अंतरंग हमसफ़र भाग 001

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अंतरंग जीवन की पहली हमसफ़र रोज़ी.
1k words
3.69
4.4k
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Part 1 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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अंतरंग हमसफ़र मेरे दोस्त, दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl

मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीयर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl

स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl

जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl

उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl

उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl

अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl

मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl

बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl

मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl

बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl

फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl

हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl

हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl

जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl

कहानी जारी रहेगीl

आपका दीपकl

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