जन्नत की 72 हूरे Ch. 13

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जन्नत की हूर- ऐनी के साथ पहला सम्भोग.
2.9k words
3.67
517
00

Part 13 of the 15 part series

Updated 06/10/2023
Created 12/10/2020
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जन्नत की 72 हूरे Ch. 12 में पढ़ा;

"मेरे होंठ ऐनी के नरम नाज़ुक और सुडौल उरोजों पर जा ठहरे। मेरे होंटों का ऐनी की चुंचियों पर स्पर्श ही ऐनी की सिसकियों की वज़ह बन गया था। मैं ने ऐनी के शरीर की इस गर्मी को भांप कर हल्की मुस्कुराहट से ऐनी की बायीं चुंची को अपने मुंह में भर लिया और दायीं चुंची को अपनी दाएँ हाथ की हथेली के पकड़ में क़ैद कर लिया।

फिर मैं उसके स्तनों पर आ गया। पहले उसने धीरे-धीरे स्तन मर्दन करना प्रारंभ किया। फिर चूचुक पर धीरे-धीरे जीभ फेरनी शुरू की। इस'से एनी की काम ज्वाला भड़क के सातवें आस' मान पर जा पहूंची।

ऐनी मैं की इस हरकत से बहुत बैचैन हो चुकी थी। मेरे मुँह में ऐनी की चुंची जाते ही ऐनी की पीठ हवा में उठ गई। एक और जहाँ ऐनी का शरीर थर-थर कांप रहा था वहीं दूसरी और भट्टी की तरह गर्म हो कर तप रहा था।

धीरे धीरे मैं ऐनी की चुंचियों को मुक्त करते हुए आगे बढ़ा और अपने होंटों को ऐनी की गहरी नाभी की और ले गया। वह चांदनी रात थी। हल्की चांदनी में ऐनी की गहरी नाभी किसी झील-ए-इश्क़ से कम ना थी। ऐनी की नाभि से जब मैं ने नज़र उठा कर ऐनी के चेहरे की तरफ़ देखा तो ऐनी के शरीर के कटावों से होकर मैं की नज़र ऐनी के कांपते होंठो पर पड़ी। "

मेरी अब तक की कहानी "जन्नत की 72 हूरे" जो की "खाला को चोदा, खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला, मजो की दुनिया में मेरे अनुभव और खड़े लण्ड की अजीब दास्ताँ" के अगले भाग हैं में आपने पढ़ा;

मुझे देखते ही ज़रीना और दिलिया मुझ से लिपट गयी और शिकायत भरे लहजे से बोली हम आपसे बहुत नाराज़ हैंl आप हमे छोड़ कर अकेले ही चले आयेl नयी दुल्हनों के साथ कोई ऐसे भी करता है क्या? मैंने अपनी तीनो बीवियों की जोरदार चुदाई करि और ग्रुप सेक्स का मज़ा लिया l नर्से लिया और मधु की पहली चुदाई हुईl और मेरे कॉलेज के दोस्त राजकुमार ब्रेडी की सबसे छोटी और लाड़ली बहन पर्ल जिसे मैं इंग्लैंड में कई बार मिला थाl मुझे बहुत पसंद करती है और मुझसे ही निकाह करना चाहती हैl ब्रेडी दिल्ली आया था, मैं उससे मिलने उसके होटल चला गया।

वहाँ मुझे उसकी कजिन सिस्टर एनी जो उसके साथ आई थी मिलीl एनी एक यूरोपियन, गोरी जिसके सुनहरे बाल थे। उसकी मोटी-मोटी आंखें, सुर्ख गुलाबी होंठ और दूध से रंग में गुलाब का मिला जुला रंग जैसा उसका रंग और गाल, सुडौल छातियाँ, पतली कमर, चेहरे पर क़ातिल मुस्कान। बेहद खूबसूरत जन्नत की हूर। उसे मैं ताज महल दिखाने आगरा ले गया और फिर ऐनी रात में एक शर्ट में मेरे कमरे में आ गयी और आकर सीधे मेरे गले लग गयी। फिर हम दोनों ने एक दुसरे के कपडे उतार दिए और मैंने उसे चूमने लगाl

अब आगे:-

जब मेरी नज़र ऐनी के हुस्न पर से उसकी नज़रों तक गयी तो उसके मन में यहीं ख़्याल आया होगा। वह चूत मैं लंड लेने के लिए व्याकुल हो उठी। पर इधर मुझे कोई जल्दी नहीं थी। तब मैं उसकी नाभी के इर्द गिर्द जीभ फेरने लगा। कभी-कभी बीच मैं उसकी झांटों मैं हल्के से अंगुली फिरा देता। साथ मैं वह उस के नितंबों के नीचे अपनी हथैली ले जा उन्हे सहलाए भी जा रहा था और उस के भारी नितम्बो पर कभी-कभी हल' के से नाख़ून भी गाढ रहा था। इन क्रियाओं के फल स्वरूप ऐनी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी।

क्या हुस्न है! ।

मैने ऐनी की नाभी को चूम बोला आज तुम्हे बहुत मजे आने वाले हैं। ऐनीl

वहीं दूसरी और ऐनी आंखें बंद किये बोली " उम्मीद करती हूँ तुम्हारी ख़ुशी का कारण बनूँ।

मैं ऐनी को जिस्मानी तौर पर बहुत गर्म कर चुका था। अब मैने सोचा अब मुझे आगे बढ़ना चाहिए। मैं ने बड़े ही नाज़ुक से अंदाज़ में ऐनी की दोनों जांघों को चूमते हुए खोलने की कोशिश की। लेकिन ऐनी शायद इसके लिए अभी तक तैयार नहीं थी इस लिए हल्का-सा चिंहूँकि लेकिन तुरंत ही ऐनी ने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया। मैंने बड़े ही नाज़ुक तरीके से ऐनी की जांघों को चूमते हुए खोला।

मेरे सामने ऐनी की जवानी की सबसे बड़ी दौलत थी। ऐनी का कौमार्य। मैं उस खूबसूरत और हसीन ऐनी की चूत को देखे जा रहा था। एक तरफ़ जहाँ मेरे लन्ड में बिजली की लहर दौड़ गयी थी। वही मैं आज ऐनी के साथ पहली बार एक होने जा रहा था यही सोच कर मैं और गर्म हो रहा था।

तब मैंने उसकी चूत मैं एक अंगुली डाली। मैं धीरे-धीरे उस' के चूत के दाने पर अंगुली की टिप का प्रहार कर रहा था। फिर मैंने बड़ी मुश्किल से दुसरे हाथ से उसकी छूट खोलते हुए दो अंगुल डाली।

मैं एक टक ऐनी की आंखों में देखता रहा तो वहीं ऐनी भी शर्मा गयी। । मैं एक टक ऐनी के चेहरे को देखते हुए अपने लन्ड को ऐनी की चूत पर रख दिया। ऐनी को मेरे लन्ड का जैसे ही अपनी चूत पर एहसास होता है ऐनी की आंखें मादकता के नशे में हल्की-सी बन्द हो जाती है और उसका सीना बिस्तर से 4 इंच ऊपर उठ जाता है। ऐनी की सांस बहुत तेज चलने लगती है। मैंने कोशिश की लन्ड को चूत में घुसाने की लेकिन ऐनी की चूत वाकई में बहुत तंग थी जिसके चलते मेरा लन्ड फिसल कर ऐनी की नाभि पर आ जाता था या नीचे गांड की तरफ़ चला जाता था। तकरीबन 4-5 बार मैं कोशिश KI लेकिन मेरा लन्ड ऐनी की चूत में नहीं घुस पाया।

ऐनी एक बार मैं की तरफ़ अपनी हल्की मुंदी आंखों से देखती है और मेरे को बोली-आमिर क्या हुआ क्यों तड़पा रहे हो? प्लीज कुछ करो...?

मै वह कर तो रहा हूँ लेकिन अंदर नहीं जा रहा। बार-बार फिसल रहा है।

मेरे इस उत्तर के बाद मैं और ऐनी दोनों एक टक एक दूसरे की आंखों में देखने लगते है फिर अचानक से ऐनी को हंसी आ गयी। ऐनी को हंसता देख मैं भी मुस्कुराते हुए हसने लगा। ऐनी हल्की-सी ऊपर होकर मेरे दोनों गालों को सहलाने लगी तो मैं बोला-राज कुमारी जी। अपने खूंटे को ज़मीन में गाड़ने से पहले ज़मीन तो थोड़ी-सी गीली करनी पड़ेगी ना l मैंने ऐनी की आंखों में झांकते हुए बड़े ही नटखट अंदाज़ में कहा।

अब बारी ऐनी की शर्माने की थी। एनी के मुँह से बस इतना ही निकला हम्म!

थोडी देर मैंने इधर उधर देखा तो मुझे अलमारी में कुछ दिखता है। वहाँ एक शीशी में तेल था।

मैं वह कटोरी उठा लाया और अपनी हथेली भर कर तेल ऐनी की चूत पर डाल और अच्छे से मसलने लगा। ऐनी ने जब मेरे हाथों में तेल देखा तो सोचने लगी ये तेल कहाँ से आया।

तभी मुझे याद आया ये काम ज़रूर सारा या लूसी का ही होगा वह मेरे कमरे में हमेशा तेल रखती है पता नहीं कब मुझे ज़रूरत आन पड़े उसने ही वह तेल वहाँ रखा होगा। खेर अब वह तेल काम आ रहा था।

मैंने थोड़ा तेल और लेकर अपने लन्ड पर लगा लिया। तेल लगने से मेरा लन्ड ऐसे चमक गया जैसे धूप में काले नाग की चमड़ी चमकती हैl

ऐनी की एक नज़र शीशी की तरफ़ जाती है जिसमे रत्ती भर तेल बचा था। उस शीशी को देख कर ऐनी शर्म से पानी-पानी हो गयी। । अभी ऐनी शर्मा ही रही थी कि मैंने अपने लन्ड को ऐनी की चूत पर रख कर हल्का-सा अपने हाथ से दबाया जिससे मेरे लन्ड का सुपड़ा ऐनी की चूत की फांको को खोलते हुए अंदर जाने को तैयार था। लेकिन वह बस हल्का-सा अंदर जाकर फंस कर रह गया और ऐनी हल्की-सी सिसक कर रह गयी।

मैंने ऐनी की तरफ़ देखा लेकिन ऐनी तो आने वाले लम्हे को लेकर अपनी आंखें बंद किये हुई थी। मैंने ऐनी के ऊपर झुक कर एक करारा झटका मारता है। ऐनी बिस्तर से ऊपर की और जाने लगती है लेकिन मैंने ऐनी के कन्धों को ज़ोर लगा कर उसे ऊपर नहीं होने दिया और दूसरा झटका भी मार दिया। इस बार ऐनी की चीख पड़ी।

मेरा 2.5 इंच लन्ड अंदर घुस चुका था और उसकी कौमर्य की झिल्ली से टकराया था ऐनी का पूरा शरीर दर्द से कांप रहा था। आंखें बुरी तरह से बंद थी और चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे कोई छोटी बच्ची रोने के वक़्त अपना चेहरा बना लेती है। मैं ऐनी को चूम कर ऐनी की चीख बंद करवाना चाहता था लेकिन ऐनी ने मुझे मना कर दिया। क़रीब 3 से 5 मिनट बाद मैंने हल्का-सा धक्का और मारा तो ऐनी सिसक पड़ी। मैं ऐनी के चेहरे के भाव देख कर भावुक हो गया।

ऐनी भी मेरे को देख कर समझ चुकी थी। ऐनी हल्की-सी ऊपर होकर मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी और मुझ को नज़दीक कर-कर उत्तेजना में भर बोली फाड् दो मेरी चूत एक ही झटके से मेरी कुंवारी चूत की सील अपने हथियार से चीर कर रख दो l खबरदार जो रहम खाया तो। अब जब तक पूरा ना अंदर कर दो रुकना नहीं।

मैं एक टक ऐनी को देखता रह गया। फिर मैंने ऐनी की आंखों में देखते हुए अपने लन्ड को हल्का-सा बाहर निकाला है। ऐनी सोचती है मैं पूरा लंड बाहर निकाल रहा हूँ इसलिए ऐनी ने बोलने की कोशिश करती उससे पहले मैंने भी एक पूरा जोरदार झटका मार कर दिया।

एक हलकी-सी रुकावट और फिर फचक की आवाज़ से मेरा 7 इंच लन्ड ऐनी की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ और चारो तरफ़ से फैलाता हुआ अंदर घुस गया और ऐनी की दर्द भरी चीख ने पूरा कमरा गुंजा दिया। क्योंकि होटल का कमरा साउंड प्रूफ था तो आवाज़ बहार तो नहीं गयी होगी और गयी भी होगी तो हम दोनों में से किसी ने भी उसकी कोई परवाह नहीं की। मैं फिर भी नहीं रुका और फिर से हल्का-सा लन्ड बाहर निकाल कर पूरा ज़ोर से धक्का मार दिया।

ऐनी इस बार फिर से ज़ोर से चीखी । ऐनी के हाथों के नाखून मेरी पीठ पर गड गए। यहाँ तक कि मेरी पीठ से हल्का-हल्का खून भी निकल गया और ऐनी की चूत से भी गर्म खून बह कर बाहर आ रहा था। मेरा पूरा लन्ड ऐनी की चूत में जड़ तक पहुँच गया था। ऐनी को ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई मोटा सरिया उसके पेट में घुसा दिया हो। ऐनी को मेरा लन्ड अपनी नाभि के ऊपर तक महसूस हो रहा था।

मुझे अपने लंड पर बहुत अधिक कसाव अनुभव हो रहा था। कसाव इसी कुंवारी से कन्या की बुर चोदने के असीम आनन्द की होती हैl

मेरे लन्ड का सूपड़ा ऐनी के गर्भाशय को जबरन खोल कर गर्भाशय में फंसा पड़ा था। मैं इंतज़ार कर रहा था ऐनी के दर्द के ठीक होने का।

अब मैं लंड को अंदर डाल कर आराम करने लगा। यह पहला प्रवेश चूत और लंड के पहले मिलाप की घड़ी होती है और एक दूसरे को पहचानने को और एडजस्ट करने का समय होता है। डॉ जुली के मुताबिक़ इस वक़्त कभी भी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए और चूत और लंड को पूरा मौका देना चाहये कि वह आपस में हिलमिल सके और एक दूसरे को पहचान सकें।

मैं ऐनी को गले लगाए हुए ऐनी के ऊपर पड़ा था। मेरा सर ऐनी के कन्धे और गले के बीच में था जिससे मैं और ऐनी अब तक एक दूसरे का चेहरा नहीं देख पाए थे। मैंने उसके कंधे पर गर्दन और कानो को चूमना शुरू कर दिया। लेकिन इस छोटे से 5 मिनट के इंतज़ार के बाद मैं जब अपना सर ऊपर उठा कर ऐनी को देखा और मुस्कुरा दिया।

ऐनी के चेहरे पर बाल बिखरे पड़े थे। आंखों का काजल पूरे चेहरे पर फैल चुका था। गाल और आंखें आंसुओं से भीगे हुए थे। वही ऐनी मेरे चेहरे की तरफ़ देखा तो पाया मेरा चेहरा पसीनो में भीगा हुआ था। चेहरे पर हल्के दर्द की लकीरें थी।

ऐनी मुझ से आंखों के ईशारे से पुछा की क्या हुआ?

मैंने भी गर्दन ना में हिलाकर बोलै कि कुछ नहीं हुआ। मैं भी जुली की बताई हुई बातों का ध्यान रखते हुए ऐनी को होटों पर चुम्बन और मम्मों को चूसने में लग गया।

ऐसा करने से ऐनी अपनी चूत में हो रहे दर्द को भूलने लगी और नीचे से चूतड़ की थाप देकर मुझको लंड चलाने के लिए उकसाने लगी।

उसके मम्मों के निप्पल एकदम खड़े थे और मैंने चूस-चूस कर अपने अंदर कर लिया था।

ऐनी का शरीर रिदम का जवाब रिदम के साथ देने लगा। लिंग को ऐनी की योनि से बाहर खींचने की क्रिया के साथ-साथ ही ऐनी अपने नितम्ब नीचे को खींच लेती और जैसे ही लिंग योनि में दोबारा प्रवेश पाने को होता तो ऐनी शक्ति के साथ अपने नितंब ऊपर को करती, परिणाम स्वरूप एक ठप्प की आवाज़ के साथ मेरा लिंग ऐनी की योनि के अंतिम छोर तक जाताl

मैं भी धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा। पूरा लौड़ा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने में मुझको भी बहुत मज़ा आने लगा और ऐनी के भी आनन्द की सीमा नहीं रही।

हल्के हल्के धक्के मारने लगा। ऐनी हर धक्के के साथ हिलती रहती सिसकती रहती है। ऐनी को इस वक़्त दर्द और आनंद, प्रेम और पीड़ा के मिलेजुले भाव महसूस हो रहे थे। ऐनी के मन में इस वक़्त मेरे प्रति अगाध प्रेम था और मेरे मन में इस वक़्त सिर्फ़ ऐनी थी। ऐनी के मुख से 'आह...आई... ओह... मर गई... हा... उफ़... उम्म्ह... अहह... हय... याह... हाय... सी... ई...ई' की मज़े वाली सिसकारियाँ निकल रही थी और मैं ऐनी को यहाँ-वहाँ चूम रहा था, चाट रहा था माथे पर, आँखों पर, गालों पर, नाक पर, गर्दन पर, गर्दन के नीचे, कंधो पर, उरोजों पर, निप्पलों पर, उरोजों के बीच की जगह पर!

ऐनी 'अह्ह्ह ... अह्ह्ह्ह ...' करने लगी थी और ऊपर नीचे होकर उछलने लगीl

ऐनी चिल्ला रही थी-उहह ... अहहहह ... ज़ोर से चोदो ... आई लव यू ... फक मी... फक मी हार्ड ... यू आर बेस्ट फकर!

मैंने उसे मिशनरी पोज में कस कसके चोदा और वह भी कूल्हे उचका-उचका कर मेरे तगड़े लंड को भोग रही थी l

हमारा सम्भोग अपनी अधिकतम गति पर था, अचानक ऐनी का शरीर अकड़ने लगा, ऐनी ने अपने दांत मेरे बाएँ कंधे पर गड़ा दिए, मेरी पीठ पर ऐनी के तीखे नाख़ून पच्चीकारी करने की कोशिश करने लगेl

क़रीब 15 मिनट तक ऐसा करने के कुछ मिन्ट में ही ऐनी चूतड़ उठा कर मुझसे नीचे से लिपट गई और मुझको कस कर अपने बाहों में जकड़ लियाl

ये लक्षण मेरे जाने पहचाने थे, मैं तत्काल अपनी कोहनियों के बल हुआ और ऐनी के दोनों हाथ अपने हाथों में जकड़ कर बिस्तर पर लगा दिए और अपनी कमर तीव्रतम गति से चलाने लगा, साथ-साथ मैं कभी ऐनी के होठों पर चुम्बन जड़ रहा था, कभी उसके निप्पलों पर, कभी उसकी आँखों पर!

अचानक ऐनी का सारा शरीर कांपने लगा और ऐनी की योनि में जैसे विस्फोट हुआ और ऐनी की योनि से जैसे स्राव का झरना फूट पड़ा। ऐनी ज़िन्दगी में पहली बार स्खलित हो रही थी l

लेकिन अभी तो मैं ठीक से शुरू भी नहीं हुआ था। ऐनी के झड़ने के बाद-बाद मैंने आवेश में ऐनी को चुदाई करदी I चुदाई क्या ऐनी की चूत की कुटाई शुरू कर दी। करीब 10 मिनट बाद ऐनी एक बार फिर से झड़ गयी लेकिन मैंने अपनी गति धीमी नहीं की।

ऐनी की योनि की मांसपेशियों ने संकुचित होकर मेरे लिंग को जैसे चूसना और निचोड़ना शुरू कर दियाl

प्रतिक्रिया स्वरूप मेरा लिंग और ज़्यादा फूलना शुरू हो गया, इसका नतीजा यह निकला कि मेरे लिंग के लिए संकरी योनि में रास्ता और भी ज़्यादा संकरा हो गया और मेरे लिंग पर ऐनी की योनि की अंदरूनी दीवारों की रगड़ पहले से भी ज़्यादा लगने लगी l

मैं अपनी गति बढ़ा कर ऐनी की चुदाई करता हुआ करीब 15 मिनट बाद जैसे ही मैंने पूरी शक्ति से अपना लिंग ऐनी की योनि में अंदर तक डाला मेरे अंडकोषों में एक जबरदस्त तनाव पैदा हुआ और मेरे लिंग ने पूरी ताक़त से वीर्य की पिचकारी ऐनी की योनि के आखिरी सिरे पर मारी फिर एक और।। एक और... एक और... एक और... मेरे गर्म वीर्य की बौछार! अपनी योनि में महसूस कर के अब तक निढाल और करीब-करीब बेहोश पड़ी ऐनी जैसे चौंक कर उठी और उसने मुझसे अपने हाथ छुड़ा कर ज़ोर से मुझे आलिंगन में ले लिया और मुझे यहाँ-वहाँ चूमने लगीl

मेरा वीर्य बहुत ज़्यादा निकला था। मैं झड़ते हुए ऐनी को बहुत गहरे झटके मारे जिससे मेरा लन्ड ऐनी की चूत में पिचकारियाँ करने लगा। ऐनी का गर्भाशय मेरे वीर्य की काफ़ी मात्रा अपने में समा कर बन्द हो चुका था उसकी योनि मेरे वीर्य से बरी हुई थी जिसमे से कुछ वीर्य, एनी का रस और उसके कौमार्य का लहू मिल कर ऐनी की चूत के होंठों से होकर बाहर बिस्तर की चादर पर फैल गया था और में उस पर गिर गया और दोनॉ लिपट गएl

हम दोनों कुछ क्षण इसी तरह एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहेl जब सांस ठीक हुई तो ऐनी ने मेरे मुंह अपने मुंह के पास लाकर ज़ोरदार किस किया और बोली-थैंक यू आमिर! मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। सच में बहुत मज़ा आया l शुरू में थोड़ा दर्द हुआ, बाद में तुमने बहुत मजे दिएl

दिन भर के सफ़र और इस चुदाई के बाद ऐनी और मैं दोनों थक गए दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए नींद के आगोश के चले गए।

लंड जी तो बदस्तूर खड़े हुए ही थे l

ऐनी की कहानी जारी रहेगी...

आपका आमिर खान हैदराबाद l

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