूत से खून आने लगा उसकी झिल्ली टूट चुकी थी। थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा। वो ज़ोर जोर से अपनी गांड उठाने लगी।

उस चुदाई का एक अलग मज़ा था। वो ठंडी ठंडी रेत , वो मुलायम पेट, वो अनछुई चूत, वो दर्द और हवस से भरी सिसकी, वो आसमान में निकला चांद, वो एक हल्का सा देर किसी के आने का , वो 34 के बड़े बड़े बूब्स, वो मासल सावला बदन, वो थोड़ा मोटा शरीर, वो मेरी ज़िन्दगी की सबसे हसीन रात बन चुकी थी।

कुछ देर प्यार से चोदने के बाद मैंने उससे घोड़ी बनने को कहा। उसका मुंह अब बार बार रेत में लग रहा था और पीछे से उसके बालो को मुट्ठी में समेटे धक्के पर धक्का लगा ता जा रहा था। करीब 30 मिनट की प्यार बाहरी चुदाई साथ मेरा निकालने वाला था वो पहले ही 2 बार चरमसुख तक पहुंच गई थी । निकलने बाद हम वहीं कुछ देर रेत पर लेटे रहे।

थोड़ी देर बाद विदिशा ने मेरे सीने पर सिर रख लिया और बोली रोहन एक बात कहूं। मैं बोला हां बोलो यार। वो बोली कि मेरे को तू अच्छा लगता है लेकिन इस रात को प्यार मत सोचना ।

मेरा काफी दिनों से मन था मै तेरे साथ समय बिता सकु और मैंने ये सब उसे लिए किया है। हम अच्छे दोस्त है और रहेंगे। मैंने कहा कि मै भी प्यार में नहीं पड़ना चाहता लेकिन हैं जो तू हर बात कहती है ना कि शायद मेरे शरीर में कुछ कमी है लेकिन मेरे को तेरे साथ करने में जो मज़ा आया वो आजतक कभी नहीं आया। उसके बाद मैंने किस किया और हम होटल में आ गए वहां भी हमने रात में 2 बार चुदाई की। मैं 2 दिन तक जयपुर रहा हमने कई जगह देखी और वहां जो जो हो सकता था वो किया। इन दो दिनों में हमने एक दूसरे की प्यास बुझा दी। आखिरी दिन मैंने विदिशा की बड़ी सुडौल गांड भी मारी। अंत में हमने एक दूसरे को वादा किया कि हमेशा मिलकर ऐसे ही चुदाई करते रहेंगे।

मेरी कहानी के बारे में मुझे Literotica profile पर जरूर बताएं कहानी कैसी लगी।

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
2 Comments
AnonymousAnonymousover 2 years ago

Bakwas Kahani Hhai, Sir.

Rita Garg

AnonymousAnonymousover 3 years ago

Them अच्छा था लेकिन कहानी बिखर गयी

Share this Story

Similar Stories

Adventure with you A man describes how he'd please a woman if given the chance.in Erotic Couplings
Learning Curves There's something in the way she moves.in Erotic Couplings
That Connection with You Roxy's kinky first time with her Asexual best friend.in Romance
Awards Night A young couple go to an awards night, fun ensues.in Romance
Victoria & Chris: The Massage Foreplay is what it's all about.in Erotic Couplings
More Stories